होली में फट गई चोली.....................

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
Fuck_Me
Platinum Member
Posts: 1107
Joined: 15 Aug 2015 09:05

Re: होली में फट गई चोली.....................

Unread post by Fuck_Me » 17 Sep 2015 11:26

“चुप….साली…..” कस के उन्होंने उसकी चूत पे मारा और अपनी चूत उसके मुँह पे रख दी…. वो बेचारी मेरी छोटी ननद चीख भी नहीं पाई……
“ले चाट चूत……चाट…कस-कस के……” वो बोली और रगड़ना शुरू कर दिया.. मुझे देख के अचरज हुआ कि उस साल्ली चुत मराणो मेरी ननद ने चूत चाटना भी शुरू कर दिया. वो अपने रंग लगे हाथों से कस के उसकी छोटी चुचियों को रगड़, मसल भी रही थी. कुछ रंग-रगड़ से चुचियाँ एकदम लाल हो गई थी. तब हल्की-सी धार की आवाज ने मेरा ध्यान फिर से चेहरे की ओर खीचा. मैं दंग रह गई…….
“ले पी….ननद…साल्ली….होली का शरबत….ले……एकदम से जवानी फुट पड़ेगी….नमकीन हो जायेगी ये नमकीन शरबत पी के……” जेठानी बोल रही थी.
एकदम गाढ़े पीले रंग की मोटी धार……चार-चार…..सीधे उसके मुँह में…. वो छटपटा रही थी लेकिन जेठानी की पकड़ भी तगड़ी थी…. सीधा उसके मुँह में……. जिस रंग का शरबत मुझे जेठानी ने अपने हाथों से पिलाया था, बिल्कुल उसी रंग का वैसा ही और उस तरफ देखते समय मुझे ध्यान नहीं रहा कि कब दबे पांव मेरी चार गाँव की ननदें मेरे पीछे आ गई और मुझे पकड़ लिया.
उसमे सबसे तगड़ी मेरी शादी-शुदा ननद थी, मुझसे थोड़ी बड़ी बेला. उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े और बाकी ने टाँगे. फिर गंगा डोली करके घर के पीछे बनी एक कुण्डी में डाल दिया. अच्छी तरह डूब गई मैं रंग में. गाढ़े रंग के साथ कीचड़ और ना जाने क्या-क्या था उसमे.? जब मैं निकलने की कोशिश करती २-४ ननदें उसमे जो उतर गई थी, मुझे फिर धकेल दिया… साड़ी तो उन छिनालों ने मिल के खींच के उतार ही दी थी. थोड़ी ही देर में मेरी पूरी देह रंग से लथ-पथ हो गई. अबकी मैं जब निकली तो बेला ने मुझे पकड़ लिया और हाथ से मेरी पूरी देह में कालिख रगड़ने लगी. मेरे पास कोई रंग तो वहाँ था नहीं तो मैं अपनी देह से ही उस पे रगड़ के अपना रंग उस पे लगाने लगी.
वो बोली, “अरे भाभी, ठीक से रगड़ा-रगड़ी करों ना…..देखो में बताती हूँ तुम्हारे ननदोई कैसे रगड़ते है…!!?!!” और वो मेरी चूत पे अपनी चूत घिसने लगी. मैं कौन-सी पीछे रहने वाली थी.? मैंने भी कस के उसकी चूत पे अपनी चूत घिसते हुए बोला, “मेरे सैया और अपने भैया से तो तुमने खूब चुदवाया होगा, अब भौजी का भी मज़ा ले ले…..”
उसके साथ-साथ लेकिन मेरी बाकी ननदें….. आज मुझे समझ में आ गया था कि गाँव में लड़कियाँ कैसे इतनी जल्दी जवान हो जाती है तथा उनके चूतड़ और चुचियाँ इतनी मस्त हो जाती है…. छोटी-छोटी ननदें भी कोई मेरे चूतड़ मसल रहा था तो कोई मेरी चुचियाँ लाल रंग लेके रगड़ रहा था……
थोड़ी देर तक तो मैंने सहा फिर मैंने एक की कसी कच्ची चूत में उँगली ठेल दी…………
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

User avatar
Fuck_Me
Platinum Member
Posts: 1107
Joined: 15 Aug 2015 09:05

Re: होली में फट गई चोली.....................

