रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 15:53


“ चलो देवी, तुम्हारा समान कमरे मे भिजवा देता हूँ” सेवक राम मेरे समान को उठा कर अपने एक शिष्य को थमाते हुए कहा, " इनका समान दिशा जी के कमरे मे रख दो. ये उनके साथ मे ही रहेंगी. वो कमरा मेरे और गुरु जी के बीच है इसलिए इनका वहाँ ठहरना ही शुभ होगा. इस तरह से ये हमारी सनिध्य मे रहेंगी.”



एक दूसरे शिष्य को जीवन की तरफ इशारा करके कहा,” जीवन साहब का समान देवेंदर जी के साथ 14 नंबर कमरे मे रख देना. 14 नंबर कमरा देवेंदर्जी के साथ जीवन भाई शेर करेंगे.”



हम दोनो अलग अलग दिशाओं मे अलग अलग कमरे के लिए रवाना हुए. मैने कमरे मे
प्रवेश करके जो देखा तो अश्चर्य से मुँह खुला रह गया. वो एक निहायत ही खूबसूरत कमरा था. किसी की क्या मज़ाल जो उस कमरे मे और किसी फाइव स्टार होटेल के कमरे मे कोई अंतर निकाल दे.



कमरे मे वॉल तो वॉल मुलायम कार्पेट बिच्छा हुया था.
हल्की नीली रोशनी मे कमरा निहायत ही रहस्यमय बन गया था. उस कमरे मे एर कंडीशन की हल्की सी आवाज़ आ रही थी अन्यथा पूरी तरह शांति थी. बीचों बीच रखे लंबे चौड़े डबल बेड पर काफ़ी मोटा और नर्म गद्दा बिच्छा हुआ था. बिस्तर पर खोब्सूरत कढ़ाई किया हुआ रेशमी चादर बिच्छा था. उस चादर के उपर एक महिला जिसे महिला की जगह अप्सरा कहना ही ठीक होगा, सोई हुई थी. वो हमारे आगमन से बेख़बर वो गहरी नींद मे डूबी हुई थी.

"देवी" उस आदमी ने आहिस्ता से पुकारा. मगर उस महिला के बदन मे किसी तरह की कोई हरकत नही हुई.

"देवी…..दिशा….. दिशा जी" इस बार उसने कुच्छ ऊँची आवाज़ मे पुकारा तो वो महिला हड़बड़ा कर उठ बैठी. उसके बदन को ढका हुआ मखमली चादर सरक कर अलग हो गया था. मैने देखा वो महिला कमर तक बिल्कुल नग्न थी. उसने अपने सामने एक मर्द को देख कर भी अपने नग्न बदन को ढकने की कोई कोशिश नही की.

वो कोई 30 -32 साल की निहायत ही खूबसूरत और गोरी-चिटी महिला थी. उसका बदन
काफ़ी छर्हरा था लेकिन चूचियाँ काफ़ी भारी भारी थी. बड़े बड़े होने के बावजूद दोनो स्तन काफ़ी कसे हुए थे. बिल्कुल पेमेला आंडरसेन की तरह. निपल्स के चारों ओर का घेरे कमरे की हल्की रोशनी मे काफ़ी बड़े बड़े दिख रहे थे. उसके चेहरे पर रेशमी जुल्फे बिखरी हुई थी. ऐसा लग रहा था मानो कि चाँद बादलों की ओट से झाँक रहा हो. मैं लेज़्बीयन नही हूँ लेकिनूस सुंदरी को देख कर तो उसे प्यार करने का मन होने लगा. वो इतनी खूबसूरत थी की उसके सामने अच्छि अच्छि हेरोयिन पानी भरती नज़र आएँ.



अचानक उसे अपनी नग्नता का अहसास हुया तो उसने अपनी हथेलियों से अपने दोनो स्तन ढँक लिए. सॉफ दिख रहा था की उसका बाकी जिस्म भी चादर के भीतर नग्न ही है. उसने झटके से चादर से अपने जिस्म को कंधे तक ढक लिया.

