भाभी ने मुझसे और भी कई तरीकों से .........
उस समय तक मेरे लण्ड पर बाल उग आए थे। मैं अक्सर रात को अपने बिस्तर पर नंगा लेट कर अपने लण्ड के बालों को सहलाया करता था एवं अपने लण्ड को खड़ा कर उसे सहलाता रहता था।
एक रात मैं अपने लण्ड को सहला रहा था। उसमे मुझे बहुत आनंद आ रहा था। अचानक मैंने जोर जोर से अपने लण्ड को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया। मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे लण्ड से मेरा माल निकलने लगा। उत्तेजना से मेरी आँखे बंद हो गई। ५-६ मिनट तक मुझे होश ही नहीं रहा। ये मेरा पहला मुठ था। इसके पहले मुझे इसका कोई अनुभव नहीं था। मैंने बाथरूम में जा कर अपने लण्ड को धोया और बिस्तर पे आया तो मुझे गहरी नींद आ गई।
अगली सुबह मैं अपने कमरे से बाहर निकला तो देखा कि भइया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी शादी हुए २ साल हो गए थे। भाभी मेरे साथ बहुत ही घुली मिली थी। मैं अपनी हर प्रोब्लम उनको बताया करता था। मेरे माता-पिता भी हमारे साथ ही रहते थे। थोड़ी देर में भईया अपने ऑफिस चले गए। पिता जी को कचहरी में काम था इस लिए वो १० बजे चले गए। मेरे पड़ोस में एक पूजा का कार्यक्रम था सो माँ भी वहां चली गई।
मैंने देखा कि घर में मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं है। मैं भाभी के कमरे में गया। भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। मैं उनके बगल में जा कर लेट गया। मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी। भाभी को इसमें कोई गुस्सा नहीं होता था। भाभी ने करवट बदल कर मेरी कमर के ऊपर अपना पैर रख कर अपना बदन का भार मुझे पे डाल दिया और कहा- क्या बात है राजा जो आप कुछ परेशान लग रहे हैं?
भाभी अक्सर मेरे साथ ऐसा करती थी।
मैंने कहा- भाभी कल रात को कुछ गजब हो गया, आज तक मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ था।
भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कल रात को मेरे लण्ड से कुछ सफ़ेद सफ़ेद निकल गया, मुझे लगता है कि मुझे डाक्टर के पास जाना होगा।
भाभी ने मुस्कुरा के पूछा- अपने आप निकल गया?
मैंने कहा- नहीं ! मैं अपने लण्ड को सहला रहा था तभी ऐसा हुआ।
भाभी ने कहा- राजा बाबू ! अब आप जवान हो गए हो, ये सब तो होगा ही ! लगता है कि मुझे देखना होगा।
भाभी ने अपना हाथ मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया तथा धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इससे मेरे लण्ड खड़ा होने लगा।
भाभी बोली- जरा दिखाइए तो सही !
मैं कुछ नहीं बोला। मैंने धीरे से अपने पैन्ट का बटन खोल दिया। भाभी ने मेरे पैन्ट को नीचे की ओर खींचा और उसे पूरी तरह उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था।
भाभी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लण्ड को सहला रही थी, बोली- क्या इसी से कल रात को सफ़ेद सफ़ेद निकला था?
मैंने कहा- हाँ !
भाभी ने कहा- अंडरवियर खोलिए !
मैंने कहा- क्या भाभी जी ! आपके सामने मैं अपना अंडरवियर कैसे खोल सकता हूँ?
भाभी बोली- अरे जब आप मेरे को अपनी पूरी समस्या नहीं बतायेंगे तो मैं कैसी जानूंगी कि आपको क्या हुआ है? और मुझे क्या शरमाना? अपनों से कोई शरमाता है भला? जब आपके भइया को मेरे सामने अपने कपड़े खोलने में कोई शर्म नहीं है तो फिर आप क्यों शरमाते हैं?
मैं इस से पहले कि कुछ बोलता भाभी ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीच खींच लिया। मेरा लण्ड तन के खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा- अरे राजा बाबू ! आप तो बहुत जवान हो गए हैं।
भाभी मेरे लण्ड को पकड़ कर सहला रही थी। मेरे लण्ड से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा। अचानक भाभी मेरे को जकड़ कर नीचे की तरफ़ घूम गई। इस से मैं भाभी के शरीर पर चढ़ गया। भाभी का शरीर बहुत ही मखमली था। भाभी ने मुझसे कहा - मुझे चोदियेगा?
मैं कहा- मैं नहीं जानता।
भाभी ने मेरे शरीर को पकड़ लिया और कहा- मैं सीखा देती हूँ, मेरा ब्लाउज खोलिए।
मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया। भाभी का चूची एकदम सफ़ेद सफ़ेद दिख रहा था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि भाभी का चूची इतना सफ़ेद होगा। मैं भाभी के चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा।
भाभी ने कहा- ब्रा तो खोलिए तब ना मज़ा आएगा।
मैंने भाभी का ब्रा भी खोल दिया। अब भाभी की समूची चूचियाँ मेरे सामने तनी हुई खड़ी थी। मैंने दोनों हाथो से भाभी की चूचियों को पकड़ लिया और कहा- क्या मस्त चूचियाँ है आपकी भाभी?
मैं भाभी के चुचियों को धीरे धीरे दबा रहा था । अचानक भाभी ने कहा- मेरी साड़ी खोलिए ना ! तब और भी मज़ा आएगा।
मैंने एक हाथ से भाभी की साड़ी को खोल दिया। भाभी अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी। फ़िर मैंने भाभी को कहा- क्या पेटीकोट भी खोल दूँ?
भाभी बोली - हाँ।
मैंने बैठ कर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खोला और झट से उतार फेंका। अब मेरे सामने जो नजारा था, मैं उसकी कल्पना सपने में भी नहीं कर सकता था। भाभी की बुर एकदम सफ़ेद सी थी। उस पर घने घने बाल भी थे। मैं भाभी की बुर को देख रहा था। कितनी बड़ी बुर थी। बुर के अन्दर लाल लाल छेद दिख रहा था।
मैंने भाभी को कहा- आपके भी बाल होते हैं?
भाभी सिर्फ़ मुस्कुराई। भाभी बोली - छू कर तो देखिये।
मैं भाभी की बुर को धीरे धीरे छूने लगा। भाभी की बुर के बाल एक तरफ़ कर के मैं उसे फैला के देखने की कोशिश करने लगा कि इसका छेद कितना बड़ा है। मुझे उसके अन्दर छेद तो नजर आ रहा था पर भाभी से ही मैंने पुछा- भाभी ये छेद कितना बड़ा है?
भाभी ने कहा- ऊँगली डाल के देखिये न?
मैंने बुर में ऊँगली डाल दी। मैं अपनी ऊँगली को भाभी के बुर में चारों तरफ़ घुमाने लगा। बहुत बड़ी थी भाभी की बुर। मैं बुर से ऊँगली निकाल के भाभी के शरीर पर लेट गया। भाभी ने अपने दोनों पैर को ऊपर उठा के मेरे ऊपर से घुमा के मुझे लपेट लिया। मैंने भाभी के शरीर को जोर से पकड़ लिया।
मेरी साँसे बहुत तेज़ हो गई थी। मेरी पूरी छाती भाभी की चूचियों से रगड़ खा रही थी। भाभी ने मेरे सर को पकड़ के अपने तरफ़ खींचा और अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा दिया।
मैं भी समझ गया कि मुझे क्या करना है? मैं काफी देर तक भाभी के होठो को चूमता रहा। चूमते चूमते मेरे शरीर में उत्तेजना भरती गई। मैं भाभी के होंठ छोड़ कर कुछ नीचे आया और भाभी की चूची को मुँह में ले कर काफ़ी देर तक चूसता रहा।
भाभी सिर्फ़ गर्म साँसें फेंक रही थी। फिर भाभी अचानक बैठ गई और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। मैं लेट कर भाभी का तमाशा देख रहा था। भाभी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। वो मेरे लण्ड के सुपाड़े को ऊपर नीचे कर रही थी। मैं पागल हुआ जा रहा था।
भाभी ने अचानक मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मेरा पूरा लण्ड मुंह में घुसा लिया। मैं एकदम से उत्तेजित हो गया।
मैंने भाभी को कहा- भाभी प्लीज ऐसा मत कीजिये !
लेकिन भाभी नहीं मानी। वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में पूरा घुसा कर मज़े से चूस रही थी। अचानक मेरे लण्ड से माल निकलने लग गया। मेरी आँखें बंद हो गई। मैं छटपटा गया। मेरा सारा माल भाभी के मुंह में गिर रहा था लेकिन भाभी ने मेरे लण्ड को अपने मुंह से नहीं निकाला। और मेरा सारा माल भाभी पी गई।
२-३ मिनट के बाद मुझे होश आया। देखा भाभी मेरे शरीर पर लेटी हुआ है और मेरे होठों को चूम रही है। भाभी बोली- अरे वाह राजा जी ! अभी तो खेल बांकी है। अब जरा मुझे चोदिये तो सही।
मैं बोला- क्या अभी भी कुछ बांकी है? अब क्या करना है मुझे?
