सीता --गाँव की लड़की शहर में compleet

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The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:13

सीता --एक गाँव की लड़की--25

श्याम के जाते ही मैं पूजा पर चढ़ गई और उसके गाल काटती हुई बोली,"हाय मेरी बहना, ये क्या हो गया....हम लोग एक निवाला को तरस रहे थे, वहीं अब पूरी थाली मिल गई.."

पूजा चीखती हुई हंसी और बोली,"यस दीदी जी, अब तो बाहर भी मस्ती और अंदर भी..." फिर हम दोनों एक जोरदार किस किए...काफी देर बाद किस रूकी तो मैं उठी और बोली,"अब अपनी बूर की जुगाड़ कर के आती हूँ...तब तक तुम नंगी हो जा मेरी बुल्लो..."

पूजा ओके कहती हुई कपड़े खोलने लग गई और मैं बाहर दूसरे रूम की तरफ चल दी जहां मेरे पति के साथ अंकल सो रहे थे, उन्हें जगाने...

अंकल बेसुध हो पड़े लम्बी लम्बी खर्राटे भर रहे थे जबकि श्याम दूसरी तरफ मुँह किए सोने का नाटक कर रहे थे..मैंने धीमे से अंकल के पास बैठते हुए झुकी और अपने दांत अंकल के गालों पर भिड़ा दी...

श्याम अगर नहीं जानते तो मैं कभी हिम्मत नहीं करती ऐसा करने की, पर अब तो डर नाम की कोई चीज तो बची ही नहीं थी..मेरे दांत गड़ते ही अंकल हड़बड़ कर "कौन है" कहते हुए उठ बैठे...जिसे देख मैंने फौरन अपने हाथ अंकल के मुँह पर रख दी और बोली,"अंकल...मैं सीता. चलो उस रूम में.. "

अंकल मुझे देख हैरानी से उनकी आँखें फट गई..वे कभी सोए श्याम को देखते तो कभी मेरी तरफ...उन्हें ऐसा देख मैंने उनकी बाँह कस के पकड़ी और खींचते हुए इस रूम में ले आई...

रूम में आते ही मैं उनसे कस के लिपट गई और अपने होंठ उनके होंठ पर रखती बेतहाशा चूमने लगी...अंकल को कुछ समझ नहीं आ रही थी कि आखिर ये हो क्या रहा है..पर कब तक समझने की कोशिश करते...आखिर वे दिमाग चलाना छोड़ अपने जीभ मेरे मुँह के अंदर चलाने लगे...

तभी एक और जीभ मेरे गालों से सटती हम दोनों के होंठों के बीच आ गई..ये पूजा थी..अंकल ने पूजा को अपनी ओर भींच जगह दे दिए और अब हम तीनों अपनी - 2 जीभ टकरा के खेल रहे थे...

और अंकल के दोनों हाथ बारी-2 से हम दोनों की चुचिया मसल रहे थे...चुसाई के बीच चुची में हो रही दर्द से हम दोनों आनंदमयी मस्ती की गली में घूम रही थी...अचानक अंकल हम दोनों को अलग किये और अपने तन पर की एक-दो कपड़े खोल दिए...

बस फिर क्या था..अंकल के आदेश का इंतजार किए बिना ही मैं और पूजा एक-साथ नीचे उनके विशाल लंड की तरफ लपकी...सच काबिल-ए-तारीफ था अंकल का लंड..एकदम लोहे की तरह कड़क...ऊपर टमाटर इतनी बड़ी लाल सुपाड़ा...साइज करीब 9 इंच...

मैं हाथ में जैसी ही ली कि मेरी बुर से कामरस टपकने लगी..और मेरी जीभ से लार टपकने लगी...अनायासतः अंकल के हाथ मेरे सर को हल्के दबाव देने लगे...

बदले में मैं किसी चुम्बक की तरह लोहे की तरफ खिंचती चली गई और अब मेरे मुँह के अंदर गरम गरम रॉड समाई हुई थी...काफी उत्तेडक दृश्य थी...पूजा नीचे से आधे लंड को जीभ से सेवा दे रही थी और मैं जितनी तक हो सकी अंदर की हुई सेवा कर रही थी...

ऊपर अंकल आकाश की तरफ मुँह किए आहें भर रहे थे...काफी देर तक अंकल को हम दोनों एक पर एक तरीके से मुँह से सुख दे रहे थे...अब शायद अंकल की सहन शक्ति जवाब देने वाली थी...अचानक वे पूजा को एक तरफ कर दिए और मेरे बाल पकड़ कर तेज तेज शॉट मारने लगे...हचाक...हचाक की तेज आवाजों के साथ मेरी आँखें निकलने लगी और मेरी गले की नस नस खींचने लगी थी...

आँखों से आँसू की धार फूट कर बाहर निकलने लगी थी...पर अंकल इन सब चीजों को अनदेखा कर धमाधम मेरी होंठो को चीरते धमाका किए जा रहे थे...मेरे मुँह से ढ़ेर सारी लार बह कर नीचे मेरी पर्वतनुमा चुची से टपकती जमीन पर गिर रही थी और पसीने से नहा गई थी....

तभी अचानक से अंकल अपना लंड बाहर कर लिए और तेज साँसें लेने लगे और मेरी तो जान में जान आ गई...मैं सर नीचे कर हाँफ रही थी...कुछ देर बाद जब थोड़ी शांत हुई तो नजर ऊपर की तो उफ्फ्फ...अंकल का लंड को अब और विकराल लग रहा था...

अंकल अभी झड़े नहीं थे...शायद वो झड़ना नहीं चाहते थे तभी लंड बाहर कर लिए...वर्ना अगर दो धक्के भी और लगते तो वे झड़ जाते...बगल में पूजा अंकल से पूरी तरह वाकिफ अपनी टांगें चौड़ी किए बुर में अंगुली घुसा कर अंदर बाहर कर रही थी और चुची मसल रही थी...

फिर अंकल मुझे उठाए और बेड पर धक्का दे दिए..मैं गिर पड़ी पीछे की तरफ जिससे मेरी टांगे जमीन पर थी और मेरी भींगी हुई चूत बेड के किनारे पर ऊपर की तरफ थी...अंकल मेरे गिरने के साथ ही मुझ पर झुकने लगे और अगले ही पल उनका 9 इंची लंड सटाक से मेरी बुर में समा गया....

मैं "आहहहह श्याम..." करती चिल्ला पड़ी...जिससे डर के मारे अंकल मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिए...सच में इतनी देर से पानी में फूल रही लंड काफी मोटा हो गया था और एक ही बार में पूरा जाने से मेरी बुर तो फट ही गयी थी...मुझे तो अजीब लग रही थी कि लगातार लंड की साईज बढ़ती ही जा रही थी और पहली बार सबके साथ लगती आज ही मेरी सील टूटी है...

कुछ देर तक मेरी निप्पल को दांतों से कुरेद कर मेरी दर्द को कम करते रहे...जब कुछ दर्द कम हुई तो मैं नीचे अपनी बुर को ऊपर कर लंड की रगड़ पाने की कोशिश करने लगी..जिसे अंकल तुरंत समझ गए कि अब सब ठीक है, अब गाड़ी को बढ़ाना चाहिए...

फिर अंकल मेरी चुची पर एक लम्बे चुप्पे मारे और सीधे हो गए...वे इतनी सरलता से सीधे हुए कि उनका लंड आधी इंच भी बाहर नहीं निकली..पर पूरे खड़े नहीं हो पाए थे....

उन्होंने तकिया बगल से खींचा और पूजा की तरफ उछाल दिए...पूजा समझदारी दिखाई और तकिया लेती हुई मेरे निकट आई...तभी अंकल ने मेरी कमर को थोड़ा ऊपर किए..उसी समय पूजा तकिया मेरी गांडं के नीचे घुसा दी...

