कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

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007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:42

चंपा की आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी
दीपक , चंपा के सामने आया चंपा ने अपने दोनो हाथो को पकड़ा हुआ था और अपनी
चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी, दीपक चंपा की चुचियो को चूसे जा रहा था
चंपा ने ज़ोर से दीपक के कान को काट लिया ,दीपक एक दम से पीछे हुआ और अपने
कान को मसल्ने लगा

चंपा की तरफ देख , और हल्का सा मुस्कुरा दिया चंपा ज़ोर हस पड़ी ,दीपक झट
से आगे आया और चंपा के होंठो को चाटने लगा ,चंपा ने भी अपनी जीभ दीपक के
मूह मे डाल दी

दोनो ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे को प्यार कर रहे थे ,चंपा ने अब अपने हाथ
भी अलग कर लिए थे , दीपक चुचियो को ज़ोर से मसल्ते हुए अपना हाथ चंपा की
चूत पर ले गया ,झांतो मे हाथ लगते ही उसे गीले पन का एहसास हुआ ,चंपा बहुत
गरम थी अपने होंठो को बार-2 अपने दाँतों मे दबा रही थी

दीपक ने जैसे ही अपनी उंगली अंदर करने की कौशिश की चंपा दीपक से चिपक गयी
और दीपक के कंधे को चूमने लगी

दीपक: मेरी तरफ देखो,क्या हुआ

चंपा: कुछ नही (बहुत धीरे से बोली)

दीपक ने चंपा काहाथ अपने लंड पे फिर से रखा

दीपक ने चंपा का हाथ फिर से अपने लंड पे रखा , चंपा को एक गरम रोड का एहसास
हुआ ,चंपा नीचे बैठी अंडरवेर को नीचे किया सामने लंबा लंड झांतो से भरा
हुआ,सूपड़ा एक दम लाल.

अपने हाथ मे लंड पकड़ा और दीपक की तरफ उपर देखा ,दीपक भी चंपा की तरफ देख
रहा था ,चंपा ने लंड को आगे पीछे किया ,दीपक मज़े मे चूर था

दीपक ने चंपा को उपर खड़ा किया

चंपा खड़ी हुई पर लंड अभी भी उसके हाथ मे ही था ,दीपक चंपा के होंठो को
चूसे जा रहा था अपने हाथो से चुचियो को दबाए जा रहा था ,चंपा लंड आराम से
हिला रही थी

दोनो थक गये थे खड़े खड़े ,आख़िर उन्होने आज इतना काम जो किया था , दीपक
चंपा का हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया ,बेड पर बैठा सामने चंपा बिल्कुल
नंगी खड़ी थी ,उसके पेट पर हाथ फिराते हुए चूमने लगा पेट को ,चंपा की हालत
और खराब होती जा रही थी

चंपा इतनी गरम थी के अब अगर दीपक उसे ना छोड़ता तो वो झाड़ जाती ,, चंपा
दीपक से अलग हुई और किचन की तरफ गयी ,दीपक हैरान हो गया के ये क्या हुआ

दीपक धीरे से बेड से उठा और सीधा किचन की तरफ़ गया, चंपा सामने खड़ी ग्लास
से पानी पी रही थी , दीपक को उसकी तरफ आता देख वो हल्का सा हसी ,दीपक चंपा
के करीब गया , उसके ग्लास से पानी पानी पिया ,ग्लास को ऐसे ही ज़मीन पर
छ्चोड़ दिया

दीपक चंपा पे झपटा सीधा अपने दाँत चंपा की दाई चुचि पे गाढ दिए , चंपा
सिहर्ररर उठी , दीपक के बॉल पकड़े और ज़ोर से खिचने लगी , दोनो एक दूसरे को
प्यार के साथ दर्द भी दे रहे थे


दीपक: दर्द हुआ

चंपा ने सिर हिला के हामी भारी

दीपक ने होंठो से होंठो को जोड़ दिया ,चंपा एक दम से दीवार से जा चिपकी
,दीपक दोनो चुचियो को बड़ी ज़ोर से पीस्से जा रहा था ( मानो जैसे कोई छोटा
बच्चा कोई नया खिलोना मिलने पर खुश होता है ,उसके साथ खेलता है )

