'नहीं, अंकल यहाँ नहीं....हम लोग मचान पर चलते हैं. वहां हमें कोई डर नहीं रहेगा' हर्षा बोली. 'ठीक है चलो' मैंने कहा मचान का नाम सुन कर मै भी खुश हो गया. वहीँ पास में एक आम के पेड़ पर मचान बनी थी....मैंने हर्षा को सहारा देकर ऊपर मचान पर चडा दिया और फिर मैं भी ऊपर चढ़ गया. अब हमें देखने वाला कोई नहीं था....
मचान पर नर्म नर्म पुआल बिछी थी, जिस पेड़ पर मचान बनी थी उसमे ढेर सारे बड़े बड़े आम लटक रहे थे....इक्का दुक्का तोते आमों को कुतर रहे थे.
हर्षा सहमी सिकुड़ी सी मचान पर बैठ गयी. मै उसके पास में लेट गया और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. वो मेरे सीने से आ लगी. मैं धीरे धीरे उसके अंगों से खेलने लगा. वो हल्का फुल्का विरोध भी कर रही थी...उसके मुंह से ना नुकुर भी निकल रही थी,मैंने हर्षा की कुर्ती में हाथ डाल दिया और उसके दूध दबाने लगा. उसका निचला होठ अपने होठो में लेकर मैं उसकी निप्पलस चुटकी में भर कर धीरे धीरे मसलने लगा. धीरे धीरे हर्षा भी सुलगने लगी. आखिर जवान लड़की थी, मेरे हाथों का असर तो उस पर होना ही था.
फिर मैंने उसकी सलवार का नाडा पकड़ कर खींच दिया....और उसकी चड्ढी में हाथ डाल दिया. हर्षा को मानो करेंट सा लगा....उसका सारा बदन सिहर उठा....हर्षा की चिकनी चूत मेरी मुट्ठी में थी. वो सच में अपनी चूत को शेव कर के आई थी. मैंने खुश होकर हर्षा को प्यार से चूम लिया..और उसकी चूत से खेलने लगा.
हर्षा का विरोध अब ख़तम हो चुका था और वो भी मेरे साथ रस लेने लगी थी. फिर मैंने उसकी सलवार निकाल दी...और जब चड्ढी उतारने लगा तो हर्षा ने मेरा हाथ पकड़ लिया....'अंकल जी, मुझे नंगी मत करो प्लीज' वो अनुरोध भरे स्वर में बोली. लेकिन अब मैं कहाँ मानने वाला था. मैंने जबरदस्ती उसकी चड्ढी उतार के अलग कर दी. और फिर उसकी कुर्ती और ब्रा भी जबरदस्ती उतार दी.
उफ्फ्फ, कितना मादक हुस्न था हर्षा का. उसके दूध कैद से आजाद होकर मानो फूले नहीं समां रहे थे. हर्षा की गोरी गुलाबी पुष्ट जांघो के बीच में उसकी चिकनी गुलाबी चूत....मैं तो हर्षा को निहारता ही रह गया.....तभी वो शरमा के दोहरी हो गयी और उसने अपने पैर मोड़ कर अपने सीने से लगा लिए. और अपना मुंह अपने घुटनों में छिपा लिया.
मैंने भी अपने सारे कपडे उतार दिए और हर्षा को जबरदस्ती सीधा करके मैं उसके नंगे बदन से लिपट गया. जवान कुंवारी अनछुई लड़की के बदन से जो मनभावन मादक गंध आती है....हर्षा के तन से भी उसकी हिलोरें उठ रही थी....मै हर्षा के पैरों को चूमने लगा...उसके पैरों की अँगुलियों को मैंने अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा. फिर मेरे होंठ उसकी टांगो को चूमते हुए उसकी जांघो को चूमने लगे.
हर्षा के बदन की सिहरन और कम्पन मै महसूस कर रहा था. फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पे रख दी. हर्षा की चूत के लब आपस में सटे हुए थे...मैंने धीरे से उसकी चूत के कपाट खोले और अपनी जीभ से उसका खजाना लूटने लगा....तभी मानो हर्षा के बदन में भूकंप सा आ गया. उसने मेरे सिर के बाल कस कर अपनी मुट्ठियों में जकड लिए.
उसने अपनी कमर ऊपर उठा दी...फिर मैंने अपनी अंगुली की एक पोर उसकी चूत में घुसा दी और उसके दूध चूसने लगा...हर्षा का दायाँ दूध मेरे मुंह में था और उसके बाएं दूध से मै खेल रहा था...
तभी हर्षा मेरी पीठ को सहलाने लगी.....'अंकल जी, हटो आप..बहुत देर हो गयी, अब मुझे जाने दो' वो थरथराती आवाज में बोली....औरअपनी टाँगे मेरी कमर में लपेट दीं. हर्षा अपने मुंह से कुछ और कह रही थी लेकिन उसका नंगा बदन कुछ और ही कह रहा था. मै हर्षा को जिस मुकाम पे लाना चाहता था वहां वो धीरे धीरे आ रही थी.
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया...मेरे लण्ड में भरपूर तनाव आ चुका था. और मेरा लण्ड हर्षा की चूत पे टकरा रहा था. मैं उसके ऊपर लेटे लेटे ही उसके गाल काटने लगा.
'अंकल जी, गाल मत काटो ऐसे...निशान पड जायेंगे' वो बोली....लेकिन मैंने अपनी मनमानी जारी रखी
'अब नहीं रहा जाता...' वो बोल उठी.
हर्षा की आँखों में वासना के गुलाबी डोरे तैरने लगे थे. उसकी कजरारी आँखे और भी नशीली हो चुकी थी. फिर मैं उठ कर बैठ गया और हर्षा को खींच कर मैंने उसका मुंह अपनी गोद में रख लिया. और मैं अपना लण्ड उसके गालों पर रगड़ने लगा...
'हर्षा, मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर चूसो ' मैंने कहा.
'नहीं, अंकल जी ये नहीं' वो बोली.
'तो ठीक है...मत चूसो, अपने कपडे पहिन लो और जाओ अब' मैंने कहा
तब हर्षा ने झट से मेरा लण्ड पकड़ लिया और झिझकते हुए अपने मुह में ले लिया....और चूसने लगी. मै तो जैसे पागल सा हो उठा...कुछ देर बाद उसने मेरी foreskin नीचे करके मेरा सुपाडा अपने मुंह में भर लिया और वो बड़ी तन्मयता से मेरा लण्ड चूमते चाटते हुए चूसने लगी.
मैंने भी हर्षा का सिर पकड़ लिया और उसे अपने लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगा. मेरा लण्ड हर्षा के मुंह में आ जा रहा था.
कुछ देर मै यू ही हर्षा का मुंह चोदता रहा...और साथ में उसकी चूत की दरार में अपनी अंगुली भी फिराता रहा...
'अंकल जी, अब नहीं होता सहन....आप और मत तरसाओ मुझे....जल्दी से मुझे अपनी बना लो' हर्षा कांपती सी आवाज में बोली.
'ठीक है मेरी जान...मैं भी तड़प रहा हू तुम्हे अपनी बनाने के लिए.....हर्षा, अब तुम सीधी लेट जाओ और अपने पैर अच्छी तरह से फैला कर अपनी चूत की फांके खोल दो पूरी तरह से' मैंने कहा
'जी, अंकल...हर्षा शरमाते हुए बोली' और फिर उसने अपनी टाँगे फैला के अपनी चूत के होंठ अपनी अँगुलियों से खोल ही दिए
मुझे लड़की का ये पोज सदा से ही पसंद है...जब लड़की नंगी होकर अपनी चूत अपने हाथों से खोल कर लेटती है....