वॉव...अब अंकल बिल्कुल ही सीधे हो पा रहे थे. .और साथ ही मैं अपनी बुर में घुसे लंड को साफ देख रही थी...तभी अंकल मेरी कमर दोनों हाथों से जकड़ लिए जिससे उनके दोनों अँगूठे मेरी नाभी के पास मिल रही थी...

और फिर अपना लंड बाहर खींचना शुरू किए, जब सिर्फ सुपाड़ा निकलनी बची थी कि तभी रॉकेट की गति से वापस अंदर कर दिए...आउच्च्च...कितनी भयंकर थी ये प्रयोग...मैं कसमसा कर रह गई...

फिर ठीक उसी तरह हौले-2 बाहर निकालना और फिर तड़ाक से अंदर घुसेड़ देना...काफी असहनीय, पर लाजवाब थी मेरे लिए...मेरी बुर की नस नस बिखर जाती थी...ऐसी लग रही थी कि मेरी बुर कतरी जा रही है...

उनके तेज धक्के से मैं बार -2 पीछे की तरफ खिसक जाती थी...मेरी बुर से पानी की पतली धारें निकलनी शुरू हो चुकी थी..मैं आतुर हो गई थी अब लगातार ऐसी ही अपनी बुर को कतरवाऊं...

अंततः मैंने अपने पांवों को मोड़कर अंकल के चूतड़ को जकड़ ली ताकि ना फिसलूं अब...और साथ ही लंड को ज्यादा से ज्यादा अपनी चूत में कर सकूँ...मुझे ऐसा करते देख अंकल मुस्कुराते हुए पूजा की तरफ देखे और...

तभी पूजा झुकती हुई मेरी बुर के पास आई और अपनी जीभ लपलपाती हुई मेरी बुर पर रख दी..जिससे वो मेरी बुर के साथ-2 लंड का भी स्वाद चख रही थी...ऊपर पूजा के हाथ बढ़कर मेरी चुची को मसलने लगी...

और अंकल अपने काम में लग गए...वे धीरे-2 पर लगातार लंड मेरी बुर में चलाने लगे...जिसे पूजा बड़ी सफाई से अंकल के लंड का स्वाद चख रही थी...मैं इस दोहरी मार को नहीं झेल पा रही थी और सिसकी लेती हुई अपने सर बाएँ-दाएँ करने लगी...

कुछ ही पलों में अंकल की स्पीड काफी तेज हो गई....उनका लंड सटासट मेरी बुर को छलनी किए जा रहा था...बीच-2 में उनका लंड पूरा बाहर आ जाता तो अगला शॉट सीधा पूजा के गले में उतर जाती....

ओफ्फ...काफी उत्तेजक थी ये पोजीशन...मैं इस तरह की खेल में नई थी तो झेल नहीं पाई और नदी की बाँध टूट गई...जिसे पूजा कुतिया की तरह चट कर गई...पर अंकल की स्टेमिना लाजवाब थी..वो अब दुनिया से बेखबर लगातार मेरी धज्जियाँ उड़ा रहे थे...

अब तो वे जान बूझकर भी अपना लंड बाहर खींचकर पूजा के मुँह को बूर बना कर पेल देते...5 शॉट पूजा के मुख में तो 10 शॉट मेरी चूत पर लगती...तभी अंकल और जोर से शॉट लगाने लगे, शायद चरम सीमा की तरफ बढ़ रहे थे...

अंकल : "आहहहह...शाबासऽ मेरी पूजाऽ राण्डडडडडऽऽ...ऐसे ही अपने मुँह खोल के रखा कर कुतिया....ओहहहहह...याहहह..याह...याहहह....यस मेरी सीता रानीईईईऽ आज से तू भी मेरी रखैलऽलऽलऽलऽ... है शाली...."

मैं भी अब अपना नियंत्रण खो चुकी थी..अंकल के साथ मैं भी बड़बड़ाने लगी,"हाँ अंकअअलऽऽ मुझे अपनी रखैल बना लोओओओ....रण्डी हूँ आपकी.ई.ई.ई..आहहह याईईई...हाँ अंकललल...ऐसे ही...और जोर से चोदो अपनी कुतिया कोओओ...आहहह.."

इधर पूजा अपने भींगे चेहरे से लगातार मेरी चूत से निकल रही पानी को सोख रही थी...मेरे हाथ अब बढ़ के पूजा के बाल पकड़ कर अंदर बूर की तरफ धकेल रही थी और पूरे कमरे में मेरी और अंकल की चीखें गूँज रही थी...

एक बारगी मेरे मन में इच्छा हुई कि श्याम को देखूं...जरूर गेट पर छुप के देख रहे होंगे...पर आँखें खोली तो सामने अंकल का विशाल मांसल पेट नजर आया...फिर अपनी आँखें बंद कर मस्ती में श्याम को भुला खो गई...

तभी अंकल एक हुंकार से लबालब चीख मारी और बड़बड़ाते हुए मेरी बुर में अपना पानी डालने लगे...

अंकल: "ले रंडी, मेरे लंड का पानी अपनी बुर में लेएएएऽ..आहहहह..पहले तेरी सास की बुर में डालाआआआऽ...फिर तेरी ननद पूजा के बूर मेंऐऐएऽ...और अब तेरी बूर को भर रहा हूँ...आहहहह...आहहहह..."

मैं अंकल के साथ ही झड़ रही थी पर झड़ने से ज्यादा विचलित अपनी सास के बारे में सुन के हो गई थी...क्या अंकल सबको चोदते हैं....झड़ने के साथ ही अंकल मेरे शरीर पर औंधे मुँह लेट कर हाँफने लगे...मैं भी हांफती हुई अंकल को बांहों में भर ली...

कुछ देर बाद जब आँख खुली तो मेरी नजर सीधी गेट की तरफ गई जहाँ श्याम बिना हिचक के अंदर आ अपने लंड को मसलते बीवी को चुदते देख रहे थे...मेरी नजर मिलते ही वो मुस्कुराते हुए अपना अंगूठा ऊपर की तरफ करते हुए वापस सोने चले गए...ये देख मैं भी हौले से हँस पड़ी...

वापस पूजा की तरफ देखी तो वो लाल आँखें किए अंकल को घूरे जा रही थी...शायद मम्मी के बारे में सुन उसे भी शॉक लगी थी...

कुछ देर बाद जब अंकल साइड हुए तो पूजा को अपनी तरफ यूँ देख सकपका गए, पर जल्द ही माजरा समझ गए...फिर भी अंकल अनजान बन मुस्कुराते हुए पूछे,"क्या हुआ डियर?"

पर पूजा तो बस यूँ ही घूरे ही जा रही थी...मैं पूजा को ऐसे देख उठी और उसके बालों को सहलाती हुई बोली,"सॉरी पूजा, पर इसमें तुम्हारी गलती नहीं है..जैसे हम दोनों चाहते थे, शायद वैसे भी मम्मी जी भी चाहती हों...हाँ अंकल आपको ऐसे नहीं बोलना चाहिए था..."

अंकल: "क्यों? पूजा नहीं जानती है थोड़े ही...नाटक करती है तुम्हारे सामने...पता है दोनों माँ-बेटी को कई बार एक साथ चोद चुका हूँ पूछ इससे...अब अगर तुम भी जान गई तो इसमें प्रॉब्लम क्या है...वैसे इस घर की बात इसी घर में रहती हो, ये पूजा अच्छी तरह जानती है..और हाँ.. पूजा की बूर पेलते वक्त इसकी माँ बड़े ही मजे से मेरा लंड चूसती है, जैसे आज ये चूस रही थी..." और फिर अंकल पूजा की नंगी बूर पर अंगूली फेरने लगे...

