नए पड़ोसी पार्ट--3
गतान्क से आगे.........
अपने होठों पे लगे मेरे वीर्य को अपनी जीभ से साफ करते हुए वो बोली, "राज जानते हो आज में बाज़ार से क्या लेकर आई हूँ?" इतना कह वो मुझे घसीट कर बेडरूम मे ले गयी. बेडरूम मे पहुँच मेने देखा कि बिस्तर पर एक बहोत ही काले रंग का 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा डिल्डो पड़ा था.
प्रीति ने बताया कि वो ये डिल्डो बबिता के साथ बाज़ार से लाई है. ये बॅटरी से चलता है. प्रीति इसे आजमाना चाहती थी, मेने ड्रॉयर से बॅटरी निकाल उसमे लगा दी. प्रीति बिस्तर पर लेट गयी और अपने गाउन को कमर तक उठा दिया और अपनी चूत को फैला दिया.
मेने देखा कि कई दीनो से प्रीति ने पॅंटी पहनना छोड़ दिया था. "में चाहती हू कि तुम इसे मेरी चूत में डालकर मुझे इससे चोदो." कहकर प्रीति ने डिल्डो मेरे हाथों मे पकड़ा दिया. मेने पहले उसकी सफ़ा चट चूत को चूमा फिर डिल्डो को उसकी चूत के मुहाने पे रख दिया. डिल्डो मेरे लंड से भी मोटा था और में सोच रहा था कि वो प्रीति की चूत में कहाँ तक जाएगा.
में डिल्डो उसकी चूत पे रख अंदर घुसाने लगा. प्रीति अपनी टाँगे हवा में उठाए हुए थी. थोड़ी देर मैने ही पूरा डिल्डो उसकी चूत मे घुसा दिया. उसका ऑन का स्विच ऑन कर दिया. अब वो प्रीति को मज़े दे रहा था और उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, "ओह अहह."
इतने में ही फोन की घंटी बज़ी. प्रीति झट से बिस्तर पर से उठ फोन सुनने लगी. फोन पर उसकी फ्रेंड थी जो थोड़ी देर मे हमारे घर आ रही थी. प्रीति ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और डिल्डो को बेड के साइड ड्रॉयर मे रख दिया. दरवाज़े की घंटी बज़ी और प्रीति अपने फ्रेंड को रिसीव करने चली गयी.
मेने भी रात के कार्यक्रम को अंजाम देने की लिए बबिता का फोन मिलाया. उसने पहली घंटी पर ही फोन उठाया और हंसते हुए पूछा, "प्रीति को अपना नया खिलोना कैसा लगा?" मेने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया. मेने उसे बताया कि उसे रात की पार्टी में टाइट ब्लॅक ड्रेस पहन कर आनी थी और उसे नीचे कुछ भी नही पहनना था. ना ही किसी तरह की ब्रा और ना ही पॅंटी. और साथ ही संडले भी एक दम हाइ हील की होनी चाहिए. उसने बताया कि ऐसी ही एक ड्रेस उसके पास है. बबिता ने पूछा कि उनके कुछ दोस्त उनके साथ रहने के लिए आ रहे है, क्या वो उन्हे साथ में पार्टी में ला सकती है. में उसे हाँ कर दी.
सब से पहले पहुँचने वालों में प्रशांत और बबिता ही थे, वी करीब 7.00 बजे पहुँच गये थे. उनके साथ उनके दोस्त अविनाश और मिनी थे. दोनो की जोड़ी खूब जाँच रही थी. अविनाश जिसे सब प्यार से अवी कहते थे थ्री पीस सूट में काफ़ी हॅंडसम लग रहा था. और मिनी का तो कहना ही क्या, उसने काले रंग की डीप कट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनो तक आ रही थी. गोरा रंग, पतली कमर और सुडौल टाँगे. मिनी काफ़ी सुन्दर दिखाई दे रही थी.
पर बबिता को देख कर मेरी साँसे उपर की उपर रह गयी. जैसे मेने कहा था उसने लो कट की काले कलर की टाइट ड्रेस पहेन रखी थी. और वो मिनी की ड्रेस से भी छोटी थी. उसके घुटनो से थोड़ा उपर की ओर तक. ड्रेस इतनी छोटी थी कि बिना ड्रेस को उपर किए उसकी साफ और चिकिनी चूत दिखाई दे सकती थी. पता नही बबिता ने कैसे हिम्मत की होगी बिना ब्रा और पॅंटी के ये ड्रेस पहनने की.
