संघर्ष--32
गतान्क से आगे..........
सावित्री ने कोई जबाव नही दिया और अपनी आँखे उस दरार मे लगाए रही. फिर बिरजू ने अपनी बहू के पेटिकॉट को कमर तक हटा कर काली झांतों से भरी बुर मे उंगली काफ़ी अंदर तक डाल कर फिर पुचछा
"तेरे गाओं के मर्द तो खूब बहार लूटे होंगे..."
इस पर बिरजू की बहू ने झूठा गुस्सा दिखाती बोली
" हा ससुर जी ...उस फटी हुई चड्धि को पाने के चक्कर मे मेरी बुर ही चुद्वाते चुद्वाते फट गयी और वह चड्धि भी नही मिल सकी.."
इतना सुनकर बिरजू अपनी बहू के बुर मे उंगली तेज़ी से करने लगा. बुर चिपचिपा गयी थी. फिर बिरजू ने कहा ....
"घोड़ी बन जा.."
फिर तुरंत उसकी बहू उस बिछे हुए गमछे पर घोड़ी बन गयी और अपनी सारी और पेटिकोट को कमर और पीठ पर रख ली जिससे उसके बुर और गांद एकदम नंगे हो गये. बिरजू तुरंत अपनी धोती ढीली कर बगल से लंड बाहर निकाला. लंड काले रंग का और मोटा था. फिर उसने बहू के गीली बुर पर पीछे की ओर से लगा कर कस के धक्का मारा. लंड गपाक से अंदर घुस गया. फिर अपनी बहू की कमर पकड़ कर आगे पीछे चोदने लेगा. खंडहर मे चुदाइ और बहू के कहरने की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. बिरजू के पसीने निकलने लगे. लेकिन उसने चुदाई मे कमी नही लाई और तेज़ी से चोद्ते हुए झड़ने लगा. तभी उसकी बहू भी अपने चूतड़ और कमर को हिला हिला कर झदाने लगी.
लंड के बाहर आते ही बिरजू की बहू खड़ी हुई और नीचे बीछे गमछे को उठा कर बुर को ठीक से पोन्छि फिर बगल मे खड़े अपने ससुर के लंड को भी उसी गमछे से पोन्छ्ते हुए बोली
"मेरी पेटिकोट एकदम नयी और सॉफ है..इसी लिए इस गमछे से पोंच्छ रही हूँ नही तो पेटिकोट गंदी हो जाएगी...इस गमछे को घर चल कर धो दूँगी..."
इतना कह कर उस गमछे को धनिया ने हाँफ रहे बिरजू को दे दी. फिर बिरजू ने कहा
" धोने की कोई ज़रूरत नही है...घर जाते जाते सुख जाएगी.."
बिरजू हाँफ रहा था और उसको काफ़ी पसीना हो गया था जिसे देख कर उसकी बहू ने अपनी साड़ी से उसके चेहरे को पोन्छ्ने लगी और बोली.....
"इसी लिए तो कहती हूँ की शराब ज़्यादा मत पिया करो ये शरीर को कमजोर कर देता है..देखो कैसे सांस तेज़ी से चल रही है..जवानी का मज़ा लूटना है तो माँस मुर्गा खूब खाया करो मेरे राजा"
फिर धनिया ने अपनी चुचिओ को ब्रा मे कर ली और ब्लाज ठीक करके जैसे ही बिरजू के तरफ देखी उसने अस्त व्यस्त कपड़े मे खड़ी धनिया को अपने बाँहों मे भर कर चूम लिया और बोला
"क्या करूँ जबसे सुंरी की मा मरी तबसे दारू की लत और तेज हो गयी..माँस मुर्गे के लिए पैसा ही नही बचता, नही तो किसका मन नही करता माँस मुर्गा खाने का, ...और माँस के दुकान वाले असलम के पैसे भी बाकी है ...साला जब देखता है माँगता है और अब तो वह उधार भी नही देगा"
बिरजू की बहू धनिया बोली ...
"आज तो मेरा भी मन माँस मुर्गा खाने का कर रहा है.."
इतना कह कर धनिया ने बिरजू से अलग हो गयी और आगे बोली
"अपने किसी दोस्त से कुच्छ पैसे उधार क्यों नही ले लेते..?"
