में समझ गया के उन से बर्दाश्त नही हो रहा और वो खलास होने के क़रीब हैं. अम्मी को अपनी चूत में उंगली करते देख कर में भी सबर ना कर सका और उनके मुँह में ही मेरे लंड से झटकों के साथ मनी निकालने लगी. अपने मुँह के अंदर मेरी मनी को महसूस कर के अम्मी ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला और मेरे टट्टों को मुट्ठी में नर्मी से पकड़ कर दबाने लगीं. मेरी कुछ मनी उनके मुँह में चली गई जबके कुछ उनके होठों और गालों पर गिरी. वो खुद भी तेज़ तेज़ साँसें लेतीं हुई खलास होने लगीं. उनका मुँह खुल गया और आँखें बंद हो गईं. मैंने जल्दी से हवा में झूलता हुआ उनका एक मोटा और गोल मम्मा मुट्ठी में जकड लिया और अपना लंड फिर उनके मुँह में देने की कोशिश की मगर उन्होने ज़बान से ही मेरे टोपे पर लगी हुई मनी चाट ली.
इस के बाद हम दोनो उसी तरह नंगे ही बेड पर लेट गए. अम्मी के ओसान बहाल हुए तो मैंने कहा के मुझे तो मज़ा नही आया क्योंके में उनकी चूत नही ले सका और यों ही खलास हो गया. उन्होने हंस कर जवाब दिया के अभी तो रात का एक बजा है वो घंटे डेढ़ घंटे तक दोबारा मेरे पास आएँगी तब में दिल की मुराद पूरी कर लूं. मैंने कहा ठीक है मगर वो वादा करें के वापस आएँगी. उन्होने कहा के किया वो 12 बजे नही आई थीं ? में फिकर ना करूँ अब भी वो ज़रूर आएँगी. वो उठीं और बेड पर पड़े हुए अपने कपड़े समैट कर अपने बेडरूम में चली गईं. मै फिर इंतिज़ार करने लगा. मुझे यक़ीन था के अब मुझे नींद नही आये गी. ऐसा ही हुआ.
अम्मी ने भी वाक़ई अपना वायेदा पूरा किया और कोई 2 बजे के बाद किसी वक़्त मेरे कमरे में आ गईं. वो शायद नहा कर आई थीं क्योंके अब उन्होने पहले से मुख्तलीफ़ कपड़े पहने हुए थे. उस वक़्त उन्होने अपना ब्रा भी नही पहना हुआ था और चलते हुए उनके वज़नी मम्मे बड़ी बे-बाकी से हिल रहे थे. वो मेरे बेड पर आ गईं और हम दोनो अपने कपड़े उतार कर पूरी तरह नंगे हो गए.
में अम्मी के नंगे होते ही उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बदन को चूमने चाटने लगा. मेरा लंड फॉरन ही खड़ा हो गया. मै उस वक़्त दुनिया जहाँ से बे-खबर था और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी अम्मी के सेहतमंद और गदराये हुए बदन से पूरी तरह लुत्फ़ अंदोज़ होना चाहता था. शायद क़यामत भी आ जाती तो मुझे पता ना चलता. मै उनके ऊपर लेट कर उनका एक मम्मा पकडे हुए उनकी गर्दन के बोसे ले रहा था के अचानक अम्मी ने अपनी टांगें पूरी तरह खोल दीं और मेरा ताना हुआ लंड उनकी गोरी और मोटी चूत के बालों में धँस गया. जब मेरे लंड का टोपा अम्मी की फुद्दी के ऊपरी हिसे से टकराया तो मैंने महसूस किया के उन्होने आहिस्ता से अपने बदन को ऊपर की तरफ़ उठाया और अपनी फुद्दी से मेरे लंड पर दबाव डाला.
में बे-खुद सा हो गया और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी फुद्दी को बड़ी तेज़ी और बे-दरदी से मसलने लगा. अम्मी की फुद्दी पूरी तरह गीली हो चुकी थी. वो अब बहुत ज़ियादा गरम हो रही थीं और उन्होने बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकियों को मुँह में दबाया हुआ था. मै थोड़ा सा पीछे हटा और अपने जिसम को उन से अलग कर के अपना लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया. उन्होने फॉरन मेरा लंड अपनी मुट्ठी में ले लिया और उससे दबाने लगीं. मैंने सर नीचे कर के उनके दोनो मम्मों को हाथों में कस कर पकड़ लिया और उन्हे चूसना शुरू कर दिया. अम्मी बहुत गरम हो चुकी थीं और उनके तपते हुए बदन की गर्मी मुझे अपने जिसम पर महसूस हो रही थी. अब अपनी सग़ी माँ की चूत में लंड डालने का वक़्त आन पुहँचा था.
