ऐसे काई सवाल मेरे दीमग मे घूम रहे थे. कब 11 बज गये पता ही नही चला.
मुझे ये फ़ैसला करना था अब मैं बिल्लू से मिलने जा-ऊँ या ना जा-ऊँ.
बहुत सोचने के बाद मैने फ़ैसला किया कि मुझे वाहा चल कर देखना तो चाहिए कि आख़िर पूरी बात क्या है, वाकाई में ये सच है या फीर वो कमीना बिल्लू कोई मज़ाक कर रहा है.
मैं कोई 12:30 बजे घर से चल दी.
घर से निकल कर मैने एक ऑटो किया और उसकी एलेक्ट्रिक शॉप के सामने आ गयी.
वो कुछ काम कर रहा था. मुझे देख कर उसने मुझे रुकने का इशारा किया. मैं वाहा एक घने पेड़ की छाया मे खड़ी हो गयी.
कोई 5 मिनूट बाद वो मेरे पास आया और धीरे से बोला, चलो पास के गार्डेन में चलते हैं.
मैने उसकी और देखा और कहा, चलो.
मुझे भी वाहा खड़े रहना अछा नही लग रहा था.
हम अलग, अलग पैदल चल कर गार्डेन में पहुँच गये, और एक कोने में जा कर बैठ गये.
वो बोला, कैसी है तू.
मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है मैं कैसी हो सकती हू.
वो बोला, क्या मतलब
मैने पूछा, ये क्या मज़ाक लगा रखा है.
वो बोला, ये मज़ाक नही है. मुझे ध्यान से देख सब पता चल जाएगा.
मैने उसे देखा तो पाया कि, उसे बुरी तरह से पीटा गया है. उसका मूह पीटाई से सूजा हुवा था.
वो बोला, कल बापू ने बहुत मारा है मुझे.
मैने मन ही मन में कहा अछा हुवा, ऐसे बेड्मास की यही सज़ा है.
वो बोला, मेरा बापू बहुत गुस्से में है.
मैने पूछा आख़िर तुम्हे क्या ज़रूरत थी ऐसी डाइयरी लिखने की.
वो बोला, क्या करता, मैं तेरी यादो को हर दम अपने साथ रखना चाहता था. तूने मुझ से मिलना भी छोड़ दिया. खिड़की भी बंद कर दी. अब बस तेरी यादे ही मेरा सहारा थी.
मैने पूछा, ये क्या पागलपन है, तुम मेरी जींदगी से खेल रहे हो.
वो बोला, मैं तुम्हे चाहता हू, तुम मुझे अछी लगती हो, मैं कोई खेल नही खेल रहा.
मैने कहा, बंद करो ये बकवास और ये बताओ कि अब तुम्हारे बापू का क्या करे. वो मेरे घर क्यो आना चाहता है.
वो बोला, तुझे नही पता, मेरा बापू तेरे पति को आछे से जानता है. तेरे पति ने मेरे बापू की किड्नी का ऑपरेशन किया था. तब से वो तेरे पति को पूजता है.
मैं हैरानी से चुपचाप बैठे हुवे सब सुन रही थी.
वो बोला, मुझे डर है कि मेरा बापू तेरे पति से ज़रूर मिलेगा और सारी बात उसे बता देगा.
मैने डरते हुवे पूछा, अब क्या होगा, तुमने ये कैसी मुसीबत में फसा दिया.
वो बोला, इस से पहले कि वो तेरे पति के पास जाए हमे मेरे बापू से मिलना होगा.
मैने पूछे हमे मतलब, ये तुम्हारी ग़लती है तुम खुद भुगतो.
वो बोला, ठीक है मैं तो जो होगा देख लूँगा. पर तेरा क्या होगा ? मुझे क्या फरक पड़ता है कि मेरा बापू तेरे पति से मिलता है कि नही. मेरे साथ तो जो हो सकता था , हो गया. इस से ज़्यादा क्या हो जाएगा मेरे साथ.
मैने सोचा, कि बात तो बिल्लू ठीक ही कह रहा है.
मैने पूछा, हम तुम्हारे बापू से मिल कर क्या करेंगे. अगर वो फिर भी नही माने तो.
वो बोला, वो सब तो मैं नही जानता, पर हम एक कोशिस तो कर ही सकते है.
मैने कहा क्या, कोई और रास्ता नही है.
वो बोला, नही मुझे तो पता नही, तू कुछ बता.
मैने बहुत सोचने के बाद बिल्लू से पूछा, हमे कब मिलना चाहिए.
