nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum garam

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:37

क्यूंकि मन झोंपड़े में चल रहे कामुक खेल से बहुत ही रोमंचित हो गया था !

शादी के इतने सालों बाद उसकी पत्नी का पहली बार उसके सामने किसी दुसरे से चुदते

हुए देखना एक अलग ही आनद था !

और इसी आनंद को पाने के लिए वो अपनी बीवी को दूसरों के सामने चारा बना कर फेंकता था !

हालाँकि इस चारे को आज तक इसने किसी को खाने नहीं दिया था पर शास्त्री की हर बात उसे निराली लग रही थी

उसका विशाल लौडा , उसका हिंसक व्यवहार जिससे उसकी बीवी का मान मर्दन हो रहा था जिस से उसके मन को

बड़ी शांति मिल रही थी !

और वो चाहता था की आज इस विशाल लंड से उसकी बीवी की चूत के परखच्चे उड़ते वो यहाँ खड़ा खड़ा देखें !

उसकी बीवी को कोई नोचता तो उसे प्रतिउत्तर में मिलती परम उत्तेजना जो किसी तरीके से मिलना

नामुमकिन थी !

आज उसे इतनी उत्तेजना मिली की अपने लंड को उसने अपने हाथों से खड़े खड़े शहीद कर लिया था

अब घर जाने का कोई फायदा नहीं था इसलिए वो अपनी कामुकता शास्त्री की उसकी बीवी पर की गई क्रीडाओं को

देख कर शांत कर रहा था !

अब तक तनु की ब्रा और चड्डी फाड़ कर शास्त्री नोच चूका था और उसके पुरे गदराये शरीर को जगह जगह से नोच

और काट चूका था ! तनु की सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी उसे दर्द और आनंद दोनों मिल रहे थे !

"आआआ…. ह्ह्ह्ह्ह .....अरे ...दर्द हो रहा हे ....धीरे .....उह्ह्ह्ह्ह मम्मी .......अरे ....पापा ....आज मर जाउंगी ...


च ..चाचा ...मत करो ...मुझे जाने दो ....अब बस ....ई sssssss " तनु की चीख निकल गई जब उसकी इस बकवास पर

शास्त्री ने गुस्से से उसके झांघ पर चिकोटी काट ली !

दर्द से बिलबिला कर तनु ने दोनों टांगों को दूर दूर कर लिया !

तनु के गदराये शरीर को किसी कुत्ते की तरह नोचने खसोटने के बाद

शास्त्री हवस उगलती आँखों से मोक्ष -स्थल पर पहुंचा यानि तनु की योनि के पास !

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:37

छोटी सी , प्यारी सी ...चिपकी हुई ... बीच में एक चीरा जिसके बीच छुपा था

स्वर्गद्वार !

तनु की योनि अभी तक अपने पति के पांच इंच के लंड से ही चुदी थी आज शास्त्री का नो इंच का लंड मानो

दस इंच का होने की कोशिश कर रहा था उससे चुदना था !

वो सोच रही थी इस मूसल को उसकी छोटी सी चूत में केसे समा पायेगी !

पर उसकी चूत इस हथियार को देख कर ख़ुशी से और डर से खूब पानी छोड़ रही थी !

गदराई हुई टांगों को चीर कर पूरी तरह से अलग कर शास्त्री उनके बीच कुकरासन की मुद्रा में आ बेठा

और तनु की छोटी सी योनि को फाड़ कर खा जाने वाली निगाहों से घूरने लगा !

" आक्क ..थू ..sssss ."

शास्त्री ने पसेरी भर लार तनु की योनि पर थूक दिया !

थूक से उसकी योनि पूरी सन गई !

तनु घर्णा और उत्तेजना से सनसना उठी !

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:38

उसकी योनि का छिद्र बार बार खुलता और बंद हो रहा था !

ये सोच कर की अब फटी की तब फटी !

डर के मारे उसका मूत निकलने को हो रहा था !

पर फटना तो था ही ...जो आज उसकी किस्मत में इश्वर ने लिख दिया था !

वो भी आधी रात में ,शास्त्री के झोंपड़े में और उसी के मूत्र से नहा कर गन्दी सी चारपाई पर गंदे से बिस्तर में

पर उसे इस स्थिति का रोमांच भी हो रहा था !

उसका बदन शास्त्री द्वारा दिए गए जख्मों से टीस रहा था पर उससे उसकी चूत की खुजली बढ़ रही थी !

तनु की मोटी मोटी झांघों को मोड़ कर शास्त्री उस पर लद गया !

अपने काले कलूटे लंड के लाल सुर्ख पहाड़ी आलू जेसे मोटे विशाल सुपाडे को उसके योनि छिद्र पर टिका कर ...

"हुच्च ssssss "

शास्त्री ने पूरी ताकत से हुमक दिया !

" आई ssssssss ....मम्मी ssssss ....."तनु पूरी ताकत से चीख उठी !

उसकी चीख उस आंवले के सूनसान बाग में गूंज उठी !

मन को उसकी चीख से ना जाने क्यों ख़ुशी हुई जेसे उसकी आत्मा तनु का मान मर्दन होने से तृप्त हुई हो

और और उसका हाथ अपने लटके हुए लंड को सहलाने लगा !

आधा लंड उसकी बूर में घोंप चूका शास्त्री बिना रहम किये फिर से थोडा बाहर खींच कर वापिस पूरा मूसल

उसकी चूत में उतार दिया था !

तनु का मानो सांस रुक गया था और लिंग मूंड को वह अपनी पंसलियों में महसूस कर रही थी !

मुह खुल गया था आंसू बह रहे थे दर्द से पूरा बदन थरथरा रहा था !

पर इस सबसे बेखबर शास्त्री उसके दोनों स्तनों को पकडे उसे हुमच हुमच कर पेल रहा था !

अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर दुसरे ही जठ्के में झड तक गुसा रहा था !

और फिर वो उसकी चुचियों को नोचते हुए और धक्के मरते हुए योनि छेदन मंत्र बडबड़ाने लगा -

" लौड़ा साला गरम गच्क्का ......मार सटा -सट सटम सटा "

बूरिया साली ...चेदबा खाली ...मार हचाह्च हच्चम हच्चा .."

" आई मम्मी सीsssssss .....मर जाउंगी ....अरे ....हाय फट गई हे रे मेरी चूत .....च ..चाचा छोड़ दो ..."

पर शास्त्री तो अपनी धुन में चांपे जा रहा था -

"घुंडी किसमिस ...चूची कडियल ....दाब चपाचप चप्पम चप्पा .."

शास्त्री ने उसकी चूची को मुट्ठी में कस कर अपने अजगर को उसके छोटे से चूहे के बिल

में और कस कर चांप दिया !

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