सुरेश: लेकिन PVऱ मैं तो तुमने कुछ भी न्ही कहा था
विभा: PVऱ की बात अलग थी मैं बहक गयइ थी लेकिन मैं मेरी बहिन के घर मैं आग न्ही लगा सकती .
सुरेश : मेरे एक बार तुम्हारे साथ कर लेने से तुम्हारी बहिन का कोई घर न्ही टूट जाएगा
विभा: आप भी क्या बात करते है जाइए उधर वाहा सोइए और दुबारा मुझे छूने की कोशिश भी मत करिएगा
सुरेश : सुनो तो विभा प्लीज़ ,मैं तुम्हे एक बार देखना चाहता हूँ पूरी तरह से बिना कपड़ो के .
विभा: ये न्ही हो सकता . आप मुझे आछे लगते है इसका मतलब ये नही की मैं आपको सब कुछ करने दूं
सुरेश: सोच लो...........
विभा: क्या , क्या सोच लूं मैं बोलोइए , क्या सोच लूँ
सुरेश : तुम्हे अपपने बहिन के घर की चिंता है ना
विभा: हाँ........मैं मेरी बहिन के पति के साथ न्ही कर सकती
सुरेश : लेकिन मैने करने के लिए तो न्ही कहा
विभा : लेकिन बात तो एक ही है
सुरेश : तो तुम्हे क्या लगता है तुम्हारे इनकार करने से तुमहरि बहिन का घर सेफ होगा
विभा: और क्या !!!!!!11
सुरेश: लेकिन अब मैं इसे अपपने साथ न्ही रखूँगा . और इसे तलाक़ दे दूँगा
सुनकर विभा का मूह खुला रह गया ..
विभा: न्ही जीजू आप एसा कैसे कर सकते है
सुरेश : बिल्कुल वैसे जैसे तुम इनकार कर रही हो
विभा : लेकिन आप समझते क्यों न्ही कि मैं एसा न्ही कर सकती.
सुरेश : मैने कहा तो कि मैं तुम्हारे साथ कुछ न्ही करूँगा केवल तुम्हे पूरी तरह से नंगा देखना चाहता हूँ
विभा: फिर आप दीदी को तलाक़ न्ही देंगे !!!!!!!!!
सुरेश: फिर क्यों दूँगा ...........
विभा: ओके लेकिन आप मर्यादा भंग न्ही करेंगे केवल मुझे देखेंगे और मुझे टच न्ही करेंगे
सुरेश : मंज़ूर है
विभा: लेकिन यहा कैसे ...दीदी जाग जाएगी
सुरेश: लेकिन वो न्ही जागेगी !!!!!!!!
विभा: न्ही मैं कोई रिस्क न्ही लेना चाहती , जाग गई तो , मैं घर मैं क्या मूह दिखौन्गि
सुरेश उसे ब्ताना न्ही चाहता कि रत्ना को तो सुबह 7 से पहले उठना ही न्ही है क्योंकि
टॅबलेट का असर तब तक तो रहना ही था लेकिन टॅबलेट की बात कह कर वो कोई प्लान ओपन न्ही करना चाहता था..
सुरेश : तो चलो किचन मैं चलते है
विभा: ओके , लेकिन अपपना वादा याद रखना , मुझे टच करने की कोशिश मत करना न्ही तो लाइफ मैं दुबारा कभी बात न्ही करूँगी ,
सुरेश: ठीक है
विभा: और आज के बाद मुझे ब्लैक्क्माइल भी न्ही करोगे , की दीदी को छ्चोड़ दूँगा
सुरेश: न्ही कहूँगा तुम चलो
विभा सुरेश किचन मैं आ जाते है सुरेश सारी लाइट्स ऑन कर देता है दूधिया रोस्नी मैं विभा का चेहरा बहुत खिल रहा था और सबसे पहले उसने शरम से अपपनी निगाहे नीची कर ली . और टॉप पर हाथ रखा लेकिन उठाने से पहले ही लज्जा का भार इतना बढ़ गया कि उपका हाथ उपेर तक जा ही न्ही पाया .
सुरेश : जल्दी करो विभारतना उठ जाएगी
विभा: रूको ना मुझे शरम आ रही है
सुरेश : मैं उठा दूं
विभा: तुम वही बैठे रहो पास मत आना
सुरेश: तो उठाओ ना
विभा: ओके . कोशिस करती हूँ
ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
विभा ने धीरे से कोशिश की और टॉप थोड़ा उपेर उठाया उसकी गोरी तुम्मी देखकर सुरेश के मूह मैं पानी आ गया लेकिन मज़बूरी मैं वही बैठा रहा फिर टॉप थोडा और उपेर गया जेसमे कि बूब्स पर बड़ी ब्लॅक ब्रा दिखने लगी...जो उसके गोरे जिस्म पर अलग से ही दिख रही थी .
