हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
हॉटेलमें जो हुवा वह नही होना चाहिए था …
उसकी वजहसे शायद वह अपने बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा….
लेकिन जोभी हुवा वह कैसे … अचानक… दोनोंको कोई मौका दिए बिना हो गया….
मैने उसे हॉटेलमें बुलाना ही नही चाहिए था…
उसे अगर हॉटेलमें नही बुलाया होता तो यह घटना घटी ही नही होती…
अंजलीके दिमागमें पता नही कितने सवाल और उनके जवाब भिड कर रहे थे.
“” मुझे नही लगता की वह तुम्हारे बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा… वह दुसरेही किसी कारणवश तुम्हारे संपर्कमें नही होगा… जैसे किसी महत्वपुर्ण कामके सिलसिलेमें वह किसी बाहर गाव गया होगा….” शरवरी अंजलीके दिलको समझाने बहलानेकी कोशीश करते हुए बोली.
लेकिन अंदरसे वहभी उतनीही चिंतातूर थी. अंजलीने शरवरीको हॉटेलमें घटीत घटनाके बारेमें विस्तारसे बताया मालूम हो रहा था. वैसे वह उसे अपनी बहुत करीबी दोस्त मानती थी और उससे निजी बातेभी नही छुपाती थी.
“” उसे हॉटेलके अंदर बुलाया नही होता तो शायद यह नौबत नही आती ” अंजलीने कहा.
“” नही नही वैसा कुछ नही होगा… पहले तुम अपने आपको बिना मतलब कोसना बंद करदो… ” शरवरी उसे समझानेकी कोशीश करती हुई बोली.
मोनाने जल्दी जल्दी उसके सामनेसे गुजर रहे आनंदजींको रोका.
“”आनंदजी आपने शरवरीको देखा क्या ?” मोनाने पुछा.
“” हां .. वह उपर विकासके पास बैठी हूई है … क्यो क्या हुवा ?” आनंदजीने मोनाका चिंतासे ग्रस्त चेहरा देखकर पुछा.
“” कुछ नही… अंजली मॅमने उसे तुरंत बुलानेके लिए कहा है .. आप उधरही जा रहे हो ना … तो उसे अंजली मॅमके पास तुरंत भेज देंगे प्लीज… कुछ महत्वपुर्ण काम लगता है ” मोना आनंदजींसे बोली.
“” ठिक है … मै अभी भेज देता हूं ..” आनंदजी सिढीयां चढते हूए बोले.
शरवरीको आनंदजींका मेसेज मिलतेही वह तुरंत अंजलीके कॅबिनमें गई. देखती है तो अंजली हताश, निराश दोनो हाथोंके बिच टेबलपर अपना सर रखकर बैठी थी.
“” अंजली क्या हुवा ?” अंजलीको उस अवस्थामें बैठी हुई पाकर शरवरीने चिंताभरे स्वरमें, उसके पास जाकर, उसके पिठपर हाथ सहलाते हूए पुछा.
उसने उसे इतना हताश और निराश, और वह भी ऑफीसमें कभी नही देखा था.
ऐसा अचानक क्या हुवा होगा?…
शरवरी सोचने लगी. अंजलीने धीरेसे अपना सर उठाया. उसके हर हरकतमें एक धीमापन और दर्द दुख का अहसास दिख रहा था. उसका चेहराभी उदास दिख रहा था.
हां उसके पिताजी जब अचानक हार्ट अटॅकसे गुजर गए थे तबभी वह ऐसीही दिख रही थी….
धीरेसे अपना चेहरा कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ घुमाते हूए अंजली बोली, “” शरवरी… सब कुछ खतम हो चुका है ”
कॉम्प्यूटरका मॉनीटर शुरुही था. शरवरीने झटसे नजदिक जाकर कॉम्प्यूटरपर क्या चल रहा है यह देखा. उसे मॉनीटरपर विवेककी अंजलीने खोली हूई मेल दिखाई दी. शरवरी वह मेल पढने लगी –
“” मिस अंजली… हाय… वुई हॅड अ नाईस टाईम … आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे और तुम्हारे प्यारकी वर्षावसे भिगे हुए वह पल मैने मेरे दिलमें और मेरे कॅमेरेमें कैद करके रखे है… मै तुम्हारी माफी चाहता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें बंद किये है … वह पल थे ही ऐसे की मै अपने मोहको रोक नही सका…. तुम्हे झूट तो नही लग रहा है न? .. देखो … उन पलोंसे एक चुने हूए पलको मैने इस फोटोग्राफके स्वरुपमें तुम्हारे मेलके साथ अटॅच करके भेजा है…. ऐसे बहुतसे पल मैने मेरे कॅमेरेमे और मेरे हृदयमें कैद कर रखे है … सोचता हूं की उन पलोंको .. इन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश कर दूं .. क्यो कैसी दिमागवाली आयडिया है ? है ना? … लेकिन यह तुम्हे पसंद नही आएगी … तुम्हारी अगर इच्छा नही हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे दिलमें दफन करके रख सकता हूं … लेकिन उसके लिए तुम्हे उसकी एक मामुलीसी किमत अदा करनी पडेगी…. क्या करे हर बात की एक तय किमत होती है … है की नही ?…कुछ नही बस 50 लाख रुपए… तुम्हारे लिए बहुतही मामुली रकम … और हां … पैसेका बंदोबस्त तुरंत होना चाहिए … पैसे कब कैसे पहुंचाने है … यह बादमें मेलके द्वारा बताऊंगा …
मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं .. लेकिन क्या करें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है … अगले मेलका इंतजार करना … और हां … तुम्हे बता दूं की मुझे पुलिसका बहुत डर लगता है … और जब मै डरता हूं तब हडबडाहटमें कुछभी अटपटासा करने लगता हूं …. किसीका खुनभी …
— तुम्हारा … सिर्फ तुम्हारा … विवेक ”
मेल पढकर शरवरीको मानो उसके पैरके निचेसे जमिन खिसक गई हो ऐसा लग रहा था. वह एकदम सुन्न हो गई थी. ऐसाभी हो सकता है, इसपर उसका विश्वासही नही हो रहा था. उसने विवेकके बारेमें क्या सोचा था, और वह क्या निकला था.
