Police daughter sex story

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Re: Police daughter sex story

Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:30

सब कुछ शांत होने के बाद दोनो की नज़रें मिली, ज्योति उसके सामने खड़ी हुई और अपने गीले मुँह से उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
बेचारे बबलू को ना चाहते हुए भी अपने रस का स्वाद खुद लेना पड़ा
ज्योति : “आज जो हुआ है, वो किसी को पता ना चले…वरना आगे कभी कोई मज़ा नही ले पाएगा…समझे…”
बबलू : “जी…”
ज्योति : “चल अब जा ….कल फिर आना इसी वक़्त….आगे का खेल भी तो खेलना है ना…”
वो अभी के लिए उसे जान बूझकर भगा रही थी, क्योंकि उसे अपने पति के लिए लंच भी तो बनाना था, कई बार वो लंच करने घर पर भी आ जाते थे, इसलिए वो किसी भी प्रकार का रिस्क नही लेना चाहती थी
गांड तो उसकी भी फटती थी अपने इंस्पेक्टर पति से, पर आने वाले दिन उसकी लाइफ बदलने वाले थे
***********
अब आगे
************
दोस्तो, जैसा पिछले अपडेट मे मैने कहा था की कहानी के पात्रों के हिसाब से नज़रिए बदलते रहेंगे
शुरू की कहानी आपने सलोनी के नज़रिए से पढ़ी और पिछला अपडेट आपने सलोनी की माँ ज्योति के नज़रिए से
आज का अपडेट आप सलोनी के इनस्पेक्टर बाप यानी शमशेर सिंह की नज़र से पढ़ेंगे

इनस्पेक्टर शमशेर सिंह
***********************
सभी की लाइफ बदल रही थी
सलोनी की
उसकी माँ ज्योति की
सलोनी की सबसे करीबी दोस्त श्रुति की
और सबसे ज़्यादा तो सलोनी के पापा शमशेर की

जिसे जाने या अंजाने में ही सही
अपनी बेटी के रसीले शरीर को स्पर्श करने का सुखद एहसास मिल गया था
और जब से वो कल रात वाला वाक़या हुआ था, उसकी तो नींद ही उड़ चुकी थी
उसके दिल में एक अजीब सी कशमकश चल रही थी
आख़िर था तो वो एक बाप ही

अपनी ही बेटी के बारे में इस तरह से सोचना कितना अनैतिक है ये भी वो अच्छी तरह से जानता था
पर इसी अनैतिक कार्य को करने और सोचने में इतना आनंद क्यों मिल रहा है
इतनी उत्तेजना क्यों महसूस हो रही है
ऐसी उत्तेजना तो आज तक उसने कभी महसूस नही की थी
रात भर वो ढंग से सो भी नही पाया था
रह रहकर उसे अपनी बेटी का नर्म शरीर और उसका स्पर्श याद आ रहा था
ख़ासकर उसकी गर्म गांड का वो एहसास जब वो उसकी गोद में बैठी थी
ठीक उसके कड़क लॅंड के उपर

और सबसे ख़ास वो पल जब उसने अपनी शर्ट उपर करके उसके चेहरे को पोंछा था
उसके गुदाज स्तन का वो स्पर्श उसे अब तक झींझोड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था

सुबह उठकर उसका मन तो हुआ की एक बार जाकर देखे उसके कमरे में
पर पता नही क्यों उसके चोर दिल ने हिम्मत ही नही की
(अगर चला जाता तो उसे नंगा सोते देखकर वहीं चोद देता शायद)

घर से निकलकर वो सीधा पुलिस स्टेशन पहुँचा
और वहां पहुँचते ही उसे वही लड़की फिर से बाहर ही मिल गयी जिसके बाप को उसने दो दिन पहले रेड लाइट एरिया की रेड में पकड़ा था

लड़की : “साहब…साहब…अब तो मेरे बापू को छोड़ दो….वो किसी का समान देने गया था, ये रही उसकी पर्ची, सेठ ने ही भेजा था उसे समान पहुँचाने, आपने बेकार में पकड़ लिया…वो निर्दोष है साहब….छोड़ दो उन्हे…”

मैने उस लड़की को उपर से नीचे तक गोर से देखा
घाघरा चोली पहन रखी थी उसने
काला रंग उपर से महीनो से नहाई भी नही थी शायद…
अब ऐसी जवान लड़कियां जो सड़क किनारे बने झोपडे में रहती है, कहाँ ही नहा पाती होंगी…

मैने पूछा : “तेरा नाम क्या है…क्या काम करती है तू…”

उसने झिझकते हुए नीचे नज़रें करके कहा : “जी….जी…सलोनी..”