फिर मैंने हर्षा की खुली हुयी चूत के छेद से अपना सुपाडा सटा दिया और उसकी हथेलियाँ अपनी हथेलियों में फंसा कर धीरे धीरे अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा. कुंवारी चूत के साथ थोड़ी मुश्किल तो होती ही है. मैंने अपने लण्ड को खूब सारा चमेली का तेल पिलाया था....और फिर हर्षा के चूसने के बाद मेरा लण्ड काफी चिकना हो चुका था.
अंततः मेरी मेहनत रंग लायी. और मेरा लण्ड हर्षा की चूत की सील को वेधता हुआ, उसका कौमार्य भंग करता हुआ उसकी चूत में समां गया.
हर्षा के मुंह से एक घुटी घुटी सी चीख निकली, उसने मुझे परे धकेलने की कोशिश की लेकिन मेरे हथेलियों में उसकी हथेलियाँ फंसी हुयी थी....वो बस तड़प के ही रह गयी.
'उई माँ...मर गयी...' हर्षा के मुंह से निकला...'हाय अंकल, निकाल लो अपना बाहर ...मुझे नहीं चुदवाना आपसे'
लेकिन मै बहुत धीरे धीरे आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत में अपने लण्ड को चलाता रहा. मेरा लण्ड हर्षा की चूत में रक्त-स्नान कर रहा था..और वो मेरे नीचे बेबस थी.
'आह, अंकल...बहुत दुख रही है...' हर्षा बोली. उसकी आँखों में आंसू छलक आये. मुझसे उसकी तड़प देखी नहीं जा रही थी; लेकिन मै कर भी क्या सकता था. मैंने प्यार से उसकी आँखों को चूम लिया, उसके गालों को अपना प्यार दिया..और अपनी धीमी रफ़्तार जारी रखी.
जैसा की आदि काल से होता आया है, कामदेव ने अपना रंग दिखाना शुरू किया तो हर्षा को भी मस्ती चड़ने लगी...उसके निप्पलस जो पहले किशमिश की तरह थे अब कड़क हो कर बेर की गुठली जैसे हो चुके थे. और उसका पूरा बदन कमान की तरह तन चुका था. अब हर्षा के हाथ भी मेरी पीठ पर फिसलने लगे थे.
थोड़ी देर बाद उसके मुंह से धीमी धीमी किलकारियां निकलने लगीं. तब मैंने चुदाई की स्पीड थोड़ी तेज कर दी. और अपने लण्ड को पूरा बाहर तक खींच कर फिर से उसकी चूत में पूरी गहराई तक घुसा कर उसे चोदने लगा...
'हाँ, अंकल जी, ऐसे ही करो...थोडा और जल्दी जल्दी करो ना' हर्षा अपनी कमर उठाते हुए बोली.
'हाँ, ये लो मेरी जान...' मैंने कहा और फिर मैंने अपने स्पेशल शोट्स मारने शुरू कर दिए.
'अंकल जी, अब बहुत मजा दे रहे हो आप...हाँ '
'तो ये लो मेरी रानी ...और लूटो मजा...क्या मस्त जवानी है तेरी, हर्षा' मैंने कहा
'अंकल जी, ये हर्षा ठाकुर आपके लिए ही जवान हुयी है.....आप लूटो मेरी जवानी को, जी भर कर भोग लो मेरे शरीर को ... खेलो मेरे जिस्म से, रौंद डालो मेरी चूत को, फाड़ दो मेरी चूत आह.........जैसे आप चाहो वैसे खेलो मेरी अस्मत से...
जी भर के लूटो मेरी इज्जत को...अंकल कुचल के रख दो मेरी चूत को; बहुत सताती है ये चूत मुझे' हर्षा पूरी मस्ती में आके बोले जारही थी....
फिर मैं हर्षा के क्लायीटोरिस को अपनी झांटो से रगड़ रगड़ के उसकी चूत मारने लगा, उछल उछल कर उसकी चूत कुचलने लगा. (बनाने वाले ने भी क्या चीज बनाई है चूत भी...कितनी कोमल, कितनी नाजुक, कितनी लचीली, कितनी रसभरी लेकिन कितनी सहनशील...कठोर लण्ड का कठोर से कठोरतम प्रहार सहने में सक्षम...)
'आईई अंकल....उफ्फ्फ....हाँ ऐसे ही...' वो बोली और मेरे धक्कों से ताल में ताल मिलाती हुयी नीचे से अपनी कमर चलाते हुए टाप देने लगी
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चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में
भाभी, आज मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा, आज तो मैं तेरे सारे बदन पर रंग लगा कर रहूँगा . चाहे तू मुझसे नाराज़ हो जाये, चाहे मुझे डांटे, चाहे मुझे अपने घर से निकाल दे, लेकिन आज मैं तेरे ब्लाउज के अन्दर हाथ दाल कर तेरी मस्त मस्त और इन बड़ी बड़ी चूंचियों पर रंग जरुर लगाऊंगा . फिर पेटीकोट के अन्दर हाथ घुसेड कर तेरी चूत में रंग लगाऊंगा . आज मैंने ठान लिया है की भाभी की चूत और चूंचियां रंग कर ही आऊँगा .
भाभी ने कहा अच्छा तो तू बड़ा सयाना बनता है रे ? तूने ही अपनी माँ का दूध पिया है क्या ? अगर तू मेरी चूत में लगाएगा रंग तो मैं भी तेरे लण्ड को रंग दूँगी . तेरे पेल्हड़ रंग दूँगी . तेरी गांड में घुसेड दूँगी रंग . तुझे नंगा करके और तेरे सारे बदन पे रंग लगाकर ही भेजूंगी यहाँ से ? मैं तेरे इस मादर चोद लण्ड से डरती नहीं हूँ . मैं पहले भी कई लण्ड रंग चुकी हूँ .ऐसा रंग लगाऊंगी तेरे लण्ड में की तू महीनो अपना लण्ड ही धोता रहेगा .
मैंने मन में सोचा बड़ी जबरदस्त है मेरी भाभी इसे चोदने में तो वाकई बड़ा मज़ा आएगा .
बस मेरा मन गुनगुनाने लगा :-
चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में .
भाभी की बुर होली में, मेरा लौड़ा होली में .
लौड़ा चूसो होली में, चूत चुदाओ होली में.
चूंची मसलों होली में, लौडा पेलो होली में .
इतने में मैंने देखा की भाभी ने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया . अब घर में केवल मैं और भाभी . मेरी नीयत तो भाभी पर पहले ही खराब हो चुकी थी . मेरा लण्ड पैजामा के नीचे गुलाचे मार रहा था . मैंने कहा भाभी मैं तुम्हे एक कविता सुनाता हूँ . मैंने यही कविता भाभी को सुना दी तो वह बोली मैं इसमें कुछ और जोड़ देती हू
. चूंची चूसो होली में, लण्ड हिलाओ होली में
झांट बनाओ होली में, चूंची चोदो होली में
भाभी के मुह से यह सुन कर तो मेरा लण्ड आपे से बाहर हो गया . भाभी जैसे ही मेरे पास आयी मैं उसके चेहरे पर रंग लगाना चाहता था . मैंने हाथ बढाया तो उसने हाथ रोक लिया . मैंने कहा भाभी ये क्या ? बभी ने कहा अबे भोषड़ी के मादर चोद अगर मुझे मुह में रंग लगवाना होता तो मैं दरवाजा क्यों बंद करती ? मुझे अपनी चूत में रंग लगवाना है . अपनी चूंचियों में रंग लगवाना है . चल लगा पहले मेरी चूंचियों पर रंग . भाभी मेरे सामने खड़ी हो गयी . मेरा हाथ ही नहीं बढ़ रहा था . तब भाभी बोली अरे क्या हुआ रे क्या तेरी गांड फट रही है . चल खोल न मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरी ब्रा . फिर बाद में जो कुछ फाड़ना हो फाड़ते रहना . मैंने उसका ब्लाउज खोला . और फिर ब्रा खोल दी . उसकी नंगी चूंचियां दखी तो मेरे तन बदन में आग लग गयी . मैं पहली बार किसी औरत की नंगी चूंचियां देख रहा था .
