छोटी सी जान चूतो का तूफान--4
साहिल ने घर वाले कपड़े पहने, और नेहा से बोला….”मा मैं वो गीता मौसी के पास जा रहा हूँ”
नेहा: क्यों क्या हुआ कुछ काम है वहाँ पर….
साहिल: पता नही मा उस ने बुलाया है….
नेहा: तो फिर शाम को चले जाने इतनी धूप है बाहर…….धूप मे जाएगा तो, बीमार पड़ जाएगा…
तभी पायल रूम मे आती है “क्या हुआ साहिल कहाँ जाना है तुम्हे”
नेहा: देख ना पायल बाहर कितनी धूप है, और कह रहा है कि तुम्हारे मायके जाना है….अर्रे 3 किमी दूर है इसका गाओं शाम को चले जाना…..
पायल: अर्रे क्या दीदी इतनी सी बात वैसे मुझे भी कुछ काम था वहाँ…. मैं भी चलती हूँ इसके साथ….ऑटो से चले जाएँगे….
नेहा: पता नही इस समय तुम्हे ऑटो मिलेगा या नही.खैर छोड़ो तुम जाओ, इसका ख़याल रखना…तुम्हे तो पता है कितनी जल्दी बीमार पड़ जाता है…
पायल: ठीक है दीदी….
उसके बाद पायल जल्दी से तैयार हुई, और वंश को तैयार करके साहिल के साथ चल पड़ी…..जैसे कि आप जानते ही हो , गाओं मे बहुत मुस्किल से आने जाने के साधन मिलते है, पर किस्मत से गॅली के मोड़ पर उनको ऑटो मिल गया.. ऑटो पहले से भरा हुआ था….ऑटो वाले ने पायल और साहिल को जब अपनी तरफ आते देखा तो बोला….”आओ बेहन जी कहाँ चलना है”
पायल ने एक बार ऑटो मे देखा…..ऑटो मे बैठने के लिए भी जगह नही थी…..”अर्रे इसमे तो जगह है ही नही” इस पर ऑटो वाला बोला. आप को जाना कहाँ है
पायल: वो *** गाओं मे जाना है…..
ऑटो वाला: बाहर नहर के पुल पर उतार दूँगा…
पायल; पर जगह कहाँ है…..
ड्राइवर: अर्रे भाई साहब आप आगे आ जाए मेरे साथ…..और बेहन जी को यहाँ बैठने दीजिए ….
ऑटो से एक आदमी उतर कर ऑटो वाले के साथ अगली सीट पर जाकर बैठ गया…. थोड़ी सी जगह बनी तो पायल अंदर घुस्स कर बैठ गयी….अंदर कुछ और औरतें और कुछ बच्चे थे….ड्राइवर ने साहिल को पायल के सामने वाली छोटी सी सीट पर बैठा दिया…….ऑटो खचा खच भर गया था…ऑटो वाले ने ऑटो स्टार्ट कर चला दी…
पायल वंश को गोद मे उठाए हुए बैठी थी, और साहिल ठीक उसके सामने था….जगह कम होने के कारण साहिल की एक टाँग पायल की दोनो टाँगों के बीच मे टकरा रही थी….गाओं के टूटी हुई सड़को पर ऑटो हिचकोले ख़ाता हुआ आगे बढ़ने लगा….और बार बार साहिल का घुटना, पायल की दोनो जाँघो के बीच मे रगड़ खा जाता…एक जगह ऑटो का पहिया बड़े से गड्ढे मे से गुज़रा. तो पीछे सभी बैठे लोग अपनी सीट से ऊपेर की तरफ उछल पड़े…
जिससे पायल और आगे को सीट पर आ गयी…और साहिल का घुटना, उसकी दोनो जाँघो के बीच मे से, पायल की सलवार के ऊपेर से उसकी चूत पर जा लगा….एक पल के लिए पायल की आँखें बंद हो गयी…..उसने अपने होंटो को दांतो मे दबा लिया…फिर साहिल की तरफ देखते हुए, थोड़ा सा मुस्काराई, और वैसे ही बैठी रही….ये बात अबोध साहिल को भी महसूस हो रही थी. पर उसे समझ मे नही आ रहा था कि, उसकी चाची जान बुझ कर ऐसा कर रही है, या फिर भीड़ के कारण हो रहा है…….
