ट्यूशन का मजा compleet
Re: ट्यूशन का मजा
मैडम ने मुझे चूम लिया "अब घबराने की जरूरत नहीं है, अब पढ़ाई भूल जाओ और इस तरफ़ ध्यान दो. देखो, तेरी दीदी का लेसन कैसा चल रहा है"
मैंने देखा तो दोनों कमरों के बीच में एक खिड़की थी. मैं चकरा गया, कल तक तो यह नहीं थी.
खिड़की में से सर का कमरा दिख रहा था. सर ने अपने कपड़े उतार दिये थे और दीदी को गोद में बिठा कर चूम रहे थे. दीदी शरमा रही थी पर बड़ी खुशी खुशी चौधरी सर को चुम्मे दे रही थी. सर कुछ देर तक दीदी की चूंचियां ब्लाउज़ पर से दबाते रहे फ़िर अपना लंड दीदी के हाथ में दे दिया और उसके कपड़े उतारने लगे. सर का बदन एकदम गठीला और गोरा चिट्टा था. लंड के चारों ओर अच्छी घनी झांटें थीं.
मेरा लंड खड़ा हो गया. मैडम भी बड़े प्यार से उसे मुठिया रही थीं. अब मेरी झिझक जा चुकी थी, साहस करके मैंने मैडम की एक चूंची पकड़ ली और धीरे धीरे दबाने लगा. "ये निपल को उंगलियों में लो और घुमाओ, जरा मसलो, डरो मत, मुझे अच्छा लगता है" मैडम ने मुझे खींच कर सीने से लगाते हुए कहा. मैं मैडम के निपल मरोड़ते हुए दूसरे कमरे में देखने लगा. "मैडम, ये दो बेडरूम के बीच खिड़की ..." मैंने झिझकते हुए पूछा.
"हां पुराना घर है ना. वैसे यहां पर्दा रहता है पर आज से खास ट्यूशन है ना! इसलिये निकाल दिया है. दोनों कमरे वाले एक दूसरे को देख भी सकते हैं और कहने को अलग अलग कमरे में होने से बिना झिझक के मन की कर भी सकते हैं" मैडम ने कहा और फ़िर मुंह से ’सी’ ’सी’ करने लगीं क्योंकि चौधरी सर और दीदी के बीच का करम देखकर मैं उत्तेजित हो गया था और जोर से मैडम के निपल मसलने लगा था. मैंने सॉरी कहा तो मैडम बोलीं "अरे परेशान मत हो अनिल बेटे, मुझे अच्छा लगता है, जरा दबा भी ना जोर से मेरे मम्मे, मन में तो खूब सोचता होगा कि मैडम मिल जायें तो उनके भोंपू दबाऊंगा तो अब क्यों शरमा रहा है?"
"मैडम भोंपू ...?" मैंने कहा तो मैडम मेरा कान पकड़कर बोलीं "अब नादान ना बन, मैं जानता हूं कि तुम शरारती लड़के स्कूल की लेडी टीचर्स के बारे में क्या क्या कहते हो, चलो अब, बजाओ भोंपू"
मैडम ने नरम नरम भोंपू दबाता हुआ मैं देखने लगा. अब तक सर ने दीदी को नंगा कर दिया था और उससे कुछ कह रहे थे. दीदी शरमा रही थी. सर ने उसे गोद में लेकर अपने लंड पर साइकिल के डंडे जैसा बिठा लिया था और उनका तना हुआ लंड दीदी की दुबली पतली जांघों के बीच से बाहर निकल आया था. सर अब दीदी की चूंचियां दोनों हाथों से मसल रहे थे और कस के उसे चूम रहे थे. वे बार बार दीदी का मुंह अपने होंठों से खोलते और चूसने लगते. दीदी एक मिनिट शरमाती रही फ़िर उसने भी मुंह खोल कर अपनी जीभ सर को चूसने को दे दी और हथेली में उनका सुपाड़ा लड्डू जैसा पकड़ लिया.
उनकी चूमाचाटी देखकर मुझसे न रहा गया और मैंने मैडम की ओर देखा. उन्होंने मुस्कराकर मेरे होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख दिये और चूमने लगीं. उनकी जीभ मेरे मुंह पर लग रही थी. मैंने मुंह खोला और मैडम की रसीली जीभ चूसने लगा. साथ साथ मैं कमर हिला कर मैडम की मुठ्ठी में दबे मेरे लंड को आगे पीछे कर रहा था.
