Badla बदला compleet

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rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:51

हर शाम को दफ़्तर से सहाय जी का सेक्रेटरी वो फाइल भेजता था & रजनी हर
सुबह उसे चाइ के साथ उन्हे देती थी.इसी बात ने रजनी के दिमाग़ मे इंदर को
एस्टेट मॅनेजर की जगह दिलवाने की 1 तरकीब लाई थी.

इस वक़्त रजनी के हाथ मे वही फाइल थी.उसने उसे खोला & सारी अर्ज़िया
पढ़ने लगी.6 अर्ज़िया थी जिसमे से 2 उसे ऐसी लगी जोकि सहाय जी को पसंद आ
सकती थी.उसने उन दोनो अर्ज़ियो को निकाला & इंदर की अर्ज़ी & उसका
बियो-डाटा लगा दिया.कल उसके घर से निकलने के बाद उसे ध्यान आया की उसने
इंदर से ये चीज़े तो ली ही नही.उसने उसे फोन करके सारे काग़ज़ात मंगाए &
फिर वापस एस्टेट आ गयी.

वो दोनो अर्ज़िया हटाते हुए रजनी का दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था,उसे लग
रहा था कि वो कोई ग़लत काम कर रही है.....मगर क्या वो दोनो लोग जिनकी
अर्ज़िया उसने अभी फाड़ के कूड़ेदान मे डाली थी इंदर से ज़्यादा अच्छे
थे..नही बिल्कुल नही!इंदर उनसे काबिलियत मे किसी भी तरह कम नही था...फिर
इसमे ग़लत क्या था?इंदर के प्यार मे पागल रजनी ने अपना सर झटक के ट्रॉली
पे चाइ का समान & वो फाइल रखी जिसमे सबसे उपर इंदर की अर्ज़ी थी & किचन
से बाहर निकल गयी.

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"उम्म्म.....!",अपने कमरे की खिड़की पे खड़ी देविका नीचे लॉन मे चाइ पीते
अपने पति को देख रही थी.पीछे से शिवा उसकी चूचिया उसके गाउन के उपर से
दबाता हुआ उसके गले पे चूम रहा था.सहाय जी ठीक सवेरे 7 बजे लॉन मे चाइ
पीने के लिए बैठते थे & 1 घंटे तक चाइ के साथ अख़बार पढ़ते थे & कुच्छ
काम जैसे की अर्ज़िया देखना वग़ैरह करते थे.

देविका 8 बजे उठती थी & प्रसून भी लगभग उसी वक़्त जागता था.घर के बाकी
नौकर 8.30 तक काम करने आते थे.सवेरे 6.30 से 8.30 तक केवल रजनी होती
थी.इस वजह से दोनो प्रेमियो को सवेरे मिलने का अच्छा मौका मिल जाता था.

शिवा ने देविका को घुमाया & उसे बाहो मे भर लिया,वो आज भी केवल शॉर्ट्स
मे था.उसके बालो भरे चौड़े सीने से जैसे ही देविका की चूचिया दबी देविका
की चूत मस्त हो गयी.उसने उसके सीने पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए चूमना
शुरू कर दिया.शिवा उसके गाउन को उपर खींच रहा था & थोड़ी ही देर मे पॅंटी
मे ढँकी देविका की गंद की मस्त फांके उसके बड़े-2 हाथो मे मसली जा रही
थी.

शिवा के निपल को अपनी जीभ से छेड़ते हुए देविका ने अपनी गर्दन हल्के से
दाई ओर घुमा के खिड़की से बाहर देखा,अख़बार मे मगन सुरेन जी की पीठ उसकी
ओर थी.1 अजीब सा रोमांच भर गया देविका के दिल मे....उसका पति बस कुच्छ ही
फ़ासले पे था & अगर गर्दन घुमा के उपर गौर से देखता तो बहुत मुमकिन था की
अपनी प्यारी बीवी की बेवफ़ाई उसे नज़र आ जाती.