वो बोला, कल सुबह मिलते है, आज वो वैसे भी बहुत गुस्से में है.
बातें करते, करते 2:15 बज गये. मैने पूछा, कहा मिलना है ?
वो बोला, हमारे घर पर.
मैने कहा नही, वाहा मुझे डर लगेगा. तुम उन्हे यहा गार्डेन मे ले आओ.
वो बोला, अरे पागल है क्या तू ? यहा सब लोग तमासा देखेंगे. हो सकता है मेरा बापू गुस्से में तेज, तेज बोलने लगे. यहा मिलना ठीक नही है, मेरे घर पर ही मिलते है.
मैं असमंजस में थी कि क्या करू. मुझे उसके घर जाना ठीक नही लग रहा था.
बार बार मुझे ये भी लग रहा था, कि कही ये बिल्लू की मुझे अपने घर पर बुलाने की कोई चाल तो नही.
पर मुझे उसके चेहरे पर जखम देख कर यकीन था कि वो सच बोल रहा है. और ये भी तो सच था कि मैं ऐसे नाज़ुक मोके पर उस पर यकीन करने के अलावा कर भी क्या सकती थी.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
मैने बिल्लू को कहा ठीक है, कल सुबह चलेंगे.
वो बोला, मैं रिक्सा लेकर तेरे घर आ जाउन्गा. तुम तैयार रहना.
मैने कहा नही, तुम वाहा मत आना. मैं यही गार्डेन में आ जाउन्गि. यहा से हम साथ चलेंगे.
वो बोला, ठीक है.
मैने पूछा, पर हम क्या बात करेंगे तुम्हारे बापू से.
वो बोला, उनसे माफी माँग लेंगे और क्या, और बोलेंगे की आगे से ऐसा नही करेंगे.
मैने पूछा अगर वो नही माने तो ?
वो बोला, हम एक कॉसिश तो कर सकते है.
मैने सोचा, इसके अलावा हमारे पास चारा भी क्या है.
मैने बिल्लू से कहा कि मैं चलती हू, कल यही मिलेंगे.
वो बोला मेरा रिक्सा यही पास में ही खड़ा है मैं तुझे छोड़ दूँगा.
मैने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं चली जाउन्गि
वो बोला, तुझे क्या हो गया, उस दिन तो बहुत मज़े कर रही थी मेरे साथ,
मैने कहा, तुमने मुझे बड़ी चालाकी से फसाया था. मैं कुछ भी नही करना चाहती थी.
वो बोला, पर मैने डालते हुवे पूछा था, कि डालु या नही. मैने तेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नही किया था.
मैं कुछ नही बोल पाई.
वो बोला, जब मैने पूछा था कि निकाल लू या मार लू तो तूने ही कहा था कि मार लो. इस मे मेरी चालाकी कहा से आ गयी.
मैने कहा चुप रहो, तुम खूब आछे से जानते हो कि किसकी ज़्यादा ग़लती है. मेरी ग़लती इतनी थी कि मैने तुम्हे वक्त रहते थप्पड़ नही मारा. वरना आज मैं इस हालत में नही होती.
वो बोला, थप्पड़ मार तो दिया तूने.
मैने पूछा तो क्या तुम उसका बदला ले रहे हो
वो बोला, मैं क्या बदला लूँगा, मैं तो खुद इस सब से परेसान हू.
मैने कहा ठीक है, अब बात करने का कोई फ़ायदा नही, मैं चलती हू.
उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोला, आज तू बहुत सुंदर लग रही है.
मैने उसका हाथ झटक दिया और बोली कि, अब इस सब का कोई फ़ायदा नही.
और मैं वाहा से चल दी.
उसने पीछे से आवाज़ लगाई, कल 10:30 पर यहा आ जाना
मैने गार्डेन से बाहर आ कर ऑटो किया और सीधी घर आ गयी.
रास्ते भर मुझे ये विचार सताता रहा कि क्या, बिल्लू के बापू से मिलना ज़रूरी है.
पर जैसा कि बिल्लू कह रहा था ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त संजय से मिलने घर आ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि वो संजय से मिलने क्लिनिक चला जाए.
मेरे पास कल बिल्लू के घर जाने के अलावा कोई चारा नही था.
अगले दिन मैं 10 बजे बिल्लू के घर जाने के लिए, घर से चल दी. मैं ठीक 10:30 बजे गार्डेन में पहुँच गयी.