मैडम ने फ़िर मेरा सिर अपनी छाती पर दबाया और बोलीं "अनिल, अब मुंह में लो. अपनी मैडम के मम्मे चूसने का मन नहीं करता है क्या?" मेरा हाथ पकड़कर उन्होंने अपनी बुर पर रख दिया.
"हां मैडम, करता है" कहकर मैंने मैडम का निपल मुंह में ले लिया और चूसते चूसते मैडम की बुर को टटोलने लगा. एकदम गीली थी और चिकनी भी थी. "अरे ऐसे उंगली से कर मेरे बच्चे, जरा मजा दे मुझे, अब सीख ले यह कला, बहुत काम आयेगी तेरे. उधर देख, तेरे सर क्या कर रहे हैं .... आह ... हां ऐसे ही रगड़ अब ... अरे जरा धीरे ... प्यार से .. "
मैंने देखा तो अब चौधरी सर ने दीदी को एक कुरसी में बिठा दिया था और सामने बैठ कर उसकी चूत चाट रहे थे. बड़े प्यार से उसपर नीचे से ऊपर तक जीभ रगड़ रहे थे जैसे कैंडी चाट रहे हों. दीदी मेरी और मैडम की तरफ़ देख रही थी, उसका चेहरा लाल हो गया था पर एकदम खुश नजर आ रही थी. सर ने अब उसकी बुर की लकीर में एक उंगली डाली और घिसने लगे. दीदी ’सी’ ’सी’ करने लगी. थोड़ी देर से सर ने उंगली मोड़ी और धीरे से दीदी की बुर में घुसेड़ दी. लीना थोड़ी कसमसा सी गयी.
क्रमशः। ...........................
Re: ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-8
गतांक से आगे..............................
"क्या हुआ लीना? दुख रहा है क्या, दुखना नहीं चाहिये, सिर्फ़ उंगली ही तो डाली है, तू तो मोमबत्ती डालती है ना" कहकर सर उसकी चूत को उंगली से चोदते हुए चूसने लगे. फ़िर उंगली निकालकर चाटी और दीदी की बुर उंगलियों से फ़ैलायी और मुंह लगा दिया जैसे आम चूस रहे हों. "हा ऽ य ... आ ऽ ह ... सर ... बहुत अच्छा लगता है सर ... प्लीज़ सर ऽ ... उई ऽ मां ऽ ..." कहकर दीदी अपनी कमर हिलाने लगी. उसने सर का सिर पकड़ लिया था और उनके मुंह पर अपनी चूत रगड़ रही थी.
देखकर मुझसे न रहा गया. उनका निपल मुंह से निकाल कर मैंने अपनी उंगली मैडम की बुर में से निकाली और चाट कर देखी "मैडम मैं आप की चूत चूसूं?"
"क्यों रे? चूसेगा कि चोदेगा? कल तूने बहुत अच्छा चोदा था. मजा आया. बहुत दिन में किसी ने ऐसे चोदा मुझे" मैडम मेरे गालों पर अपनी चूंचियां रगड़ती हुई बोलीं.
"मैडम, चोदूंगा भी पर पहले चूसने दीजिये ना, कल भी आप ने सिर्फ़ दीदी को चूत चटवायी, मुझे कुछ नहीं मिला" मैं बोला. मेरे मन में आया कि सर का इतना मस्त लंड है, उससे तो मैडम रोज चुदवाती होंगी, फ़िर ऐसा क्यों बोलीं कि बहुत दिन बाद कल चुदवाया. पर कुछ बोला नहीं.
"चल, चूस ले, वैसे तेरी दीदी ने भी बहुत प्यार से मेरी बुर का रस पिया था कल" कहकर मैडम ने पैर फ़ैला दिये. मैं झट से नीचे बैठा और उनकी बुर से मुंह लगा दिया.
"हां ऽ बस ऐसे ही ऽ ... जीभ लगा ... वो दाना है ना? ... वहां ... बस ऐसे ही ... बहुत अच्छे अनिल ... अच्छा लगा टेस्ट?"
"हां मैडम ..." मैं बोला और चूसता रहा. थोड़ी देर के बाद वे आगे पीछे होने लगीं और मेरे सिर को अपनी जांघों में कस कर मेरा चेहरा अपनी बुर पर सटा लिया.