दीपक ने चंपा का हाथ अपने लंड पर रख दिया ,चंपा उसे आगे पीछे कर रही थी
बड़े आराम से ,क्यूकी वो खुद अपनी चुचियो की पिसाई की मज़े मे चूर थी ,दीपक
बाई निप्ले को लेकर चूसे जा रहा था ,एक दम से निपल मे काट लिया चंपा के
मूह से अहह निकल पड़ी

चंपा एक दम गरम थी ,उसका दर्द उसकी गर्मी को और बढ़ा रहा था

चंपा: साहेब जी ह्म्*म्म्ममम, आराम से करिए ना

दीपक ने अपना सिर चुचियो से हटाया ,चंपा की आँखों मे उसके दर्द सॉफ दिखाई
दे रहा था उसे, उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा लाया,जैसे कुछ बोलना चाहता
हो

दीपक: अब मैं तुम्हारा दीपक हू ,साहेब जी नही

ये सुन कर चंपा थोड़ा शरमाई, अपना चेहरा एक तरफ को कर लिया ,दीपक ने अपने
हाथो मे उसका चेहरा लिया

दीपक: क्या हुआ , क्या मेरा नाम अछा नही है ( हंसते हुए बोला)

चंपा: बहुत अछा नाम है आपका पर (बोलते हुए रुक गयी)

दीपक: ये वक्त पर बातो का नही है

दोनो ज़ोर से हस पड़े , दीपक ने चंपा को दीवार से हटाया और उसके पीछे गया ,
उसके बालो को हटाया और गर्देन को चूमता हुआ कमर तक आया ,पीछे से अपने हाथ
चंपा के पेट और चुचियो पर बारी-2 से घुमा रहा था

चंपा पागल हो रही थी ,शायद वो आज तक इतनी गरम कभी नही हुई थी, चंपा ने अपने
हाथ पीछे ले जा कर दीपक का लंड पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया ( मानो अब
वो रुक नही सकती)

दीपक को अचानक ऐसा लगा के ,उसके लंड पर जैसे आग लगी हो ,किसी जलती भट्टी पे
उसका लंड टकरा गया हो ,चंपा अपनी झांतो मे बार-2 उंगली कर रही थी ,दीपक को
समझ आ रहा था के उसे अब क्या करना है

दीपक ,चंपा के सामने आया ,उसके गालो पर अपनी पूरी जीभ फिरा रहा था ,चंपा ने
उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के मूह पर लगा दिया, दीपक हल्का पीछे हुआ एक
हल्का सा धक्का मारा पर लंड चूत पे लगा पर अंदर नही गया ,चंपा ने लंड पकड़ा
दूसरे हाथ से चूत का मूह खोला और लंड थोड़ा सा अंदर किया (गरम उबलता हुआ
लावा उसके अंदर आग लगा रहा था)

दीपक ने धक्का मारा ,चंपा के मूह से चीख निकल गयी (उसको बहुत दर्द हो रहा
था) उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े ,दीपक ने उसका दर्द देख कर थोड़ा पीछे
होकर लंड बाहर निकाल लिया

उसका हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया,चंपा को बेड पर बैठाया और लेटने का
इशारा किया,चंपा खुद ही खुद जल्दी से टाँगें फैला के लेट गयी ,सामने दीपक
खड़ा सीधा चंपा की टाँगो की बीच देखे जा रहा था ,चंपा भी दीपक को देख रही
थी

दीपक आज पहली बार ऐसे किसी को नंगा पूरी टाँगें खोले देख रहा था ,उसकी
आँखें चंपा की चूत से हट नही रही थी ,चंपा की आँखों से दीपक की आँखें मिली (
चंपा उसे अपनी तरफ बुला रही थी) दीपक बेड के उपर चढ़ा चंपा की टाँगो की
बीच गया अपना हाथ चंपा की चूत पे फिरा दिया ( चंपा पागल हो गयी)

चंपा ने दीपक को अपनी टाँगो मे जकड़ा ( दीपक की आहह निकल पड़ी) चंपा की
टाँग दीपक के ज़ख़्म पे लगी ,वो समझ गयी, उसने अपनी टाँगो का ताला खोल दिया

