दामिनी compleet

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raj..
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Re: दामिनी

Unread post by raj.. » 12 Dec 2014 20:47

दामिनी--18

गतान्क से आगे…………………..

आंटी उठ गयीं और हमने भी बाथरूम से वापस आ कर कपड़े पहेने आंटी को थॅंक्स बोला और बाहर निकल गये .

कार में बैठते ही मैने कहा " भैया ..कितना अच्छा हुआ ना हम लोग पायल आंटी से मिले..!"

" हाँ दामिनी ... मुझे कितना रिलॅक्स्ड फील हो रहा है..उनकी बातों से ... बहुत से डाउट्स ...झिझक जो अब तक थे सब दूर हो गये ..है ना दामिनी...?"

" हाँ भैया ....मम्मी ने कितना अच्छा काम किया हमें उनके पास भेजा..... वी आर सो लकी टू हॅव सच आ ग्रेट मोम....."

" और तुम ने एक बात नोटीस की दामिनी ..? "

"क्या भैया ..??"

"पायल आंटी भी ग़ज़ब की हैं ....क्या फिगर है उनकी ...30 साल की हैं ..पर लगती बिल्कुल तुम्हारी तरह ..सिर्फ़ उनका चूतड़ थोड़ा ज़्यादा मोटा है तेरे से ....32-28-36 होगी..... है ना ..??"

" ह्म्‍म्म्म ..लगता है भैया उनकी फिगर में उलझ गये ..हा हहा !! "

" और क्या चुद्ति थी दामिनी ...जब मैं धक्के लगाता वो अपनी चूत पता नहीं कैसे सीकोड लेती थी ..जैसे मेरे लौडे को चूस रही हों ...उफफफफ्फ़ चूत टाइट हो जाती थी और लगता था जैसे तुम्हें ही चोद रहा हूँ .... हाँ दामिनी बिल्कुल वैसा ही लग रहा था ..तभी तो मैं इतनी जल्दी झाड़ गया.. "

"अच्छा .मतलब भैया को मेरी चूत इतनी पसंद है .... मेरी चूत की याद आते ही झाड़ गये आप..???"

" हाँ दामिनी ...सच में तुम्हारी चूत कितनी टाइट है ..लगता है जैसे मेरे पूरे लौडे को चूस लेगी ...उफफफ्फ़ ..दामिनी ...एक बात बोलूं मेरी बहना ..??"

" एक नहीं चार बात बोलो ना भैया .." और मैं उनके लौडे को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगी ..

" ऐसा क्यूँ है ..मुझे कभी लगता है मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा ..?? तुम साथ रहती हो ना दामिनी तो ऐसा लगता है मैं सारी दुनिया जीत लूँगा .....चाहे कितनी बड़ी मुश्किल आ जाए हंसते हंसते उसे आसान कर दूँगा ...दामिनी आइ लव यू बहना ...सो मच ..."

" हाँ भैया मुझे भी अब कुछ ऐसा ही फील होता है ...."

" जब तुम्हारी शादी हो जाएगी ..मैं क्या करूँगा दामिनी..?? मैं मर जाऊँगा दामिनी ..मैं सच कह रहा हूँ ..तुम्हारे बिना मैं मर जाऊँगा ...."

"भैया ..अभी तो मैं आप के साथ हूँ ना ...अभी शादी की बात क्यूँ सोचते हैं आप....अभी बहुत दिन हैं ... उसके बाद भी कुछ रास्ता निकल ही जाएगा .मेरे प्यारे भैया .." मैने उनके लौडे को बड़े प्यार से सहलाया ..मैने उसे उनके पॅंट से बाहर निकल दिया था ,,मुझे भी उनका लौडा सहलाना , चूसना कितना अच्छा लगता था ...

" हाँ दामिनी कुछ रास्ता निकालेंगे .... " और ऐसी ही प्यारी प्यारी बातें करते हम घर पहुँच गये .

सामने मम्मी खड़ी थी ..सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप पहने ..क्या लग रही थी ..

अंदर जाते ही उन्होने हमें अपनी बाहों में ले लिया ... हम भी उन से लिपट गये ..

" डॉक्टर. पायल का फोन आया था ..तुम दोनों की बहुत तारीफ़ कर रही थी ... मैं बहुत खुश हूँ तुम दोनों से ..."

" ये सब आप का ही कमाल है मोम ..." मैने कहा , भैया तो बस मम्मी की चूची चूसने में ही मगन थे ...उन्हें मेरी चूत और मम्मी की चूचियों के सामने और कुछ नहीं दिखता था ...मेरे स्वीट स्वीट भैया ..

