रश्मि एक सेक्स मशीन compleet
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
“ जी….जी उसने मेरे साथ च…चुदाई की है.” मैं दुआ कर रही थी कि इतनी जलालत झेलने से तो अच्च्छा होता की धरती फट जाती और मैं उसमे समा जाती.
“अच्च्छा उसने तुझे ज़बरदस्ती चोदा था. कब की बात है ये?”
“जी होली के दिन.” मैने अपने नज़रों को एक बार भी उठाने की कोशिश नही की.
“ होली के दिन? तुझे किसने बोला था उस हरमजड़े के साथ होली खेलने के लिए.”
“ जी मैं कहाँ उस से होली खेलना चाहती थी. वो ज़बरदस्ती मेरे घर घुस आया.”
“ तेरा पति क्या छक्का है. साला रोक नही सका उसे. एक अकेला आदमी तेरे घर आया और ज़बरदस्ती तुझे चोद कर चला गया. साले सब ने चूड़ियाँ पहन रखी हैं क्या? तेरे घरवाले सब मर गये थे? वो रोक नही सके उस बदमाश को? तू चुद्ती रही और सब क्या ताली बजाते रहे?”
मैं उस वाक़्य पर दोबारा लड़खड़ा गयी. मैने आज तक किसी महिला से भी इतनी गंदी ज़ुबान मे कभी बात नही की थी.
“ जी वो अकेला नही था. वो कई सारे थे.”
“ये पहले कहना चाहिए था कि उसकी पूरी गॅंग थी. सामूहिक बलात्कार हुया है तेरे साथ.” मैने अपने सिर को हिला कर उसका जवाब दिया,” कितने आदमी थे?”
“ जी छह – सात.”
“ अंदाज से यहाँ काम नही चलता. ठीक ठीक बता छह थे या सात?” उसने गुस्से से कहा.
“ ज..जी सात.” मैने अंदाज लगाते हुए कहा. जब कि मैं तो अपनी परेशानी मे ठीक तरह से गिन भी नही पाई थी की कितने आदमी थे.
“सात आदमी? कैसे झेली होगी उनको एक साथ.” उसने मेरे पूरे बदन को और ख़ासकर मेरे सीने को निहारते हुए कहा.
मैं चुप चाप अपनी नज़रें नीची किए बैठी रही. उसने आगे पूच्छना शुरू किया,
“हां तो उस दिन की घटना को पूरा खुल कर बता.”
“ जी उन्हों ने मेरे सास ससुर और मेरे पति को कुर्सियों से बाँध दिया.”
“तेरे घरवालों ने उनका विरोध नही किया?”
“किया था मगर उन गुण्डों के सामने उनकी एक ना चली.” मैने कहा.
“उस वक़्त तू वहाँ क्या कर रही थी? तू खड़े खड़े मज़े ले रही थी क्या?”
“जी मुझे एक आदमी ने पकड़ रखा था.”
“ एक आदमी ने तुझे पकड़ रखा था. बचे छह..एक के पीछे दो. फिर तो कुच्छ कर पाना भी मुश्किल होगा.” उन्हों ने हिसाब लगाते हुए खुद से ही बात की, “अच्च्छा ये बता तेरा कोई पुराना याराना तो नही है ना दमले के साथ?”
“ थानेदार जी आप कैसी बातें करते हैं.”
“ नही इसमे ताज्जुब करने वाली कोई बात नही है. ऐसा अक्सर होता है कि किसी रांड़ का पहले से चक्कर चल रहा होता है और जब पकड़ मे आती है तो रेप का रोना लेकर बैठ जाती है खुद को सती सावित्री दिखाने के लिए. जब चूत मे खुजली मचती है तो याद नही रहता है कि वो शादी शुदा है.” मैं उसकी बातों से सकपका गयी.
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
“जी…देखिए किसी महिला से आप इस तरह बात नही कर सकते.” मैं उसके सामने अपने साहस का प्रदर्शन करती हुई बोली.
“ ये कोई मंदिर या तेरा घर नही है. यहाँ किससे किस तरह बात करना चाहिए मुझे अच्छि तरह पता है. हां चल अब आगे बता क्या हुआ.”
“उन लोगों ने मेरे घरवालों को बाँध दिया. फिर दमले आगे बढ़ कर मुझे रंग लगाने लगा.”
“तब तूने मना नही किया?”
“ किया था जितना चीख चिल्ला सकती थी. च्चटपटा सकती थी किया मगर मुझे एक आदमी ने सख्ती से जाकड़ रखा था इसलिए इससे ज़्यादा मैं कुच्छ नही कर पाई.”
“ फिर वो तुझे रंग लगाने लगा? कहाँ कहाँ लगाया तुझे रंग?”
“ पूरे बदन पर.” मैने झिझकते हुए कहा.
“ पुर बदन पर? यहाँ भी लगाया था.” कहकर उसने मेरे एक स्तन के नुकीले हिस्से को अपनी उंगली से छ्छू लिया. मैं झटके से पीछे हटी.
“हां.”
“ और वहाँ भी?” उसने मेरे टाँगों के जोड़ की ओर इशारा किया. मैं शर्म से वापस पानी पानी हो गयी. मैने सिर हिलाया.
“ तूने पहन क्या रखा था?”
“ साडी.” मैने कहा.
“ अबे नीचे भी कुच्छ पहना था या नंगी ही थी?”
“ ये क्या बात हुई…जैसा हर महिला पहनती है, ब्लाउस-पेटिकोट.”
“ नीचे ब्रा-पॅंटी भी पहनी थी या सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट ही पहनी थी?
मैं उसके इस सवाल पर सकपका गयी. ये बहुत ही पर्सनल सवाल था लेकिन जवाब देने के अलावा कोई चारा नही था.
“ पहनी थी.”
“हमेशा पहनती है या उस दिन ही पहनी थी?”
“हमेशा पहनती हूँ.”
“ झूठ बोलती है अभी पहनी है क्या?”
“ हां.”
“ दिखा. आँचल हटा सीने से देखूं तू इस वक़्त ब्रा पहनी है या झूठ बोल रही है.”
“ लेकिन….” मैं अपने ही जाल मे फँस गयी थी. मैं चुप चाप बैठी रही तो उसने मेरे आँचल की ओर हाथ बढ़ा दिया. मैने झटके से अपने बदन को पीछे किया. मुझे अपनी ज़ुबान को साबित करने के लिए सीने पर से आँचल हटाना पड़ा.
दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः............
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -24
गतान्क से आगे...
ब्लाउस मे कसे मेरे स्तन उसके सामने मुँह चिढ़ाते हुए खड़े थे. वो वासना भरी नज़रों से बड़ी बड़ी छातियो को निहार रहा था.
“तेरे ये हैं ही इतने खूबसूरत की हर किसी को दीवाना बना दे.” कह कर उसने हल्के से ब्लाउस के नुकीले हिस्से को दबाया, “उस हराम जादे ने खूब मसला होगा इन्हे क्यों? उसने तेरे ब्लाउस के अंदर हाथ डाला था?”
“ हां.” मैने बेबसी से अपने निचले होंठ को दाँतों से काट ते हुए कहा.
“ उसने ब्रा के अंदर हाथ डालते वक़्त तेरे ब्रा का हुक खोला था क्या?”
मैने बिना कुच्छ कहे सिर्फ़ इनकार मे सिर हिलाया.
“ तेरे चुन्चे तो बड़े रसीले हैं. क्या साइज़ हैं रे.तू ब्रा पॅड वाला पहनती है या तेरी चुचियाँ सच मे ही इतनी बड़ी बड़ी हैं?” कह कर उसने मेरे दोनो स्तनो को अपने मुट्ठी मे भर कर मसल दिया. मैं उसकी इस हरकत पर उच्छल कर खड़ी हो गयी.
“ छ्चोड़ो मुझे जाने दो. नही लिखवानी मुझे किसी के खिलाफ कोई शिकायत. हम ग़रीबों की तो किस्मेत ही फूटी होती है. आआप तो बस दरवाजा खोल दें.” कहकर मैं दरवाजे की ओर झपटी. उसने एक झटके मे मेरी कलाई को पकड़ लिया. मैं च्चटपटा कर रह गयी.
“ साली रंडी चुप चाप जो बोला जाए करती जा नही तो तुझे ही लोक्कूप मे बंद कर दूँगा. और दमले के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाने के जुर्म मे तेरे उपर मानहानि का केस दर्ज करवा दूँगा. पचासों गवाह पेश कर दूँगा जो सीना ठोक कर कहेंगे कि तू जिस्म्फरोशी का धंधा करती है और तेरे जिस्म को खरीदने के लिए उन्हों ने कितने पैसे दिए. और उसके बाद वेश्यावृत्ति के जुर्म मे दो चार साल अंदर हो जाएगी. हाहाहा….फिर जब बाहर आएगी तो एक अच्छि वेश्या बन चुकी होगी.” उसने मेरी कलाई को पकड़ कर अपनी ओर खींचा.
“छ्चोड़….छ्चोड़ मुझे हरम्जदे…मैं तेरी शिकायत कर दूँगी.”
“हाहाहा. लोग तो हमारे पास शिकायत लिखवाने आते हैं और तू हमारी ही शिकायत करेगी. जा जिससे तेरी मर्ज़ी शिकायत करले. हाहाहा….इस दुनिया मे पैसा और रसूख् चलता है. कोई नही आएगा तेरी मदद करने.” उसने मुझे दोबारा अपनी ओर खींचा. उसकी धमकी सुनने के बाद ऐसा लगा मानो मेरे जिस्म से सारी ताक़त नीचड़ गयी हो. मैं लड़ खड़ा कर उसकी गोद मे आ गिरी. अब मेरी अस्मत को लूटने से कोई भी नही बचा सकता था. मेरे इस तरह उसकी गोद मे गिरते ही उसने मुझे अपनी बाँहों मे भर लिया और उसने मेरे दोनो स्तनो को अपनी दोनो मुत्ठियों मे भर लिया.