Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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The Romantic
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:11

मै मां के पीछे खडा होकर उनकी बांहो को छूते हुये बाबुजी से पूछा,

“बाबुजी आप मां के साथ होली नही खेलेंगें?”

“खेलेंगे , लेकिन रात को....” बाबुजी ने मुस्की मारते हुये कहा और वापस मुझसे पुछा,

“लेकिन तु अपनी मां के साथ होली खेला कि नही...?” उन्होने मां की ओर देखते हुये कहा , ”तेरी इस मस्तानी मां के साथ होली खेलने के लिये सभी साल भर इन्तंजार करते है. “

मां ने हमारी ओर गुस्से से देखते हुये कहा “ क्या फालतू बात कर रहे हो, बच्चे को बिगाड रहे हो...कोई मां से भी होली खेलता है क्या...”

“साली, रंडी , बेटे का पूरा लौडा खा गयी और अब सती- सावित्री बन रही है. मैने सोचा कि मां को इस हालत में देखकर बाबुजी भी गरमा गये है...और चुंकि मेरे सामने अपनी बीबी के साथ मस्ती मारने मे शरमा रहे है, इस लिये मुझे भडका रहे है कि मै मां को और मस्त करुं.

“देखिये ना बाबुजी , मै इतने सालो के बाद होली में घर पर हूं तो भी मां मुझे रंग नही लगाने दे रही है.., मैने कितना खुशामद किया फिर भी मुझे रंग नही लगाने दिया...” मैने मां की गोरी –चिकनी बांहो को सहलाते हुये कहा...

“और इसी गुस्से मे तुमने मेरा साडी खोल कर फेक दिया....” मां ने मेरी बात काटते हुये कहा, “चलो कोई बात नही, आज मै तुम लोगों के सामने ऐसी ही रहुंगी...”

“लेकिन मां रंग लगाने दो ना....” मैने मां की गालो को सहलाते हुये कहा.. ”चल, हट् जा..” मां ने मुझे कोहनी से धक्का मारते हुये कहा..”बाहर जा , बहुत लडकी मिल जायेगी , उनको ही रंग लगाना....मां के साथ बच्चे रंग नही खेलते...जा मुझे काम करने दे..”

“ अरे रानी, जिद्द क्यो करती हो ? इतने सालो बाद तो बेटा होली पर घर मे है....पहले कैसे हर साल होली पर रोती रहती थी कि ‘बेटा होली में घर क्यों नही आता है..और इस बार जब वो है तो नखडा मार रही हो....लगाने दो रंग , खेलो होली बेटे के साथ...” बाबुजी ने मां क़ॉ बडा सा लेक्चर दे दिया.

“मैने गालों और बाहों पर तो रंग लगाने दिया था. “ मां ने सफाई दी.

“लेकिन मुझे तो तुम्हारे साथ ऐसे रंग खेलना था जैसे एक जवान लडका और लडकी होली खेलते है..” मैने मां को अपनी ओर घुमाते हुये कहा.

मां ने गैस बंद कर दिया और आंखे नीची किये हुये कहा, “बेटा, मै तुम्हरी मां हूं, दोस्त नही..बस गाल मे लगा दिया वही बहुत है...” मां ने अपना दोनो हाथ मेरे कंधो पर रख्खा और कहा ,

“ठीक है, चलो एक बार मै तुम्हे चुमने देती हूं... जहां मन है चुम लो...”

वो सीधी खडी हो गयी और अपना आंख बंद कर लीया. मैने बाबुजी कि ओर देखा. बाबुजी मेरा असमंजस समझ गये... ”बेटा, इतना अछ्छा मौका कहां मिलेगा!. ळे लो , चुम लो ..जल्दी करो नही तो वो फिर कुछ नहीं करने देगी. “ बाबुजी ने भी इजाजत दे दी.