उन्होने भैया के गालों पर हल्के से चपत लगाते हुए कहा " बस बस बहुत चूस लिया मेरी चूची ...अरे पागल खाना भी खाएगा यह फिर इन्हें ही चूस्ता रहेगा ..? चल खाना खा ले ..."

" मोम क्या करूँ आप की चूची मुझे इतनी अच्छी और टेस्टी लगती है , मन करता है हमेशा मुँह में डाले चूस्ता रहूं ..."

'' ठीक है बाबा चूसना रात भर ..पर अभी चल खाना खा ले .."

" खाएँगे पर सिर्फ़ आप के मुँह से ..."हम दोनों एक साथ बोल उठे ..

"तुम दोनों ना ....अच्छा चलो तो सही ..."

फिर हम बाथरूम से फ्रेश हो कर कपड़े बदल मम्मी को बीच में किया और डाइनिंग टेबल पर बैठ गये ..

मम्मी खाना चबा कर हम दोनों के मुँह में बारी बारी अपना मुँह डाल ते हुए हमें खिला रही थी....

कितना प्यार था ..कितना स्नेह था ...

इसी तरह हमारी जिंदगी गुजर रही थी ..हम तीनो के बीच प्यार ,स्नेह और दोस्ती की गंगा उमड़ पड़ी थी ..हमारे बीच कोई भेद भाव ..कोई छल कपट नहीं ..हम लोग एक दूसरे से पूरी तरह ख़ूले थे .. साथ उठ ते , साथ खाते साथ सोते और साथ साथ चुदाई भी करते ..बस अब सिर्फ़ पापा को अपने में शामिल करने की देर थी ,..

वैसे मुझ से तो पापा बिल्कुल फ्री हो गये थे और मेरी छुट्टियो में अपने साथ टूर पर ले जानेवाले थे ..मैं अपनी छुट्टियों का बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी ..पर मन के किसी कोने में ये ख़याल आ जाता के " अगर भैया भी साथ होते तो कितना मज़ा रहता.."

मैं भी अब ये फील करती थी के मुझे भी भैया के बिना अच्छा नहीं लगता था ..उनके साथ रहने से कितनी मस्ती रहती थी..... चुदाई का मज़ा कितना बढ़ जाता था ..

पर ऐसा नहीं था के मुझे पापा से चुद्ना अच्छा नहीं लगता ..दोनों का मज़ा अलग अलग था ,,पापा की चुदाई में लग्षुरी कार की सैर का मज़ा था ... धीरे धीरे मस्ती बढ़ती , तो भैया की चुदाई में स्पोर्ट्स कार की मस्ती भरी रोमांच और तेज़ हवा के झोंको का सिहरन ...आ दोनों मेरे लिए नायाब थे ...

पर जहाँ साथ की बात थी , मैं अब फील कर रही थी की भैया मेरी जिंदगी में बुरी तरह रम गये हैं ...

एक दिन मैने मम्मी से पूछा " मम्मी ..कितना अच्छा होता अगर पापा भी अपने साथ शामिल हो जायें ..?"

" हाँ बेटी मैं भी येई चाहती हूँ ..पर इसमें जल्दी करना नहीं चाहती ...पता नहीं उन्हें मेरा अभी के साथ चुद्ना पसंद आए या नहीं..? मेरे लिए वो बहुत पस्सेसिव हैं... कॉलेज के दिनों में कोई भी मुझे देख लेता तो गुस्से से बेक़ाबू हो जाते .इसलिए बेटा डरती हूँ कहीं हमारा इतना अच्छा प्यारा स्मबंध कहीं एक झट्के में ख़त्म ना हो जाए ...तू धीरज रख ..अभी जैसा चल रहा है चलने दे ..धीरे धीरे मैं कुछ करूँगी ..पर बेटी तू कुछ ना करना ..."

" हाँ मोम मैं समझती हूँ आप की बात ...मुझ पर भरोसा रखिए ,,मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं करूँगी .."

और उसके बाद कुछ ही दिनों में भैया और मेरे एग्ज़ॅम्स चालू हो गये ... हम दोनों पढ़ाई मे बिज़ी थे ..पर अब पढ़ाई भी बड़ी मस्ती में होती थी..मैं भैया की गोद में ..तो कभी मम्मी की गोद में बैठ पढ़ती थी..वह दोनों भी मुझ से पढ्ते वक़्त ज़्यादा छेड़खानी नहीं करते ..बस उनके गोद की गर्मी .... अपनापन और एक निश्चिंत ता का अहसास होता ..जिस के कारण पढ्ने में काफ़ी कॉन्सेंट्रेशन होता था ....और इसका नतीज़ा ...मैने काफ़ी अच्छे नंबर लाए ..और भैया भी ...

