माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:07

सोच ले अगर तू मुझे इसी तरह तडपायेगा तो मैं आहऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ भी तुझे बहुत तडपाऊगी समझा। मैंने कहा माँ मैं तो तुम्हारे ब्लाउस को सुंघ रहा था तुमको तो पता है की मुझे तुम्हारे कपडो को सुंघने का सोच कर ही इतना मजा आता है। इस पर रीमा बोली ओह मेरे प्यारे बेटे अगर तुझे मेरे ब्लाउस की गंध का मजा लेना ही है तो पहले इसे उतार दे फिर अपने मुहँ पर रख कर सुंघ लेना मैं मना थोडी कर रही हूँ। पहले मेरे इन कबूतरो को इन ब्लाउस के बंधन से तो आजाद कर दे जाने कितनी देर से ये इसमे कैद है। तेरी माँ तुझसे विनती करती है बेटा मेरे को इनसे आजाद कर दे।

रीमा की बात सुनकर मैंने कहा ठीक है माँ पहले मैं तुम्हारा ये ब्लाउस तुम्हारे बदन से अलग कर के तुम्हारी चुचीयो को ब्लाउस की कैद से आजाद कर देता हूँ। फिर मैंने आखरी बार उसके दोनो मम्मो पर हाथ फेरा और और दोनो मम्मो पर एक एक किस लिया। उसके बाद मैंने अपने हाथ उसके ब्लाउस के हुक पर रख दिये और रीमा की आँखो मैं आँखे डाल कर देखने लगा। रीमा मुझसे लम्बाई मे छोटी थी पर उसने ५ इन्च की हील वाली सैडंल पहन रखी थी जिस की वजह से वह करीब करीब मेरे बराबर आ रही थी। मैंने मुस्कुराते हुये उसके ब्लाउस का एक हुक खोल दिया। उसका ब्लाउस खोलते वक्त उत्तेजना के कारण मेरे हाथ काँप रहे थे।

मेर लंड पूरी तरह से मस्त खडा था और उसके पेटीकोट से टकरा रहा था। जिस की वजह से उसका पेटीकोट मेरे रस से भीग गया था और उसके पेटीकोट पर मेरे लंड के प्यार के निशान बना रहा था। जैसे ही मैंने उसके ब्लाउस का एक हुक खोल दिया मेरा लंड बुरी तरह से मस्त खडा था और उसके पेटीकोट से टकरा रहा था। रीमा बोली हाँ बेटा उतार बेटा उतार अपनी माँ का ब्लाउस कर दे अपनी माँ के जौबन नंगे उठा दे अपनी माँ की लाज का पर्दा मेरे बेशर्म बेटे। ब्लाउस मे छिपी इन गोलाईयो को आजाद कर दे इनको भी कुछ हवा लगने दे। रीमा का खुला निमंत्रण सुनकर मैं और भी जोश मे आ गया और रीमा के मम्मो से बनी गहरी लम्बी खायी को देखने लगा। उसको देखते देखते मैंने दुसरा हुक भी खोल दिया। दुसरा हुक खोलते ही मुझे उसकी ब्रा का वह भाग जहाँ पर ब्रा के दोनो कप नीचे आ कर मिलते हैं दिखायी देने लगा। ब्रा काले रंग की थी।

अब सिर्फ़ एक हुक बचा था मेरे और मम्मो को देखने बीच। मेरे हाथ उसके तीसरे हुक पर जमे हुये थे। फिर मैंने सोचा की अगर मैंने ऐसे ही रीमा के सामेने खडे हुक खोला तो ब्लाउस खुलते ही मेरी सबसे पहली नजर उसके मम्मो पर जायेगी और मैं अपने आप को रोक नही पाऊगा उसके बडे बडे मम्मो को प्यार करने से। और अगर मैं उसके मम्मो को प्यार करने लगा तो उसके ब्लाउस को प्यार नही कर पाऊगा जोकी मैं नही खोना चहाता था। यह सोच कर एक विचार मेरे मन मे आया कि क्यो ना मैं उसके पीछे जा कर अपने हाथ आगे ला कर उसके ब्लाउस का हुक खोलूं जिससे मैं उसका ब्लाउस उतार के पहले उसके ब्लाउस से प्यार भी कर सकता हूँ और फिर उसके मम्मो को देखने का मजा उठा सकता हूँ।