सलोनी सुनते ही मेरे पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये
कहाँ तो मेरी फूल जैसी गोरी बेटी और कहाँ ये काली कलूटी , मैली कुचेली लड़की
पर उम्र दोनो की एक ही थी लगभग

और हां , इसकी आँखे कुछ ज़्यादा ही सुंदर थी



अब मैने गोर से देखना शुरू किया उसे
काले रंग की चोली में उसके स्तन बड़ी मुश्किल से दबा कर रखे थे उसने
शायद चोली छोटी हो गयी थी उसकी
जिसकी वजह से उसका यौवन उपर से बाहर निकल रहा था
गले में 2-4 मोटी माला पहन रखी थी उसने
जैसे बंजारे पहनते है, हाथों में भी कई सारी चूड़िया थी उसके

नीचे उसका सेक्सी सा पेट जिसमें नाभि अंदर तक धँसी थी
और नीचे उसका फेला हुआ नितंब जिसपर उसने गाँठ लगाकर लहँगा पहन रखा था
लहंगे में भी कई पेबंद लगे थे
एक जगह से फटा भी हुआ था पर गोर से देखने पर भी कुछ पता नही चल रहा था क्योंकि अंदर उसकी टांगे भी काली थी पूरी

कुल मिलाकर एक जवान सी लड़की को ग़रीबी का लिबास पहना कर खड़ा किया हुआ था उसकी किस्मत ने मेरे सामने

फिर वो बोली : “और मैं, चोराहों और रेड लाइट पर डांस करके अपने बापू का सहयोग देती हूँ …मेरी माँ भी मेरे साथ काम करती थी पहले, पर एक तेज रफ़्तार कार ने उसकी टांगे कुचल दी, तभी से मैं और बापू कमाते है और वो घर रहती है…”

ऐसे किस्से कहानियां तो मैं कई बार सुन चुका था
पर इस लड़की के सलोनी नाम की वजह से कुछ ख़ास दिलचस्पी होने लगी थी मुझे इसमें अब

मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला : “चल अंदर…देखते है मैं क्या कर सकता हूँ …”

उसे लेजाकर मैं सीधा अपने केबिन में गया और 2 चाय लाने को बोला मैंने एक हवलदार को

अब मैं उसके साथ पूरे मज़े लेने के मूड में आ चूका था
मेरी बेटी का नाम लेकर घूमेगी तो ऐसे ही थोड़े जाने दूँगा इसे

मैं बोला : “देख, तेरे बापू को रेड में रंगे हाथो पकड़ा है एक धंधे वाली के साथ, भले ही वो सेठ के काम से गया था वहां, पर है तो वो इंसान ही ना, मचल गया होगा किसी को देखकर उसका दिल”

सलोनी : “नही साहब, मेरे बापू ऐसे नही है…”

मैने गुस्से से टेबल पर हाथ पटका और गुर्राया : “तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ …मैने खुद उसे कोठा नंबर 7 से पकड़ा है, पूरा नंगा होकर गांड मार रहा था वो एक रंडी की, तेरी ही उम्र की थी वो भी….”