पूरे एग्ज़ॅम्स. तक हम ने चुदाई नही की थी ..मेरी चूत फडक रही थी , मैं काफ़ी चुदासी थी उस दिन जब एग्ज़ॅम्स ख़त्म हुए ..मन कर रहा था भैया को पटक उन के लौडे पर बैठ जाऊं ..और तबाद तोड़ उन्हें चोद डालूं..

पर मैं भैया को आज चुदाई में कुछ नया देना चाहती थी...कुछ नयी चीज़ ..कुछ ऐसा अनुभव जो भैया याद रखें ...क्यूंकी एक दो दिनों बाद हमारी छुट्टियाँ शुरू हो रहीं थी और मैं और पापा जानेवाले थे साथ ..भैया और मम्मी को छोड़ कर ..

मैने दिमाग़ पर ज़ोर डाला ...और फिर मैं मुस्कुराने लगी ...आइडिया आ गया था ..

तभी भैया भी आ गये थे कॉलेज से ..उन्होने आते ही मुझे गोद में उठा लिया

" दामिनी ...उफफफ्फ़ ..कितने दिन हो गये ना .. तुम्हारी चूत देखे नहीं बहना ...आज तो बस तुम्हारी चूत चाटूँगा ...खाऊंगा और बस चोदून्गा ..चोदून्गा रात भर ...मैं तो बस पागल हो रहा हूँ ..."

और उन्होने मेरे जीन्स के अंदर हाथ डाल पैंटी के अंदर घुसा दिया और मेरी चूत मुठियों से जाकड़ मसल्ने लगे..और अपना मुँह मेरे मुँह से लगा मेरे होंठ चूसे जा रहे थे..

'उफफफ्फ़ ..तुम भी ना ...ज़रा सब्र करो ना मेरे राजा भैया ..." मैने अपने को बड़ी मुश्किल से चुदते हुए कहा .." मैं भी तो पागल हो रही हूँ आप के लंड के लिए ..".रात होने दो ना पापा मम्मी अपने कमरे में और हम अपने कमरे में ..."

"ठीक है दामिनी , पर कम से कम चूत तो मसल्ने दो ना ..." और हम दोनो सोफे पर बैठ अंदर ही अंदर वो मेरी चूत मसल रहे थे और मैं उनका लंड ..

तभी मम्मी भी आ गयीं चाइ लिए ...और हमारे साथ वो भी शामिल हो गयीं ..पापा अभी तक ऑफीस से नहीं आए थे ..

हम चाइ भी पीते और मज़े भी ले रहे थे ...भैया को तो अपनी सब से प्यारी चीज़ों को एक साथ मसल्ने का अच्छा मौका मिल गया था ...एक हाथ उनका मम्मी की मुलायम और गुदाज चुचियाँ मसल रहीं थी और दूसरा हाथ उनका मेरी चूत ..और मम्मी उन्हें अपने हाथों से चाइ पीला रही थी ..और मैं एक हाथ मम्मी की चूत में डाल रखी थी और दूसरे हाथ से भैया का लंड सहला रही थी .....मम्मी हमारे सामने बैठी हम दोनों को चाइ पीला रहीं थी .....भैया तो बस चाइ के साथ मम्मी के निपल्स की भी चूस्कियाँ ले रहे थे .. मम्मी कभी कभी उनके सर के पीछे हाथ रख उन्हें अपने सीने से चिपका लेतीं ...

क्रमशः……………………..


raj..
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Re: दामिनी

Unread post by raj.. » 12 Dec 2014 20:47

Daamini--18

gataank se aage…………………..
Aunty uth gayeen aur hum bhi bathroom se wapas aa kar kapde pehene Aunty ko thanks bola aur bahar nikal gaye .

Car mein baithte hi maine kaha " Bhaiyaa ..kitna achha hua na hum log Payal Aunty se mile..!"

" Han Daamini ... mujhe kitna relaxed feel ho raha hai..unki baton se ... bahut se doubts ...jhijhak jo ab tak THE sab door ho gaye ..hai na Daamini...?"

" Han Bhaiyaa ....MAMMI ne kitna achha kam kiya hamein unke pas bheja..... we are so lucky to have such a great Mom....."

" Aur tum ne ek baat notice kee Daamini ..? "

"Kya Bhaiyaa ..??"

"Payal Aunty bhi gazab ki hain ....kya figure hai unki ...30 saal ki hain ..par lagtee bilkul tumhari tarah ..sirf unka chuTaD thoda jyada mota hai tere se ....32-28-36 hogi..... hai na ..??"