उस वक़्त भी अम्मी कमर के बल बेड पर लेतीं हुई थीं . मैंने उनकी तंदूरस्त-ओ-तवाना रानें खोल कर उनकी मोटी ताज़ी चूत के ऊपर अपना लंड रख दिया. मैंने लंड को अम्मी की चूत के अंदर डालने की कोशिश की मगर मुझे उनकी चूत का सुराख ना मिल सका. अभी में अम्मी की चूत में अपना टोपा घुसाने की कोशिश कर ही रहा था के उन्होने अपना हाथ नीचे किया और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर धकेल दिया. उनकी चूत अंदर से नरम और गीली थी. अगरचे मेरा लंड बड़ी आसानी से अम्मी की चूत के अंदर घुसा था मगर इस में कोई शक नही था के उनकी चूत काफ़ी टाइट थी.
नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
Re: नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
.......................................
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
Re: नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
जैसे ही मेरा लंड अम्मी के अंदर गया उनकी चूत मुझे आहिस्ता आहिस्ता खुलती हुई महसूस हुई और मेरा लंड टट्टों तक उस के अंदर गायब हो गया. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा सा आगे पीछे हिलाया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. मेरे लंड के इर्द गिर्द अम्मी की चूत का दबाव ही कुछ इस क़िसम का था के मैंने बे-साख्ता घस्से मरने के लिये अपने जिस्म को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने एक हाथ लंबा कर के मेरे चूतड़ पर रखा और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी गरम चूत में लेने लगीं. उनकी चूत के बाल मेरे लंड को लग रहे थे. कुछ घस्सों के बाद ही मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा.
अम्मी ने फॉरन ही मेरे घस्सों का जवाब अपने घस्सों की सूरत में देना शुरू कर दिया और अपने मोटे मोटे चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगीं. मुझे खाला अम्बरीन याद आईं जिन्होंने नज़ीर से चुदवाते हुए इसी तरह अपनी मोटी गांड़ हिला हिला कर उस के घस्सों का जवाब दिया था. अम्मी ने पहले तो मेरे घस्सों के जवाब में घस्से मारते हुए मुँह से कोई आवाज़ ना निकाली लेकिन जब मेरे लंड के झटके उनकी चूत में ज़रा तेज़ हो गए तो उन्होने दबी आवाज़ में ऊऊनहूँ……. ऊऊऊहूओन….. ऊऊऊं करना शुरू कर दिया. अपनी सग़ी माँ को चोदते हुए में पहले ही मज़े के एक गहरे समंदर में ग़र्क था लेकिन उनके मुँह से निकालने वाली ये आवाजें मुझे और भी पागल करने लगीं.
सच पूछिये तो इन आवाज़ों ने मेरे दिल को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे अह्तेमाद में इज़ाफ़ा हुआ क्योंके उनकी इस हूँ… हा..आँ… का मतलब यही था के अम्मी को मुझ से चुदने में मज़ा आ रहा था. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं और उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी गांड़ को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. मै समझ ना पाया के वो ये क्यों कर रही थीं . फिर अचानक ही अम्मी ने मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनके हाथों में बाला की ताक़त थी.
मेरे नीचे उनके भारी चूतड़ों की हरकत भी तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. अब में समझ गया के अम्मी खलास होने वाली थीं और उनकी चूत का टाइट होना इसी बात की निशानी थी. मुझे ये देख कर बड़ी खुशी हुई और मैंने उनकी चूत में ज़ियादा रफ़्तार से घस्से मारने की कोशिश की. मै इस क़ाबिल तो हो ही गया था के अपनी अम्मी को चोद कर खलास कर रहा था. अम्मी की चूत से अब बहुत सारा पानी निकल रहा था और उनके बदन को झटके लग रही थे. जज़्बात को पागल कर देनी वाली इस हालत में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भारी हुई चूत में से निकाल लिया और उनके साथ लेट गया.