मेरे इतना कहने के बाद उसका चेहरा देखने लायक था
शायद मैं ऐसा कुछ बोल दूँगा इसकी उसे भी उम्मीद नही थी
पर मुझे तो उसके एक्सप्रेशन देखकर मज़ा आ रहा था

उसने सिर झुका लिया, शायद वो समझ चुकी थी की उसका बाप ही ठरकी है

मैं : “देख, ये सारे काम बरसो से होते आ रहे है…हमे भी पता है, हर इंसान की मजबूरी और ज़रूरत होती है, उसी को पूरा करने तेरा बाप गया था वहां …पर उसकी किस्मत खराब थी, उस दिन उपर आर्डर था रेड मारने का, वरना किसी को पता भी नही चलता , अब वो फँस गया है इसमें , निकलना मुश्किल है 3 महीने से पहले…”

वो रोने लगी ये सुनते ही

“नही साहब, ऐसा मत बोलो…घर पर मेरी अपाहिज माँ पड़ी है, बापू जैल में रहेंगे तो मुश्किल हो जाएगी हमारे लिए….कुछ करो ना आप….कुछ ले देकर…”

इतना कहकर वो चुप हो गयी
मैं सब समझता था ये ले देकर वाली बात
हम पुलिस वालो को तो जनता ने रिश्वतखोर बना कर रख दिया है
और ये सिस्टम की माँग भी है
मैं भी शुरू में कुछ नही लेता था
पर सिस्टम ही ऐसा बना हुआ था कि ना चाहते हुए भी सब करना पड़ता है

पर इस वक़्त मेरा दिमाग़ कुछ और ही माँगने के चक्कर में था
जो आज तक नही किया था मैने

मैं बोला : “तू क्या देगी मुझे….तेरे पास है ही क्या…”

उसने सकुचाते हुए अपने फटे हुए घाघरे के अंदर हाथ डालकर एक थैली निकाली और उसमें से 100-200 के 4-5 नोट, और एक 500 का नोट निकाल कर मेरे सामने रख दिया

मैने उसे डांटा :”ये क्या मंडी से घिया तोरई खरीदने आई है….पता भी है उसपर 372 धारा लगी है , कच्ची उम्र की लड़की का शोंक है उसे, कोई औरत के साथ कर रहा होता तो छोड़ भी देता, पर एक नाबालिग के साथ पकड़ा है उसे, अब बचना मुश्किल है”

उसका चेहरा रुंआसा सा हो गया, उसने वो मैले कुचेले नोट उठा कर फिर से अपनी जेब में रख लिए

अब शायद वो समझ चुकी थी की उसे उन पैसे से कुछ ज़्यादा देना पड़ेगा
और एक जवान लड़की इसे अच्छे से समझती है
ख़ासकर ऐसे काम धंधे करने वाली लड़कियां
जिनका हरामी टाइप के लोगो से रोजाना वास्ता पड़ता है

वो धीरे से बोली : “क..क्या करना होगा मुझे साहब….”
मैं मुस्कुराया और धीरे से बोला : “शाम को 8 बजे हाइवे के पास पुरानी पुलिया के नीचे मिल मुझे…”

उसने घूर कर मुझे देखा, क्योकि वो जगह वहां से काफ़ी दूर थी
पर मैं भी कोई रिस्क नही लेना चाहता था

पर आज उसे इस बात का एहसास होने वाला था की उसके माँ बाप ने उसका नाम सलोनी रखकर कितनी बड़ी भूल कर दी है
क्योंकि ना तो वो मुझे अपना वो नाम बताती और ना ही मेरे दिलो दिमाग़ में ये सब आता

उसके बाद वो चली गयी
और मैं अपने दूसरे कामो में व्यस्त हो गया
शाम को सारे काम ख़त्म करके मैने अपनी शर्ट चेंज की और अपनी कार लेकर निकल गया हाइवे की तरफ

वो पुलिआ पहले काफ़ी बिज़ी रहती थी पर जब से हाइवे बना है तब से उस तरफ लोगो ने जाना छोड़ दिया है
उस पुलिया के नीचे गाड़ी खड़ी करने और बैठने की अच्छी ख़ासी जगह थी
पहले भी कई बार मैने यहा लाकर आइटम लोगो के साथ मज़े लिए है
पर आज इस कच्चे अमरूद को खाना था मुझे

मैं उसका इंतजार करते हुए अपना मोबाइल निकाल कर देखने लगा और व्हाट्सएप पर जाकर मैने सलोनी की डीपी देखी
जिसमें वो बड़ी क्यूट सी लग रही थी



मैं उसे ज़ूम कर-करके उसकी आँखे और होंठ देख रहा था की तभी मोबाइल की घंटी बजी, वो सलोनी का ही कॉल था
मैं तो एकदम से घबरा सा गया
अभी उसी की डीपी देख रहा था और एकदम से उसका कॉल आ गया

मैं : “हेलो बेटा…क्या हुआ, सब ठीक तो है ना…”

सलोनी : “यस पापा…मैने तो बस इसलिए कॉल किया था की मैं अभी श्रुति के घर हूँ , थोड़ा लेट हो जाएगा आने में …”

मैं :”इट्स ओके बेटा…आराम से आना, कहो तो मैं लेने आ जाऊं .”

