Hindi Sex Stories By raj sharma
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
में उसके पेटिकोट को पकड़ खींचने लगा. उसने अपनी कमर उठा
दी जिससे पेटिकोट निकल गया और वो पूरी तरह से नंगी हो गयी.
उसने अपनी टाँगे फैला दी जिससे मुझे कमरे की मंद रोशनी में उसकी
चूत सॉफ दिखाई दे रही थी. चूत के चारों और उगी झटें
रोशनी में चमक रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि चुदाई की
देवी बिस्तर पर लेटी हो.
उसने मेरे कंधों को पकड़ा और कहा, "अब मेरे उपर आकर लेट जाओ."
में उसके उपर आकर लेट गया. उसे बदन से चिपटते ही मेरा शरीर
थिर्थुरा गया. उसकी बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी. मेरा
लंड उसकी चूत के मुँह पर ठोकर मार रहा था.
रागिनी ने मेरे गले में बाहें डाल मेरे होंठों को अपने होंठों मे ले
चूसने लगी. तभी उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. में भी
उसकी जीभ को चूसने लगा. वो मुझे कस के भींच रही थी.
में उसके चेहरे चूम रहा था, फिर उसकी थोड़ी को. नीचे होते हुए
मेने उसकी गरदन पर एक चुम्मा लिया फिर उसके मम्मो को मुँह में ले
चूसने लगा. मेरा हाथ उसके शरीर पर रैंग रहा था. में उसके
शरीर को दबा रहा था सहला रहा था. उसके मुँह से सिसकारिया निकल
रही थी, "ओह राआाज हाआआं अच्छा लगगगगगगग रहााआ है
आईसस्स्स्ससे ही कार्रर्ररर्ते जाओ."
रागिनी ने अपने शरीर को थोड़ा सा खिसकाते हुए अपना दाया हाथ मेरे
लंड पर रख दिया और मसल्ने लगी. फिर उसने अपने बाए हाथ से
मेरा दाया हाथ पकड़ अपनी चूत पर रख दिया. उसका इशारा समझ
में उसकी चूत को सहलाने लगा. कभी ज़ोर से मुठ्ठी में भींच उसे
दबा देता.
मेरी उंगलिया उसकी चूत के पानी से गीली हो रही थी, "राज अपनी उंगली
मेरी चूत में डाल दो?"
मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी. चूत गीली होने की
वजह से उंगली आसानी से अंदर चली गयी. फिर में अपनी दूसरी
उंगली भी अंदर डाल उसे उंगली से चोद्ने लगा, "हााआअँ और
जोर्र्र्र्ररर सीई डाआआअलो ओह आआआः."
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में एक हाथ से उन्हे उंगली से चोद रहा था और दूसरे हाथ से उसके
मम्मे पकड़ चूस रहा था. वो भी उत्तेजना मे मेरे लंड को खूब ज़ोर
से मसल रही थी.
रागिनी ने अपनी टाँगे और फैला दी और मेरे लंड को अपनी चूत के
मुँह पर रख दिया, "अब अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ……..धीरे
से……..प्यार से नही तो मुझे दर्द होगा."
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी भट्टी पे रख दिया गया
हो. उसकी चूत इतनी गरम थी और में भी चुदाई में अनाड़ी था,
मेने एक ज़ोर का धक्का लगा अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया.
रागिनी को थोड़ा दर्द हुआ, "ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई माआआअ." पर उसकी चूत
पहले से ही काफ़ी गीली थी इसलिए मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों
में समा गया.
"राज ऐसे ही पड़े रहो हिलना मत." कहकर वो अपने हाथ से अपनी चूत
को सहलाने लगी. शायद उसे थोड़ा दर्द हुआ था, मेरे लंड की लंबाई
और मोटाई ने शायद उसकी चूत दी दरारो को और चौड़ा कर दिया था.
में उसके शरीर पर ऐसे ही कुछ देर लेटा रहा. उसके मम्मे तन कर
मेरे चेहरे के सामने थे. में एक बार फिर उसके निपल को अपने मुँह
में ले चुभलने लगा. रागिनी ने तभी अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर
से लपेट ली और कहा, "राज अब शुरू हो जाओ, चोदो मुझे."