"ओह ... ओह ... तुम दोनों बच्चे हो बड़े होशियार इन कामों में ... आह ऽ ... वो देख तेरी दीदी झड़ गयी ... छूटने की कोशिश कर रही है पर सर उसे नहीं छोड़ेंगे, रस का चस्का जो लग गया है ... अब तेरी दीदी की बुर को निचोड़ कर ही दम लेंगे ... ओह .. ओह .. ले ... तू भी पी मेरा रस ... हां ऽ हां अनिल .. ऐसे ही ...." कहते हुए मैडम का बदन कपकपाया और मेरे मुंह में पानी बहने लगा.
करीब दस मिनिट बाद मैडम फ़िर से झड़ीं और मुझे और थोड़ा बुर का पानी पिलाकर मुझे खींच कर उठा दिया. वे बड़ी तृप्त लग रही थीं. "बहुत अच्छा किया अनिल. तुझे स्वाद पसंद आया?"
"हां मैडम, बहुत ... गाढ़ा और .... शहद जैसा है मैडम" मैंने तारीफ़ की. मैडम खुश होकर बोलीं "शहद की कमी नहीं होगे तुझे कभी, जब चाहे, ले लिया कर अब अब जरा यहां देख ... तेरी दीदी कौनसा लेसन सीख रही है"
मैं मुंह पोंछता हुआ उठ बैठा. देखा तो दीदी सर के सामने नीचे बैठ कर उनका लंड मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी. बस सुपाड़ा ही ले पायी थी, उसके गाल फ़ूल गये थे. सर अपना लंड उसके मुंह में पेलने की कोशिश कर रहे थे और कह रहे थे "लीना, ऐसे तो तूने कल भी चूसा था, अब नया कुछ सीखना है कि नहीं? और मुंह में ले, जाने दे गले में, रोक नहीं, पूरा ले आज ..."
लीना गों गों करने लगी. सर ने लंड उसके मुंह से खींचा और उठ खड़े हुए "कोई बात नहीं, तेरे लिये ये नया है, नयी नयी जवानी जो है. घबरा मत, आज तेरा ये लेसन मैं पूरा कर ही दूंगा. रुक, मैं अभी आया"
वे कमरे के बाहर गये और एक मिनिट में एक मोटा लंबा केला ले कर वापस आये. केला छीलते हुए बोले "इससे प्रैक्टिस करवाता हूं, देख लीना, पहली बात यह ध्यान में रख कि गले को ढीला छोड़, एकदम ढीला. दूसरे यह कि ऐसे समझ कि तू जो निगल रही है उसमें से तुझे बहुत सी मलाई मिलने वाली है, ठीक है ना? अब मुंह खोल"
लीना ने मुंडी हिलाई और पूरा मुंह बा दिया. चौधरी सर ने उसके मुंह में केला डाला और धीरे धीरे अंदर घुसेड़ने लगे. चार पांच इंच के बाद दीदी कसमसाई तो वे रुक गये "तू गला नहीं ढीला कर रही है लीना, बिलकुल ढीला कर" लीना दीदी ने पलकें झपकाईं और सर फ़िर से केला अंदर डालने लगे. इस बार दीदी पूरा निगल गयी.
"शाबास लीना, ये हुई ना बात! ये केला बड़ा वाला मद्रासी केला है, दस इंच का, मेरे लंड से दो इंच बड़ा, अब तो तू आराम से ले लेगी, बस अंदर बाहर करने की प्रैक्टिस कर. लंड चूसते समय जितना जरूरी पूरा मुंह में लेना है, उतना ही बार बार अंदर बाहर करना है, इससे जो मजा मिलता है उससे कोई भी मर्द तेरा गुलाम हो जायेगा. और देख, दांत नहीं लगाना, इस केले पर देख ये निशान बन गये हैं, अब बिना दांत लगाये अंदर बाहर कर, दांतों को अपने होंठों से ढक ले"
सर केले को लीना दीदी के मुंह से पूरा खींच कर फ़िर अंदर पेलने लगे. दीदी अब आसानी से कर रही थी. उसे मजा भी आ रहा था, वह सर का लंड अब हाथ में पकड़ कर बैठी थी. मैडम ने मुझसे कहा "तेरी दीदी तो एकदम एक्सपर्ट हो गयी अनिल? लगता है काफ़ी मतवाले स्वभाव की है. आ, मैं भी तुझे जरा मजा दूं इस बात का, पर झड़ना नहीं हं? नहीं तो सर मुझे डांटेंगे, बोले थे कि अनिल को इस लेसन में झड़ाना नहीं"
फ़िर मैडम ने झुक कर मेरा लंड मुंह में लिया और प्यार से चूसने लगीं. मैं उनके रेशमी बालों में उंगलियां फ़िराता हुआ मजा ले लकर फ़िर से सर और दीदी के कमरे में देखने लगा.