फिर मैं रीमा से बोला माँ तुम्हारा ब्लाउस मैं पीछे से खोलूगाँ। रीमा बोली क्यो बेटा आगे से क्यो नही। इसपर मैंने अपनी इच्छा उसको बता दी। इसपर रीमा बोली तू भी बडा हटी है। अपने मजे को कभी भी नही छोडता ठीक है जैसी तेरी मर्जी पर तू मुझको बहुत तडपा रहा है। देख बेटा अब तू मैं भी तुझे मजे के लिये कितना तडपाती हूँ। जब मेरे हाथो तडपेगा तब तुझको पता चलेगा की मेरे उपर क्या गुजर रही है। फिर मैं रीमा के पीछे चला गया। और पीछे जाते ही मेरी नजर सबसे पहले उसकी गोरी नंगी पीठ पर गयी जो ब्लाउस के सेक्सी डिजाईन के कारण बिना ब्लाउस उतरे पूरी नंगी लग रही थी। और पूरी बेशर्मी के साथ अपनी नग्नता की नुमाईश कर रही थी।

मैंने सबसे पहले उसकी पीठ को किस किया फिर अपने दोनो हाथ उसकी बगल से नीचे ले जाकर उसके ब्लाउस का हुक ढूढने लगा। जब मैं उसके हुक ढुढने की कोशिश कर रहा था तो मेरे हाथ उसके मम्मो के नंगे हिस्से से टकरा रहे थे। नंगे बदन के स्पर्श से ही मेरे बदन मे करंट दोड गया मेरा लंड तो बराबर रस की वर्षा कर रहा था। और अब पीछे से भी उसके पेटीकोट को गिला कर रहा था। थोडी देर हुक ढूढने के बाद मुझको उसका हुक मिला गया। इसतरह से उसके ब्लाउस का हुक पकडने के कारण मैं पहली बार उसके बदन के इतने करीब था। उसकी बदन से निकलती वासना की गर्मी को मैं महसूस कर रहा था। मेरी कलाईयाँ बगल से उसके मम्मो को छू रही थी।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:07

मैं थोडी देर इसी तरह उसके ब्लाउस के हुक को हाथ मैं लिये हुये खडा रहा। रीमा भी मेरे बदन की गर्मी महसूस कर रही थी और वह बोली एक आह भर के बोली मेरे प्रेमी इतने पास तुम मेरे बदन के पहली बारे आये हो तुम्हारे बदन की गर्मी से मेरा बदन जलने लगा है प्रीतम। मैंने उसके कंधे पर एक किस करते हुये उसका तीसरा हुक भी खोल दिया। जिसकी वजह से उसके दोनो मम्मो पर ब्लाउस का दवाब कुछ कम हो गया क्योकी एक तो ब्लाउस उसके साईज से छोटा था दूसरा इतनी मस्ती के कारण उसके मम्मे और फुल गये थे। एक तो मेरे किस करने की उत्तेजना दूसरी ब्लाउस के की कैद से आजाद हुये कबुतरो को मिली ठंडी हवा से मिली राहत की वजह से पहले रीमा का बदन कडा हुआ फिर उसने एक झटका मारा और रीमा ने आँखे बंद कर ली और अपना सर पीछे करके मेरे कंधे पर रख दिया। और एक गहरी साँस ली जिस से उमऽऽऽऽऽऽ कि ध्वनी कफ़ी देर तक उसके मुँह से निकलती रही।

थोडी देर दोनो ऐसे ही खडे रहे करीब १५ सैंकड बाद उसने अपना सर सीधा किया। फिर मैंने कहा लो माँ मैंने तुम्हारे ब्लाउस के सारे हुक खोल दिये हैं और तुम्हारे मम्मो को ब्लाउस की कैद से मुक्ती मिल गयी है। अब तो तुमको थोडा आराम मिला होगा बेटा। इसपर रीमा ने कहा हाँ बेटा मुझे बहुत कि राहत मिली है। लेकिन अगर तुम आगे से ही मेरे ब्लाउस को खोलते तो मुझको ये राहत नही मिलती। मैंने आश्चर्य से पुछा ऐसा क्यो माँ। रीमा बोली बेटा तुमने इतनी देर से अपनी बातों और हरकतो से मुझको इतना गर्म कर दिया था की मुझसे बिल्कुल भी रुका नही जा रहा था और मैं चुदाने के लिये तडप रही थी। और तुमको बार बार ताना दे रही थी कि मुझे इतना क्यो तडपा रहे हो। मेरे पुरा बदन प्यार की मस्ती मे जल रहा था।