पर दीपक ने अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ला के ,ये ज़ाहिर्र किया के
वो ठीक है,चंपा भी हल्का सा मुस्कुरा दी,दीपक थोड़ा आगे हुआ और अपनी जीभ
उसके पेट से लेकर चुचियो के बीच से निकलते हुए ,सुराई दार गर्देन पर फिराते
हुए उसके लाबो से मिला दी,चंपा ने भी उसका साथ देते हुए दीपक की जीभ को
ज़ोर चुस्स्स लिया

ऐसे ही दोनो एक दूसरे को चूसे जा रहे थे,चंपा ने अपनी टाँगें थोड़ी और
फैलाई दीपक का लंड हाथ मे लेकर अपनी चूत का मूह खोल कर अंदर किया , दीपक के
चूतादो पर हाथ ले जा कर दवाब बनाया

दीपक ,चंपा के लबो से लबो मिलाए एक दूसरे को चूसे जा रहे थे ,अब दोनो की
साँस उखाड़ रही थी थूक भी एक दूसरे के गालो पर बह रही थी (पर दोनो एक दूसरे
को छ्चोड़ना नही चाहते थे) दीपक समझ चुका था के उसका लंड चंपा की चूत के
मूह पर है (पर अब सब कुछ आराम से करना चाहता था ,पहले की तरहा उसे दर्द नही
देना चाहता था)

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:43

दोनो के लब अलग हुए ,चंपा बहुत ज़ोर-2 से साँसे लेने लगी ,उसकी चुचिया भी
उसकी सांसो के साथ उपर नीचे हो रही थी, दीपक सीधा हुआ अपने लंड को चंपा की
चूत के मूह पर देखा ,लंड थोड़ा अंदर जा चुका था, अपनी कमर पीछे करके एक
हल्का सा धक्का दिया ,लंड थोडा अंदर गया ,चंपा ने बेड को अपने दोनो हाथ से
पकड़ लिया

दीपक के लंड पे पानी लग चुका था ,चंपा की भट्टी का , चंपा ने अपनी आँखें
पूरे ज़ोर मे बंद कर रखी थी ,एक मिनट तक दीपक ने धक्का नही मारा , जैसे ही
चंपा ने अपनी आँखें खोली दीपक ने अपनी कमर हिला के लंड को और अंदर किया
,चंपा फिर सिहहररर उठी

चंपा पहले काफ़ी बार ये सब कर चुकी थी पर आज ,दीपक के साथ उसे कुछ अलग ही
मज़ा आ रहा था , मानो वो आज आसमान मे उड़ रही हो ,, दीपक आज तक कभी ऐसे कभी
किसी औरत के साथ सोया नही था ,उसे ये तो पता था के चंपा जागया से प्यार
करती थी ,और वो उनकी फिल्म भी देख चुका था,पर वो ना जाने क्यू चंपा की तरफ
खिचता चला जा रहा था


दीपक ने अपनी कमर हिलाई और एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा के मूह से आहह
निकली पर इस बार वो खुद चाहती थी के दीपक और ज़ोर से धक्के मारे

दीपक: मेरी तरफ देखो

ये बोलते ही ,दीपक ने धक्का मारा और पूरा लंड अंदर तक पहुच चुका था

दो मिनट तक दोनो एक दूसरे को देखते रहे , चंपा की गर्मी बढ़ रही थी, उसने
अपनी कमर खुद हिला कर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया

दीपक ने चंपा की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया , धीरे से अपना लंड बाहर निकाला
और जड़ तक डाल दिया , वो चंपा को तरसा रहा था धक्के भी धीरे-2 लगा रहा था ,
वो चंपा की आग को और भड़का रहा था

दीपक: क्या हुआ?

चंपा: कर दीजिए

दीपक: क्या करू ?

