गन्ने की मिठास compleet

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rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 14 Oct 2014 16:06

गन्ने की मिठास--19

गतान्क से आगे......................

राज- क्या कह रहे हो हरिया, रामू अपनी मा को भी चोद्ता है,

हरिया- अरे साहेब उसकी मा है ही इतना मस्त माल कि अगर उसकी मा के जैसी गदराई जवान घोड़ी आपकी खुद की मम्मी भी होती तो आप अपनी मम्मी को पूरी नंगी करके खूब कस-कस कर चोद्ते, हरिया की बात सुन कर मेरे ख्यालो मे मेरी मम्मी रति मुझे पूरी नंगी नज़र आने लगी और मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया,

राज- क्या बहुत मस्त नज़र आती है रामू की मा

हरिया- अरे साहेब मैं तो उसकी मा की मोटी गंद देख कर मस्त हो जाता हू सच साहेब मैं जब भी अपनी बीबी को चोद्ता हू मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सुधिया को ही चोद रहा हू,

राज- मतलब तुम रामू की मा को चोदना चाहते हो

हरिया- चाहता तो हू साहेब पर रामू ने कभी मेरे दिल के हालत को समझा ही नही

राज- अगर मैं तुम्हारा काम करवा दू तो मुझे क्या मिलेगा

हरिया- साहेब जी सुधिया जैसी रंडी को चोदने के लिए हम कुच्छ भी कर सकते है आप चाहो तो हमारी औरत रुक्मणी को चोद लो या फिर आप चाहो तो मेरी बेटी चंदा को चोद लो, चंदा तो रमिया से भी छ्होटी है खूब मस्त मज़ा देगी आपको,

राज- ठीक है हरिया यह बात हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए अब मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने हरिया को कुच्छ समझाया इतने मे सामने से रामू आता हुआ नज़र आया

रामू के आने के बाद हमने चिलम खींची और फिर हरिया वहाँ से चला गया और मैं और रामू मस्ती मे आकर बाते करने लगे,

राज- रामू यह बताओ तुमने कभी अपने घर के अलावा भी किसी को चोदा है,

रामू- चोदा तो है बाबूजी लेकिन कुछ दिनो से हमारी एक इच्छा बड़ी प्रबल हो रही है कि हम हरिया काका की जोरू और बेटी चंदा को एक साथ खूब हुमच-हुमच कर चोदे लेकिन हम जानते है यह इच्छा पूरी होने वाली नही है भला दोनो मा बेटियाँ एक साथ हमसे अपनी चूत कैसे मरवाएगी,

राज- मुस्कुराते हुए अरे दोस्त यह तो संभव सी बात है तुम इसे असंभव क्यो मान रहे हो,

रामू- कैसे संभव होगी बाबू जी

राज- अगर मैं तुम्हारी मदद करू तो मुझे क्या मिलेगा

रामू- साहेब अगर दोनो मा बेटी को एक साथ हमसे चुदवा दो तो कसम से आप जो कहोगे हम वो करेगे, आप जिसको कहोगे हम उसे आपसे चुदवा सकते है, चाहो तो हमारी बहन रमिया को ही ठोंक लो बहुत मस्त चुदवाती है आप मस्त हो जाओगे,

राज- तो ठीक है बात पक्की

रामू- मेरा मूह देखता हुआ क्या बात पक्की साहेब बताओ तो कैसे चुदवा दोगे जबकि तुमने तो कभी हरिया की बीबी और बेटी को देखा ही नही और बात पक्की, क्या साहेब आप भी लगता है आपको चिलम का नशा हो गया है,

राज- अरे नही रामू, तुम्हे यकीन नही है तो ठीक है हम दोनो मिलकर रमिया को इसी खेत मे चोदेगे लेकिन तुम्हारी ख्वाइश पूरी होने के बाद, अब तो ठीक है

रामू- लेकिन साहेब कब

राज- कल

रामू- वो कैसे

राज- तो मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने रामू को सारी बाते समझा दी और वह मेरी और मुस्कुराकर देखते हुए साहेब आप तो बहुत दिमाग़ वाले लगते है, क्या प्लान बनाया है किसी को कानो कान खबर भी नही होगी और काम भी हो जाएगा, लेकिन हरिया काका का क्या करना है

राज- तुम हरिया काका से इस बारे मे कोई बात नही करोगे,

मैने वहाँ बैठे-बैठे ही हरिया और रामू का सारा मामला समझ लिया था और एक बेहतरीन प्लॅनिंग का प्लॉट मेरे दिमाग़ मे आउटलाइन बनचुका था मुझे बस उसमे रंगो के कॉंबिनेशन के बारे मे ही सोचना था की कौन से हिस्से मे कौन सा रंग डालु,