इतना सुनकर बिरजू इधेर उधेर देखते हुए बोला
"कौन साला उधार देगा... जबसे तू मेरे घर बहू बन कर आई है तबसे दोस्त साले मुझे बहुत गाली देते हैं ..."
इस पर उसकी बहू ने हैरत होते हुए पूछी "क्यो गाली देते हैं..?"
फिर बिरजू ने कुच्छ गुस्साते हुए बोला
"साले सब बेतिचोद हैं...मेरे से बहुत मज़ाक करते हुए कहते हैं की ..तू अपनी बहू को अकेले ही पेलेगा या हम सब को भी मौका देगा..."
बिरजू ने आगे बोला
"साले सब एक नंबर के चोदु हैं..खूद तो बुड्ढे हो गये लेकिन नयी बुर ही खोजते रहते हैं..."
इतना सुन कर बिरजू की बहू हंस पड़ी फिर बोली
"ठीक तो है...भेज दीजिए सालों को...जब मेरी बुर की फाँक देखेंगे तब उनका लंड तुरंत उल्टी कर देगा..हे हे ए हे .."
और धनिया हँसने लगी
इतना सुनते ही बिरजू ने धनिया की ओर देखते हुए धीरे से कहा "चाहे जो कुच्छ हो बहू वो सब मेरे बहुत ख़ास दोस्त हैं और मैं अक्सर उनके ही पैसों का दारू पिता हूँ..तो भला इतना मज़ाक कर ही दिए तो क्या हो गया...आख़िर मुझे अपने साथ दारू पिलाने से कभी मना नही करते..सही मे वो सब सच्चे दोस्त हैं मेरे..." इतना सुनकर बिरजू की बहू ने कहा " दोस्त ही तो मज़ाक करते हैं...मैं इन बातों का भला क्यों बुरा मानु.." और फिर धनिया बिरजूकी ओर नंगी गांद करके बैठते मुतने लगी , फिर बिरजू ने धनिया के नंगे और चौड़े चूतदों पर नज़र रखते हुए धीरे से बोला "शंभू ने मुझसे यहाँ तक कहा की वो तुम्हे एक नई सारी खरीद कर देगा.."
संघर्ष
Re: संघर्ष
इतना सुनकर बिरजू की बहू बैठ कर पेशाब करते हुए बोली
"शंभू आपको उल्लू बनाता है..जब घर मे कोई नही रहता है तो वो आपको खोजते हुए मेरी कोठारी मे ही घूस जाता है और फिर बाहर निकलने का नाम नही लेता वो कमीना ..लंड लहराते हुए पीछे पड़ जाता है..."
इतना कहते हुए धनिया पेशाब करके उठी और गुस्से से बोली
"सच कहती हूँ ससुर जी जब भी मेरी कोठरी मे घुसा बिना चोदे बाहर नही गया..."
इतना सुन कर बिरजू कुच्छ चौंक सा गया और फिर बोला
"तभी वो हरामी मुझे दूर बगीचे मे ले जा कर रोज़ दोपहर को खूब दारू पिलाता है.."
इतनी बात कान मे जाते ही धनिया गुस्से मे मुँह बनाती हुई तपाक से बोल पड़ी
"हां और दारू पीने के बाद तो नीद मे सोना आपकी पुरानी आदत है ..फिर खर्राटे सुरू होने के बाद आपको क्या पता की घर मे अकेली बहू को शंभू और गाओं मे घूम रही बेटी को पूरा गाओं दोपहर मे चोदने मे लग जाता है" फिर गुस्से मे धनिया ने अपनी उंगलिओ से बुर की तरह छेद बना कर दूसरी उंगली से लंड बनाते हुए छेद मे तेज़ी से अंदर बाहर कर बिरजू को दीखाते हुए से बोली
"मेरी और सुंरी के बुर मे किसका लंड पूरे दिन दोपहर फँसा रहता है आपको कैसे मालूम चलेगा..जब आपकी नीद खुलती है तब तक तो आपकी बहू और बेटी के बुर को चोद चोद कर इतना भर देते हैं की लंड का पानी बुर के मुँह से बाहर आने लगता है..."