चंपा शरर्मा गयी ,और अपना चेहरा छुपा के हस्ने लगी, दीपक ने उसके दोनो हाथो
को पकड़ कर अलग किया, चंपा की आँखें ज़ोरो से बंद थी पर चेहरे पर एक हल्की
सी हँसी थी

दीपक ने एक ज़ोर से धक्का मारा , चंपा की आँखे खुद बा खुद खुल गयी , चंपा
भी अपनी कमर हिला रही थी , दीपक जान बूझ कर धीरे -2 धक्के मार रहा था ,
चंपा अपनी कमर को हिलाते हुए ,मूह से हल्की आवाज़ और तेज़ी से साँसे ले रही
थी

दीपक ने अपने धक्को को तेज़ किया और नीचे चंपा के धक्को से मिला दिया , जब
दीपक धक्का मार के उपर होता चंपा अपनी कमर उपर उठा देती ,ओर वैसे की दीपक
जब धक्का मार के लंड अंदर करता , चंपा कमर को बेड पर रख देती ,दोनो एक
दूसरे का शिकार कर रहे थे

दोनो जिस्म एक दम आपस मे चिपके हुए थे , धक्को के साथ-2 लबो को चूसना जारी
था

दीपक ये पहली बार कर रहा था, पर दिव्या के साथ बीताए पल उसे अभी भी याद थे

चंपा की साँसें तेज़ होती जा रही थी , उसने धक्के लगाना भी बंद कर दिया था
,दीपक के धक्को की रफ़्तार तेज़ हो चुकी थी

चंपा का शरीर ढीला पड़ा , पहला झटका लगा ,दीपक को झटके का एहसास हुआ उसने
धक्के रोक दिए ,सामने चंपा की तरफ देखा उसके चेहरे पर एक सकून था ,जैसे
किसी प्यासे की प्यास भुज गयी हो ,दीपक ने फिर धक्के लगाने शुरू किए इस बार
वो भी बहुत करीब पहुच चुका था ,चंपा का गरम पानी दीपक के पूरे लंड को भिगा
चुका था


दीपक को लगा के वो झड़ने वाला है ,सामने चंपा तो जैसे एक नशे मे थी ,उसे
कुछ होश नही था

दीपक ने जल्दी से लंड बाहर निकाला और उसका पानी हवा मे उछला सीधा चंपा की
कमर पर पहली बूँद गिरी, चंपा की नज़रे उसी को देख रही थी ,उसका वीरया थोड़ा
उसकी चूत और बेड पे गिरा

दीपक ज़ोर-2 से साँस ले रहा था, उसकी नज़रे चंपा की नज़रो से मिली हुई थी
,मानो दोनो एक दूसरे को ऐसे ही देखते रहना चाहते हो

दीपक बेड से नीचे हुआ,सामने खड़ा होकर चंपा की तरफ ही देख रहा था,बेड पे
लेटी चंपा को शर्म आ रही थी ,चंपा ने बेड से नीचे देखा उसकी ब्रा और पॅंटी
पास मे ही पड़ी थी

जल्दी से खड़ी हुए कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ गयी
बाथरूम मे घुसते ही , चंपा दरवाज़े के पीछे खड़ी तेज़ साँसें ले रही थी,
उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी थी, कपड़े पहन लेने के बाद भी चंपा बाहर नही
गयी , कदम बढ़ाती फिर रुक जाती पता नही उसके मन मे क्या था


बाहर दीपक अपने कपड़े पहन चुका था और चंपा का इंतेज़ार कर रहा था, आधा घंटा
हुआ पर चंपा बाहर नही आई

चंपा बाहर जल्दी से जाना चाहती थी ,पर दरवाज़े पर हाथ लगाते ही ,पीछे हट
जाती थी

थोड़ी देर बाद तक जब चंपा बाहर नही आई , दीपक बाथरूम के पास गया , बाहर से
दरवाज़ा खत खाटाया

दीपक: चंपा तुम ठीक तो हो

अंदर से चंपा जवाब तो देना चाहती थी पर उसकी ज़बान कुछ बोल नही पाई , दीपक
ने दरवाज़े पर दबाव बनाया , दरवाज़ा खुला हुआ था , अंदर चंपा को जब लगा के
दीपक यही आ रहा है , वो मुड़ के खड़ी हो गयी

दरवाज़ा खुला सामने चंपा , दीवार की तरफ मूह करके खड़ी हुई थी , दीपक अंदर
गया , उसके कंधे को छूने के लिए हाथ बदाया पर वापस अपना हाथ खींच लिया

दीपक: (आराम से बोला) चंपा इधर देखो
दीपक की आवाज़ सुनते ही ,चंपा और आगे हो गयी ,दीवार से जा चिपकी , दीपक को
ऐसा लगा के उसने ये सब ग़लत कर दिया है