" Hmmmm ..lagta hai Bhaiyaa unki figure mein ulajh gaye ..ha haha !! "

" Aur kya chudti thi Daamini ...jab main dhakke lagata wo apni choot pata nahin kaise seekod leti thi ..jaise mere louDe ko choos rahee hon ...ufffff choot tight ho jati thee aur lagta thaa jaise tumhein hi chod raha hoon .... han Daamini bilkul waisa hi lag raha tha ..tabhi to main itni jaldi jhad gaya.. "

"Achha .matlab Bhaiyaa ko meri choot itni pasand hai .... meri choot ki yaad aate hi jhad gaye aap..???"

" Han Daamini ...sach mein tumhari choot kitni tight hai ..lagta hai jaise mere poore louDe ko choos legi ...uffff ..Daamini ...ek baat boloon meri bahanaa ..??"

" Ek nahin char baat bolo na Bhaiyaa .." Aur main unke louDe ko pant ke upar se hi shelane lagi ..

" Aisa kyoon hai ..mujhe kabhi lagta hai main tumhare bina kaise rahoonga ..?? Tum sath rehti ho na Daamini to aisa lagta hai main saari duniya jeet loonga .....chahe kitni badi mushkil aa jaye hanste hanste use asaan kar doonga ...Daamini I love you bahanaa ...soooo much ..."

" Han Bhaiyaa mujhe bhi ab kuch aisa hi feel hota hai ...."

" Jab tumhari shaadi ho jayegi ..main kya karoonga Daamini..?? Main mar jaoonga Daamini ..main sach keh raha hoon ..tumhare bina main mar jaoonga ...."

"Bhaiyaa ..abhi to main aap ke saath hoon na ...abhi shadi ki baat kyoon sochte hain aap....abhi bahut din hain ... uske baad bhi kuch rasta nikal hi jayega .mere pyaare Bhaiyaa .." Maine unke louDe ko bade pyaar se sehlaya ..maine use unke pant se bahar nikal diiya tha ,,mujhe bhi unka lauDa sehlana , choosna kitna achha lagta thaa ...

" Han Daamini kuch rasta nikalenge .... " Aur aisi hi pyaari pyaari batein karte hum ghar pahunch gaye .

Samne MAMMI khadi thi ..sirf shorts aur top pehne ..kya lag rahee thi ..

Andar jate hi unhone hamein apni bahon mein le liya ... hum bhi un se lipat gaye ..

" Dr. Payal ka phone aaya thha ..tum donon ki bahut taarif kar rahee thi ... main bahut khush hoon tum donon se ..."

" Ye sab aap ka hi kamal hai Mom ..." Maine kaha , Bhaiyaa to bas MAMMI ki choochi choosne mein hi magan the ...unhein meri choot aur MAMMI ki choochiyon ke samne aur kuch nahin dikhta thaa ...mere sweet sweet Bhaiyaa ..

Unhone Bhaiyaa ke galon par halke se chapat lagate hu kaha " Bas bas bahut choos liya meri choochi ...are pagal khana bhi khayega yah phir inhein hi choosta rahega ..? Chal khana kha le ..."

" Mom kya karoon aap ki choochi mujhe itni achhee aur tasty lagti hai , man karta hai hamesha munh mein Daale choosta rahoon ..."

'' Theeek hai baba choosna raat bhar ..par abhi chal khana kha le .."

" Khayenge par sirf aap ke munh se ..."Hum donon ek saath bol uthe ..

"Tum donon na ....achha chalo to sahi ..."

Phir hum bathroom se fresh ho kar kapde baDaal MAMMI ko beech mein kiya aur dining table par baith gaye ..

MAMMI khana chabaa kar hum donon ke munh mein bari bari apna munh Daal te hue hamein khila rahee thi....

Kitna pyaar tha ..kitna sneh thhaaa ...


Isi tarah hamari jindagi gujar rahee thee ..hum teeenon ke beech pyaar ,sneh aur dosti ki ganga umad paDi thee ..hamare beech koi bhed bhav ..koi chal kapat nahin ..hum log ek doosre se poori tarah khoole THE .. saath uth te , saath khate saath sote aur saath saath chudaai bhi karte ..bas ab sirf Papa ko apne mein shamil karne ki der THEe ,..

Waise mujh se to Papa bilkul free ho gaye THE aur meri choottiyon mein apne saath tour par le janewale THE ..main apni choottiyon ka badi besabri se intezaar kar rahee thee ..par man ke kisi kone mein ye khayal aa jata ke " Agar Bhaiyaa bhi saath hote to kitna maja rehta.."

Main bhi ab ye feel karti THEe ke mujhe bhi Bhaiyaa ke bina achha nahin lagta thaa ..unke saath rehne se kitni masti rehti THEe..... chudaai ka maza kitna badh jata thhaa ..

Par aisa nahin thha ke mujhe Papa se chudna achha nahin lagta ..donon ka maza alag alag thaa ,,Papa ki chudaai mein luxury car ki sair ka maza tha ... dheere dheere masti badhti , to Bhaiyaa ki chudaai mein Sports Car ki masti bhari romanch aur tez hawa ke jhonko ka siharan ...aah donon mere liye nayab THE ...