" देवी दिशा... ये हैं रश्मि जी ये लनोव से आई हैं. स्वामीजी की खास शिष्याओं मे से एक हैं. ये आपके साथ इस कमरे मे रहेंगी. प्रभु का आदेश है. आपको किसी प्रकार की परेशानी तो नही?" उसने मुस्कुराते हुए पूछा.

" अरे नही नही... इसमे भला परेशानी की क्या बात है. ये स्वामी जी की छत्र छाया मे है इसलिए एक तरह से मेरी बहन ही तो हुई. इनका पूरे दिल से स्वागत है " उसकी आवाज़ मे इतनी मिठास थी कि किसी का भी दिल जीत ले. वो उठी और मेरे पास आकर मेरी बाहों को
थाम कर पलंग तक ले गयी. वहाँ लाकर मुझे पलंग पर बिठा दिया. वो मुस्कुराती हुई मेरी आँखों मे झाँकने लगी.



“ मैं दिशा हूँ दिशा गुजराँवाला. मैं लुधियाना पंजाब से हूँ." उसने मुझे अपना परिचय दिया.



मुझे लग रहा था मानो उसका वजूद आँखों के रास्ते दिल तक उतरता जा रहा हो.



“ तुम बहुत खूबसूरत हो.” उसने मुझे यह कहकर मेरे एक गाल को चूम लिया.



“ ये आप कह रही हो. आपने कभी आईना देखा है क्या?” हम दोनो ऐसे मिल रहे थे जैसे कोई बरसों की सहेलियाँ हों. असल मे हम यहा पर हुमराज थे. उसकी हालत देख कर कोई भी समझ सकता है कि रात भर उसने सेक्स का खेल खेला होगा. और ये सब उसके लिए एक आम बात है इसलिए उसने अब तक अपने कपड़े पहनने की कोशिश नही की थी. उसका सेक्सी बदन अभी भी चादर की ओट मे छिपा था.



वो आदमी मेरा समान रख कर जा चुका था. जाते जाते उसने अपने पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था. उसके जाते ही दिशा ने अपने चादर को कंधे से गिर जाने दिया.

"जाओ रश्मि पहले नहा लो. सुबह की पूजा का समय हो रहा है. पहले तैयार होकर उसमे शामिल हो जाते हैं फिर बैठ कर खूब बातें करेंगे. देर होने से गुरुजी नाराज़ हो सकते हैं. चलो उठो.” उसने मेरी बाँह पकड़ कर उठाते हुए कहा.

मैं उठ कर नहाने बाथरूम मे जाने लगी.
क्रमशः............

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 15:53


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -35

गतान्क से आगे...


“ एक मिनिट. ये कपड़ा तो यहीं उतार जाओ. नही तो ये अपवित्र हो जाएगा.” उसने मुझे रोकते हुए कहा.



“ सॉरी. मैं भूल गयी थी.” कह कर मैने अपने कमर पर बँधी डोर को खोल दिया. दिशा पास आकर मेरे बदन से उस गाउन को हटाने मे मदद करने लगी. मैं पूरी तरह नग्न हो गयी. दिशा तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी. दिशा ने मेरे नंगे बदन को निहार कर एक हल्की सी सीटी बजाई.



“ क्या चीज़ हो तुम जानेमन.” उसने मुझे अपनी बाँहों मे भरते हुए कहा. मैं शर्म से लाल हो गयी. उसने मुझे अपनी बाँहों मे भर कर मेरे निपल्स से अपने निपल्स रगड़ दिए. मेरे निपल्स उसकी इस हरकत से फूल कर खड़े हो गये. मैं उसकी बाँहों से निकल कर बाथरूम मे चली गयी. मैं बाथरूम से बाहर आई तो मैने देखा दो बड़े दूध से भरे ग्लास टेबल पर रखे हुए थे. दिशा ने एक ग्लास मुझे दिया.



“ ले जल्दी ख़तम कर इसे. मैं अभी आती हूँ.” कहकर वो अपने ग्लास को प्लेट से ढक कर तेज कदमो से बाथरूम मे चली गयी.