उसकी वजहसे शायद वह अपने बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा….
लेकिन जोभी हुवा वह कैसे … अचानक… दोनोंको कोई मौका दिए बिना हो गया….
मैने उसे हॉटेलमें बुलाना ही नही चाहिए था…
उसे अगर हॉटेलमें नही बुलाया होता तो यह घटना घटी ही नही होती…
अंजलीके दिमागमें पता नही कितने सवाल और उनके जवाब भिड कर रहे थे.
“” मुझे नही लगता की वह तुम्हारे बारेमें कुछ गलत सोच रहा होगा… वह दुसरेही किसी कारणवश तुम्हारे संपर्कमें नही होगा… जैसे किसी महत्वपुर्ण कामके सिलसिलेमें वह किसी बाहर गाव गया होगा….” शरवरी अंजलीके दिलको समझाने बहलानेकी कोशीश करते हुए बोली.
लेकिन अंदरसे वहभी उतनीही चिंतातूर थी. अंजलीने शरवरीको हॉटेलमें घटीत घटनाके बारेमें विस्तारसे बताया मालूम हो रहा था. वैसे वह उसे अपनी बहुत करीबी दोस्त मानती थी और उससे निजी बातेभी नही छुपाती थी.
“” उसे हॉटेलके अंदर बुलाया नही होता तो शायद यह नौबत नही आती ” अंजलीने कहा.
“” नही नही वैसा कुछ नही होगा… पहले तुम अपने आपको बिना मतलब कोसना बंद करदो… ” शरवरी उसे समझानेकी कोशीश करती हुई बोली.
मोनाने जल्दी जल्दी उसके सामनेसे गुजर रहे आनंदजींको रोका.
“”आनंदजी आपने शरवरीको देखा क्या ?” मोनाने पुछा.
“” हां .. वह उपर विकासके पास बैठी हूई है … क्यो क्या हुवा ?” आनंदजीने मोनाका चिंतासे ग्रस्त चेहरा देखकर पुछा.
“” कुछ नही… अंजली मॅमने उसे तुरंत बुलानेके लिए कहा है .. आप उधरही जा रहे हो ना … तो उसे अंजली मॅमके पास तुरंत भेज देंगे प्लीज… कुछ महत्वपुर्ण काम लगता है ” मोना आनंदजींसे बोली.
“” ठिक है … मै अभी भेज देता हूं ..” आनंदजी सिढीयां चढते हूए बोले.
शरवरीको आनंदजींका मेसेज मिलतेही वह तुरंत अंजलीके कॅबिनमें गई. देखती है तो अंजली हताश, निराश दोनो हाथोंके बिच टेबलपर अपना सर रखकर बैठी थी.
“” अंजली क्या हुवा ?” अंजलीको उस अवस्थामें बैठी हुई पाकर शरवरीने चिंताभरे स्वरमें, उसके पास जाकर, उसके पिठपर हाथ सहलाते हूए पुछा.
उसने उसे इतना हताश और निराश, और वह भी ऑफीसमें कभी नही देखा था.
ऐसा अचानक क्या हुवा होगा?…
शरवरी सोचने लगी. अंजलीने धीरेसे अपना सर उठाया. उसके हर हरकतमें एक धीमापन और दर्द दुख का अहसास दिख रहा था. उसका चेहराभी उदास दिख रहा था.
हां उसके पिताजी जब अचानक हार्ट अटॅकसे गुजर गए थे तबभी वह ऐसीही दिख रही थी….