PAr jahan saath ki baat THEe , main ab feel kar rahee THEe ki Bhaiyaa meri jindagi mein buri tarah ram gaye hain ...

Ek din maine MAMMI se poocha " MAMMI ..kitna achha hota agar Papa bhi apne saath shamil ho jayein ..?"

" Han beti main bhi yei chahti hoon ..par ismein jaldi karna nahin chahti ...pata nahin unhein mera Abhi ke saath chudna pasand aaye ya nahin..? Mere liye wo bahut possesive hain... college ke dinon mein koi bhi mujhe dekh leta to gusse se beqaboo ho jate .isliye beta darti hoon kahin hamara itna achha pyaara smabandh kahin ek jhaTke mein khatm na ho jaye ...tu dheeraj rakh ..abhi jaisa chal raha hai chalne de ..dheere dheere main kuch karoongi ..par beti tu kuch na karna ..."

" Han Mom main samajhti hoon aap ki baat ...mujh par bharosa rakhiye ,,main aisa waisa kuch nahin karoongi .."


Aur uske baad kuch hi dinon mein Bhaiyaa aur mere exams chaloo ho gaye ... hum donon paDhai me busy THE ..par ab paDhai bhi badi masti mein hoti THEe..main Bhaiyaa ki god mein ..to kabhi MAMMI ki god mein baith paDhti THEe..weh donon bhi mujh se paDhte waqt jyada chhhedkhani nahin karte ..bas unke god ki garmi .... apnapan aur ek nishchint ta ka ahasaas hota ..jis ke karan paDhne mein kaphhi concentration hota thha ....aur iska natiza ...maine kaphi achhe nummber laye ..aur Bhaiyaa bhi ...

Poore exams. tak hum ne chudaai nhain kee thee ..meri choot pahadak rahee THEe , main kaphii chudasi THEe us din jab exams khatm hue ..man kar raha tha Bhaiyaa ko patak un ke louDe par baith jaoon ..aur tabad tod unhein chod Daaloon..

Par main Bhaiyaa ko aaj chudaai mein kuch naya dena chahthee thee...kuch nayee cheez ..kuch aisa anubhav jo Bhaiyaa yaad rakhein ...kyoonki ek do dinon baad humari chhottiyan shuru ho raheen thi aur main aur Papa janewale THE saath ..Bhaiyaa aur MAMMI ko chod ..

Maine dimaag par jor Daala ...aur phir main muskurane lagi ...idea aaa gayee thee ..

Tabhi Bhaiyaa bhi aa gaye THE college se ..unhone aate hi mujhe god mein utha liya

" Daamini ...uffff ..kitne din ho gaye na .. tumhari choot dekha nahin bahanaa ...aaj to bas tumhari choot chaaToonga ...khaoonga aur bas chodoonga ..chodoonga raat bhar ...main to bas pagal ho raha hoon ..."

Aur unhone mere jeans ke andar haath Daal painty ke andar ghusa diya aur meri choot muthiyon se jakad masalne lage..aur apna munh mere munh se laga mere honth choose ja rahe THE..

'Uffff ..tum bhi na ...jara sabra karo na mere raja Bhaiyaa ..." Maine apne ko badi mushkil se chudate hue kaha .." Main bhi to pagal ho rahi hoon aap ke lund ke liye ..".raat hone do na Papa MAMMI apne kamre mein aur hum apne kamre mein ..."

"Theek hai Daamini , par kam se kam choot to masalne do na ..." Aur hum dono sofe par baith andar hi andar wo meri choot masal rahe THE aur main unka lund ..

Tabhi MAMMI bhi aa gayeen chai liye ...aur hamare saath wo bhi shaamil ho gayeen ..Papa abhi tak office se nahin aaye THE ..

Hum Chai bhi peete aur maze bhi le rahe THE ...Bhaiyaa ko to apni sab se pyaari cheezon ko ek saath masalne ka achha mauka mil gaya thaa ...ek haath unka MAMMI ki mulayam aur gudaj chuchiyaan masal raheen thi aur doosra haath unka meri choot ..aur MAMMI unhein apne hathon se chai peela rahee thi ..aur main ek haath MAMMI ki choot mein Daal rakhee thee aur doosre haath se Bhaiyaa ka lund sehla rahee thee .....MAMMI hamare samne baithi hum donon ko chai peela raheen thi .....Bhaiyaa to bas chai ke saath MAMMI ke nipples ki bhi chooskiyan le rahe THE .. MAMMI kabhi kabhi unke sar ke peeche haath rakh unhein apne seene se chipaka leTeen ...
kramashah……………………..


raj..
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Re: दामिनी

Unread post by raj.. » 12 Dec 2014 20:48

दामिनी--19

गतान्क से आगे…………………..