और अगले स्टेप मैं उसने टॉप उतार ही दिया और ब्लॅक ब्रा मैं वो ब्ला की क़यामत लग रही थी सुरेश उसे पकड़ने को जैसे ही उठा विभा बोली ..वही बैठो उठना न्ही
सुरेश फिर वही बैठ गया और विभा ने अपपने सलवार का नाडा खोला और थोड़ा सा सलवार नीचे किया जिसमे से ब्लॅक पॅंटी दिखने लगी जो की उसकी योनि पर बहुत फूली थी उसके पॅंटी कुछ गीली भी लग रही थी जैसे विभा झाड़ रही थी. फिर विभा ने अपपनी सलवार उतार कर अलग कर दी अब वो केवल ब्रा और पॅंटी मैं खड़ी थी......... फिर उसके हाथ ब्रा के हुक्क पर गये और उसने उन्हे खोल दिया और जैसे ही विभा का एक निप्पल दिखा तो सुरेश के लिंग ने कुछ बूंदे निकाल दी वो झाड़ चुका था . और विभा के भूरे निपल्स जो अभी ठीक से उभरे भी न्ही थे बिल्कुल गुलाबी हो रहे थे .........ब्रा उतार कर उसने अलग रख दी . फिर अपपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मैं फँसाई और धीरे से खिसका कर थोड़ा सा नीचे लाई जिसससे उसकी झांते दिखने लगी थी. फिर थोडा और नीचे अब उसकी योनि पर घहरे घने बाल दिख रहे थे जो कि बहुत गीले थे फिर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.
विभा: लो उतार दिए सारे कपड़े अब कुछ न्ही बचा है मेरे शरीर पर
सुरेश: तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो
विभा: वो तो मैं हूँ ही. अब मैं कपड़े पहन लूँ
सुरेश : रुक जाओ ...थोड़ी देर ॥ प्लीज़ क्या मैं तुम्हारी फुदडी एक बार टच कर लूँ....................................
क्रमशः......................................
और अगले स्टेप मैं उसने टॉप उतार ही दिया और ब्लॅक ब्रा मैं वो ब्ला की क़यामत लग रही थी सुरेश उसे पकड़ने को जैसे ही उठा विभा बोली ..वही बैठो उठना न्ही
सुरेश फिर वही बैठ गया और विभा ने अपपने सलवार का नाडा खोला और थोड़ा सा सलवार नीचे किया जिसमे से ब्लॅक पॅंटी दिखने लगी जो की उसकी योनि पर बहुत फूली थी उसके पॅंटी कुछ गीली भी लग रही थी जैसे विभा झाड़ रही थी. फिर विभा ने अपपनी सलवार उतार कर अलग कर दी अब वो केवल ब्रा और पॅंटी मैं खड़ी थी......... फिर उसके हाथ ब्रा के हुक्क पर गये और उसने उन्हे खोल दिया और जैसे ही विभा का एक निप्पल दिखा तो सुरेश के लिंग ने कुछ बूंदे निकाल दी वो झाड़ चुका था . और विभा के भूरे निपल्स जो अभी ठीक से उभरे भी न्ही थे बिल्कुल गुलाबी हो रहे थे .........ब्रा उतार कर उसने अलग रख दी . फिर अपपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मैं फँसाई और धीरे से खिसका कर थोड़ा सा नीचे लाई जिसससे उसकी झांते दिखने लगी थी. फिर थोडा और नीचे अब उसकी योनि पर घहरे घने बाल दिख रहे थे जो कि बहुत गीले थे फिर उसने अपनी पॅंटी उतार दी.
विभा: लो उतार दिए सारे कपड़े अब कुछ न्ही बचा है मेरे शरीर पर
सुरेश: तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो
विभा: वो तो मैं हूँ ही. अब मैं कपड़े पहन लूँ
सुरेश : रुक जाओ ...थोड़ी देर ॥ प्लीज़ क्या मैं तुम्हारी फुदडी एक बार टच कर लूँ....................................
क्रमशः......................................
Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
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गतांक से आगे ...............................................
विभा: न्ही ये न्ही हो सकता ..तुमने वादा किया था
सुरेश ने तब तक हाथ फिराना सुरू कर दिया था. विभा तड़प रही थी लेकिन विभा ने भी कसम का ली थी कि आज वो सुरेश को इससे आगे न्ही बढ़ने देगी. लेकिन अपपनी कंडीशन देखकर विभा को शरम आ रही थी कि आख़िर वो रोकेगी कैसे वो पहले ही इतना आगे बढ़ चुकी थी कि अब वो सुरेश को रोके तो रोके कैसे ...केवल एक ही रास्ता था कि रत्ना इस वक़्त जाग जाए तो इस खेल का अंत हो सकता था लेकिन विभा को कोई उम्मीद न्ही दिख रही थी कि अभी रत्ना उठेगी. विभा को रुलाई आने लगी लेकिन वो अपपनी रुलाई रोके हुए थी..