सलोनी : “नही पापा..मैं आ जाउंगी , सी यू एट होम….बाय ”

इतना कहकर उसने कॉल रख दिया
मैं मुस्कुरा दिया

क्योंकि आज वो बड़े ही प्यार से मुझसे बात कर रही थी
वैसे ग़लती तो मेरी ही थी, जिसका मुझे कल एहसास भी हो चूका था
मैने ही उसे डरा धमका कर रखा हुआ था
वरना इतनी प्यारी बेटी है मेरी….
उपर से जवान भी…
उफ़फ्फ़….
ये फिर से मेरा ट्रेक दूसरी तरफ क्यों घूम रहा है..

और तभी मुझे दूर से वो दूसरी सलोनी आती दिखाई दी

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Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:31

और अंत में जब मेरा लॅंड सिकुड कर बाहर निकला तो मैने उसे छोड़ा, वो निढाल सी होकर नीचे गिर गयी
मैने उसके चेहरे के पास अपना लॅंड लहरा दिया
जिसे उसने अपने मुँह में लेकर सॉफ कर दिया
मैं चाहता तो कुछ देर बाद फिर से लॅंड खड़ा करके उसे दोबारा चोद सकता था

पर अभी के लिए मुझे घर जाना था
सलोनी अपनी सहेली के घर थी
लेट आई तो उसका भी तो हिसाब करना पड़ेगा
उसके बाद मैने पोलीस स्टेशन फोन करके उसके बाप को छोड़ने का ऑर्डर दे दिया
वो खुशी-2 अपने कपड़े पहन कर निकल गयी
पर जाने से पहले उसने मेरा नंबर ले लिया
शायद मेरे लॅंड से इंप्रेस हो गयी थी वो
आने वाले दिनों में और भी ज़्यादा मज़ा मिलने वाला था अब

*************
अब आगे
*************

सलोनी
=====
अपने पापा से पर्मिशन लेने के बाद सलोनी खुद से बात करती है

“पापा से काम निकलवाना अब इतना आसान हो चुका है की पहले जैसा डर ही नहीं लगता, अब तो ऐसा लगता है जैसे वो मेरे इशारों पर नाच रहे है…”

शाम से ही वो अपनी सहेली श्रुति के घर थी

कॉलेज से आने के बाद श्रुति ने जब एक ढीली सी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहनी तो उसके लिए भी एक शॉर्ट और टी शर्ट निकाल दी

ताकि जब तक मैं यहाँ हूँ आराम से बैठूं

मुझे भी सुबह से जीन्स में परेशानी हो रही थी
ये जीन्स कुछ ज़्यादा ही टाइट थी
वो बकरी बनकर मेरी पुस्सी को खा रही थी…



और आज श्रुति के घर आने का एक ख़ास मकसद था
उसके मम्मी पापा घर पर नही थे, इसलिए हम दोनो मिलकर कुछ भी कर सकते थे
पिछली बार जो हमारे बीच हुआ था, उसे एक बार फिर से महसूस करना चाहती थी मैं

मैने अपने कपड़े उतारकर साइड में रख दिए और पंखे की हवा से अपने शरीर के पसीने को सुखाने लगी
तभी श्रुति कमरे में आई और कपड़े उतारते देखकर उसके हाव भाव ही बदल गये

वो मुझे उपर से नीचे तक निहारने लगी



मैं भी उसे अपना नशीला और पसीने से गीला बदन को दिखाकर मूड बना रही थी

वो मेरे करीब आई और मेरी कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया
और अगले ही पल हम दोनो एक गहरी स्मूच में डूब चुके थे