मेने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी. मेरा लंड उसकी चूत के अंदर
बाहर हो रहा था. पहले तो में धीरे धीरे कर रहा था पर
उत्तेजना के साथ मेरे धक्को की रफ़्तार तेज हो गयी.
रागिनी भी मेरे चूतड़ को पकड़ अपने चूतड़ उछाल मेरे धक्को का
साथ दे रही थी, "हााआआं चूऊऊऊदो मुझीईई फ़ाआआद दो
मेर्रर्ररर चूओत को आआआज ओह जोर्र्र्र्र्ररर से हाआआं जोर्र्र्ररर
से."
मेने अपने दोनो हाथ उसके कंधो पर रखे और ज़ोर के धक्के लगाने
लगा. चाची आँख बंद किए चुदाई का मज़ा ले रही थी. मेने अपने
होंठ उसके होंठों पर रख चूसने लगा और वही और ज़ोर की ठप मार
उसे चोद्ने लगा.
"ओह हााआअँ राआआअज जोर्र्र्र्र्ररर से मेरााआ छुउतन्ने
वलल्ल्ल्ल्ल्ल है." रागिनी सिसक रही थी, "आआआअहह ओह
मीईएईन तूओ गाआआआई." उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मेरा लंड तन रहा था और मुझसे रुका नही जा रहा था. "ओह
चााआची मेरााआअ भी छुउऊुुुउउटा." कहकर मेरे लंड ने वीर्य
की बौछार उसकी चूत में कर दी. रागिनी ने ज़ोर से मेरे लंड को
अपनी टाँगो में भींच लिया जैसे मेरे लंड का सारा पानी निचोड़ लेना
चाहती हो.
हम दोनो अपनी उखड़ी सांसो के साथ एक दूसरे की बाहों में लेटे थे.
रागिनी ने फिर मुझे भींचते हुए मेरे कान मे कहा, "राज आज से
पहले ऐसे मुझे किसी ने नही चोदा. तुमने तो कमाल कर दिया."
"कमाल तो तुमने किया चाची, अगर तुम मुझे ना उकसाती तो थोड़ी में
ये कर पाता." मेने उसे बाहों में भरते हुए कहा.
रागिनी एक बार फिर मेरे लंड को मसल्ने लगी. में भी उसकी
चुचियों को चूस्ते हुए अपनी एक उंगली उसकी चूत मे डाल अंदर बाहर
करने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया. रागिनी भी
फिर उत्तेजित हो गयी थी.
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मेने अपना लंड उसकी चूत मे घुसा कर उसे फिर चोद्ने लगा. चुदाई
का खेल पूरी रात इसी तरह चलता रहा. उस रात हमने तीन बार चुदाई
की. आख़िर थक कर हम एक दूसरे की बाहों में सो गये.
साइड टेबल पर अलार्म घड़ी में जब घंटी बजी तो मेरी आँख खुली.
मेने देखा सुबह के 6.30 बज चुके थे. शरीर में अभी थकावट
थी. चाची ने भी आँख खोली और मुस्कुरा दी और मेरे होंठों को
चूम लिया और शरारत में अपने दांतो से काट लिया. रागिनी फिर उठ
कर चली गयी और घर के काम में जुट गयी.
*********
दूसरे दिन में कॉलेज नही गया. नाश्ता करने के बाद खाने के समय
तक में पढ़ाई करता रहा. खाना कहने के बाद चाची मेरे कमरे मे
आई. मेने देखा की रागिनी ने सिर्फ़ लहनगा और चोली पहन रखी
थी.
रागिनी मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ गयी और मेरे हाथ से मेरी
किताब छीन ली, "इतना भी ज़्यादा पढ़ना ठीक नही होता, सेहत पर असर
पड़ता है." कहकर वो शरारत से मुस्कुरा दी.