सुरेश का उसके मादक और निजी अंगो पर स्पर्श उसे अब लिज़लीसा और बहुत खराब लग रहा था सुरेश का हाथ अपपनी जाँघो के बीच पाकर एक बार उसका मन डॉल गया लेकिन फिर उसने सोच लिया कि एसा न्ही होने देगी वो और उसने अपपनी जाँघो को ज़ोर से भींच लिया क केवल 2 सेकेंड की ही देर हो गई विभा के जाँघ सिकोड़ने से पहले ही सुरेश अपपना हाथ जाँघो के बीच डाल चुका था जिसके कारण विभा के जाँघ सिकोडते ही सुरेश का हाथ उसकी योनि मैं जाकर फँस गया . लेकिन सुरेश को उसके आँसुओ की तो जैसे परवाह ही न्ही थी . उसने आसानी से अपपनी उंगलियाँ अंदर घुमानी सुरू कर दी विभा का हॉल बुरा था . वो समझ न्ही पा रही थी क्या क्या करे समर्पण कर दे या फिर एक जोरदार तमाचा मार कर सब यही पर ख़तम कर दे लेकिन सुरेश तो जैसे एक मशीन ही था. हाथ रुक ही न्ही रहे थे लेकिन विभा को अब जैसे सेक्स का कोई मतलब ही न्ही था बल्कि सुरेश की उंगलियाँ विभा की उत्तेजना को बढ़ाने की ब्ज़ाए उसे दर्द दे रही थी कि 2 मिनूट के पश्चात ही विभा ने एक जोरदार थप्पड़ सुरेश के गाल पर जमा दिया .सुरेश हक्कबाक्का रह गया कि आख़िर ये क्या हो गया और विभा
विभा: अपपको ज़रा सी भी चिंता न्ही कि कोई रो रहा है या उसके दिल मैं क्या है अपपको बस अपपने काम से मतलब है . कैसे इंसान है आप सेक्स इंसान की खुशी के लिए होता है या उसे तक़लिएफ़ देने के लिए
सुरेश: लेकिन तुम तो अपपनी मर्ज़ी से तैयार हुई थी. फिर ये तमाचा.......
विभा: ये तुम्हे ब्ताने के लिए लड़की केवल चुदाई करवाने की मशीन न्ही है जिसे आप जब मर्ज़ी आए चोद ले
विभा मैं कैसे इतनी शक्ति आ गई कि वो इतनी बात बोल पाई तब तक सुबह के 4 बज चुके थे विभा अपपने कपड़े उठाकर टाय्लेट मैं चली गई और नाहकार लगभग 5 बजे बाहर निकली . आकर उसने देखा की सुरेश सो चुका था फिर उसने रत्ना को उठाया
विभा: दीदी , उठो दीदी मुझे जाना भी है आज
रत्ना: कहा जाना है विभु तुंझे अभी कहा तेरा इंटरव्यू होने वाला है सुबह के 5 बजे
विभा: दीदी मुझे आज घर जाना है , मैं इंटरव्यू देने न्ही जा रही हूँ कंपनी से ईमेल आया था कि इंटरव्यू कॅन्सल हो चुका और अब अगले मोन्थ है
रत्ना : लेकिन विभु रात तक तो एसा कुछ न्ही था
विभा: न्ही मेरी फ्रेंड का फोन आया था कह रही थी मैने ईमेल देखी है इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है और अब अगले मोन्थ होगा , तुम जल्दी से उठो मुझे जाना भी है
रत्ना : तू भी पागल है बचपन से परेशान करती चली आ रही है मुझे
विभा : दिदिदीईईईईईईईईईईईई अब तुम भी .बचपन की बातें . अब मैं बड़ी हो गई हूँ .
रत्ना: हाँ बहुत बड़ी हो गई है तू देख तेरी पॅंटी यही पड़ी है ... तुमने पॅंटी पहना छ्चोड़ दिया है क्या ये यहा क्यों पड़ी है
विभा की उपेर की साँसे उपर और नीचे की साँसे नीचे रह गई ये क्या गड़बड़ हो गई न्ही दीदी मैने अपपनी पहनी हुई है अभी नहाने के लिए जाते मैं कपड़े निकाले थे तभी गिर गयी होगी.
गतांक से आगे ...............................................