नये पड़ोसी compleet
Re: नये पड़ोसी
प्रीति अपनी लाल ड्रेस में आई जो उसने इसी पार्टी के लिए नई खरीदी थी. सबका परिचय करने के बाद में अपने काम में जुट गया. में बबिता को इशारा कर बार काउंटर की ओर बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा. जब में ड्रिंक्स बना रहा था तब बबिताने मेरे पीछे आ मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मेने उसे करने को कहा था.
वो मेरे सामने आ अपनी टाँगे थोड़ी फैला खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है. मेने जान बुझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. जैसे ही में वो ओपनर उठाने को नीचे झुका बबिता ने अपनी ड्रेस उठा अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया. उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तना दिया. में थोडा सा आगे बढ़ हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया. अच्छा हुआ मेरी इस हरकत को कमरे में बैठे लोगों ने नही देखा.
धीरे धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे. बबिता मेरे साथ मेरे पीछे खड़े मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी. बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता में उसकी चुतताड और उसकी गांद पे हाथ फिरा देता. एक बार जब हमारी तरफ कोई नही देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, "राज मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदो नो."
मेरा लंड मेरी पॅंट में एक दम तन चुका था. अब में उसकी गर्मी शांत करना चाहता था. पहले प्रीति को उसके नई डिल्डो के साथ और अब पिछले 30 मिनिट उसके साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तय्यार था.
मेने प्रीति के तरफ देखा वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी. प्रशांत भी प्रीति के ख़यालों मे खोया हुआ था. ये उपुक्त समय था बबिता को गेस्ट रूम मे ले जाकर चोदने का. मेने बबिता से कहा, "तुम गेस्ट रूम मे चलो में तुम्हारे पीछे आता हूँ."
बबिता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी. मगर मेरा इरादा केवल बबिता को चोदने का नही था बल्कि में चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशांत अपनी आँखों से देखे. में उसके पास गया और उसे साइड मे ले जाकर उससे कहा, प्रशांत आज मे तुम्हारी बीवी की गंद मारूँगा और में चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो. ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देख सकते हो, मेने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए है." इतना कहकर में गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया.
में कमरे मे पहुँचा तो बबिता मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेने दरवाज़ा बंद किया और उसे बाहों मे भर उसके होठों को चूमने लगा. मेने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, "बबिता अपनी ड्रेस उतार दो."
बबिता ने अपनी ड्रेस उतार दी. उसने नीचे कुछ नही पहना था. अब वो नंगी खड़ी मेरी ओर देख रही थी. बबिता नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी.
मेने अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, "बबिता आज में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ."
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और कहा, "राज में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो."
वो मेरे सामने आ अपनी टाँगे थोड़ी फैला खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है. मेने जान बुझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे ज़मीन पर गिरा दिया. जैसे ही में वो ओपनर उठाने को नीचे झुका बबिता ने अपनी ड्रेस उठा अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया. उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तना दिया. में थोडा सा आगे बढ़ हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया. अच्छा हुआ मेरी इस हरकत को कमरे में बैठे लोगों ने नही देखा.
धीरे धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे. बबिता मेरे साथ मेरे पीछे खड़े मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी. बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता में उसकी चुतताड और उसकी गांद पे हाथ फिरा देता. एक बार जब हमारी तरफ कोई नही देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, "राज मेरी चूत को अपनी उंगली से चोदो नो."
मेरा लंड मेरी पॅंट में एक दम तन चुका था. अब में उसकी गर्मी शांत करना चाहता था. पहले प्रीति को उसके नई डिल्डो के साथ और अब पिछले 30 मिनिट उसके साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तय्यार था.
मेने प्रीति के तरफ देखा वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी. प्रशांत भी प्रीति के ख़यालों मे खोया हुआ था. ये उपुक्त समय था बबिता को गेस्ट रूम मे ले जाकर चोदने का. मेने बबिता से कहा, "तुम गेस्ट रूम मे चलो में तुम्हारे पीछे आता हूँ."