और मेरे शरीर की अग्नि मुझको पागल बना रही थी मैं चुदना चाहती थी झडना चाहती थी चरम सुख पाना चाहती थी। पर जिस तरह से तुम मेरे बदन से खेल रहे थे मुझे लगा अगर मैं जल्दबाजी मे अभी तुमसे चुदा लुँगी तो तुम अभी जल्दी झड जाओगे तो जो मैं तुमको अपने पहले मिलन का मजा देना चाहती हूँ वह नही दे पाऊगी। और तुम्हारी पहली औरत भोगने का सुख मैं तुमको देना चाहती हूँ ऐसा मजा जो तुमको जिंदगी भर याद रहे नही मिल पायेगा। और मैं तुमसे अपने बेटे से वह सुख नही छीन सकती थी। आखिर मैं तुम्हारी माँ अपने बेटे से उसका सुख कैसे छीन सकती हूँ।

इसीलिये मैंने अपने आप को बडी मुशकिल से रोका हुआ था। फिर जब तुमने मेरे पीछे से आ कर मेरा ब्लाउस खोलने की बात की तो सुनकर मेरे अन्दर मस्ती का तूफान आ गया। क्योकी मुझे पता था कि इस तरह अगर तुम मेरे ब्लाउस को खोलने की कोशिश करोगे तो तुम्हारे हाथ मेरे मम्मो से छुयेंगे और मुझे अपने आपको रोकना बहुत मुशकिल हो जायेगा। पर मुझे माँ होने के नाते अपने साथ साथ तुम्हारे मजे का भी ख्याल रखना था मुझे तुम्हारी आँखो मे दिख रहा था कि तुम किस तरह मेरे मम्मो से पहले मेरे ब्लाउस को प्यार करने के लिये लालायित थे। इसी कारण मैंने तुमको पीछे से ब्लाउस खोलने की इज्जात दे दी।

और जैसे ही तुमने मेरी पीठ पर किस किया मैंने अपने होश खो दिये बडी मुशकिल से मेरा हाथ अपनी चूत तक जाते जाते रुका। पर जब तुमने अपने हाथ मेरी बाहो के नीचे से निकाल कर मेरा ब्लाउस पकडने की कोशिश की मुझसे रहा नही गया और मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर अपनी पैन्टी के उपर से रख दिया और अपनी चूत के दाने पर अपने हाथ फिराने लगी मुझे लगा इसतरह करने से मेरी चूत कुछ रस और बहायेगी तो मुझे कुछ देर के लिये राहत मिल जायेगी। तुम्हारे हाथ मेरे नंगे मम्मो को छू रहे थे। मम्मो को छुते वक्त तुम्हारे नाखूँन भी मेरे मम्मो पर लगे। पर जैसे ही तुमने मेरा ब्लाउस पकडा और हुक खोलने के लिये जोर लगाया तुम्हारे कालाईयो से मेरे मम्मे थोडे दब गये। जिसकी वजह से मैंने मस्ती मैं आकर अपनी चूत के दाने को जोर से दबा दिया। जिसे मेरी चूत सहन नही कर सकी और उसके सब्र का बाँध टूट गया और रस की नदी मेरी चूत से बह चली। और मैं ना चाहते हुये भी कचकचा कर झड गयी।इसी लिये तुम्हारे इस तरह से मेरा ब्लाउस खोलने से मेरे बडे बडे मम्मो, मेरी चूत और मेरे बदन तीनो को राहत मिल गयी। इस पर मैंने कहा इसका मतलब तुमको बहुत मजा आ रहा है मेरे साथ। उसने मुँह घुमा कर मेरी तरफ देखा और अपना सर हिला दिया। और बोली तुम सुघंना चाहते हो मेरे ताजे निकले रस की महक। मैंने कहा क्यो नही माँ। मेरे हाथ अभी भी उसकी बाहो के नीचे से जा कर उसकी कमर के ईर्दर्गीद लिपटे हुये थे। फिर रीमा ने अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी पैन्टी की तरफ देखते हुये अपनी दो उगलीयो को अपनी गिली हो चुकी पैन्टी से गिला किया और और फिर मेरी आँखो मे आँखे डाल कर अपनी दोनो उगलीयाँ मेरी नाक के नीचे रख दी।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:08

