रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 10:32


बस क्या थी एक लग्षुरी घर की तरह थी वो. पूरी तरह एर कंडीशंड थी. बस मे सिर्फ़ तीन रो मे 12 आरामदेह सीट्स थे. ये सीट्स आपस मे जुड़ी हुई थी मानो सोफा हो. एक 2जे2 सीट दरवाजे के पास और दो रो एक दम पीछे. बीच मे लेटने के लिए बर्त्स बने थे सीट्स की हाइट पर. उस तरह नही जैसा किसी नाइट बस मे होता है. एक एक साइड मे दो बर्त एक के आगे एक बने हुए थे. उन बर्त्स के बीच परदा लगा हुया था. बीच मे पॅसेज च्छुटा हुआ था. ऐसे लग रहा था कि सीट्स बीच के बर्त्स पर सोने वालों के दर्शन के लिए लगे हुए हों. ड्राइवर का कॅबिन बिल्कुल सेपरेट था. चारों ओर टिनटेड ग्लास लगे थे जिससे बाहर से किसी को कुच्छ नज़र नही आए. उपर से उनपर भारी पर्दे पड़े हुए थे. बस एक छ्होटा मोटा लुकषरी घर की तरह लग रहा था.



शाम के छह बाज रहे थे. बस हमे ले कर चल पड़ी. कोई दस बारह घंटे का सफ़र था. सुबह हम देल्ही पहुँचने वाले थे.



हमारे बस मे चढ़ते ही गुरुजी ने आगे बढ़ कर हमारा स्वागत किया. हमने उनके पाँव च्छुए तो उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और जीवन को अपने गले से लगा लिया.



जीवन को देख कर लग रहा था वहाँ के वातावरण से बहुत प्रभावित है. स्वामीजी ने उनको अपने साथ दरवाजे के पास की सीट्स पर बिठा लिया. उन सीट का मुँह पीछे की ओर था.


"बेटी तुम उनके साथ सामने की सीट पर बैठ जाओ." गुरुजी ने अपने शिष्यों की तरफ इशारा किया. मैने देखा वहाँ मेरे अलावा दो लड़कियाँ और थी जिन्हे देखते ही मैं पहचान गयी. उनमे से एक तो रजनी थी और दूसरी करिश्मा. उनके अलावा स्वामी जी को छ्चोड़ कर वहाँ चार मर्द थे(गोपाल, तरुण, दिवाकर और रंजन).



चारों से मैं पहले से ही वाकिफ़ थी. ये चारों स्वामीजी के ख़ास शिष्यों मे से थे. ये चारों ही मुझे कई कई बार चोद चुके थे. लेकिन ये बात उनके हाव भाव से कहीं से भी जाहिर नही हो रही थी. जीवन के सामने वो इस तरह का बर्ताव कर रहे थे मानो आज पहली बार वो हमसे मिले हों.



मैं जीवन के सामने की सीटो पर बैठ गयी. हमारे बीच दोनो ओर दो दो बर्त थे. दोनो तरफ की सीट को एक दूसरे से अलग करते हुए पर्दे अभी खुले हुए थे. मेरे दोनो ओर दिवाकर और तरुण आकर बैठे. दो आदमियों के लिए बने सीट पर हम तीन लोग बैठे थे इसलिए हमारे बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे.


raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 10:33



रजनी और करिश्मा ने आश्रम मे पहनने वाले किमोनोस पहने थे. मुझे पता था कि
दोनो उन किमोना के अंदर बिल्कुल नंगी थी. कमर पर बँधी डोर से उनके सेक्सी बदन लोगों की नज़रों से बचे हुए थे. कमर पर बँधी इस डोर पर हल्का सा खींचाव होते ही वो खुल जाएँगी और उनका सेक्सी जिस्म किसी कमल की तरह निखर उठेगा.



आज मैं सारी पहने हुए थी. शिफ्फॉन की खूबसूरत सारी मे मेरा बदन और भी सेक्सी लग रहा था. रंजन उठा और एक बॉक्स से मुझे भी किमोना निकाल कर दिया.

“ लो चेंज कर लो. अभी सारी रात गुजारनी है. ये सिंतेटिक कपड़े बदन पर चुभेंगे” रंजन ने मुझसे कहा.

"ये?" मैने चारों ओर अपनी नज़रें घूमाते हुए धीरे से पुछा "कैसे पहनु? यहाँ सबके सामने?"