धनिया ने आँख नचाते हुए कही और आगे अपने कपड़े को सही करते बोली
"लेकिन मैं क्या करू आप तो दारू और शराब मे ही डूबे रहते हो..और सुंरी घर पर रह कर ही क्या करती, वो शंभू बहुत पहले से ही सुंरी को भी चोद्ता आ रहा है.."
फिर धनिया अपने सारी को कमर मे ठीक से खोन्स्ते हुए बोली..
"एक दिन तो वो घर पर ही मेरे पास थी की शंभू आया और सुंरी को ही पकड़ लिया.... फिर भी सुंरी हंस रही थी और शंभू के पास से जैसे ही च्छुटी की हंसते हुए बालों को लहराते हुए मुझे अकेली शंभू के पास छोड़ कर गाओं घूमने के लिए घर से भाग गयी उसके बाद शंभू ने मुझे अकेले पा कर खूब चोदा और बताया की उससे सुंरी बहुत पहले से ही फँसी है ." धनिया ने गुस्से से बोली तो बिरजू का चेहरा कुच्छ परेशान सा हो गया जिसे देखते हुए धनिया आगे बात जारी रखते हुए बोली
" शंभू ने सुनारी के बारे मे बहुत कुच्छ बताया और कहा की सुंरी चॅट पकोडे खाने की बहुत शौकीन है और एक बार पैसे नही होने पर चॅट पकोडे उधार ही माँगने लगी तब दुकान वाले ने सुंरी को दुकान के पीछे बने झोपड़ी मे ले जा कर सील तोड़ डाली फिर चॅट पकोडे उधार दिए ........और उसी चॅट पकोडे वाले ने शंभू से बताया की बिरजू की बेटी सुंरी की सील तोड़ डाली है और इसी खुशी मे उस दुकान वाले ने शंभू और अपने दोस्तों को शराब भी पिलाई. और यह बात गाओं के मर्दों मे जैसे ही फैली की चॅट पकोडे वाले ने सुनारी की सील तोड़ दी है तबसे गाओं के मर्द उस दुकान वाले की पीठ थपथपाते फिरते थे और सुनारी के पीछे भी पड़ गये. "
इतना सुनकर बिरजू अपना सिर कुच्छ नीचे कर लिया और खंडहर की ज़मीन को देखने लगा. उसके चेहरे पर एक अजीब सा अफ़सोस दीख रहा था. अपने कपड़ों को ठीक करती धनिया उसके चेहरे की ओर देखी और बोली
"फिर शंभू भी तभी से सुनारी के पीछे करीब एक हफ्ते तक पड़ा रहा और सुंरी के चक्कर मे दुकान वाले को दारू भी पिलाया. आख़िर एक दिन चॅट पकोडे खाने के लालच मे पहुँची सुनारी को दुकान वाले ने पीछे बने झोपड़ी मे ले गया और वहाँ पहले से ही बैठा शंभू को देखते ही सुंरी भागना लगी लेकिन दोनो ने तुरंत सुंरी को झोपड़ी के अंदर खींच लिया और सुंरी रोने लगी तब दुकान वाले ने सुंरी को कस के पकड़े रहे और शंभू ने जबर्दाश्ती चोद डाला फिर दुकान वाले ने भी चोदा और फिर दोनो से चुदने के बाद सुंरी उस झोपड़ी मे बहुत रोई.....और उस दिन चॅट पकोडे भी नही खाई ...और सीधे घर चली आई"
धन्नो की इस बात को सुनकर बिरजू के मुँह से अचानक ही निकल पड़ा
"कमीना साला शंभू...मादर्चोद.."