हम तीनों एक साथ चाइ और एक दूसरे का मज़ा ले रहे थे ...ऐसा मज़ा जो इस रिश्ते की मधुरता में ही मिल सकता था ...कितना मधुर , कितना मादक था हमारा ये रिश्ता ,,,

मैं रात को होनेवाली चुदाई के बारे सोच सोच मुस्कुरा रही थी ..और सिहर उठ ती ..

भैया और हमे बस रात होने का बेसब्री से इंतेज़ार था...

डिन्नर के टेबल पर उस रात कोई खास बात नहीं हुई ..बस ऐसे ही थोड़ी छेड़ छाड़ ,,सभी को जल्दी बेड रूम जाने की पड़ी थी ..और पापा भी ऑफीस से काफ़ी देर से आए थे ..थके थे ...मम्मी और पापा जल्दी ही अपने कमरे में चले गये ..और इधर भैया पहुँच गये मेरे कमरे में.

आते ही मुझे चिपका लिया और सारा बदन चूमने लगे..इतने दिनों की प्यास थी ,,मैं भी उनसे लिपट गयी थी .जैसे पेड़ से लता ..पागलों की तरह एक दूसरे को चूसे चाटे जा रहे थे..हाँफ रहे थे दोनों .थोड़ी देर रुक कर सांस लेटे फिर टूट पड्ते एक दूसरे पर ..जैसे हम एक दूसरे को खाने पर उतारू थे ..एक दूसरे को अपने में सिमट लेना चाहते थे ..सिसक रहे थे ..

" भैया ..भैया ..आइ लोवे योउ ...लव यू सो मच .." और भैया " दामिनी ..दामिनी ..मेरी रानी बहना ..लव यू टू.." की रट लगाए थे ..थोड़ी देर बाद हम शांत हुए और अगल बगल हानफते हुए लेट गये ..

" दामिनी ..." भैया ने कहा

" हाँ भैया बोलो ना .."

" तू तो और एक दो दिनों में पापा के साथ चली जाएगी छुट्टियाँ मानने ..मैं यहाँ अकेला रह जाऊँगा .." बड़े उदास होते हुए उन्होने कहा .

मैने उनका चेहरा अपनी तरफ खींचा

" अकेले कहाँ भैया ..मम्मी तो रहेंगी ना आप के साथ ..खूब मज़े करना ..तुम लोग भी खूब घूमना यहाँ .."

" हाँ वो तो है पर दामिनी तू तो जानती है ना के तेरे बिना मुझे कितना सूना सा लगता है सब कुछ .." उन्होने मेरे बाल सहलाते हुए कहा ..

" आप मुझे इतना प्यार करते हो भैया .. ??"

"हाँ दामिनी .बे-इंतहा .. "

" मैं जानती हूँ भैया .. मैं आप को एक नायाब तोहफा दूँगी , जिसे आज तक किसी को नहीं दिया ..पापा को भी नहीं .."

भैया की आँखों में चमक आ गयी " अच्छा क्या है वो नायाब तोहफा .दामिनी..??"

" भैया ...पापा को मैने अपनी चूत दी थी ...पहला लंड उनका था ..और आज अपना दूसरा होल तुम्हें दूँगी ..वहाँ तुम्हारा लंड जाएगा आज पहली बार.."

ये सुनते ही उनकी आँखों की चमक गायब हो गयी और फिर चिल्लाते हुए बोल उठे ....

" ऊ दामिनी ...तू जानती है क्या बोल रही है..?? कितना दर्द होगा ? पहली बार चूत में लंड जाता है उस से भी ज़्यादा ...और तू क्या सोचती है मैं तुझे इतना दर्द दे सकता हूँ.? तुम्हे इतना दर्द सहते देख सकता हूँ ...? तेरे दर्द से मुझे कितना दर्द होगा .? क्या तू मुझे इतना दर्द देगी..? "

कहाँ मैं सोचती थी भैया उछल पडेन्गे मेरे गान्ड की ऑफर से , पर यहाँ तो पासा उल्टा ही पड गया ..पर मुझे तो बस गान्ड मर्वानी थी भैया से तो बस मर्वानी थी ...

" पर भैया मैने सुना है इसमें मज़ा भी बहुत आता है बाद में ... चूत से तो नदी बहती है .....उफ़फ्फ़ कितना मज़ा आएगा भैया गान्ड में तुम्हारा लंड और चूत से पानी.... भैया ..भैया ...मेरे राजा भैया ..प्ल्ज़्ज़ मान जाओ ना .......इतने मज़े के लिए थोड़ा दर्द सह लूँगी ...प्लज़्ज़्ज़...."