मैंने हाथ बढाया और चूंचियां मसलने लगा . चूमने लगा चूसने लगा चूंचियां . मैं मस्त होने लगा . मैंने थोडा रंग लगाया और फिर खूब सहलाया चूंची . उसके बाद मैंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया . भाभी बिलकुल नंगी हो गयी . उसकी चूत बिना झांट की थी . मेरे तो होश उड़ गए . पहली बार बुर देख रहा था . मैंने हाथ लगाया तो भाभी ने कहा अरे साले पहले रंग लगा .
आज रंग दो मेरी बुर चोदी बुर को .
मैं जब रंग लगाने लगा तो भाभी बोली अबे साले चूत में रंग अपना लौडा खोल कर लगाया जाता है . बस भाभी ने मेरी कमीज फाड़ डाली और मेरा पैजामा खोल दिया . मैं बिलकुल नंगा हो गया . मेरा लण्ड पकड़ लिया भाभी ने . लण्ड साला बढ़ने लगा . जब खूब टन्ना गया तो भाभी बोली हाय दईया कितना बड़ा है तेरा लण्ड ? ये तो भोषड़ी चोदने वाला हो गया है . मोटा भी है रे . इसका सुपाडा एकदम मुर्गी का अंडा लगता है . भाभी ने जैसे ही लण्ड चूमा तो मेरा बदन जलने लगा . उसने मुझे सोफा पर बैठा दिया और नीचे बैठ कर मेरा लण्ड मुह में ले लिया . मेरा लण्ड चूसने लगी भाभी .
दोस्तों, ये है मेरी नेहा भाभी औरमैं हूँ इसका देवर राकी . नेहा भाभी मेरी सगी भाभी नहीं है लेकिन सगी से भी बढ़कर है . मेरे मोहल्ले में रहती है . मुझसे उम्र में २ साल बड़ी है . मैं इनके घर बहुत दिनों से आता जाता था . मैं काफी घुलमिल गया था नेहा भाभी से . उसका सारा काम कर देता था . भाभी किसी भी काम के लिए केवल मुझे ही याद करती थी . हमारी नजदीकियां बढाती गयी . मैं उसकी ओर खिंचता चला गया . मैं जवान हो गया तो भाभी को मन ही मन प्यार करने लगा . चाहने लगा भाभी को . मुझे उसकी उभरी हुई चूंचियां और उभरी हुई गांड बड़ी अच्छी लगती थी . उससे भी ज्यादा अच्छी लगती थी उसकी प्यारी प्यारी बातें . धीरे धीरे भाभी मजाक करने लगी . मैं भी उसी लहजे में जबाब देने लगा . सही बात तो यह है की मेरा लण्ड भाभी के नाम से खड़ा होने लगा . मेरी इच्छा होने लगी की भाभी किसी दिन मेरा लण्ड पकड़ें ? मैं उसकी चूंचियां पकडूँ . लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई . मैं भाभी के नाम का सड़का मारने लगा . उसका नाम ले ले कर मुठ्ठ मारने लगा . मुझे मज़ा आता था . मैं भाभी की चूंचियां देखना चाहता था . भाभी की मैं बुर देखने के लिए मैं तड़प रहा था . मैं भाभी को चोदना चाहता था .
एक दिन किसी काम से भाभी मेरे कमरे पर आ गयी . मैं अकेले ही रहता था . मैंने अपना लैपटाप खोल रखा था . मैं एम् टी वी का वीडियो देख रहा था और उसकी गालियाँ सुन रहा था . मुझे मज़ा आ रहा था . आवाज़ पूरी खोल रखी थी . मैं काम भी करता जा रहा था और गालियाँ भी सुनता जा रहा था . भूल से दरवाजे की सिटकनी खुली रह गयी . अचानक भाभी आ गयी . मैं उस समय बाथ रूम में था . भाभी भी मजे से गालियाँ सुनने लगी . मैं जब बाहर आया तो भाभी को देख कर अवाक रह गया . लैपटाप बंद कर दिया .
मैंने कहा भाभी, आप ? इस समय ? मुझे बुला लिया होता ?
भाभी बोली :- अगर बुला लिया होता तो ये गालियाँ कहाँ सुनने को मिलती ? खोलो खोलो इसे मैं गालियाँ और सुनना चाहती हूँ .
मैंने कहा :- भाभी मुझे क्यों शर्मिंदा कर रही है आप ?
भाभी बोली :- जल्दी खोलो नहीं तो मैं तेरी गांड मारूँगी .
मैंने कहा :- सॉरी भाभी अब आगे से ऐसा नहीं होगा ?
भाभी बोली :- अरे तेरी गांड क्यों फट रही है . अब तू खोल दे नहीं तो मैं भी उसी की तरह तेरी माँ चोदूंगी . भाभी ने यह बात बड़ी सेक्सी अंदाज़ में और आँख मार कर कहा . मेरा लण्ड टन्ना गया . मैंने दरवाजा बंद किया और आवाज़ खोल दी . भाभी ने सारी गालियाँ सुनी और बोली राकी आज से तुम मुझसे गालियों में ही बात करोगे . मैं गालियों में जबाब दिया करूंगी . बड़ा मज़ा आएगा यार ?
यह कह कर भाभी चली गयी . लेकिन मेरा लण्ड खड़ा था और खड़ा ही रह गया .
दो दिन बाद मैं भाभी के घर गया .
भाभी बोली :- आओ भोषड़ी के राकी, कहाँ से गांड मरा के आ रहे हो ?
मैंने कहा :- नहीं भाभी मैं सीधे घर से ही आरह हूँ .
भाभी बोली :- मैंने कुछ सुना नहीं ? पहले गाली दो फिर बात कहो . नहीं तो तेरी मेरी खुट्टी ?
मैंने कहा :- अरे मेरी बुर चोदी भाभी, मैं तो खुद ही किसी की गांड मारने गया था लेकिन उसने उलटे मेरी गांड मार दी .
भाभी बोली :- अबे साले गांडू, तू पहले मुझसे गांड मारना सीख ले . बुर चोदना सीख ले नहीं तो बिना बुर चोदे ही रह जायेगा ज़िन्दगी भर .
मैंने कहा :- भाभी मैं तेरी बुर से ही बुर चोदना सीखूंगा .
भाभी बोली :- अबे माँ के लौड़े, पहले अपना लण्ड तो बुर चोदना वाला बना . मैं बड़े बड़े लण्ड से चुदवाती हूँ किसी छोटे लण्ड से नहीं ?
भाभी ने ऐसा कह कर मेरे सामने अपनी चूंचियां तान कर खड़ी हो गयी . मैंने उसकी चूंचियों पर हाथ रख दिया . सहलाने लगा चूंचियां . भाभी ने मेरे लण्ड पर हाथ मारा . ऊपर से लण्ड दबा कर कहा अरे यार तेरा लौडा तो खड़ा है . इसको बाहर निकालो मैं अभी देखूँगी तेरा लण्ड ? मैं पैंट खोलने ही वाला था की भाभी के मोबाईल की घंटी बज गयी . वह फोन पर बातें करने लगी . कुछ गंभीर मसला था . भाभी ने कहा राकी तुम शाम को आना .मैं अपना मन मसोस कर चला गया . दूसरे दिन अचानक मुझे नौकरी के लिए बहार जाना पड़ा . मैं भाभी से बगैर मिले चला गया और बाद में भाभी को टेलीफोन से बताया . भाभी ने कहा :- राकी तुम्हारे जाने से मुझे बहुत तकलीफ हो गयी है . अब तुम जल्दी ही वापस आ जाओ . मैं तो तेरा लण्ड भी नहीं देख सकी . उस दिन मैं बड़े मूड में थी . मैं तो चूत खोल कर चुदाने वाली थी लेकिन क्या करती मादर चोद फोन आ गया . और मैं उसी में उलझ गयी
.ख़ुशी की बात यह रही की एक साल बाद मेरा ट्रांसफर वापस यही हो गया . मैंने भाभी को बताया तो वह बहुत खुश हो गयी . हम दोनों और नजदीक आ गए . एक हफ्ते बाद होली आ गयी और मैं भाभी के साथ होली खेलने उसके घर आ गया .