धनिया ने आगे कहा "शंभू ने आगे बताया की बस कुच्छ ही दीनो बाद सुंरी फिर पहुँच गयी उस दुकान पर, और उस दुकान वाले ने झोपड़ी मे ले जा कर फिर खूब चोदा और पुचछा की उस्दिन क्यों इतना रो रही थी, तब सुंरी ने बताया की शंभू उसके बाप के उम्र के हैं और बाप के दोस्त भी हैं जिन्हे वह शम्बभू चाचा कहती है, और उसे नही पता था की शंभू चाचा उसके साथ इस तरह का गंदा काम करने लगेंगे, और वो उनके साथ कोई गंदा काम नही करना चाहती थी ...और लाज़ भी लग रही थी...क्योंकि उसे यह नही पता था की इस उम्र के लोग भी इतना गंदा काम करते हैं..इसी वजह से रोने लगी थी., फिर उस दुकान वाले ने पुचछा की जब शंभू तुम्हे जबर्दाश्ती चोद रहे थे तो कैसा लग रहा था तब सुंरी ने उसे बताया की वह शंभू से चुदवाना नही चाहती थी लेकिन जब चोद रहे थे तब उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.., तब उस दुकान वाले ने सुनारी को समझाया की तुम्हे कोई भी मर्द चोदेगा तो मज़ा आएगा चाहे वह किसी उम्र का क्यों ना हो..., फिर सुंरी ने पुचछा की बाप के उम्र के लोग भी इतना गंदा काम करने हैं क्या? तब दुकान वाले ने समझाया की अधेड़ और बुड्ढे तो गंदा काम बहुत ज़्यादे ही करते हैं और तेरी उम्र की लड़कियों को ज़्यादा खोजते हैं...जिसे सुनकर सुंरी चौंक सी गयी लेकिन सच्चाई को मान ली, दूसरे दिन सुंरी जैसे ही दुकान पर पहुँची, शंभू भी पहुँच गया, लेकिन शंभू को देखते ही सुंरी झोपड़ी के तरफ जाने से इनकार करती रही. फिर दुकान वाले ने शंभू को इशारे से कहा की थोड़ी देर के लिए इधेर उधेर चला जाय , और जैसे ही शंभू कहीं गया की सुनारी दुकान वाले ने झोपड़ी मे ले कर चला गया..जिसे देखकर कहीं च्छूपा हुआ शम्बभू भी झोपड़ी मे आ गया..फिर दोनो ने सुंरी को जी भर के चोदा उसी झोपड़ी मे, पहले तो थोड़ा बहुत आना कानी की लेकिन बाद मे खूब रज़ामंदी से चुड़वाई"
"शंभू आपको उल्लू बनाता है..जब घर मे कोई नही रहता है तो वो आपको खोजते हुए मेरी कोठारी मे ही घूस जाता है और फिर बाहर निकलने का नाम नही लेता वो कमीना ..लंड लहराते हुए पीछे पड़ जाता है..."
इतना कहते हुए धनिया पेशाब करके उठी और गुस्से से बोली
"सच कहती हूँ ससुर जी जब भी मेरी कोठरी मे घुसा बिना चोदे बाहर नही गया..."
इतना सुन कर बिरजू कुच्छ चौंक सा गया और फिर बोला
"तभी वो हरामी मुझे दूर बगीचे मे ले जा कर रोज़ दोपहर को खूब दारू पिलाता है.."
इतनी बात कान मे जाते ही धनिया गुस्से मे मुँह बनाती हुई तपाक से बोल पड़ी
"हां और दारू पीने के बाद तो नीद मे सोना आपकी पुरानी आदत है ..फिर खर्राटे सुरू होने के बाद आपको क्या पता की घर मे अकेली बहू को शंभू और गाओं मे घूम रही बेटी को पूरा गाओं दोपहर मे चोदने मे लग जाता है" फिर गुस्से मे धनिया ने अपनी उंगलिओ से बुर की तरह छेद बना कर दूसरी उंगली से लंड बनाते हुए छेद मे तेज़ी से अंदर बाहर कर बिरजू को दीखाते हुए से बोली
"मेरी और सुंरी के बुर मे किसका लंड पूरे दिन दोपहर फँसा रहता है आपको कैसे मालूम चलेगा..जब आपकी नीद खुलती है तब तक तो आपकी बहू और बेटी के बुर को चोद चोद कर इतना भर देते हैं की लंड का पानी बुर के मुँह से बाहर आने लगता है..."
धनिया ने आँख नचाते हुए कही और आगे अपने कपड़े को सही करते बोली
"लेकिन मैं क्या करू आप तो दारू और शराब मे ही डूबे रहते हो..और सुंरी घर पर रह कर ही क्या करती, वो शंभू बहुत पहले से ही सुंरी को भी चोद्ता आ रहा है.."
फिर धनिया अपने सारी को कमर मे ठीक से खोन्स्ते हुए बोली..
