रिया के गर्दन से अपने हाथ नीचे की ओर खिशक्ते हुए सन्नी ने
अपने हाथ उसके चूतदों पर रखे फिर स्कर्ट के नीचे से हाथ डाला
तो उसने पाया कि रिया ने कोई पॅंटी नही पहन रखी थी..... रिया की
पॅंटी तो विनोद ने अपनी जेब मे रख ली थी.... सन्नी उसके दोनो
चूतदों को भींचने लगा और मसल्ने लगा.
रिया उछल कर उसकी गोद मे बैठ गयी... सन्नी का खड़ा लंड उसके
चूतदों से टकरा रहा था और उसकी चूत मे घूसने के लिए
बेकरार था... उसकी जीब को चूस्ते हुए रिया अपनी नग्न चुचियों को
उसकी छाती से रगड़ने लगी.
तभी दोनो को विनोद के आने का अहसास हुआ.. जो सिग्रेट के पॅकेट
लिए उन्हे देख रहा था... विनोद ने देखा कि आज रात की उसकी साथी
उसी के दोस्त की गोद मे बैठी थी.
"में तुम्हे यहीं लाना चाहता था.." विनोद ने कहा, "अब अगर तुम
चाहो तो में तुम्हे घर छोड़ सकता हूँ... हां अगर तुम चाहो तो
हमारे साथ पार्टी मना सकती हो."
"में यहीं तुम दोनो के साथ पार्टी मनाउन्गि." रिया ने कहा और विनोद
को खींच कर अपने बगल मे बिठा लिया... अब वो दोनो के बीच मे
बैठी थी.
विनोद के आने से एक बार तो सन्नी के चेहरे पर झल्लाहट आ गयी..
विनोद ने सिग्रेट का पॅकेट खोला और एक एक सिग्रेट दोनो को पकड़ा
दी... सन्नी ने अपनी जेब से लाइटर निकाल उन्हे सुलगा दिया.... पहला
कश लेते ही रिया समझ गयी कि सिग्रेट किसी ड्रग से भरी हुई
है.. वो कश लेकर उसका मज़ा लेने लगी.
"विनोद रिया को ये मूर्तियाँ बहोत पसंद आई है." सन्नी ने विनोद से
कहा.
विनोद ने थोड़ा आगे झुक कर साइड टेबल पर रखी मूर्ति को
देखा, "अच्छा तो ये वाली... अच्छी है ना?" विनोद ने पूछा.
"हां बहोत अच्छी है... बहोत कम ऐसे मूर्तियाँ देखने को मिलती
है." रिया ने कहा.
थोड़ी ही देर मे शराब के साथ सिग्रेट का नशा भी तीनो पर
चढ़ने लगा. सन्नी ने अपना हाथ रिया के कंधों पर रखा और
सहलाने लगा.... रिया ने उसकी तरफ मुस्कुरा के देखा फिर अपने
होठों को उसके होठों पर रख चूमने लगी.
तभी विनोद ने अपने होंठ उसकी गर्दन के नीचले हिस्से पर रखे और
जीब से हल्के हल्के चुलबुलाने लगा... रिया के बदन मे एक सनसनी
सी दौड़ गयी..... विनोद ने अपना हाथ उसकी जांघों पर रखा और
फैलाते हुए उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सों पर सहलाने लगा.....
रिया मादकता मे सिसक पड़ी.
रिया आँखे नशे मे बोझल हो रही थी.. उसने महसूस किया कि कोई
उसकी जांघों को चूम रहा है.... उसकी टाँगो के बीच कौन बैठा
है उसे समझ नही आया.... वो विनोद था या फिर सन्नी... जो कोई
भी था उसकी जीब का स्पर्श अपनी जांघों पर उसे अच्छा लग रहा था..
"ज़ोर ज़ोर से करो इसे अच्छा लगता है..." उसे सुनाई दिया...तभी दो
हाथों ने उसकी शर्ट को पूरी तरह खोल दिया और उसकी चुचियों को
भींचने लगे..