फिर क्या था. मैने एक हाथ मां की पीठ पर रख कर उनको अपनी ओर खींचा और दोनो हाथों मे कस कर बांध लिया. मै ने खुब जोर से दबाया और मां कसमसाने लगी. एक हाथ आगे लाकर उनकी गुलाबी चिकनी गालो को सहलाया और कुछ देर सहलाने के बाद गाल को सहलाते सहलाते मैने मां के चेहरे को उपर उठाया और अपने ओंठों को मां की रसीली ओंठों के उपर रख्खा और धीरे धीरे चूमने लगा. थोडी देर पहले मैने मां को जम कर चोदा था लेकिन अभी बाबुजी के सामने मां को चुमने मे जो मजा आ रहा था वो कुछ और ही था. पहले धीरे धीरे फिर खुब जोर से ओंठों को चूसा और चुम्मा लेते लेते मै एक हाथ् मां चुची पर रख कर हौले हौले चुची को सहलाने लगा..मां फिर कसमसाने लगी लेकिन मैने उसे अलग होने नही दिया और जोर जोर से चुची को मसला... मै मा को चुमता रहा और चुची को इतना और इस तरह से मसला कि ब्लाउज के सारे बटन खुल गये और मेरे हाथों में मां की नंगी चुची थी. चुमना जारी रखते हुये मैं ने बाबुजी कि ओर देखा तो उनके चेहरे पे कोई गुस्सा नही था. थोडी देर तक चुची को और मसला और हाथ को मां के पेट को सहलाते हुये कमर पर हाथ लाया. मस्त , चीकनी कमर को सहलाना बहुत अछ्छा लग रहा था और तभी मुझे लगा कि मां अपनी हांथो से मेरे पीठ को सहलाते सहलाते मेरे चुत्तरो को दबाने लगी है और मुझे अपनी ओर दबा रही है. मैने मां की ओंठों को चूमना छोड उनकी गालो को चुमा, चूसा और काटा भी. मां ने अपनी आंखे खोल दी थी. मैने उनकी आंखो में मुस्कुरा कर देखा और एक चुची की घुंडी को अंगुली से रगडते - रगडते दुसरी चुची को चुसने लगा. अब मै आराम से मां की चुची का पुरा मजा ले ले कर दबा रहा था, चूस रहा और साथ में घून्डीओ का भी स्वाद ले रहा था जैसे बचपन मे मां का दुध पीता था. अब मां भी आराम से बेटे को अपना दुध पिला रही थी.

“देखा आपने, साले को थोडी सी छूट दी तो आपके लाडले ने ब्लाउज ही उताड दिया...” मां ने बाबुजी से शिकायत की लेकिन मुझे अपनी चुची से अलग नहीं किया. मै मां की चुचीओं का मजा ले रहा था साथ ही उनकी मख्खन जैसी चिकनी और लचकिली कमर को भी सहला रहा था. मां को अन्दाजा था कि मेरा अगला कदम क्या होगा..तभी उन्होने फिर बाबुजी से कहा,

“अब अपने बेटे को हट्ने के लिये कहो , पता नहीं , इसका क्या ईरादा है?

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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:11

“घबराती क्यो हो? बेटा ही दूध पी रहा है ना..वो भी अपने बाप के सामने ...पीने दो , कब से उसने अपनी मां का दूध नही पिया है...” बाबुजी का जबाब सुनकर मै बहुत खुश हो गया और मां भी.

“ले बेटा, पी ले जितना पीना है... मै अब कुछ नही बोलुंगी....” मां ने मेरा माथा सहलाते हुये कहा,

“जानते हो जी, तुम्हारा बेटा एक नंम्बर का रंडी बाज है... मुझे बता रहा था कि वो सिर्फ बडी उम्र की औरतों के पास ही जाता है...”

“क्यों बेटा? एक तो रंडी के पास जाना ही नही चाहिये और अगर कभी कभी मन भी करें तो कमसिन लडकी के पास ही जाना चाहिये...ज्यादा चली हुई औरतो के साथ क्या मजा आता होगा!. “ बाबुजी ने मुझे सलाह देते हुये पूछा...

मेरा हाथ अब मां के साया के उपर फिसल रहा था और मुझे चूत की गरमाहट् महसूस हो रही थी. मैने एक हाथ से चुची को मसला और दुसरे हाथ से मां की बूर को साया के उपर से दबाते हुये कहा,

“ मुझे मां जैसी उम्र कि औरतो के साथ मस्ती मारना अछ्छा लगता है...” कहते हुये मै बूर को साया के उपर से मसला...

“ओह्ह विनोद, क्या कर रहे हो बेटा ....अब छोडो , बहुत दबा लिया..” मां ने कहा और साथ ही मुझे जोर से चिपका लीया..

“मां जैसी दीखने बाली औरते क्यो अछ्छी लगती है..” बाबुजी ने पूछा..