अम्मी चंद लम्हे ऐसे ही लेतीं रहीं. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के किया हुआ. मैंने कहा के मुझे खलास होने का डर था इस लिये घस्से मारना बंद कर दिये क्योंके में अभी और मज़े लेना चाहता था. वो एक बार फिर हंस पड़ीं और बोलीं के शाकिर तुम घंटा पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा छूटने के बाद इतनी जल्दी दोबारा नही छूट सकता. इस लिये इस दफ़ा तुम खलास होने में ज़ियादा वक़्त लो गे. परेशां मत हो रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ समझ जाओ गे बस तुम्हे थोड़े तजरबे की ज़रूरत है. चलो आओ और अपने आप को डिसचार्ज करो ताके इस काम का मज़ा तो ले सको.
मैंने उन से पूछा के किया उन्हे मज़ा आया तो उन्होने कहा के हाँ अगर उन्हे मज़ा ना आता तो तो वो दो दफ़ा खलास कैसे होतीं. मैंने कहा के अम्मी में अब पीछे से आप को चोदना चाहता हूँ. ये सुन कर वो बोलीं के तुम मुझे चोद रहे हो और जिस तरह भी चाहो करो मुझ से इजाज़त मत माँगो बल्के कभी भी किसी औरत से इजाज़त मत माँगना. फिर वो उठीं और अपनी दोनो कुहनियों के सहारे बेड पर उल्टी हो कर अपने मोटे और भारी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया. इस तरह अम्मी ने अपनी मोटी ताज़ी गांड़ का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उन्होने अपनी टांगें भी फैला लीं.
अम्मी ने फॉरन ही मेरे घस्सों का जवाब अपने घस्सों की सूरत में देना शुरू कर दिया और अपने मोटे मोटे चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगीं. मुझे खाला अम्बरीन याद आईं जिन्होंने नज़ीर से चुदवाते हुए इसी तरह अपनी मोटी गांड़ हिला हिला कर उस के घस्सों का जवाब दिया था. अम्मी ने पहले तो मेरे घस्सों के जवाब में घस्से मारते हुए मुँह से कोई आवाज़ ना निकाली लेकिन जब मेरे लंड के झटके उनकी चूत में ज़रा तेज़ हो गए तो उन्होने दबी आवाज़ में ऊऊनहूँ……. ऊऊऊहूओन….. ऊऊऊं करना शुरू कर दिया. अपनी सग़ी माँ को चोदते हुए में पहले ही मज़े के एक गहरे समंदर में ग़र्क था लेकिन उनके मुँह से निकालने वाली ये आवाजें मुझे और भी पागल करने लगीं.
सच पूछिये तो इन आवाज़ों ने मेरे दिल को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे अह्तेमाद में इज़ाफ़ा हुआ क्योंके उनकी इस हूँ… हा..आँ… का मतलब यही था के अम्मी को मुझ से चुदने में मज़ा आ रहा था. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं और उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी गांड़ को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. मै समझ ना पाया के वो ये क्यों कर रही थीं . फिर अचानक ही अम्मी ने मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनके हाथों में बाला की ताक़त थी.
मेरे नीचे उनके भारी चूतड़ों की हरकत भी तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. अब में समझ गया के अम्मी खलास होने वाली थीं और उनकी चूत का टाइट होना इसी बात की निशानी थी. मुझे ये देख कर बड़ी खुशी हुई और मैंने उनकी चूत में ज़ियादा रफ़्तार से घस्से मारने की कोशिश की. मै इस क़ाबिल तो हो ही गया था के अपनी अम्मी को चोद कर खलास कर रहा था. अम्मी की चूत से अब बहुत सारा पानी निकल रहा था और उनके बदन को झटके लग रही थे. जज़्बात को पागल कर देनी वाली इस हालत में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भारी हुई चूत में से निकाल लिया और उनके साथ लेट गया.