और मैने अपने शॉर्ट्स उतार अपनी गान्ड उनके लौडे के उपर घिसने लगी ..."प्ल्ज़्ज़ भैया ..देखो ना कितनी मस्त है मेरी गान्ड..." और उनके हाथ पकड़ अपनी चूतड़ पर लगा दिया ..." दबाओ ना इन्नहें भैया ..."

" देख दामिनी ....क्यूँ मुसीबत मोल ले रही है ...मैं जानता हूँ बहाना ..मुझे भी बहुत मज़ा आएगा ...पर अपने मज़े के लिए मैं तुम्हें इतना दर्द कैसे दे सकता हूँ ... कैसे मेरी बहना..??"

" देखो भैया मैं वो सब कुछ नहीं जानती ... अगर तुम सीधे सीधे नहीं मानते ..तो मैं अपनी सूखी गान्ड लिए ही तुम्हारे कड़क लंड के उपर बैठ जाउन्गि... और फिर कितना दर्द होगा मुझे ये भी तुम जानते हो ..और मैं ऐसा कर सकती हूँ ये भी तुम जानते हो .....अब चाय्स तुम्हारी है ...तुम क्या चाहते हो ...आज मेरी गान्ड में तुम्हारा लंड जाएगा ,,यह ऐसे यह वैसे.....अब कैसे ये तुम सोचो"... ""

" तू भी ना दामिनी ... बहुत ज़िद्दी है ..मानेगी नहीं ..." और उन्न्होने नीचे खिसकते हुए अपना मुँह मेरी चूतड़ पर लगाया और उसे चूम लिया .. " पर देख मैं अपने हिसाब से करूँगा ..ठीक है ..? तुम बीच में कुछ मत बोलना ...बस चूप चाप लेटी रहना ....."

"ऊवू ..मेरे राजा भैया ....बस मैं वोई करूँगी जो आप बोलोगे ..बस मुझे आप से ही गान्ड मर्वानी है ....आइ लव यू भैया ..यू आर सो स्वीट ..""

भैया ने उस समय तक अपने कपड़े नहीं उतारे थे ..वो बेड से नीचे आ गये , किचन की ओर गये ...और झट वापस भी आ गये ..उनके एक हाथ में उनके फॅवुरेट फ्लेवर वाली आइस क्रीम का बड़ा पॅकेट था और दूसरे हाथ में ऑलिव आयिल की छोटी वाली बॉटल..

मेरे कुछ कुछ समझ में आ रही थी भैया इन सब चीज़ो का क्या करने वाले हैं ..पर मैं चूप थी और मन ही मन आनेवाली हरकतों की कल्पना में खोई थी .

भैया ने दोनो चीज़े साइड टेबल पर रख दी ..गर्मी के दिन थे इसलिए ए/सी ऑन था कमरे में ..आइस क्रीम के पिघलने का चान्स कम था ...

भैया ने अपने कपड़े उतार दिए ..मैं तो पहले से नंगी लेटी थी बीस्तर पर ..

उन्होने मुझे पेट के बल लीटा दिया और दो तकिये मेरी चूत के नीचे रख दिया ..मेरी चूतड़ उपर उठ गयी थी ..मैं मुस्कुरा रही थी ..पर चूप थी ..बस आँखें बंद किए वो जो भी करते उन्हें करने देती जाती..

भैया ने मेरी टाँगें फैला दी और मेरी टाँगों के बीच लेट ते हुए अपना मुँह मेरे चुटड पर लगा दिया और चाट ने लगे ..मैने आज वहाँ की सफाई की थी ..एक भी बाल नहीं था वहाँ ..एक दम चिकने चूतड़..उन्नकि जीभ फिसल रही थी ... मुझे गुदगुदी हो रही थे .. दोनों चुटडो को पहले उन्होने जी भर चाटा ...

फिर दोनों चूतड़ हथेली से जकड़ते हुए अलग किया ....भैया अंदर का नज़ारा देख बोल उठे .." उफफफ्फ़ दामिनी ..तुम ने लगता है पूरी तैयारी की है आज ..देखो ना अंदर एक भी बाल नहीं ......ऊवू कितना चिकना है यहाँ ...और कितनी मस्त सुगंध है ..."

"हाँ भैया मैने आपकी वोई फॅवुरेट पर्फ्यूम लगाई है वहाँ ..आप को अच्छी लगी ना .." मैने पड़े पड़े ही कहा ...

" बहुत पसंद है रानी बहाना ...बहुत " और उन्होने अपना मुँह मेरी चुतड़ों के अंदर घुसा दिया और चूतड़ के बीच की जागेह दाँतों से हल्के हल्के चबाने लगे ...मैं सिहर गयी ... जीभ से चाट ते और फिर दाँत लगा देते ....मुझे इतनी गुदगुदी हो रही ठेए ..