"ऑश हाआअँ ऑश" वो सिसक रही थी.
दो गरम होंठ और दो गरम जीब अब उसके बदन से खेल रही थी...
तभी उसकी टाँगे और फैली और एक गरम जीब ने उसकी चूत को
छुआ..... ओह्ह्ह वो उन्माद मे भर उठी....
स्टेरीयो पर राक धुन बज रही थी और सिसकारियाँ उस धुन के साथ मिल
सी गयी थी......तभी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसी और अंदर
बाहर होने लगी....और साथ ही एक जीब उसकी चूत को चाट रही
थी..... उत्तेजना मे रिया दीवान पर पसर गयी और वो अपनी टांगे उठा
अपनी चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी....
"ऑश चूओड़ो मुझे कोई चूओड़ो प्लीज़ अब और मत तडपाऊ मुझसे
अब नही रहा जाता" रिया अपनी उखड़ी साँसों के साथ गिड़गिदा उठी.
दो भाई दो बहन compleet
Re: दो भाई दो बहन
रिया ने अपनी अधखुली आँखों से देखा कि जो लड़का उसकी चूत चूस
रहा था वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े खोल कर नंगा हो गया.... और
उसका मोटा लंबा लंड तन कर खड़ा था.. रिया खिसक कर दीवान के
किनारे पर आई और अपनी टाँगे हवा मे उठा दी जैसे कि उसे खुला
निमंत्रण दे रही हो. उस लड़के ने अपने लंड को रिया की चूत पर
रखा और एक ही धक्के मे पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.
"ओह आआआहह" नशे मे भी रिया इस प्रहार से कराह उठी.
उसने रिया की दोनो टाँगो को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत मे
अंदर बाहर करने लगा..... वो पूरी ताक़त से रिया को चोद रहा था.
तभी दूसरा लड़का दीवान पर चढ़ा और अपने खड़े लंड को रिया के
मुँह पर घिसने लगा..... रिया ने भी अपना मुँह खोला और उसके लंड
को अंदर ले चूसने लगी. उसने लड़के ने रिया के सिर को नीचे से
पकड़ा और तेज़ी से उसके मुँह को चोदने लगा. रिया भी चटकारे लेकर
उसके लंड को चूस रही थी.
नशे मे होने के बावजूद रिया मज़े लेकर दोनो से चुद्वा रही थी...
एक उसकी चूत को चोद रहा था तो दूसरा उसके मुँह को.... थोड़ी ही
देर मुँह मे घुसे लंड ने अकड़ना शुरू किया और उसके मुँह को वीर्य
से भर दिया...... बड़ी मुस्किल से रिया उस वीर्य को गटक पाई...
फिर भी थोड़ा वीर्या मुँह के कोने से उसके गालों पर बह गया.... रिया ने
उसके लंड को अपने मुँह मे से निकाला और जोरों से सिसक पड़ी.
"ऑश हां चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और जोर्र से श
तुम्हारा लंड कितना अछा लग रहा है....."
विनोद या सन्नी जो भी था... उसने उसके जांघों को खींच आपने और
नज़दीक किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा.... हर धक्के पर
रिया का बदन कांप उठता.... वो अपने कूल्हे उठा उसके धक्कों का
साथ देते हुए झाड़ गयी... और उस लड़के ने अपने लंड को जड़ तक
घुसा अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत मे छोड़ दी.
रिया ने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और अपनी उखड़ी सांसो पर
काबू पाने की कोशिश करने लगी....वो लड़का उसकी टाँगो से हट
गया....
वो उठ कर दीवान पर बैठी तो देखा कि विनोद और सन्नी दोनो नंगे
बैठे थे.... विनोद ने एक बियर का कॅन खोल रिया को पकड़ा दिया..