बबिता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की ओर बढ़ गयी. मगर मेरा इरादा केवल बबिता को चोदने का नही था बल्कि में चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशांत अपनी आँखों से देखे. में उसके पास गया और उसे साइड मे ले जाकर उससे कहा, प्रशांत आज मे तुम्हारी बीवी की गंद मारूँगा और में चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो. ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देख सकते हो, मेने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए है." इतना कहकर में गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया.
में कमरे मे पहुँचा तो बबिता मेरा इंतेज़ार कर रही थी. मेने दरवाज़ा बंद किया और उसे बाहों मे भर उसके होठों को चूमने लगा. मेने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, "बबिता अपनी ड्रेस उतार दो."
बबिता ने अपनी ड्रेस उतार दी. उसने नीचे कुछ नही पहना था. अब वो नंगी खड़ी मेरी ओर देख रही थी. बबिता नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी.
मेने अपने दोनो हाथों से उसकी चुचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, "बबिता आज में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ."
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और कहा, "राज में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो."
Re: नये पड़ोसी
बबिता अब घुटनो को बल बैठ कर मेरी पॅंट के बटन खोलने लगी. बटन खुलते ही मेरा लंड फुन्कर मार बाहर निकल आया. बबिता बड़े प्यार से उसे अपने मुँह मे ले चूसने लगी. वो इतने प्यार से चूस रही थी जैसे वो मेरे लंड को अपनी गंद के लिए तय्यार कर रही हो.
मेने अपनी जिंदगी में कभी किसी औरत की गांद नही मारी थी. मेने कई बार प्रीति को इसके लिए कहा पर हर बार उसने सॉफ मना कर दिया. एक बार मेरे काफ़ी ज़िद करने पर वो तय्यार हो गयी. पर मेरी किस्मत जैसे ही मेने अपना लंड उसकी गंद मे घुसाया वो दर्द के मारे इतनी ज़ोर की चीखी, के घबरा कर मेने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसके बाद मेने दुबारा कभी इस बात की हिम्मत नही की.
मगर आज लग रहा था कि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाला है. मेने बिना समय बिताई अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और बबिता से कहा, "बैठो अब तुम मेरे लंड को अपनी गंद के लिए तय्यार करो?"
वो खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पकड़ मुझे बाथरूम की तरफ घसीटने लगी, "राज तुम्हारे पास कोई क्रीम है."
बाथरूम में पहुँच कर मेने स्टॅंड पर से वॅसलीन की शीशी उठा उसे दे दी. मेने सब तय्यारी कल शाम को ही कर ली थी. बबिता मुस्कुराते हुए शीशी मे से थोड़ी क्रीम ले मेरे लंड पर मसल्ने लगी. मेरे लंड मसल्ते हुए वो मेरे सामने खड़ी बड़ी कामुक मुस्कान के साथ मुझे देखे जा रही थी.
बबिता शायद समझ चुकी थी कि मेने अपनी ज़िंदगी मे कभी किसी की गांद नही मारी है. उसने हंसते हुए मुझे बताया कि गांद मरवाने में उसे बहोत मज़ा आता है. उसने बताया कि प्रशांत भी अक्सर उसकी गंद मारते रहता है.
जब मेरा लंड क्रीम से पूरा चिकना हो चुक्का था तो उसने क्रीम की शीशी मुझे पकड़ा कर घूम कर खड़ी हो गयी. शीशे के नीचे लगे शेल्फ को पकड़ वो नीचे झुक गयी और अपनी गांद मेरे सामने कर दी.
बबिता ने शीशे में से मेरी और देखते हुए अपने टाँगो को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत और खुल गयी. बबिता मेरी ओर देखते हुए बोली, "राज अब इस क्रीम को मेरी गान्ड पर अछी तरह चुपद कर मेरी गंद को भी चिकना कर दो?"
मेने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगलियों पे ली और उसके गंद पे मलने लगा. जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसके गंद को छुआ वो एक मादक सिसकारी लेते हुए अपने सिर को अपने हाथों पे रख दिया, "राज अब तुम अपनी एक उंगली मेरी गंद मे डाल दो और उसे गोल गोल घूमाओ."