"एक दिन तो वो घर पर ही मेरे पास थी की शंभू आया और सुंरी को ही पकड़ लिया.... फिर भी सुंरी हंस रही थी और शंभू के पास से जैसे ही च्छुटी की हंसते हुए बालों को लहराते हुए मुझे अकेली शंभू के पास छोड़ कर गाओं घूमने के लिए घर से भाग गयी उसके बाद शंभू ने मुझे अकेले पा कर खूब चोदा और बताया की उससे सुंरी बहुत पहले से ही फँसी है ." धनिया ने गुस्से से बोली तो बिरजू का चेहरा कुच्छ परेशान सा हो गया जिसे देखते हुए धनिया आगे बात जारी रखते हुए बोली
" शंभू ने सुनारी के बारे मे बहुत कुच्छ बताया और कहा की सुंरी चॅट पकोडे खाने की बहुत शौकीन है और एक बार पैसे नही होने पर चॅट पकोडे उधार ही माँगने लगी तब दुकान वाले ने सुंरी को दुकान के पीछे बने झोपड़ी मे ले जा कर सील तोड़ डाली फिर चॅट पकोडे उधार दिए ........और उसी चॅट पकोडे वाले ने शंभू से बताया की बिरजू की बेटी सुंरी की सील तोड़ डाली है और इसी खुशी मे उस दुकान वाले ने शंभू और अपने दोस्तों को शराब भी पिलाई. और यह बात गाओं के मर्दों मे जैसे ही फैली की चॅट पकोडे वाले ने सुनारी की सील तोड़ दी है तबसे गाओं के मर्द उस दुकान वाले की पीठ थपथपाते फिरते थे और सुनारी के पीछे भी पड़ गये. "
इतना सुनकर बिरजू अपना सिर कुच्छ नीचे कर लिया और खंडहर की ज़मीन को देखने लगा. उसके चेहरे पर एक अजीब सा अफ़सोस दीख रहा था. अपने कपड़ों को ठीक करती धनिया उसके चेहरे की ओर देखी और बोली
"फिर शंभू भी तभी से सुनारी के पीछे करीब एक हफ्ते तक पड़ा रहा और सुंरी के चक्कर मे दुकान वाले को दारू भी पिलाया. आख़िर एक दिन चॅट पकोडे खाने के लालच मे पहुँची सुनारी को दुकान वाले ने पीछे बने झोपड़ी मे ले गया और वहाँ पहले से ही बैठा शंभू को देखते ही सुंरी भागना लगी लेकिन दोनो ने तुरंत सुंरी को झोपड़ी के अंदर खींच लिया और सुंरी रोने लगी तब दुकान वाले ने सुंरी को कस के पकड़े रहे और शंभू ने जबर्दाश्ती चोद डाला फिर दुकान वाले ने भी चोदा और फिर दोनो से चुदने के बाद सुंरी उस झोपड़ी मे बहुत रोई.....और उस दिन चॅट पकोडे भी नही खाई ...और सीधे घर चली आई"
धन्नो की इस बात को सुनकर बिरजू के मुँह से अचानक ही निकल पड़ा
"कमीना साला शंभू...मादर्चोद.."