दीपक, चंपा के पास गया उसके कंधे पर हाथ रखा

दीपक: मुझ से कोई ग़लती हो गयी

चंपा ने सामने गर्दन ना मे हिला के जवाब दिया

दीपक: तो मेरी तरफ देखो

चंपा ने फिर गर्दन ना मे हिलाई

दीपक पीछे से चंपा के करीब गया ,उसके दोनो कंधो पर अपना हाथ रखा ,और उसे
अपनी तरफ करने लगा , चंपा अपने दोनो हाथो को बाँधे पीस रही थी, उसकी नज़रे
नीचे थी चहरे पर एक हल्की से मुस्कान थी

दीपक: क्या हुआ , कुछ बोलो

चंपा कुछ नही बोली ,सीधा दीपक के कंधे पर अपना सिर रख दिया , दीपक ने अपने
हाथ उसकी कमर के पीछे बाँधे और ज़ोर से जाकड़ लिया

थोड़ी देर तक दोनो मे से कोई नही बोला ,दीपक ने अपना मूह खोला

दीपक: चंपा मुझे बहुत ज़ोर की भूक लगी है , खाना खिला दो

चंपा ,दीपक से अलग हुए ,उसकी आँखों मे देखा , हल्का सा मुस्कुरई

चंपा: 5मिनट दीजिए अभी तैयार करती हू

ये बोल कर दोनो बाथरूम से बाहर आए

दीपक खाना खा के बेड पर बैठा था के चंपा सामने आकर खड़ी हो गयी,उसकी नज़रे
अभी भी नीचे ही थी

दीपक: चंदू आया नही अभी तक

चंपा: आता ही होगा,आप उसके साथ जाएँगे

दीपक: जाना तो पड़ेगा चंपा ,ऐसे बैठ नही सकता मैं

चंपा: पर आपका जखम

दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ किया

दीपक: चिंता मत करो मुझे कुछ नही होगा

...

राणे पुरानी फाइल्स को छान रहा ,धूल मिट्टी से भरा कमरा ,चारो तरफ धूल से
धक्की फाइल्स पड़ी थी

राणे: बाबू राम आज मिट्टी से नहाना पड़ेगा भाई

हवलदार: सर आप जा कर बैठे मुझे बताए क्या ढूंडना है

राणे: ह्म्*म्म्म प्रमोशन तुहार पक्का है

ये सुनते ही बाबूराम खुश हो गया, राणे अभी भी फाइल्स को छान रहा था,बहुत
साल पुराने केसस की फाइल्स थी सब धूल मिट्टी से धक्की पड़ी थी

हवलदार: साहेब आप की पगार कितना है

राणे: क्यू पूछ रहे हो ,हम लोन नही देते भैया

हवलदार: नही साहेब मे तो इसलिए पूछ रहा था के ,कल को जब मे पोलीस
इनस्पेक्टर बनूंगा तब मेरी पगार कितनी होगी

राणे: चिंता मत करो सब पता चल जाएगा

थोड़ी देर बाद कुछ फाइल्स उठाई और उस कमरे से बाहर दोनो आए, दोनो धूल मे
लथपथ थे , अपना मूह हाथ धोने के बाद राणे अपनी कुर्सी पर बैठा

007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:43

जो फाइल्स वो लोग उस कमरे से लाए था , राणे उन्हे खोलने लगा , हर फाइल मे
खून के केसस थे , जो केस सॉल्व हो चुके थे उन पर मुजरिम के फोटो भी लगे हुए
थे

राणे: बाबू राम चाइ बोलो

काफ़ी सारी फाइल्स छानने के बाद , एक फाइल को राणे ने साइड मे रखा , हवलदार
चाइ लेकर आया

राणे: ये सब वापस रख दो

हवलदार ने टेबल से सारी फाइल्स उठाई , और वापस उसी रूम मे रख दी

कुछ देर उसी फाइल मे बिताने के बाद ,एक पेपर पर कुछ डीटेल्स नोट करी, राणे
ने हवलदार को अपने पास बुलाया

राणे: ये जिस -2 के नाम इस मे है , इनकी डीटेल ले कर आओ , कहा पर है क्या
कर रहे हो , कौन मर चुका है कौन ज़िंदा है समझे का