मेने रागिनी का हाथ पकड़ अपनी ओर खींचा और अपने होंठ उसके होंठो
पर रख दिए. उसने भी साथ देते हुए मेरे निचले होंठ को अपने होंठ
में ले चूसने लगी. काफ़ी देर तक हम इसी तरह एक दूसरे को चूमते
रहे.
"तुम कितनी अच्छी हो रागिनी," मेने कहा, "अपनी चूत दी, मुझे
चोदना सिखाया, चाचा भी तुम्हे ऐसे ही चोद्ते है क्या?"
"चोदते है पर उनमे तुम्हारी जितनी ताक़त नही है. उनका लॉडा भी
तुम्हारे लंड से पतला और छोटा है. उनका पानी जल्दी ही झाड़ जाता
है और वो सो जाते है. में प्यासी ही रह जाती हूँ और पूरी रात
तड़पति रहती हूँ." रागिनी ने कहा. और मुझे खींच कर मेरे चेहरे
को अपनी छातियों पर दबा दिया.
में अपने चेहरे को रागिनी की चुचियों की दरार में रख वहाँ
जीभ से सहला रहा था और साथ ही उसकी पीठ को मसल रहा था.
मेने अपने हाथ से उसकी चोली की डोर खोल दी जिससे उनकी चोली ढीली
हो गयी. मेने अपना दाया हाथ उसकी चोली में डाल कर उसके मम्मे
दबाने लगा और साथ ही बाएँ हाथ से उसका घाघरा उपर कर दिया.
मेने अपना हाथ उसके चूतड़ पर फिराया तो पाया कि उसने अंदर कुछ
भी नही पहन रखा था, में उसके चूतड़ को सहलाने लगा. मेरा
सोया लंड तन कर खड़ा हो चुक्का था.
रागिनी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे पयज़ामे का नाडा खोल दिया और
मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया, "राज तुम्हारा लंड कितना
अच्छा है, कितना मोटा है. राज को जब मेने इसे देखा और तुमसे
चुदवाने की सोचा तो एक बार तो में डर ही गयी थी कि कहीं तुम्हारा
लंड मेरी चूत को फाड़ ही ना डाले."
रागिनी अपनी उंगलिया मेरी झटों मे फिरा रही थी और साथ ही मेरे
लंड को मसल रही थी. थोड़ी देर बाद उसने खड़ी होकर अपनी चोली
उतार दी और मेरे पयज़ामे को भी नीचे खस्का दिया. मेने अपने कूल्हे
उठा कर उसकी मदद की.
अब में बिस्तर पर नंगा बैठा था और मेरा लंड सिर उठाए रागिनी
के चेहरे को देख रहा था. रागिनी घुटनो के बल मेरी टाँगो के बीच
बैठ गयी और मेरे लंड को अपनी मुठ्ठी में ले रगड़ने लगी. थोड़ी
देर रगड़ने के बाद अचानक उसने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया.
में चौंक गया, मेने सपने मे भी नही सोचा था कि कोई लंड को
अपने मुँह मे भी लेता है, "चाची ये क्या कर रही हो? और मेरा लंड
अपने मुँह मे क्यो ले रही हो?"
"चूसने के लिए और काहे के लिए, तुम आराम से बैठे रहो और लंड
चूस्वाई का मज़ा लो. ये सब दुनिया मे होता रहता है." चाची ने
मेरे लंड को और अपने मुँह में घुसाते हुए जवाब दिया.
क्रमशः..................
का खेल पूरी रात इसी तरह चलता रहा. उस रात हमने तीन बार चुदाई
की. आख़िर थक कर हम एक दूसरे की बाहों में सो गये.
साइड टेबल पर अलार्म घड़ी में जब घंटी बजी तो मेरी आँख खुली.
मेने देखा सुबह के 6.30 बज चुके थे. शरीर में अभी थकावट
थी. चाची ने भी आँख खोली और मुस्कुरा दी और मेरे होंठों को
चूम लिया और शरारत में अपने दांतो से काट लिया. रागिनी फिर उठ
कर चली गयी और घर के काम में जुट गयी.
