एक वेश्या की कहानी compleet

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lalaora
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Posts: 36
Joined: 07 Nov 2014 14:55

Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by lalaora » 08 Nov 2014 21:38

Pls update regularly

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 23:31

lalaora wrote:Pls update regularly


befikar raho dost aapke comment aate rahenge update regularly milte rahenge

ye to mere khajaane me se ek bund ke baraabar ka data nikla hai
agar aap logo ka saath raha to masti hi masti rahegi

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 21:17


एक वेश्या की कहानी--6
गतान्क से आगे.......................
उसने मुझे टोका था- मेरे मोबाइल से लगा लो.

मैने कहा नही मुझे कुछ पर्सनल बातें करनी है, और उस वक़्त उसका चेहरा देखने लायक था.

खैर उस दिन वो मुझे बाहर घुमाने लाया था. मेरी भी उस दिन की छुट्टी थी तो मैं चाची से पूछकर उसके साथ चल दी. और अब जब वो मेरा टेबल पर इंतज़ार कर रहा कॉफी पी रहा है तो मैं लगी हू फोन बूथ पे.

फोन तो राज को लगा और मैं उसे नखरीले अंदाज से आक्टिंग करके फोन रखा और बाहर चली आई. और आकर उसके सामने वाली सीट पर बैठ गयी और उसे कहा-

राज का तो आज कोई बिज़्नेस डिन्नर है…… और ये कहकर अपनी कॉफी पीने लगी.

अमित- तो फिर हम तो कर ही सकते है.

मैं बोली- हां बिल्कुल, मेरी तरफ से हो जाए, इतना तो मैने कमा ही लिया है.

उसने कहा- बिल्कुल नही, मैं तुम्हारे राज के जैसे थोड़े ही हू.

मैं नाराज़गी जताते हुए खड़ी हुई और उसे बोली- सेलर इस तरह से उसके लिए बातें मत करो.

राज बहुत प्यारा है और हम एक-दूसरे को बेहद प्यार करते है…..और ये कहकर मैं वहाँ से जाने लगी.

अमित- ठीक है2….गुस्सा मत हो......नही करूँगा.
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एक शानदार रेस्टोरेंट के आलीशान टेबल पर बैठे मैं और अमित डिन्नर के लिए आए थे.

अमित- तुम इस तरह से कब तक अपनी जींदगी जीओगी ?

मैं- जबतक मैं राज के लिए पर्याप्त पैसे ना कमा लू और हमारी शादी ना हो जाए तबतक.

अमित- कंग्रॅजुलेशन्स !

मैं- थॅंक्स.

मैं- तुम्हारी ट्रैनिंग कब ख़त्म होगी ?

अमित- 1 महीना और, फिर सीधे समुंदर….शायद कोई फिशिंग बोट पे…वहाँ से ढेर सारी मछलियों को पकड़ कर यहाँ लाउन्गा.

मेरे हाथ मे मछली का टुकड़ा देख कर वो बोला- हो सकता है ये भी वही की हो.

हम वहाँ बैठ कर बातें कर ही रहे थे के तभी, वहाँ एक कपल आया जिसे देख कर मैं हैरान रह गयी.

अमित- वो औरत कौन है ?

मैं- मैं पता करके आती हू….मैने उस औरत की तरफ देखते हुए कहा और उसकी तरफ उठकर चल पड़ी.

जिस टेबल पे वो बैठे थे उस टेबल के पास जाकर खड़ी हुई और मुझे देखते साथ राज के पसीने छूट गये जो उस औरत के साथ आया था.

राज- तुम यहाँ क्या कर रही हो ?

मैं – तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?….तुम्हारा तो आज कोई बिज़्नेस डिन्नर था ना ?

राज- हां बिल्कुल सही, ये मोहतार्मा इच्छुक है मेरे बिज़्नेस मे…..उसने उस औरत की तरफ देखते हुए कहा.

वो औरत बहुत रहीस और खानदानी मालूम पड़ रही थी…उसने मेरी ओर देखते हुए राज से पूछा-

ये कौन है ?

मैं- मैं इसकी मंगेतर हू.

वो मेरी ओर मुस्कुराते हुए बोली- पर राज और मैं तो लगभग तीन सालों से एक-दूसरे के साथ है ! क्यू राज......... और उसे घूर कर देखने लगी.

मैं राज से- कह दो कि ये झूट है राज !

राज – मैं तुम दोनो को सब कुछ समझा सकता हू.

और वो औरत गुस्से मे वहाँ से उठी और राज को चिल्लाते हुए बोली- धोकेबाज़ !..........और वहाँ से जाने लगी.

राज- रागिनी सुनो तो, मैं तुम्हे सब कुछ समझा सकता हू.