बिल्लू वाहा पहले से मेरा इंतेज़ार कर रहा था. मुझे देख कर वो मेरे पास आया और बोला, चलो बाहर मेरा रिक्सा खड़ा है, उशी में बैठ कर चलते हैं
मैने पूछा कि क्या तुम्हारे बापू को पता है कि तुम मुझे लेकर घर आ रहे हो.
वो बोला, नही, अगर पता होता तो वो कभी ना मिलता.
मैं घबरा रही थी कि आख़िर अब क्या होगा.
हम कोई 25 मिनूट चलने के बाद एक स्लम एरिया मे आ गये. चारो और गंदगी और कूड़ा करकट फैला था.
थोड़ा चलने के बाद बिल्लू ने रिक्सा एक पुराने से घर के बाहर रोक दिया.
मैने पूछा, यही है तुम्हारा घर.
वो धीरे से बोला हां.
मैं रिक्से से उतर गयी और चारो और देखने लगी.
सभी लोग मुझे वाहा अजीब सी नज़रो से देख रहे थे.
बिल्लू बोला, चलो अंदर चलते है, लोग हमे देख रहे है.
मैं घबराते हुवे बिल्लू के पीछे, पीछे घर के अंदर आ गयी.
घर मे कोई नही था.
मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये बिल्लू मुझे यहा बहला फुसला कर लाया है,
वो बोला, मैं रिक्सा लेकर तेरे घर आ जाउन्गा. तुम तैयार रहना.
मैने कहा नही, तुम वाहा मत आना. मैं यही गार्डेन में आ जाउन्गि. यहा से हम साथ चलेंगे.
वो बोला, ठीक है.
मैने पूछा, पर हम क्या बात करेंगे तुम्हारे बापू से.
वो बोला, उनसे माफी माँग लेंगे और क्या, और बोलेंगे की आगे से ऐसा नही करेंगे.
मैने पूछा अगर वो नही माने तो ?
वो बोला, हम एक कॉसिश तो कर सकते है.
मैने सोचा, इसके अलावा हमारे पास चारा भी क्या है.
मैने बिल्लू से कहा कि मैं चलती हू, कल यही मिलेंगे.
वो बोला मेरा रिक्सा यही पास में ही खड़ा है मैं तुझे छोड़ दूँगा.
मैने कहा, उसकी कोई ज़रूरत नही है. मैं चली जाउन्गि
वो बोला, तुझे क्या हो गया, उस दिन तो बहुत मज़े कर रही थी मेरे साथ,
मैने कहा, तुमने मुझे बड़ी चालाकी से फसाया था. मैं कुछ भी नही करना चाहती थी.
वो बोला, पर मैने डालते हुवे पूछा था, कि डालु या नही. मैने तेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नही किया था.
मैं कुछ नही बोल पाई.
वो बोला, जब मैने पूछा था कि निकाल लू या मार लू तो तूने ही कहा था कि मार लो. इस मे मेरी चालाकी कहा से आ गयी.
मैने कहा चुप रहो, तुम खूब आछे से जानते हो कि किसकी ज़्यादा ग़लती है. मेरी ग़लती इतनी थी कि मैने तुम्हे वक्त रहते थप्पड़ नही मारा. वरना आज मैं इस हालत में नही होती.
वो बोला, थप्पड़ मार तो दिया तूने.
मैने पूछा तो क्या तुम उसका बदला ले रहे हो
वो बोला, मैं क्या बदला लूँगा, मैं तो खुद इस सब से परेसान हू.
मैने कहा ठीक है, अब बात करने का कोई फ़ायदा नही, मैं चलती हू.
उसने मेरा हाथ थाम लिया और बोला, आज तू बहुत सुंदर लग रही है.
मैने उसका हाथ झटक दिया और बोली कि, अब इस सब का कोई फ़ायदा नही.
और मैं वाहा से चल दी.
उसने पीछे से आवाज़ लगाई, कल 10:30 पर यहा आ जाना
मैने गार्डेन से बाहर आ कर ऑटो किया और सीधी घर आ गयी.
रास्ते भर मुझे ये विचार सताता रहा कि क्या, बिल्लू के बापू से मिलना ज़रूरी है.
पर जैसा कि बिल्लू कह रहा था ऐसा लग रहा था कि वो किसी भी वक्त संजय से मिलने घर आ सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि वो संजय से मिलने क्लिनिक चला जाए.
मेरे पास कल बिल्लू के घर जाने के अलावा कोई चारा नही था.
अगले दिन मैं 10 बजे बिल्लू के घर जाने के लिए, घर से चल दी. मैं ठीक 10:30 बजे गार्डेन में पहुँच गयी.