जैसे ही उसकी उगलीयाँ मेरे नाक के पास आयी रीमा के चूत रस की तीखी गंध मेरी नाक मे घुस गयी। उसके चूत रस की महक बहुत ही मादक थी। इतनी मादक के कुछ पल तो मैं उसमे ही खो गया। सोचने लगा की मैं अपने घुटनो के बल बैठ कर अपनी नाक उसकी पैन्टी पर रखकर सीधे रस के सोत्र से उसकी गंध को सूंध रहा हूँ। मेरे को इसतरह खोये हुये देखकर रीमा ने पूछा कहाँ खो गये मेरे राजा। मैंने कहा तुम्हारे चूत रस मे मेरी रानी। कैसी लगी मेरे चूत रस की गंध। मैंने कहा माँ मेरे लिये तो तुम्हारे बदन की गंध बदन से निकलने वाले सारे पर्दाथो के गंध जीवन वायु के समान है। और चूत रस की गंध तो उनमे सबसे उपर है। बहुत ही मादक मस्ताने सेक्स से भरपूर।

सुनकर रीमा बहुत खुश हुयी। खुशी के भाव उसके चहरे पर साफ झलक रहे थे। मैंने कहा माँ तुमने अपना मदन रस मुझे सुंघा तो दिया अब क्या इसका स्वाद मुझको नही चखाओगी मेरी रानी। रीमा मुस्कुराते हुये बोली क्यो नही राजा। हम दोनो के खडे होने मैं अभी भी कुछ अंतर नही आया था। मेरे हाथ अभी भी उसके कमर के ईर्दर्गिद लिपटे थे। और मेरा लंड मदमस्त होकर बराबर रस बहाते हुये उसके पेटीकोट को गिला कर रहा था। मैं सोच रहा था की अगर मैं इसी तरह ५-७ मिनट और खडा रहा तो उसका पेटीकोट नीचे से पूरा गीला हो जायेगा।

रीमा ने फिर से अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी उगलियाँ अपनी पैन्टी पर लगा दी। पर अबकी बार थोडी देर तक वह अपनी उगलीयाँ अपनी चूत के मुँह पर चलाती रही जिससे ज्यादा से ज्यादा रस उसकी उगलीयो पर इक्कठा हो सके। थोडी देर बाद रस इक्कठा कर के रीमा ने अपनी उगलीयाँ मेरे मुँह के सामने रख दी। उसकी उगलीयाँ उसके चूत रस से पूरी तरह से गीली थी। यहाँ तक की उसकी उगलीयो पर उसके मदन रस की बूंदे झलक रही थी। फिर मेरी और देख कर रीमा ना कहा लो बेटा चख लो अपनी माँ का चूत रस। तुम्हारा पहला मदन रस। जैसे जब बच्चा छोटा होता है तो माँ बच्चे को खाना खाना सिखाती है इसी तरह तुम चुदायी शास्त्र मे अभी बच्चे हो और मैं ये तुम्हारी माँ तुमको चुदायी क्रिणा मे उत्पदित रसो का पहला निवाला तुमको खिला रही हूँ। और मैं बहुत खुश हूँ की मुझे ये सोभाग्य प्राप्त हुआ है।

मैने अपना मुँह आगे बढा कर रीमा की उगलीयो को अपने मुँह मे ले लिया और अपनी जीभ को उसकी उगलीयो के चारो तरफ घुमाने लगा। और थोडी देर मे ही मैंने अपनी जीभ फिरा फिरा कर उसके चूत रस को अपनी लार के साथ मिला लिया जिस से मैं रीमा के चूत रस का स्वाद ले सकूँ। रस तो लार मे अच्छी तरह से मिलाने के बाद मैं उसको पी गया। मेरे लार पीने के बाद रीमा ने अपनी उगलीयाँ मेरे मुहँ से निकाल ली। और बोली बोल बेटा बता कैसा लगा तुझे अपनी माँ का चूत रस मैं बोला माँ इतना अच्छा की मैं सिर्फ तुम्हारा चूत रस पी कर पूरी जिंन्दगी बिता सकता हूँ। मेरी बात सुनकर रीमा का चहेरा खुशी और मस्ती मे लाल हो गया गर्व से चूचीयाँ और फूल कर तन गयी।


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