“क्यूं कि मुझे मां सबसे अछ्छी लगती है...” और मैने साया का नाडा झटके से खींच दिया. मां अब बिलकुल नंगी थी और एक हाथ से चूत को मसल रहा था और दुसरे हाथ से एक चुची को दबा रहा था .

मैने बाबुजी की ओर देखते हुये कहा कि , जब से मैने औरत के बारे मे जाना है तुब से सिर्फ मुझे मां ही अछ्छी लगती है...मैने इमानदारी से कहा कि, चूंकि मै मां के साथ मस्ती नही मार सकता था इस लिये मैने होस्टेल जाने की जिद्द की थी.

मैने मां को अपनी बांहो मे लेकर खुब चुमा चाटा , चुची को मसला और चूत को रगडा.

मां को प्यार करते हुये मैने बाबुजी से कहा कि उनकी माल दुनिया कि सबसे अछ्छी माल है..और आज मै बहुत खुश हू कि वो मस्त माल मेरी बांहो मे नंगी खडी है और मै उसकी मदहोश करने बाली जवानी को प्यार कर रहा हूं.

मै मां को लेकर बाहर आया और गोदी मे बैठा लिया. मेर लंड पैंट के नीचे पुरा टाइट हो गया था इस लिये ही मैने मां को लंड के उपर बिठा लिया. बाबुजी भी हमारे सामने बैठ गये और देखते रहे कि किस तरह एक बेटा अपनी मां की नंगी जवानी से खेल रहा है.

“बस बेट, अब छोडो, तुम्हारे दादाजी आने बाले होंगे.” कहते हुये मां खडी हो गयी. मैने झांट सहलाते हुये पुछा कि झांट क्यो नह्वी साफ करती हो तो मां ने जबाब दिया कि उसे झांट सहलाना अछ्छा लगता है. मैने मां से खुशामद की कि एक बार झांत साफ कर अपना चिकना चूत दिखा दे... बाबुजी ने भी कहा कि उन्होने भी कई बार मां से साफ करने को कहा है लेकिन मानती ही नही है...

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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:21

बुरा न मानो होली है --२



मैने कहा, “बाबुजी अब आप चिंता मत किजिये , “साली खूद् साफ नही करेगी तो मै ही झांट साफ कर दुंगा. “

मां किचन गयी और वहा से अपना साया और ब्लाउज लेकर आयी.

साया पहनते हुये मां ने कहाँ , “पुछो अपने बेटे से कि उसे मां के साथ होली खेलने में मजा आया कि नही.”

“बहुत मजा आया मां. सिर्फ पिचकारी से रंग डालना बाकी रह गया वो बाद मे डाल लूंगा.”

मां ने साया और ब्लाउज पहन लिया था लेकिन वैसा नही जैसा पहले पहना था. मै कुछ बोलता, उस से पहले बाबुजी ने वो बात कह दी जो मै कहना चाहता था... ”रानी, ऐसे क्या पहन रही हो.? आज होली है, ऐसा पहनो की हुम लोगों को कुछ ना कुछ माल दिखता रहे...”

“बोलो तो , नंगी ही रहूं. “ कह कर मां ने साया खोल दिया और नंगी हो गई. बूर को उचकाते हुये कहा, “अब ठीक है ना...बाबुजी (दादाजी) को भी बहू का बूर देखना अछ्छा लगेगा..”

“क्या मां, तुम भी....” कहते हुये मै मां के पास गया और साया उठाकर इस तरह बांधा कि साया के उपर से काली काली झांटे दिखाई देने लगी. साया ठीक करने के बाद मैने ब्लाउज का उपर क बटन तोड दिया और कपर्डेल को थोडा फैला दिया. अब मां की चुची उपडी हिस्सा और दोनो चुची का मिलन स्थल पुरा दीख रहा था.

“बेटा , मुझे इस तरह देख कर तेरे दादाजी आज हत्तू मारेंगे और अपनी बहु कि चूत का सपना देखेंगे...” मां ये कहते हुये अपने कमरे मे चली गयी.

मां के वंहा से हटते ही बाबुजी ने कहा, “ बेटा , लगता है तु मां को चोदना चाहता है..”

“हां बाबुजी , पिछले 6 साल से मां को चोदने का मन है , लेकिन आप से डर लगता है..”