" उफफफफ्फ़ दामिनी मन करता है तुम्हारे चूतड़ खा जाऊं ....कितनी मस्त है ..ज़रा भी फट नहीं ..बस सिर्फ़ गुदा ही गुदा है .... "

काफ़ी देर तक वो चाट ते रहे मेरी चूतड़ के बीच ..जीभ की गर्मी से मैं बहाल थी ..मेरी चूत से लगातार पानी रीस रहा था .....

वहाँ चाट ने से मेरी गान्ड का होल कुछ मुलायम हो गया था ..अब उन्होने चूतड़ को फैलाया और गान्ड के होल को एक्सपोज़ किया ...

गोल गोल गुलाबी होल ...भैया तो बस देखते ही रहे .. उन्होने मेरी गान्ड के होल को जितना हो सकता था फैलाया ..और अपनी जीभ वहाँ डाल दी ..हथेलियों से चूतड़ फैलाए हुए थे और जीभ अंदर डाल चाट रहे थे मेरी गान्ड .....

" आआआआआआआआआह ऊवू भैया ..क्या कर रहे हो आप ...उफफफफफ्फ़ ..." मैं सिसकारियाँ ले रही थी ..मस्ती में ..

"दामिनी तेरी गान्ड का टेस्ट तो ऐसे ही कितना मस्त है मेरी बहना ..उउफफफफफ्फ़ मन करता है बस चाट ता रहूं .." काफ़ी देर तक वो चाट ते रहे ..लॅप लॅप..चॅप..चॅप ...कभी कभी दाँतों से हल्के से जाकड़ पूरा चूस जाते ....."

मेरी चूतड़ उछल रही थी उनके मुँह पर उनकी चुसाइ , चाटाई से . और गान्ड के होल में बार बार जितनी बार भैया की जीभ लॅप लापते हुई अंदर जाती..मैं कांप उठती ...इस चाट ने में कितना प्यार और मेरे लिए उनका स्नेह भरा था ...मैं समझ रही थी वो इतना क्यूँ चाट रहे थे मेरी गान्ड ..एक तो उनका प्यार और दूसरा कारण था ...उनके चाटने की वाज़ेह से मेरी होल काफ़ी मुलायम हो गयी थी , वो मेरी तकिलफ कम कर रहे थे ...जिस से उनका दम दमाता लौडा आसानी से अंदर जा सके ..उन्हें कितना ख़याल था मेरा ...मैं आनंद विभोर थे उनके इस लाड और प्यार से.

मैने एक बार अपना हाथ पीछे करते हुए उनके लौडे को अपनी हथेली से थामा ...उफफफफ्फ़ ..कितना कड़क हो गया था ..और उनके लौडे से पानी टपक रहा था ...

"भैया ...अब डाल दो ना ..प्ल्ज़्ज़ .."

" अरे अभी नहीं दामिनी ..बस ज़रा थोड़ी देर और ..."

अब उन्होने साइड टेबल पर रखी ऑलिव आयिल के बॉटल को अपने हाथ में लिया और चूतड़ की फाँक में थोड़ा सा तेल डाल दिया ..चाटना बंद होने से होल भी बंद था इसकी वाज़ेह से तेल जमा था ..फिर उन्होने अपनी उंगलियों का जो कमाल दिखाया ,,मैं सिहर उठी ..

उन्होने अपने अंगूठे को मेरे गान्ड के होल पे रखते हुए दबाया ..गान्ड का होल खूल गया ...और वहाँ जमा तेल होल के अंदर धीरे धीरे रीस्ने लगा ..तेल के अंदर जाने से मुझे थोड़ी ठंडक का अहसास हुआ उफफफफ्फ़ तेल के रिसाव से एक अजीब झूरजूरी सी महसूस हुई मुझे ..फिर उन्होने गान्ड की होल में अंगूठा धीरे धीरे डाल ते हुए वहाँ मालिश करने लगे .....पहले हल्का सा दर्द महसूस हुआ फिर तो बस मैं बयान नहीं कर सकती ..इतना मज़ा आ रहा था ...मालिश करते करते तेल सूख गया ...फिर उन्होने और तेल डाला वहाँ और अब अपनी एक उंगली वहाँ हल्के से घुसाया और बार बार अंदर बाहर करते करते और गान्ड की दीवारों को छूते हुए मालिश करने लगे ..बीच बीच में गान्ड चाट ते भी जाते ...

अब गान्ड काफ़ी मुलायम हो गयी थी और उनकी उंगली भी आराम से जा रही थी ..

क्रमशः……………………..


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