भाभी बोली- आप क्या करना चाहते हैं?
मैं बोला- जिस तरह से आपने मेरे लण्ड को चूसा उसी तरह से मैं भी आपके बुर को चूसना चाहता हूँ।
भाभी ने बिस्तर पे लेट कर अपनी दोनों टांगें अगल-बगल फैला दी। अब मुझे भाभी की बुर की एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रही थी। मैंने नीचे झुक कर भाभी के बुर में अपना मुँह लगा दिया। पहले तो बुर के बालों को ही अपने मुंह से खींचता रहा। फ़िर एक बार बुर के छेद पर अपने होंठ रख कर उसका स्वाद लिया।
बड़ा ही मज़ा आया। मैं और जोर से भाभी के बुर को चूसने लगा। चूसते चूसते अपनी जीभ को भाभी के बुर के छेद के अन्दर भी घुसा दिया। भाभी को देखा तो वो अपनी आँख बंद कर के यूँ कर रही थी जैसे कि कोई दर्द हो रहा है।
तभी भाभी की बुर से हल्का हल्का पानी के तरह कुछ निकलने लगा। मैंने उसका स्वाद लिया तो मुझे कुछ नमकीन सा लगा।
थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड तन के खड़ा हो गया था। मैं भाभी के होठ को चूमने के लिए जब उनके ऊपर चढ़ा तो मेरा लण्ड उनकी बुर से सट गया। भाभी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा- राजा जी अब मुझे चोदिये न !
मैंने कहा- अभी भी कुछ बाकी रह गया है क्या?
भाभी धीमे से मुस्कुराई और कहा- अभी तो असली मज़ा बाकी है !
मैंने कहा- आप ही बताइए कि मैं क्या करुँ?
भाभी बोली- अब आप अपने लण्ड को मेरी बुर में डालिए।
मैंने कहा- इतना बड़ा लण्ड आपकी बुर के इतने छोटे से छेद में कैसे घुसेगा? भाभी बोली- आप डालिए तो सही !
भाभी ने अपने दोनों पैरों को और फैलाया। और मेरे लण्ड को पकड़ के अपने बुर के छेद के पास ले आई और बोली- घुसाइए !
मैंने संदेहपूर्वक अपने लण्ड को उनकी बुर के छेद में घुसाना शुरू किया।
ये क्याऽऽऽ?
मेरा सारा का सारा लण्ड उनकी बुर में घुस गया। मुझे बहुत ही मज़ा आया। भाभी को देखा तो उनके मुंह से सिसकारी निकल रही थी। मैंने झट से अपने लण्ड को उनकी बुर से बाहर निकाल लिया। भाभी ने कहा- यह क्या किया?
मैंने कहा- आपको दर्द हो रहा था ना?
वो बोली- धत ! आपके भइया तो रोज़ मुझे ऐसा करते हैं, इसमें दर्द थोड़े ही होता है, इसमें तो मज़ा आता है ! चलिए ! डालिए फ़िर से अपना लण्ड मेरी बुर के छेद में।
मैं इस बार अपने लण्ड को अपने आप से ही पकड़ कर भाभी के बुर के छेद के पास ले गया और पूरा का पूरा लण्ड उनकी बुर में घुसा दिया। भाभी के मुंह से एक बार फ़िर सिसकारी निकली। मैं उनकी बुर में अपना लण्ड डाले हुए १ मिनट तक पड़ा रहा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करना है। मैं अपने दोनों हाथो से भाभी के चुचियों से खेलने लगा।
भाभी बोली- खेल शुरू कीजिये ना।
मैं बोला- अब क्या करना है?
भाभी बोली- चोदना शुरू कीजिये ना !
मैं बोला- अभी भी कुछ बाकी है? अब क्या करुँ?
भाभी बोली- मेरे बुध्धू राजा बाबू ! अपने लण्ड को धीरे धीरे मेरी बुर में ही आगे पीछे कीजिये।
मैं बोला- मैं समझा नहीं।
भाभी बोली- अपनी कमर को आगे पीछे कर के अपने लण्ड को मेरी बुर में आगे पीछे कीजिये।
मैंने ऐसा ही किया। अपने कमर को आगे पीछे कर के लण्ड को भाभी के बुर में अन्दर बाहर करने लगा। भाभी का शरीर ऐंठने लगा।
मैं बोला- निकाल लूँ क्या भाभी?
भाभी बोली - नही ! और जोर से चोदिये।
मैंने भाभी की कमर को अपने हाथ से पकड़ लिया और अपने लण्ड को उनकी बुर में आगे पीछे करने लगा। मुझे अब इसमें काफ़ी मजा आ रहा था। मेरा लण्ड उनकी बुर से रगड़ा रहा था। मैं पागल सा होने लगा।
५ मिनट तक करने के बाद देखा कि भाभी की बुर से पानी निकल रहा था। भाभी अब निढाल सी हो रही थी। मैंने भाभी के शरीर पर लेट कर उनकी चुदाई जारी रखी।
भाभी बोली- जल्दी जल्दी कीजिये राजा जी !
मैं बोला- कितनी देर तक और करुँ?
वो बोली- मेरा तो माल निकल गया है, आपका माल जब तक नहीं निकलता तब तक करते रहिये।
मैंने और जोर जोर से उनको चोदना जारी कर दिया। उनका सारा शरीर मेरे चुदाई के हिसाब से आगे पीछे हो रहा था। उनकी चूचियां भी जोर जोर से हिल हिल कर ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे ये सब देखने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं सोच रहा था कि ये चुदाई का खेल कभी ख़तम ना हो।
तभी मुझे लगा कि मेरे लण्ड से माल निकलने वाला है। मैं भाभी को बोला- भाभी मेरा लण्ड से माल निकलने वाला है।
भाभी बोली- लण्ड को बुर से बाहर मत निकालिएगा। सब माल बुर में ही गिरने दीजियेगा।
मैंने उनको चोदना जारी रखा। १५-२० धक्के के बाद मेरे लण्ड से माल निकलना शुरू हो गया। मेरी आँख जोर से बंद हो गई। मैंने अपने लण्ड को पूरी ताकत के साथ भाभी की बुर में धकेलते हुए उनके शरीर को कस के पकड़ के उनको लिपट कर उनके ही शरीर पर गिर गया, बोला- भाभी, फ़िर माल निकल रहा है।
भाभी ने मुझे कस के पकड़ के मेरे कमर को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ़ नीचे की ओर खींचने लगी। २ मिनट तक मुझे कुछ होश नहीं रहा।
आँख खुली तो देखा मैं अभी भी भाभी के नंगे शरीर पे पड़ा हूँ। भाभी मेरे पीठ को सहला रही थी। मेरे लण्ड से सारा माल निकल के भाभी के बुर में समां चुका था। मेरा लण्ड अभी भी उनके बुर में ही था। मैं उनके चूची पर अपने सीने के दवाब को बढ़ते हुए कहा- क्या इसी को चुदाई कहते हैं?
भाभी बोली - हाँ, कैसा लगा?
मैंने कहा- बहुत मज़ा आता है ! क्या भईया आपको ऐसे ही करते हैं?
वो बोली- हाँ, लगभग हर रात को !
मैं कहा- क्या अब मुझे आप चोदने नहीं दोगी?