मैं अंकल की बात सुनते ही शॉक हो गई कि ये क्या माजरा है...मेरे जेहन में एक डर समा गई कि कहीं मम्मी जी मेरे बारे में सुन....वो करते हैं वो अलग बात है पर मैं.....वो भी ससुर के साथ...मैं पूजा की तरफ देखती सोच में पड़ गई...

तभी अंकल बोले," तुम क्या सोच रही हो सीता....डरो मत वो ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगी अगर जान गई तो...और हाँ तुम अब गाँव आएगी तो तेरी देखना तेरी सासू माता ही तुम्हारी बूर में लंड डालेगी...."

मैं ये सुनते ही शर्म से नीचे कर ली...उसी पल पूजा अंकल के सीने पर एक चपत लगाते हुए हँस पड़ी...जिससे अंकल भी हँस पड़े...मैं उन दोनों को हंसते देख नजरे ऊपर की तो मेरी नजर सीधा अंकल के लंड पर पड़ी जो हॉट बातें सुन अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी...

खड़े लंड को देखते ही मेरी बुर में हरकत होनी लगी और ललचाई नजरों से अपनी जीभ फेरने लगी होंठो पर...अंकल की नजर मुझ पर पड़ते ही उन्होंने अपना पंजा मेरे गालों पर रख अंगूठा मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही आँखें बंद करती अँगूठे को लंड समझ अंदर की और चुसने लगी...

अंकल: "एक बात तो है पूजा,आज तक मैंने ना जाने कितनी रण्डियाँ चोदी है, पर इसके जैसी गरम रण्डी आज तक नहीं मिली..." और तभी अंकल एक झटके से अपना अंगूठा खींच लिए जिससे मैं नशीली और प्यासी नजरों से अंकल की तरफ देखने लगी...

अंकल तभी घुटनों के बल खड़े होते हुए बोले,"चल, कुतिया बन जा मादरचोद..." और मैं सुनते ही किसी दासी की तरह फौरन कुतिया बन गई और अपनी गाँड़ अंकल के लंड की तरफ कर दी...

अगले ही पल अंकल का लंड मेरे गांड़ों के छेद पर महसूस हुई...मैं सिहरती हुईअपनी आँखें भींचती हुई दांत पीस ली अगली वार को सोच कर...

और पूजा आगे बढ़ झुकी और मेरी मुंह में अंगुली डाल निप्पल को अपने मुंह से चूसने लगी...कि तभी एक जोरदार धक्के लगे...मेरी चीख गूँजने से पहले ही पूजा के हाथ मेरे मुंह सील दिए...अंकल जड़ तक लंड पेले मेरी चूतड़ को थपथपा रहे थे...मेरे आँसूं बेड पर बह रही थी...

कुछ पल तक अंकल स्थिर रहे, फिर लगे पेलने...और मेरी बुर से भी बदतर हाल 5 मिनट में ही कर दिए...और फिर कुछ देर बाद तेज धक्के लगाते हुए अपना लंड की टोटी खोल मेरी गांड़ को भरने लगे....

फिर अंकल जैसे ही लंड बाहर खींचे, मैं धम्म सी बेड पर बेहोश गिर पड़ी...अंकल कुछ देर बाद आराम किए फिर पूजा की भी मस्ती में दमदार चुदाई किए...मैं कुछ देर बाद उठी और उन दोनों की हेल्प की, जैसे पूजा कर रही थी...पूजा की भी बूर-गांड़ की अच्छी धुलाई किए अंकल ने....सुबह 4 बज गए गए थे चुदाई करते-करते...

फिर अंकल वापस अपने कपड़े ले श्याम के पास सोने चले गए...जबकि कुछ ही पल में पूजा नंगी ही नींद की आगोश में समा गई...कुछ ही देर में सुबह होने वाली थी या यूँ कहिए सुबह हो गई थी...

मैंने दिन में ही सोने की सोच बाथरूम की तरफ नंगी ही चल दी...

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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:14

सीता --एक गाँव की लड़की--26

फ्रेश होने के बाद पूजा के रूम में कपड़े पहनने आई...साड़ी उठाई कि मेरी नजर पूजा की एक समीज सलवार पर गई जो क्रीम कलर थी और झीनी सी थी...पूजा ये सूट अब केवल घर पर ही पहनती थी...कॉलेज या कहीं जाती तो चुस्त कपड़े पहनती थी...

मैंने साड़ी वहीं रख सूट-सलवार निकाली..फिर पेन्टी पहनते हुए सलवार डाल के नाड़ा कसने लगी..काफी ज्यादा दिक्कत नहीं हुई पहनने में क्योंकि सलवार अक्सर बड़ी ही रहती है जिसे नाड़े से सही जगह एडजस्ट कर बाँधनी होती है...

दिक्कत थी तो समीज में...दिखने से ही काफी तंग लग रही थी...2 साल पुरानी थी,,,गांव में थी तभी अंकल ही दिए थे पर वहाँ भी ज्यादा नहीं पहन पाई थी...एक या दो बार ही पहनी थी, वो भी शादी में ही...

खैर मैं कुछ सोची फिर सर के ऊपर से डालने लगी...उफ्फ..सच में कितनी कसी थी....मुश्किल से पर आराम-2 पहन ही ली...ओफ्फो, मेरी तो पूरी बॉडी ही बँध गई थी...इतनी चुस्त थी कि अगर थोड़ी अंगराई भी लेती तो फट जाती...

खैर, पहनने के बाद शीशे के पास खड़ी हुई तो ओह गॉड...मेरी चुची इतनी भयंकर लग रही थी कि मैं खुद शॉक रह गई...एकदम बड़ी नींबू की तरह गोल शेप में आ गई थी..और मेरी भूरे रंग की निप्पल साफ झलक रही थी...

मेरे हाथ अनायास ही चुची पर चली गई...और फिर हाथों को ऊपर से हल्की दबाती हुई फिसलाने लगी...कुछ ही पलों में दोनों निप्पल कड़क हो गई और समीज को फाड़ने आतुर होने लगी...मैं मुस्कुराती हुई दोनों को चुटकी से मसल दी जिससे मैं तड़प कर सिसक दी...

मन ही मन सोच ली कि अब दोनों लंड वालों के सामने ऐसे ही जाऊंगी...फिर उनका हरकत देखूंगी...खासकर अंकल का कि उनमें कितनी हिम्मत है...फिर मैंने घड़ी पर नजर डाली तो अभी 5 बजे थे...अचानक कुछ याद पड़ते हीमेरे चेहरे की लाली बढ़ गई...

और फिर गेट के पास टंगी चाभी ली और बाहर ऐसे ही निकल गई...कैम्पस के मेन गेट खोली और दो कदम बाहर निकल सड़क पर नजरें दौड़ाने लगी..कहीं किसी का अता पता नहीं था...मैं वापस अंदर आई और मेन गेट को दो इंच के करीब खुली छोड़ फ्लैट की तरफ बढ़ गई...

अंदर आते ही पहले तो श्याम को देखने गई, जहाँ दोनों गहरी नीं में पड़े हुए थे...फिर दूसरे रूम में पूजा पर बाहर से ही परदा हटा झाँकी तो पूजा नंगी एक पतली जादर ओढ़े लुढ़की पड़ी थी...मैं वापस मुड़ पास रखी कुर्सी पर बैठ गई और रात की बातें याद कर सोच में डूब गई...

अचानक बजी बेल से मैं चौंकती हुई उठ खड़ी हुई...फिर गलियारे की तरफ मुड़नी चाही जहाँ से बेल बजने पर पहले मेन गेट पर देखती थी..पर रूक गई और फिर फ्लैट के गेट की तरफ कदम बढ़ा गेट खोली...सामने दूधवाला खड़ा था...