धीरेसे अपना चेहरा कॉम्प्यूटरके मॉनीटरकी तरफ घुमाते हूए अंजली बोली, “” शरवरी… सब कुछ खतम हो चुका है ”
कॉम्प्यूटरका मॉनीटर शुरुही था. शरवरीने झटसे नजदिक जाकर कॉम्प्यूटरपर क्या चल रहा है यह देखा. उसे मॉनीटरपर विवेककी अंजलीने खोली हूई मेल दिखाई दी. शरवरी वह मेल पढने लगी –
“” मिस अंजली… हाय… वुई हॅड अ नाईस टाईम … आय रिअली ऍन्जॉइड इट.. खुशीसे और तुम्हारे प्यारकी वर्षावसे भिगे हुए वह पल मैने मेरे दिलमें और मेरे कॅमेरेमें कैद करके रखे है… मै तुम्हारी माफी चाहता हूं की वे पल मैने तुम्हारे इजाजतके बिना कॅमेरेमें बंद किये है … वह पल थे ही ऐसे की मै अपने मोहको रोक नही सका…. तुम्हे झूट तो नही लग रहा है न? .. देखो … उन पलोंसे एक चुने हूए पलको मैने इस फोटोग्राफके स्वरुपमें तुम्हारे मेलके साथ अटॅच करके भेजा है…. ऐसे बहुतसे पल मैने मेरे कॅमेरेमे और मेरे हृदयमें कैद कर रखे है … सोचता हूं की उन पलोंको .. इन फोटोग्राफ्सको इंटरनेटपर पब्लीश कर दूं .. क्यो कैसी दिमागवाली आयडिया है ? है ना? … लेकिन यह तुम्हे पसंद नही आएगी … तुम्हारी अगर इच्छा नही हो तो उन पलोंको मै हमेशाके लिए मेरे दिलमें दफन करके रख सकता हूं … लेकिन उसके लिए तुम्हे उसकी एक मामुलीसी किमत अदा करनी पडेगी…. क्या करे हर बात की एक तय किमत होती है … है की नही ?…कुछ नही बस 50 लाख रुपए… तुम्हारे लिए बहुतही मामुली रकम … और हां … पैसेका बंदोबस्त तुरंत होना चाहिए … पैसे कब कैसे पहुंचाने है … यह बादमें मेलके द्वारा बताऊंगा …
मै इस मेलके लिए तुम्हारी तहे दिलसे माफी चाहता हूं .. लेकिन क्या करें कुछ पाने के लिए कुछ खोना पडता है … अगले मेलका इंतजार करना … और हां … तुम्हे बता दूं की मुझे पुलिसका बहुत डर लगता है … और जब मै डरता हूं तब हडबडाहटमें कुछभी अटपटासा करने लगता हूं …. किसीका खुनभी …
— तुम्हारा … सिर्फ तुम्हारा … विवेक ”
मेल पढकर शरवरीको मानो उसके पैरके निचेसे जमिन खिसक गई हो ऐसा लग रहा था. वह एकदम सुन्न हो गई थी. ऐसाभी हो सकता है, इसपर उसका विश्वासही नही हो रहा था. उसने विवेकके बारेमें क्या सोचा था, और वह क्या निकला था.
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” ओ माय गॉड… ही इज अ बिग फ्रॉड… आय कांट बिलीव्ह इट…” शरवरीके आश्चर्यसे खुले मुंहसे निकल गया.
शरवरीने मेलके साथ अटॅच कर भेजे फोटोके लिंकपर क्लीक करके देखा. वह अंजलीका और विवेकका हॉटेलके सुईटमें एकदुसरेको बाहों में लिया हुवा नग्न फोटो था.
” लेकिन उसने यह फोटो, कैसे लिया होगा ?” शरवरीने अपनी उलझन जाहिर की.
“” मै मुंबईको कब जानेवाली थी … कहा रुकने वाली थी … इसकी उसे पहलेसेही पुरी जानकारी थी. ” अंजलीने कहा.
” यह तो सिधा सिधा ब्लॅकमेलींग है.” शरवरी गुस्सेसे आवेशमें आकर चिढकर बोली.
” उसके मासूम चेहरेके पिछे इतना भयानक चेहराभी छिपा हूवा हो सकता है … मुझे तो अबभी विश्वास नही होता. ” अंजलीने दुखसे कहा.
” कमसे कम शादीके पहले हमें उसका यह भयानक रुप पता चला… नही तो न जाने क्या हो जाता …” शरवरीने कहा.
” मुझे दुख पैसेका नही … दुख है तो सिर्फ उसने दिए इतने बडे धोखे और विश्वासघात का है. ” अंजलीने कहा.
” एक पलके लिए समझ लो की अगर हम उसे 50 लाख रुपए दे देते है… लेकिन पैसे लेनेके बादभी वह फिरसे हमें ब्लॅकमेल नही करेगा इसकी क्या ग्यारंटी? … ” शरवरीने फिरसे अपने मनमें चल रहा सवाल जाहिर किया.
अंजली चेहरे पर डर लिए सिर्फ उसकी तरफ देखती रही. क्योंकी उसके पासभी इस सवालका कोई जवाब नही था.