अब पता नही ऐसा क्यों हुआ
जैसे ही उसने मुझे चूमा, मेरी आँखे बंद हो गयी और मुझे ऐसा फील हुआ की मैं पापा को किस्स कर रही हूँ

ये एक ऐसा एहसास था जिसने उस किस्स को और ज़्यादा रोमांच से भर दिया
हम दोनो एक दूसरे के होंठो से गुत्थम गुत्था होकर किस्स कर रहे थे



मैने उसके बूब्स को पकड़कर उन्हे देबाया और उसकी टी शर्ट उतारनी चाही पर उसने रोक दिया
मैं हैरान होकर उसे देखने लगी क्योंकि मेरे हिसाब से ये एक अच्छा मौका था
बिना किसी परेशानी के मज़े लेने का
बिना किसी डर के

वो बोली : “सलोनी…आई एम् सॉरी बट अभी रुकना होगा हमे…मैने नितिन को भी बुलाया है घर पर…”

मैं : “नितिन….आज…पर क्यो…”

मैं तो सोच रही थी की उसके मम्मी पापा घर नही है, खुल कर मज़े करेंगे
पर इसने तो अपने यार को बुला रखा है..
साली कामिनी
और ये नितिन तो इस वक़्त मुझे अपनी सौतन जैसा लग रहा था

पर फिर अचानक मुझे वो मूवी हॉल का सीन याद आ गया जहाँ नितिन अपनी गर्लफ्रेंड श्रुति के बूब्स को प्रेस कर रहा था और उसे किस्स भी…
उस वक़्त मुझे ऐसा फील हुआ था की काश वो मेरे साथ भी ऐसा कुछ करे

तब तो मेरी हिम्मत नही हुई थी उस से कुछ ऐसा कहने की पर अब मेरे और श्रुति के बीच की परिस्थितिया बदल चुकी थी
शायद आज मैं उसके बाय्फ्रेंड के साथ कुछ मज़े ले पाऊं और वो मुझे मना ना करे..
ये सोचकर मैं चुप हो गयी
वरना आज जो इसने हरकत की थी, उसके बाद तो इससे 2 हफ्ते की लड़ाई बनती थी

मुझे गुस्से में आता देखकर वो मेरे नंगे बदन से लिपट गयी और बोली : “यार, नाराज़ मत हो…मुझे नितिन ने सब बताया था की उस दिन तू कैसे हम दोनो को देख कर एंजाय कर रही थी…तो मैने सोचा आज फिर से तेरे लिए वो सीन घर पर ही क्रियेट कर दूँ…और अगर तू चाहे तो , यू कैन आल्सो जॉइन अस ”

मैं जो कुछ पल पहले सोच रही थी
वो उसने खुलकर खुद ही बोल दिया
मेरी तो आँखे चौड़ी हो गयी
वो मेरे चेहरे के भाव देखकर समझी की मुझे बुरा लग गया

श्रुति : “देख यार…मेरे लिए तुझसे प्यारा इस दुनिया में कोई नही है…ये नितिन जैसे लड़के तो आते जाते रहते है, मुझे बस अपनी मस्ती से मतलब है और मेरी दोस्त की खुशी से…अगर तू इसमें खुश है तो ठीक वरना उसे अभी मना कर देती हूँ …फिर हम दोनो जो चाहे करेंगे"

अब मेरे चेहरे पर एकदम से गहरी सोच के भाव आ गये
जिसे पढ़कर वो भी समझ गयी की मैं भी अंदर से यही चाहती हूँ बस बोल नही पा रही

“देख सलोनी…उसको आने दे, तुझे जहाँ भी कोई इश्यू हुआ तो बता दियो , मैं वही ये सब रोक दूँगी….ओके ”

इतना कहकर उसने मेरे लिप्स को चूम लिया…
एक तो मैं नंगी ऊपर से उसकी बाते सुनकर मेरे निप्पल्स बिल्कुल कड़क हो चुके थे
शायद आने वाले पलों को सोचकर मैं अभी से उत्तेजित हो रही थी