मैं गेट खुली छोड़ किचन में वापस आई और बर्तन ले दूधवाले के पास जाकर खड़ी हो गई..वो तो मुझे छोड़, मेरी चुची को मुंह फाड़े घूरे जा रहा था...मैं भी अंदर से मुस्काती हुई खड़ी हो उसके तरफ देखने लगी...कुछ पलों के बाद जब उसकी नजर मेरी नजर से टकराई तो वो सकपका सा गया...

पर मुझे मुस्कुराते देख वो भी हंस पड़ा...फिर बिना कुछ कहे नीचे दूध के केन में अपनी लीटर वाला बर्तन डाल दिया...फिर थोड़ा ऊपर होते हुए बोला,"नीचे झुक के लो मैडम वरना जमीन पर गिर जाएगा..." मैं उसकी तरफ देख हल्की मुस्कान लाती हुई अंदर से होंठों पर हल्की जीभ चलाती हुई झुक गई...

और बर्तन उसके केन के पास कर दी...झुकने से चुची दिखने वाली ढ़ीली समीज तो पहनी नहीं थी जो ये झुकने बोला...पर झुकने पर जो चुची जमीन पर गिरती प्रतीत होती है, वो मर्दों को ज्यादा लुभाते हैं...शायद इसी वजह से कहा होगा...

मैं और अपनी चुची को नीचे करने के ख्याल से कुछ ज्यादा नीचे हो गई, जिससे मेरा चेहरा ठीक उसके लंड के सामने पहुंच गया..मैं एक नजर डाली तो लंड धोती में ही ठुमके लगा रहा था..मैं मंद मंद हंस पड़ी....

तभी वो मेरी बर्तन में दूध उड़ेलने लगा...जैसे ही दूध पूरा डाला उसने अपना दूसरा हाथ मेरे सर पर रख हल्का दवाब देने लगा..मैं आश्चर्यचकित रह गई, फिर सोची थोड़ी देर और देखना चाहता है शायद...मैं बिना जोर किए हाथ में दूध लिए झुकी रही...

तभी उसने दूध मापने वाला हाथ मेरे सर पर रख दिया और वो हाथ हटा लिया...उस मापक से दूध की बूँदे मेरे बाल और पीठ पर पड़ने लगी...अचानक से अपना धोती में हाथ डाला और अगले ही पल उसका काला लौड़ा मेरे होंठो से टकराने लगा....

"चूससससऽ लो मैडम...आज के लिए एकदम ताजा है...."दूधवाले सित्कारते हुए अपना लंड धकेलते हुए बोला...और अब उसने एक हाथ नीचे से गर्दन पर रख दिया और दूसरा हाथ तो ऊपर से जकड़े हुए था ही...मेरे हाथों में दूध से भरी बर्तन थी जिससे मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी...

अगर दूध छोड़ती तो दोहरी नुकसान झेलनी पड़ती...क्योंकि लंड तो अब जाता ही मुंह में...मैं दूध के बर्तन पर पकड़ अच्छी से बनाई और साँस रोकती हुई लंड के लिए हल्की जगह दे दी...

पर इस हल्की जगह अगले ही पल बड़ी जगह में बदल गई और पूरा का पूरा लंड मेरे गले में उतर गया...मैं तड़पती हुई पीछे होनी चाही पर हो ना सकी..हाँ वो जरूर समझ गया जिससे अपना लंड हल्का पीछे खींच लिया...

मैं थोड़ी राहत की साँस ली..पर ज्यादा नहीं ले पाई..अगले ही पल दुबारा पेल दिया था..नैं हिचक पड़ी...पर मानने वाले था नहीं...छेद मिलते ही लंड पत्थर समान पत्थरदिल जो हो जाता है...वो इसी तरह हल्के-2 मगर तगड़ा शॉट लगाए जा रहा था...

कुछ ही देर में मेरी लार में सनी उसके लंड के प्रीकम बाहर टपकने लगी जो सीधी नीचे दूध में गिर रही थी...पर अब इस बात की खबर ना हमें थी और ना उसे...मेरी चूत भी गरम हो कर पिघलने लगी थी...

तभी उसने दोनों हाथ हटा लिए और मेरी बड़ी सी शेप लिए चुची को पकड़ लिया...अब चाहती तो पीछे हट सकती थी पर हट ना सकी...ऐसे पोजीशन में चुची पर पकड़ भी ढ़ंग से नहीं बन पाती है...

शांत मुद्रा में अपना मुंह खोली झुकी चुची रगड़वाते लंड खा रही थी वो भी दूधवाले का....वो अब दनादन मेरे मुखद्वार में अपना खूँटा गाड़े जा रहा था...दूध में गिर रही रस की मात्रा भी बढ़ रही थी...

करीब दस मिनट तक यूँ ही झुकी रही और वो पेलता रहा...अगर वो चाहता तो इतनी देर में चूत भी बजा सकता था पर नहीं...शायद धीरे धीरे बढ़ना चाहता हो...तभी एक करारा शॉट लगा और वो दांत भींचते हुए कांपने लगा...

उसके लंड ने फव्वारे छोड़ने शुरू कर दिए थे...इधर मेरी चूत भी नदी बहा दी....उसका लंडरस सीधा मेरे पेट में गिर रहा था...कुछ देर तक यूँ ही रूका रहा...फिर शांत हुआ तो वो अपना लंड बाहर खींचने लगा...

बाहर निकलने के क्रम में सॉलिड वीर्य की कुछ मात्रा नीचे टप्प की आवाज से दूध में गिरी...जिसे हम दोनों की हल्की हंसी निकल पड़ी..फिर मैं सीधी हुई...

वो भी अपना लंड धोती से ही पोंछा और अंदर छुपाते हुए बोला,"आज का दूध में ज्यादा विटामिन है मैडम...ऐसा दूध एक महीने तक लेगी तो पूरी फैमिली तंदुरूस्त हो जाओगी..." और फिर वो हंसने लगा...

मैं भी मुस्कुराती हुई बोली,"सांड़ कहीं का., ऐसे कोई करता है क्या? कोई देख लेता तो..." पर वो मेरी बात का जवाब दिए बिना ही हंसता हुआ दूध का के उठाया और नीचे चल पड़ा...मैं भी वापस किचन की तरफ चल दी...

किचन में दूध रखते ही गेट पर नॉक हुई...गेट बंद भी नहीं की थी...अब क्या लेने आया है? मैं ऐसे ही बड़बड़ाती गेट की तरफ चल दी...जैसे ही गेट पर खड़े व्यक्ति पर नजर गई कि मैं हड़बड़ाती हुई रूम में भागी दुपट्टा लेने...

मकान मालिक खड़े थे बाहर...उनका नाम तो नहीं जानती थी पर पहचानती थी..दुपट्टे को सीने पर रखी और चेहरे को साफ करती हुई वापस गेट पर आई और बोली,"नमस्ते जी.."

उनकी उम्र कोई 35 के आसपास थी...ज्यादा मोटे नहीं थे पर भरा हुआ शरीर था...बाल गोल्डेन कलर की थी और मूंछें तो सफाचट ही थी...निकर और टीशर्ट पहने हुए थे...शायद मॉर्निंग वॉक गए थे...और वो कुछ ही दूर आगे वाले घर में रहते थे...

मकान मालिक: "नमस्ते, वो मेन गेट रात में खुला छोड़ दिए थे क्या?" मैं उनकी बात सुनते ही ना में सिर हिला दी..जिससे उनके चेहरे पर आश्चर्य की लकीरें साफ उभर आई...फिर बोले,"दूधवाला को अभी यहाँ से ही निकलते देखा तो उससे पूछा..तो वो आपका ही नाम बताया कि यहां सिर्फ आप ही दूध लेते हैं तो...."