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 14 Oct 2014 16:07

शाम को 5 बजे ही मैं शहर की ओर चल दिया और अपने एक दोस्त राजन जो कि नाटक मंडली मे काम करता था के पास गया,

राजन- अरे राज आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया, सब खेरियत तो है

राज- यार राजन मुझे एक दो दिन के लिए तेरे कुच्छ नाटक वाली ड्रेस और दाढ़ी मुच्छे चाहिए

राजन- क्या भाई तुम्हे इन सब की क्या ज़रूरत पड़ गई कही कुच्छ जालसाजी करने का इरादा तो नही है,

राज- अरे नही यार बस थोड़ा फन और मस्ती के लिए मुझे एक दो दिन के लिए ज़रूरत थी

राजन- अच्छा बोल क्या-क्या दू

राज- आबे जो-जो पहन कर तू साधु बाबओ की आक्टिंग करता है बस वही कपड़े दे दे

राजन ने मुझे कपड़े दिए और मैं उन्हे लेकर सीधे घर आ गया रात को मैने सब समान एक बॅग मे रख कर सुबह 10 बजे रामू के खेत मे पहुच गया वहाँ जाकर मैने अपना बॅग खोला और रामू की झोपड़ी मे अपना समान रख कर मैने रामू से कहा मैं हरिया के पास जा रहा हू और वहाँ से हरिया के घर जाउन्गा और तुम्हारा काम जमा देता हू, तुम यही खेत मे रहना मोका मिलने पर हरिया खुद तुम्हे अपने घर भेजेगा और तुम सबसे बचते हुए सीधे हरिया के घर आ जाना लेकिन ध्यान रहे साथ मे चंदा को लेकर भी आना और रमिया को भी, ताकि तुम अपना काम जब तक करोगे तब तक मैं रमिया को चोद लूँगा,

रामू- मुस्कुराते हुए क्या बात है साहेब सचमुच आप इस मेकप मे पहचान मे नही आ रहे है,

राज- पर एक बात और मैं तुमसे कहना भूल गया मैं दिखावे के लिए हरिया के साथ गाँव मे जाउन्गा और तुम्हारे घर होते हुए हरिया के यहाँ जाउन्गा ताकि बाद मे जब तुम्हारी मा को पता चलेगा कि गाँव मे बाबा आया था तो सवाल खड़े हो सकते है इसलिए यह सभी को पता होना चाहिए कि कोई पहुचा हुआ साधु यहाँ आया है,

रामू मेरी बात सुन कर वाह साहब क्या पलनिंग की है आपने अब आप आराम से हरिया काका के पास जाओ मैं यही इंतजार करता हू उसके बाद मे वहाँ से हरिया के खेत की ओर चल दिया,

मुझे भी थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन हरिया और रामू मेरे राजदार थे इसलिए पॉल खुलने का भी मुझे कोई खास डर नही था, तभी मैं हरिया के सामने गया और एक कड़क आवाज़ मे बोला, अलख निरंजन

मेरी आवाज़ सुनते ही हरिया ने पलट कर देखा और एक दम से झुक कर मेरी ओर हाथ जोड़ लिए और कहने लगा

हरिया- अरे महराज आप कौन है और कहाँ से आपका पधरणा हुआ है,

राज- बच्चा हम बहुत दूर से आए है और प्यासे है और अपनी प्यास बुझाना चाहते है क्या तुम इस बाबा की प्यास बुझाने मे मदद करोगे,

हरिया- हाथ जोड़ कर क्यो नही महराज आप इस खटिया पर विराजिए मैं अभी जल का बंदोबस्त करता हू और हरिया जैसे ही पिछे जाने को मुड़ा मैने कहा बच्चा ज़रा चिलम का बंदोबस्त भी कर लेना,

मेरे मूह से यह बात सुनते ही हरिया का माथा ठनका और उसे एक दम से होश आया और वह मुझे बड़े ध्यान से घूर कर देखता हुआ ज़ोर से चिल्लाकर हस्ता हुआ

हरिया- अरे मेरे मालिक गई भैंस पानी मे मा कसम साहेब हम तो अभी तक यही समझ रहे थे कि सचमुच कोई सन्यासी हमारी कुटिया मे भिक्षा माँगने आया है पर मान गये साहेब आपको आपने तो हमे ही चूतिया बना दिया दूसरे लोग क्या खाक पहचानेंगे आपको वा साहेब बैठिए हम अभी चिलम बनाते है और फिर हरिया ने मुझे मस्त चिलम बना कर पिलाई और मैं मस्ती मे मस्त हो गया,

तभी झोपड़ी के अंदर से चंदा निकल कर बाहर आ गई और मैं हरिया की 16 साल की चिकनी लोंड़िया को देख कर एक दम से मस्त हो गया उसके बदन को देख कर लग रहा था जैसे हरिया उसे रोज चोद्ता हो,