वो जब तैयार होकर निकली तो निहायत ही खूबसूरत लग रही थी. हम दोनो ने अपने अपने नंगे बदन पर एक जैसा गेरुआ रंग के गाउन जो की सामने से खुलता था पहन कर बाहर निकल आए.



आश्रम मे किसी को भी बदन पर सिर्फ़ एक वस्त्र के अलावा कुच्छ भी पहनना अलोड नही था. वो एक तरह की ड्रेस थी उस आश्रम की. मर्द नग्न बदन पर सिर्फ़ एक धोती पहनते थे और औरतें एक पतला सा गाउन बदन पर लपेटे रहती थी. इससे हर वक़्त दोनो के गुप्तांगों की झलक मिलती रहती थी.



हम औरतों के चलने फिरने तो क्या हल्के से हिलने डुलने से भी हुमारी आज़ाद चूचियाँ बुरी तरह हिलती रहती थी. गाउन के ऊपर से हमारे निपल्स भी दिखते थे. चलने फिरने से गाउन के दोनो पल्ले सामने से खुल जाते थे और हमारी नंगी टाँगें काफ़ी दूर तक दिखने लगी थी. मर्दों के भी लिंग का आभास सामने से होता रहता था. लिंग के खड़े हो जाने पर तो धोती मे एक तंबू जैसा तन जाता था. आश्रम मे हर तरफ सेक्स ही सेक्स बिखरा हुआ था. हर कोने उत्तेजना से भरे हुए थे और हर तरफ सिर्फ़ कामुकता की खुश्बू फैली हुई थी. ऐसे महॉल मे कोई कैसे अच्चूता रह सकता है.

हम दोनो गलियारे से चलते हुए आगे बढ़ रहे थे. रास्ते मे जीवन एक आदमी के साथ बातें करते हुए जाते दिखे. उन्हों ने भी हमको देख लिया था. वो हमे आता देख कर रुक गये.

" ये मेरे हज़्बेंड जीवन और ये दिशा गुजराँवाला. ये पंजाब से आई है. हम दोनो एक कमरे मे ठहरे हुए हैं." मैने दोनो का इंट्रोडक्षन करवाया.

" और ये मेरे हज़्बेंड देवेंदर सिंग गुजराँवाला. इन्हे तो तुम समझ ही गये होगे? रश्मि……. रश्मि लाल" अपने हज़्बेंड की ओर देखती हुई दिशा बोली " रश्मि इनकी
ही वाइफ हैं. ये हैं जीवन लाल."

मैने देखा दोनो मर्द कुच्छ देर तक हमारा हुश्न अपनी आँखों ही आँखों से पीते रहे. देव मुझे नीचे से उपर तक निहार रहा था तो जीवन…..दिशा के बूब्स पर उसकी जो नज़रें चिपक गयी वो हटने का नाम ही नही ले रही थी. आख़िर दिशा ने देव को कोहनी से धक्का मार कर कहा, " अभी पूरा दिन पड़ा है रश्मि के हुस्न को पीने के लिए. ये मर्द होते ही ऐसे हैं. सुंदर कोई महिला देखी और अपना होश खो बैठते हैं. अभी जल्दी चलो वरना आरती के लिए देर हो जाएगी."

हम लगभग दौड़ते हुए मंदिर मे पहुँचे. मंदिर बहुत ही खूबसूरत बना रखा था. देवता जी की एक भव्य मूर्ति वहाँ लगी थी. मूर्ति बहुत ही सुंदर थी. सारे आश्रमवसी मंदिर मे खड़े आरती गा रहे थे. आश्रम का ये एक नियम था कि दोनो आरती के वक़्त सबका वहाँ उपस्थित होना ज़रूरी था. पूजा और आरती के दौरान सबका मौजूद रहना अनिवार्या था. उस वक़्त वहाँ काफ़ी भीड़ थी.