गतांक से आगे..............................
"क्या हुआ लीना? दुख रहा है क्या, दुखना नहीं चाहिये, सिर्फ़ उंगली ही तो डाली है, तू तो मोमबत्ती डालती है ना" कहकर सर उसकी चूत को उंगली से चोदते हुए चूसने लगे. फ़िर उंगली निकालकर चाटी और दीदी की बुर उंगलियों से फ़ैलायी और मुंह लगा दिया जैसे आम चूस रहे हों. "हा ऽ य ... आ ऽ ह ... सर ... बहुत अच्छा लगता है सर ... प्लीज़ सर ऽ ... उई ऽ मां ऽ ..." कहकर दीदी अपनी कमर हिलाने लगी. उसने सर का सिर पकड़ लिया था और उनके मुंह पर अपनी चूत रगड़ रही थी.
देखकर मुझसे न रहा गया. उनका निपल मुंह से निकाल कर मैंने अपनी उंगली मैडम की बुर में से निकाली और चाट कर देखी "मैडम मैं आप की चूत चूसूं?"
"क्यों रे? चूसेगा कि चोदेगा? कल तूने बहुत अच्छा चोदा था. मजा आया. बहुत दिन में किसी ने ऐसे चोदा मुझे" मैडम मेरे गालों पर अपनी चूंचियां रगड़ती हुई बोलीं.
"मैडम, चोदूंगा भी पर पहले चूसने दीजिये ना, कल भी आप ने सिर्फ़ दीदी को चूत चटवायी, मुझे कुछ नहीं मिला" मैं बोला. मेरे मन में आया कि सर का इतना मस्त लंड है, उससे तो मैडम रोज चुदवाती होंगी, फ़िर ऐसा क्यों बोलीं कि बहुत दिन बाद कल चुदवाया. पर कुछ बोला नहीं.
"चल, चूस ले, वैसे तेरी दीदी ने भी बहुत प्यार से मेरी बुर का रस पिया था कल" कहकर मैडम ने पैर फ़ैला दिये. मैं झट से नीचे बैठा और उनकी बुर से मुंह लगा दिया.
"हां ऽ बस ऐसे ही ऽ ... जीभ लगा ... वो दाना है ना? ... वहां ... बस ऐसे ही ... बहुत अच्छे अनिल ... अच्छा लगा टेस्ट?"
"हां मैडम ..." मैं बोला और चूसता रहा. थोड़ी देर के बाद वे आगे पीछे होने लगीं और मेरे सिर को अपनी जांघों में कस कर मेरा चेहरा अपनी बुर पर सटा लिया.
"ओह ... ओह ... तुम दोनों बच्चे हो बड़े होशियार इन कामों में ... आह ऽ ... वो देख तेरी दीदी झड़ गयी ... छूटने की कोशिश कर रही है पर सर उसे नहीं छोड़ेंगे, रस का चस्का जो लग गया है ... अब तेरी दीदी की बुर को निचोड़ कर ही दम लेंगे ... ओह .. ओह .. ले ... तू भी पी मेरा रस ... हां ऽ हां अनिल .. ऐसे ही ...." कहते हुए मैडम का बदन कपकपाया और मेरे मुंह में पानी बहने लगा.
करीब दस मिनिट बाद मैडम फ़िर से झड़ीं और मुझे और थोड़ा बुर का पानी पिलाकर मुझे खींच कर उठा दिया. वे बड़ी तृप्त लग रही थीं. "बहुत अच्छा किया अनिल. तुझे स्वाद पसंद आया?"
"हां मैडम, बहुत ... गाढ़ा और .... शहद जैसा है मैडम" मैंने तारीफ़ की. मैडम खुश होकर बोलीं "शहद की कमी नहीं होगे तुझे कभी, जब चाहे, ले लिया कर अब अब जरा यहां देख ... तेरी दीदी कौनसा लेसन सीख रही है"
मैं मुंह पोंछता हुआ उठ बैठा. देखा तो दीदी सर के सामने नीचे बैठ कर उनका लंड मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी. बस सुपाड़ा ही ले पायी थी, उसके गाल फ़ूल गये थे. सर अपना लंड उसके मुंह में पेलने की कोशिश कर रहे थे और कह रहे थे "लीना, ऐसे तो तूने कल भी चूसा था, अब नया कुछ सीखना है कि नहीं? और मुंह में ले, जाने दे गले में, रोक नहीं, पूरा ले आज ..."