हवलदार: जी सर

राणे ने कुछ देर ऐसे ही फाइल को चेक किया , वो एक दम से चौक पड़ा , जैसे
मानो उसे कुछ मिला हो , उसने फोन उठाया नंबर डाइयल किया

राणे: कहा पर हो

डीटेक्टिव: सर आपका काम ही कर रहा हू

राणे: एक काम करो
राणे ने कुछ डीटेल्स और अड्रेस डीटेक्टिव को दिया

राणे: जो अड्रेस तुम्हे दिए है , इसका पूरा हिस्टरी दो , और हां एक भी
ग़लती ना हो किसे को पता नही लगना चाहिए के हम क्या कर रहे है

डीटेक्टिव: जी सर , अभी पहले वही जाता हू

राणे ने फोन काटा और चाइ की चुस्की भरी

.....

चंदू खूली मे दाखिल हुआ ,सामने दीपक बेड पे बैठा उसका ही इंतेज़ार कर रहा
था


चंपा: अरे तू आगया , साहेब जी तेरा बड़ी देर से इंतेज़ार कर रहे थे

चंदू: कही काम मे फस गया था , चलो

दीपक: क्या तुमने अपने दोस्त से बात की

चंदू: हां मेने उसे बोल दिया था, पर वो बस हमे सत्या से मिलवा सकता है ,
बाकी सब तुम्हे खुद पूछना पड़ेगा

दीपक: चलो

चंपा: चंदू साथ मे रहना साहेब जी के समझा

चंदू: हां साथ रहूँगा ,तू चिंता मत कर

दोनो खोली से बाहर की और हुए ,दीपक ने मूड के चंपा को मुस्कान दी और कमरे
से बाहर हो गया

दोनो कुछ दूर तक ऐसे ही चल रहे थे,दीपक ने सामने से दिव्या को आते देखा
,दिव्या ने भी उसे देख लिया था , दिव्या अकेली थी उसी की तरफ बढ़ रही थी

दीपक के कदम खुद बा खुद रुक गये , उसकी नज़रे दिव्या पर ही थी , दिव्या भी
उसे देख रही थी , चंदू अपनी धुन मे थोड़ा आगे बढ़ चुका था

दीपक ने कुछ बोलना चाह पर अचानक दिव्या की आँखों मे एक गुस्से की ल़हेर पा
कर रुक गया, दिव्या दीपक की तरफ ही देख रही , वो दीपक से बहुत सवाल करना
चाहती थी पर कुछ बोली नही

उसका गुस्सा उसके चेहरे पे ज़ाहिर था , कुछ बोली नही बस आगे बढ़ चली , दीपक
वही खड़ा उसे जाते देख रहा था

चंदू: अरे कहा पीछे रह गये , आओ जल्दी

चंदू की आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया , और वो भी आगे को हो गया


अप्सरा बार के बाहर दोनो पहुचे

चंदू : यही रूको मे अपने दोस्त से मिल कर आता हू

दीपक ने हामी भरी , चंदू बार के अंदर को हुआ

दीपक बाहर खड़ा इधर उधर देख रहा था, सामने उसे एक हवलदार आता दिखा , दीपक
घबराया और बार के अंदर हो गया

बार के अंदर अचानक सारी लाइट्स ऑफ हो गयी , और एक आवाज़ आई

दोस्तो आज हमारी शाम और रंगीन करने के लिए इस इलाक़े की मश-हूर डॅन्सर
मुन्नी आज यहा पेरफॉर्मेंसे देंगी
लाइट्स ऑन हुई , और तालियो की गड़ गड़ाहट सुनाई दी , जैसे ही लाइट्स ऑन हुए
दीपक ने अपने आप को लोगो की भीड़ पे पाया , आज बार मे एक जशन का महॉल था ,
लोग अपनी मस्ती मे मस्त थे शराब के जाम एक दूसरे से टकरा रहे थे

और एक अननौसेमेंट हुआ , दोस्तो आज हमारे बार के मल्लिक मिस्टर. सत्या जी भी
आप लोगो के साथ यही मौजूद है , आप सब तो इन्हे जानते ही होंगे ये इस शहेर
की एक जानी मानी हस्ती है