खैर, मैने जल्दी से उसकी टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए
हम दोनो अब एक जैसी ही लग रहीं थी
जवान
बिना ब्रा और पेंटी के
हम दोनो के कड़क निप्पल्स और ताज महल जैसी चूत को दूर से ही देखा जा सकता था



हम दोनो एक दूसरे को निहार ही रहे थे की तभी बाहर की बेल बजी, नितिन आ चूका था
अंदर आते ही उसने हम दोनो को घूर का देखा मानो आँखो से ही खा जाएगा

श्रुति ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे एक जोरदार स्मूच कर दिया
मुझे तो लगा था की आने के बाद वो कुछ टाइम लेंगे पर ये आते ही शुरू हो गया
साला ठरकी नितिन



मेरी ही आँखो के सामने वो दोनो एक दूसरे के होंठो को भूखे कुत्ते की तरह नोच रहे थे
और मैं उनके सिर्फ़ 1 फुट दूर खड़ी हुई अपने पैरों के अंगूठे से ज़मीन कुरेद रही थी

नितिन की नज़रें मुझे ही देख रही थी किस्स करते -2 , हालाँकि श्रुति की आँखे पूरी बंद थी

वेलकम किस के बाद हम तीनो श्रुति के बेडरूम में चले गये
नितिन तो अंदर जाते ही उसके बेड पर ऐसे पसर गया मानो अपनी ससुराल आया हो
श्रुति हम तीनो के लिए जूस लेने किचन में चली गयी

नितिन : “सो सलोनी….तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड नही है क्या….”

मैं एकदम से चोंक गयी ये सवाल सुनकर : “मे….मेरा….नही तो…..अभी तो नही है…क्यों ? ”

क्यों मैने जानबूझकर बोला था आख़िर में में….
मुझे लगा की वो बोलेगा की मुझे भी अपना बाय्फ्रेंड ही समझो


नितिन : “नही…वो मुझे लगा की होता तो आज उसे भी बुला सकती थी यहाँ …हम सब मिलकर मज़े करते”

मैं : “वो तो अब भी कर सकते है…”

इतना कहकर मैने उसे एक आँख मार दी
यानी मेरी तरफ से मैंने उसे लाइन दे दी थी
मेरी इस हरकत से उसका चेहरा देखने लायक था
और तभी हँसती हुई श्रुति अंदर दाखिल हुई : “क्या कर सकते हो…”

मैने जल्दी से बात बदली : “कुछ नही….बस कहीं घूमने का प्लान बना रहे थे, हिल स्टेशन पर…”
श्रुति : “वाउ….मज़ा आ जाएगा कसम से…पर वो तेरे पुलिस पापा का क्या, वो जाने की परमिशन देंगे तुझे ?”
मैं मुस्कुराइ और बोली : “उन्हे हेंडल करना अब मुझे आ गया है…”

मेरी बात सुनकर वो भी मुस्कुरा दी
पर नितिन का चेहरा देखने लायक था,
वो अभी तक उसी बात को सोच रहा था जो मैने कही थी

वो सोच रहा था की क्या सच में ऐसा हो सकता है
ये तो तभी पता चलेगा जब खेल शुरू होगा
और इस खेल की शुरूवात उसी को करनी होगी

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Re: Police daughter sex story

Unread post by admin » 13 Dec 2025 13:31

उसने जल्दी से जूस पिया और श्रुति को अपनी तरफ खींच लिया, वो भी बिना किसी नखरे के सीधा जाकर उसकी गोद में बैठ गयी और वो दोनो फिर से एक गहरी स्मूच में डूब गये

अब ये सिचुएशन बड़ी ओकवर्ड थी मेरे लिए…
वो दोनो मज़े कर रहे थे, मेरे ही सामने
ऐसे में मुझे वहां से चले जाना चाहिए था
पर मैने ऐसा नही किया
मैं जूस का सीप लेते हुए अपना मोबाइल देखने का नाटक करने लगी
हालाँकि मेरा सारा ध्यान उन्ही की तरफ था

नितिन का भी सारा ध्यान मेरी तरफ ही था
भले ही उसकी गोद में श्रुति बैठी थी, जो उसे पागलों की तरह किस्स कर रही थी
उसके हाथों को अपनी छाती पर रखकर उन्हे दबवा रही थी
पर नितिन रह रहकर मुझे ही घूर रहा था

अचानक श्रुति ज़ोर से सीसीया उठी

“आहह…….उम्म्म्ममममममममममममममम…..यससस्स…..बैबी…..”