उसने ड्राइवर की सीट के बगल मे बने एक दरवाजे की तरफ इशारा किया. मैं कुच्छ समझी नही मगर उसके कहे अनुसार वाहा जाकर देखा कि वो एक छ्होटा सा बाथरूम था. बस इसी एक चीज़ की कमी बची थी. बस सच मे मानो एक छ्होटा सा घर अपने आप मे समाए हुए था.



मैने अंदर जाकर अपने सारे कपड़े उतार दिए फिर दरवाजे के पीछे लगे एक फुल साइज़ मिरर पर अपने नंगे बदन को निहारा. आज मेरे इस बदन को बाहर बैठे छह
मर्द अपने अपने तरह से मसल्ने वाले थे.



मैने अपने निपल्स को उंगलियों से छेड़ा.मेरा बदन उत्तेजित होने लगा था. मेरे निपल्स फूल गये थे. मैने अपनी योनि और उस पर उगे हल्के हल्के बालों पर हाथ फिराया.

फिर उसे सहलाती हुई हाथ को योनि तक ले आए. मैने अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाल कर बाहर निकाली. मेरी उंगली मे मेरा रस लगा था. मेरा बदन सुलगने लगा था. मैं एक सीरीयस प्रेस वाली महिला से एक कामुक औरत की तरह होती जा रही थी. मेरी हरकतें ब्लू फिल्म मे दिखने वाली किसी वेश्या की तरह ही थी.



मैने अपनी उंगली पर लगे अपने रस को अपनी जीभ से सॉफ किया फिर अपने बदन पर वो किमोना डाल कर उसे कमर पर लगी रस्सी से टाइट किया.

मैने अपने बालों को एक बार सँवारा और बाहर आकर अपनी सीट की तरफ बढ़ी. मैने देखा की जीवन के बगल मे रजनी बैठी हुई थी. उसका गाउन सामने से खुला होने के कारण उसकी नग्न टाँगें जांघों तक नज़र आ रही थी. गुरुजी बगल की सीट पर बैठे बहुत
ही कामुकता से उन दोनो की हरकतों को निहार रहे थे. मैं जैसे ही उनके सामने से गुज़री, गुरुजी ने जीवन की नज़रों से बचा कर मेरे दोनो नितंबों को सहलाते हुए उनके
बीच मे अपनी उंगली घुसा दी. मैं उनकी इस हरकत पर सिहर उठी. मैं उनकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गयी.

करिश्मा काँच के ग्लास मे वही शरबत भर कर ले आई. मुझे मालूम था कि इस के पीने के बाद जीवन के बदन मे कामुकता बढ़ जाएगी. उसका बदन उत्तेजना मे जलने लगेगा. उसका अपने सेक्षुयल एक्शितमेंट पर कोई कंट्रोल नही रहेगा और वो किसी की भी परवाह किए बिना वो सब कर बैठेगा जो होशो हवास मे हो सकता है वो नही करता. जीवन के बदन मे उस शरबत को पीने के बाद इतनी गर्मी बढ़ जाएगी कि रात भर उनका लंड बैठने वाला नही था.



उस शरबत मे पता नही क्या क्या जड़ी बूटियाँ या दवाइयाँ डाली हुई थी कि उसे पीने के बाद अपने बदन पर कपड़े भी बोझ लगने लगते थे.

क्रमशः............

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 04 Nov 2014 14:36


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -30

गतान्क से आगे...

यही वो शरबत था जिस की वजह से मैं सेक्स के दलदल मे बिना कुच्छ सोचे समझे कूद पड़ी थी. मैने उसका सेवन किया था और मुझे मालूम था रात भर चुदाई के बाद भी मेरी भूख ख़त्म नही हुई थी. उस दिन पूरे जोश से पूरे आश्रम वासियों से छूदी थी फिर भी मेरी योनि की आग नही बुझ पाई थी. हां ये बात भी सही है कि उस दिन जो कुच्छ हुआ था वो इतना चमत्कारिक था कि मैं स्वामीजी की गुलाम बन कर रह गयी थी.



करिश्मा ने एक एक गिलास सब को दिया. जीवन ने अपने ग्लास से एक घूँट लिया. उसे उसका स्वाद अच्च्छा लगा तो अगले घूँट मे पूरा ग्लास ही खाली कर दिया. करिश्मा ने उसके ग्लास को वापस भर दिया और आकर उसी सीट पर जीवन के दूसरी तरफ उस से सॅट कर बैठ गयी.



