गन्ने की मिठास compleet

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rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:07

गन्ने की मिठास--24

गतान्क से आगे......................

सुधिया- पर बाबा जी आपने तो मुझसे कहा था कि मैं जब तालाब मे स्नान करके बाहर आउन्गि और जो भी पहला

पुरुष नज़र आएगा उसके साथ मुझे, बस इतना कह कर सुधिया ने अपनी नज़रे नीचे कर ली,

राज- बेटी हम जानते है लेकिन तुम नही जानती कि हम अंतर्यामी है और हमने अपनी शक्ति से यह भी देख लिया है

कि तुमने गन्ने के खेत मे अपने बेटे के साथ च्छूप कर किसी और पुरुष का लिंग देखा था और अपने बेटे से उसी

गन्ने के खेत मे संभोग किया था,

सच मानो तो उस समय सुधिया की शकल देखने लायक थी वह घोर आश्चर्या के साथ मेरी ओर देख रही थी और

मैं बहुत संभाल कर अपने चेहरे के भाव (एक्सप्रेशन) को च्छुपाने की कोशिश कर रहा था,

राज- बोल बेटी हम ठीक कह रहे है या नही,

सुधिया- अचानक मेरे पेरो मे गिर कर बाबा जी मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे ग़लती हुई है,

राज- नही बेटी इसमे पछताने की ज़रूरत नही है, मन के साधे सब साधे वाली बात है तुम भी एक इंसान हो और

ग़लती इंसान करता ही रहता है नही तो वह परमात्मा नही हो जाता, खेर कोई बात नही तेरे सभी दुखो का निवारण

करने के लिए ही तो मैं इसी गाँव मे रुक गया, लेकिन याद रहे अब जैसा मैं कहूँगा वैसा करना होगा और यह बात

किसी को भी पता नही होना चाहिए, यहाँ तक कि तू अपने बेटे रामू से भी यह ना कहना कि कोई बाबा जी तुझे मिले

थे,

सुधिया- मेरी ओर हाथ जोड़ कर नही बाबा जी मैं किसी से नही कहूँगी और जैसा आप कहेगे वैसा ही करूँगी,

राज- ठीक है तो सुन अब तुझे इस तालाब मे पूरी नंगी होकर नहाना होगा और फिर तुझे नंगी ही चल कर उसी स्थान

पर जाना होगा जहाँ तूने अपने बेटे के साथ मिल कर किसी और का लिंग देखा था, और हाँ चलते समय पीछे मूड

कर कतई नही देखना,

क्यो कि तेरे पीछे हम आएँगे और अब तुझे घबराने की ज़रूरत नही है तुझे किसी अन्य

पुरुष से संभोग करवाने की बजाय पहले मुझे तेरे पूरे जिस्म को अच्छे से पवित्र करना होगा,

राज- बोल अब तू तैयार है,

सुधिया- अपना सर नीचे झुकाए हुए, लेकिन बाबाजी आप कल दो आदमी से मुझे चुदवाने, मेरा मतलब है

मुझसे संभोग करेगे ऐसा कह रहे थे,

राज- बेटी तू चिंता मत कर मुझे सब से ज़्यादा तेरी इज़्ज़त की फिकर है इसलिए पहले वाले पुरुष के रूप मे मैं तुझे

पवित्र करूँगा और दूसरे पुरुष के लिए मैं अपनी शक्ति से उसे तेरे करीब बुला लूँगा और वह आदमी ऐसा होगा जो

तेरे साथ संभोग भी करेगा और तेरी बदनामी भी नही करेगा,

सुधिया- हाथ जोड़ते हुए, बाबा जी आप का यह एहसान मैं कभी नही भूलूंगी, आप बिल्कुल सही कह रहे है किसी

अंजान से संभोग करने पर वह मुझे बदनाम भी कर सकता है, पर बाबा जी आप किसी अपनी शक्ति से मेरे पास

बुलाएगे,

राज- बेटी अभी उसकी तस्वीर मेरे मन मे हल्की है जब तू मेरे द्वारा पवित्र हो जाएगी तब ही उसका चेहरा साफ

नज़र आएगा और वह बहुत भरोसे का आदमी होगा, तुझे मैं कोई समस्या नही आने दूँगा, तो बेटी अब दिन