आगे उनको बीच में ही रोकती हुई बोली,"हाँ...दरअसल आज कुछ जल्दी नींद खुल गई तो नीचे टहलने गई थी और वापस आते वक्त गेट खोल दी थी..."

मकान मालिक: "ओह..फिर ठीक है पर एक बात का ख्याल रखिएगा..अंदर ऐसे लोगों को मत आने दीजिएगा..यही सब घर में गैरमौजूदगी का फायदा उठा लेते हैं...सब कुछ तो अंदर आ मुआयना कर ही लेते हैं, फिर बस मौके की तलाश में रहते हैं...बात को समझ रहे हैं ना.."

मैं उनकी बात समझ हाँ में सिर हिला दी...तभी वो मेरे चेहरे की तरफ आगे बढ़ काफी निकट आ खड़े हो गए, फिर मेरे एक तरफ झुक अंदर देखने लगे...मैं कुछ नहीं समझ पा रही थी कि अब क्या देख रहे हैं...

अंदर देखने के बाद वो फिर सीधे हुए और अगले ही क्षण अपनी एक अंगुली मेरी होंठ पर घिसते हुए हटा लिए...मैं हैरानी से पीछे हटती उन्हें देखने लगी...और फिर वो उसी अंगुली को अपनी नाक से सूंघे, ओह कहते हुए अपनी अंगुली तुरंत ही हटा लिए...

अब मैं सोच में पड़ गई कि क्या कर रहे हैं? यही सोच अपनी अंगुली जब होंठ पर लाई तो कुछ चिपचिपा महसूस हुआ...ओह गॉड...मर गई...मैं वापस मुड़ी ही थी कि उसने मेरी बाँह पकड़ हमें रोक दिए...

और फिर अपनी वही अंगुली एक ही झटके में मेरे मुँह में डालते हुए नजदीक सटते हुए बोले,"आज पहली बार है इसलिए वार्निंग दे रहा हूँ बस...अगर आगे से ऐसी घिनौनी हरकत की तो सीधा घर से बाहर...ये कोई रंडीखाना नहीं, मेरा घर है...और बाहर करने से पहले तेरा वो हश्र करूंगा कि जिंदगी भर हमें याद रखोगी...समझी..."

और फिर अंगुली मेरे मुँह से निकाल मेरी दोनों चुची के बीच की दरार में घुसा पोंछने लगे समीज में...मैं चौंक कर रह गई.. और फिर बाहर की तरफ खींच अंगुली नीचे एक चुची पर होते हुए सरका दिए... जिससे मेरी चुची पूरी तरह दब गई...मेरे मुंह से हल्की आह निकल गई....फिर वो मुझे ऊपर से नीचे एक बार घूरे और वापस निकल गए...

उफ्फ...ये क्या मुसीबत आ गई...अगर श्याम से शिकायत कर दिए तो वो गुस्से से बौखला जाएंगे...उन्होंने मस्ती की प्रमीशन दिए थे, ना कि इज्जत कबाड़ा करने की...मन ही मन सोच भी ली थी कि आज से ऐरे-गैरे से तौबा...

मैं गेट बंद कर वापस गलियारे की तरफ बढ़ गई जहाँ से सड़क साफ दिखती है...

सड़क पर नजर दौड़ाई तो वे जा रहे थे...कुछ देर तक रूकी रही...तभी वे अचानक मेरे फ्लैट की तरफ पलटे..मेरी नजर मिलते ही मैंने झट से अपने दोनों हाथों से कान पकड़ माफी मांगने लगी...पर वो बिना कोई जवाब दिए वापस मुड़ चलते रहे...

आँखों से ओझल होने के बाद मैं भी वापस आ गई....चाय बना कर सभी को जगाती हुई दी..फिर मैं किचन में घुस गई...श्याम मुझे देखे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया...अंकल भी काफी मेहनत से खुद पर कंट्रोल कर रहे थे...

श्याम नाश्ता करने के बाद रूम में जाते ही मुझे आवाज दिए...मैं अंदर ही अंदर समझ गई थी क्यों बुला रहे हैं..बाहर निकली तो देखी अंकल नहीं है और बाथरूम से पानी की आवाजें आ रही है...मैं मुस्काती हुई अंदर गई...

"आउच्च्च्च्च....छोड़ो ना..क्या कर रहे हैं..."अंदर घुसते ही श्याम मुझे कस के दबोच लिए जिससे मैं उछल पड़ी...पर वो हंसते हुए मेरे गाल काटे जा रहे थे...कितनी भी कोशिश कर ली पर श्याम रूके तो अपनी मर्जी से ही...

श्याम: "गजब की माल लग रही हो डॉर्लिंग...जब से देखा हूँ तब से पप्पू खड़ा ही है...पता नहीं आज दिन भर कैसे रोकूंगा...वैसे मेरे जाने के बाद अंकल तुझे नहीं छोड़ने वाले.."

मैं भला क्या बोलती...बस हंस दी..फिर बोली,"वैसे आप अपने पप्पू का क्या करेंगे आज दिन भर...कहो तो जब तक अंकल अंदर हैं तो शांत कर दूँ.." और अपनी जीभ अपने होंठो पर फेर कर इशारा कर दी कि कैसे शांत करूंगी....

श्याम: "थैंक्स जान, पर लेट हो रहा हूँ वर्ना...वैसे जुगाड़ कर लूंगा मैं...अब चलता हूँ..." कहते हुए गुडबाय किस करते हुए मेरे होंठ से चिपक गए...कुछ देर बाद किस टूटी तो वे अलग होते हुए अपना बैग उठाते हुए बोले,"जान, आज नाइट शो चलेंगे मूवी देखने...तुम दोनों तैयार हो के रहना..."

मैं उनकी बात सुनते ही खुश होते हुए बोली,"थैंक्यू जान, जरूर रहूंगी..पर हाँ बाहर अपने पप्पू की सेवा ज्यादा मत करवाना, मेरे लिए भी बचा के रखना..."

श्याम: "ओके पर आज के लिए सॉरी...कोई ना कोई रंडी जरूर चोदूंगा...तुम हाल ही ऐसी कर दी...पर तुम टेंशन मत लेना,,तुम्हारे लिए तो ये हर वक्त तैयार रहता है..."कहते हुए श्याम बाहर की तरफ निकल गए...पीछे से मुस्कुराती हुई बॉय बोल जल्दी आने कही...

कुछ ही देर में किचन का काम तमाम कर मैं अपने बेडरूम में आ गई..तभी बाथरूम से अंकल तौलिया में निकले और सीधे मेरे पास आ गए...आते ही तौलिया दूसरी तरफ फेंके और अपना लंड मेरे होंठ के पास रख दिए...

मैं हंसती हुई अंकल की आँखों में देखती चूसने लगी..अंकल की आहह निकल पड़ी...आखिर काफी देर से इंतजार में जो थे...तभी अंकल मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए बोले,"सीता,आज शाम को फ्री हो क्या?"

"मैं तो फ्री ही रहती हूँ अंकल..." मैं लंड को हाथ से पकड़ बाहर निकालते हुए जवाब दी और वापस मुंह में डाल चूसने लगे...फिर अंकल बेड पर बैठ गए और मुझे जमीन पर बैठा सर पर हाथ फेरते हुए लंड चुसवाने लगे...

अंकल: "दरअसल आज एक नई गाड़ी लेने जा रहा हूँ...वो अब पुरानी हो गई है तो उसे गांव में दे दूँगा किसी को चलाने...तो आज शाम हम दोनों अकेले घूमने कहीं जाएंगे,थोड़ी पार्टी करेंगे और फिर रात साथ गुजारेंगे हम और सुबह तुम्हें छोड़ देंगे...श्याम को कह देंगे कि एक पार्टी में गए थे,,लेट होने की वजह से रूक गए थे...चलोगी..."