धनिया ने आगे कहा "शंभू ने आगे बताया की बस कुच्छ ही दीनो बाद सुंरी फिर पहुँच गयी उस दुकान पर, और उस दुकान वाले ने झोपड़ी मे ले जा कर फिर खूब चोदा और पुचछा की उस्दिन क्यों इतना रो रही थी, तब सुंरी ने बताया की शंभू उसके बाप के उम्र के हैं और बाप के दोस्त भी हैं जिन्हे वह शम्बभू चाचा कहती है, और उसे नही पता था की शंभू चाचा उसके साथ इस तरह का गंदा काम करने लगेंगे, और वो उनके साथ कोई गंदा काम नही करना चाहती थी ...और लाज़ भी लग रही थी...क्योंकि उसे यह नही पता था की इस उम्र के लोग भी इतना गंदा काम करते हैं..इसी वजह से रोने लगी थी., फिर उस दुकान वाले ने पुचछा की जब शंभू तुम्हे जबर्दाश्ती चोद रहे थे तो कैसा लग रहा था तब सुंरी ने उसे बताया की वह शंभू से चुदवाना नही चाहती थी लेकिन जब चोद रहे थे तब उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.., तब उस दुकान वाले ने सुनारी को समझाया की तुम्हे कोई भी मर्द चोदेगा तो मज़ा आएगा चाहे वह किसी उम्र का क्यों ना हो..., फिर सुंरी ने पुचछा की बाप के उम्र के लोग भी इतना गंदा काम करने हैं क्या? तब दुकान वाले ने समझाया की अधेड़ और बुड्ढे तो गंदा काम बहुत ज़्यादे ही करते हैं और तेरी उम्र की लड़कियों को ज़्यादा खोजते हैं...जिसे सुनकर सुंरी चौंक सी गयी लेकिन सच्चाई को मान ली, दूसरे दिन सुंरी जैसे ही दुकान पर पहुँची, शंभू भी पहुँच गया, लेकिन शंभू को देखते ही सुंरी झोपड़ी के तरफ जाने से इनकार करती रही. फिर दुकान वाले ने शंभू को इशारे से कहा की थोड़ी देर के लिए इधेर उधेर चला जाय , और जैसे ही शंभू कहीं गया की सुनारी दुकान वाले ने झोपड़ी मे ले कर चला गया..जिसे देखकर कहीं च्छूपा हुआ शम्बभू भी झोपड़ी मे आ गया..फिर दोनो ने सुंरी को जी भर के चोदा उसी झोपड़ी मे, पहले तो थोड़ा बहुत आना कानी की लेकिन बाद मे खूब रज़ामंदी से चुड़वाई"
Re: संघर्ष
फिर धनिया आगे बोलती हुई कही
"सुंरी ने उस दिन खूब चॅट पकोडे खाए और उधार के सारे पैसे शंभू ने दुकान वाले को दे दिए और तबसे शंभू उसकी अक्सर चुदाई करता था और चॅट पकोडे के पैसे भी देता है, और जब भी सुंरी चॅट पकोडे खाने जाती है तब दुकान वाला बिना चोदे चॅट पकोडे नही देता, सच कह रही हूँ वो शंभू ठीक ही कहता है की सुंरी अब चुदैल हो गयी है."
अभी भी धनिया को संतोष नही हुआ फिर सुंरी के बारे मे आगे बोलने लगी ....
"शंभू क्या कहेगा आप खूद कभी ध्यान से देखो जब सुंरी पूरा गाओं घूम कर घर आती है ....हरजाई ..सीधे चल नही पाती.... , और दोनो पैर फैलाए हुए चलती है.. इतनी चुदाई सब करते हैं की बुर के साथ साथ पैर भी फैल जाता है....."
बात जारी रखते हुए बोली...
"मैं तो रोज देखती हू उस हरजाई को ....घर मे घुसते ही नाली के पास मूतने बैठती है और मुतेगि क्या हरजाई बुर मे तो कई मर्दों का गाढ़ा पानी भरा होता है........., और उसके बैठते ही मर्दों की मेहनत सामने दीखने लगती है...जहाँ उसकी बुर रगड़ से लाल होती है...., वहीं लाल बुर के चौड़े मुँह से जब एक एक पाव सफेद मलाई गिरने लगता है तो मेरी आखें फट जाती हैं..मैं तो ऐसा देख कर बोल देती हूँ की लगता है पूरे गाओं से चुदवा कर आ रही है लेकिन उस रंडी पर कोई असर नही पड़ता"
अपनी बेटी के बारे मे इतना सुनकर बिरजू चिड़चिड़ा मुँह बनाते हुए बोला "छोड़ो ये सब बातें...मेरी तकदीर ही बहुत खराब है...क्या करूँ..."
धनिया झल्ला कर बोली ...
"..जब सारा गाओं मिल कर चोद डाला , तब मिर्ची तो लगेगी ही सुनकर....."
इतना सुनकर बिरजू ने अपनी नज़र दूसरी ओर फेरते हुए बोला...
"सुंरी को घर से बाहर मत जाने दिया करो..."
धनिया ने अपने ससुर के इस बात का जबाव देते हुए कही...
"मेरे कहने पर क्या मानेगी ...जैसे आपके गले मे शराब गये बिना शांति नही मिलती...., वैसे ही उसे भी अपनी बुर मे लंड डलवाए बिना चैन थोड़ी मिलने वाला है"
आगे गुस्से मे बोली
फिर धनिया ने अपनी सारी के पल्लू को अपनी छाती पर ठीक करते हुए बोली...