लीना गों गों करने लगी. सर ने लंड उसके मुंह से खींचा और उठ खड़े हुए "कोई बात नहीं, तेरे लिये ये नया है, नयी नयी जवानी जो है. घबरा मत, आज तेरा ये लेसन मैं पूरा कर ही दूंगा. रुक, मैं अभी आया"
वे कमरे के बाहर गये और एक मिनिट में एक मोटा लंबा केला ले कर वापस आये. केला छीलते हुए बोले "इससे प्रैक्टिस करवाता हूं, देख लीना, पहली बात यह ध्यान में रख कि गले को ढीला छोड़, एकदम ढीला. दूसरे यह कि ऐसे समझ कि तू जो निगल रही है उसमें से तुझे बहुत सी मलाई मिलने वाली है, ठीक है ना? अब मुंह खोल"
लीना ने मुंडी हिलाई और पूरा मुंह बा दिया. चौधरी सर ने उसके मुंह में केला डाला और धीरे धीरे अंदर घुसेड़ने लगे. चार पांच इंच के बाद दीदी कसमसाई तो वे रुक गये "तू गला नहीं ढीला कर रही है लीना, बिलकुल ढीला कर" लीना दीदी ने पलकें झपकाईं और सर फ़िर से केला अंदर डालने लगे. इस बार दीदी पूरा निगल गयी.
"शाबास लीना, ये हुई ना बात! ये केला बड़ा वाला मद्रासी केला है, दस इंच का, मेरे लंड से दो इंच बड़ा, अब तो तू आराम से ले लेगी, बस अंदर बाहर करने की प्रैक्टिस कर. लंड चूसते समय जितना जरूरी पूरा मुंह में लेना है, उतना ही बार बार अंदर बाहर करना है, इससे जो मजा मिलता है उससे कोई भी मर्द तेरा गुलाम हो जायेगा. और देख, दांत नहीं लगाना, इस केले पर देख ये निशान बन गये हैं, अब बिना दांत लगाये अंदर बाहर कर, दांतों को अपने होंठों से ढक ले"
सर केले को लीना दीदी के मुंह से पूरा खींच कर फ़िर अंदर पेलने लगे. दीदी अब आसानी से कर रही थी. उसे मजा भी आ रहा था, वह सर का लंड अब हाथ में पकड़ कर बैठी थी. मैडम ने मुझसे कहा "तेरी दीदी तो एकदम एक्सपर्ट हो गयी अनिल? लगता है काफ़ी मतवाले स्वभाव की है. आ, मैं भी तुझे जरा मजा दूं इस बात का, पर झड़ना नहीं हं? नहीं तो सर मुझे डांटेंगे, बोले थे कि अनिल को इस लेसन में झड़ाना नहीं"
फ़िर मैडम ने झुक कर मेरा लंड मुंह में लिया और प्यार से चूसने लगीं. मैं उनके रेशमी बालों में उंगलियां फ़िराता हुआ मजा ले लकर फ़िर से सर और दीदी के कमरे में देखने लगा.
Re: ट्यूशन का मजा
सर ने केला एक प्लेट पर रख दिया था और दीदी को सामने फ़र्श पर बिठाकर उसके मुंह में लंड पेल रहे थे. आधा तो दीदी ने ले भी लिया था. सर प्यार से दीदी के बाल सहला रहे थे "देख गया ना गले के नीचे? बस हो गया, अब पूरा ले ले" दीदी ने सिर नीचे किया और सर की झांटें उसके होंठों पर आ टिकीं. दीदी के गाल ऐसे फ़ूल गये थे जैसे बड़ा सेब मुंह में ले लिया हो.
"ये तो कमाल हो गया लीना रानी. अब मजा ले लकर चूस. मुंह में अंदर बाहर कर ... और सुन .. जीभ से लंड के नीचे रगड़, प्यार से ... आह ऽ आह ? बहुत अच्छी बच्ची है लीना तू .... बहुत प्यारी है ... बस ऐसे ही कर ... आराम से ... मजा ले ... कोई जल्दी नहीं है" और उन्होंने दीदी का सर पकड़ लिया और कमर हिला हिला कर लंड हौले हौले दीदी के मुंह में पेलने लगे.