वॉव, मैं तो अंदर ही अंदर काफी खुश हो गई थी...वैसे श्याम मना तो नहीं करते पर इनसे पहले वो ऑफर कर चुके थे मूवी चलने की...सो उन्हें मना नहीं नहीं कर सकती थी...मैं पुनः लंड को हाथ से हिलाती हुई बोली,"थैंक्स अंकल, पर वो क्या है ना..अभी श्याम बोल के गए हैं कि शाम में मूवी चलेंगे सो प्लीज फिर कभी...उन्हें ना नहीं कर सकती..."

अपनी बात कहने के बाद मैं अंकल की ओर देखने लगी...फिर अंकल मेरे सर को पीछे से पकड़ लंड की ओर धकेल दिए, जिससे मेरे मुंह में पुनः लंड समा गई...

अंकल: "ओके जानू, कोई बात नहीं...हम अगले दिन चले जाएंगे..ओके..." अंकल की बात का जवाब मैं तेजी से लंड को चूस कर दे दी..जिससे अंकल की साँसे अब तेज होने लग गई..

फिर कोई बात नहीं हुई...कोई 5 मिनट बाद अंकल तेज आवाज किए और पूरा पानी मुझे पिला दिए..मैं चटकारे लेती लंड के अंदर बाहर सारा पानी चट कर गई...फिर अंकल मेरी चुची पर किस किए और चलने की बात कह कपड़े पहनने लगे...

मैं उनके लिए खाना लगा दी...अंकल तैयार हो कर नाश्ता किए और बॉय बोल निकल गए..फिर मैं भी खाना खाई और पूजा के रूम की तरफ चल दी..पूजा की नींद मेरी आवाज से जैसे ही खुली वो मुझ पर टूट गई...

काफी देर तक किस के बाद मैंने शाम में मूवी चलने की बात बताई, जिसे सुन वो भी काफी खुश हुई..फिर फ्रेश हो खाना खाई और हम दोनों साथ आराम करने एक-दूसरे को बांहों में समेट सो गई...
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The Romantic
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Re: सीता --गाँव की लड़की शहर में

Unread post by The Romantic » 14 Dec 2014 18:14

सीता --एक गाँव की लड़की--27

शाम में श्याम जल्दी ही आ गए...फिर हम दोनों तैयार हुए और निकल पड़े श्याम के साथ..खाना बाहर ही खाते...और आज पूजा के साथ मैं जींस-टीशर्ट पहनी थी..वो भी श्याम के कहने पर...

हम दोनों हल्की मेकअप ली थी रात की वजह से...कैम्पस के बाहर सड़क पर एक 4- व्हीलर लगी थी...जिसे देख मैं श्याम की ओर देखते हुए निगाहों से सवाल कर ली...वो बिना कुछ बोले हां में कहते हुए बैठने का इशारा कर दिए...

मैं और पूजा पीछे बैठी और श्याम आगे...फिर गाड़ी चल पड़ी...मामूली सी नौकरी की बदौलत फिलहाल अपनी तो सोच ही नहीं सकती थी...शायद श्याम हमें भाड़े की ही सही पर ढ़ेर सारी प्यार निछावर कर रहे थे ऐसे बाहर ले जाकर...

कुछ ही देर में हम सब एक अच्छे से रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी थी...हम तीनों अंदर गए और एक कोने में बनी केबिन में घुस गई...अगले ही क्षण एक स्टाप आया और ऑर्डर ले कर चला गया...मैंने समय देखी तो 7 बज रहे थे...मूवी 8 बजे से शुरू होती है..

करीब आधी खाना खाने के बाद श्याम बाहर की तरफ झाँकें, और फिर सीधे होते हुए तेजी से अपनी जेब से एक दारू की छोटी बोतल निकाले और जल्दी से तीनों ग्लास में उड़ेल दिए...एक ही बार में पूरी समाप्त...वापस खाली बोतल पॉकेट में...

श्याम: "यहाँ अलॉव नहीं है पर मैं जब भी आता हूँ तो अक्सर ऐसे ही मार लेता हूँ...अब जल्दी से तुम दोनों उठाओ....."कहते हुए श्याम अपनी ग्लास उठा लिए...मैं और पूजा एक-दूसरे को देख दबी हंसी हंस दी और फुर्ती से गिलास उठा गटकने लगी...

पैग लगाने से मेरी नसों में खून दौड़ने लगी थी...और फिर खाना खाने लगे...खाना जब खत्म हुई तो हाथ मुंह साफ करने के बाद जब बाहर निकल समय देखी तो ओह गॉड 8:30 बज रहे थे...

"पूजा,साढ़े बज गए...अब मूवी कैसे जाएंगे..."मैं बगल में खड़ी पूजा से बोली जबकि श्याम अभी काउन्टर पर बिल दे रहे थे..पूजा मेरी बात सुनते ही चौंक पड़ी...

पूजा: "क्या...? ये जीजू भी ना...थोड़ी सी पीने चक्कर में सारा मजा किरकिरा कर दिए...यू नो दीदी...मैं क्या-2 सोच के रखी थी कि अंदर जीजू से ये करूंगी,वो करूंगी...कितना मजा आता सैकड़ों पब्लिक के बीच में कर रही होती...ओफ्फ.."

"आने दो फिर पूछती हूँ...जब केवल खाना ही खिलानी थी तो मूवी का बहाना क्यों किए..."मैं भी गुस्से में आती हुई बोली...तभी सामने श्याम आते हुए दिखे...जैसे ही पास आए मैं गुस्से से सवालों की झड़ी लगा दी...बीच-2 में पूजा भी सपोर्ट कर रही थी...

श्याम कुछ बोले बिना मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखे जा रहे थे...जिससे मैं और आग बबूला हो बोली,"ओ हैलो मिस्टर, अभी आप अपने प्यार को अपने पास ही रखिए...बाद में दिखाइएगा...चलिए घर अब..."

और मैं भड़कती हुई पूजा के हाथ पकड़ बाहर कुछ मीटर दूर सड़क की तरफ मुड़ गई...इतने में ही श्याम तेजी से हम दोनों के आगे आ खड़े होते हुए बोले,"सॉरी डिअर, मेरा इरादा ऐसी बेहूदा हरकत की बिल्कुल नहीं थी...पर पीने बाद खाने की रफ्तार धीमी हो गई और समय मालूम ही नहीं पड़ी..."

मैं उनकी बात सुन मुँह बिचकाती हुई उन्हें क्रॉस कर बगल से आगे निकल गई..पर एक बार फिर श्याम हम दोनों के सामने खड़े थे...

श्याम: "जानू, मेरे दिमाग में एक मस्त आइडिया है जो मूवी से भी मस्त मजा देगी..कहो तो सु...." आगे कुछ कहते कि बीच में ही पूजा रोकती हुई बोली,"जरूरत नहीं जीजू...आप अपनी आइडिया अपने गांड़ में रख लो...बॉय..आपको चलनी है तो मेरे पीछे आ जाओ..."

पूजा की बात सुन मैं हंसना चाहती थी जोर की पर चोरी से ही मुस्कुरा कर रह गई...और पूजा के खिंचने से आगे सड़क किनारे तक आ पहुँची...अब बस किसी ऑटो का इंतजार कर रही थी...तब तक श्याम पुनः आगे आते हुए बोले,"ओए होए मेरी तीखी मिर्ची शाली साहिबा...आपकी अदा तो गुस्से में और कयामत बरपाती है...मन तो होती है यहीं पटक के चोद दूँ..."