रिया धीरे धीरे बियर पीने लगी... उसकी आँखे नशे मे बार बार
बंद हो रही थी......
* * * * * * * * * *
रिया को लगा कि कोई उसे झंझोड़ कर उठा रहा है, "कहाँ हूँ
में.?" उसने अपनी नशे से बोझल आँखों को खोलते हुए पूछा.
"घर पर हो." एक प्यारी मीठी आवाज़ उसे सुनाई दी.
"मेरा सिर फटा जा रहा है." रिया ने शिकायत की.
"मुझे पता है... कुछ याद है तुम्हे रात के बारे मे."
रिया ने दीमाग पर ज़ोर देते हुए सोचने की कोशिश की लेकिन उस
शैतानो के बसेरे के बाद मे उसे कुछ भी याद नही आ रहा
था. "नही.... मुझे कुछ याद नही आ रहा... मुझे ये भी नही
याद आ रहा है कि में घर कैसे पहुँची."
"किसी ने तुम्हे एक टॅक्सी मे घर तक पहुँचा कर घंटी बज़ा दी
थी.... में तुम्हे सहारा देकर तुम्हारे कमरे तक लाई और तुम्हारे
कपड़े बदालने जा ही रही थी कि तुमने उल्टियाँ करनी शुरू कर दी...
बड़ी मुश्किल से मेने तुम्हे सॉफ कर बिस्तर पर सुलाया....."
रहा था वो खड़ा हुआ और अपने कपड़े खोल कर नंगा हो गया.... और
उसका मोटा लंबा लंड तन कर खड़ा था.. रिया खिसक कर दीवान के
किनारे पर आई और अपनी टाँगे हवा मे उठा दी जैसे कि उसे खुला
निमंत्रण दे रही हो. उस लड़के ने अपने लंड को रिया की चूत पर
रखा और एक ही धक्के मे पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया.
"ओह आआआहह" नशे मे भी रिया इस प्रहार से कराह उठी.
उसने रिया की दोनो टाँगो को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चूत मे
अंदर बाहर करने लगा..... वो पूरी ताक़त से रिया को चोद रहा था.
तभी दूसरा लड़का दीवान पर चढ़ा और अपने खड़े लंड को रिया के
मुँह पर घिसने लगा..... रिया ने भी अपना मुँह खोला और उसके लंड
को अंदर ले चूसने लगी. उसने लड़के ने रिया के सिर को नीचे से
पकड़ा और तेज़ी से उसके मुँह को चोदने लगा. रिया भी चटकारे लेकर
उसके लंड को चूस रही थी.
नशे मे होने के बावजूद रिया मज़े लेकर दोनो से चुद्वा रही थी...
एक उसकी चूत को चोद रहा था तो दूसरा उसके मुँह को.... थोड़ी ही
देर मुँह मे घुसे लंड ने अकड़ना शुरू किया और उसके मुँह को वीर्य
से भर दिया...... बड़ी मुस्किल से रिया उस वीर्य को गटक पाई...
फिर भी थोड़ा वीर्या मुँह के कोने से उसके गालों पर बह गया.... रिया ने
उसके लंड को अपने मुँह मे से निकाला और जोरों से सिसक पड़ी.
"ऑश हां चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ और जोर्र से श
तुम्हारा लंड कितना अछा लग रहा है....."
विनोद या सन्नी जो भी था... उसने उसके जांघों को खींच आपने और
नज़दीक किया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा.... हर धक्के पर
रिया का बदन कांप उठता.... वो अपने कूल्हे उठा उसके धक्कों का
साथ देते हुए झाड़ गयी... और उस लड़के ने अपने लंड को जड़ तक
घुसा अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत मे छोड़ दी.
रिया ने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और अपनी उखड़ी सांसो पर
काबू पाने की कोशिश करने लगी....वो लड़का उसकी टाँगो से हट
गया....