अब जीवन रजनी और करिश्मा के बीच सॅंडविच बना बैठा था. दोनो जीवन के जिस्म से लिपटे जा रही थी. रजनी के हाथ जीवन की जांघों को सहला रहे थे. मुझे अपनी ओर देखता पाकर उसने अपनी एक आँख दबाई और अपने स्तनो का बोझ जीवन के सीने पर डाल कर उससे लिपट गयी. उसके हाथ अब जीवन की एक जाँघ से दूसरी जाँघ पर फिर रहे थे और ऐसा करते वक्त बार बार जांघों के बीच उभर रहे उस उभार पर उसके हाथ पल भर को रुक जाते थे. मैने भी उसके इशारे का जवाब अपनी एक आँख दबा कर दे दिया. वो अब पूरी तरह आश्वस्त हो चुकी थी. उसे अब मेरी ओर से किसी भी हद पार कर लेने की पूरी छूट मिल गयी थी. वो वहीं बैठे बैठे जीवन की ओर मूडी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. करिश्मा के हाथ जीवन के गाउन के अंदर घुस कर उसके सीने पर फिर रहे थे. कभी वो जीवन की जांघों पर हाथ फिराती तो कभी उसके सिर के बालों को सहलाती. जीवन ने पल भर को अपनी आँखें मेरी आँखों मे डाल दी फिर उसके होंठ खुल गये रजनी की जीभ को अपने मुँह मे प्रवेश करने के लिए.


रजनी ने ग्लास को करिश्मा के हाथों से लेकर अपने हाथों से पकड़ कर उसके होंठों
को छुआया. उसका स्तन जीवन के सीने पर दब कर चपटा हो गया था. जीवन तीसरा ग्लास भी खाली करने लगा. उसकी आँखें अब सुर्ख लाल हो चुकी थी. वो अब पूरी तरह नशे मे आ गया था.

मेरी नज़र सामने उनकी हरकतों पर लगी हुई थी. मैं अपने हज़्बेंड को सिड्यूस करती दो कामुक महिलाओं की हरकतों का लुत्फ़ उठा रही थी. अचानक मैने महसूस किया कि मेरे अगल बगल मे बैठे लोगों की भी साँसे तेज होने लगी हैं. दोनो तरफ से एक एक हाथ मेरे कपड़े के अंदर जा कर मेरे स्तनो को सहला रहे थे.


जीवन इस दुनिया से नावाकिफ़ हो चुका थॉ वो उत्तेजना मे सुलग रहा था. उसे अब पूरी दुनिया मे किसी की परवाह नही थी उसके दिल और दिमाग़ मे उस वक़्त सिर्फ़ एक ही ख्वाहिश थी कि अगल बगल बैठे दोनो औरतों से अपनी प्यास बुझाए. अपने तने लिंग को उनकी योनि की दीवारों से रगड़ रगड़ कर ठंडा करे.



मैने देखा रजनी और करिश्मा के गाउन अब सामने से खुल चुके हैं. रजनी के हाथ जीवन के शर्ट के बटन्स से उलझे हुए थे. उसने एक एक कर सारे बटन्स खोल कर शर्ट को जीवन के बदन से अलग कर दिया. जीवन ने दोबारा चोर निगाहों से मेरी तरफ
देखा.



मुझसे नज़र मिलते ही मैने मुस्कुरा कर उसको अपनी सहमति जाता डी. बस फिर क्या था वो पूरे जोश मे आ गया. मेरे बदन से सटे दो मर्दों को देख कर वो भी मुस्कुराने
लगा. वो अब मेरी ओर से नज़रें घुमा कर अपने अगल बगल बैठी दोनो औरतों को सहलाने लगा. दोनो अपने गाउन उतार कर बिल्कुल नग्न हो चुकी थी. जीवन के भी बदन पर अब सिर्फ़ एक छ्होटी सी फ्रेंची बची थी. दोनो औरतें जीवन की दोनो जांघों पर बैठी हुई थी. जीवन अपनी बाहें फैला कर दोनो को अपने सीने पर दबा रखा था. दोनो औरतें जीवन के सीने पर उगे बालों से खेलने लगी. करिश्मा अपनी उंगलियों से जीवन के दोनो निपल्स को कुरेद रही थी. इससे उसके निपल्स भी कड़े हो गये थे.


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