विभा: न्ही ये न्ही हो सकता ..तुमने वादा किया था
सुरेश ने तब तक हाथ फिराना सुरू कर दिया था. विभा तड़प रही थी लेकिन विभा ने भी कसम का ली थी कि आज वो सुरेश को इससे आगे न्ही बढ़ने देगी. लेकिन अपपनी कंडीशन देखकर विभा को शरम आ रही थी कि आख़िर वो रोकेगी कैसे वो पहले ही इतना आगे बढ़ चुकी थी कि अब वो सुरेश को रोके तो रोके कैसे ...केवल एक ही रास्ता था कि रत्ना इस वक़्त जाग जाए तो इस खेल का अंत हो सकता था लेकिन विभा को कोई उम्मीद न्ही दिख रही थी कि अभी रत्ना उठेगी. विभा को रुलाई आने लगी लेकिन वो अपपनी रुलाई रोके हुए थी..
सुरेश का उसके मादक और निजी अंगो पर स्पर्श उसे अब लिज़लीसा और बहुत खराब लग रहा था सुरेश का हाथ अपपनी जाँघो के बीच पाकर एक बार उसका मन डॉल गया लेकिन फिर उसने सोच लिया कि एसा न्ही होने देगी वो और उसने अपपनी जाँघो को ज़ोर से भींच लिया क केवल 2 सेकेंड की ही देर हो गई विभा के जाँघ सिकोड़ने से पहले ही सुरेश अपपना हाथ जाँघो के बीच डाल चुका था जिसके कारण विभा के जाँघ सिकोडते ही सुरेश का हाथ उसकी योनि मैं जाकर फँस गया . लेकिन सुरेश को उसके आँसुओ की तो जैसे परवाह ही न्ही थी . उसने आसानी से अपपनी उंगलियाँ अंदर घुमानी सुरू कर दी विभा का हॉल बुरा था . वो समझ न्ही पा रही थी क्या क्या करे समर्पण कर दे या फिर एक जोरदार तमाचा मार कर सब यही पर ख़तम कर दे लेकिन सुरेश तो जैसे एक मशीन ही था. हाथ रुक ही न्ही रहे थे लेकिन विभा को अब जैसे सेक्स का कोई मतलब ही न्ही था बल्कि सुरेश की उंगलियाँ विभा की उत्तेजना को बढ़ाने की ब्ज़ाए उसे दर्द दे रही थी कि 2 मिनूट के पश्चात ही विभा ने एक जोरदार थप्पड़ सुरेश के गाल पर जमा दिया .सुरेश हक्कबाक्का रह गया कि आख़िर ये क्या हो गया और विभा
विभा: अपपको ज़रा सी भी चिंता न्ही कि कोई रो रहा है या उसके दिल मैं क्या है अपपको बस अपपने काम से मतलब है . कैसे इंसान है आप सेक्स इंसान की खुशी के लिए होता है या उसे तक़लिएफ़ देने के लिए
सुरेश: लेकिन तुम तो अपपनी मर्ज़ी से तैयार हुई थी. फिर ये तमाचा.......
विभा: ये तुम्हे ब्ताने के लिए लड़की केवल चुदाई करवाने की मशीन न्ही है जिसे आप जब मर्ज़ी आए चोद ले
विभा मैं कैसे इतनी शक्ति आ गई कि वो इतनी बात बोल पाई तब तक सुबह के 4 बज चुके थे विभा अपपने कपड़े उठाकर टाय्लेट मैं चली गई और नाहकार लगभग 5 बजे बाहर निकली . आकर उसने देखा की सुरेश सो चुका था फिर उसने रत्ना को उठाया
विभा: दीदी , उठो दीदी मुझे जाना भी है आज
रत्ना: कहा जाना है विभु तुंझे अभी कहा तेरा इंटरव्यू होने वाला है सुबह के 5 बजे
विभा: दीदी मुझे आज घर जाना है , मैं इंटरव्यू देने न्ही जा रही हूँ कंपनी से ईमेल आया था कि इंटरव्यू कॅन्सल हो चुका और अब अगले मोन्थ है
रत्ना : लेकिन विभु रात तक तो एसा कुछ न्ही था
विभा: न्ही मेरी फ्रेंड का फोन आया था कह रही थी मैने ईमेल देखी है इंटरव्यू कॅन्सल हो गया है और अब अगले मोन्थ होगा , तुम जल्दी से उठो मुझे जाना भी है
रत्ना : तू भी पागल है बचपन से परेशान करती चली आ रही है मुझे
विभा : दिदिदीईईईईईईईईईईईई अब तुम भी .बचपन की बातें . अब मैं बड़ी हो गई हूँ .
रत्ना: हाँ बहुत बड़ी हो गई है तू देख तेरी पॅंटी यही पड़ी है ... तुमने पॅंटी पहना छ्चोड़ दिया है क्या ये यहा क्यों पड़ी है
विभा की उपेर की साँसे उपर और नीचे की साँसे नीचे रह गई ये क्या गड़बड़ हो गई न्ही दीदी मैने अपपनी पहनी हुई है अभी नहाने के लिए जाते मैं कपड़े निकाले थे तभी गिर गयी होगी.