वो बोली- क्यों नहीं? रात को भइया की पारी और दिन में तुम्हारी पारी।
मैंने कहा- ठीक है।
भाभी बोली- जब तुम्हें मौका नहीं मिले अपने हाथ से ही लण्ड को सहला लेना और माल निकाल लेना।
मैंने कहा- ठीक है। उसके बाद मैंने अपना लण्ड को उनकी बुर से निकाला। भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया और कहा कि रोज़ इसमें तेल लगाया कीजिये। इस से ये और भी बड़ा और मोटा होगा।
भाभी के बुर को मैं फ़िर से सहलाते हुए पुछा- मुझे नहीं पता था कि इस के अन्दर इतना बड़ा छेद होता है।
भाभी बोली- सुनिए, कल आप अपने लण्ड के बाल को शेव कर लीजियेगा। मैं भी आज रात को शेव कर लूंगी।
तब कल फिर आपको चोदने के और भी तरीके बताऊँगी। और हाँ ! यह बात किसी को बताइयेगा नहीं।
इसके बाद भाभी ने मुझसे और भी कई तरीकों से अपनी चुदवाई कराई। आज तक किसी को इस बात का नहीं चला।
हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
श्रेया के साथ
मेरा नाम संजय है। पंजाब के जालंधर शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, रंग साफ़, दिखने में अच्छा हूँ। लण्ड का आकार भी ठीक-ठाक है, वैसे कभी नापा नहीं। मैं यहाँ भारत में अकेला रहता हूँ, मेरी मम्मी-पापा विदेश में रहते हैं। मैंने कंप्यूटर में डिग्री की है। डिग्री पूरी करने के बाद मैंने एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। दरअसल मैं एक कंप्यूटर प्रोफेसर बनना चाहता हूँ इसलिए सोचा क्यों ना स्कूल से शुरुआत की जाए।
उस स्कूल में मुझे नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को कंप्यूटर सिखाना था। सभी कक्षाओं में लड़के और लड़कियों की संख्या तक़रीबन बराबर बराबर ही थी। लड़कियाँ एक से बढ़कर एक सुंदर और चालू थी। दरअसल एक तो जिस शहर में पढ़ाता हूँ वहाँ पर लड़कियाँ बहुत फ्रेंक हैं, दूसरे उस स्कूल में सब प्रौढ़ अध्यापक हैं। इसलिए जब लड़कियों ने मुझे अपने अध्यापक के रूप में देखा तो सब बहुत खुश हो गई।
स्कूल काफी बड़ा था और कक्षाओं में बच्चे भी काफी थे लेकिन कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर 12 ही थे। इसलिए मुझे एक एक कक्षा को 2 भागों में बांटकर पढ़ाने के लिए कहा गया।
और यहीं से मेरे गंदे दिमाग ने काम कर दिया। मैंने हर कक्षा के लड़कों को अलग और लड़कियों को अलग से कंप्यूटर सिखाना शुरू किया।
इससे मेरा यह डर निकल गया कि अगर मैं किसी लड़की से छेड़खानी करूँगा तो कम से कम कोई मेरी शिकायत नहीं करेगा क्योंकि हर लड़की पहले ही दिन से मुझे बड़ी वासना भरी निगाह से देख रही थी।
असली मजा शुरु हुआ तीसरे दिन से।
अब सब लड़कियाँ बड़ी सजधज कर, मेकअप करके आने लगी थी। उस दिन बारिश हो रही थी और शनिवार था। हर कक्षा में बच्चे बहुत कम आये थे और एक दो अध्यापक भी छुट्टी पर थे इसलिए मुझे बोला गया कि मैं बारहवीं कक्षा के बच्चों का टेस्ट ले लूँ।
लड़के तो 2 ही आये थे और लड़कियाँ 12-13 आई थी। मैंने उनको एक कतार में बिठाया और कुछ प्रश्न हल करने के लिये दे दिये।
एक लड़की कतार के आखिर में बैठी थी, उसका नाम श्रेया था, वो बार बार मेरी ही तरफ़ देख रही थी। जब भी मैं उसे देखता तो मुस्कुराने लगती।
मैंने सोचा कि पहले इसी पर कोशिश करता हूँ।
मैं चलते चलते उसके पीछे आया। वो एक स्टूल पर बैठी थी। उसके पीछे से गुजरते हुए मैंने उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर दिया। वो एकदम से कांप गई पर बोली कुछ नहीं। जब मैंने उसे घूम कर देखा तो वो फ़िर से मुस्कुराने लगी।
मैं समझ गया कि रास्ता साफ़ है।
थोड़ी देर बाद मैं फ़िर से घूमते हुए उसके पीछे आया और इस बार उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने के साथ ही धीरे से उसका एक मुम्मा भी दबा दिया।
वाह ! मजा आ गया।
मैंने पहली बार किसी लड़की को छेड़ा था। ऐसे ही मैंने उसको दो-तीन बार छेड़ा।
वो बुरी तरह से कांप रही थी। इससे मुझे लगा कि यह भी अभी कुंवारी है।
मैंने सोचा कि क्यों ना इसे घर पर बुलाया जाये !
पर कैसे?
अचानक मेरे दिमाग में एक तरकीब आई। मैंने कक्षा में सबको कह दिया कि जिसको लैक्चर समझ में नहीं आया वो मेरे घर पर आकर समझ सकता है।
यह बात कहने के साथ साथ मैं उसे देख भी रहा था।
श्रेया बहुत खुश हुई।
उसे खुश देखकर मैं भी खुश था कि शायद वो घर पर आ ही जाए।
कक्षा खर्म करने के बाद मैं लाईब्रेरी में जाकर बैठ गया। उस वक्त लाईब्रेरी में मेरे सिवा सिर्फ़ एक लाईब्रेरियन था जो दूसरे सैक्शन में बैठा किताबें सैट कर रहा था।
तभी श्रेया लाईब्रेरी में आई, वो शायद मुझे ही ढ़ूंढ़ रही थी।
वो मेरे पास आकर बोली- सर, मैं और मेरी सहेली श्वेता आपके घर पर आकर आपके साथ कुछ टॉपिक्स डिस्कस करना चाहती हैं।
मैं- ठीक है। पर अच्छा होगा कि तुम अकेली ही आओ क्योंकि मेरे पास एक ही कम्प्यूटर है। अगर तुम अकेले आओगी तो तुम्हेंअच्छे से समझा दूँगा।
ऐसा कहते कहते मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फ़ेर दिया। उसका चेहरा एकदम लाल हो गया और उसने हाँ में सिर हिलाया और चलने लगी।
अभी वो दरवाजे पर ही थी कि मैंने उसे आवाज लगाई- श्रेया !
श्रेया- जी?
मैं- कल भी स्कर्ट पहन कर आना।
और वो शरमा कर भाग गई।
अगले दिन एक बजे तक सब नौकर अपना-अपना काम निबटाकर चले गए। मैंने भी दुबारा से नहा-धो कर लोअर और टी-शर्ट पहन ली। मैंने जानबूझ कर लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना।
ठीक 1:25 पर घण्टी बजी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैं तो एकदम से सुन्न ही रह गया। ऐसे लगा जैसे एक परी मेरे सामने खड़ी है। वो सफ़ेद स्कर्ट और नीली टी-शर्ट में थी, उसकी स्कर्ट पैरों तक लम्बी थी, टी-शर्ट में उसके मम्मे एकदम मस्त लग रहे थे, जी कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ। उसके होंठ एकदम रसीले लग रहे थे। अचानक उसने एक चुटकी बजाई तो मैं जैसे नींद से जागा।
वो बोली- अंदर आऊँ या नहीं?
मैं- माफ़ करना। आओ ! आओ !
वो अंदर आ गई। मैंने उसे सोफ़े पर बिठाया और उसके लिए पानी लेकर आया।
वो बोली- अरे सर, आप क्यों तकलीफ़ कर रहे हैं !
मैं- कोई बात नहीं।
उसने पानी पिया। पानी पीते हुए भी वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। पानी पिलाने के बाद मैं उसे अपने बैडरूम में ले गया जहाँ मेरा कम्प्यूटर रखा था।
वो कम्प्यूटर के सामने वाली स्टूल पर बैठ गई और मैं भी उसके साथ ही उसके बाएँ वाली स्टूल पर बैठ गया। उसे समझाते समझाते कभी मैं उसकी जांघ पर हाथ रख देता तो कभी धीरे से उसके मम्मे को छेड़ देता।
कुछ देर बाद मैंने जानबूझ कर अपने हाथ में पकड़ी हुई पैंसिल नीचे फ़ेंक दी और उसे उठाते वक्त ्जानबूझ कर पेंसिल की नोक उसकी स्कर्ट के नीचे कर दी, इससे पेंसिल के साथ साथ उसकी स्कर्ट भी ऊपर उठ गैइ और उसकी गोरी मखमली जांघे उघड़ कर मेरे सामने आ गई। मैंने उसकी टांगों पर हाथ फ़िरा दिया तो उसकी आँखें बन्द हो गई और उसने शरमा कर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली।
कुछ देर ऐसे ही मैं किसी ना किसी बहाने उसे छेड़ता रहा।
कुछ देर बाद मैं खड़ा होकर उसके पीछे आया और उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रख दिए। उसने आँखें बंद कर ली और होंठों पर जीभ फ़िराने लगी। थोड़ी देर बाद मैं हाथ उसके दोनों मम्मों पर ले आया और धीरे धीरे दबाने लगा। 2-3 मिनट बाद वो भी सिसकारियाँ सी भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा पीछे घुमाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
वाह ! मजा आ गया, ऐसा लगा जैसे मेरे मुँह में शरबत घुल गया हो।
दस मिनट तक मैं ऐसे ही उसके होंठ चूसता रहा। कुछ देर बाद मैंने अपने मुँह में एक कैंडी रख ली और फ़िर से उसे किस करना शुरु कर दिया। किस करते हुए मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। धीरे धीरे मैं कैंडी को हमारे होंठों के बीच ले आया और उसे तब तक चूमता रहा जब तक कैंडी खत्म ना हो गई।
थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मजाक करते हुए बोली- अरे, कैंडी कहाँ गई?