दोपहर के 12 बजने को आ चुके थे और मैने हरिया को कहा हरिया अब हमे यहा से सीधे रामू के घर चलना है और फिर मैं हरिया के साथ रामू के घर पहुच गया दोपहर का वक़्त था गाँव के लोग आधे से ज़्यादा खेतो मे होते थे और बचे-कुचे तालाबो और यहाँ वहाँ काम पर लगे होते थे इसलिए गाँव भी सुनसान पड़ा हुआ था, रामू के घर के सामने पहुचने के बाद मैने हरिया से कहा

राज- हरिया तुम अब 10-15 मिनिट बाद मेरा उस सामने वाले पेड़ के नीचे इंतजार करना मैं तब तक रामू की मा से मिलकर आता हू, तुम अगर साथ रहोगे तो उसे शक भी हो सकता है, हरिया मेरी बात सुनते ही मुझे बता गया कि वह 10 मिनिट के लिए इधर उधर घूम कर आता है और फिर वह वहाँ से चला गया,


rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 14 Oct 2014 16:08

मैं रामू के दरवाजे के पास खड़ा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया - अलख निरंजन, अलख निरंजन

तभी एक दम से दरवाजा खुला और सामने रामू की मा मुझे देखते ही हाथ जोड़ कर कहने लगी प्रणाम महराज वह शायद अंदर कपड़े धो रही थी उसके गोरे-गोरे भरे हुए गाल मोटे-मोटे दूध लाल कलर के ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आ रहे थे दो बटन खुले होने से उसके गोरे-गोरे मोटे दूध पूरी तरह छल्के जा रहे थे बलौज के नीचे ब्रा का तो कोई नाम ही नही था

और फिर उसका गुदाज मखमली पेट और गहरी नाभि देख कर सचमुच उसकी मोटी गंद और उसकी मोटी-मोटी गदराई जाँघो का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता था मेरा तो उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया, बहुत मस्त माल था लेकिन ना जाने क्यो मेरी मस्तानी मम्मी रति के आगे थोड़ी फीकी थी फिर भी अभी मैने उसे पूरी नंगी देखा कहा था खेर नंगी तो मैने कभी अपनी मम्मी को भी नही देखा था लेकिन फिगुर और उसके कटाव की बात करे तो मेरी मा रति का कोई तोड़ नही था खेर,

सुधिया- बाबा आप कौन है और कहाँ से पधारे है

राज- बेटी हम अपना परिचय नही बल्कि लोगो के दुखो के निवारण का उपाय बताते है, पर शायद घर की चौखट मे खड़े रख कर तुम हमारा अपमान करना चाहती हो,

सुधिया- माफ़ करो बाबा जी और भीतर पधारने का कष्ट करे, और फिर सुधिया ने मुझे एक आसन बैठने के लिए दे दिया, और मैं उस पर बैठ गया,

राज- सुधिया बेटी ला ज़रा जल ग्रहण करवा दे

सुधिया मेरे मूह की ओर चकित होकर देखते हुए, बाबा आप मेरा नाम कैसे जानते है

राज- बेटी हम तो आंतेरयामी है और हम तेरे गाँव के पास से गुजर रहे थे तभी हमे कोई काली छाया तेरे घर के उपर मंडराती नज़र आ गई इसलिए हम यहाँ चले आए तेरे घर पर संकट के बदल मंडरा रहे है बेटी,

सुधिया एक दम से घबरा कर मेरे पेरो को पकड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा हम तो रोज पूजा पाठ करते है हमारे घर मे संकट कैसे आ सकता है,

राज- बेटी तेरे कुल तीन बच्चे है ना और तुझे मालिक ने एक ही बेटा दिया है बस उसी बेटे पर संकट आ सकता है और तुझे बहुत कष्ट देकर जाएगा,

सुधिया- बाबा दया करो कोई उपाय तो होगा इस संकट को टालने के लिए आप तो आंतेरयामी है आप तो सब जानते है,

राज- हाँ उपाय है बेटी तभी तो मैं तेरे पास आया हू पर उपाय ज़रा कठिन है शायद तू ना कर पाए

सुधिया- मैं हर उपाय करने को तैयार हू बाबा आप बताइए तो सही

राज- ठीक है तो ध्यान से सुन कल सुबह 5 बजे प्रातः उठ कर तुझे अपने गाँव के किसी भी तालाब या नदी पर जाकर पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा उसके बाद वहाँ से 21 कदम नंगी चल कर जाना होगा 21 कदम चलने के बाद तुझे जो सबसे पहला आदमी अपने हाथ मे जल लेकर जाता हुआ नज़र आएगा तुझे उसी आदमी के साथ संभोग करना होगा,

क्रमशः........


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