तो दोस्तों, मैं सोफा पर बैठे हुए अपना लण्ड भाभी को चूसा रहा था . भाभी की मस्ती बढती जा रही थी . वह मुझे बेड पर ले गयी . मुझे चित लिटा दिया और मेरे मुह पर अपनी चूत रख कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी . खुद झुक कर मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं भी इधर उसकी चूत चाटने लगा . मेरा यह पहला मौका था बुर चाटने का . भाभी तो मेरे लण्ड की निकलती हुई लार बार बार चाट लेती थी .मैं फिर घूम गया और भाभी के ऊपर हो गया . मैंने दोनों हाथों से उसकी टाँगे फैलाई और चूत में मुह घुसेड दिया . उसे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था . इधर मैंने लण्ड पूरा का पूरा उसके मुह में डाल दिया था . मैं धीरे धीरे उसका मुह ही चोदने लगा .
थोड़ी देर में भाभी उठ बैठी और मुझे खड़ा कर दिया . खुद नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी . पेल्हड़ चाटने लगी . जब भाभी एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर लण्ड चूस रही थी तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा . मैंने कहा भाभी अब मैं झड जाऊंगा . भाभी लण्ड मुह से निकाल लो . नहीं तो मैं मुह में ही झड जाऊंगा . भाभी ने इशारा किया झड जाओ कोई बात नहीं . तेरा लण्ड बड़ा मस्त हो गया है . मैं लण्ड पीना नहीं छोडूंगी . थोड़ी देर में मैंने कहा भाभी प्लीज मेरा मुठ्ठ मार दो . तब भाभी ने लण्ड मुह से निकाला और मुठ्ठी से पकड़ कर लगाने लगी दनादन्न सड़का . वह जिस तरह से मुठ्ठ मार रही थी उससे लग रहा था की भाभी कई लण्ड का मुठ्ठ मार चुकी है . मैंने कहा हां भाभी जल्दी जल्दी मारो, और तेज और तेज हां भाभी तेरे हाथ में लण्ड बड़ा मज़ा कर रहा है . ऊई , ओ' ओहो, आ, ऊ , हूँ, आ, आहा ओ हो, उई लो भाभी मैं झड गया . भाभी जबान निकाल कर मेरा लण्ड चाटने लगी
.मैंने कहा लो भाभी, मैं तेरी बुर अभी चोद नहीं पाया ? भाभी बोली ऐसा पहली बार होता ही है . बुर तो दूसरी बार ही लण्ड खड़ा करके चोदी जाती है पगले ? अब नंबर आएगा बुर चोदने का ?
उस दिन मैंने तीन बार चोदा भाभी को . मैंने कहा हां अब आया है मज़ा होली का . होली में लण्ड और चूत दोनों बड़ी मस्ती में होते है .होली में बुर सबको अच्छी लगती है . .
यह सही बात है--
भाभी, आज मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा, आज तो मैं तेरे सारे बदन पर रंग लगा कर रहूँगा . चाहे तू मुझसे नाराज़ हो जाये, चाहे मुझे डांटे, चाहे मुझे अपने घर से निकाल दे, लेकिन आज मैं तेरे ब्लाउज के अन्दर हाथ दाल कर तेरी मस्त मस्त और इन बड़ी बड़ी चूंचियों पर रंग जरुर लगाऊंगा . फिर पेटीकोट के अन्दर हाथ घुसेड कर तेरी चूत में रंग लगाऊंगा . आज मैंने ठान लिया है की भाभी की चूत और चूंचियां रंग कर ही आऊँगा .
भाभी ने कहा अच्छा तो तू बड़ा सयाना बनता है रे ? तूने ही अपनी माँ का दूध पिया है क्या ? अगर तू मेरी चूत में लगाएगा रंग तो मैं भी तेरे लण्ड को रंग दूँगी . तेरे पेल्हड़ रंग दूँगी . तेरी गांड में घुसेड दूँगी रंग . तुझे नंगा करके और तेरे सारे बदन पे रंग लगाकर ही भेजूंगी यहाँ से ? मैं तेरे इस मादर चोद लण्ड से डरती नहीं हूँ . मैं पहले भी कई लण्ड रंग चुकी हूँ .ऐसा रंग लगाऊंगी तेरे लण्ड में की तू महीनो अपना लण्ड ही धोता रहेगा .
मैंने मन में सोचा बड़ी जबरदस्त है मेरी भाभी इसे चोदने में तो वाकई बड़ा मज़ा आएगा .
बस मेरा मन गुनगुनाने लगा :-
चुदो चुदाओ होली में - गांड मराओ होली में .
भाभी की बुर होली में, मेरा लौड़ा होली में .
लौड़ा चूसो होली में, चूत चुदाओ होली में.
चूंची मसलों होली में, लौडा पेलो होली में .
इतने में मैंने देखा की भाभी ने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया . अब घर में केवल मैं और भाभी . मेरी नीयत तो भाभी पर पहले ही खराब हो चुकी थी . मेरा लण्ड पैजामा के नीचे गुलाचे मार रहा था . मैंने कहा भाभी मैं तुम्हे एक कविता सुनाता हूँ . मैंने यही कविता भाभी को सुना दी तो वह बोली मैं इसमें कुछ और जोड़ देती हू
. चूंची चूसो होली में, लण्ड हिलाओ होली में
झांट बनाओ होली में, चूंची चोदो होली में
भाभी के मुह से यह सुन कर तो मेरा लण्ड आपे से बाहर हो गया . भाभी जैसे ही मेरे पास आयी मैं उसके चेहरे पर रंग लगाना चाहता था . मैंने हाथ बढाया तो उसने हाथ रोक लिया . मैंने कहा भाभी ये क्या ? बभी ने कहा अबे भोषड़ी के मादर चोद अगर मुझे मुह में रंग लगवाना होता तो मैं दरवाजा क्यों बंद करती ? मुझे अपनी चूत में रंग लगवाना है . अपनी चूंचियों में रंग लगवाना है . चल लगा पहले मेरी चूंचियों पर रंग . भाभी मेरे सामने खड़ी हो गयी . मेरा हाथ ही नहीं बढ़ रहा था . तब भाभी बोली अरे क्या हुआ रे क्या तेरी गांड फट रही है . चल खोल न मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरा ब्लाउज . फाड़ दे मेरी ब्रा . फिर बाद में जो कुछ फाड़ना हो फाड़ते रहना . मैंने उसका ब्लाउज खोला . और फिर ब्रा खोल दी . उसकी नंगी चूंचियां दखी तो मेरे तन बदन में आग लग गयी . मैं पहली बार किसी औरत की नंगी चूंचियां देख रहा था .
मैंने हाथ बढाया और चूंचियां मसलने लगा . चूमने लगा चूसने लगा चूंचियां . मैं मस्त होने लगा . मैंने थोडा रंग लगाया और फिर खूब सहलाया चूंची . उसके बाद मैंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया . भाभी बिलकुल नंगी हो गयी . उसकी चूत बिना झांट की थी . मेरे तो होश उड़ गए . पहली बार बुर देख रहा था . मैंने हाथ लगाया तो भाभी ने कहा अरे साले पहले रंग लगा .
आज रंग दो मेरी बुर चोदी बुर को .