वो उठ कर दीवान पर बैठी तो देखा कि विनोद और सन्नी दोनो नंगे
बैठे थे.... विनोद ने एक बियर का कॅन खोल रिया को पकड़ा दिया..
रिया धीरे धीरे बियर पीने लगी... उसकी आँखे नशे मे बार बार
बंद हो रही थी......
* * * * * * * * * *
रिया को लगा कि कोई उसे झंझोड़ कर उठा रहा है, "कहाँ हूँ
में.?" उसने अपनी नशे से बोझल आँखों को खोलते हुए पूछा.
"घर पर हो." एक प्यारी मीठी आवाज़ उसे सुनाई दी.
"मेरा सिर फटा जा रहा है." रिया ने शिकायत की.
"मुझे पता है... कुछ याद है तुम्हे रात के बारे मे."
रिया ने दीमाग पर ज़ोर देते हुए सोचने की कोशिश की लेकिन उस
शैतानो के बसेरे के बाद मे उसे कुछ भी याद नही आ रहा
था. "नही.... मुझे कुछ याद नही आ रहा... मुझे ये भी नही
याद आ रहा है कि में घर कैसे पहुँची."
"किसी ने तुम्हे एक टॅक्सी मे घर तक पहुँचा कर घंटी बज़ा दी
थी.... में तुम्हे सहारा देकर तुम्हारे कमरे तक लाई और तुम्हारे
कपड़े बदालने जा ही रही थी कि तुमने उल्टियाँ करनी शुरू कर दी...
बड़ी मुश्किल से मेने तुम्हे सॉफ कर बिस्तर पर सुलाया....."
Re: दो भाई दो बहन
"कुछ तो याद होगा की घर से तुम कहाँ गयी और तुम्हारे साथ क्या
हुआ?" रोमा ने पूछा.
रिया बिस्तर पर सीधी लेट छत की तरफ घूर्ने लगी.. पंद्रह
मिनिट सोचने के बाद उसने कहा, "में यहाँ से सीधी एक पब मे गयी
थी... और वहाँ मुझे एक बहोत ही प्यारा और अछा साथी मिल गया
था."
"तुम्हे पता है ना कि किसी अजनबी से दोस्ती करना कितना ख़तरनाक हो
सकता है... तुम्हारी हालत देख एक बार के लिए तो में घबरा ही
गयी थी... मुझे तो लगा कि किसी डॉक्टर को बुलाना ना पड़ जाए."
रोमा ने कहा.
"रोमा मुझे माफ़ कर दो.. और जो कुछ भी तुमने मेरे लिए किया उसके
लिए शुक्रिया." रिया ने धीमे से कहा.
"शायद हम साथ साथ रहते हैं इसीलिए ये सब हो रहा है... में
जानती हूँ कि तुम राज से बहोत प्यार करती हो.. और मेरा यहाँ
मौजूद होना तुम्हारी आज़ादी मे बाधा बन रहा है.... तुम फिर कोई
ग़लत कदम उठायो इससे बेहतर है कि में ही यहाँ से चली जाती
हूँ." रोमा ने कहा.
रोमा की बात सुनकर रिया झटके से पलंग से खड़ी हुई और उसे बाहों
मे भर रोने लगी... "प्लीज़ मुझे यूँ छोड़ कर मत जाओ.... तुम दोनो
ही तो मेरा परिवार मेरा सहारा हो.. और कौन है मेरा इस दुनिया
मे... "
अपनी सबसे अच्छी दोस्त को इस तरह रोते देख रोमा की आँखों मे आँसू
आ गये..... उसकी आँखों के आयेज रिया के साथ वो सब हसीन लम्हे
तैरने लगे जो उन्होने साथ साथ गुज़रे थे. उसे वो दिन याद आया जिस
दिन उसने राज की जगह घर का कचरा फैंका था और उसे राज की वो
कीताब हासिल हो गयी थी... जिसमे उसने वो सब लीखा था... उसका दिल
प्यार से भर उठा.. उसने रिया को जोरों से अपनी बाहों मे भींचा
और उसके होठों को चूम लिया.