"अब उसकी शादी के भी बारे मे सोचो...यही सही समय है ..... अब गाओं के मर्दों ने उसे रगड़ रगड़ कर बड़ा कर दिया है , और कोई भी लड़का उसकी कसी हुई जवानी को देखते ही शादी के लिए तैयार हो जाएगा....सच पुछिये तो आज कल के लड़के भी गरम लड़कियाँ ही खोजते हैं...जो सुंरी को गाओं वाले बना दिए हैं...., यदि लड़का तैयार हो गया तो कम पैसे मे शादी भी हो जाएगी,"
चुपचाप धनिया की बातें सुन रहे बिरजू को समझाते हुए आगे बोली
" सच मे सुंरी की चुचियाँ बहुत बड़ी बड़ी हो गयी हैं..लड़का तो देखते ही मर जाएगा .. "
फिर धनिया अपनी चुदाई के वजह से कुच्छ उलझ चुके बालों को ठीक करते हुए बोली...
"शंभू बहुत झूठ बोलता है आपसे..बहुत चोदु है साला दारू पीला कर बहू और बेटी दोनो का मज़ा लूट रहा है....अब उससे कहिए की कहीं से लड़का ढूँढ कर सुंरी की शादी करवा दे..."
फिर बिरजू कुच्छ सोच कर धनिया से बोला ..
" साला मेरी बात नही सुनेगा...तुम ही उससे कहो..."
"ठीक है.." धनिया राज़ी होते बोली
फिर बिरजू धनिया की ओर देखते बोला...
"इसीलिए मैं सोचता हूँ की शंभू को नाराज़ करना ठीक नही है.....जब साला बदमाशी किया है तो शादी भी कहीं करवा दे....उसके जानने वाले बहुत हैं...वह सुंरी के लिए लड़का ज़रूर ढूँढ लेगा....तुम भी कभी उसके उपर गुस्सा मत करना..."
फिर बहू हंस दी और बोली
"मैं कहा उसे रोक रही हूँ जबसे मेरा पति कमाने गया है तबसे तो शंभू मेरी आग शांत करता रहा है,,... और इस चाम की थैली मे ना जाने कितने लोग अपनी ताक़त लगा चुके है और इस शंभू के ज़ोर लगाने से क्या फरक पड़ता है.. वैसे भी ये कोई घिसने वाली चीज़ थोड़ी है.."
हंसते हुए अपने ससुर को कुच्छ चिढ़ाने के अंदाज़ मे बोली
" हर दूसरे दिन नई हो जाती है" इतना कह कर धनिया हँसने लगी.
फिर बिरजू की बहू ने सीसे मे देखकर अपने माथे की बिंदिया ठीक की और लिपीसटिक लगाते हुए आगे बोली
"आज घर चल कर मैं माँस मुर्गा बनाउन्गि .."
"सुंरी ने उस दिन खूब चॅट पकोडे खाए और उधार के सारे पैसे शंभू ने दुकान वाले को दे दिए और तबसे शंभू उसकी अक्सर चुदाई करता था और चॅट पकोडे के पैसे भी देता है, और जब भी सुंरी चॅट पकोडे खाने जाती है तब दुकान वाला बिना चोदे चॅट पकोडे नही देता, सच कह रही हूँ वो शंभू ठीक ही कहता है की सुंरी अब चुदैल हो गयी है."
अभी भी धनिया को संतोष नही हुआ फिर सुंरी के बारे मे आगे बोलने लगी ....
"शंभू क्या कहेगा आप खूद कभी ध्यान से देखो जब सुंरी पूरा गाओं घूम कर घर आती है ....हरजाई ..सीधे चल नही पाती.... , और दोनो पैर फैलाए हुए चलती है.. इतनी चुदाई सब करते हैं की बुर के साथ साथ पैर भी फैल जाता है....."
बात जारी रखते हुए बोली...