“” मुझे लगता है तूम एक बार उसे मेल कर उसका मन परिवर्तीत करनेका प्रयास करो… और अगर फिरभी वह नही मानता है तो … चिंता मत करो… हम जरुर इसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे. ” शरवरी उसको ढांढस बढाते हूई बोली.
सायबर कॅफेमें लोग अपने अपने क्यूबीकल्समें अपने अपने इंटरनेट सर्फींगमें बिझी थे. कुछ कॉम्प्यूटर्स वही खुले हॉलमें रखे थे, वहांभी कोई कॉम्प्यूटर खाली नही था. की बोर्डके बटन्स दबानेका एक अजिब आवाज एक लय और तालमें सारे कॅफेमें घुम रहा था. सब लोग, कोई चॅटींग, कोई सर्फींग, कोई गेम्स खेलनेमें तो कोई मेल्स भेजनेमें मग्न था. तभी एक आदमी दरवाजेसे अंदर आ गया. वह अंदर आकर जिस तरहसे इधर उधर देख रहा था, कमसे कम उससे वह यहां पर पहली बार आया हो ऐसा लग रहा था. रिसेप्शन काऊंटरपर बैठा स्टाफ मेंबर उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरपर ताशका गेम ‘सॉलीटेअर’ खेल रहा था. उस आदमीकी आहट होतेही उसने झटसे, बडी स्फुर्तीके साथ अपने मॉनिटरपर चल रहा वह गेम मिनीमाईझ किया और आया हुवा आदमी अपना बॉस या उसके घरका कोई आदमी नही है यह ध्यानमें आतेही वह फिरसे वह गेम मॅक्सीमाईज करके खेलने लगा. वह अंदर आया हुवा आदमी कुछ पलके लिए रिसेप्शन काऊंटरके पास मंडराया और रुककर स्टाफको पुछने लगा –
” विवेक आया क्या ?”
उस स्टाफने भावना विरहित चेहरेसे उसकी तरफ देखकर पुछा –
” कौन विवेक?”
” विवेक सरकार … वह मेरा दोस्त है ….. और उसनेही मुझे यहां बुलाया है ..” उस आदमीने कहा.
” अच्छा वह विवेक… नही आज तो वह दिखा नही .. वैसे तो वह रोज आता है … लेकिन कलसे मैने उसे देखा नही है … ” काऊंटरपर बैठे स्टाफने जवाब दिया और वह सामने रखे हूए कॉम्प्यूटरपर फिरसे ‘सॉलीटेअर’ खेलनेमें व्यस्त हो गया.
अंजली कॉन्फरंन्स रुममें दिवारपर लगे छोटे पडदेपर प्रोजेक्टरकी सहाय्यतासे शरवरीको कुछ समझा रही थी. और शरवरी वह जो बोल रही है वह ध्यान देकर सुन रही थी.
” शरवरी जैसा तुमने कहा था वैसेही मैने विवेकको समझाकर देखनेके लिए एक मेल भेजी है … लेकिन उसे सिर्फ मेलही ना भेजते हूए मैने एक बडा दांव भी फेंका है … ” अंजली बोल रही थी.
” दांव? … कैसा ?…” शरवरीने कुछ ना समझते हूए आश्चर्यसे पुछा.
” उसे भेजे हूए मेलके साथ मैने एक सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅम अटॅच कर भेजा है” अंजलीने कहा.
” कैसा प्रोग्रॅम?” शरवरीको अभीभी कुछ समझ नही रहा था.
” उस प्रोग्रॅमको ‘स्निफर’ कहते है … जैसेही विवेक उसे भेजी हूई मेल खोलेगा .. वह स्निफर प्रोग्रॅम रन होगा …” अंजली बोल रही थी.
” लेकिन वह प्रोग्रॅम रन होनेसे क्या होगा ?” शरवरीने पुछा.
” उस प्रोग्रॅमका काम है … विवेकके मेलका पासवर्ड मालूम करना … और वह पासवर्ड मालूम होतेही वह प्रोग्रॅम हमे वह पासवर्ड मेलद्वारा भेजेगा … ” अंजली बोल रही थी.
” अरे वा… ” शरवरी उत्साहभरे स्वरमें बोली लेकिन अगलेही पल कुछ सोचते हूए उसने पुछा, ” लेकिन उसका पासवर्ड मालूम कर हमें क्या मिलेगा ?”
” जिस तरहसे विवेक मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है … उसी तरह हो सकता है की वह और बहुत लोगोंको ब्लॅकमेल कर रहा होगा …या फिर उसके मेलबॉक्समें हमे उसकी कुछ कमजोरी… या जो हमारे कामका साबीत हो ऐसा कुछतो हमें पता चलेगा … वैसे फिलहाल हम अंधेरेमें निशाना साध रहे है…. लेकिन मुझे यकिन है … हमें कुछ ना कुछतो जरुर मिलेगा ” अंजली बता रही थी.