हम भी उनके साथ हो लिए. आरती ख़त्म होने के बाद सब धीरे धीरे वहाँ से विदा होने लगे. स्वामी जी ने मुझे और दिशा को रुकने का इशारा किया. हम दोनो वहीं रुक गये. सब के जाने के बाद हम दोनो औरतें, सेवकराम जी और दो उनके चेले रह गये थे जिनके नाम मोहन और जीतरं था. हां उनके अलावा स्वामी जी तो थे ही. सबके जाने के बाद सेवक राम जी ने हमे मंदिर के अंदर बुला कर मंदिर के कपाट बंद कर दिए. हम उनके और स्वामी जी के अगले आदेश का इंतेज़ार सिर झुका कर कर रहे थे.

" रश्मि और दिशा अब देवता जी की सेवा की जाएगी. पहले देवता नहाएँगे. तुम दोनो मोहन और जीतरं के साथ मिलकर भगवान को नहलाओगे एवं इसके बाद भोग बना
कर उनको भोग लगाना है. भोग बनाते वक़्त तन बिल्कुल शुद्ध रहना चाहिए. इसलिए इस दौरान तुम दोनो कोई भी वस्त्रा नही पहनॉगी. मोहन और जीत तुम दोनो इन देवियों की सेवा करोगे इसलिए तुम्हारे बदन पर भी कोई वस्त्रा नही रहना चाहिए. भगवान जी को दूषित तन एवं मन से भोग नही लगाया जा सकता." स्वामी जी ने कहा और हम दोनो की ओर देखा. उन्हों ने हमे अपने वस्त्र उतारने का इशारा किया.

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 15:54


हम चारों ने अपने वस्त्र उतार कर रख दिए. हम चारों अब बिल्कुल नग्न अवस्था मे खड़े थे. मुझे इस अवस्था मे इतने सारे मर्दों के सामने खड़े होने मे कुच्छ शर्म आ रही थी. मैं पहले भी कई बार आश्रम भर मर्दों के सामने नंगी हो कर चुदवा चुकी हूँ इसलिए मेरे लिए ये कोई नामुमकिन नही था.



“ देवी रश्मि और देवी दिशा आप लोगों की अभी ज़रूरत पड़ेगी देवता की सेवा के लिए इसलिए आप को कुच्छ देर और रुकना पड़ेगा.” स्वामी जी ने हम दोनो का हाथ अपने हाथों मे थाम लिया.



मैने दिशा की ओर देखा लेकिन वो बिना किसी झिझक के उनके सामने बिल्कुल नग्न अवस्था
मे खड़ी थी. किसी तरह के ढकाव च्चिपाव की कोई कोशिश नही की. उसे देख कर मुझमे भी हिम्मत आई. मैने भी अपने गुप्तांगों पर से अपने हाथ को झिझकते हुए हटा लिए. इसे देख कर स्वामी जी मुस्कुराए बिना नही रह सके.



“ देवी अगर आश्रम के उन्मुक्त वातावर्ण का एवं काम की पवित्र अनुभूति का दिल से आनंद लेना चाहती हो तो झिझक और शर्म का त्याग करना होगा.” मैने उनकी बातों का सिर हिला कर सहमति जताया. उन्हों ने आगे कहा, “ तुम अभी नयी हो देवी ऱाश्मि, तुम्हे रजनी और दिशा सब समझा देंगी. तब आप भी यहाँ के वातावरण मे रम जाएँगी.”



स्वामी जी हम दोनो के बीच आकर हमारी कमर मे अपनी बाहें डाल कर अपनी ओर खींचा. मैं और दिशा उनके नग्न सीने से लिपट गयी. हमारे स्तन उनके चौड़े सीने मे दब गये. उत्तेजना मे मेरे निपल्स कठोर होकर फूल गये थे. दिशा का भी वही हाल था.

" आज देवता जी को तुम दोनो स्नान कर्वओगि. आज देवता जी का दुग्ध स्नान करवाना हमारे यहाँ का रिवाज है. हमारा आहो भाग्य है की तुम दोनो आश्रम मे मौजूद हो. इस बार दुग्धसनान के लिए किसी पशु का दूध इस्तेमाल नही किया जाएगा. इसबार इस वार्षिकोत्सव के हर रोज देवता जी का स्नान तुम दोनो के पवित्र दूध से ही किया जाएगा." स्वामी जी ने कहा. मैं समझ गयी की मेरी तरह दिशा के भी कुच्छ दिनो पहले डेलिवरी हुई होगी.