ये सुनते दीपक की नज़रे , स्टेज के उपर एक आदमी पर पड़ी जिसने माइक अपने
हाथ मे लिया ओर बोला

दोस्तो आज हमारे इस अप्सरा बार की 10थ अन्नीवेरसेरी हे , आप सब लोग यहा आए
आप लोगो का बहुत -2 शुक्रिया , ये बोल कर वो स्टेज से नीचे उतर गया , दीपक
की आँखें उसी पर टिक गयी

चंदू बार के बाहर आया , और दीपक को ढूँढने लगा , पर दीपक का कोई आता पता
नही था , उसे लगा जैसे दीपक बार के अंदर जा चुका है , वो जल्दी से बार के
अंदर हुआ

चंदू जैसे ही बार के अंदर हुआ , सामने स्टेज पर लड़किया डॅन्स कर रही थी,
स्टेज के आगे दो बॉडीगार्ड हाथ मे गन लिए खड़े थे जो सत्या के लिए थे
अचानक दीपक के कंधे पर किसे ने हाथ रखा ,दीपक ने पीछे मूड के देखा

चंदू: अंदर कब आए

दीपक: अभी आया हू, (अपनी उंगली से इशारा किया सत्या की और)

चंदू ने दीपक की और देख कर हामी भरी

एक आदमी सत्या के पास आया ,उसके कान मे कुछ कहा और वाहा से चला गया ,सामने
स्टेज पर डॅन्स चालू था , कुछ देर बाद सत्या वाहा से उठा और उपर बने अपने
पर्सनल कमरे मे चला गया , दोनो वाहा खड़े उसे ही देख रहे थे

दीपक: तुमने अपने दोस्त से बात की

चंदू: वो नही है यहा , कही काम से चला गया

दीपक: फिर मिल कैसे पाएँगे , यहा ख़तरा भी है ( उसका इशारा उन बॉडीगार्ड्स
की तरफ था)

दोनो बार के दूसरी तरफ हुए ,जहा से सत्या के कमरे की सीडिया नीचे से उपर जा
रही थी , और नीचे दोनो बॉडीगार्ड्स खड़े थे

दीपक : एक काम करो ( दीपक ने चंदू के कान मे कुछ कहा , चंदू तैयार नही हुआ ,
पर दीपक के बार-2 कहने पर मान गया )

चंदू , दीपक से अलग हुआ और आगे स्टेज की तरफ हुआ ,टेबल पे पड़े ग्लास को
उठाया और नशे मे चूर होने की आक्टिंग करने लगा

स्टेज की तरफ चंदू पहुचा , और खाली ग्लास के साथ नशे मे होने की आक्टिंग
करने लगा स्टेज पर नाच रही लड़कियो को छेड़ने लगा

पास खड़े मॅनेजर ने दोनो बॉडीगार्ड्स की तरफ इशारा करके बुलाया , इसे यहा
से बाहर फैंको

बॉडीगार्ड्स उसे स्टेज से दूर करते हुए बाहर गेट के पास लाए और वही छ्चोड़
दिया

दीपक इसका फ़ायदा उठा कर उपर सीडिया चढ़ते हुए कमरे मे दाखिल हुआ

नीचे फिर चंदू वापस बार मे अंदर आगेया था और बॉडीगार्ड्स के सामने नाचने
लगा

उपर सीडियो से दीपक भागता हुआ नीचे आया , बॉडीगार्ड्स ने उसे रोकने की
कोशिश की , दीपक ने दोनो को धक्का दिया और नीचे गिरा दिया , बार से भागता
हुआ बाहर हुआ , चंदू वही खड़ा देखता रहा वो कुछ समझ नही पाया

बॉडीगार्ड्स खड़े हुए , उपर सीडिया चढ़ते हुए कमरे मे पहुचे , सामने बेड पर
सत्या खून मे लथपथ पड़ा था , उसके गले से अभी भी खून बह रहा था

एक बॉडीगार्ड ने दूसरे को बोला , जा उसका पीछा कर , दूसरा बॉडीगार्ड भागता
हुआ बार से बाहर हुआ और चारो तरफ देखने लगा पर कोई नही था , लोगो की चहेल
पहाळ थी