शरवरीने मेलके साथ अटॅच कर भेजे फोटोके लिंकपर क्लीक करके देखा. वह अंजलीका और विवेकका हॉटेलके सुईटमें एकदुसरेको बाहों में लिया हुवा नग्न फोटो था.
” लेकिन उसने यह फोटो, कैसे लिया होगा ?” शरवरीने अपनी उलझन जाहिर की.
“” मै मुंबईको कब जानेवाली थी … कहा रुकने वाली थी … इसकी उसे पहलेसेही पुरी जानकारी थी. ” अंजलीने कहा.
” यह तो सिधा सिधा ब्लॅकमेलींग है.” शरवरी गुस्सेसे आवेशमें आकर चिढकर बोली.
” उसके मासूम चेहरेके पिछे इतना भयानक चेहराभी छिपा हूवा हो सकता है … मुझे तो अबभी विश्वास नही होता. ” अंजलीने दुखसे कहा.
” कमसे कम शादीके पहले हमें उसका यह भयानक रुप पता चला… नही तो न जाने क्या हो जाता …” शरवरीने कहा.
” मुझे दुख पैसेका नही … दुख है तो सिर्फ उसने दिए इतने बडे धोखे और विश्वासघात का है. ” अंजलीने कहा.
” एक पलके लिए समझ लो की अगर हम उसे 50 लाख रुपए दे देते है… लेकिन पैसे लेनेके बादभी वह फिरसे हमें ब्लॅकमेल नही करेगा इसकी क्या ग्यारंटी? … ” शरवरीने फिरसे अपने मनमें चल रहा सवाल जाहिर किया.
अंजली चेहरे पर डर लिए सिर्फ उसकी तरफ देखती रही. क्योंकी उसके पासभी इस सवालका कोई जवाब नही था.
“” मुझे लगता है तूम एक बार उसे मेल कर उसका मन परिवर्तीत करनेका प्रयास करो… और अगर फिरभी वह नही मानता है तो … चिंता मत करो… हम जरुर इसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे. ” शरवरी उसको ढांढस बढाते हूई बोली.
सायबर कॅफेमें लोग अपने अपने क्यूबीकल्समें अपने अपने इंटरनेट सर्फींगमें बिझी थे. कुछ कॉम्प्यूटर्स वही खुले हॉलमें रखे थे, वहांभी कोई कॉम्प्यूटर खाली नही था. की बोर्डके बटन्स दबानेका एक अजिब आवाज एक लय और तालमें सारे कॅफेमें घुम रहा था. सब लोग, कोई चॅटींग, कोई सर्फींग, कोई गेम्स खेलनेमें तो कोई मेल्स भेजनेमें मग्न था. तभी एक आदमी दरवाजेसे अंदर आ गया. वह अंदर आकर जिस तरहसे इधर उधर देख रहा था, कमसे कम उससे वह यहां पर पहली बार आया हो ऐसा लग रहा था. रिसेप्शन काऊंटरपर बैठा स्टाफ मेंबर उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरपर ताशका गेम ‘सॉलीटेअर’ खेल रहा था. उस आदमीकी आहट होतेही उसने झटसे, बडी स्फुर्तीके साथ अपने मॉनिटरपर चल रहा वह गेम मिनीमाईझ किया और आया हुवा आदमी अपना बॉस या उसके घरका कोई आदमी नही है यह ध्यानमें आतेही वह फिरसे वह गेम मॅक्सीमाईज करके खेलने लगा. वह अंदर आया हुवा आदमी कुछ पलके लिए रिसेप्शन काऊंटरके पास मंडराया और रुककर स्टाफको पुछने लगा –
” विवेक आया क्या ?”
उस स्टाफने भावना विरहित चेहरेसे उसकी तरफ देखकर पुछा –
” कौन विवेक?”
” विवेक सरकार … वह मेरा दोस्त है ….. और उसनेही मुझे यहां बुलाया है ..” उस आदमीने कहा.
” अच्छा वह विवेक… नही आज तो वह दिखा नही .. वैसे तो वह रोज आता है … लेकिन कलसे मैने उसे देखा नही है … ” काऊंटरपर बैठे स्टाफने जवाब दिया और वह सामने रखे हूए कॉम्प्यूटरपर फिरसे ‘सॉलीटेअर’ खेलनेमें व्यस्त हो गया.
अंजली कॉन्फरंन्स रुममें दिवारपर लगे छोटे पडदेपर प्रोजेक्टरकी सहाय्यतासे शरवरीको कुछ समझा रही थी. और शरवरी वह जो बोल रही है वह ध्यान देकर सुन रही थी.
” शरवरी जैसा तुमने कहा था वैसेही मैने विवेकको समझाकर देखनेके लिए एक मेल भेजी है … लेकिन उसे सिर्फ मेलही ना भेजते हूए मैने एक बडा दांव भी फेंका है … ” अंजली बोल रही थी.
” दांव? … कैसा ?…” शरवरीने कुछ ना समझते हूए आश्चर्यसे पुछा.
” उसे भेजे हूए मेलके साथ मैने एक सॉफ्टवेअर प्रोग्रॅम अटॅच कर भेजा है” अंजलीने कहा.