अम्मी चंद लम्हे ऐसे ही लेतीं रहीं. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के किया हुआ. मैंने कहा के मुझे खलास होने का डर था इस लिये घस्से मारना बंद कर दिये क्योंके में अभी और मज़े लेना चाहता था. वो एक बार फिर हंस पड़ीं और बोलीं के शाकिर तुम घंटा पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा छूटने के बाद इतनी जल्दी दोबारा नही छूट सकता. इस लिये इस दफ़ा तुम खलास होने में ज़ियादा वक़्त लो गे. परेशां मत हो रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ समझ जाओ गे बस तुम्हे थोड़े तजरबे की ज़रूरत है. चलो आओ और अपने आप को डिसचार्ज करो ताके इस काम का मज़ा तो ले सको.
मैंने उन से पूछा के किया उन्हे मज़ा आया तो उन्होने कहा के हाँ अगर उन्हे मज़ा ना आता तो तो वो दो दफ़ा खलास कैसे होतीं. मैंने कहा के अम्मी में अब पीछे से आप को चोदना चाहता हूँ. ये सुन कर वो बोलीं के तुम मुझे चोद रहे हो और जिस तरह भी चाहो करो मुझ से इजाज़त मत माँगो बल्के कभी भी किसी औरत से इजाज़त मत माँगना. फिर वो उठीं और अपनी दोनो कुहनियों के सहारे बेड पर उल्टी हो कर अपने मोटे और भारी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया. इस तरह अम्मी ने अपनी मोटी ताज़ी गांड़ का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उन्होने अपनी टांगें भी फैला लीं.
.......................................
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
Re: नंबर वन खाला ( Hindi sex story long)
मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गांड़ के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा. अम्मी की चूत अब उनके भारी और उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उससे अपने टोपे के ज़रये महसूस किया. अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से ही उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. अम्मी की चूत अभी तक गीली थी इस लिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होते हुए कोई मुश्किल पेश ना आई. मैंने अम्मी के मोटे चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.
मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर के रगड़ रही थीं . मेरा लंड अम्मी के मोटे और गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगाने लगा. मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतरों में एक इरतीयाश की सी कैफियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक अजीब क़िसम का लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने गैर-इरादि तौर पर अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी.
अम्मी शायद जान गईं के में खलास होने वाला हूँ और उन्होने भी अपने मोटे मोटे चूतड़ों को बड़े नपे तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इस के साथ ही मेरे लंड से झटकों में मनी निकलनी शुरू हुई और सीधी अम्मी की चूत के अंदर जाने लगी. अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का एक तूफान था जो मेरी रग रग से उठ रहा था. बिल्कुल उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कस लिया और अम्मी भी मेरे साथ फिर खलास हो गईं. हम फ़ारिग़ हुए तो अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और सोने चली गईं. मै भी खुशी और इमबिसात के आलम में बिस्तर पर लेटा और फॉरन ही मुझे नींद ने आ लिया.
इस वाकये के कोई तीन दिन बाद में घर के सहन में मेज़ कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था के अंदर कमरे में फोन की घंटी बाजी. अम्मी ने आवाज़ दी के शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है. मै उठ कर अंदर गया और फोन का रिसीवर उठा कर हेलो कहा. दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नंबर दुहराया और पूछा के किया ये शाकिर का घर है. मैंने कहा जी हाँ में शाकिर ही बोल रहा हूँ. वो आदमी अचानक हंस पडा और बोला मेरे गैरतमंद जवान मुझे नही पहचाना में नज़ीर बोल रहा हूँ पिंडी वाला नज़ीर. ये सुन कर मुझे तो जैसे करेंट लगा और मेरे जिसम से ठंडा पसीना फूट पड़ा.
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इस से कहीं ज़ियादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मगलूब कर रखा था. मैंने उससे गंदी गालियाँ देते हुए कहा के अगर उस ने दोबारा यहाँ फोन किया तो में पोलीस से राबता करूँ गा. ये कह कर मैंने फोन का रिसीवर क्रेडल पर दे मारा
में फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परैशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं . उन्होने पूछा के तुम किस से लड़ रहे थे? में कुछ कहना ही चाहता था के फोन फिर बज उठा. मैंने लपक कर रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ नज़ीर ही था. वो बोला के फोन बंद करने से पहले ये सुन लो के मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला की नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो में वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दूँ गा.