मैं जब रंग लगाने लगा तो भाभी बोली अबे साले चूत में रंग अपना लौडा खोल कर लगाया जाता है . बस भाभी ने मेरी कमीज फाड़ डाली और मेरा पैजामा खोल दिया . मैं बिलकुल नंगा हो गया . मेरा लण्ड पकड़ लिया भाभी ने . लण्ड साला बढ़ने लगा . जब खूब टन्ना गया तो भाभी बोली हाय दईया कितना बड़ा है तेरा लण्ड ? ये तो भोषड़ी चोदने वाला हो गया है . मोटा भी है रे . इसका सुपाडा एकदम मुर्गी का अंडा लगता है . भाभी ने जैसे ही लण्ड चूमा तो मेरा बदन जलने लगा . उसने मुझे सोफा पर बैठा दिया और नीचे बैठ कर मेरा लण्ड मुह में ले लिया . मेरा लण्ड चूसने लगी भाभी .
दोस्तों, ये है मेरी नेहा भाभी औरमैं हूँ इसका देवर राकी . नेहा भाभी मेरी सगी भाभी नहीं है लेकिन सगी से भी बढ़कर है . मेरे मोहल्ले में रहती है . मुझसे उम्र में २ साल बड़ी है . मैं इनके घर बहुत दिनों से आता जाता था . मैं काफी घुलमिल गया था नेहा भाभी से . उसका सारा काम कर देता था . भाभी किसी भी काम के लिए केवल मुझे ही याद करती थी . हमारी नजदीकियां बढाती गयी . मैं उसकी ओर खिंचता चला गया . मैं जवान हो गया तो भाभी को मन ही मन प्यार करने लगा . चाहने लगा भाभी को . मुझे उसकी उभरी हुई चूंचियां और उभरी हुई गांड बड़ी अच्छी लगती थी . उससे भी ज्यादा अच्छी लगती थी उसकी प्यारी प्यारी बातें . धीरे धीरे भाभी मजाक करने लगी . मैं भी उसी लहजे में जबाब देने लगा . सही बात तो यह है की मेरा लण्ड भाभी के नाम से खड़ा होने लगा . मेरी इच्छा होने लगी की भाभी किसी दिन मेरा लण्ड पकड़ें ? मैं उसकी चूंचियां पकडूँ . लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई . मैं भाभी के नाम का सड़का मारने लगा . उसका नाम ले ले कर मुठ्ठ मारने लगा . मुझे मज़ा आता था . मैं भाभी की चूंचियां देखना चाहता था . भाभी की मैं बुर देखने के लिए मैं तड़प रहा था . मैं भाभी को चोदना चाहता था .
एक दिन किसी काम से भाभी मेरे कमरे पर आ गयी . मैं अकेले ही रहता था . मैंने अपना लैपटाप खोल रखा था . मैं एम् टी वी का वीडियो देख रहा था और उसकी गालियाँ सुन रहा था . मुझे मज़ा आ रहा था . आवाज़ पूरी खोल रखी थी . मैं काम भी करता जा रहा था और गालियाँ भी सुनता जा रहा था . भूल से दरवाजे की सिटकनी खुली रह गयी . अचानक भाभी आ गयी . मैं उस समय बाथ रूम में था . भाभी भी मजे से गालियाँ सुनने लगी . मैं जब बाहर आया तो भाभी को देख कर अवाक रह गया . लैपटाप बंद कर दिया .
मैंने कहा भाभी, आप ? इस समय ? मुझे बुला लिया होता ?
भाभी बोली :- अगर बुला लिया होता तो ये गालियाँ कहाँ सुनने को मिलती ? खोलो खोलो इसे मैं गालियाँ और सुनना चाहती हूँ .
मैंने कहा :- भाभी मुझे क्यों शर्मिंदा कर रही है आप ?
भाभी बोली :- जल्दी खोलो नहीं तो मैं तेरी गांड मारूँगी .
मैंने कहा :- सॉरी भाभी अब आगे से ऐसा नहीं होगा ?
भाभी बोली :- अरे तेरी गांड क्यों फट रही है . अब तू खोल दे नहीं तो मैं भी उसी की तरह तेरी माँ चोदूंगी . भाभी ने यह बात बड़ी सेक्सी अंदाज़ में और आँख मार कर कहा . मेरा लण्ड टन्ना गया . मैंने दरवाजा बंद किया और आवाज़ खोल दी . भाभी ने सारी गालियाँ सुनी और बोली राकी आज से तुम मुझसे गालियों में ही बात करोगे . मैं गालियों में जबाब दिया करूंगी . बड़ा मज़ा आएगा यार ?
यह कह कर भाभी चली गयी . लेकिन मेरा लण्ड खड़ा था और खड़ा ही रह गया .
दो दिन बाद मैं भाभी के घर गया .
भाभी बोली :- आओ भोषड़ी के राकी, कहाँ से गांड मरा के आ रहे हो ?
मैंने कहा :- नहीं भाभी मैं सीधे घर से ही आरह हूँ .
भाभी बोली :- मैंने कुछ सुना नहीं ? पहले गाली दो फिर बात कहो . नहीं तो तेरी मेरी खुट्टी ?
मैंने कहा :- अरे मेरी बुर चोदी भाभी, मैं तो खुद ही किसी की गांड मारने गया था लेकिन उसने उलटे मेरी गांड मार दी .
भाभी बोली :- अबे साले गांडू, तू पहले मुझसे गांड मारना सीख ले . बुर चोदना सीख ले नहीं तो बिना बुर चोदे ही रह जायेगा ज़िन्दगी भर .
मैंने कहा :- भाभी मैं तेरी बुर से ही बुर चोदना सीखूंगा .
भाभी बोली :- अबे माँ के लौड़े, पहले अपना लण्ड तो बुर चोदना वाला बना . मैं बड़े बड़े लण्ड से चुदवाती हूँ किसी छोटे लण्ड से नहीं ?
भाभी ने ऐसा कह कर मेरे सामने अपनी चूंचियां तान कर खड़ी हो गयी . मैंने उसकी चूंचियों पर हाथ रख दिया . सहलाने लगा चूंचियां . भाभी ने मेरे लण्ड पर हाथ मारा . ऊपर से लण्ड दबा कर कहा अरे यार तेरा लौडा तो खड़ा है . इसको बाहर निकालो मैं अभी देखूँगी तेरा लण्ड ? मैं पैंट खोलने ही वाला था की भाभी के मोबाईल की घंटी बज गयी . वह फोन पर बातें करने लगी . कुछ गंभीर मसला था . भाभी ने कहा राकी तुम शाम को आना .मैं अपना मन मसोस कर चला गया . दूसरे दिन अचानक मुझे नौकरी के लिए बहार जाना पड़ा . मैं भाभी से बगैर मिले चला गया और बाद में भाभी को टेलीफोन से बताया . भाभी ने कहा :- राकी तुम्हारे जाने से मुझे बहुत तकलीफ हो गयी है . अब तुम जल्दी ही वापस आ जाओ . मैं तो तेरा लण्ड भी नहीं देख सकी . उस दिन मैं बड़े मूड में थी . मैं तो चूत खोल कर चुदाने वाली थी लेकिन क्या करती मादर चोद फोन आ गया . और मैं उसी में उलझ गयी
.ख़ुशी की बात यह रही की एक साल बाद मेरा ट्रांसफर वापस यही हो गया . मैंने भाभी को बताया तो वह बहुत खुश हो गयी . हम दोनों और नजदीक आ गए . एक हफ्ते बाद होली आ गयी और मैं भाभी के साथ होली खेलने उसके घर आ गया .