दीदी अब बार बार सर का लंड पूरा मुंह से निकालती और फ़िर निगल लेती. उसे मजा आ रहा था जैसे बच्चों को आता है कोई नया काम सीख कर. मैं झड़ने को आ गया. मैडम को पता चल गया इसलिये मेरे लंड को मुंह से निकाल कर से फ़िर बैठ गयीं. "क्या बात है अनिल, मस्ती में है तू? अच्छा, दीदी के कारनामे देख रहा है. सोच रहा है कि तेरी दुबली पतली नाजुक गले वाली दीदी ने कैसे इतना बड़ा लंड निगल लिया? पर मुझे कोई अचरज नहीं हुआ, मैं तो तुम दोनों को देखते ही समझ गयी थी कि क्या मस्तीखोर हो तुम दोनों और खास कर तेरी दीदी. वो असली गरम लड़की है, जैसी मैं थी बचपन में! अब जरा तेरे इस लंड को थोड़ा ठंडा कर, मुझे चोदना है"
मैं बोला "हां मैडम" और उठने लगा तो वे बोलीं "अरे तू लेटा रह, मैं चोदूंगी, तेरा कोई भरोसा नहीं, झड़ जायेगा. तू लेट और वो सिनेमा देख, मैं करती हूं जो करना है"
मुझे लिटा कर मैडम मेरे ऊपर चढ़ गयीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरे पेट पर बैठ गयीं. फ़िर चोदने लगीं. चुदाई का आनंद लेते हुए मैंने दूसरे कमरे में देखा तो सर दीदी से लंड चुसवाते हुए वो वाला केला खा रहे थे, जो दीदी के मुंह में अंदर बाहर हुआ था. मेरे चेहरे के भाव देखकर मैडम हंसने लगीं "अरे अचरज क्यों करता है, तेरी दीदी का चुम्मा इतना मीठा है, सर उसके मुंह का स्वाद ले रहे हैं"
"तेरे मुंह के स्वाद का जवाब नहीं लीना, अमरित है अमरित, अब जब किस करूं तो मेरे को ढेर सी चासनी पिलाना अपने मुंह की. ठीक है ना!" सर केला खतम करके बोले. दीदी ने पलक झपकाकर कहा कि समझ गयी.
सर अब आराम से पीछे टिक कर बैठ गये और लीना दीदी का सिर पकड़कर उसके बालों में उंगलियां चलाते हुए दीदी के सिर को आगे पीछे गाइड करने लगे. "हां लीना ... बस ऐसे ही ... हां ... हां मेरी रानी .... मेरी लाड़ली बच्ची ... चूस रानी चूस .... अपने सर का लौड़ा चूस ... उनका प्रसाद पा ले .... चल चूस"
थोड़ी ही देर में सर ने दीदी के सर को कस कर अपने पेट पर भींच लिया और झड़ गये "ओह .... हां .... लीना .... तू तो कमाल करती है री ... आह .... मजा आ गया"
तीन चार सांसों के बाद सर ने लंड करीब करीब पूरा दीदी के मुंह के बाहर खींचा और सिर्फ़ सुपाड़ा उसके मुंह में दे कर बोले "लीना, अब जीभ पर ले और चख ... मजे ले लेकर खा ... ये है सच्ची मलाई ... इतनी मेहनत की है तो अब उसका इनाम ले" उनका वीर्य उबल उबल कर दीदी की जीभ पर इकठ्ठा हो रहा था. जब लंड शांत हुआ तो दीदी ने मुंह बंद किया और आंखें बंद करके उसका स्वाद लेने लगी.