इस ख़याल ने देविका के बदन की आग को और भड़का दिया & उसने शिवा के निपल
को हल्के से काट लिया,"आअहह..",शिवा करहा & अपने दाए हाथ को उसकी गंद से
खींच उसके बाल पकड़ के उसका सर पीछे झुका दिया.देविका ऐसे देखा रही थी
मानो कह रही हो की चाहे कुच्छ भी कर लो मैं ये गुस्ताख हरकत ज़रूर
दोहरौंगी!

शिवा उसके बाल थामे हुए उसके रसीले होंठ चूमने लगा & बाए हाथ की उंगलियो
को उसकी पॅंटी मे नीचे से घुसा के उसकी गीली हो रही चूत को कुरेदने
लगा,"..उउंम्म...".होंठ शिवा के होंठो से सिले होने की वजह से देविका बस
इतना ही कराह पाई.उसने भी अपना दाया हाथ नीचे ले जाके शॉर्ट्स मे तड़प
रहे उसके तने लंड को दबोच लिया.

शिवा की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो उसकी आग को और भड़का रही थी &
वो भी उसके तगड़े लंड को हिलाकर उसके जोश मे इज़ाफ़ा कर रही थी.बहुत दिन
हो गये थे उसे अपने प्रेमी के शानदार लंड का स्वाद चखे हुए.ये ख़याल आते
ही डेविका शिवा को चूमना छ्चोड़ उसके गथिले बदन को चूमते हुए नीचे होने
लगी.शिवा उसका इरादा समझ गया & जैसे ही वो उसके सीने पे पहुँची उसने अपने
हाथो से उसके ढीले-ढले गाउन के स्ट्रॅप्स को उसके कंधो से नीचे खींच
दिया.

देविका ने भी बदन को हिलाते हुए गाउन को नीचे फर्श पे गिर जाने दिया & वो
जल्दी से नीचे अपने पंजो पे बैठ गयी & शिवा के लंड को मुँह मे भर
लिया,"..आअहह....!",अपनी प्रेमिका की कामुक हरकत से बहाल हो शिवा ने उसके
सर को थाम कर अपनी आँखे बंद कर अपना सर मज़े मे पीछे झुका लिया.

देविका ने लंड को उठा के उपर की तरफ शिवा के निचले पेट पे दबाया & उसकी
जड़ को जहा पे लंड & आंडो की चमड़ी मिलती थी,जीभ से छेड़ने लगी.शिवा मज़े
से पागल हो गया.देविका ने जीभ की नोक को नीचे की ओर दोनो आंडो के बीच
चलाया & फिर 1 अंडे को मुँह मे भर के इतनी ज़ोर से चूसा की शिवा को लगा
की वो अभी ही झाड़ जाएगा.

बड़ी मुश्किल से उसने अपने उपर काबू रखा & झुक के नीचे देखा तो पाया की
देविका की चाहत & मस्ती से भरी आँखे भी उसे ही देख रही हैं.देविका ने उस
से नज़र मिलाए हुए ही पहले उसके दूसरे अंडे को चूसा & फिर लंड को नीचे कर
अपने मुँह मे भर लिया.

rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:52

लंड को जड़ से थामे मुँह मे भर जब उसने उसके मत्थे पे अपनी जीभ चलाई तो
शिवा पागल हो गया & उसने देविका के सर को और कस के पकड़ लिया & अपनी कमर
हिलाके उसके मुँह को चोदने लगा.देविका ने भी सहारे के लिए उसकी मज़बूत
गंद को थाम लिया & उसके धक्के सहने लगी.

उसकी जीभ बदस्तूर शिवा के लंड पे चल रही थी & ऐसा करते हुए जब उसने उसकी
गंद की छेद मे अपनी 1 उंगली घुआस दी तो शिवा कराह उठा,"..आहह...",उसने
फ़ौरन लंड को अपनी प्रेमिका के मुँह से बाहर खींचा & उसकी चूचियो को दबा
उसे पीछे धकेला,देविका बिस्तर पे गिर पड़ी.