छोटी सी जान चूतो का तूफान
Re: छोटी सी जान चूतो का तूफान
जैसे तैसे वो पायल के मायके पहुच गये….ऑटो वाले ने उन्हे गाओं के बाहर पुलिया पर उतार दया….फिर वो चलते हुए घर की तरफ जाने लगी… जैसे ही वो गाओं के अंदर फुँचे, तो पायल ने रुकते हुए, साहिल को वंश को पकड़ने के लिए कहा…..और फिर वंश को साहिल को देने के बाद अपनी कमीज़ के गले मे ऊपेर से हाथ डालते हुए, छोटा पर्स निकाला, और उसमे से 50 रुपये का नोट निकाल कर साहिल को दिया. और फिर वंश को उठा लिया….
पायल: साहिल जा उस दुकान से कोल्ड्रींक की बॉटल ले आ….
साहिल: जी चाची जी….
साहिल दौड़ता हुआ कोल्ड्रींक की बॉटल ले आया, और बाकी बचा हुआ 10 का नोट पायल को देते हुए बोला…”चाची ये बचे है रख लो” पायल ने उसकी तरफ मुस्कराते हुए देखा और बोली “ये तू रख ले” बाद मे कुछ खा लेना.
साहिल ने वो नोट अपनी निक्कर की जेब मे रख लिया. और सोचने लगा कि, आज पायल चाची को क्या होगया. अचानक से वो उस पर इतनी मेहरबान कैसे हो गयी….वो तो कभी पैसे निकालती ही नही थी….चाचा जो भी पैसे उसे देते थे, वो दबा लेती थी…
फिर वो दोनो घर पहुच गये, और डोर नोक किया…..गीता ने थोड़ी देर बाद डोर खोला, तो सामने अपनी बड़ी बेहन को खुस होकर देखते हुए बोली,
गीता: अर्रे दीदी तुम आज कैसे याद आ गयी हमारी….
और फिर वंश को पायल के हाथों से लेते हुए उसके गॅलो को चूमते हुए बोली, “अर्रे मेरा राजा मेरा सोना वंश, आओ दीदी अंदर चलो” जैसे ही पायल अंदर को गयी, उसने घूरते हुए, साहिल को देखा तो साहिल ने अपनी गर्दन झुका ली, और वो अपनी चाची के पीछे से चला गया….गीता उसे पीछे से मुस्कराते हुए देख रही थी….फिर उसने डोर बंद किया, और अंदर आ गयी….पायल अपनी मा से मिल कर उनके सामने बेड पर बैठ चुकी थी.
पायल की मा का नाम नीलम है, नीलम ने अपनी बहू पूनम को आवाज़ लगाई “अर्रे ऊ पूनम देख तेरी ननद आई है” फिर पायल की तरफ देखते हुए बोली “इसे तो बस सारा दिन सोने को मिल जाए….घोड़े बेच कर सोती रहती है” साहिल एक साइड मे कुर्सी पर बैठा था…उसके हाथ मे अभी भी वो कोल्ड्रींक की बॉटल थी…..
पायल: अर्रे ये बॉटल मौसी को दे….गीता जा ग्लास मे डाल कर ले आ बहुत गरमी है….
नीलम: अर्रे बेटा क्या हम लोग तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकते, जो तुम खुद ये सोडा अपने साथ ले आई….
पायल: अर्रे माँ वो बात नही है…मेने सोचा धूप बहुत है, कहाँ आप लोग परेशान होते रहेंगे….वैसे भी मैं दुकान के सामने से गुजर कर आई हूँ, तो साथ ले आई….
गीता साहिल से बॉटल लेकर किचन मे चली गयी….और तीन ग्लास मे कोल्ड्रींक डाल कर ले आई, एक ग्लास उसने पायल को दिया दूसरा साहिल को और तीसरा, अपनी मा को, फिर खुद पायल के साथ बैठ कर वंश के साथ खेलने लगी.