मैं- अभी बताता हूँ।
और मैंने फ़िर से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
चुम्बन करते हुए मैं उसके पीछे ही खड़ा था। मम्मे दबाते और लगातार चुम्बन करते हुए मैंने उसे खड़ा किया और उसी अवस्था में चलता हुआ मैं बिस्तर पर बैठ गया। उसे मैंने अपनी गोद में बिठा लिया। उस वक्त भी उसकी मेरी तरफ़ पीठ ही थी। मैं उसके मम्मे दबाता रहा और वो सिसकारी भरती रही।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठ छोड़े और बिस्तर पर लेट गया और उसको भी अपने ऊपर ही लिटा लिया। लोअर में मेरा लण्ड खड़ा उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश सी कर रहा था। उसको भी बहुत मजा रहा था।
कुछ देर बाद मैंने उसके मम्मे छोड़े और लेटे लेटे ही दोनों हाथ उसकी स्कर्ट में डाल दिए। लेकिन मैंने उसकी चूत को नहीं छेड़ा। पहले मैंने उसकी दोनों जांघों को सहलाना शुरु किया। 2-3 मिनट तक मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।
कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर पर रखा तो ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ रख दिया हो। उसकी चूत तप रही थी और वो भी बुरी तरह से कांप रही थी।
जब मैंने एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर सरका कर उसकी चूत का जायजा लिया तो पाया कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत। कुछ कुछ गीली भी थी। मैं एक ही उंगली से धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा।
जब मैंने चूत को हल्के से दबाया तो उसमे से कुछ पानी निकल आया जिससे मेरी पूरी उंगली गीली हो गई। मैंने वो उंगली उसके मुँह में डाल दी, वो उसको चाटने लगी। फ़िर तो बस यही सिलसिला चल निकला। 4-5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, मैंने उसे खूब उसकी चूत का रस चटवाया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर सीधा करके लिटा दिया। मैं उसके ऊपर सीधा लेट गया और उसके होंठों पर चूमने लगा। 3-4 मिनट चुम्बन करने के बाद मैं बैठ गया और अपना सिर उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया।
धीरे धीरे मैं उसकी दोनों टांगों को चाटने लगा और अपने हाथों से उसकी जांघों को सहलाने लगा। उसका पूरा शरीर बुरी तरह से कांपने लगा, वो सिसकारियों पर
सिसकारियाँ भर रही थी।
धीरे धीरे मैं थोड़ा ऊपर आया और उसकी जांघें चाटने लगा। साथ साथ मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने दुनिया भर का नशा कर लिया हो। एक
तो उसका पूरा बदन फ़ूल की तरह कोमल था, दूसरे उसकी चूत के रस की मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत पर फ़िरानी शुरु कर दी। जैसे जैसे मैं अपनी जीभ फ़िरा रहा था, वैसे वैसे उसकी उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैंटी दांतों से नीचे की और उसकी चूत पर हल्के से चूमा फ़िर अपने दोनों हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी को नीचे करके घुटनों तक उतार दिया और उसकी चूत को मैंने अच्छी तरह से निहारा, एकदम गुलाब जामुन की तरह लग रही थी, चूत का दाना बुरी तरह से फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
धीरे धीरे मैंने अपनी जीभ उसके दाने के आसपास फ़िरानी शुरु की और दाने के आसपास जो पानी था वो चाटने लगा। उसने अपनी दोनों टांगों को स्कर्ट पहने-पहने ही मेरे सिर के इर्द-गिर्द लपेट दिया और अपने हाथों से मेरे सिर के बालों को जोर जोर से खींचने लगी।
मैंने अपना पुरा मुँह खोला, जीभ सीधी की और मुँह उसकी चूत पर लगा दिया।
और यह क्या?
उसका पूरा शरीर ऐसे कांपने लगा जैसे बिजली का झटका लग गया हो और वो झर झर झड़ने लगी। सारे का सारा पानी मेरे मुँह में ही गया।
वाह! क्या स्वाद था। एक दम खट्टा सा।
हम दोनों एक दम नशेड़ी लग रहे थे, हम दोनों की आँखें बंद थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना सिर बाहर निकाला। अभी मैं सीधा भी नहीं हुआ था कि उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। साथ ही साथ वो अपनी गाण्ड को उठाकर स्कर्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी। मैंने अपनी लोअर नहीं उतारी थी फ़िर भी मुझे इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ।
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मैंने बिस्तर पर खड़े होकर अपनी लोअर उतार दी। टी-शर्ट नहीं उतारी क्योकि सुना है कि सारे कपड़े उतार कर सेक्स करने का मजा नहीं आता। उसकी भी मैंने सिर्फ़ पैंटीही उतारी, स्कर्ट और टी-शर्ट नहीं उतारा। फ़िर मैं बेड पर बैठ गया और उसे अपनी गोद में बिठा लिया। वो एक दम फ़ुल की तरह हल्की थी। मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ रख कर उसे ऊपर उठाया और अपने लण्ड पर बैठा लिया। पर लण्ड उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था क्योंकि वो कुँवारी थी।
मैंने उसे बोला- मैं तेल की शीशी लेकर आता हूँ। अगर ऐसे ही डाल दिया तो तुम्हें बहुत दर्द होगा।
श्रेया - सर, अब कंट्रोल नहीं होता। अब ऐसे ही डाल दीजिए।
ऐसा कहते कहते वो खुद ही मेरे लण्ड पर बैठ कर जोर लगाने लगी। तो मैंने भी उसकी गाण्ड पकड़ कर जोर का धक्का दिया। आधा इंच लण्ड उसके अंदर था। वो चीखने लगी। पर मैं रुका नहीं। चार पाँच झटकों में पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर डाल दिया। उसका चीख चीख कर बुरा हाल था। थोड़ी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैंने उसकी गाण्ड को उठाकर धक्के देने शुरु कर दिए।
उसे भी अब मजा आ रहा था, वो चिल्ला रही थी- और तेज सर, और तेज ! आह…… मजा आ रहा है, फ़क मी सर, फ़क मी।
उसे चोदते चोदते मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसे बुरी तरह चूसने लगा। उसने अपनी टी-शर्ट नीचे कर ली। यानि मेरा सिर अब उसकी टी-शर्ट के अंदर था। धक्के लगाते लगाते मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गाण्ड में डाल दी। उसकी एक चीख निकल गई पर वो रुकी नहीं ओर ना ही मैं रुका। मैं धक्के पर धक्का लगा रहा था। उसकी चूत के पानी और खून से मेरी जांघें भर चुकी थी। पर इससे मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
12-13 मिनट के बाद वो तीसरी बार झड़ी। अब वो रुकने की प्रार्थना करने लगी। मैंने सोचा कि अब अगर रुक गया तो मैं कैसे झड़ुँगा? तो मैंने उसे चोदते चोदते ही बिस्तर की चादर के नीचे से एक बबल गम निकाली और रैपर समेत ही उसके मुँह में डाल दी। वो मुझे मेरे एक दोस्त ने दी थी। उससे शरीर की सारी गर्मी कुछ मिनटों में ही निकल जाती है। पर उसे लगा कि ये पहले की तरह ही कोई आम कैंडी है। वो उसे मजे ले लेकर चबाने लगी। एक मैंने अपने मुँह में भी डाल ली क्योकि मैं मजे का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
थोड़ी देर बाद हम दोनों का शरीर पूरी तरह लाल हो गया। वो भी अब मुझसे ज्यादा जोर से धक्के लगाने लगी और साथ साथ चिल्ला भी रही थी- ओह, फ़क मी, हेल्प मी, सर। आई लव यू सर।
नीचे उसका झड़ झड़ कर बुरा हाल था। चादर भी गीली हो गई। आखिर के समय तो हम दोनों जैसे मशीन ही बन गए थे। मैं भी उस समय उसे चोदते चोदते तीन बार झड़ा। उसके झड़ने की तो कोई गिनती ही नहीं थी। जैसे ही मैं चौथी बार झड़ा तो मैंने उसे बेड पर लिटाया और खुद उसके ऊपर गिर प्ड़ा। उस गीले बेड पर लेटने के बाद भी हम दोनों गहरी नींद में सो गए।