पोलीस थाने मे बैठा राणे डीटेक्टिव के फोन का इंतेज़ार कर रहा था, वो चाहता
था के कोई खुशख़बरी मिले , फोन की घंटी बाजी, राणे ने झट से फोन उठाया

राणे: इनस्पेक्टर राणे हियर

बात ख़तम होने के बाद राणे ने फोन काटा, बड़े अजीब अंदाज़ मे कुर्सी से
खड़ा हुआ अपनी कॅप उठाई और बिना किसी को कुछ कहे पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ

गाड़ी के पास पहुचा

राणे: चलो

हवलदार: कहा सर

राणे: वाहा

हवलदार: सर

राणे: अरे यार एक खून और हुआ चलो अप्सरा बार

जीप अप्सरा बार के बाहर रुकी , कोई गाड़ी से नीच नही उतरा , हवलदार की नज़र
राणे पर पड़ी उसको लगा साहब कही घूमे है

हवलदार: सर हम पहुच गये

राणे अपनी नींद से जागा , गाड़ी से नीचे उतरा और बार के अंदर हुआ , सामने
सीडियो के पास भीड़ इकट्ठी थी, राणे को देख लोगो ने रास्ता दिया ,उपर
सीडिया चढ़ता हुआ कमरे मे पहुचा बेड खून से भरा था

पास मे पड़े फोन को उठाया ,पोलीस स्टेशन फोन किया

राणे: राणे बोल रहा हू , यहा अप्सरा बार मे फोरेन्सिक वालो को भेजो , एक
आफ़त और आ गयी है
राणे ने फोन रखा , और लाश के पास आया गले से अभी भी खून बह रहा था

सामने खिड़की के पास गया उसे खोला ,और सामने एक रस्सी लटक रही थी ,खिड़की
से झाँक के देखा ,बार की पिछली गली का रास्ता था, वाहा से मुड़ा


राणे: किसी को कुछ इस बारे मे पता है , कुछ देखा किसे ने

बॉडीगार्ड आगे आया

बॉडीगार्ड: साब एक लड़का था ,सत्या साब को मार के वो सीडियो से नीचे भाग
गया

राणे: तुम कौन हो ,और ये गले मे जो गन डाली है इसका लाइसेन्स है

बॉडीगार्ड: साब मे सत्या साब का बॉडीगार्ड हू ,इस गन का लिसेँसेंस है मेरे
पास

राणे: ऊ भाग गया , और तुम का एई गन लटकाए मूह देख रहे थे

बॉडीगार्ड: साब वो अचानक भागता हुआ आया और धक्का दिया , और भाग गया , हम
लोग कुछ समझ नही पाए

राणे: ह्म्*म्म. अरे हमका एई तो बताओ ,वो लड़का उपर कैसा आया

बॉडीगार्ड्स: पता नही सर हम दोनो तो नीचे ही खड़े थे ,उपर तो कोई नही आया
था सत्या साब हमारे सामने ही उपर आए थे, उस वक्त कमरे मे कोई नही था

राणे सोच मे पड़ गया , उसको याद था के सत्या पे पहले भी जान लेवा हमला हो
चुका था

थोड़ी देर मे पोलीस वालो के साथ , फोरेन्सिक वाले भी पहुच चुके थे

राणे ने फोरेन्सिक डिपार्टमेंट के एक आदमी को अपनी तरफ बुलाया , खिड़की के
पास ले कर गया और नीचे की तरफ इशारा किया

राणे: नीचे जाओ और वाहा जुतो (शूस) की निशान होंगे उन को उठा लो , और रस्सी
पे जो कुछ हो ले लेना

ये बात सुन कर वो आदमी कमरे से बाहर गली के पीछे हुआ , पीछे जैसे ही वो
नीचे पहुचा राणे ने आवाज़ दी

राणे: रस्सी खींचिए ज़रा , देखे नीचे आती है का

नीचे खड़े आदमी ने ज़ोर से रस्सी खींची पर , रस्सी को कुछ नही हुआ

राणे: ठीक है , अब तुम अपना काम करो

दो पोलिसेवालो को छत पर भेजा,

राणे: जाओ देखिए ज़रा ,एई रस्सी कहा अटकी है , और हां रस्सी को हाथ लगाने
से पहले ग्लाउब्स पहेन लेना

दोनो हवलदार भी छत की तरफ हुए

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