"जब तुम यहाँ सो रही थी मेने काफ़ी कुछ हम सब के बारे मे
सोचा.... हम दोनो राज से बहोत प्यार करते है.. और राज भी हम
दोनो से बहोत प्यार करता है.... मुझे पता है कि मुझे कभी
कभी तुमसे जलन होती है और में हमेशा उसे तुमसे दूर रखने की
कोशिश करती रहती हूँ...अगर तुम मुझसे वादा करो कि रात जैसी
ग़लती दुबारा नही करोगी शायद में भी अपनी सोच बदल दूं
में....."
रोमा बड़ी मुस्किल से अपने आखरी शब्दों को रोक पाई... वो अपना सब
कुछ दाँव पर लगा रही थी.. ये उसे पता था.. "में तुम्हे और राज
को ज़्यादा से ज़्यादा वक्त साथ गुज़ारने का मौका दूँगी.... मेरा मतलब
है कि अगर तुम दोनो अकेले बाहर घूमने जाना चाहते हो तो जा सकते
हो... में बुरा नही मानूँगी और ना ही राज को तुम्हारे साथ जाने से
रोकूंगी... अब ठीक है ना."
रिया को विश्वास नही हो रहा था कि रोमा ऐसा भी कह सकती है...
क्या वो हक़ीकत मे अपने प्यार अपने भाई को मेरे साथ बाँटना चाहती
है... पर वो सोच रही थी.. आख़िर ये सब कितने दिनो तक
चलेगा..?"
"रिया एक बात और.. ज़रूरी नही कि राज हर रात मेरे साथ ही
सोए.... में जानती हूँ तुम्हारी खुद की भी ज़रूरतें है.." रोमा
की आँखों से लगातार आँसू बह रह थे... "मेरी समझ मे नही आ
रहा कि में और क्या कहूँ."
"तुम इतना सब कुछ मेरे लिए करने को तैयार हो.. में इसी मे बहोत
खुश हूँ... अब कभी मुझे छोड़ कर जाने की बात मत करना...."
रिया ने रोमा को गले लगा लिया.
दोनो एक दूसरे को बाहों मे भर आने वाले कल की कल्पना करते हुए
एक दूसरे को चूमने लगे.
राज और रोमा अपनी कॉलेज की कीताबें खोले डिन्निंग टेबल पर बैठे
थे.... गंदे बर्तन सींक मे धोने के लिए पड़े थे... वैसे तो रोज
इन बर्तनो को रोमा और रिया मिलकर सॉफ किया करती थी लेकिन आज
दोनो मे से किसी ने भी उन्हे सॉफ करने की जहमत नही दिखाई थी.
रिया किचन के दरवाज़े के बीच शेल्फ का सहारा लिए खड़े थी...
उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था कि आज वो ड्रिंक के लिए बाहर
जाना चाहती थी....पर उसने अपनी ज़ुबान से कुछ कहा नही... रोमा
सब समझ रही थी... पर उसे और उसके भावों को अनदेखा कर उसने
अपना चेहरा अपनी कीताब पर झुका रखा था. रोमा राज के दिल उठते
भावों से भी अंजानी नही थी... दोनो किसी छोटे बच्चो के तरह
थे जो बाहर जाकर खेलना चाहते थे.. लेकिन शायद अपने दिल की
बात कहते हुए डर रहे थे.
रोमा ने रिया के मुरझाए हुए चेहरे की तरफ देखा... एक बार फिर
उसके दिल मे जलन की भावना पैदा हो गयी.... पर तभी उसे ख़याल
आया कि उसने रिया से कोई वादा किया था..... उसने अपनी निगाह राज पर
डाली.