निकलने से पहले ही तुझे यह सब करना है, चल अब सबसे पहले तू अपने कपड़े उतार कर तालाब मे डुबकी मार कर

आजा,

सुधिया मेरी बात सुन कर खड़ी हो गई और तालाब की ओर जाने लगी तभी मैने कहा बेटी तुझे कपड़े यही मेरे

सामने ही उतारने होंगे और फिर अपने कपड़े उतार कर मुझे देना होंगे ताकि मैं उनको भी पवित्र कर दू,

सुधिया मेरी बात सुन कर इधर उधर देखने लगी और उसका चेहरा पूरी तरह लाल हो रहा था, उसने अपने लरजते

हाथो से अपने ब्लौज के उपर का बटन खोलना शुरू कर दिया और बीच बीच मे अपनी नज़रे मेरी ओर मार कर

मुझे देखने लगती, मैं अपने मोटे लोदे को धोती मे दबाए सुधिया की गुदाज जवानी को अपनी आँखो से पी रहा

था,

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:07

सुधिया ने धीरे- धीरे अपने ब्लाउज के बटन पूरे खोल दिए और जैसे ही उसने ब्लाउज उतारा उसके मोटे-मोटे

बड़े-बड़े पपितो के साइज़ के दूध देख कर मेरा लंड पूरी तरह तन गया,

मैने सुधिया की आँखो मे देखा तो वह पूरी नशीली लग रही थी, तभी सुधिया ने अपना मूह दूसरी ओर घुमा

कर अपने घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- नही बेटी हमारे सम्मुख ही तुम्हे सारे वस्त्र उतारने होंगे नही तो हमारी सारी क्रिया बेकार हो जाएगी,

सुधिया माफ़ करना बाबा जी कहते हुए वापस घूम गई और घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- बेटी हमारे सामने शरमाने का ख्याल भी दिल मे मत लाना क्यो कि तुम नही जानती हमने तुम्हारे जैसी कितनी

ही औरतो को हज़ारो बार नंगी देखा है और कई औरतो को हमने अपने लिंग के प्रसाद से मा बना कर उनको संतान

सुख दिया है, सुधिया मेरी बात सुनते हुए एक दम से अपने घाघरे को छ्चोड़ देती है और उसका फ्रंट व्यू देख

कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई, माइंडब्लोयिंग आज जिंदगी मे पहली बार मैं इतने हेवी पर्सनॅलिटी वाले माल को

देख रहा था इसके पहले मैने कभी ऐसी गुदाज भरे बदन की औरत को पूरी नंगी नही देखा था,

सुधिया की चूत बिल्कुल साफ थी उस पर बाल का नामोनिशान नही था लगता था जैसे कल ही अपनी चूत साफ की हो, उसकी

चूत किसी डबल रोटी की तरह फुल्ली हुई थी और बीच मे एक लंबा चीरा लगा हुआ था उसकी मोटी मोटी केले के तने

जैसी गोरी चिकनी जाँघो ने मुझे मस्त कर दिया था उसके मोटे-मोटे बोबे उसके शरीर के हिसाब से ही थे और पूरी

बॉडी ऐसी लग रही थी कि अगर कोई भी लंडा उस समय सुधिया से केवल नग्न होकर चिपक जाए तो उसका पानी निकल

पड़ेगा,

सुधिया के पूरे नंगे बदन का मैने बड़े आराम से अवलोकन किया और जैसे ही मेरी नज़र सुधिया से

मिली उसने अपनी नज़रे थोड़ी झुका ली लेकिन उसके चेहरे पर एक दबी हुई स्माइल मैने नोट की, उसने दुबारा मेरी ओर

देखा, शायद वह मेरे इशारे का इंतजार कर रही थी,

राज- बेटी अपने यह वस्त्र मुझे दे दो और तुम जाकर पानी मे डुबकी लगा कर आओ और जल्दी से उसी जगह चलो जहा

तुमने और रामू ने संभोग किया था, मेरी बात सुन कर सुधिया ने झुक कर अपने चोली और घाघरा उठा कर

मुझे दे दिया और फिर जब सुधिया अपने नंगे मोटे मोटे चूतादो को मतकाते हुए जाने लगी तो सच मे मेरा

तो दिल उसकी गुदाज मोटी गंद देख कर बैठा जा रहा था मेरा लोडा इतना टाइट हो गया कि दिल कर रहा था कि अभी रामू की मा की गंद मे अपना लंड डाल कर उसे चोद दू,

हल्का-हल्का उजाला होने लगा था और सुधिया नंगी डुबकी मार कर बाहर आने लगी उस घोड़ी के भारी भरकम जिस्म

को पानी मे पूरी तरह भीगा हुआ देख कर मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लोदे को मसल्ते हुए सुधिया के

पास जाकर

राज- बेटी अब तुम आगे आगे चलो और मैं तुम्हारे पिछे चलता हू पर अब पिछे मूड कर तब तक नही देखना

जब तक कि मैं ना कहु, सुधिया मेरी बात सुन कर अपने गन्नो के खेत की ओर अपने भारी भरकम चूतादो को

मतकाते हुए चलने लगी और मैं उसकी गुदाज मोटी गंद को देखते हुए उसके पिछे चलने लगा, मैने अपना

लंड बाहर निकल लिया और उसकी मोटी गंद की थिरकन को घूरते हुए अपने लंड को मसल्ते हुए उसके पिछे चलने

लगा,

उजाला कुच्छ ज़्यादा होने लगा तब मैने सुधिया से कहा बेटी थोड़ा तेज तेज अपने कदम बढ़ा नही तो कोई भी

हमे देख लेगा, हमे उजाला होने के पहले ही वहाँ पहुचना है, मेरी बात सुन कर सुधिया पूरी नंगी किसी घोड़ी

की तरह अपनी गंद उठा-उठा कर चलने लगी और मैं उसके भरे हुए मोटे चूतादो को देख कर अपना लंड

सहलाते हुए उसके पिछे चलने लगा, सुधिया बहुत जोश मे चल रही थी और उसकी मोटी गंद कभी नीचे कभी

उपर होती हुई बहुत ही मस्त नज़र आ रही थी ऐसा लग रहा था उसकी गंद देख कर जैसे उसकी मोटी गंद बार बार

खुल कर मेरे लंड को घुसने का इशारा कर रही हो, थोड़ी ही देर मे रामू का गन्नो का खेत नज़र आने लगा और

फिर सुधिया सीधे गन्नो के बीच से होती हुई वही पहुच गई जहाँ बैठ कर उसने हरिया और चंदा की चुदाई

देखी थी,


rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:08

मैने जब हरिया की खटिया को देखा तो उस पर चंदा अकेली सो रही थी मैं समझ गया कि हरिया किसी और रास्ते

से तालाब की ओर सुधिया को चोदने के चक्कर मे गया होगा, सुधिया सर झुकाए खड़ी थी और मैं उसके बिल्कुल

करीब पहुच कर

राज- बेटी अब तुम अपने इन उतरे हुए कपड़ो को यहा बिच्छा कर बैठ जाओ और अपनी आँखे बंद कर लो मैं अब

तुम्हारे बदन को जल लगा लगा कर पवित्र करूँगा, ध्यान रहे जब मैं तुम्हारे बदन को हाथ लगा लगा कर जल

से रागडूंगा तब तुम उत्तेजित भी हो सकती हो लेकिन तुम्हे अपनी आँखे बंद रखना होगा और अपने हाथो को अपनी

जाँघो पर रख कर मुट्ठी बाँधे रखना होगा, चाहे कितनी भी उत्तेजना लगे अपने हाथो से अपने अंगो को

च्छुना नही है, फिर मैने उसे उसके कपड़े दिए और सुधिया ने उसे बिच्छा कर उस पर बैठ गई और अपनी आँखे

बंद कर ली,

राज- बेटी क्या तुम तैयार हो

सुधिया- जी बाबा जी

राज- ठीक है अब मैं क्रिया शुरू करता हू और फिर मैने अपने लोटे से पानी लेकर सबसे पहले सुधिया के हाथो

मैं पानी लगाना शुरू किया और उसके हाथो को जब मैं उसकी गोरी बाँहो तक सहलाने लगा तो मेरा लंड कड़क

होने लगा, सुधिया गहरी साँसे लेटी हुई आँखे बंद करके बैठी थी,

राज - बेटी अपनी दोनो टाँगो को खोल कर फैला कर बैठो ताकि मैं तुम्हारे बदन के हर हिस्से को पवित्र कर सकु

मेरा इतना कहना था कि सुधिया ने अपनी मोटी मोटी टाँगो को खोल दिया और खूब फैला कर बैठ गई, सुधिया का

गुदाज फूला हुआ भोसड़ा भी पूरा खुल कर मेरे सामने आ गया और मैं उसकी फूली चूत देख कर मस्त हो गया,

उसकी चूत अंदर से पूरी लाल नज़र आ रही थी और उसकी बुर से पानी बाहर आ रहा था, मैं समझ गया रंडी अब पूरी

चुदासी हो रही है,

अब मैने अपने हाथ मे पानी लेकर सुधिया की एक टांग को हाथो मे पकड़ कर उसकी गोरी पिंडलियो को सहलाते

हुए जब उसकी मोटी मोटी गोरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो मज़ा आ गया, इतनी गुदाज और मोटी

जंघे तो रुक्मणी की भी नही थी सच सुधिया रुक्मणी से कई गुना ज़्यादा मस्त माल थी जिसे चोदने मे वाकई

मज़ा आ जाता होगा, मैं उसकी मोटी जाँघो को खूब कस कस कर मसल रहा था और अपने हाथो को सुधिया की

जाँघो की जड़ो तक लेजाकार सहला रहा था, जी तो ऐसी कर रहा था कि उसकी फूली हुई चूत मे अपना हाथ मार दू लेकिन

मैं उसे पूरी तरह चुदासी बनाना चाहता था, बस इसी लिए उसकी गुदाज मोटी जाँघो को महसूस करता हुआ दबोच

रहा था,

कुच्छ देर तक सुधिया की मोटी मखमली जाँघो की मसाज करने के बाद मैने थोड़ा सा जल अपने हाथो मे लिया

और एक दम से सुधिया की खुली हुई फुल्ली चूत मे मार दिया, अपनी चूत पर पानी के च्चीटे महसूस करते ही सुधिया

के मूह से एक कराह निकल गई,

राज- क्या हुआ बेटी क्या तुझे उत्तेजना महसूस हो रही है, सुधिया अपने सूखे गले से थूक गटकते हुए अपनी जीभ

अपने होंठो पर फेर कर बोली नही बाबा जी मैं ठीक हू, मैने अपनी हथेली मे और जल लेकर फिर से उसकी चूत

मे ज़ोर से पानी का छिंता मारा और सुधिया के मूह से सीईइ की आवाज़ फिर से निकल गई, सुधिया का चेहरा पूरी तरह

कम वासना मे लाल हो चुका था मैं उकड़ू उसके सामने बैठा था और वह अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह मोड़ कर

फैलाए हुए अपने दोनो हाथो को पिछे टीका कर बैठी थी, मेरे पानी मारने से सुधिया ने धीरे से अपनी मोटी

गंद को थोडा आगे सरका कर अपनी फूली हुई चूत को और उपर उठा दिया था, मेरा लंड मेरी धोती से बाहर निकल

कर पूरी तरह तना हुआ था,

फिर मैने एक दम से सुधिया की फूली हुई चूत के उपर अपना हाथ रख कर अपनी उंगली से उसकी चूत की फांको के

बीच की दरार को सहलाते हुए पुछा

राज- क्यो बेटी क्या तुम्हे उत्तेजना हो रही है,

सुधिया- सीयी आ, नही बाबा जी मुझे उत्तेजना नही हो रही है, आप आराम से करते रहिए,

मैने सुधिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस कर दबोच लिया और सुधिया के मूह से आ सीयी ओह जैसे शब्द

निकलने लगे, मैने सुधिया के मोटे दूध को अपने हाथो मे पानी लेकर सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी

चूत के दाने को रगड़ते हुए फिर से पुंच्छा

राज- बेटी अब कैसा लग रहा है,

सुधिया- आ सीईइ ओह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है,

राज- बेटी क्या तुमने रामू से अपनी चूत यही मरवाई थी ना,

क्रमशः........

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