वीर्य निगलने के बाद दीदी ने फ़िर से लंड को मुंह में लेकर साफ़ किया और उठ कर खड़ी हो गयी. थोड़ा शरमा रही थी पर बड़े गर्व के साथ सर की ओर देख रही थी. सर ने उसे खींच कर वहां के सोफ़े पर लिटाया और उसका बदन जगह जगह चूमने लगे. "बहुत प्यारी है तू लीना, अब जरा आराम कर, मुझे अपने इस खूबसूरत बदन का स्वाद लेने दे"
वे दीदी को हर जगह चूम रहे थे, छाती, पेट, पीठ, कंधे, जांघें, पैर ... थोड़ी देर फ़िर से उन्होंने दीदी की बुर चूसी और दीदी जब गरमा कर सी सी करने लगी तो उसे पलट कर सोफ़े पर पेट के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ों में मुंह गाड़ दिया. दीदी शरमा कर "सर ... सर ... वहां क्यों चूस रहे हैं सर? .... ओह ... ओह ...उई ऽ.. छी सर ... वहां गंदा है ...मत डालिये ना जीभ .... ओह ... आह" करने लगी पर सर ने उसके चूतड़ों को नहीं छोड़ा.
मैडम अब कस के मुझे चोद रही थीं. अपने मम्मे खुद दबा रही थीं. हांफ़ते हुए बोलीं "अरे यह लीना ... नहीं .... जानती कि वहां .... पीछे .... तेरे सर का खास ..... इंटरेस्ट है ... समझ जायेगी जल्दी ... ओह ऽ ओह ऽ अनिल ...." कहकर वे झड़ गयीं और मेरे पेट पर उनका पानी बह आया. मैं उठने लगा तो बोलीं "अरे ... रुक... एक बार और ... अभी मन नहीं भरा मेरा .... सर अब लीना को लेकर आते ही होंगे .... तब तक .... और देख ... झड़ना नहीं"
मैडम ने मुझे दस मिनिट और चोदा. उधर सर दीदी के बदन को प्यार करते रहे, वे बार बार दीदी की बुर या गांड से मुंह लगा देते थे. बीच में उन्होंने मैडम की ओर देखा और आंखों आंखों में पूछा कि हो गया क्या तो मैडम ने सिर हिलाकर ना बोल दिया. सर फिर से दीदी की गांड चूसने में जुट गये.
दूसरी बार जब मैडम झड़ीं तो उन्होंने सर की ओर देखा और मुस्करा दीं. सर ने लीना को उठाया और बोले "चल मेरी रानी, अब एक साथ लेसन लेंगे तुम दोनों का" दीदी एकदम मस्त थी, सर की गर्दन में बाहें डालकर बार बार उनको चूम रही थी.
हमारे कमरे का दरवाजा खुला और सर दीदी को उठाये अंदर आये. "वा अनिल, मैडम अच्छा लेसन दे रही है तुझे, तेरी इस दीदी ने तो आज बहुत कुछ सीखा, है ना लीना?"
लीना ने शरमा कर उनके सीने में मुंह छुपा लिया. सर ने उसे नीचे पलंग पर रखा और मैडम से पूछा "क्यों सुप्रिया मैडम, आप को कोई राहत मिली या नहीं?"
"हां, बहुत. ये लड़का कमाल का है, बहुत कंट्रोल है इसे. मैंने दो बार चोदा, यह आराम से सह गया" मैडम मुझपर से उतरती हुई बोलीं.
"चलिये ये अच्छा हुआ मैडम, अब आपकी चूत रानी कभी प्यासी नहीं रहेगी" सर बोले. मैडम देख कर मुस्करा दीं. मुझे ठीक से समझ में नहीं आया कि मेरे लंड की इतनी तारीफ़ क्यों हो रही है, सर के मतवाले मूसल के आगे तो ये कुछ भी नहीं है, और सर के लंड पर तो मैडम का ही हक है, चाहे जैसे चुदवायें.
लीना के बाजू में लेट कर मैडमने लीना दीदी की चूत में उंगली डाली और उसका मुंह चूमने लगीं. "ये लड़की तो एकदम गरमा गयी है सर. लगता है आप ने खूब अगन दी है इसकी टांगों के बीच, इसको ठंडा नहीं किया ठीक से"
"अभी कहां मैडम, इसकी अगन तो अभी बुझाना है, बहुत काम करना पड़ेगा, इसकी जो भट्टी है वो ऐसे वैसे नहीं ठंडी होने वाली"
"हां तो बच्चो, चूसने और चाटने में तो तुम दोनों एकदम होशियार हो. अब असल काम की शुरुवात करते हैं" चौधरी सर बोले. फ़िर मेरे लंड को पकड़कर पूछा "तकलीफ़ हो रही है अनिल? या मजा आ रहा है? मैडम ने बहुत खींच कर रखा है तुझे. अब चोदोगे किसी को?"
"हां सर, बहुत मस्ती लग रही है, रहा नहीं जा रहा है"