” कैसा प्रोग्रॅम?” शरवरीको अभीभी कुछ समझ नही रहा था.
” उस प्रोग्रॅमको ‘स्निफर’ कहते है … जैसेही विवेक उसे भेजी हूई मेल खोलेगा .. वह स्निफर प्रोग्रॅम रन होगा …” अंजली बोल रही थी.
” लेकिन वह प्रोग्रॅम रन होनेसे क्या होगा ?” शरवरीने पुछा.
” उस प्रोग्रॅमका काम है … विवेकके मेलका पासवर्ड मालूम करना … और वह पासवर्ड मालूम होतेही वह प्रोग्रॅम हमे वह पासवर्ड मेलद्वारा भेजेगा … ” अंजली बोल रही थी.
” अरे वा… ” शरवरी उत्साहभरे स्वरमें बोली लेकिन अगलेही पल कुछ सोचते हूए उसने पुछा, ” लेकिन उसका पासवर्ड मालूम कर हमें क्या मिलेगा ?”
” जिस तरहसे विवेक मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है … उसी तरह हो सकता है की वह और बहुत लोगोंको ब्लॅकमेल कर रहा होगा …या फिर उसके मेलबॉक्समें हमे उसकी कुछ कमजोरी… या जो हमारे कामका साबीत हो ऐसा कुछतो हमें पता चलेगा … वैसे फिलहाल हम अंधेरेमें निशाना साध रहे है…. लेकिन मुझे यकिन है … हमें कुछ ना कुछतो जरुर मिलेगा ” अंजली बता रही थी.
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” हां … हो सकता है ” शरवरीने कहा.
और फिर कुछ सोचकर उसने कहा, ” मुझे क्या लगता है … हमें अपना दुश्मन कौन है यह पता है … वह कहां रहता है यहभी पता है … फिर वह अपनेपर वार करनेके पहलेही अगर हम उसपर वार करते है तो ?”
” वह संभावनाभी मैने जांचकर देखी है … लेकिन अब वह उसके होस्टेलसे गायब है … वुई डोन्ट नो हिज व्हेअर अबाऊट्स”
तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने और शरवरीने झटसे पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा. मॉनिटरकी तरफ देखतेही दोनोके चेहरे खिल गए. क्योंकी उनकी अपेक्षानुसार अंजलीने विवेकके मेलको अटॅच कर भेजे ‘स्निफर’ सॉफ्टवेअरकीही वह मेल थी. अब दोनोंको वह मेल खोलनेकी जल्दी हो गई थी. कब एक बार वह मेल खोलती हूं और कब एक बार उस मेल द्वारा आए विवेकके पासवर्डसे उसका मेल अकाऊंट खोलती हूं ऐसा अंजलीको हुवा था. उसने तुरंत डबलक्लीक कर वह मेल खोली.
” यस्स!” उसके मुंहसे विजयी उद्गार निकले.
उसने भेजे स्निफरने अपना काम बराबर किया था.
उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और …
” यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड” बोलते हूए विवेकका मेल ऍड्रेस टाईप कर उस प्रोग्रॅमको विवेकके मेलका पासवर्ड दिया.
अंजलीने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और कुछ की बोर्डकी बटन्स और दो चार माऊस क्लीक्स किए. और दोनो अब कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.
” ओ माय गॉड … आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह” अंजलीके खुले मुंहसे निकल गया.
शरवरी कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी अंजलीके खुले मुंहकी तरफ असमंजससे देख रही थी.
अंजली अपने ऑफीसमें कुर्सीपर बैठकर कुछ सोच रही थी. उसका चेहरा मायूस दिख रहा था. शायद उसने उसके जिवनमें इतना बडा भूचाल आएगा ऐसा कभी सोचा नही होगा. उसने अपना कॉम्प्यूतर शुरु कर रखा तो था, लेकिन उसे ना चाटींग करनेकी इच्छा हो रही थी ना किसी दोस्तको मेल भेजनेकी. उसने अपनी सारी ऑफीशियल मेल्स चेक की और फिरसे वह सोचने लगी. तभी कॉम्प्यूटरपर बझर बजा. उसने अपनी चेअर घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कीया –
‘ हाय … मिस अंजली’
विवेकका चॅटींगपर मेसेज था.
उसे अहसास हो गया की उसके दिलकी धडकने तेज होने लगी है. लेकिन इसबार धडकने बढनेकी वजह कुछ अलग थी. अंजली सिर्फ उस मेसेजकी तरफ देखती रही. उसे अब क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था. तभी शरवरी अंदर आ गई. अंजलीने शरवरीको विवेकका मेसेज आया है ऐसा कुछ इशारा किया. शरवरी झटसे बाहर चली गई, मानो पहले उन्होने कुछ तय किया हो. अंजली अबभी उस मेसेजकी तरफ देख रही थी.