पायल: अर्रे गीता तुम्हे साहिल से कुछ काम था क्या ?
गीता: नही तो क्यों क्या हुआ ?
पायल: साहिल बोल रहा था कि,तुम्हे उससे कोई काम है, और तुमने उसे यहाँ बुलाया था….
पायल: साहिल जा उस दुकान से कोल्ड्रींक की बॉटल ले आ….
साहिल: जी चाची जी….
साहिल दौड़ता हुआ कोल्ड्रींक की बॉटल ले आया, और बाकी बचा हुआ 10 का नोट पायल को देते हुए बोला…”चाची ये बचे है रख लो” पायल ने उसकी तरफ मुस्कराते हुए देखा और बोली “ये तू रख ले” बाद मे कुछ खा लेना.
साहिल ने वो नोट अपनी निक्कर की जेब मे रख लिया. और सोचने लगा कि, आज पायल चाची को क्या होगया. अचानक से वो उस पर इतनी मेहरबान कैसे हो गयी….वो तो कभी पैसे निकालती ही नही थी….चाचा जो भी पैसे उसे देते थे, वो दबा लेती थी…
फिर वो दोनो घर पहुच गये, और डोर नोक किया…..गीता ने थोड़ी देर बाद डोर खोला, तो सामने अपनी बड़ी बेहन को खुस होकर देखते हुए बोली,
गीता: अर्रे दीदी तुम आज कैसे याद आ गयी हमारी….
और फिर वंश को पायल के हाथों से लेते हुए उसके गॅलो को चूमते हुए बोली, “अर्रे मेरा राजा मेरा सोना वंश, आओ दीदी अंदर चलो” जैसे ही पायल अंदर को गयी, उसने घूरते हुए, साहिल को देखा तो साहिल ने अपनी गर्दन झुका ली, और वो अपनी चाची के पीछे से चला गया….गीता उसे पीछे से मुस्कराते हुए देख रही थी….फिर उसने डोर बंद किया, और अंदर आ गयी….पायल अपनी मा से मिल कर उनके सामने बेड पर बैठ चुकी थी.
पायल की मा का नाम नीलम है, नीलम ने अपनी बहू पूनम को आवाज़ लगाई “अर्रे ऊ पूनम देख तेरी ननद आई है” फिर पायल की तरफ देखते हुए बोली “इसे तो बस सारा दिन सोने को मिल जाए….घोड़े बेच कर सोती रहती है” साहिल एक साइड मे कुर्सी पर बैठा था…उसके हाथ मे अभी भी वो कोल्ड्रींक की बॉटल थी…..
पायल: अर्रे ये बॉटल मौसी को दे….गीता जा ग्लास मे डाल कर ले आ बहुत गरमी है….
नीलम: अर्रे बेटा क्या हम लोग तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकते, जो तुम खुद ये सोडा अपने साथ ले आई….
पायल: अर्रे माँ वो बात नही है…मेने सोचा धूप बहुत है, कहाँ आप लोग परेशान होते रहेंगे….वैसे भी मैं दुकान के सामने से गुजर कर आई हूँ, तो साथ ले आई….
गीता साहिल से बॉटल लेकर किचन मे चली गयी….और तीन ग्लास मे कोल्ड्रींक डाल कर ले आई, एक ग्लास उसने पायल को दिया दूसरा साहिल को और तीसरा, अपनी मा को, फिर खुद पायल के साथ बैठ कर वंश के साथ खेलने लगी.
पायल: अर्रे गीता तुम्हे साहिल से कुछ काम था क्या ?
गीता: नही तो क्यों क्या हुआ ?
पायल: साहिल बोल रहा था कि,तुम्हे उससे कोई काम है, और तुमने उसे यहाँ बुलाया था….
Re: छोटी सी जान चूतो का तूफान
साहिल एक दम से घबरा गया….उसकी शकल अभी से रोने वाली हो गयी थी….उसे लग रहा था कि, अब उसकी खेर नही…
गीता: हां दीदी ये जो साहिल ना आज कल बहुत बिगड़ गया है….