एक घण्टे बाद मेरी आँख खुली। वो अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया और बड़ी मुश्किल से उसे खड़ा किया। उसकी चूत सूज कर सेब बन चुकी थी। किसी तरह उसे सहारा देकर मै बाथरुम में लेकर आया। बाथरुम में हम दोनों ने इकट्ठे ही पेशाब किया और फ़िर इकट्ठे ही नहाए। फ़िर मैंने चादर भी धो दी।
उसके बाद हम दोनो ने काफ़ी के दो दो मग पिए।
फ़िर मैं उसे बाहर तक छोड़ने आया और बोला- अगली बार अपनी सहेली को भी लेते आना। हम दोनों मिलकर उसे कम्प्यूटर सिखाएंगे।
उसने जोर से मेरे होंठो पर चूमा और बाय करती हुई चली गई।
मेरा नाम संजय है। पंजाब के जालंधर शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, रंग साफ़, दिखने में अच्छा हूँ। लण्ड का आकार भी ठीक-ठाक है, वैसे कभी नापा नहीं। मैं यहाँ भारत में अकेला रहता हूँ, मेरी मम्मी-पापा विदेश में रहते हैं। मैंने कंप्यूटर में डिग्री की है। डिग्री पूरी करने के बाद मैंने एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। दरअसल मैं एक कंप्यूटर प्रोफेसर बनना चाहता हूँ इसलिए सोचा क्यों ना स्कूल से शुरुआत की जाए।
उस स्कूल में मुझे नौवीं से बारहवीं तक के बच्चों को कंप्यूटर सिखाना था। सभी कक्षाओं में लड़के और लड़कियों की संख्या तक़रीबन बराबर बराबर ही थी। लड़कियाँ एक से बढ़कर एक सुंदर और चालू थी। दरअसल एक तो जिस शहर में पढ़ाता हूँ वहाँ पर लड़कियाँ बहुत फ्रेंक हैं, दूसरे उस स्कूल में सब प्रौढ़ अध्यापक हैं। इसलिए जब लड़कियों ने मुझे अपने अध्यापक के रूप में देखा तो सब बहुत खुश हो गई।
स्कूल काफी बड़ा था और कक्षाओं में बच्चे भी काफी थे लेकिन कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर 12 ही थे। इसलिए मुझे एक एक कक्षा को 2 भागों में बांटकर पढ़ाने के लिए कहा गया।
और यहीं से मेरे गंदे दिमाग ने काम कर दिया। मैंने हर कक्षा के लड़कों को अलग और लड़कियों को अलग से कंप्यूटर सिखाना शुरू किया।
इससे मेरा यह डर निकल गया कि अगर मैं किसी लड़की से छेड़खानी करूँगा तो कम से कम कोई मेरी शिकायत नहीं करेगा क्योंकि हर लड़की पहले ही दिन से मुझे बड़ी वासना भरी निगाह से देख रही थी।
असली मजा शुरु हुआ तीसरे दिन से।
अब सब लड़कियाँ बड़ी सजधज कर, मेकअप करके आने लगी थी। उस दिन बारिश हो रही थी और शनिवार था। हर कक्षा में बच्चे बहुत कम आये थे और एक दो अध्यापक भी छुट्टी पर थे इसलिए मुझे बोला गया कि मैं बारहवीं कक्षा के बच्चों का टेस्ट ले लूँ।
लड़के तो 2 ही आये थे और लड़कियाँ 12-13 आई थी। मैंने उनको एक कतार में बिठाया और कुछ प्रश्न हल करने के लिये दे दिये।
एक लड़की कतार के आखिर में बैठी थी, उसका नाम श्रेया था, वो बार बार मेरी ही तरफ़ देख रही थी। जब भी मैं उसे देखता तो मुस्कुराने लगती।
मैंने सोचा कि पहले इसी पर कोशिश करता हूँ।
मैं चलते चलते उसके पीछे आया। वो एक स्टूल पर बैठी थी। उसके पीछे से गुजरते हुए मैंने उसकी पीठ पर हाथ फ़ेर दिया। वो एकदम से कांप गई पर बोली कुछ नहीं। जब मैंने उसे घूम कर देखा तो वो फ़िर से मुस्कुराने लगी।
मैं समझ गया कि रास्ता साफ़ है।
थोड़ी देर बाद मैं फ़िर से घूमते हुए उसके पीछे आया और इस बार उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने के साथ ही धीरे से उसका एक मुम्मा भी दबा दिया।
वाह ! मजा आ गया।
मैंने पहली बार किसी लड़की को छेड़ा था। ऐसे ही मैंने उसको दो-तीन बार छेड़ा।
वो बुरी तरह से कांप रही थी। इससे मुझे लगा कि यह भी अभी कुंवारी है।
मैंने सोचा कि क्यों ना इसे घर पर बुलाया जाये !
पर कैसे?
अचानक मेरे दिमाग में एक तरकीब आई। मैंने कक्षा में सबको कह दिया कि जिसको लैक्चर समझ में नहीं आया वो मेरे घर पर आकर समझ सकता है।
यह बात कहने के साथ साथ मैं उसे देख भी रहा था।
श्रेया बहुत खुश हुई।
उसे खुश देखकर मैं भी खुश था कि शायद वो घर पर आ ही जाए।
कक्षा खर्म करने के बाद मैं लाईब्रेरी में जाकर बैठ गया। उस वक्त लाईब्रेरी में मेरे सिवा सिर्फ़ एक लाईब्रेरियन था जो दूसरे सैक्शन में बैठा किताबें सैट कर रहा था।
तभी श्रेया लाईब्रेरी में आई, वो शायद मुझे ही ढ़ूंढ़ रही थी।
वो मेरे पास आकर बोली- सर, मैं और मेरी सहेली श्वेता आपके घर पर आकर आपके साथ कुछ टॉपिक्स डिस्कस करना चाहती हैं।
मैं- ठीक है। पर अच्छा होगा कि तुम अकेली ही आओ क्योंकि मेरे पास एक ही कम्प्यूटर है। अगर तुम अकेले आओगी तो तुम्हेंअच्छे से समझा दूँगा।
ऐसा कहते कहते मैंने उसके नितम्बों पर हाथ फ़ेर दिया। उसका चेहरा एकदम लाल हो गया और उसने हाँ में सिर हिलाया और चलने लगी।
अभी वो दरवाजे पर ही थी कि मैंने उसे आवाज लगाई- श्रेया !
श्रेया- जी?
मैं- कल भी स्कर्ट पहन कर आना।
और वो शरमा कर भाग गई।
अगले दिन एक बजे तक सब नौकर अपना-अपना काम निबटाकर चले गए। मैंने भी दुबारा से नहा-धो कर लोअर और टी-शर्ट पहन ली। मैंने जानबूझ कर लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना।
ठीक 1:25 पर घण्टी बजी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैं तो एकदम से सुन्न ही रह गया। ऐसे लगा जैसे एक परी मेरे सामने खड़ी है। वो सफ़ेद स्कर्ट और नीली टी-शर्ट में थी, उसकी स्कर्ट पैरों तक लम्बी थी, टी-शर्ट में उसके मम्मे एकदम मस्त लग रहे थे, जी कर रहा था कि अभी पकड़ कर दबा दूँ। उसके होंठ एकदम रसीले लग रहे थे। अचानक उसने एक चुटकी बजाई तो मैं जैसे नींद से जागा।
वो बोली- अंदर आऊँ या नहीं?
मैं- माफ़ करना। आओ ! आओ !
वो अंदर आ गई। मैंने उसे सोफ़े पर बिठाया और उसके लिए पानी लेकर आया।
वो बोली- अरे सर, आप क्यों तकलीफ़ कर रहे हैं !
मैं- कोई बात नहीं।
उसने पानी पिया। पानी पीते हुए भी वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। पानी पिलाने के बाद मैं उसे अपने बैडरूम में ले गया जहाँ मेरा कम्प्यूटर रखा था।
वो कम्प्यूटर के सामने वाली स्टूल पर बैठ गई और मैं भी उसके साथ ही उसके बाएँ वाली स्टूल पर बैठ गया। उसे समझाते समझाते कभी मैं उसकी जांघ पर हाथ रख देता तो कभी धीरे से उसके मम्मे को छेड़ देता।
कुछ देर बाद मैंने जानबूझ कर अपने हाथ में पकड़ी हुई पैंसिल नीचे फ़ेंक दी और उसे उठाते वक्त ्जानबूझ कर पेंसिल की नोक उसकी स्कर्ट के नीचे कर दी, इससे पेंसिल के साथ साथ उसकी स्कर्ट भी ऊपर उठ गैइ और उसकी गोरी मखमली जांघे उघड़ कर मेरे सामने आ गई। मैंने उसकी टांगों पर हाथ फ़िरा दिया तो उसकी आँखें बन्द हो गई और उसने शरमा कर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली।
कुछ देर ऐसे ही मैं किसी ना किसी बहाने उसे छेड़ता रहा।
कुछ देर बाद मैं खड़ा होकर उसके पीछे आया और उसके कंधों पर अपने दोनों हाथ रख दिए। उसने आँखें बंद कर ली और होंठों पर जीभ फ़िराने लगी। थोड़ी देर बाद मैं हाथ उसके दोनों मम्मों पर ले आया और धीरे धीरे दबाने लगा। 2-3 मिनट बाद वो भी सिसकारियाँ सी भरने लगी।
कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा पीछे घुमाया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
वाह ! मजा आ गया, ऐसा लगा जैसे मेरे मुँह में शरबत घुल गया हो।
दस मिनट तक मैं ऐसे ही उसके होंठ चूसता रहा। कुछ देर बाद मैंने अपने मुँह में एक कैंडी रख ली और फ़िर से उसे किस करना शुरु कर दिया। किस करते हुए मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। धीरे धीरे मैं कैंडी को हमारे होंठों के बीच ले आया और उसे तब तक चूमता रहा जब तक कैंडी खत्म ना हो गई।
थोड़ी देर बाद जब मैंने उसे छोड़ा तो वो मजाक करते हुए बोली- अरे, कैंडी कहाँ गई?
