किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

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Fuck_Me
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:41

हमारे घर में एक स्पेयर रूम भी है जिस में कंप्यूटर रख दिया गया। कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नहीं है लेकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एस-के ने कंप्यूटर के कनेक्शन लगा दिये और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया। कनेक्शन लगाने के बाद वो हाथ धोने के लिये बाथरूम में चला गया तो मैं कॉफी बनाने लगी। हम दोनों ड्राईंग रूम में आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे। एस-के और मैं इधर-उधर की बातें करने लगे। वो अपने स्कूल और कॉलेज के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वो कॉलेज में बदमाशियाँ किया करते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे। मैंने कहा कि “आप पर तो लड़कियाँ मरती होंगी!” तो वो हँस पड़ा और कहा “नहीं ऐसी बात नहीं है, बस हमारे कुछ क्लासमेट और कुछ जूनियर लड़कियाँ थीं, हम (एक आँख दबा के बोला) मस्ती करते थे।“ इतनी देर में लंच का टाईम हो गया तो मैंने कहा कि यहीं रुक जायें और साथ में खाना खा कर ही जाना तो उसने कहा कि “किरन तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिनर करना पसंद न होगा, पर सच में मुझे थोड़ा सा काम है..... हम किसी और दिन लंच या डिनर ले लेंगे साथ में।“ जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया। उसने कहा कि मैं कल ऑफिस आ जाऊँ, तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिये।

दूसरे दिन मैं फिर सजधज कर ऑफिस गयी तो उसने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पर ही बता दिया के कैसे एंट्रिज़ करनी हैं और कहा कि ये प्रोग्राम, मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है, उस पर भी है। काम उतना मुश्किल नहीं था, जल्दी ही समझ में आ गया। हाँ कुछ चीज़ें ऐसी थी जो कि समझ में नहीं आ रही थी। कुछ केलक्यूलेशन थे कुछ एडिशन और सबट्रेक्शन थे पर उसने कहा कि जो भी मैं कर सकती हूँ करूँ और जो मेरी समझ में नहीं आ रहा है, वो लंच टाईम पे मेरे पास आ कर मुझे समझा देगा। मैं इनवोयस का बंडल उठा के घर चली आयी।

ऑफिस से घर, तकरीबन पंद्रह-बीस मिनट की वॉक है। घर आने के बाद सारे इनवोयस और वाऊचर को अपने सामने रख कर पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया। नया-नया काम शुरू किया था तो काम करने में मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी। मुझे टाईम का पता ही नहीं चला। शाम के साढ़े तीन हो गये और जब एस-के ने बेल बजायी तो मैंने टाईम देखा। “उफ़ ये तो साढ़े तीन हो गये।“

मैंने डोर खोला। एस-के अंदर आ गया और हम दोनों कंप्यूटर वाले रूम में चले आये। पता नहीं एस-के की पर्सनैलिटी में क्या था कि मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती और गीली होना शुरू हो जाती। उसने काम देखना शुरू किया। कुछ मैंने गलत किया था कुछ सही किया था। उसने केलक्यूलेशन वगैरह करना सिखाया और कुछ देर बैठ कर कॉफी पी कर चला गया। जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा, उसके जिस्म से हल्की उठती हुई पर्फ़्यूम की खुशबू से मैं मस्त होती रही। उसके साथ बैठना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं तो ये सोचने लगी के एस-के यहीं मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा हो और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद-चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे। पर ये मुमकिन नहीं था। एक तो वो मैरिड था और रात मेरे साथ नहीं रह सकता था, दूसरे ये कि ऑफिस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं। मैं एस-के को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथ ही रहे। वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नहीं क्यों उदास हो गयी।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:41

इसी तरह से एक हफ़्ता गुज़र गया। कोई खास बात नहीं हुई बस ये कि मैं उसके लिये हर रोज़ अच्छे से तैयार होती और जितनी देर वो मेरे करीब रहता, मैं मस्त रहती और पूरे मूड में रहती, पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती। मैं ऑफिस से तकरीबन दो हफ़्तों का काम ले आयी थी तो ऑफिस भी नहीं जाना था। सुबह उठ के नाश्ता कर के, फिर अच्छे से तैयार होकर, काम शुरू करती और काम के बीच-बीच में अपने काम भी करती रहती, जैसे खाना बनाना या और भी छोटे-मोटे काम। धोबन तो हर दूसरे दिन आ कर कपड़े धो जाया करती थी। इसी तरह से रुटीन चलने लगी। सलमा आँटी को भी पता चल गया था के मैं दिन में बिज़ी रहती हूँ तो वो भी मुझे दिन के टाईम पे डिस्टर्ब नहीं करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम को या रात को किसी टाईम पे आ जाती और गप्पें लगाने लगती और साथ में हम वही करते जो बालकोनी में किया था और फिर आँटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती। पहले भी जब अशफाक मेरी चूत में आग लगा देता और बुझा नहीं पता तो मैं कभी-कभी बैंगन, मोमबत्ती या लंड की शक्ल की कोई और चीज़ अपनी चूत में डालकर मज़ा ले लेती थी पर आजकल काम में बिज़ी रहने के बावजूद मेरी ये हरकत बहुट बढ़ गयी थी। कंप्यूटर पर डेटा ऐंट्री करते-करते एस-के की याद आ जाती तो उसके लंड का तसव्वुर करते हुए मैं खुद ही अपनी चूत को कोई भी लंड के शक्ल की चीज़ से चोद-चोद कर झड़ जाती और फिर अपना काम में लग जाती।