शिवा की शॉर्ट्स उसकी गंद के नीचे उसकी जाँघो को गिर्द फँसी पड़ी थी.उसने
पीछे मूड के खिड़की से बाहर 1 नज़र कुच्छ काग़ज़ात देखते अपने बॉस पे
डाली & फिर शॉर्ट्स से अपनी खंभे जैसी टाँगे निकालने लगा.देविका ने भी
लेटे-2 अपनी गंद को उपर उठाया & 1 ही झटके मे अपनी पॅंटी को अपने जिस्म
से जुदा कर दिया.

शिवा ने शॉर्ट्स निकाल के जब देविका की ओर देखा तो पाया की अपने घुटने
मोड & अपनी टाँगे फैलाए देविका बाए हाथ की उंगलियो से अपने चूत के दाने
को सहला रही है & दाए से अपनी मोटी चूचियो को दबा रही है.शिवा ने उसके
घुटनो के नीचे हाथ लगाके टाँगो को और फैलाया & उसके उपर लेटते हुए अपना
लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा,"..ऊओवव्व....!"

उसके उपर लेटते ही देविका ने उसे अपनी बाहो & टाँगो मे क़ैद कर लिया &
ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.शिवा बस उसे चूमते हुए धक्के लगाए जा रहा
था,"..हाअ...आनन्न...शी...वाअ....और...ज़ो..र्ररर....से....ऊऊव्व्व......",देविका
ने अपने नाख़ून शिवा की गंद मे धंसा दिए तो उसके धक्के और तेज़ हो
गये.उसने अपने हाथ देविका के कंधो के नीचे लगा रखे थे मानो उसे अपने से
ऐसे सटा लेना चाहता हो की हवा भी उनके बीच ना रहे.कमरे मे उसके मोटे लंड
की देविका की गीली चूत की चुदाई से हो रही फ़च-2 की नशीली आवाज़ गूँज रही
थी.

"ओह्ह..देवी..का...आआहह...",देविका ने फिर से उसकी गंद के छेद मे उंगली
घुसा दी थी.शिवा ने बेचैन होके धक्के और तेज़ कर दिया & सर थोड़ा नीचे कर
देविका के दाए निपल को दाँत से काट लिया,"..अयेयीयियी...जुंग...ली
कहीं....के......ऑश...माआन्न्न्न...!",शिवा ने उसके हाथो को अपनी गंद से
हटा अपने गर्दन के गिर्द लगाया & फिर अपने घुटने बिस्तर पे जमा खुद से
चिपटि देविका की गंद की फांको को थाम उसे उठा लिया था & अब फर्श पे खड़ा
था.उसने खड़े हुए ही देविका को हवा मे झुलाते हुए कुच्छ धक्के लगाए फिर
उसे घुमा के उसी खिड़की की चौड़ी सिल पे बिठा दिया जिस से नीचे लॉन नज़र
आता था.

देविका पकड़े जाने के डर से च्चटपताई मगर शिवा ने उसे मज़बूती से थाम
उसके होंठो को अपने लबो की गिरफ़्त मे लिया & बहुत तेज़ी से उसे चोदने
लगा.इस तरह से चुदने मे देविका की चूत का दाना लगातार शिवा के लंड से
रगड़ रहा था & उसकी खुमारी हर पल बढ़ती जा रही थी.अगर उस वक़्त सुरेन जी
अपनी गर्दन घुमा लेते तो अपनी बीवी की जिस गंद पे वो फिदा थे उसे अपने
मुलाज़िम के हाथो मे भींचा देख लेते मगर खुदा दोनो प्रेमियो पे मेहेर बान
था & सुरेन जी मॅनेजर की पोस्ट के लिए आई अर्ज़िया पढ़ने मे मगन थे.

देविका को बहुत मज़ा आ रहा था,शिवा हर बार इस तरह की कोई बहुत ही
बेवकुफ़ाना मगर उतनी ही रोमांचक हरकत कर उसे बिल्कुल मदहोश कर देता
था.उसने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किया & अपनी टाँगो को उसकी गंद पे
ऐसे कस लिया की दोनो आएडिया 1 दूसरे को क्रॉस कर रही थी.उसने अपना सर
उसके बाए कंधे पे टीकाया & उसके कान मे अपनी जीभ फिराने लगी,"...बस
झ..आड़ने..ही..वाली...हू..मे..री..जेया....न्‍न्‍णणन्..आई..से...ही...चोद...ते..रहो...उउम्म्म्मम.....!",वो
फुसफुसाई.

शिवा लगातार अपने मालिक को देख रहा था,वो देविका को बेइंतहा चाहता था मगर
इस वक़्त उसे उसके पति को देखते हुए उसे चोदने मे कुच्छ और ही मज़ा आ रहा
था.उसने उसकी गंद को और ज़ोर से दबाया & इतने क़ातिल धक्के लगाए की
देविका का पानी निकल गया & वो उसकी पीठ पे अपने नखुनो के निशान छ्चोड़ती
& उसके बाए कंधे पे अपने दन्तो से काटती झाड़ गयी.शिवा का बदन भी झटके खा
रहा था & उसका गढ़ा पानी देविका की चूत मे भर रहा था.

कुच्छ देर बाद उसने देविका को खिड़की से उठाया & फिर बिस्तर पे उसे
लिए-दिए लेट गया,"..तुम बिल्कुल पागल हो,शिवा.",देविका उसके चेहरे पे
प्यार भरे किस छ्चोड़ रही थी.

"तुम्ही ने बनाया है जानेमन.",शिवा ने उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.

"अच्छा अब जाओ,8 बज गये.",शिवा अपना लंड उसकी चूत से खींचते हुए उठा &
अपने शॉर्ट्स पहन वाहा से निकल गया.देविका वैसे ही पड़ी रही.शिवा से
चुदने से वो पूरी तरह से सुकून से भर जाती थी,इस वक़्त भी उसके चेहरे पे
सुकून भरी मुस्कान थी.उसने इंटरकम उठाया,"रजनी?"

"गुड मॉर्निंग,मॅ'म."

"मॉर्निंग,रजनी.आज नाश्ते मे पराठे बना लो आलू-गोभी की सब्ज़ी के साथ."

"ओके,मॅ'म.आपकी चाइ ले आऊँ?"

"15 मिनिट बाद ले आना.ओके....& सुनो,रजनी...साहब के पराठे घी मे नही
बनाना उनके लिए जो खास कुकिंग आयिल आता है उसी मे बनाना."

"डॉन'ट वरी,मॅ'म."

rajaarkey
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Re: Badla बदला

Unread post by rajaarkey » 04 Nov 2014 10:52

सच मे रजनी के होते उसे घर की कोई फ़िक्र नही थी मगर उसे क्या पता था की
इसी बेचारी रजनी ने अपने भोलेपन मे अपने प्यार के हाथो मजबूर हो उसके
दुश्मन को घर मे आने का रास्ता दिखा दिया है & आने वाले दिन उसका कितना
बड़ा इम्तिहान लेने वाले थे.रजनी की तरकीब काम कर गयी थी,लॉन मे बैठे
सहाय जी इंदर की अर्ज़ी & बियो-डाटा से काफ़ी प्रभावित हुए थे & उन्होने
सोच लिया था कि अगर उसने इंटरव्यू मे अच्छे जवाब दिए तो वो उसे ही अपना
मॅनेजर बना लेंगे.

"ह्म्म....मिस्टर.सहाय,बात थोड़ी उलझी हुई है..",कामिनी अपनी हाइ-बॅक
लेदर चेर पे थोड़ा पीछे झुकी.उसके सामने सुरेन सहाय & देविका डेस्क की
दूसरी तरफ बैठे थे & अभी-2 उन्होने उसे अपने परिवार के बारे मे सारी बाते
बताई थी,"..आपके पिताजी ने कोई वसीयत की नही तो आप & आपके छ्होटे भाई
वीरेन सहाय दोनो सारी जयदाद के बराबर के हिस्सेदार होते हैं.."

"..आपका कहना है कि वीरेन जी अपना हिस्सा नही माँग रहे ना ही उन्हे
कारोबार मे कोई दिलचस्पी है मगर क़ानून तो जज़्बातो से नही चलता ना!"

"इसीलिए तो हम आपके पास आए हैं कामिनी जी..",देविका ने सामने रखे कोल्ड
ड्रिंक के ग्लास को उठा लिया,"..ये उलझी बाते आपको ही सुलझानी हैं."

"ओके,देविका जी..",कामिनी मुस्कुराइ,"..अच्छा..चलिए सारी बातो को ऐसे
देखते हैं..",कामिनी ने 1 पॅड उठा के उसपे लिखना शुरू किया,"..सुरेन
जी,देविका जी मैं जो भी कह रही हू उसका आप बुरा मत मानीएगा,1 वकील के तौर
पे मुझे ऐसी बाते करनी ही पड़ेगी....पहली सूरत पे गौर करते हैं मान लीजिए
सुरेन जी की मौत हो जाती है....फिर जयदाद का क्या होता है?..",देविका के
चेहरे पे पति की मौत की बात से परच्छाई सी आई मगर उसने खुद को संभाला.

"..आधी जयदाद वीरेन जी की & आधी देविका जी की हो जाती है मगर वीरेन जी को
कारोबार मे कोई दिलचस्पी नही है..देविका जी क्या आप कारोबार चल्एंगी?"

"बिल्कुल.",देविका की आवाज़ विश्वास से भरी हुई थी.

"ठीक है,फिर आप कारोबार चलाएंगी मगर तब भी आपके बाद बँटवारा होना ज़रूरी
है ताकि प्रसून के लिए ट्रस्ट आराम से बन सके.अब दूसरी सूरत की वीरेन जी
की मौत पहले होती है तब तो बहुत आसान है अगर वो कोई वसीयत नही करते हैं
तो सब कुच्छ देविका जी का & फिर प्रसून का.."

"..अब तीसरी सूरत अगर आप दोनो की मौत हो जाती है फिर सब कुच्छ वीरेन जी
का होता है & प्रसून भी उन्ही की ज़िम्मेदारी होगा अगर उनसे इस बात का
करार किया जाए तो..",कामिनी ने लिखना छ्चोड़ा,"..तीनो सुरतो मे सबसे
ज़रूरी बात है की वीरेन जी ये बात लिख के दें की उन्हे जयदाद का हिस्सा
नही चाहिए..ऐसे मे सुरेन जी,आपको अपने भाई को हर महीने 1 रकम देनी होगी
जोकि आपदोनो मिलके तय कर लें.."

"..और तीसरी सूरत के मामले मे भी आपको उनसे ये लिखवाना होगा कि वो प्रसून
की देखभाल करेंगे & अगर कारोबार मे उनकी दिलचस्पी नही है तो उसे बेच के
सारे पैसे जमा करके उसमे से उनके हिस्से की रकम या फिर अगर उन्हे अपना
हिस्सा नही चाहिए तो कुच्छ कम ही सही मगर कुच्छ पैसे उन्हे मिलने के बाद
बाकी पैसो से प्रसून के लिए ट्रस्ट बनाया जाए."

मिया बीवी ने 1 दूसरे की ओर देखा,"आपकी बाते तो बिल्कुल ठीक लगती
हैं,कामिनी जी..",सुरेन जी ने अपना खाली ग्लास डेस्क पे रख दिया,"..आप
काम शुरू कीजिए."

"ज़रूर,सहाय जी.आप अपने भाई को लेके मेरे पास आ जाएँ.हम लोग सारे सवालो
पे फिर से गौर करेंगे & फिर सभी कुच्छ क़ानूनी तौर पे पक्का कर
लेंगे.",कामिनी ने कुर्सी के हत्थो पे कोहनिया टिकाते हुए अपने हाथो की
उंगलिया आपस मे जोड़ ली,"..आप जब भी चाहें,वीरेन जी के साथ मुझ से मिल
लीजिए.बाहर बैठी मेरी सेक्रेटरी रश्मि आपको अपायंटमेंट लेने का तरीका बता
देगी."

क्रमशः.......

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