मैं- अभी बताता हूँ।
और मैंने फ़िर से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
चुम्बन करते हुए मैं उसके पीछे ही खड़ा था। मम्मे दबाते और लगातार चुम्बन करते हुए मैंने उसे खड़ा किया और उसी अवस्था में चलता हुआ मैं बिस्तर पर बैठ गया। उसे मैंने अपनी गोद में बिठा लिया। उस वक्त भी उसकी मेरी तरफ़ पीठ ही थी। मैं उसके मम्मे दबाता रहा और वो सिसकारी भरती रही।
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठ छोड़े और बिस्तर पर लेट गया और उसको भी अपने ऊपर ही लिटा लिया। लोअर में मेरा लण्ड खड़ा उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश सी कर रहा था। उसको भी बहुत मजा रहा था।
कुछ देर बाद मैंने उसके मम्मे छोड़े और लेटे लेटे ही दोनों हाथ उसकी स्कर्ट में डाल दिए। लेकिन मैंने उसकी चूत को नहीं छेड़ा। पहले मैंने उसकी दोनों जांघों को सहलाना शुरु किया। 2-3 मिनट तक मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।
कुछ देर बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर पर रखा तो ऐसे लगा जैसे भट्टी पर हाथ रख दिया हो। उसकी चूत तप रही थी और वो भी बुरी तरह से कांप रही थी।
जब मैंने एक उंगली उसकी पैंटी के अन्दर सरका कर उसकी चूत का जायजा लिया तो पाया कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम फ़ूल की तरह कोमल थी उसकी चूत। कुछ कुछ गीली भी थी। मैं एक ही उंगली से धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहा।
जब मैंने चूत को हल्के से दबाया तो उसमे से कुछ पानी निकल आया जिससे मेरी पूरी उंगली गीली हो गई। मैंने वो उंगली उसके मुँह में डाल दी, वो उसको चाटने लगी। फ़िर तो बस यही सिलसिला चल निकला। 4-5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, मैंने उसे खूब उसकी चूत का रस चटवाया।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर सीधा करके लिटा दिया। मैं उसके ऊपर सीधा लेट गया और उसके होंठों पर चूमने लगा। 3-4 मिनट चुम्बन करने के बाद मैं बैठ गया और अपना सिर उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया।
धीरे धीरे मैं उसकी दोनों टांगों को चाटने लगा और अपने हाथों से उसकी जांघों को सहलाने लगा। उसका पूरा शरीर बुरी तरह से कांपने लगा, वो सिसकारियों पर
सिसकारियाँ भर रही थी।
धीरे धीरे मैं थोड़ा ऊपर आया और उसकी जांघें चाटने लगा। साथ साथ मैं उसके मम्मे भी दबा रहा था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने दुनिया भर का नशा कर लिया हो। एक
तो उसका पूरा बदन फ़ूल की तरह कोमल था, दूसरे उसकी चूत के रस की मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत पर फ़िरानी शुरु कर दी। जैसे जैसे मैं अपनी जीभ फ़िरा रहा था, वैसे वैसे उसकी उसकी सिसकारियाँ भी तेज हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैंटी दांतों से नीचे की और उसकी चूत पर हल्के से चूमा फ़िर अपने दोनों हाथ नीचे ले जाकर उसकी पैंटी को नीचे करके घुटनों तक उतार दिया और उसकी चूत को मैंने अच्छी तरह से निहारा, एकदम गुलाब जामुन की तरह लग रही थी, चूत का दाना बुरी तरह से फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
धीरे धीरे मैंने अपनी जीभ उसके दाने के आसपास फ़िरानी शुरु की और दाने के आसपास जो पानी था वो चाटने लगा। उसने अपनी दोनों टांगों को स्कर्ट पहने-पहने ही मेरे सिर के इर्द-गिर्द लपेट दिया और अपने हाथों से मेरे सिर के बालों को जोर जोर से खींचने लगी।
मैंने अपना पुरा मुँह खोला, जीभ सीधी की और मुँह उसकी चूत पर लगा दिया।
और यह क्या?
उसका पूरा शरीर ऐसे कांपने लगा जैसे बिजली का झटका लग गया हो और वो झर झर झड़ने लगी। सारे का सारा पानी मेरे मुँह में ही गया।
वाह! क्या स्वाद था। एक दम खट्टा सा।
हम दोनों एक दम नशेड़ी लग रहे थे, हम दोनों की आँखें बंद थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना सिर बाहर निकाला। अभी मैं सीधा भी नहीं हुआ था कि उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। साथ ही साथ वो अपनी गाण्ड को उठाकर स्कर्ट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ रही थी। मैंने अपनी लोअर नहीं उतारी थी फ़िर भी मुझे इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ।
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मैंने बिस्तर पर खड़े होकर अपनी लोअर उतार दी। टी-शर्ट नहीं उतारी क्योकि सुना है कि सारे कपड़े उतार कर सेक्स करने का मजा नहीं आता। उसकी भी मैंने सिर्फ़ पैंटीही उतारी, स्कर्ट और टी-शर्ट नहीं उतारा। फ़िर मैं बेड पर बैठ गया और उसे अपनी गोद में बिठा लिया। वो एक दम फ़ुल की तरह हल्की थी। मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ रख कर उसे ऊपर उठाया और अपने लण्ड पर बैठा लिया। पर लण्ड उसकी चूत में जा ही नहीं रहा था क्योंकि वो कुँवारी थी।
मैंने उसे बोला- मैं तेल की शीशी लेकर आता हूँ। अगर ऐसे ही डाल दिया तो तुम्हें बहुत दर्द होगा।
श्रेया - सर, अब कंट्रोल नहीं होता। अब ऐसे ही डाल दीजिए।
ऐसा कहते कहते वो खुद ही मेरे लण्ड पर बैठ कर जोर लगाने लगी। तो मैंने भी उसकी गाण्ड पकड़ कर जोर का धक्का दिया। आधा इंच लण्ड उसके अंदर था। वो चीखने लगी। पर मैं रुका नहीं। चार पाँच झटकों में पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर डाल दिया। उसका चीख चीख कर बुरा हाल था। थोड़ी देर बाद वो सामान्य हुई तो मैंने उसकी गाण्ड को उठाकर धक्के देने शुरु कर दिए।
उसे भी अब मजा आ रहा था, वो चिल्ला रही थी- और तेज सर, और तेज ! आह…… मजा आ रहा है, फ़क मी सर, फ़क मी।
उसे चोदते चोदते मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसे बुरी तरह चूसने लगा। उसने अपनी टी-शर्ट नीचे कर ली। यानि मेरा सिर अब उसकी टी-शर्ट के अंदर था। धक्के लगाते लगाते मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गाण्ड में डाल दी। उसकी एक चीख निकल गई पर वो रुकी नहीं ओर ना ही मैं रुका। मैं धक्के पर धक्का लगा रहा था। उसकी चूत के पानी और खून से मेरी जांघें भर चुकी थी। पर इससे मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।
12-13 मिनट के बाद वो तीसरी बार झड़ी। अब वो रुकने की प्रार्थना करने लगी। मैंने सोचा कि अब अगर रुक गया तो मैं कैसे झड़ुँगा? तो मैंने उसे चोदते चोदते ही बिस्तर की चादर के नीचे से एक बबल गम निकाली और रैपर समेत ही उसके मुँह में डाल दी। वो मुझे मेरे एक दोस्त ने दी थी। उससे शरीर की सारी गर्मी कुछ मिनटों में ही निकल जाती है। पर उसे लगा कि ये पहले की तरह ही कोई आम कैंडी है। वो उसे मजे ले लेकर चबाने लगी। एक मैंने अपने मुँह में भी डाल ली क्योकि मैं मजे का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
थोड़ी देर बाद हम दोनों का शरीर पूरी तरह लाल हो गया। वो भी अब मुझसे ज्यादा जोर से धक्के लगाने लगी और साथ साथ चिल्ला भी रही थी- ओह, फ़क मी, हेल्प मी, सर। आई लव यू सर।
नीचे उसका झड़ झड़ कर बुरा हाल था। चादर भी गीली हो गई। आखिर के समय तो हम दोनों जैसे मशीन ही बन गए थे। मैं भी उस समय उसे चोदते चोदते तीन बार झड़ा। उसके झड़ने की तो कोई गिनती ही नहीं थी। जैसे ही मैं चौथी बार झड़ा तो मैंने उसे बेड पर लिटाया और खुद उसके ऊपर गिर प्ड़ा। उस गीले बेड पर लेटने के बाद भी हम दोनों गहरी नींद में सो गए।
एक घण्टे बाद मेरी आँख खुली। वो अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया और बड़ी मुश्किल से उसे खड़ा किया। उसकी चूत सूज कर सेब बन चुकी थी। किसी तरह उसे सहारा देकर मै बाथरुम में लेकर आया। बाथरुम में हम दोनों ने इकट्ठे ही पेशाब किया और फ़िर इकट्ठे ही नहाए। फ़िर मैंने चादर भी धो दी।
उसके बाद हम दोनो ने काफ़ी के दो दो मग पिए।
फ़िर मैं उसे बाहर तक छोड़ने आया और बोला- अगली बार अपनी सहेली को भी लेते आना। हम दोनों मिलकर उसे कम्प्यूटर सिखाएंगे।
उसने जोर से मेरे होंठो पर चूमा और बाय करती हुई चली गई।
Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
कैसीमेरीदीवानगी
मेरी उम्र तेतीस साल है, इस उम्र में भी मेरा अंग-अंग खिला हुआ है, अभी भी मेरे जिस्म से जवानी वाली खुशबू निकलती है।
मैं जन्म से एक गाँव की हूँ, अपनी चालाक माँ की तरह मैं एक बहुत चालाक लड़की निकली थी, लड़के क्या मुझे फ़ंसाएँगे, मैं उनको अपने जाल में फ़ंसाना जानती हूँ। मैं अभी-अभी एक बच्चे की माँ बनी हूँ, दस महीने पहले !