पायल: अच्छा क्या हुआ क्या किया हमारे दुलारे ने…
गीता: (साहिल की ओर देख कर घूरते हुए) ये आज कल पढ़ाई कम और खेलता ज़्यादा है….इसलिए बुलाया था कि, मैं इसको पढ़ा सकूँ….
पायल: अच्छा बस इतनी से बात है….”तो क्या हुआ खेलने की उमर है अब नही खेलेगा तो कब खेलेगा….
गीता: अच्छा दीदी तुम तो मेरी कोई बात माना ही ना करो.
पायल: लो जी अब तुम नाराज़ हो जाओ….अच्छा मैं नही बोलती तुम्हारी बातों मे इसे पढ़ा दिया करो….
फिर गीता उसकी मा और पायल तीनो बातें करने लगी..इतने मे पूनम भी उठ कर आ गयी….और सब से गप्पे लड़ाने लगी….दोपहर के 2 बज चुके थे….गीता और पूनम ने मिल कर खाना बनाया और सब ने खाना खाया….
नीलम: अच्छा बेटा अब तुम थोड़ा सा आराम कर लो, और वंश को भी दूध पीला कर सुला दो..थक गया होगा बेचारा….मैं दूसरे रूम मे जाकर आराम करती हूँ…
उसके बाद नीलम दूसरे रूम मे चली गयी….उनके घर मे कुल 4 रूम थे…..एक मे पायल का भाई और उसकी बीवी रहते थे, दूसरे मे उसकी मा और गीता सोती थी….एक रूम खाली था.हालाकी वहाँ पर भी बेड और दूसरा समान था…..और चोथे मे वो आनाज़ वेगहरा रखती थी..
जब गीता बाहर जाने लगी, तो उसने , साहिल को आवाज़ लगाई, और अपने साथ चलने को कहा…पायल को तो नींद ने घेर लिया था….साहिल सहमा सा उठ कर गीता के पीछे आ गया….गीता उसे खाली पड़े रूम मे ले गयी….वो रूम बाकी तीनो रूम से अलग था….और वहाँ की खिड़की जो बेड के बिल्कुल पास थी. वहाँ से बाकी तीनो रूम्स के डोर नज़र आते थे…..गीता अंदर आते ही बेड पर बैठ गयी, और साहिल को देखते हुए बोली, आ बैठ यहाँ पर अब तेरी खबर लेती हूँ……साहिल घबराता हुआ उसके पास बेड पर बैठ गया..
गीता: क्यों रे कहाँ से मिली तुझे वो किताब….
साहिल गीता की बात सुन कर खामोश हो गया…उसकी रॉनी सूरत उसकी दशा बयान कर रही थी….”सुना नही मेने क्या कहा, बोलता है या बताऊँ तेरी चाची को”
साहिल: नही मौसी चाची को कुछ नही बताना….
गीता: तो फिर बता कहाँ से मिली वो किताब तुझे…
साहिल: वो वो मेरी नही है..वो तो राजेश ने दी थी…
गीता: हाए ओये रब्बा पता नही क्या होगा आज कल के बच्चो का ज़मीन से बाहर निकले नही, और क्या क्या करते है….तुझे शरम नही आती ऐसी किताबें देखते हुए, बोल बताऊं दीदी को….
साहिल गीता की बात सुन कर रोना शुरू कर देता है…और सूबकते हुए कहता है” नही मौसी उनको ना बताना…मैं आगे से फिर कभी नही देखूँगा” गीता साहिल को रोता देख थोड़ा सा नरम पड़ जाती है…वैसे वो भी नही चाहती थी कि, ये बात किसी को पता चले, और साहिल के रोने की आवाज़ सुन कर कोई इधर आ जाए….
गीता: अच्छा-2 नही बताती , पहले चुप कर,
साहिल अपने आँसू पोंछते हुए चुप होने लगता है, पता नही गीता के मन मे क्या आता है, वो अपना बॅग उठा कर वो बुक उसमे से निकाल लेती है,
गीता: हां दीदी ये जो साहिल ना आज कल बहुत बिगड़ गया है….