"मैं तो रोज देखती हू उस हरजाई को ....घर मे घुसते ही नाली के पास मूतने बैठती है और मुतेगि क्या हरजाई बुर मे तो कई मर्दों का गाढ़ा पानी भरा होता है........., और उसके बैठते ही मर्दों की मेहनत सामने दीखने लगती है...जहाँ उसकी बुर रगड़ से लाल होती है...., वहीं लाल बुर के चौड़े मुँह से जब एक एक पाव सफेद मलाई गिरने लगता है तो मेरी आखें फट जाती हैं..मैं तो ऐसा देख कर बोल देती हूँ की लगता है पूरे गाओं से चुदवा कर आ रही है लेकिन उस रंडी पर कोई असर नही पड़ता"
अपनी बेटी के बारे मे इतना सुनकर बिरजू चिड़चिड़ा मुँह बनाते हुए बोला "छोड़ो ये सब बातें...मेरी तकदीर ही बहुत खराब है...क्या करूँ..."
धनिया झल्ला कर बोली ...
"..जब सारा गाओं मिल कर चोद डाला , तब मिर्ची तो लगेगी ही सुनकर....."
इतना सुनकर बिरजू ने अपनी नज़र दूसरी ओर फेरते हुए बोला...
"सुंरी को घर से बाहर मत जाने दिया करो..."
धनिया ने अपने ससुर के इस बात का जबाव देते हुए कही...
"मेरे कहने पर क्या मानेगी ...जैसे आपके गले मे शराब गये बिना शांति नही मिलती...., वैसे ही उसे भी अपनी बुर मे लंड डलवाए बिना चैन थोड़ी मिलने वाला है"
आगे गुस्से मे बोली
फिर धनिया ने अपनी सारी के पल्लू को अपनी छाती पर ठीक करते हुए बोली...
"अब उसकी शादी के भी बारे मे सोचो...यही सही समय है ..... अब गाओं के मर्दों ने उसे रगड़ रगड़ कर बड़ा कर दिया है , और कोई भी लड़का उसकी कसी हुई जवानी को देखते ही शादी के लिए तैयार हो जाएगा....सच पुछिये तो आज कल के लड़के भी गरम लड़कियाँ ही खोजते हैं...जो सुंरी को गाओं वाले बना दिए हैं...., यदि लड़का तैयार हो गया तो कम पैसे मे शादी भी हो जाएगी,"
चुपचाप धनिया की बातें सुन रहे बिरजू को समझाते हुए आगे बोली
" सच मे सुंरी की चुचियाँ बहुत बड़ी बड़ी हो गयी हैं..लड़का तो देखते ही मर जाएगा .. "
फिर धनिया अपनी चुदाई के वजह से कुच्छ उलझ चुके बालों को ठीक करते हुए बोली...
"शंभू बहुत झूठ बोलता है आपसे..बहुत चोदु है साला दारू पीला कर बहू और बेटी दोनो का मज़ा लूट रहा है....अब उससे कहिए की कहीं से लड़का ढूँढ कर सुंरी की शादी करवा दे..."
फिर बिरजू कुच्छ सोच कर धनिया से बोला ..
" साला मेरी बात नही सुनेगा...तुम ही उससे कहो..."
"ठीक है.." धनिया राज़ी होते बोली
फिर बिरजू धनिया की ओर देखते बोला...
"इसीलिए मैं सोचता हूँ की शंभू को नाराज़ करना ठीक नही है.....जब साला बदमाशी किया है तो शादी भी कहीं करवा दे....उसके जानने वाले बहुत हैं...वह सुंरी के लिए लड़का ज़रूर ढूँढ लेगा....तुम भी कभी उसके उपर गुस्सा मत करना..."
फिर बहू हंस दी और बोली
"मैं कहा उसे रोक रही हूँ जबसे मेरा पति कमाने गया है तबसे तो शंभू मेरी आग शांत करता रहा है,,... और इस चाम की थैली मे ना जाने कितने लोग अपनी ताक़त लगा चुके है और इस शंभू के ज़ोर लगाने से क्या फरक पड़ता है.. वैसे भी ये कोई घिसने वाली चीज़ थोड़ी है.."
हंसते हुए अपने ससुर को कुच्छ चिढ़ाने के अंदाज़ मे बोली
" हर दूसरे दिन नई हो जाती है" इतना कह कर धनिया हँसने लगी.
फिर बिरजू की बहू ने सीसे मे देखकर अपने माथे की बिंदिया ठीक की और लिपीसटिक लगाते हुए आगे बोली
"आज घर चल कर मैं माँस मुर्गा बनाउन्गि .."