मेरा चुदना स्कूल से चालू हो गया था, संस्कार ही वैसे थे, पापा के विदेश जाने के बाद और फिर चाचा भी पीछे-पीछे विदेश च्ले गए। पीछे मटरगश्ती के लिए दो बला की खूबसूरत बीवियाँ छोड़ गए मेरे बापू और चाचू यानि मेरी माँ और चाची ! खर्चा वहाँ से आता था लेकिन बिस्तर यहीं किसी और के संग सजाती थी दोनों !
वैसे तो मैं काफ़ी छोटी थी जब एक लड़के ने मुझ पर हाथ फेरा था, तब मेरी छाती पर नींबू थे, उसका नहीं मेरा कसूर था, फिल्में देखदेख मेरा भी मन फ़िल्मी बन गया था। वो बेचारा तो मुझसे भागता था मगर मैं उसके पीछे पड़ गई हाथ धोकर, जब उसका जवाब नहीं मिला तो एक दिन मैं उसके घर चली गई। वो मेरा पड़ोसी था, अकेला घर था, मैंने उसका कालर पकड उसको खींचा और कहा- लड़का है या पत्थर? एक लड़की तुझे खुद प्यार करना चाहती है और तू है कि बस देखता ही नहीं?
" तुम अभी बहुत छोटी हो!"
" कौन कहता है? कहाँ हूँ छोटी?"
उठक र उसके होंठ चूम लिए और बोली- देखो, मुझे सब कुछ पता है कि लड़का लड़की को क्या करता है।
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, वो गुस्सा होने लगा तो मैंने फ्रॉक उठाकर कहा- यह देखो यहाँ भी बाल आने लगे हैं!
मैं बिनापैन्टीकेथी।
" तू पागल हो गई क्या?"
मैंने ज़बरदस्ती उससे हाथ फिरवाया लेकिन बाद में वो बहुत पछताता रहा कि क्यूँ उसने मेरी पतंग की डोर छोड़ी। वो मुझे हवा में उड़ाना चाहता था लेकिन मैं औरों से उड़ने लगी थी।
धीरे धीरे नींबू अब अनार बन गए, वो भी रसीले ! मैं खुले आम लड़कों को लाइन देती थी, सभी मेरी इस अदा के दीवाने बन गए। कुछ ही दिनों में अनारों के आम बन गए वो भी तोतापरी, क्यूं कि तोतापरी आगे से तिरछे होते हैं, मेरे चूचूक भी तोतापरी बन गए थे।
हम तीन सहेलियाँ थी, जब अकेली बैठती तो एक दूसरी की स्कर्ट उठवाकर चूतों को देखती। गुड़िया और कम्मो की चूत मेरी चूत से थोड़ी अलग थी, उनकी झिल्ली बाहर दिखने लगी थी, वहीं मेरी झिल्ली लटकती नहीं थी।
तभी हमारे स्कूल में मर्द स्पोर्ट्स टीचर आये, पहले हमेशा कोई औरत ही उस पोस्ट पर आती थी।
उस को नई-नई नौकरी मिली थी, बहुत खूबसूरत था, स्मार्ट था, हम लड़कियों ने उसका नाम चिपकू डाल दिया क्योंकि वो किसी न किसी मैडम से बतियाता रहता था।
उधर मैं उस पर जाल फेंकने लगी, उसको अपनी जान बनाने के लिए ! मैं स्टुडेंट, वो टीचर था लेकिन मेरी ख़ूबसूरती उस पर हावी पड़ने लगी, वो जान गया था कि मैं उस पर फ़िदा हुई पड़ी हूँ। हमारा स्कूल सिर्फ लड़कियों का था, वो अभी नया था इसलिए भी और वैसे भी अपनी रेपो बनानी थी तो वो मुझसे दूरी बनाकर रख रहा था मगर मुझे उस पर मर मिटना था, कच्ची उम्र की मेरी नादान दीवानगी ने मेरे दिमाग पर पर्दा डाल रखा था।
लेकिन वो भी मुझे चाहता है, यह मैं जानती थी। छुटी के वक़्त वो सबसे बाद में हाजरी लगाता था।
एक दिन जब सारे टीचर चले गये, मैं तब भी अपनी क्लास में बैठी रही, जब वो स्पोर्ट्स रूम बंद करके आया, मैं क्लास से निकली। मुझे देख वो थोड़ा हैरान हुआ।
" गुड आफ्टरनून सर!" मैंने कहा।
उसने भी जवाब दिया। स्कूल में और कोई नहीं था, मैं उसकी इतनी दीवानी हो गई थी कि मैं उसके पीछे दफ़्तर में चली गई।
" तुम घर क्यूँ नहीं जाती?"
" आप जब सब जानते हैं तो फिर यह सवाल क्यूँ?"
" देख, मैं यहाँ नया हूँ, क्यूँ मेरी बदनामी करवाना चाहती है सबके सामने?"
" कौन है यहाँ? और आप बताओ, कभी स्कूल टाइम मैंने आपको कुछ कहा है?"
मैंने अपना बैग परे रख दिया, उसके करीब गई, बिल्कुल सामने उनके कंधे को पकड़ते हुए उनके सीने से लग गई।
वो परेशान हो गया था, मैंने दोनों बाहें अब कस दी। मेरी जवानी का दबाव पड़ता देख वो पिंघलने लगा, उसने भी मेरी पीठ पर हाथ रख लिए, उसके हाथ रेंगने लगे थे।
मेरी दीवानगी मालूम नहीं कैसी है, हालाँकि यह मेरा ऐसा दूसरा अवसर था।
मैंने अपने अंगारे सेत पर हे होंठ उसके होंठ पर लगाए तो वो और पिंघल गया, उसने अपना हाथ मेरी कमीज़ में घुसा दिया और मेरे एक मम्मे को दबाया।
यह पहली बार था कि मेरे मम्मा दबाया गया, मैंने उसके सर पर दबाव डाला अपने मम्मों पर ताकि वो मेरे मम्मे चूसे और निप्पल चूसे।
वो वैसा ही करने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लौड़े पर रख दिया। किसी आहट सुन अलग हुए, मैं प्रिंसिपल के निजी वाशरूम में घुस गई और वो वहीं बैठ रजिस्टर कर पन्ने पलटने लगा।
वो स्कूल का चौकीदार था, जब वो गया तो हम वहाँ से निकले और उसने अपना कमरा दुबारा खोला, मैं भाग कर उस में घुस गई।
उसने मुझे बिठाया और खुद बाहर गया, जाकर चौकी दार से कहा कि दफ्तर वगैरा बंद करदे, मैं अपना थोड़ रजिस्टर का काम पूरा करके जाऊँगा।
वो वापिस आया, मैंने दोनों बाहें उसके गले मेंडा लदी और उसके होंठ चूमने लगी। उसने मेरी शर्ट उतार और फिर ब्रा को खोला, मेरे दोनों मम्मों को चूसने लगा।
मैंने भी उसकी जिप खोलदी, उसने बाकी काम खुद किया, लौड़ा निकाल लिया, पहली बार जोबन में पहला लौड़ा पकड़ा और वहीं बैठकर चूसने लगी।
बहुत सुना था लौड़ा चुसाई के बारे में ! सर का लौड़ा था भी मस्त ! खूब चूसा और फिर टांगें खोल दी। ये सब बातें भाभी से सुनी थी, अपनी कज़न भाभी से !