बिल्लू वाहा पहले से मेरा इंतेज़ार कर रहा था. मुझे देख कर वो मेरे पास आया और बोला, चलो बाहर मेरा रिक्सा खड़ा है, उशी में बैठ कर चलते हैं
मैने पूछा कि क्या तुम्हारे बापू को पता है कि तुम मुझे लेकर घर आ रहे हो.
वो बोला, नही, अगर पता होता तो वो कभी ना मिलता.
मैं घबरा रही थी कि आख़िर अब क्या होगा.
हम कोई 25 मिनूट चलने के बाद एक स्लम एरिया मे आ गये. चारो और गंदगी और कूड़ा करकट फैला था.
थोड़ा चलने के बाद बिल्लू ने रिक्सा एक पुराने से घर के बाहर रोक दिया.
मैने पूछा, यही है तुम्हारा घर.
वो धीरे से बोला हां.
मैं रिक्से से उतर गयी और चारो और देखने लगी.
सभी लोग मुझे वाहा अजीब सी नज़रो से देख रहे थे.
बिल्लू बोला, चलो अंदर चलते है, लोग हमे देख रहे है.
मैं घबराते हुवे बिल्लू के पीछे, पीछे घर के अंदर आ गयी.
घर मे कोई नही था.
मुझे पूरा यकीन हो गया कि ये बिल्लू मुझे यहा बहला फुसला कर लाया है,
Re: छोटी सी भूल
मैने पूछा कहा है तुम्हारे बापू ?
वो बोला पता नही शायद कही बाहर गये है, मैं देखता हू. उसने मुझे एक चेर दी, कहा बैठ जाओ, मैं अभी आया.
वो घर से बाहर चला गया.
मैं अजीब सी बेचानी लिए अपने चारो और देखती रही.
अचानक बिल्लू अंदर आया और बोला, बापू आ रहा है,
मैं बेचन हो उठी कि अब क्या होगा. और मेरे पाँव थर, थर कांम्पने लगे.
उसका बापू आकर, सीधा मेरे सामने खड़ा हो गया.
मैने नज़रे उठा कर देखा तो मैं और भी ज़्यादा डर गयी. उशके बापू का चेहरा बहुत भयानक था. उसने लंबी, दाढ़ी रखी हुई थी, और सर पर एक पगड़ी बाँध रखी थी. मैने उसे देख कर नज़रे झुका ली और चुपचाप बैठ गयी.
वो बोला, तुझे क्या इस पूरे सहर मे मेरा बिल्लू ही मिला था.
मैं सर झुकाए बैठी रही
वो बोला, ये सारा काम, धाम छोड़ कर तेरे चक्कर मे पड़ा है. कब से ये कोई भी पैसा घर नही लाया. ये रोज तेरे घर के चक्कर लगा रहा है.
मैने कहा, मुझे ऐसा कुछ नही पता, मैने कभी बिल्लू को ऐसा करने को नही कहा. मेरा बिल्लू से कोई संबंध नही है. आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है.
वो बोला, अछा तो ये बता कि क्या ये झूठ है कि तूने बिल्लू के साथ अपने घर के पीछे कुछ ग़लत काम किया था.
मैं चुप रही.
वो फिर बोला, बोल क्या ये झूठ है ?
मैने कहा, मेरी कोई ग़लती नही ?
वो बोला, इसकी डाइयरी में सब लीखा है. मैं सब कुछ तेरे मूह से सुनना चाहता हू.
मैने कहा, मुहज़े माफ़ कर दीजिए मैने कुछ नही किया.
वो बोला, अगर तूने कुछ नही किया तो यहा क्यो बैठी हो.
मैं कोई जवाब नही दे पाई.
वो बोला, पता है मैं तेरे पति की बहुत इज़्ज़त करता हू. तेरा पति देवता है और तू ये सब कर रही है.
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.
वो बोला, अगर तू डॉक्टर संजय की बीवी ना होती तो तेरा ऐसा हाल करता कि तू किसी और लड़के पर डोरे डालना भूल जाती, तेरी यही लेता कर बुरी तरह से मारता
मैं शर्मिंदगी की हालत लिए चुपचाप बैठी रही. मुझे यकीन ही नही हो रहा था की मैं ये क्या सुन रही हू.
वो बोला, पर क्या करू तू डॉक्टर साहेब की बीवी है. मैं ऐसा कुछ नही कर सकता.
मैं क्या बोल सकती थी. वो खुद बकवास कर रहा था.
वो बोला, अगर तुम नही बोली तो मैं अभी के अभी डॉक्टर संजय के पास चला जाउन्गा.