मेरा ध्यान उस तरफ गया तो देखा की नितिन का हाथ श्रुति की शॉर्ट में था और वो उसकी पुस्सी में फिंगरिंग कर रहा था
ये एक ऐसा हमला होता है जिसमे लड़की पिघल कर रह जाती है
उसके बाद वो खुद को परोस कर रख देती है अपने यार के सामने

श्रुति ने भी वही किया
वहां उसकी चूत में उंगली घुसी
यहाँ उसने अपनी टी शर्ट खुद ब खुद उतार दी और नितिन के चेहरे को पकड़ कर अपना एक निप्पल उसके सुपुर्द कर दिया
नितिन भी किसी भूखे भेड़िए की तरह एक एक करके उसके दोनो बूब्स और उनपर लगी चेरियों को चूसने लगा



अब मैं भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी
जूस का ग्लास मेरे हाथ से गिरते-2 बचा
मैने उसे टेबल पर रख दिया और अपना जूस से भरा मुम्मा पकड़ कर उसे सहलाने लगी

इतनी बेशर्मी से उन दोनो के सामने अपने अंगो को मैं इतनी आसानी से आज इसलिए सहला पा रही थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों में मेरी लाइफ में सैक्स के प्रति जो चेंजस आए थे उनसे मुझे ऐसा करने का होसला मिला था

और ये एक संकेत था की यही समय है इस सैक्स को एक्सप्लोर करने का
फिर चाहे वो अपनी सहेली के साथ हो, उसके बाय्फ्रेंड के या फिर मेरे खुद के पापा के साथ

पापा का ध्यान आते ही मेरी आँखो के सामने उनका रोबीला चेहरा और कसरती बदन आ गया
ये नितिन तो उनके सामने चूज़ा था

पर इस वक़्त यही चूज़ा खुद भी मज़े ले रहा था और श्रुति को भी दे रहा था
मेरा मन तो कर रहा था की खुद ही कूद जाऊं उनके बीच
थ्रीसम हो जाएगा आज
पर अभी तक इतनी हिम्मत नही हुई थी मेरी
बस मैं अपने बूब्स को दबा कर अपनी पीड़ा थोड़ी कम ज़रूर कर रही थी

मैने आँखे बंद कर ली और पापा के लॅंड का ध्यान करते हुए अपने बूब्स को आराम से दबाने लगी
जब वो मेरे रूम में आए थे और मुझे सोता देखकर उन्होने अपना वो मोटा लॅंड वही खड़े होकर मसला था
उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
कितनी उत्तेजना थी उस पल में

अचानक मुझे अपनी जाँघ पर कुछ महसूस हुआ
ये नितिन का हाथ था
उसका एक हाथ श्रुति की चूत में था, दूसरा मेरी जाँघ पर
और उसका मुँह उसके बूब्स के बीच
साले की कितनी सही किस्मत है

दो जवान और कुँवारी लड़कियाँ उसके सामने थी

वो मेरी जाँघो को अपने हाथ से सहलाने लगा
मैने भी मना नही किया

धीरे-2 उसका हाथ मेरी चूत की तरफ खिसकने लगा
मेरा दिल धाड़-2 करके बजने लगा
ये पहला मौका था जब कोई मर्द मेरी सबसे कीमती चीज़ को छूने की कोशिश कर रहा था
और उसने छू भी लिया

किसी बाज की तरह उसने अपना पूरा पँजा फेलाकर मेरी चूत को उसमें दबोच लिया
अब सीसीयाने की बारी मेरी थी

“अहह……सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. उम्म्म्मममममममममममममम…..”