पूजा गुस्से में आँख लाल पीली करती बोली,"ओके, जींस खोल रही हूँ...मुझे चुदनी है यहाँ सबके सामने..." और फिर पूजा अपनी जींस की बटन खोलने लगी...मैं देखी तो तेजी से पूजा की हाथ पकड़ खींच ली...

आसपास नजर दौड़ाई कि कोई देख तो नहीं रहा..पर यहाँ सब अपने में मस्त था...तभी मेरी नजर सामने एक छोटी सी पान की दुकान पर गई जहाँ से एक आदमी लगातार घूरे जा रहा था...मेरी नजर उससे मिलते ही वो गंदी सी हंसी हंस पड़ा....

मैं उससे नजर हटा श्याम की तरफ देखते हुए बोली,"आपको चलना है या नहीं...अगर नहीं जाना तो प्लीज हमें जाने दीजिए...यहां सब देख रहे हैं..."

मेरी बात सुनते ही श्याम मेरी तरफ आगे बढ़े और बोले,"शाली साहिबा की खुजली मिटाए बिना थोड़े ही जाऊंगा...कुछ ही दूर आगे रेड लाइट एरिया है...चलो वहीं जा के पेलता हूँ तुम दोनों को...सोचो जब तुम कोठे पर चुदेगी तो कैसा फील करोगी...बिल्कुल रंडी की तरह...बोलो पसंद है आइडिया...वहां एक कोठे मालकिन से जान पहचान है, वो कमरा दे देगी..."

एकदम धाँसू...मेरी तो सुन के ही बूर में सनसनी की लहर दौड़ गई...मन ही मन गाली दे रही थी शाले पहले क्यों नहीं बताया... मैं तो तैयार थी...बस पूजा की हाँ जानने उसकी तरफ देखने लगी...पूजा भी रेडी ही थी मुझे मालूम थी पर फिर भी पूछनी जरूरी थी..पूजा की आँखें चमकने लगी थी रजामंदी में पर बोली कुछ नहीं...

हम दोनों को यूँ घूरते देख श्याम बीच में हल्के से टोकते हुए बोले,"चलो रण्डियों, अपने कर्म-स्थल पर..."जिससे हम दोनों एक साथ उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुरा दी, जिसके जवाब में वो भी मुस्कुराते हुए आगे की तरफ बढ़ गए...

हम दोनों भी खुशी-खुशी चल पड़ी...तभी पूजा हौले से मेरे कान में बोली,"अच्छा हुआ जो मूवी छूट गई...क्यों?" मैं पूजा की बात सुनते ही हँसते हुए उसकी तरफ देख हाँ में मूंडी हिला दी...तभी पता नहीं क्या सूझी पीछे की तरफ पलटी...

ओह नो...वो पान की गुमटी पर खड़ा व्यक्ति कुछ ही दूरी पर पीछे पीछे चला आ रहा था...मैं पूजा को बिना कुछ बताए आगे बढ़ श्याम के ठीक बगल में हो गई..फिर श्याम से नजरें मिलाती साथ साथ मुस्कुरा दिए...

श्याम किसी को फोन कर रहे थे, पता नबीं किसे...शायद कोठे मालकिन...ओफ्फ...मैं भी ना...किसी दूसरे को भी तो कर सकते हैं ना..पर इस वक्त तो नहीं कर सकते हैं दूसरे को....

श्याम: "राम-राम आंटी जी,क्या हाल है?" तभी श्याम फोन पर बोल दिए..ये तो आंटी को ही कर रहे थे...मैं उनकी तरफ नजर डाली तो वे हमारी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...

श्याम: "अपना भी ठीक है आंटी, बस एक छोटा सा मदद चाहिए आंटी अभी.."
श्याम कान में ही फोन सटा कर बात कर थे जिससे मैं उधर की आवाजें नहीं सुन रही थी...

श्याम: " आंटी एक रूम चाहिए अभी...दो मस्त लौंडिया हाथ लगी है.." श्याम की बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ मुस्कुरा पड़ी...इसकी वजह थी वो छुपा रहे थे कि मैं उनकी बीवी और पूजा बहन थी...

श्याम: "नहीं आंटी लोकल नहीं है...बाहर से आई है...और कल चली जाएगी..आप तो जानती ही है कि मुझे चोदने का कितना शौक है...और लोकल में तो सब को कर ही चुका हूँ...तो सोचा...."

हम्म्म...जनाब तो एक दम तेज दिमाग लगा दिए थे...अब शायद हम दोनों को भी इस बनावटी हालात को मैनेज करनी होगी आंटी के सामने...मैं और पूजा एक-दूसरे को ताकते हुए फैसला भी कर ली थी स्थिति को मैनेज करने की...

श्याम: "अच्छा आंटी 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ..फिर बात करते हैं...बॉय.." और फिर श्याम फोन रख दिए...फोन रखते ही श्याम हँस पड़े जिससे हम दोनों भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई...

तभी श्याम की नजर एक शोरूम पर पड़ी..वे हम दोनों को उधर चलने कह बढ़ गए..ये रेडिमेड कपड़ो की बड़ी सी शोरूम थी..हम तीनों अंदर पहुँचे...कस्टमर एक भी नहीं थे..यानि ये भी कुछ देर में बंद होने वाली थी..

श्याम काउंटर के पास जाते ही हेडस्कॉर्फ दिखाने बोले...हम्म्म..समझ गई...ताकि कोई पहचान ना ले दूसरे दिन हमें...कई तरह की हेडस्कॉर्फ सामने बिखेर दिया उसने...हम दोनों ने एक काली और एक पिंक आसमानी कलर की चूज की और अपने चेहरे ढ़क ली...श्याम बिल पे किए और बाहर निकल गए...

बाहर आते ही मेरी नजर उस आदमी को ढूढ़ने लगी जो कुछ देर पहले पीछा कर रहा था...पर वो दूर दूर तक नदारद था..चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा कमबख्त से...ख्वामोखाह परेशानी में डाल रहा था...

करीब पाँच मिनट के बाद हम सब एक गली की तरफ मुड़ गए जो गुप्प अँधेरा था...आगे कुछ दूरी पर एक घर में जल रही लाइट से हल्की रोशनी सड़को पर पड़ रही थी पर वो उतनी तेज नहीं थी कि साफ साफ कुछ दिखाई दे सके...

उस घर के समीप पहुँचते ही मेरी नजर उधर घूम गई, पर वहाँ बिल्कुल सन्नाटा था...घर भी कोई खंडहर लग रही थी...बस लाइट की वजह से ही समझ सकती थी कि कोई रहता है...खैर इन बातों को पीछे छोड़ आगे चल पड़ी...

डर भी लग रही थी इस वीरानी अँधेरे से...कुछ दूर और चली तो श्याम बाएँ की ओर मुड़ गए...हम्म्म...सामने काफी दूर तक सड़क नजर आई अब...सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो दिख रही थी पर जल एक भी नहीं रही थी...वो तो हर घर से निकल रही रोशनी सड़कों पर हल्की उजाला ला रही थी....

हाँ जहाँ मुड़ी वहाँ की जरूर जल रही थी जिसके नीचे खड़े 4 लोग आपस में बात कर रहे थे...तभी उनमें से एक बोला,"ऐ हिरो... रूक.."

मैं और पूजा तो बक सी रह गई और झट से रूक गई...जबकि श्याम बिल्कुल ही निडर बन आराम से रूकते हुए उसगी तरफ बढ़ गए...मैं कुछ अनहोनी की डर से श्याम को रोकना चाहती थी पर वो तब तक वो उसके सामने जाते हुए कड़क आवाज में पूछे,"क्या बात है?"