*********
दूसरे दिन में कॉलेज नही गया. नाश्ता करने के बाद खाने के समय
तक में पढ़ाई करता रहा. खाना कहने के बाद चाची मेरे कमरे मे
आई. मेने देखा की रागिनी ने सिर्फ़ लहनगा और चोली पहन रखी
थी.
रागिनी मेरे बगल में बिस्तर पर बैठ गयी और मेरे हाथ से मेरी
किताब छीन ली, "इतना भी ज़्यादा पढ़ना ठीक नही होता, सेहत पर असर
पड़ता है." कहकर वो शरारत से मुस्कुरा दी.
मेने रागिनी का हाथ पकड़ अपनी ओर खींचा और अपने होंठ उसके होंठो
पर रख दिए. उसने भी साथ देते हुए मेरे निचले होंठ को अपने होंठ
में ले चूसने लगी. काफ़ी देर तक हम इसी तरह एक दूसरे को चूमते
रहे.
"तुम कितनी अच्छी हो रागिनी," मेने कहा, "अपनी चूत दी, मुझे
चोदना सिखाया, चाचा भी तुम्हे ऐसे ही चोद्ते है क्या?"
"चोदते है पर उनमे तुम्हारी जितनी ताक़त नही है. उनका लॉडा भी
तुम्हारे लंड से पतला और छोटा है. उनका पानी जल्दी ही झाड़ जाता
है और वो सो जाते है. में प्यासी ही रह जाती हूँ और पूरी रात
तड़पति रहती हूँ." रागिनी ने कहा. और मुझे खींच कर मेरे चेहरे
को अपनी छातियों पर दबा दिया.
में अपने चेहरे को रागिनी की चुचियों की दरार में रख वहाँ
जीभ से सहला रहा था और साथ ही उसकी पीठ को मसल रहा था.
मेने अपने हाथ से उसकी चोली की डोर खोल दी जिससे उनकी चोली ढीली
हो गयी. मेने अपना दाया हाथ उसकी चोली में डाल कर उसके मम्मे
दबाने लगा और साथ ही बाएँ हाथ से उसका घाघरा उपर कर दिया.
मेने अपना हाथ उसके चूतड़ पर फिराया तो पाया कि उसने अंदर कुछ
भी नही पहन रखा था, में उसके चूतड़ को सहलाने लगा. मेरा
सोया लंड तन कर खड़ा हो चुक्का था.
रागिनी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे पयज़ामे का नाडा खोल दिया और
मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया, "राज तुम्हारा लंड कितना
अच्छा है, कितना मोटा है. राज को जब मेने इसे देखा और तुमसे
चुदवाने की सोचा तो एक बार तो में डर ही गयी थी कि कहीं तुम्हारा
लंड मेरी चूत को फाड़ ही ना डाले."
रागिनी अपनी उंगलिया मेरी झटों मे फिरा रही थी और साथ ही मेरे
लंड को मसल रही थी. थोड़ी देर बाद उसने खड़ी होकर अपनी चोली
उतार दी और मेरे पयज़ामे को भी नीचे खस्का दिया. मेने अपने कूल्हे
उठा कर उसकी मदद की.
अब में बिस्तर पर नंगा बैठा था और मेरा लंड सिर उठाए रागिनी
के चेहरे को देख रहा था. रागिनी घुटनो के बल मेरी टाँगो के बीच
बैठ गयी और मेरे लंड को अपनी मुठ्ठी में ले रगड़ने लगी. थोड़ी
देर रगड़ने के बाद अचानक उसने मेरे लंड को अपने मुँह मे ले लिया.
में चौंक गया, मेने सपने मे भी नही सोचा था कि कोई लंड को
अपने मुँह मे भी लेता है, "चाची ये क्या कर रही हो? और मेरा लंड
अपने मुँह मे क्यो ले रही हो?"
"चूसने के लिए और काहे के लिए, तुम आराम से बैठे रहो और लंड
चूस्वाई का मज़ा लो. ये सब दुनिया मे होता रहता है." चाची ने
मेरे लंड को और अपने मुँह में घुसाते हुए जवाब दिया.
क्रमशः..................