रोमा अपनी जगह से उठी और राज के पास आकर चूमा लिया और
कहा, "राज आज जो कुछ भी तुम कर रहे हो मुझे नाज़ है तुम्हारी
मेहनत और लगन पर....प्लीज़ ज़रा ये झूठे बर्तन सॉफ कर दो...
फिर तुम रिया के साथ बाहर जा सकते हो... लेकिन प्लीज़ रात को
ज़्यादा लेट मत करना... में अकेले बोर हो जाउन्गी."
"थॅंक्स रोमा" राज ने कहा.
रोमा तिर्छि नज़रों से दोनो को सींक पर खड़े हो कर बर्तन धोते
देखते रही.....दोनो आपस मे कुछ बातें कर रहे थे और बात बात
पर बच्चो की तरह हंस पड़ते थे..... राज ने कई बार रिया के
कुल्हों को उपर से सहला तक दिया था...
क्रमशः..................
हुआ?" रोमा ने पूछा.
रिया बिस्तर पर सीधी लेट छत की तरफ घूर्ने लगी.. पंद्रह
मिनिट सोचने के बाद उसने कहा, "में यहाँ से सीधी एक पब मे गयी
थी... और वहाँ मुझे एक बहोत ही प्यारा और अछा साथी मिल गया
था."
"तुम्हे पता है ना कि किसी अजनबी से दोस्ती करना कितना ख़तरनाक हो
सकता है... तुम्हारी हालत देख एक बार के लिए तो में घबरा ही
गयी थी... मुझे तो लगा कि किसी डॉक्टर को बुलाना ना पड़ जाए."
रोमा ने कहा.
"रोमा मुझे माफ़ कर दो.. और जो कुछ भी तुमने मेरे लिए किया उसके
लिए शुक्रिया." रिया ने धीमे से कहा.
"शायद हम साथ साथ रहते हैं इसीलिए ये सब हो रहा है... में
जानती हूँ कि तुम राज से बहोत प्यार करती हो.. और मेरा यहाँ
मौजूद होना तुम्हारी आज़ादी मे बाधा बन रहा है.... तुम फिर कोई
ग़लत कदम उठायो इससे बेहतर है कि में ही यहाँ से चली जाती
हूँ." रोमा ने कहा.
रोमा की बात सुनकर रिया झटके से पलंग से खड़ी हुई और उसे बाहों
मे भर रोने लगी... "प्लीज़ मुझे यूँ छोड़ कर मत जाओ.... तुम दोनो
ही तो मेरा परिवार मेरा सहारा हो.. और कौन है मेरा इस दुनिया
मे... "
अपनी सबसे अच्छी दोस्त को इस तरह रोते देख रोमा की आँखों मे आँसू
आ गये..... उसकी आँखों के आयेज रिया के साथ वो सब हसीन लम्हे
तैरने लगे जो उन्होने साथ साथ गुज़रे थे. उसे वो दिन याद आया जिस
दिन उसने राज की जगह घर का कचरा फैंका था और उसे राज की वो
कीताब हासिल हो गयी थी... जिसमे उसने वो सब लीखा था... उसका दिल
प्यार से भर उठा.. उसने रिया को जोरों से अपनी बाहों मे भींचा
और उसके होठों को चूम लिया.
"जब तुम यहाँ सो रही थी मेने काफ़ी कुछ हम सब के बारे मे
सोचा.... हम दोनो राज से बहोत प्यार करते है.. और राज भी हम
दोनो से बहोत प्यार करता है.... मुझे पता है कि मुझे कभी
कभी तुमसे जलन होती है और में हमेशा उसे तुमसे दूर रखने की
कोशिश करती रहती हूँ...अगर तुम मुझसे वादा करो कि रात जैसी
ग़लती दुबारा नही करोगी शायद में भी अपनी सोच बदल दूं
में....."