पायल: अच्छा क्या हुआ क्या किया हमारे दुलारे ने…
गीता: (साहिल की ओर देख कर घूरते हुए) ये आज कल पढ़ाई कम और खेलता ज़्यादा है….इसलिए बुलाया था कि, मैं इसको पढ़ा सकूँ….
पायल: अच्छा बस इतनी से बात है….”तो क्या हुआ खेलने की उमर है अब नही खेलेगा तो कब खेलेगा….
गीता: अच्छा दीदी तुम तो मेरी कोई बात माना ही ना करो.
पायल: लो जी अब तुम नाराज़ हो जाओ….अच्छा मैं नही बोलती तुम्हारी बातों मे इसे पढ़ा दिया करो….
फिर गीता उसकी मा और पायल तीनो बातें करने लगी..इतने मे पूनम भी उठ कर आ गयी….और सब से गप्पे लड़ाने लगी….दोपहर के 2 बज चुके थे….गीता और पूनम ने मिल कर खाना बनाया और सब ने खाना खाया….
नीलम: अच्छा बेटा अब तुम थोड़ा सा आराम कर लो, और वंश को भी दूध पीला कर सुला दो..थक गया होगा बेचारा….मैं दूसरे रूम मे जाकर आराम करती हूँ…
उसके बाद नीलम दूसरे रूम मे चली गयी….उनके घर मे कुल 4 रूम थे…..एक मे पायल का भाई और उसकी बीवी रहते थे, दूसरे मे उसकी मा और गीता सोती थी….एक रूम खाली था.हालाकी वहाँ पर भी बेड और दूसरा समान था…..और चोथे मे वो आनाज़ वेगहरा रखती थी..
जब गीता बाहर जाने लगी, तो उसने , साहिल को आवाज़ लगाई, और अपने साथ चलने को कहा…पायल को तो नींद ने घेर लिया था….साहिल सहमा सा उठ कर गीता के पीछे आ गया….गीता उसे खाली पड़े रूम मे ले गयी….वो रूम बाकी तीनो रूम से अलग था….और वहाँ की खिड़की जो बेड के बिल्कुल पास थी. वहाँ से बाकी तीनो रूम्स के डोर नज़र आते थे…..गीता अंदर आते ही बेड पर बैठ गयी, और साहिल को देखते हुए बोली, आ बैठ यहाँ पर अब तेरी खबर लेती हूँ……साहिल घबराता हुआ उसके पास बेड पर बैठ गया..
गीता: क्यों रे कहाँ से मिली तुझे वो किताब….
साहिल गीता की बात सुन कर खामोश हो गया…उसकी रॉनी सूरत उसकी दशा बयान कर रही थी….”सुना नही मेने क्या कहा, बोलता है या बताऊँ तेरी चाची को”
साहिल: नही मौसी चाची को कुछ नही बताना….
गीता: तो फिर बता कहाँ से मिली वो किताब तुझे…
साहिल: वो वो मेरी नही है..वो तो राजेश ने दी थी…
गीता: हाए ओये रब्बा पता नही क्या होगा आज कल के बच्चो का ज़मीन से बाहर निकले नही, और क्या क्या करते है….तुझे शरम नही आती ऐसी किताबें देखते हुए, बोल बताऊं दीदी को….
साहिल गीता की बात सुन कर रोना शुरू कर देता है…और सूबकते हुए कहता है” नही मौसी उनको ना बताना…मैं आगे से फिर कभी नही देखूँगा” गीता साहिल को रोता देख थोड़ा सा नरम पड़ जाती है…वैसे वो भी नही चाहती थी कि, ये बात किसी को पता चले, और साहिल के रोने की आवाज़ सुन कर कोई इधर आ जाए….
गीता: अच्छा-2 नही बताती , पहले चुप कर,
साहिल अपने आँसू पोंछते हुए चुप होने लगता है, पता नही गीता के मन मे क्या आता है, वो अपना बॅग उठा कर वो बुक उसमे से निकाल लेती है,