Unread post by Fuck_Me » 17 Sep 2015 11:26

चीख पड़ी वो…. मौका पा के मैं बाहर निकल आई लेकिन वहाँ मेरी बड़ी ननद दोनों हाथों में रंग लगाए पहले से तैयार खड़ी थी. रंग तो एक बहाना था. उन्होंने आराम से पहले तो मेरे गालों पे फिर दोनों चुचियों पे खुल के कस के रंग लगाया, रगड़ा….. मेरे अंग-अंग में रोमांच दौड़ गया. बाकी ननदों ने पकड़ रखा था इसलिए मैं हिल भी नही पा रही थी…. चुचियाँ रगड़ने के साथ उन्होंने कस के मेरे Nipples भी Pinch कर दिये और दूसरे हाथ से रंग सीधे मेरे Clit पे. बड़ी मुश्किल से मैं छुड़ा पाई……
लेकिन उसके बाद मैंने किसी भी ननद को नही बख्शा….. सबके उँगली की… चुत में भी और गाण्ड में भी….. लेकिन जिसको मैं ढूँढ रही थी वो नही मिली, मेरी छोटी ननद…. मिली भी तो मैं उसे रंग लगा नही पाई…. वो मेरे भाई के कमरे की तरह जा रही थी…. पूरी तैयारी से, होली खेलने की…….
दोनों छोटे-छोटे किशोर हाथों में गुलाबी रंग, पतली कमर में रंग, पेन्ट और वार्निश के पाऊच….. जब मैंने पकड़ा तो वो बोली, “Please भाभी, मैंने किसी से Promise किया है कि सबसे पहले उसी से रंग डलवाउंगी…… उसके बाद आपसे… चाहे जैसे, चाहे जितना लगाईयेगा, मैं चु भी नही करुँगी…..”
मैंने छेड़ा, “ननद रानी, अगर उसने रंग के साथ कुछ और भी डाल दिया तो……..???”
वो आँख नचा के बोली, “तो डलवा लूँगी भाभी, आखिर कोई ना कोई कभी ना कभी तो……. फिर मौका भी है, दस्तूर भी है…..”
“एकदम” उसके गाल पे हल्के से रंग लगा के मैं बोली और कहा, “जाओ, पहले मेरे भैया से होली खेल आओ, फिर अपनी भौजी से………….” थोड़ी देर में ननदों के जाने के बाद गाँव की औरतों, भाभियों का झुण्ड आ गया और फिर तो मेरी चांदी हो गई……….
हम सब ने मिल के बड़ी ननदों को दबोचा और जो-जो उन्होंने मेरे साथ किया था वो सब सूद समेत लौटा दिया…… मज़ा तो मुझे बहुत आ रहा था लेकिन सिर्फ एक Problem थी…..
मैं झड़ नही पा रही थी….. रात भर ‘इन्होने’ रगड़ के चोदा था लेकिन झड़ने नही दिया था….. रात भर से मैं तड़प रही थी. और फिर सुबह-सुबह सासु जी की उंगलियों ने भी आगे-पीछे दोनों ओर, लेकिन जैसे ही मेरी देह कांपने लगी, मैंने झड़ना शुरू ही किया था कि वो रुक गई ओर पीछे वाली उँगली से मुझे मंझन कराने लगी. मेरा झड़ना उस वक्त रुक गया था. उसके बाद तो सब कुछ छोड़ के वो मेरी गाण्ड के पीछे ही पड़ गई थी……
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

User avatar
Fuck_Me
Platinum Member
Posts: 1107
Joined: 15 Aug 2015 09:05

Re: होली में फट गई चोली.....................