‘ अंजली कम ऑन एकनॉलेज यूवर प्रेझेन्स’ विवेकका फिरसे मेसेज आ गया.
‘ यस’ अंजलीने टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक किया.
अंजलीने कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए उसके हाथोमें और उंगलियोंमे पहली बार कंपन महसूस किया.
‘ मै अब मेलमें सारी जानकारी भेज रहा हूं ‘ विवेकका मेसेज आ गया.
‘ लेकिन 50 लाख रुपए देनेके बादभी फिरसे तुम ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी. ?’ अंजलीने मेसेज भेजकर उसे बार बार सता रहा सवाल उठाया.
विवेकने उधरसे एक हंसता हूवा छोटासा चेहरा भेजा.
इस बार अंजलीको उस चेहरेके हसनेमें मासूमियतसे जादा कपट दिख रहा था.
‘ देखो … यह दुनिया भरोसेपर चलती है … तुम्हे मुझपर भरोसा करना पडेगा … और तुम्हारे पास मुझपर भरोसा करनेके अलावा और क्या चारा है ?’ उधरसे विवेकका ताना मारता हुवा मेसेज आ गया.
और वहभी सचही तो था … उसके पास उसपर भरोसा करनेके अलावा कोई दुसरा चारा नही था….
अंजली अब उसने भेजे मेसेजको क्या जवाब दिया जाए इसके बारेमें सोचने लगी. तभी अगला मेसेज आ गया –
‘ ओके देन बाय… दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन… टेक केअर… तुम्हारा … और सिर्फ तुम्हारा विवेक…’
अंजली उस मेसेजकी तरफ काफी देरतक देखती रही. बादमें उसे क्या सुझा क्या मालूम, उसने फटाफट कीबोर्डपर कुछ बटन्स दबाए और कुछ माऊस क्लीक्स किए. उसके सामने उसका खुला हुवा मेलबॉक्स अवतरीत हुवा. उसके अपेक्षानुसार और विवेकने जैसा कहा था, उसकी मेल उसके मेलबॉक्समें पहूंच चूकी थी. उसने पलभरकी भी देरी ना करते हूए वह मेल खोली.
मेलमें 50 लाख रुपए कहां, कैसे, और कब पहुचाने है यह सब विस्तारपुर्वक बताया था. साथमें पुलिसके चक्करमें ना पडनेकी हिदायतरुप धमकीभी दी थी. अंजलीने अपनी कलाईपर बंधी घडीकी तरफ देखा. अबभी मेलमें बताए स्थानपर पैसे पहुंचानेमें 4 घंटेका अवधी बाकी था. उसने एक दिर्घ श्वास लेकर धीरेसे छोड दी. वह वैसे कर शायद अपने मनका बोझ हलका करनेकी कोशीश करती होगी. वैसे चार घंटे उसके लिए काफी समय था. और पैसोंका बंदोबस्त भी उसने पहलेसे ही कर रखा था – यहांतक की पैसे सुटकेसमें पॅकभी कर रखे थे. मेलकी तरफ देखते देखते उसके अचानक ध्यानमें आ गया की मेलके साथ कोई अटॅचमेंटभी आई हूई है. उसने वह अटॅचमेंट खोलकर देखी. वह एक JPG फॉरमॅटमें भेजा हुवा एक फोटो था. उसने क्लीक कर वह फोटो खोला.
और फिर कुछ सोचकर उसने कहा, ” मुझे क्या लगता है … हमें अपना दुश्मन कौन है यह पता है … वह कहां रहता है यहभी पता है … फिर वह अपनेपर वार करनेके पहलेही अगर हम उसपर वार करते है तो ?”
” वह संभावनाभी मैने जांचकर देखी है … लेकिन अब वह उसके होस्टेलसे गायब है … वुई डोन्ट नो हिज व्हेअर अबाऊट्स”
तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. अंजलीने और शरवरीने झटसे पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा. मॉनिटरकी तरफ देखतेही दोनोके चेहरे खिल गए. क्योंकी उनकी अपेक्षानुसार अंजलीने विवेकके मेलको अटॅच कर भेजे ‘स्निफर’ सॉफ्टवेअरकीही वह मेल थी. अब दोनोंको वह मेल खोलनेकी जल्दी हो गई थी. कब एक बार वह मेल खोलती हूं और कब एक बार उस मेल द्वारा आए विवेकके पासवर्डसे उसका मेल अकाऊंट खोलती हूं ऐसा अंजलीको हुवा था. उसने तुरंत डबलक्लीक कर वह मेल खोली.
” यस्स!” उसके मुंहसे विजयी उद्गार निकले.
उसने भेजे स्निफरने अपना काम बराबर किया था.
उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और …
” यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड” बोलते हूए विवेकका मेल ऍड्रेस टाईप कर उस प्रोग्रॅमको विवेकके मेलका पासवर्ड दिया.
अंजलीने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और कुछ की बोर्डकी बटन्स और दो चार माऊस क्लीक्स किए. और दोनो अब कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.