तो दोस्तों, मैं सोफा पर बैठे हुए अपना लण्ड भाभी को चूसा रहा था . भाभी की मस्ती बढती जा रही थी . वह मुझे बेड पर ले गयी . मुझे चित लिटा दिया और मेरे मुह पर अपनी चूत रख कर मेरे ऊपर चढ़ बैठी . खुद झुक कर मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं भी इधर उसकी चूत चाटने लगा . मेरा यह पहला मौका था बुर चाटने का . भाभी तो मेरे लण्ड की निकलती हुई लार बार बार चाट लेती थी .मैं फिर घूम गया और भाभी के ऊपर हो गया . मैंने दोनों हाथों से उसकी टाँगे फैलाई और चूत में मुह घुसेड दिया . उसे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था . इधर मैंने लण्ड पूरा का पूरा उसके मुह में डाल दिया था . मैं धीरे धीरे उसका मुह ही चोदने लगा .
थोड़ी देर में भाभी उठ बैठी और मुझे खड़ा कर दिया . खुद नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरा लण्ड चूसने लगी . पेल्हड़ चाटने लगी . जब भाभी एक हाथ से पेल्हड़ थाम कर लण्ड चूस रही थी तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा . मैंने कहा भाभी अब मैं झड जाऊंगा . भाभी लण्ड मुह से निकाल लो . नहीं तो मैं मुह में ही झड जाऊंगा . भाभी ने इशारा किया झड जाओ कोई बात नहीं . तेरा लण्ड बड़ा मस्त हो गया है . मैं लण्ड पीना नहीं छोडूंगी . थोड़ी देर में मैंने कहा भाभी प्लीज मेरा मुठ्ठ मार दो . तब भाभी ने लण्ड मुह से निकाला और मुठ्ठी से पकड़ कर लगाने लगी दनादन्न सड़का . वह जिस तरह से मुठ्ठ मार रही थी उससे लग रहा था की भाभी कई लण्ड का मुठ्ठ मार चुकी है . मैंने कहा हां भाभी जल्दी जल्दी मारो, और तेज और तेज हां भाभी तेरे हाथ में लण्ड बड़ा मज़ा कर रहा है . ऊई , ओ' ओहो, आ, ऊ , हूँ, आ, आहा ओ हो, उई लो भाभी मैं झड गया . भाभी जबान निकाल कर मेरा लण्ड चाटने लगी
.मैंने कहा लो भाभी, मैं तेरी बुर अभी चोद नहीं पाया ? भाभी बोली ऐसा पहली बार होता ही है . बुर तो दूसरी बार ही लण्ड खड़ा करके चोदी जाती है पगले ? अब नंबर आएगा बुर चोदने का ?
उस दिन मैंने तीन बार चोदा भाभी को . मैंने कहा हां अब आया है मज़ा होली का . होली में लण्ड और चूत दोनों बड़ी मस्ती में होते है .होली में बुर सबको अच्छी लगती है . .
यह सही बात है--
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
होली में जम कर
प्रेषक : नैनसी
हाय रीडर्स. में आप के लिये एक और कहानी लेकर आई हूँ मुझे आशा है की ये आप को बहुत पसन्द आयेगी ससुराल मे यह मेरी पहली होली थी. शादी को 8 महीने हो चुके थे. होली वाले दिन सुबह से ही में बेकरार थी. दरअसल आज अपनी माँ के घर पर जाने का मौका जो मिल रहा था. ऊपर से में होली भी बड़ी धूमधाम से मनाती हूँ. सुबह करीब 10.30 बजे में और मेरा पति हमारे घर पहुँचे. हमारे घर पर सब लोग बड़ी बेसब्री से हमारा इन्तजार कर रहे थे. वहा पहुँचने पर हमारा जोरदार स्वागत हुआ. मेरी बहनों और मेरी सहेलियो ने हम दोनो को रंगो से बुरी तरह रंग दिया. में पूरी तरह से रंग में हो गयी थी.
मैने उस वक़्त एक सफेद टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. टी-शर्ट भीग कर मेरे कपड़ो से चिपक गयी थी और मेंरी ब्रा चमकने लगी थी. मेरी माँ ने मुझे इशारा किया और ऊपर के कमरे में जा कर कपड़े बदलने को कहा. में ऊपर छत पर चली गयी और दरवाजा बंद करके कमरे की लाइट चालू करके जैसे ही मैने अपनी टी-शर्ट उतार कर फैंकी, दीवार के पीछे से कोई निकल कर मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया. ये रोहित था. उसे देख कर मेरे होश उड़ गये पर फिर खुद को संभाल कर पास पड़ी चादर से अपनी ब्रा को ढकते हुये मैने उससे कहा, “तू यहा क्या कर रहा है?”
कुछ नही मेरी जान. तुझे मिलने को आया हूँ. और क्या तू ये चादर से खुद को ढक रही है. ज़रा मुझे भी तो देख लेने दे अपनी ये कातिल जवानी.” उसने जवाब दिया.
“तू जाता है यहा से या में माँ को बुलाऊँ.” मैने कहा.
“हाये हाये… कैसे नखरे कर रही है. वो दिन भूल गयी, जब हर दुसरे दिन खुद ही मेरे सामने नंगी हो जाया करती थी.” उसने बड़ी बेशर्मी से कहा.
में कुछ बोलती इससे पहले वो मेरे पास आ गया और मेरे कंधे पर पड़ी चादर उठा कर एक तरफ फैंक दी. फिर बोला, “देख नैनसी, एक बार तुझे नंगी देख लू तो चला जाऊंगा. और तुझे वादा है की तुझे टच भी नही करूँगा.”
में फँस गयी थी. दरअसल रोहित मेरा कजन था और शादी से पहले का यार भी था और में करीब साल भर तक उसके साथ सेक्स का खेल खेलती रही थी. उसने ही मुझे जवानी का असली मज़ा लेना सिखाया था. पर अब में एक शादीशुदा औरत थी. किसी और की बीवी थी.
में थोड़ी देर तक चुपचाप खड़ी सोचती रही और फिर उससे बोली, “देख रोहित, तू सिर्फ़ देखेगा. करेगा कुछ नही.”
“तेरी कसम नैनसी…” वो बोला.
में उसकी तरफ घूमी और अपनी जीन्स खोल कर एक तरफ डाल दी. अब में सिर्फ़ ब्रा और पेन्टी में उसके सामने थी. काले रंग की मेंचिंग ब्रा और पेन्टी मेरे गोरे बदन पर क़यामत ढा रही थी. मेरी ब्रा मेरे साइज़ से छोटी थी और मेरे बूब्स उसमे समा ही नही रहे थे और मानो बाहर आने को बेताब थे. ऊपर से ब्रा के नेट के कपड़े में से मेरे हल्के भूरे निपल्स भी झाँक रहे थे.
फिर मैने अपनी पेन्टी भी उतार कर एक तरफ रख दी. उसके बाद जब मैने अपनी ब्रा उतारी तो मेरे दोनो भारी भारी बूब्स बाहर उछल पड़े. उनकी थिरकन देख कर वो मदहोश हो गया. उसने मुझे इशारा किया. मैने अपनी ब्रा उसकी तरफ उछाल दी.
उसने मेरी ब्रा लपक ली और उसे सूंघ कर बोला, “क्या बात है साली, तेरे बूब्स तो काफ़ी बड़े और भारी हो गये हैं. लगता है तेरा पति जी भर कर मसलता है इनको.”
फिर अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला, “नैनसी मेरी जान, मुझ से रहा नही जा रहा. एक बार अपनी जवानी का रस मुझे पीला दे.”
मैने कहा, “देख रोहित, तुने वादा किया था की तू सिर्फ़ देखेगा. कुछ करेगा नही.”
“कुतिया ऐसे वादे तो में पहले भी करता था और उसके बावजुद तू खुद आ कर मेरे नीचे पड़ती थी.”
“तब की बात और थी रोहित. तब में कुंवारी थी पर अब एक शादीशुदा औरत हूँ. प्लीज़ तू जा यहाँ से.”