तभी उनमें से एक बोला," कहाँ से लाए दोनों को...जरा देखूँ तो कौन है..." कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ा जिससे श्याम तुरंत ही अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा रोकते हुए बोले,"देखने से पहले ये जान तो ले कि ये किस कोठे की है...फिर देख लेना इसकी सूरत..."

वो रूकता हुआ श्याम की घूरता हुआ पूछा,"कहां की है.." तभी श्याम खिसक के उसके ठीक सामने जाते हुए दांत पीसते हुए बोले,"तुम सबकी नानी शबनम आंटी की है ये.." फिर क्या...इतना सुनते ही उसके चेहरे की रंगत हवा हो गई और वो पीछे हो गया बिना कुछ आवाज किए....

जिसे देख श्याम हल्के से मुस्कुराए और फिर हम दोनों को इशारा कर चल दिए...हम दोनों भी तेजी से मुड़ते श्याम के बगल में हो गई..फिर श्याम से बोली,"अगर कोई पुलिस वाला रहता तो..."

श्याम मेरी डर को भांपते हुए नजर घुमाते हुए बोले,"जानू, ये शबनम आंटी के डर से पुलिस क्या, कोई एस.पी. भी इधर आने से डरता है...इसकी एक वजह है आंटी समय पर उसका हिस्सा पहुंचा देती और दूसरी यहाँ का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी से आंटी की जान पहचान..."

हम्म्म्म...मतलब पावरफूल हैं आंटी...मैं उनकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाई या कुछ और पूछ नहीं पाई...तभी मेरी नजर दोनों तरफ से आ रही रोशनी का पीछा करने लगी..घर अधिकतर दो मंजिला थी...

कुछ पुरानी तो कुछ ठीक ठाक...और सब घरों में कुछ औरतें अपनी खुली जिस्म लिए बैठी थी...एक-दो की तो आवाज भी सुनाई पड़ी.."आ जाओ साब, आपकी उस दोनों से ज्यादा मजे दूँगी और पैसे भी कम लगेंगे...आ जा..."

पर श्याम बिना उसकी तरफ देखे बढ़े जा रहे थे...कुछ औरतें जो मालकिन टाइप लग रही थी वो गौर से हम दोनों की तरफ घूरे जा रही थी..शायद पहचानने की कोशिश कर रही थी...तभी श्याम एक तीन मंजिले घर की तरफ रूख कर दिए...

ये भी तो उतनी ढ़ंग की नहीं थी...पर हाँ खंडहर बिल्कुल नहीं लगती थी...गेट पर खड़े दो मर्द बिल्कुल पहलवान की तरह खड़े थे...वो श्याम को देखते ही बोला,"क्या साब, क्या हाल है..."

श्याम मुस्काते हुए बोले,"एकदम झकास उस्मान भाई..." तभी उनमें से दूसरा बोल पड़ा,"भाई, आज तो छोकरी साथ लाए हो...कहाँ की है..." जिसे सुन श्याम रूके और फिर कुछ सोचते हुए हम दोनों की तरफ की आए...अपना हाथ बढ़ा एक झटके में हेडस्कार्फ खींच दिए...

श्याम: "पहचानो तो..." वे दोनों एक टक पहचानने की बजाए भूखी नजरों से घूरने लगे...मैं ज्यादा देर तक नजरे नहीं मिला पाई उससे..तो नजरें आगे की तरफ कर दी..आँखें चुराती तो समझ जाते की ये रंडी नहीं है...फिर कुछ देर बाद श्याम बोले...

श्याम: "उस्मान भाई...ये बाहर की लौंडिया है..खास अपने लिए बुलाया हूँ और सोचा आंटी को भी दिखा दूँ ताकि वो भी ऐसी कड़क माल रखें..." जिसे सुन दोनों हकलाते हुए हाँ में हाँ मिला दिए, पर कुछ बोल ना सके...

फिर श्याम को कुछ शरारत सूझी..वो मेरी बांह पकड़े और उससे सटाते हुए बोले,"छू कर देख लो उस्मान भाई...एकदम घरेलू माल है...बिल्कुल आपकी पसंद की है...एक दिन आंटी से छुट्टी ले कर फुर्सत में रहना...बुलवा दूंगा खास आपके लिए...आप आधे पैसे दे देना...बस...."

उफ्फफ...क्या तगड़ा था वो...सटते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कस लिया अपने से...लुंगी में से उसका धारदार लंड सीधा मेरी जींस को फाड़ती चुत तक पहुंच गई...और उससे भी ज्यादा उत्तेजित तो इस बात से हो गई कि कैसे मेरे पति मुझे रंडी बना कर पराये मर्द को सौंप दिए...

अचानक उसने अपना हाथ मेरी गर्दन पर रख हौले से नीचे करने लगा..मेरी तो हालत खराब हो गई खुरदुरे हाथ की छुअन पा कर...मैं अपनी बंद होती आँखें खोलने की कोशिश करने लगी जो मदहोशी से बंद हो रही थी...ऐसे में मैं बिल्कुल नशीली लग रही थी...

तभी मेरी चुची को कुछ रगड़न महसूस हुई...क्या ये मेरी चुची....ओह नो...तभी उसकी उंगली मेरी टी-शर्ट के गले पर महसूस हुई...ये क्या...जब उंगली ऊपर ही है तो अंदर क्या डाल दिया इसने जो रगड़ती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही है...

मैंने काफी कोशिश कर आँखें नीचे कर अपनी चुची पर की...ओह..ये तो मेरी टी-शर्ट के अंदर घुसी मंगल सूत्र को बाहर खींच रहा था..तभी उसने मंगलसूत्र पूरी बाहर कर मेरी दोनों चुची के बीच रख मेरी चुची दबा दिया...

मैं सिहर सी गई इस चुभन से...तभी उसने मुझे पलट मेरी गांड़ पर अपना लंड चिपका दिया और अपना हाथ मेरी चुची के ठीक निचले हिस्से पर रखते हुए बोला,"साब, अब देखो...एकदम मेरे ख्यालों वाली..."

मैं उसके सीने से चिपकी श्याम की तरफ देख मुस्कुराने लगी..जबकि पूजा को वो दूसरा आदमी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल देख रहा था...श्याम की नजर मुझ पर पड़ते ही मवो मुस्कुरा कर वाव कह पड़े...

उस्मान: "साब, अब ले जाओ दोनों को वरना आप का पैसा बरबाद हो जाएगा...पूरी रात छोड़ूंगा नहीं इसे..."कहते हुए उसने मुझे श्याम की तरफ धकेल दिया..मैं सीधी श्याम के बांहों में आ गई...श्याम हंसते हुए ओके कहे और पूजा को चलने बोले...

पूजा पूरे मस्त हो गई थी पर मजबूरी थी छोड़ने की, मेरी हालत भी बिगड़ ही चुकी थी...मन मसोस कर वो अलग हुई और धीरे से उस आदमी के होंठ पर किस कर अलग हो गई बिल्कुल रंडी की तरह जो कहीं नहीं शरमाती...

फिर श्याम के हाथों से हेडस्कॉर्फ ली और उनके साथ सीढ़ी की तरफ चल दी...सीढ़ी चढ़ते जब वापस उस्मान की तरफ देखी तो मेरी हंसी निकल पड़ी..वो दोनों अपना-2 लंड बाहर निकाल हिला रहा था...मुझे हंसते देख पूजा भी पलट गई...

पूजा के पलटते ही वो दोनों अब हमारी तरफ घूर रहे थे...जिसे देख पूजा एक फ्लाइंग किस दोनों तरफ उछाल दी..जिससे वो कराहते हुए अपना पानी छोड़ दिए...फिर हम दोनों आगे की तरफ भागती हुई चढ़ने लगी...
_____[....क्रमशः]_____


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