” ओ माय गॉड … आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह” अंजलीके खुले मुंहसे निकल गया.
शरवरी कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी अंजलीके खुले मुंहकी तरफ असमंजससे देख रही थी.
अंजली अपने ऑफीसमें कुर्सीपर बैठकर कुछ सोच रही थी. उसका चेहरा मायूस दिख रहा था. शायद उसने उसके जिवनमें इतना बडा भूचाल आएगा ऐसा कभी सोचा नही होगा. उसने अपना कॉम्प्यूतर शुरु कर रखा तो था, लेकिन उसे ना चाटींग करनेकी इच्छा हो रही थी ना किसी दोस्तको मेल भेजनेकी. उसने अपनी सारी ऑफीशियल मेल्स चेक की और फिरसे वह सोचने लगी. तभी कॉम्प्यूटरपर बझर बजा. उसने अपनी चेअर घुमाकर कॉम्प्यूटरकी तरफ अपना रुख कीया –
‘ हाय … मिस अंजली’
विवेकका चॅटींगपर मेसेज था.
उसे अहसास हो गया की उसके दिलकी धडकने तेज होने लगी है. लेकिन इसबार धडकने बढनेकी वजह कुछ अलग थी. अंजली सिर्फ उस मेसेजकी तरफ देखती रही. उसे अब क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था. तभी शरवरी अंदर आ गई. अंजलीने शरवरीको विवेकका मेसेज आया है ऐसा कुछ इशारा किया. शरवरी झटसे बाहर चली गई, मानो पहले उन्होने कुछ तय किया हो. अंजली अबभी उस मेसेजकी तरफ देख रही थी.
‘ अंजली कम ऑन एकनॉलेज यूवर प्रेझेन्स’ विवेकका फिरसे मेसेज आ गया.
‘ यस’ अंजलीने टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक किया.
अंजलीने कॉम्प्यूटर ऑपरेट करते हूए उसके हाथोमें और उंगलियोंमे पहली बार कंपन महसूस किया.
‘ मै अब मेलमें सारी जानकारी भेज रहा हूं ‘ विवेकका मेसेज आ गया.
‘ लेकिन 50 लाख रुपए देनेके बादभी फिरसे तुम ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी. ?’ अंजलीने मेसेज भेजकर उसे बार बार सता रहा सवाल उठाया.
विवेकने उधरसे एक हंसता हूवा छोटासा चेहरा भेजा.
इस बार अंजलीको उस चेहरेके हसनेमें मासूमियतसे जादा कपट दिख रहा था.
‘ देखो … यह दुनिया भरोसेपर चलती है … तुम्हे मुझपर भरोसा करना पडेगा … और तुम्हारे पास मुझपर भरोसा करनेके अलावा और क्या चारा है ?’ उधरसे विवेकका ताना मारता हुवा मेसेज आ गया.
और वहभी सचही तो था … उसके पास उसपर भरोसा करनेके अलावा कोई दुसरा चारा नही था….
अंजली अब उसने भेजे मेसेजको क्या जवाब दिया जाए इसके बारेमें सोचने लगी. तभी अगला मेसेज आ गया –
‘ ओके देन बाय… दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन… टेक केअर… तुम्हारा … और सिर्फ तुम्हारा विवेक…’
अंजली उस मेसेजकी तरफ काफी देरतक देखती रही. बादमें उसे क्या सुझा क्या मालूम, उसने फटाफट कीबोर्डपर कुछ बटन्स दबाए और कुछ माऊस क्लीक्स किए. उसके सामने उसका खुला हुवा मेलबॉक्स अवतरीत हुवा. उसके अपेक्षानुसार और विवेकने जैसा कहा था, उसकी मेल उसके मेलबॉक्समें पहूंच चूकी थी. उसने पलभरकी भी देरी ना करते हूए वह मेल खोली.
मेलमें 50 लाख रुपए कहां, कैसे, और कब पहुचाने है यह सब विस्तारपुर्वक बताया था. साथमें पुलिसके चक्करमें ना पडनेकी हिदायतरुप धमकीभी दी थी. अंजलीने अपनी कलाईपर बंधी घडीकी तरफ देखा. अबभी मेलमें बताए स्थानपर पैसे पहुंचानेमें 4 घंटेका अवधी बाकी था. उसने एक दिर्घ श्वास लेकर धीरेसे छोड दी. वह वैसे कर शायद अपने मनका बोझ हलका करनेकी कोशीश करती होगी. वैसे चार घंटे उसके लिए काफी समय था. और पैसोंका बंदोबस्त भी उसने पहलेसे ही कर रखा था – यहांतक की पैसे सुटकेसमें पॅकभी कर रखे थे. मेलकी तरफ देखते देखते उसके अचानक ध्यानमें आ गया की मेलके साथ कोई अटॅचमेंटभी आई हूई है. उसने वह अटॅचमेंट खोलकर देखी. वह एक JPG फॉरमॅटमें भेजा हुवा एक फोटो था. उसने क्लीक कर वह फोटो खोला.