एक दिन ऐसे हुआ के मैं काम कर रही थी और एस-के आ गये और मेरे पीछे खड़े हो कर काम देखने लगे। कभी-कभी कोई मिस्टेक हो जाती तो बता देते। मैं काम में बिज़ी थी। बीच में मुड़ कर देखा तो एस-के मेरे पीछे नहीं थे। मैंने सोचा कि शायद कुछ काम होगा और चले गये होंगे और मैं उठ कर बाथरूम में गयी। बाथरूम का डोर खोल के अंदर पैर रखते ही एक शॉक लगा। एस-के वहाँ खड़ा पेशाब कर रहा था और उसने अपना इतना मोटा गधे जैसा बे-खतना लौड़ा हाथ में पकड़ा हुआ था। पूरा हाथ में पकड़ने के बाद भी उसका लंड उसके हाथ से बाहर निकला हुआ था और अभी वो इरेक्ट भी नहीं था। मैं एक ही सेकेंड के अंदर पलटी और “ओह सॉरी” कह कर बाहर निकल गयी और सोचने लगी के अभी उसका लंड अकड़ा नहीं है तो ये हाल है उसके लौड़े का और जब अकड़ जायेगा तो क्या हाल होगा और ये तो लड़कियों की चूतें फाड़ डालेगा। इसी सोच के साथ मैं दूसरे बाथरूम में चली गयी और पेशाब करके वापस आ गयी और अपने काम में लग गयी। एस-के फिर से मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया और मेरा काम देखने लगा। मैं काम तो कर रही थी पर मेरा सारा ध्यान उसके लंड में था और उसका लंड जैसे ही मेरे ज़हन में आया, मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गयी। एस-के को भी पक्का यकीन था के मैंने उसके लंड को देख लिया है और औरों की तरह मैं भी हैरान रह गयी हूँ।

मैं काम में बिज़ी थी और वो पीछे खड़ा था। अब उसने मेरे कंधे पे हाथ रख दिया और कहा कि “किरन तुम्हारा ध्यान किधर है?” मैं घबड़ा गयी और सोचने लगी के उसको कैसे पता चला कि मैं दिल में क्या सोच रही हूँ। मैं खामोश रही तो उसने कहा कि “देखो तुमने कितनी एंट्रिज़ गलत कर दी हैं।“ मैं और घबरा गयी क्योंकि सच में मेरा दिल काम में था ही नहीं। मेरा दिमाग तो एस-के के लंड में ही अटक के रह गया था। मैं घर में होने के बावजूद मैं काफ़ी सजधज कर और अच्छे कपड़े पहन कर काम करती थी क्योंकि एस-के कभी भी आ सकता था। लो-कट गले वाले स्लीवलेस और टाईट सलवार-कमीज़ और साथ में उँची हील के सैंडल पहनना नहीं भूलती थी। कभी-कभार साड़ी भी पहनती थी|

उस दिन भी मैंने स्काई ब्लू कलर की स्लीवलेस कमीज़ और सफेद सलवार पहनी थी जो मेरे जिस्म पे बहुत अच्छी लग रही थी। मेरी कमीज़ का गला भी काफी लो-कट था और चूछियों का क्लीवेज काफी हद तक नुमाया हो रहा था। मेरे कंधे खुले हुए थे और एस-के के दोनों हाथ मेरे कंधों पे थे। उसके गरम हाथों के लम्स से मेरा सारा जिस्म जलने लगा और मेरी ज़ुबान लड़खड़ाने लगी। मैं कुछ बोलना चाहती थी और ज़ुबान से कुछ और निकल रहा था। मेरे सारे जिस्म में जैसे बिजली का करंट दौड़ रहा था और दिमाग में साँय साँय होने लगी थी।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic

Unread post by Fuck_Me » 17 Aug 2015 11:41

एस-के के दोनों हाथ अब मेरे कंधों से स्लिप हो के मेरी चूचियों पे आ गये थे और मेरी आँखें बंद होने लगी थी। पहले कमीज़ के ऊपर से ही दबाता रहा और फिर बिना हुक खोले ऊपर से ही कमीज़ के अंदर हाथ डाल दिये। क्योंकि मैंने लो-कट कमीज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके हाथ डायरेक्ट मेरी चूचियों के ऊपर आ गये और वो उनको मसलने लगा। मेरी कुर्सी सेक्रेटरी चेयर टाइप कि थी जिस में नॉर्मल कुर्सी की तरह से बैक-रेस्ट नहीं था बल्कि पीठ की जगह पर एक छोटा सा रेस्ट था और कुर्सी के बैठने कि जगह से बैक-रेस्ट तक पतली सी प्लास्टिक की पट्टी लगी हुई थी जिससे मेरा पीछे से सारा जिस्म एक्सपोज़्ड था, सिर्फ मेरी पीठ का वो हिस्सा छोड़कर जहाँ बैक रेस्ट का छोटा सा कुशन था। एस-के मेरे और करीब आ गया तो उसकी पैंट में से उसके लंड का लम्स मुझे मेरे जिस्म पे महसूस होने लगा। मैं तो उसका हाथ चूचियों पे महसूस कर के पहले से ही गीली हो चुकी थी और जब लंड मेरे जिस्म से लगा तो मैं अपनी जाँघें एक दूसरे से रगड़ने लगी और एक ही मिनट में झड़ गयी और मेरे मुँह से एक लंबी सी “आआआआहहहहह” निकल गयी और मैं अपनी कुर्सी पे थोड़ा सा और आगे को खिसक गयी और मेरे पैर खुद-ब-खुद खुल गये। मेरी जाँघें और टाँगें मेरे चूत के रस से भीग गयीं और मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं रिलैक्स हो गयी। मेरी सलवार बिल्कुल भीग गयी और मुझे अपना रस टाँगों से बह कर अपने पैरों के तलवों और सैंडलों के बीच में चूता हुआ महसूस हुआ। इतना रस था कि ऐसा लग रहा थ जैसे मेरा पेशाब निकल गया हो। अब मुझे यकीन हो गया कि आज मेरे दिल कि मुराद पूरी होने वाली है।

एस-के मेरी चूचियों को मसल रहा था और मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि दिखावे की मुज़ाहमत भी नहीं कर सकी और मेरे हाथ उसके हाथ पे आ गये और मैं उसके हाथों को सहलाने लगी। उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा और निप्पलों को पिंच करने लगा। मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि अपने ही हाथों से अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी। हुक खोल कर कमीज़ ढीली करते हुए ज़रा नीचे खिसका दी और अब वो मेरी चूचियों को अच्छी तरह से मसल रहा था और कह रहा था कि, “आअहह किरन! क्या मस्त चूचियाँ हैं, लगाता है अशफाक इन्हें दबाता नहीं है।“ मैं कुछ नहीं बोली और खामोश रही। वो मेरे पीछे से ही झुक कर मेरी गर्दन पे किस करने लगा और उसके लिप्स मेरे जिस्म पे लगते ही मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ने लगा। फिर ऐसे ही किस करते-करते वो झुके हुए ही मेरी चूचियों को किस करने लगा तो मेरे हाथ बेसाखता उसकी गर्दन पे चले गये और मैं उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी।

अब एस-के मेरे पीछे से हट कर मेरे सामने आ गया था। उसकी पैंट में से उसका लंड बाहर निकलने को बेताब था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया और सच मानो, मैं अपना हाथ वहाँ से हटा ही नहीं सकी और उसने मेरे हाथ को ऐसे दबाया जैसे मेरा हाथ उसके लंड को दबा रहा हो। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और बोला कि, “किरन! इसे बाहर निकाल लो”, तो मैंने उसका अंडरवीयर नीचे को खींच दिया और उसका लंड बाहर निकाला तो वो एक दम से उछल के मेरे मुँह के सामने आ गया और मैं तो सच में डर ही गयी। इतना लंबा मोटा बिला-खतना लंड और उसका मशरूम जैसा चिकना सुपाड़ा चमक रहा था और जोश के मारे हिल रहा था। मेरे मुँह से निकल गया, “हाय अल्लाह!! ये क्या है एस-के? इतना बड़ा और मोटा..... ये तो किलर है.... ये तो जान ही ले लेगा!” तो वो हँसने लगा और बोला कि “आज से ये तुम्हारा ही है, जब चाहो ले लेना” और फिर उसने अपनी पैंट नीचे करके उतार दी।
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