“नैनसी, ये तो और भी अच्छा है की तू अब शादीशुदा है. अब तो तेरे पास लाइसेन्स है खुल कर ये खेल खेलने का.” इतना कह कर वो मेरे पास आ गया. में पलटी तो उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी और खींच लिया. मेरी पीठ उसकी तरफ थी और उसने तुरन्त ही मेरे दोनो बूब्स पकड़ लिये. वही उसका खड़ा लंड में अपनी गांड की दीवार में रगड़ ख़ाता महसूस कर सकती थी.
में खुद को उससे छुडवाने की कोशिश करने लगी पर उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी. वो बुरी तरह मेरे बूब्स को मसल रहा था और कह रहा था, “साली रांड़, शादी के बाद मस्त हो गयी है. बूब्स का साइज़ भी बड़ गया है और तेरी गांड भी गोल सी हो गयी है. बहनचोद किसी ब्लू फिल्म की रांड़ जैसी लग रही है. आज तो तुझे चोद के ही रहूगां.
वो ठीक ही कह रहा था. असल में में हो भी कुछ कुछ वेसी ही हो गयी थी. थी तो में शादी से पहले भी सेक्सी पर शादी के बाद तो में और ज़्यादा मस्त हो गयी थी. हालाँकि मेरा पति चुदाई में कोई खास एक्सपर्ट नही था और 10 मिनिट में मुश्किल से मुझे 1-2 बार ही ठंडी कर पाता था पर वो दिन रात मेरे बदन से खेलता था. तो मेरे 32 साइज़ के बूब्स अब 34 के हो गये थे. मेरा शरीर भी भर गया था और मेरे अंग अंग पर निखार सा आ गया था.
जिस तरह से रोहित मेरे बूब्स मसल रहा था और उनके निपल्स से खेल रहा था में गर्म सी होने लगी थी. उपर से उसकी पेन्ट मे कसा लंड मेरी गांड के छेद मे रगड़ ख़ाता बड़ा लंड मुझे और मदहोश कर रहा था. मेरे बूब्स टाइट हो गये थे और उनके निपल्स भी तन गये थे. मेरे मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी थी और अब मैने उसे अपने से दूर करने की कोशिश करनी बंद कर दी थी, बल्कि मैने अपने हाथ उसके हाथो पर रख दिये थे और अपनी गांड पीछे को निकाल कर उसका लंड अच्छे से महसूस करने लगी थी.
जब में पूरी तरह से गर्म हो गयी तो मै पलटी और उसकी तरफ मुँह करके खड़ी हो गयी. अचानक ही उसके बालो मे हाथ फँसा दिया और उसे किस करने लगी. उसने भी मेरे बाल पकड़ लिये और बस फिर हम एक दूसरे की जीभ चुस रहे थे. वही मैने एक हाथ से पेन्ट के उपर से उसका खड़ा लंड पकड़ा हुआ था और उसे सहला रही थी.
रोहित से में शादी से पहले भी कई बार चुद चुकी थी और मुझे मालूम था की वो चुदाई मे एक्सपर्ट था. ऊपर से उसका लंड भी मेरे पति के लंड से करीब 1.5 गुना बड़ा था. थोड़ी देर बाद हम अलग हुये और में उसके सामने घुटनो पर बैठ गयी. उसकी पेन्ट की चैन खोल कर उसका बड़ा लंड बाहर निकाला और उसे चाट कर बोली, “रोहित, बड़े दिन हो गये है लंड लिये हुये.”
“क्यो तेरा पति तुझे चोदता नही है क्या.” उसने पूछा.
“ऐसी बात नही है पर तेरे लंड के हिसाब से देखे तो उसके पास लुल्ली है. और वो सिर्फ़ चूत मारने का शौकीन है जब की तुझे तो पता है की में तो अपने बूब्स चुदवाती हूँ चूत और गांड में भी लंड लेती हूँ और लंड की मलाई की तो में दीवानी हूँ. तो तू बता मुझे मज़ा कैसे आता होगा पर साले से कह भी तो नही सकती.” इतना कह कर मैने उसका लंड मुँह मे भर लिया और अभी उसे चुसना शुरू किया ही था की दरवाजे पर किसी ने लॉक किया. में तुरन्त सीधी हो गयी और रोहित को अलमारी के पीछे छुपा दिया.
फिर अन्दर से ही अवाज़ लगाई, “कौन है.”
“अरे नैनसी में हूँ.” ये मेरे पति की अवाज़ थी.
“जी में कपड़े बदल रही हूँ.” मैने कहा.
“तो क्या हुआ. दरवाजा खोल और मुझे अन्दर आने दे. मेरे सामने कपड़े बदल लेना.” उसने कहा.
मैने धीरे से दरवाजा खोला तो वो अन्दर आ गया. में नंगी ही उसके सामने खड़ी थी. वो मुझे देख कर बोला, “नैनसी मेरा बड़ा दिल कर रहा है तेरी चूत मारने का.”
“दिल तो मेरा भी कर रहा है चुदाई करवाने का पर क्या करूं. सब लोग है घर पर.” मैने जवाब दिया.
उसने मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे बूब्स मसलते हुये बोला, “पाँच मिनिट ही तो लगेंगे. मार लेने दे ना मुझे एक बार अपनी चूत.”
प्रेषक : नैनसी
हाय रीडर्स. में आप के लिये एक और कहानी लेकर आई हूँ मुझे आशा है की ये आप को बहुत पसन्द आयेगी ससुराल मे यह मेरी पहली होली थी. शादी को 8 महीने हो चुके थे. होली वाले दिन सुबह से ही में बेकरार थी. दरअसल आज अपनी माँ के घर पर जाने का मौका जो मिल रहा था. ऊपर से में होली भी बड़ी धूमधाम से मनाती हूँ. सुबह करीब 10.30 बजे में और मेरा पति हमारे घर पहुँचे. हमारे घर पर सब लोग बड़ी बेसब्री से हमारा इन्तजार कर रहे थे. वहा पहुँचने पर हमारा जोरदार स्वागत हुआ. मेरी बहनों और मेरी सहेलियो ने हम दोनो को रंगो से बुरी तरह रंग दिया. में पूरी तरह से रंग में हो गयी थी.
मैने उस वक़्त एक सफेद टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी. टी-शर्ट भीग कर मेरे कपड़ो से चिपक गयी थी और मेंरी ब्रा चमकने लगी थी. मेरी माँ ने मुझे इशारा किया और ऊपर के कमरे में जा कर कपड़े बदलने को कहा. में ऊपर छत पर चली गयी और दरवाजा बंद करके कमरे की लाइट चालू करके जैसे ही मैने अपनी टी-शर्ट उतार कर फैंकी, दीवार के पीछे से कोई निकल कर मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया. ये रोहित था. उसे देख कर मेरे होश उड़ गये पर फिर खुद को संभाल कर पास पड़ी चादर से अपनी ब्रा को ढकते हुये मैने उससे कहा, “तू यहा क्या कर रहा है?”
कुछ नही मेरी जान. तुझे मिलने को आया हूँ. और क्या तू ये चादर से खुद को ढक रही है. ज़रा मुझे भी तो देख लेने दे अपनी ये कातिल जवानी.” उसने जवाब दिया.
“तू जाता है यहा से या में माँ को बुलाऊँ.” मैने कहा.
“हाये हाये… कैसे नखरे कर रही है. वो दिन भूल गयी, जब हर दुसरे दिन खुद ही मेरे सामने नंगी हो जाया करती थी.” उसने बड़ी बेशर्मी से कहा.
में कुछ बोलती इससे पहले वो मेरे पास आ गया और मेरे कंधे पर पड़ी चादर उठा कर एक तरफ फैंक दी. फिर बोला, “देख नैनसी, एक बार तुझे नंगी देख लू तो चला जाऊंगा. और तुझे वादा है की तुझे टच भी नही करूँगा.”
में फँस गयी थी. दरअसल रोहित मेरा कजन था और शादी से पहले का यार भी था और में करीब साल भर तक उसके साथ सेक्स का खेल खेलती रही थी. उसने ही मुझे जवानी का असली मज़ा लेना सिखाया था. पर अब में एक शादीशुदा औरत थी. किसी और की बीवी थी.
में थोड़ी देर तक चुपचाप खड़ी सोचती रही और फिर उससे बोली, “देख रोहित, तू सिर्फ़ देखेगा. करेगा कुछ नही.”
“तेरी कसम नैनसी…” वो बोला.
में उसकी तरफ घूमी और अपनी जीन्स खोल कर एक तरफ डाल दी. अब में सिर्फ़ ब्रा और पेन्टी में उसके सामने थी. काले रंग की मेंचिंग ब्रा और पेन्टी मेरे गोरे बदन पर क़यामत ढा रही थी. मेरी ब्रा मेरे साइज़ से छोटी थी और मेरे बूब्स उसमे समा ही नही रहे थे और मानो बाहर आने को बेताब थे. ऊपर से ब्रा के नेट के कपड़े में से मेरे हल्के भूरे निपल्स भी झाँक रहे थे.
फिर मैने अपनी पेन्टी भी उतार कर एक तरफ रख दी. उसके बाद जब मैने अपनी ब्रा उतारी तो मेरे दोनो भारी भारी बूब्स बाहर उछल पड़े. उनकी थिरकन देख कर वो मदहोश हो गया. उसने मुझे इशारा किया. मैने अपनी ब्रा उसकी तरफ उछाल दी.
उसने मेरी ब्रा लपक ली और उसे सूंघ कर बोला, “क्या बात है साली, तेरे बूब्स तो काफ़ी बड़े और भारी हो गये हैं. लगता है तेरा पति जी भर कर मसलता है इनको.”
फिर अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला, “नैनसी मेरी जान, मुझ से रहा नही जा रहा. एक बार अपनी जवानी का रस मुझे पीला दे.”
मैने कहा, “देख रोहित, तुने वादा किया था की तू सिर्फ़ देखेगा. कुछ करेगा नही.”
“कुतिया ऐसे वादे तो में पहले भी करता था और उसके बावजुद तू खुद आ कर मेरे नीचे पड़ती थी.”
“तब की बात और थी रोहित. तब में कुंवारी थी पर अब एक शादीशुदा औरत हूँ. प्लीज़ तू जा यहाँ से.”
“नैनसी, ये तो और भी अच्छा है की तू अब शादीशुदा है. अब तो तेरे पास लाइसेन्स है खुल कर ये खेल खेलने का.” इतना कह कर वो मेरे पास आ गया. में पलटी तो उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी और खींच लिया. मेरी पीठ उसकी तरफ थी और उसने तुरन्त ही मेरे दोनो बूब्स पकड़ लिये. वही उसका खड़ा लंड में अपनी गांड की दीवार में रगड़ ख़ाता महसूस कर सकती थी.
में खुद को उससे छुडवाने की कोशिश करने लगी पर उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी. वो बुरी तरह मेरे बूब्स को मसल रहा था और कह रहा था, “साली रांड़, शादी के बाद मस्त हो गयी है. बूब्स का साइज़ भी बड़ गया है और तेरी गांड भी गोल सी हो गयी है. बहनचोद किसी ब्लू फिल्म की रांड़ जैसी लग रही है. आज तो तुझे चोद के ही रहूगां.
वो ठीक ही कह रहा था. असल में में हो भी कुछ कुछ वेसी ही हो गयी थी. थी तो में शादी से पहले भी सेक्सी पर शादी के बाद तो में और ज़्यादा मस्त हो गयी थी. हालाँकि मेरा पति चुदाई में कोई खास एक्सपर्ट नही था और 10 मिनिट में मुश्किल से मुझे 1-2 बार ही ठंडी कर पाता था पर वो दिन रात मेरे बदन से खेलता था. तो मेरे 32 साइज़ के बूब्स अब 34 के हो गये थे. मेरा शरीर भी भर गया था और मेरे अंग अंग पर निखार सा आ गया था.
जिस तरह से रोहित मेरे बूब्स मसल रहा था और उनके निपल्स से खेल रहा था में गर्म सी होने लगी थी. उपर से उसकी पेन्ट मे कसा लंड मेरी गांड के छेद मे रगड़ ख़ाता बड़ा लंड मुझे और मदहोश कर रहा था. मेरे बूब्स टाइट हो गये थे और उनके निपल्स भी तन गये थे. मेरे मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां निकलने लगी थी और अब मैने उसे अपने से दूर करने की कोशिश करनी बंद कर दी थी, बल्कि मैने अपने हाथ उसके हाथो पर रख दिये थे और अपनी गांड पीछे को निकाल कर उसका लंड अच्छे से महसूस करने लगी थी.
जब में पूरी तरह से गर्म हो गयी तो मै पलटी और उसकी तरफ मुँह करके खड़ी हो गयी. अचानक ही उसके बालो मे हाथ फँसा दिया और उसे किस करने लगी. उसने भी मेरे बाल पकड़ लिये और बस फिर हम एक दूसरे की जीभ चुस रहे थे. वही मैने एक हाथ से पेन्ट के उपर से उसका खड़ा लंड पकड़ा हुआ था और उसे सहला रही थी.
रोहित से में शादी से पहले भी कई बार चुद चुकी थी और मुझे मालूम था की वो चुदाई मे एक्सपर्ट था. ऊपर से उसका लंड भी मेरे पति के लंड से करीब 1.5 गुना बड़ा था. थोड़ी देर बाद हम अलग हुये और में उसके सामने घुटनो पर बैठ गयी. उसकी पेन्ट की चैन खोल कर उसका बड़ा लंड बाहर निकाला और उसे चाट कर बोली, “रोहित, बड़े दिन हो गये है लंड लिये हुये.”
“क्यो तेरा पति तुझे चोदता नही है क्या.” उसने पूछा.
“ऐसी बात नही है पर तेरे लंड के हिसाब से देखे तो उसके पास लुल्ली है. और वो सिर्फ़ चूत मारने का शौकीन है जब की तुझे तो पता है की में तो अपने बूब्स चुदवाती हूँ चूत और गांड में भी लंड लेती हूँ और लंड की मलाई की तो में दीवानी हूँ. तो तू बता मुझे मज़ा कैसे आता होगा पर साले से कह भी तो नही सकती.” इतना कह कर मैने उसका लंड मुँह मे भर लिया और अभी उसे चुसना शुरू किया ही था की दरवाजे पर किसी ने लॉक किया. में तुरन्त सीधी हो गयी और रोहित को अलमारी के पीछे छुपा दिया.
फिर अन्दर से ही अवाज़ लगाई, “कौन है.”
“अरे नैनसी में हूँ.” ये मेरे पति की अवाज़ थी.
“जी में कपड़े बदल रही हूँ.” मैने कहा.
“तो क्या हुआ. दरवाजा खोल और मुझे अन्दर आने दे. मेरे सामने कपड़े बदल लेना.” उसने कहा.
मैने धीरे से दरवाजा खोला तो वो अन्दर आ गया. में नंगी ही उसके सामने खड़ी थी. वो मुझे देख कर बोला, “नैनसी मेरा बड़ा दिल कर रहा है तेरी चूत मारने का.”
“दिल तो मेरा भी कर रहा है चुदाई करवाने का पर क्या करूं. सब लोग है घर पर.” मैने जवाब दिया.
उसने मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे बूब्स मसलते हुये बोला, “पाँच मिनिट ही तो लगेंगे. मार लेने दे ना मुझे एक बार अपनी चूत.”