राज ने मेरी तरफ देखा और फिर दौड़कर उस औरत के पीछे जाने लगा- रूको मैं तुम्हे सब समझाता हू.

मैं अपने आँसू, अपने गम, अपना टूटा हुआ दिल लेकर वापस अमित के पास आकर टेबल पर बैट गयी और फुट-फूटकर रोने लगी.

अमित- मेरे गालों को सहलाते हुए…चलो भी, अब परेशान मत हो……वैसे भी तुम उसके बिना ही अच्छी भली हो. अच्छा हुआ जो तुमने उसे छोड़ दिया.

मैने उसके एक हाथ अच्छे ज़ोर से अपने दोनो हाथों मे पकड़ लिया और अपने आँसू बहाने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरे आँसू पोछता रहा.

आज अगर उस वक़्त अमित का सहारा ना होता तो शायद मैं कब की टूट कर बिखर गयी होती, आख़िर जिसके लिए मैने अपनी जींदगी का इतना अहम फ़ैसला लिया या यू कहु के अपनी जींदगी कुर्बान कर दी, उसी ने मुझे इतना बढ़ा धोका दिया. आज राज की इस करतूत से मेरा दिल छलनी हो गया. अमित ना होता तो शायद उसी रेस्टोरेंट मे मेरी लाश पड़ी होती.

आज अमित का बहुत बढ़ा सहारा मिला मुझे, ऐसा लगा जैसे मैं उसके एहसान तले दब गयी हूँ.

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हम अमित के घर आ पहुचे. मैं अब भी अमित के सहारे खड़ी थी. वो भी मुझे धाँढस बँधा रहा था. पता नही कैसे मेरे होठ उसके होठों तक पहुच गये और हमारे बीच किसिंग शुरू हो गयी.

मैं आज उस किसिंग मे अपनी सारी यादें, सारे गम, सारे दुख दूर कर देना चाहती थी.

और मैं खो गयी अमित के साथ उस किसिंग मे. अमित भी मेरा खुलकर साथ देने लगा था.

हम एक दूसरे को 10 मिनिट ऐसे ही किस करते रहे और उसने मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया. उसके हाथ मेरे स्तन से खेल रहे थे. मेरी योनि गीली होती जा रही थी.

मैने धीरे से उसके लंड के उप्पर हाथ रखा तो पाया कि वो बिल्कुल कड़क हो चुका था जैसे एक लोहे की रोड हो. उसने मेरे फ्रॉक के बटन खोल दिए और किस करते करते मेरे स्तन को चाटना शुरू कर दिया. फिर उसने मेरे निपल्स को अपने मूह मे लिया और चूसने लगे जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो. मैं तो सातवे आसमान मे थी.

मैं कहने लगी कि और ज़ोर से चूसो तुम्हारे ही हैं. वो एक हाथ से मेरे एक स्तन को दबा रहा था और एक स्तन को ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था. मेरे मूह से आह अहहहह अहहाहकी आवाज़े आ रही थी. फिर उसने दूसरा स्तन चूसना शुरू किया और पहले वाले को दबा ने लगा. मुझे उसने वहीं सोफे पे लेटा दिया और धीरे धीरे पेट और नाभि पे किस करने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि मैं आज इस सेक्स गेम मे राज को पूरी तरह भुला के अमित के रंग मे रंगना चाहती थी.

राज की ऐसी हरकत से मैं बहुत बुरी तरह से आहत हुई थी और अमित मेरे उस ज़ख़्म का बहुत आच्छे तरीके से इलाज़ कर रहा था. आज तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो जन्नत मिल गयी हो. फिर उसने मेरे योनि को किस किया तो मुझे 10000 वॉल्ट का करेंट लगा और मैं झाड़ गयी. क्यों कि अमित की हर्कतो से मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. अब वो मेरे योनि को किस करे जा रहा था और उसने अपनी पहले एक उंगली और फिर दूसरी उंगली भी डाल दी और उंगली से चुदाई शुरू कर दी.

और फिर उसने मेरे योनि पे अपने जीभ रख दी और मेरी योनि मे जीभ डाल के चोद्ना शुरू कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आया. मैने धीरे से उसका शॉर्ट नीचे कर दिया और उसका रोड जैसा लंड फन फनता हुआ बाहर आ गया. मैने एक दम उसका लंड अपने मूह मे ले लिया और हम 69 पोज़िशन मे आ गये. वो मेरे योनि को अपने जीभ से चोद्ते जा रहा था और मैं उसका लंड चूस रही थी. इतना लंबा और मोटा हो गया था कि मेरे मूह मे आ नही रहा था पर फिर भी मैं अंदर तक ले रही थी.

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