मैंने अम्मी की तरफ देखा के उनकी मोजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ. फिर मैंने सोचा के अम्मी को चोद लेने के बाद मेरे और उनका रिश्ता वो नही रहा जो पहले था और अगर में उन्हे सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज ना होता. मैंने नज़ीर से कहा के तुम बकवास करते हो बंद कमरे में किस ने फिल्म बना ली. नज़ीर बोला के होटेल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इस लिये होटेल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छ्होटा कॅमरा ख़ुफ़िया तौर पर लगा देते थे ताके लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकैं. तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी. यक़ीन नही तो जहाँ कहो आ कर तुम्हे दिखा दूँ. मैंने सवाल किया के अगर फिल्म बन रही थी तो तुम ने मोबाइल से हमारी तस्वीरें क्यों लीं. उस ने जवाब दिया के फिल्म तो मुझे पता नही कितनी देर बाद मिलती और में तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था. मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा. मैंने कहा अभी बात नही हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे.
मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर के रगड़ रही थीं . मेरा लंड अम्मी के मोटे और गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगाने लगा. मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतरों में एक इरतीयाश की सी कैफियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक अजीब क़िसम का लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने गैर-इरादि तौर पर अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी.
अम्मी शायद जान गईं के में खलास होने वाला हूँ और उन्होने भी अपने मोटे मोटे चूतड़ों को बड़े नपे तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इस के साथ ही मेरे लंड से झटकों में मनी निकलनी शुरू हुई और सीधी अम्मी की चूत के अंदर जाने लगी. अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का एक तूफान था जो मेरी रग रग से उठ रहा था. बिल्कुल उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कस लिया और अम्मी भी मेरे साथ फिर खलास हो गईं. हम फ़ारिग़ हुए तो अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और सोने चली गईं. मै भी खुशी और इमबिसात के आलम में बिस्तर पर लेटा और फॉरन ही मुझे नींद ने आ लिया.
इस वाकये के कोई तीन दिन बाद में घर के सहन में मेज़ कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था के अंदर कमरे में फोन की घंटी बाजी. अम्मी ने आवाज़ दी के शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है. मै उठ कर अंदर गया और फोन का रिसीवर उठा कर हेलो कहा. दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नंबर दुहराया और पूछा के किया ये शाकिर का घर है. मैंने कहा जी हाँ में शाकिर ही बोल रहा हूँ. वो आदमी अचानक हंस पडा और बोला मेरे गैरतमंद जवान मुझे नही पहचाना में नज़ीर बोल रहा हूँ पिंडी वाला नज़ीर. ये सुन कर मुझे तो जैसे करेंट लगा और मेरे जिसम से ठंडा पसीना फूट पड़ा.
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इस से कहीं ज़ियादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मगलूब कर रखा था. मैंने उससे गंदी गालियाँ देते हुए कहा के अगर उस ने दोबारा यहाँ फोन किया तो में पोलीस से राबता करूँ गा. ये कह कर मैंने फोन का रिसीवर क्रेडल पर दे मारा
में फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परैशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं . उन्होने पूछा के तुम किस से लड़ रहे थे? में कुछ कहना ही चाहता था के फोन फिर बज उठा. मैंने लपक कर रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ नज़ीर ही था. वो बोला के फोन बंद करने से पहले ये सुन लो के मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला की नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो में वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दूँ गा.
मैंने अम्मी की तरफ देखा के उनकी मोजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ. फिर मैंने सोचा के अम्मी को चोद लेने के बाद मेरे और उनका रिश्ता वो नही रहा जो पहले था और अगर में उन्हे सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज ना होता. मैंने नज़ीर से कहा के तुम बकवास करते हो बंद कमरे में किस ने फिल्म बना ली. नज़ीर बोला के होटेल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इस लिये होटेल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छ्होटा कॅमरा ख़ुफ़िया तौर पर लगा देते थे ताके लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकैं. तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी. यक़ीन नही तो जहाँ कहो आ कर तुम्हे दिखा दूँ. मैंने सवाल किया के अगर फिल्म बन रही थी तो तुम ने मोबाइल से हमारी तस्वीरें क्यों लीं. उस ने जवाब दिया के फिल्म तो मुझे पता नही कितनी देर बाद मिलती और में तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था. मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा. मैंने कहा अभी बात नही हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे.
.......................................
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.