मेरी आवाज़ सुनकर श्रुति का ध्यान भी उस तरफ गया और नितिन का हाथ मेरी चूत पर देखकर वो भी मुस्कुरा दी
नितिन ने बिना कहे ही अपना काम कर दिया था

पूरे कमरे में हम तीनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी
श्रुति की तरफ से हरी झंडी मिलते ही नितिन ने मुझे भी अपनी गोद में खींच लिया
श्रुति ने मेरे लिए जगह बनाई और अब हम दोनो उसकी 1-1 टाँग पर बैठे थे

और वहां पहुचते ही उसने सीधा मेरे होंठो पर हमला किया और उन्हे चूसने लगा….
मैं भी
ये मेरी पहली किस्स नही थी
स्कूल टाइम में भी एक लड़के ने मुझे बहुत किस्स की थी
पर उस से आगे मैने उसे कभी जाने नही दिया

यहाँ तक की अपने बूब्स को भी टच नही करने देती थी मैं
पर आज मैं सब कुछ करने को तैयार थी
वो नही
पर बाकी सब कुछ…

नितिन इतना बुरा भी नही था
देखने में एकदम चिकना, दुबला पतला सा लड़का था वो
पर किस्स बड़े ही सैक्सी तरीके से कर रहा था
काफ़ी एक्सपीरियेन्स था उसे

करीब 5 मिनट तक उसने मेरे गुलाबी होंठो को चूस-चूस्कर लाल कर दिया
फिर श्रुति ने उसे अपनी तरफ खींच लिया
इस बीच मैने भी हिम्मत करके अपनी टी शर्ट उतार दी
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ जब उसने अपनी आँखो के सामने मेरे मोटे बूब्स लहराते देखे
एक तरफ ब्रॉन कलर के श्रुति के बूब और दूसरी तरफ मेरे गोरे बूब्स



दोनो की तुलना करते उसकी आँखे थक नही रही थी
और लार भी टपक रही थी उसकी
उसने उन लार टपकाते होंठो से सीधा मेरे बूब्स पर हमला कर दिया
वहां किसी मर्द का पहला स्पर्श था…पहली किस्स भी

वो तो पागल सा हो गया उन नर्म मलाई की कटोरियों को चाटकर
मेरा भी बुरा हाल था
होंठो से ज़्यादा यहाँ चुसवाने में ज़्यादा उत्तेजना हो रही थी मुझे



और अगर इसने मुझे वहां नीचे चूसा तो
हाएsssssss
मेरे तो पूरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ये सोचते ही
कैसा फील होगा जब वो मेरी चूत को चूसेगा
उसमें अपनी जीभ डालेगा
मेरे दाने को, जिसे मैं आजतक अपनी उंगलियो से सहलाती आ रही थी, उसे अपनी जीभ से कुरेदेगा
मेरी तो डैथ ही हो जानी है बाइ गॉड

मेरी चूत किसी टूटी की तरह रिस रही थी उसकी जाँघो पर
और शायद उसकी दूसरी जाँघ का भी यही हाल था
दोनो टांगे हम दोनो सहेलियो ने अपने घी से चुपड़ दी थी उसकी

अब वो बारी-2 से कभी मेरे बूब्स और कभी श्रुति के बूब्स
कभी मेरे लिप्स तो कभी उसके लिप्स
चूसने में मगन था
और कसम से कहूं, मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था इसमें
बीच-२ में जब वो मेरे या श्रुति के बूब्स चूसता तो श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ चूसने लगते

आज तो ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी किस्मत सोने की कलम से लिखवा कर आया है
हम जैसी दो लड़कियों के कुंवारे जिस्म से खेलने का मौका इस बंदर जैसे नितिन को मिला था

श्रुति का तो पता नही पर मैं चाहती तो कॉलेज के सबसे स्मार्ट लड़के को अपनी अदाओं से दीवाना बनाकर उसके साथ ये सब कर सकती थी
पर कभी हिम्मत ही नही हुई
और आज ये सब हुआ तो कुछ सोचने समझने का मौका भी नही मिला
लंगूर के हाथ हूर लग चुकी थी
अब क्या ही हो सकता था

वैसे मज़ा तो मुझे भी आ रहा था इसमें
लड़का चाहे किसी भी तरह का हो
उन्हे मज़े देना बेख़ुबी आता है
इसलिए सब कुछ भूलकर मैं उस मज़े को लेने में लग गयी

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