मैने कहा, नही, नही प्लीज़, आगे से ऐसा नही होगा.
उसने पूछा क्या नही होगा.
मैने कहा, मेरा अब बिल्लू से कोई संबंध नही है.
इसका मतलब संबंध था.
बिल्लू बीच मे कुछ कहने लगा तो, उसके बापू ने एक जोरदार थप्पड़ उसके मूह पर जड़ दिया.
वो बोला, मैं इस से पूछ रहा हू तू चुप कर.
वो बोला, हा तो इसका मतलब संबंध था.
मैने कहा, ऐसा कुछ नही है. मुझ से बस एक बार ग़लती हो गयी. आगे से ऐसा नही होगा.
वो बोला पता नही शायद कही बाहर गये है, मैं देखता हू. उसने मुझे एक चेर दी, कहा बैठ जाओ, मैं अभी आया.
वो घर से बाहर चला गया.
मैं अजीब सी बेचानी लिए अपने चारो और देखती रही.
अचानक बिल्लू अंदर आया और बोला, बापू आ रहा है,
मैं बेचन हो उठी कि अब क्या होगा. और मेरे पाँव थर, थर कांम्पने लगे.
उसका बापू आकर, सीधा मेरे सामने खड़ा हो गया.
मैने नज़रे उठा कर देखा तो मैं और भी ज़्यादा डर गयी. उशके बापू का चेहरा बहुत भयानक था. उसने लंबी, दाढ़ी रखी हुई थी, और सर पर एक पगड़ी बाँध रखी थी. मैने उसे देख कर नज़रे झुका ली और चुपचाप बैठ गयी.
वो बोला, तुझे क्या इस पूरे सहर मे मेरा बिल्लू ही मिला था.
मैं सर झुकाए बैठी रही
वो बोला, ये सारा काम, धाम छोड़ कर तेरे चक्कर मे पड़ा है. कब से ये कोई भी पैसा घर नही लाया. ये रोज तेरे घर के चक्कर लगा रहा है.
मैने कहा, मुझे ऐसा कुछ नही पता, मैने कभी बिल्लू को ऐसा करने को नही कहा. मेरा बिल्लू से कोई संबंध नही है. आपको कोई ग़लत फ़हमी हुई है.
वो बोला, अछा तो ये बता कि क्या ये झूठ है कि तूने बिल्लू के साथ अपने घर के पीछे कुछ ग़लत काम किया था.
मैं चुप रही.
वो फिर बोला, बोल क्या ये झूठ है ?
मैने कहा, मेरी कोई ग़लती नही ?
वो बोला, इसकी डाइयरी में सब लीखा है. मैं सब कुछ तेरे मूह से सुनना चाहता हू.
मैने कहा, मुहज़े माफ़ कर दीजिए मैने कुछ नही किया.
वो बोला, अगर तूने कुछ नही किया तो यहा क्यो बैठी हो.
मैं कोई जवाब नही दे पाई.
वो बोला, पता है मैं तेरे पति की बहुत इज़्ज़त करता हू. तेरा पति देवता है और तू ये सब कर रही है.
मैं कुछ भी कहने की हालत में नही थी.
वो बोला, अगर तू डॉक्टर संजय की बीवी ना होती तो तेरा ऐसा हाल करता कि तू किसी और लड़के पर डोरे डालना भूल जाती, तेरी यही लेता कर बुरी तरह से मारता
मैं शर्मिंदगी की हालत लिए चुपचाप बैठी रही. मुझे यकीन ही नही हो रहा था की मैं ये क्या सुन रही हू.
वो बोला, पर क्या करू तू डॉक्टर साहेब की बीवी है. मैं ऐसा कुछ नही कर सकता.
मैं क्या बोल सकती थी. वो खुद बकवास कर रहा था.
वो बोला, अगर तुम नही बोली तो मैं अभी के अभी डॉक्टर संजय के पास चला जाउन्गा.
मैने कहा, नही, नही प्लीज़, आगे से ऐसा नही होगा.
उसने पूछा क्या नही होगा.
मैने कहा, मेरा अब बिल्लू से कोई संबंध नही है.
इसका मतलब संबंध था.
बिल्लू बीच मे कुछ कहने लगा तो, उसके बापू ने एक जोरदार थप्पड़ उसके मूह पर जड़ दिया.
वो बोला, मैं इस से पूछ रहा हू तू चुप कर.
वो बोला, हा तो इसका मतलब संबंध था.
मैने कहा, ऐसा कुछ नही है. मुझ से बस एक बार ग़लती हो गयी. आगे से ऐसा नही होगा.