हम दोनो को मोहन और जीतरं हाथ पकड़ कर देवता जी के दोनो ओर ले जाकर खड़े कर दिए. मोहन मेरे साथ था और जीत दिशा के साथ. फिर हम दोनो को उन दोनो ने बैठने का इशारा किया. हम दोनो देवता की मूर्ति के दोनो ओर बैठ गये. उन्हों ने हमारे कंधों पर हाथ रख कर देवता की मूर्ति के उपर झुकाया. स्वामी जी और सेवक राम जी देवता के बदन पर लिपटे वस्त्र को खोल कर हटा दिया. देवता की काले पत्थर से बनी मूर्ति अब वष्ट्रहीन थी.



हम दोनो नेघुटनो के बल बैठ कर अपने अपने सीने सामने की ओर कर दिए. मोहन ने सबसे पहले मेरे एक स्तन को पकड़ कर देवता के सिर की ओर कर के मेरे निपल्स को खींचा जिससे मेरे स्तन से दूध की तेज धार निकल कर देवता के सिर पर गिरने लगी. निपल्स को मसल कर खींचते वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया कि मेरे स्तनो से दूध की धार सीधे मूर्ति के सिर पर और चेहरे पर ही गिरे. जैसे जैसे दूध की धार चेहरे पर गिर कर नीचे की ओर फिसल रही थी, स्वामीजी मूर्ति को अपनी उंगलियों से रगड़ कर स्नान करवा रहे थे. पहले मेरा एक स्तन खाली हुया फिर दूसरे स्तन से दूध दूहने लगे.



साथ ही साथ दूसरी ओर से दिशा की चूचियो से जीतरं ने दूध दुहना शुरू कर दिया. दोनो ओर से दूध की गर्म धार देवता जी पर पड़ रही थी. मैने देखा की वहाँ मौजूद सभी के बदन कसमसा रहे थे. उनके जांघों के जोड़ पर लिपटे वस्त्र मे उनके लिंग के उभार सॉफ दिख रहे थे.



हम दोनो भी गर्म होने लगे थे. मैने देखा की दिशा अपनी दोनो जांघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी. उसने अपने निचले होंठ को दाँतों के बीच दबा रखा था जिससे की मुँह से उत्तेजना भरी कोई आवाज़ ना निकल जाए.

मेरी भी हालत खराब हो रही थी. दोनो हमारी चूचियो को किसी काउ के थनो की तरह ज़ोर ज़ोर से तब तक दूहते रहे जब तक ना उनमे से दूध आना बंद हो गया . हम दोनो की चूचियाँ उनके इतनी बुरी तरह निचोड़े जाने से लाल हो गयी थी. हमारे मुँह से दबी दबी सिसकारियाँ निकल रही थी.



देवता जी की मूर्ति से हम दोनो का ताज़ा दूध टपक रहा था. स्वामी जी सेवक राम जी के साथ उस मूर्ति को दूध से रगड़ रगड़ कर नहलाए. जब हमारे स्तन खाली हो गये तो उन्हों ने देवता जी की मूर्ति को एक मखमल के कपड़े से पोंच्छने लगे. हमारा दूध मूर्ति के चारों ओर से बहता हुआ एक कटोरे मे जमा हो रहा था. उसके बाद मूर्ति को शहद और सूखे मेवों से स्नान करवाया गया और आख़िर मे सॉफ पानी से उनको अच्छि तरह नहलाया गया.



एक दम प्रकितिक अवास्ता मे रहने से धीरे धीरे पराए सेक्स के लिए जिस्मानी भूख शिथिल हो जाती है. मैने देखा की हम दोनो को नग्न करके और हमारे स्तनो को मसालते रहने के कारण पहले जीत और मोहन के लिंग जैसे खड़े हो गये थे वो स्तिथि अब नही थी. पहले उनके वस्त्र के बाहर से ही उनके लिंग का उभार कोई भी देख सकता था.
क्रमशः............


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