Unread post by Fuck_Me » 17 Sep 2015 11:27

यही हालत बेला और बाकी सभी ननदों के साथ हुई…. बेला कस कस के घिस्सा दे रही थी और मैं उसकी चुचियाँ पकड़ के कस-कस के चुत पे चुत रगड़ रही थी…. लेकिन फिर मैं जैसे ही झड़ने के कगार पे पहुँची कि बड़ी ननद आ गई…. और इस बार भी मैंने ननद जी को पटक दिया था और उनके ऊपर चढ़ के रंग लगाने के बहाने उनकी चुचियाँ खूब जम के रगड़ रही थी और कस-कस के चुत रगड़ते हुए बोल रही थी, “देख ऐसे चोदते है तेरे भैया मुझको..!?!”
चूतड़ उठा के मेरी चूत पे अपनी चूत रगडती वो बोली, “और ऐसे चोदेंगे आपको आपके ननदोई..!?!”
मैंने कस के Clit से उसकी Clit रगड़ी और बोला, “अरे तो डरती हूँ क्या उस साले भडवे से..??? उसके साले से रोज चुदती हूँ, आज उसके जीजा साले से भी चुदवा के देख लूंगी.”
मेरी देह उत्तेजना के कगार पर थी, लेकिन तब तक मेरी जेठानी आ के शामिल हो गई और बोली, “हाय तू अकेले मेरी ननद का मज़ा ले रही है, ज़रा मुझे भी मस्ती करने दे मेरी प्यारी छिनाल ननद के साथ.” और मुझे हटा के वो चढ़ गई.
मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि मेरी सारी देह कांप रही थी. मन कर रहा था कि कोई भी आ कर चोद दे. बस किसी तरह एक लंड मिल जाए, किसी का भी. फिर तो मैं उसे छोडती नहीं. निचोड़ के खुद झड़ के ही दम लेती……………..

इसी बीच मैं अपने भाई के कमरे की ओर भी एक चक्कर लगा आई थी. उसकी और मेरी छोटी ननद के बीच होली जबर्दस्त चल रही थी. उसकी पिचकारी मेरी ननद ने पूरी की पूरी घोंट ली थी. चींख भी रही थी, सिसक भी रही थी, लेकिन उसे छोड़ भी नहीं रही थी.
तब तक गाँव की औरतों के आने की आहट पाकर मैं चली गई.
जब बाकि औरतें चली गई तो भी एक-दो मेरे जो रिश्ते की जेठानी लगती थी, रुक गई. हम सब बाते कर रहे थे तभी छोटी ननद की किस्मत वो कमरे से निकल के सीधे हमीं लोगों की तरफ़ आ गई. गाल पे रंग के साथ-साथ हल्के-हल्के दांत के निशान, टांगे फैली-फैली, चेहरे पर मस्ती, लग रहा था पहली चुदाई के बाद कोई कुंवारी आ रही है. जैसे कोई हिरनी शिकारियों के बीच आ जाए वही हालत उसकी थी. वो बिदकी और मुड़ी, तो मेरी दोनों जेठानियो ने उसे खदेड़ा और जब वो सामने की ओर आई तो वहाँ मैं थी. मैंने उसे एक झटके में दबोच लिया. वो मेरी बाहों में छटपटाने लगी, तब तक पीछे से दोनों जेठानियो ने पकड़ लिया ओर बोली, “हाय.! कहा से चुदा के आ रही है..???”
दुसरी ने गाल पे रंग मलते हुए कहा, “चल, अब भौजियो से चुदा. एक-एक पे तीन-तीन.” ओर एक झटके में उसकी चोली फाड़ के खींच दी. जो जोबन झटके से बाहर निकले वो अब मेरी मुट्ठी में कैद थे.
“अरे तीन-तीन नहीं चार-चार.” तब तक मेरी जेठानी भी आ गई ओर हँस के वो बोली और उसको पूरी नंगी करके कहा, “अरे होली ननद से खेलनी है, उसके कपड़ो से थोड़े ही.”
फिर क्या था थोड़ी ही देर में वो नीचे और मैं ऊपर. रंग, pant, varnish और कीचड़ कोई चीज़ हम लोगों ने नही छोड़ी…. लेकिन ये तो शुरुआत थी.
.......................................

A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.

Post Reply