रोमा बड़ी मुस्किल से अपने आखरी शब्दों को रोक पाई... वो अपना सब
कुछ दाँव पर लगा रही थी.. ये उसे पता था.. "में तुम्हे और राज
को ज़्यादा से ज़्यादा वक्त साथ गुज़ारने का मौका दूँगी.... मेरा मतलब
है कि अगर तुम दोनो अकेले बाहर घूमने जाना चाहते हो तो जा सकते
हो... में बुरा नही मानूँगी और ना ही राज को तुम्हारे साथ जाने से
रोकूंगी... अब ठीक है ना."
रिया को विश्वास नही हो रहा था कि रोमा ऐसा भी कह सकती है...
क्या वो हक़ीकत मे अपने प्यार अपने भाई को मेरे साथ बाँटना चाहती
है... पर वो सोच रही थी.. आख़िर ये सब कितने दिनो तक
चलेगा..?"
"रिया एक बात और.. ज़रूरी नही कि राज हर रात मेरे साथ ही
सोए.... में जानती हूँ तुम्हारी खुद की भी ज़रूरतें है.." रोमा
की आँखों से लगातार आँसू बह रह थे... "मेरी समझ मे नही आ
रहा कि में और क्या कहूँ."
"तुम इतना सब कुछ मेरे लिए करने को तैयार हो.. में इसी मे बहोत
खुश हूँ... अब कभी मुझे छोड़ कर जाने की बात मत करना...."
रिया ने रोमा को गले लगा लिया.
दोनो एक दूसरे को बाहों मे भर आने वाले कल की कल्पना करते हुए
एक दूसरे को चूमने लगे.
राज और रोमा अपनी कॉलेज की कीताबें खोले डिन्निंग टेबल पर बैठे
थे.... गंदे बर्तन सींक मे धोने के लिए पड़े थे... वैसे तो रोज
इन बर्तनो को रोमा और रिया मिलकर सॉफ किया करती थी लेकिन आज
दोनो मे से किसी ने भी उन्हे सॉफ करने की जहमत नही दिखाई थी.
रिया किचन के दरवाज़े के बीच शेल्फ का सहारा लिए खड़े थी...
उसके चेहरे से सॉफ झलक रहा था कि आज वो ड्रिंक के लिए बाहर
जाना चाहती थी....पर उसने अपनी ज़ुबान से कुछ कहा नही... रोमा
सब समझ रही थी... पर उसे और उसके भावों को अनदेखा कर उसने
अपना चेहरा अपनी कीताब पर झुका रखा था. रोमा राज के दिल उठते
भावों से भी अंजानी नही थी... दोनो किसी छोटे बच्चो के तरह
थे जो बाहर जाकर खेलना चाहते थे.. लेकिन शायद अपने दिल की
बात कहते हुए डर रहे थे.
रोमा ने रिया के मुरझाए हुए चेहरे की तरफ देखा... एक बार फिर
उसके दिल मे जलन की भावना पैदा हो गयी.... पर तभी उसे ख़याल
आया कि उसने रिया से कोई वादा किया था..... उसने अपनी निगाह राज पर
डाली.
रोमा अपनी जगह से उठी और राज के पास आकर चूमा लिया और
कहा, "राज आज जो कुछ भी तुम कर रहे हो मुझे नाज़ है तुम्हारी
मेहनत और लगन पर....प्लीज़ ज़रा ये झूठे बर्तन सॉफ कर दो...
फिर तुम रिया के साथ बाहर जा सकते हो... लेकिन प्लीज़ रात को
ज़्यादा लेट मत करना... में अकेले बोर हो जाउन्गी."
"थॅंक्स रोमा" राज ने कहा.
रोमा तिर्छि नज़रों से दोनो को सींक पर खड़े हो कर बर्तन धोते
देखते रही.....दोनो आपस मे कुछ बातें कर रहे थे और बात बात
पर बच्चो की तरह हंस पड़ते थे..... राज ने कई बार रिया के
कुल्हों को उपर से सहला तक दिया था...
क्रमशः..................