जब सर ने झटका दिया, मेरी चीख निकल गई लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया। यह फैसला मेरा था, मुझे मालूम था कि पहली बार दर्द होगा, उसके बाद मजा ही आता है और मर्द मुट्ठी में आ जाता है।जल्दी मुझे बहुत मजा आने लगा।
उस दिन जब मैं स्कूल से निकली तो बहुत खुश थी। मैं कलि से फूल बन गई थी और अपनी दीवानगी की हद पूरी कर ली थी। अपनी सर को पटाने वाली जिद पूरी की !
मेरी उम्र तेतीस साल है, इस उम्र में भी मेरा अंग-अंग खिला हुआ है, अभी भी मेरे जिस्म से जवानी वाली खुशबू निकलती है।
मैं जन्म से एक गाँव की हूँ, अपनी चालाक माँ की तरह मैं एक बहुत चालाक लड़की निकली थी, लड़के क्या मुझे फ़ंसाएँगे, मैं उनको अपने जाल में फ़ंसाना जानती हूँ। मैं अभी-अभी एक बच्चे की माँ बनी हूँ, दस महीने पहले !
मेरा चुदना स्कूल से चालू हो गया था, संस्कार ही वैसे थे, पापा के विदेश जाने के बाद और फिर चाचा भी पीछे-पीछे विदेश च्ले गए। पीछे मटरगश्ती के लिए दो बला की खूबसूरत बीवियाँ छोड़ गए मेरे बापू और चाचू यानि मेरी माँ और चाची ! खर्चा वहाँ से आता था लेकिन बिस्तर यहीं किसी और के संग सजाती थी दोनों !
वैसे तो मैं काफ़ी छोटी थी जब एक लड़के ने मुझ पर हाथ फेरा था, तब मेरी छाती पर नींबू थे, उसका नहीं मेरा कसूर था, फिल्में देखदेख मेरा भी मन फ़िल्मी बन गया था। वो बेचारा तो मुझसे भागता था मगर मैं उसके पीछे पड़ गई हाथ धोकर, जब उसका जवाब नहीं मिला तो एक दिन मैं उसके घर चली गई। वो मेरा पड़ोसी था, अकेला घर था, मैंने उसका कालर पकड उसको खींचा और कहा- लड़का है या पत्थर? एक लड़की तुझे खुद प्यार करना चाहती है और तू है कि बस देखता ही नहीं?
" तुम अभी बहुत छोटी हो!"
" कौन कहता है? कहाँ हूँ छोटी?"
उठक र उसके होंठ चूम लिए और बोली- देखो, मुझे सब कुछ पता है कि लड़का लड़की को क्या करता है।
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, वो गुस्सा होने लगा तो मैंने फ्रॉक उठाकर कहा- यह देखो यहाँ भी बाल आने लगे हैं!
मैं बिनापैन्टीकेथी।
" तू पागल हो गई क्या?"
मैंने ज़बरदस्ती उससे हाथ फिरवाया लेकिन बाद में वो बहुत पछताता रहा कि क्यूँ उसने मेरी पतंग की डोर छोड़ी। वो मुझे हवा में उड़ाना चाहता था लेकिन मैं औरों से उड़ने लगी थी।
धीरे धीरे नींबू अब अनार बन गए, वो भी रसीले ! मैं खुले आम लड़कों को लाइन देती थी, सभी मेरी इस अदा के दीवाने बन गए। कुछ ही दिनों में अनारों के आम बन गए वो भी तोतापरी, क्यूं कि तोतापरी आगे से तिरछे होते हैं, मेरे चूचूक भी तोतापरी बन गए थे।
हम तीन सहेलियाँ थी, जब अकेली बैठती तो एक दूसरी की स्कर्ट उठवाकर चूतों को देखती। गुड़िया और कम्मो की चूत मेरी चूत से थोड़ी अलग थी, उनकी झिल्ली बाहर दिखने लगी थी, वहीं मेरी झिल्ली लटकती नहीं थी।
तभी हमारे स्कूल में मर्द स्पोर्ट्स टीचर आये, पहले हमेशा कोई औरत ही उस पोस्ट पर आती थी।
उस को नई-नई नौकरी मिली थी, बहुत खूबसूरत था, स्मार्ट था, हम लड़कियों ने उसका नाम चिपकू डाल दिया क्योंकि वो किसी न किसी मैडम से बतियाता रहता था।
उधर मैं उस पर जाल फेंकने लगी, उसको अपनी जान बनाने के लिए ! मैं स्टुडेंट, वो टीचर था लेकिन मेरी ख़ूबसूरती उस पर हावी पड़ने लगी, वो जान गया था कि मैं उस पर फ़िदा हुई पड़ी हूँ। हमारा स्कूल सिर्फ लड़कियों का था, वो अभी नया था इसलिए भी और वैसे भी अपनी रेपो बनानी थी तो वो मुझसे दूरी बनाकर रख रहा था मगर मुझे उस पर मर मिटना था, कच्ची उम्र की मेरी नादान दीवानगी ने मेरे दिमाग पर पर्दा डाल रखा था।
लेकिन वो भी मुझे चाहता है, यह मैं जानती थी। छुटी के वक़्त वो सबसे बाद में हाजरी लगाता था।
एक दिन जब सारे टीचर चले गये, मैं तब भी अपनी क्लास में बैठी रही, जब वो स्पोर्ट्स रूम बंद करके आया, मैं क्लास से निकली। मुझे देख वो थोड़ा हैरान हुआ।
" गुड आफ्टरनून सर!" मैंने कहा।
उसने भी जवाब दिया। स्कूल में और कोई नहीं था, मैं उसकी इतनी दीवानी हो गई थी कि मैं उसके पीछे दफ़्तर में चली गई।
" तुम घर क्यूँ नहीं जाती?"
" आप जब सब जानते हैं तो फिर यह सवाल क्यूँ?"
" देख, मैं यहाँ नया हूँ, क्यूँ मेरी बदनामी करवाना चाहती है सबके सामने?"
" कौन है यहाँ? और आप बताओ, कभी स्कूल टाइम मैंने आपको कुछ कहा है?"
मैंने अपना बैग परे रख दिया, उसके करीब गई, बिल्कुल सामने उनके कंधे को पकड़ते हुए उनके सीने से लग गई।
वो परेशान हो गया था, मैंने दोनों बाहें अब कस दी। मेरी जवानी का दबाव पड़ता देख वो पिंघलने लगा, उसने भी मेरी पीठ पर हाथ रख लिए, उसके हाथ रेंगने लगे थे।
मेरी दीवानगी मालूम नहीं कैसी है, हालाँकि यह मेरा ऐसा दूसरा अवसर था।
मैंने अपने अंगारे सेत पर हे होंठ उसके होंठ पर लगाए तो वो और पिंघल गया, उसने अपना हाथ मेरी कमीज़ में घुसा दिया और मेरे एक मम्मे को दबाया।
यह पहली बार था कि मेरे मम्मा दबाया गया, मैंने उसके सर पर दबाव डाला अपने मम्मों पर ताकि वो मेरे मम्मे चूसे और निप्पल चूसे।
वो वैसा ही करने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लौड़े पर रख दिया। किसी आहट सुन अलग हुए, मैं प्रिंसिपल के निजी वाशरूम में घुस गई और वो वहीं बैठ रजिस्टर कर पन्ने पलटने लगा।
वो स्कूल का चौकीदार था, जब वो गया तो हम वहाँ से निकले और उसने अपना कमरा दुबारा खोला, मैं भाग कर उस में घुस गई।
उसने मुझे बिठाया और खुद बाहर गया, जाकर चौकी दार से कहा कि दफ्तर वगैरा बंद करदे, मैं अपना थोड़ रजिस्टर का काम पूरा करके जाऊँगा।
वो वापिस आया, मैंने दोनों बाहें उसके गले मेंडा लदी और उसके होंठ चूमने लगी। उसने मेरी शर्ट उतार और फिर ब्रा को खोला, मेरे दोनों मम्मों को चूसने लगा।
मैंने भी उसकी जिप खोलदी, उसने बाकी काम खुद किया, लौड़ा निकाल लिया, पहली बार जोबन में पहला लौड़ा पकड़ा और वहीं बैठकर चूसने लगी।
बहुत सुना था लौड़ा चुसाई के बारे में ! सर का लौड़ा था भी मस्त ! खूब चूसा और फिर टांगें खोल दी। ये सब बातें भाभी से सुनी थी, अपनी कज़न भाभी से !
जब सर ने झटका दिया, मेरी चीख निकल गई लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया। यह फैसला मेरा था, मुझे मालूम था कि पहली बार दर्द होगा, उसके बाद मजा ही आता है और मर्द मुट्ठी में आ जाता है।जल्दी मुझे बहुत मजा आने लगा।
उस दिन जब मैं स्कूल से निकली तो बहुत खुश थी। मैं कलि से फूल बन गई थी और अपनी दीवानगी की हद पूरी कर ली थी। अपनी सर को पटाने वाली जिद पूरी की !