आज अछ्छा मौका था , बाबुजी के सामने मां को नंगा कर पूरा मजा लिया और उस से पहले मा ने चूत को भर-पूर चोदने दिया. बस अब बाबुजी को मनाना था कि मै जब चाहू मां को चोद सकुं. हिम्मत करके मैने कहा,

“बाबुजी , अब अगर मां की बूर मे लौडा नही पेल पाउंगा तो मै पागल हो जाउंगा...मां के चूत के चक्कर मे ही मै रंडीओ के पास जाने लगा ..जब भी मै किसी भी रंडी को चोदता हूं तो यही सोच सोच कर चुदाई करता हूं कि मै किसी रंडी को नहीं अपनी मां की चूत मे लौडा पेल रहा हूं.. ”

मैने अन्धेरे मे एक तीर फेंका, “ बाबुजी मै आज वादा करता हूं कि जब मेरी शादी होगी तो आपको अपनी बीबी चोदने को दुंगा ..बस बाबुजी आप मा को बोलीये कि मुझसे चुदवाये , जब भी मै चाहु...”

मै डर् रहा था कि बाबुजी क्य बोलेंगे , डांटेगे लेकिन नही, बाबुजी को शायद अपनी अनदेखी बहु कि चूत का ख्याल आ गया और बाबुजी खडे हो गये और प्यार से मुझे गाल पर एक चपत मारी और कहा, “अब से तेरा जब मन करें , मां को चोद, मेरे सामने भी और मेरे पीछे भी, मै उसको बोल दुंगा , तुझे खुब मजा दे...लेकिन बस , इतना ध्यान रखना कि किसी को कुछ पता ना चले...

मैने मन ही मन कहा, “ मां आज दादाजी और मुझसे चुद्वायी तो आपको पता चला क्या..”

जो भी हो, मै बहुत खुश था कि मै अपनी सबसे प्यारी माल को जब चाहूं चोद सकता था.

तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई.

दादाजी अन्दर आये और मां अन्दर से बाहर आई. हम सबने मां की झांटे और चुची देखी. दादाजी के आंखो मे चमक आ गयी और मां ने दादाजी को आंख मारी और किचन चली गयी.

अन्दर जाते जाते उसने कहा, “आप लोग सब स्नान कर लिजीये..फिर खाना खायेंगे.”

हम लोग एक दुसरे को नहाने के लिये बोल रहे थे .मै चाहिये रहा था कि बाबूजी और दादा पहले नहाने जायें तो मै मां के साथ एक चुदाई और कर लुं. यही इछ्छा दादा की भी रही होगी तभी दादा भी बाद मे नहाने की बात कर रहे थे. तभी बाहर दरवाजे पर फिर दस्तक हुई. मां किचन से बाहर आयी और हमरे पास आकर कहा कि हम सभी कमरे के अन्दर ही रहें और जब तक मां ना बोले, कोई कमरे से बाहर ना आये. मालती वापस घूमी तो मेरा कलेजा और कलेजा के साथ लौडा खुश हो गया. पीछे से मां कि चुत्तरो का उपरी मिलन स्थल दीख रहा था. हुम मांसल चुतारो को देखते रहे और वो गान्ड हिलाती हुयी चली गयी दरवाजा खोलने. दर्वाजे पर दुबारा दस्तक हुई . मां ने कुन्डी खोला और तीन लडके अन्दर आये. मां ने दरवाजा बन्द किया और उन तीनो में जो बडा लडका था उसे गले लगाकर बांहो मे दबाया. उस लडके ने मां की गालो को चूमा और फिर वो तीन लडके को लेकर मां बरामदे पर आयी. तब मै और बाबुजी ने उस बडे लडके को पहचाना. वो बल्लु था जो चार साल पहले तक हमारे यहां पुराने मकान मे काम करता था. ज़ब मैने उसे आखरी बार देखा था वो 12-13 का दूबला पतला लडका था . हुमने जब मकान बदला तो उसने यह कहकर काम करना बन्द कर दिया था कि हमारा घर उसके घर से बहुत दूर है और आज वही साला मां से होली खेलने के लिये इतनी दूर आया. अब बल्लु 16-17 का साल का जवान हो गया था. दीखने मे हट्टा कठ्ठा था और करीब 5’7” लम्बा था. उसके साथ जो 2 लडके थे वे बल्लु से छोटे थे करीब 14-15 साल के , उनकी दाढी मुंछ भी ठीक से नही नीकली थी. हम सब ने देखा कि बल्लु बार बार मालती को चूम रहा है और साथ ही कभी चुची पे तो कभी साया के उपर से चूत को सहला रहा है.

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