में अपनी एक उंगली उसकी गंद मे डाल गोल गोल घुमाने लगा. थोड़ी देर बाद उसने कहा, "अब तुम थोड़ी और क्रीम अपनी उंगली पे ले अपनी दो उंगलिया मेरी गंद मे डाल अंदर बाहर करने लागो."
उसने जैसा कहा मेने वैसा ही किया. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था, एक किसी की बीवी की गांद मरने का मौका उप्पर से वो ही मुझे सीखा रही थी कि गंद कैसे मारी जाती है. काश प्रशांत ये सब देख पता कि कैसे मेरी दो उंगलियाँ उसकी बीवी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी.
मेने अपनी जिंदगी में कभी किसी औरत की गांद नही मारी थी. मेने कई बार प्रीति को इसके लिए कहा पर हर बार उसने सॉफ मना कर दिया. एक बार मेरे काफ़ी ज़िद करने पर वो तय्यार हो गयी. पर मेरी किस्मत जैसे ही मेने अपना लंड उसकी गंद मे घुसाया वो दर्द के मारे इतनी ज़ोर की चीखी, के घबरा कर मेने अपना लंड बाहर निकाल लिया. उसके बाद मेने दुबारा कभी इस बात की हिम्मत नही की.
मगर आज लग रहा था कि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाला है. मेने बिना समय बिताई अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और बबिता से कहा, "बैठो अब तुम मेरे लंड को अपनी गंद के लिए तय्यार करो?"
वो खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पकड़ मुझे बाथरूम की तरफ घसीटने लगी, "राज तुम्हारे पास कोई क्रीम है."
बाथरूम में पहुँच कर मेने स्टॅंड पर से वॅसलीन की शीशी उठा उसे दे दी. मेने सब तय्यारी कल शाम को ही कर ली थी. बबिता मुस्कुराते हुए शीशी मे से थोड़ी क्रीम ले मेरे लंड पर मसल्ने लगी. मेरे लंड मसल्ते हुए वो मेरे सामने खड़ी बड़ी कामुक मुस्कान के साथ मुझे देखे जा रही थी.
बबिता शायद समझ चुकी थी कि मेने अपनी ज़िंदगी मे कभी किसी की गांद नही मारी है. उसने हंसते हुए मुझे बताया कि गांद मरवाने में उसे बहोत मज़ा आता है. उसने बताया कि प्रशांत भी अक्सर उसकी गंद मारते रहता है.
जब मेरा लंड क्रीम से पूरा चिकना हो चुक्का था तो उसने क्रीम की शीशी मुझे पकड़ा कर घूम कर खड़ी हो गयी. शीशे के नीचे लगे शेल्फ को पकड़ वो नीचे झुक गयी और अपनी गांद मेरे सामने कर दी.
बबिता ने शीशे में से मेरी और देखते हुए अपने टाँगो को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत और खुल गयी. बबिता मेरी ओर देखते हुए बोली, "राज अब इस क्रीम को मेरी गान्ड पर अछी तरह चुपद कर मेरी गंद को भी चिकना कर दो?"
मेने थोड़ी सी क्रीम अपनी उंगलियों पे ली और उसके गंद पे मलने लगा. जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसके गंद को छुआ वो एक मादक सिसकारी लेते हुए अपने सिर को अपने हाथों पे रख दिया, "राज अब तुम अपनी एक उंगली मेरी गंद मे डाल दो और उसे गोल गोल घूमाओ."
में अपनी एक उंगली उसकी गंद मे डाल गोल गोल घुमाने लगा. थोड़ी देर बाद उसने कहा, "अब तुम थोड़ी और क्रीम अपनी उंगली पे ले अपनी दो उंगलिया मेरी गंद मे डाल अंदर बाहर करने लागो."
उसने जैसा कहा मेने वैसा ही किया. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था, एक किसी की बीवी की गांद मरने का मौका उप्पर से वो ही मुझे सीखा रही थी कि गंद कैसे मारी जाती है. काश प्रशांत ये सब देख पता कि कैसे मेरी दो उंगलियाँ उसकी बीवी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी.