खिलोना पार्ट--7
"मुझे विश्वास नही होता..",रीमा ने हाथ पीछे ले जा कर ब्रा के हुक्स लगाए,"..कि पिताजी ऐसा कर सकते हैं.सारे लोग उनकी शराफ़त की मिसाल देते हैं.",उसने पॅंटी उठाई & उसे पहनने लगी.
"हुन्न्ह!",बिस्तर पे नंगा लेटा शेखर हंसा,"वो तो बस ज़माने को दिखाने के लिए शराफ़त का ढोंग करते है वरना उस बाज़ारु औरत के चक्कर मे पड़ मा का ये हाल नही करते."
"क्या अभी भी वो उस औरत के चक्कर मे हैं?",रीमा ने स्कर्ट मे पैर डाल उसे उपर खींचा.
"नही.कोई 2 साल पहले वो उन्हे लात मार किसी और के साथ भाग गयी."
"ओह्ह.",रीमा ने टी-शर्ट पहन ली,"अब मैं जाती हू.आपके चक्कर मे मा जी को भी नही देखा."
शेखर बिस्तर से उठ उसे बाहों मे भर चूमने लगा.थोड़ी देर बाद रीमा उस से अलग हो जाने लगी,"मा को देख कर वापस यही आ जाना."
"धात!चुप-चाप सो जाइए,कल सवेरे जल्दी उठ कर आपको देल्ही जाना है.",रीमा कमरे से दबे पाँव बाहर निकली,घर मे अंधेरा & सन्नाटा पसरा था.उसने दीवार घड़ी की ओर देखा,1 बज रहा था.वो अपने ससुर के कमरे की ओर बढ़ी & बड़े धीरे से बिना आवाज़ किए वाहा का दरवाज़ा खोला.
बीच का परदा लगा हुआ था & उसकी सास गहरी नींद मे थी.वो उनके पास गयी & उनकी ढालकी चादर ठीक कर दी.उसका ध्यान पर्दे के किनार से आती हल्की रोशनी पे गया,क्या पर्दे के उस पार कमरे के अपने हिस्से मे उसके ससुर जागे थे?
उसने पर्दे की ओट से देखा तो लॅंप की मद्धम रोशनी मे उसे उसकी ओर पीठ किए कुर्सी पे बैठे उसके ससुर नज़र आए.रीमा का मुँह आश्चर्य से खुल गया,पूरी तरह से नही दिख रहा था पर सॉफ पता चल रहा था कि उसके ससुर कुर्सी पे नंगे बैठे,टांगे सामने पलंग पे टिकाए ज़ोर-2 से अपना लंड हिला रहे थे.वो उसकी तरफ पीठ किए थे इसलिए रीमा उनका लंड तो नही देख पा रही थी पर उनके हाथ की तेज़ रफ़्तार से वो समझ गयी की वो झड़ने के करीब हैं.
तभी उन्होने अपने 1 हाथ मे कोई चीज़ ले उसे अपने चेहरे पे रख लिया,रीमा के मुँह से तो हैरत की चीख निकलते-2 बची,ये उसका रुमाल था जो किसी तरह उसके ससुर के हाथ लग गया था & वो उसे अपने चेहरे पे लगा,उसकी खुश्बू सूंघते हुए मूठ मार रहे थे.
"ओह्ह्ह...री..ईमम्मा!",वीरेंद्र साक्शेणा के बदन ने झटके खाए & कोई सफेद सी चीज़ उनकी गोद से उड़के ज़मीन पे आ गिरी,वो उस रुमाल को चूम रहे थे.रीमा ने परदा छ्चोड़ा & दबे पाँव कमरे से निकल अपने कमरे मे आ गयी.उसके ससुर का उसका नाम & रुमाल ले मूठ मारने के नज़ारे ने उसे फिर से गरम कर दिया था.वो बिस्तर पे लेट अपने जेठ के विर्य से भीगी चूत मे उंगली डाल अपनी गर्मी शांत करने लगी.
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खिलोना compleet
Re: खिलोना
"विरेन्द्र जी,सुमित्रा जी का हाल उपर से तो वैसे का वैसा नज़र आता है पर अंदर से ऐसा नही है.उनका दिमाग़ अब 1 तरह से बेकार हो चुका है.आपलोग अब इस बात के लिए तैय्यार रहिए कि ये कभी भी कोमा मे जा सकती हैं.",सुमित्रा जी के रोटीन चेकप के बाद डॉक्टर ने अपना बॅग उठाया,"..ओके.अब मैं चलता हू."
दर्शन & शेखर जा चुके थे & अब विरेन्द्र जी भी दफ़्तर के लिए निकालने वाले थे,"थॅंक यू,डॉक्टर.",विरेन्द्र जी ने हाथ मिला कर डॉक्टर को विदा किया.उनके चेहरे की परेशानी रीमा को सॉफ दिखाई दे रही थी & उसके दिमाग़ मे रात को कहे शेखर के लफ्ज़ गूँज रहे थे.उसे यकीन नही हो रहा था कि उसके ससुर कभी किसी रांड़ के चक्कर मे पड़े होंगे?
"तुम्हे घर मे अकेले डर तो नही लगेगा.",विरेन्द्र जी ने अपना ब्रीफकेस उठाया.
"नही."
"कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना,हिचकिचाना मत."
"ठीक है."
"..और हां,आज मैं लंच के लिए नही आऊंगा & रात का खाना भी बाहर ही है.मगर फिर भी अगर तुम्हे कोई तकलीफ़ हो तो मुझे बुला लेना.",विरेन्द्र जी निकल गये तो रीमा ने दरवाज़ा बंद कर लिया.
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दोपहर के 2 बज रहे थे & रीमा बैठी टीवी देख रही थी कि फोन घनघनया.
"हेलो.",उसने रिसीवर कान से लगाया पर कोई जवाब नही आया.
"हेलो...हेलो...",अभी भी कोई आवाज़ नही आई.वो फोन रख वापस टीवी देखने लगी.5 मिनिट के बाद फिर से फोन बज उठा.
"हेलो."
इस बार भी कोई आवाज़ नही आई पर उसे ऐसा लगा जैसे किसी के साँस लेने की आवाज़ आ रही हो.
"हेलो..का-कौन है.."बोलते क्यू नही?..",रीमा ने फोन रख दिया,उसे डर लग रहा था.उसके परेशान मन मे 1 बार ख़याल आया की विरेन्द्र जी को फोन करके बुला ले.उसने तय किया कि अगर 1 बार फिर वो ब्लॅंक कॉल आया तो वो अपने ससुर को फोन कर लेगी.
पर ऐसा करने की उसे ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी फिर कोई फोन नही आया.उसने भी सोचा की वो बेकार मे इतना डर गयी थी.हो सकता है कोई फोन करना चाह रहा हो & लाइन मे कोई गड़बड़ हो.
रात के 11 बज गये थे,रीमा खाना खाने के बाद अपनी सास को सुला उनके कमरे से निकली तो बाहर विरेन्द्र जी की गाड़ी रुकने की आवाज़ आई.उसने दरवाज़ा खोला तो वो अंदर आए.उनके अंदर घुसते ही रीमा चौंक उठी,"अरे!ये क्या हो गया?!ये चोट कैसे लगी आपको?"
विरेन्द्र जी की शर्ट का बाया बाज़ू उपर कंधे के पास फॅट गया था & वाहा से अंदर बाँह पे चोट दिख रही थी,ऐसा हाल बाई जाँघ के साइड मे भी था.
"दफ़्तर के पास 1 कार वाला रिवर्स कर रहा था,मैं पीछे खड़ा था.ना उसने देखा ना मुझे पता चला,जब कार बिल्कुल पास आई तो मैं कूद कर 1 तरफ होने लगा तो दीवार से रगड़ खाकर ये चोट लग गयी."
"आप भी ना!खाना खाया या नही?"
"हां."
"चलिए कमरे मे,दवा लगा दूं."
दोनो उनके कमरे मे आ गये.
"चलिए शर्ट उतरिय.",रीमा अपनी फर्स्ट एड किट ले आई थी.विरेन्द्र जी ने शर्ट उतार दी.बाँह पे बड़ी सी खरोंच थी,रीमा रूई गीली कर घाव को सॉफ करने लगी.उसके सामने उसके ससुर की बालो भरी नंगी छाती कुच्छ ही दूरी पे थी.वो घाव पे मरहम लगते हुए उनका सीना देख रही थी,उसका दिल कर रहा था कि अपनी उंगलिया उनके बालो मे उतार उनके निपल्स को चूम ले.
उसने नीचे देखा,जाँघ की खरोंच के लिए उन्हे पॅंट उतारनी होगी पर ये अपने ससुर से वो कैसे कहती.विरेन्द्र जी शायद उसकी दुविधा समझ गये,"अब जाँघ पे भी तो दवा लगओगि?"
"हां."
सुनते ही उन्होने अपनी पॅंट उतार दी & अपनी बहू के सामने केवल 1 काले अंडरवेर मे खड़े हो गये.शर्म से रीमा का बुरा हाल था.वो घुटनो के बल बैठ गयी & अपने लगभग नंगे ससुर की जाँघ की साइड पे घाव सॉफ करने लगी.उसके चेहरे से कुच्छ इंच की दूरी पे उनका फूला हुआ अंडरवेर था.रीमा ने डेटोल ले जैसे ही घाव पे लगाया विरेन्द्र जी की आह निकल गयी & वो थोड़ा सा उसकी ओर घूम गये तो उनका लंड रीमा के चेहरे से टकरा गया.
दर्शन & शेखर जा चुके थे & अब विरेन्द्र जी भी दफ़्तर के लिए निकालने वाले थे,"थॅंक यू,डॉक्टर.",विरेन्द्र जी ने हाथ मिला कर डॉक्टर को विदा किया.उनके चेहरे की परेशानी रीमा को सॉफ दिखाई दे रही थी & उसके दिमाग़ मे रात को कहे शेखर के लफ्ज़ गूँज रहे थे.उसे यकीन नही हो रहा था कि उसके ससुर कभी किसी रांड़ के चक्कर मे पड़े होंगे?
"तुम्हे घर मे अकेले डर तो नही लगेगा.",विरेन्द्र जी ने अपना ब्रीफकेस उठाया.
"नही."
"कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना,हिचकिचाना मत."
"ठीक है."
"..और हां,आज मैं लंच के लिए नही आऊंगा & रात का खाना भी बाहर ही है.मगर फिर भी अगर तुम्हे कोई तकलीफ़ हो तो मुझे बुला लेना.",विरेन्द्र जी निकल गये तो रीमा ने दरवाज़ा बंद कर लिया.
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दोपहर के 2 बज रहे थे & रीमा बैठी टीवी देख रही थी कि फोन घनघनया.
"हेलो.",उसने रिसीवर कान से लगाया पर कोई जवाब नही आया.
"हेलो...हेलो...",अभी भी कोई आवाज़ नही आई.वो फोन रख वापस टीवी देखने लगी.5 मिनिट के बाद फिर से फोन बज उठा.
"हेलो."
इस बार भी कोई आवाज़ नही आई पर उसे ऐसा लगा जैसे किसी के साँस लेने की आवाज़ आ रही हो.
"हेलो..का-कौन है.."बोलते क्यू नही?..",रीमा ने फोन रख दिया,उसे डर लग रहा था.उसके परेशान मन मे 1 बार ख़याल आया की विरेन्द्र जी को फोन करके बुला ले.उसने तय किया कि अगर 1 बार फिर वो ब्लॅंक कॉल आया तो वो अपने ससुर को फोन कर लेगी.
पर ऐसा करने की उसे ज़रूरत नही पड़ी क्यूकी फिर कोई फोन नही आया.उसने भी सोचा की वो बेकार मे इतना डर गयी थी.हो सकता है कोई फोन करना चाह रहा हो & लाइन मे कोई गड़बड़ हो.
रात के 11 बज गये थे,रीमा खाना खाने के बाद अपनी सास को सुला उनके कमरे से निकली तो बाहर विरेन्द्र जी की गाड़ी रुकने की आवाज़ आई.उसने दरवाज़ा खोला तो वो अंदर आए.उनके अंदर घुसते ही रीमा चौंक उठी,"अरे!ये क्या हो गया?!ये चोट कैसे लगी आपको?"
विरेन्द्र जी की शर्ट का बाया बाज़ू उपर कंधे के पास फॅट गया था & वाहा से अंदर बाँह पे चोट दिख रही थी,ऐसा हाल बाई जाँघ के साइड मे भी था.
"दफ़्तर के पास 1 कार वाला रिवर्स कर रहा था,मैं पीछे खड़ा था.ना उसने देखा ना मुझे पता चला,जब कार बिल्कुल पास आई तो मैं कूद कर 1 तरफ होने लगा तो दीवार से रगड़ खाकर ये चोट लग गयी."
"आप भी ना!खाना खाया या नही?"
"हां."
"चलिए कमरे मे,दवा लगा दूं."
दोनो उनके कमरे मे आ गये.
"चलिए शर्ट उतरिय.",रीमा अपनी फर्स्ट एड किट ले आई थी.विरेन्द्र जी ने शर्ट उतार दी.बाँह पे बड़ी सी खरोंच थी,रीमा रूई गीली कर घाव को सॉफ करने लगी.उसके सामने उसके ससुर की बालो भरी नंगी छाती कुच्छ ही दूरी पे थी.वो घाव पे मरहम लगते हुए उनका सीना देख रही थी,उसका दिल कर रहा था कि अपनी उंगलिया उनके बालो मे उतार उनके निपल्स को चूम ले.
उसने नीचे देखा,जाँघ की खरोंच के लिए उन्हे पॅंट उतारनी होगी पर ये अपने ससुर से वो कैसे कहती.विरेन्द्र जी शायद उसकी दुविधा समझ गये,"अब जाँघ पे भी तो दवा लगओगि?"
"हां."
सुनते ही उन्होने अपनी पॅंट उतार दी & अपनी बहू के सामने केवल 1 काले अंडरवेर मे खड़े हो गये.शर्म से रीमा का बुरा हाल था.वो घुटनो के बल बैठ गयी & अपने लगभग नंगे ससुर की जाँघ की साइड पे घाव सॉफ करने लगी.उसके चेहरे से कुच्छ इंच की दूरी पे उनका फूला हुआ अंडरवेर था.रीमा ने डेटोल ले जैसे ही घाव पे लगाया विरेन्द्र जी की आह निकल गयी & वो थोड़ा सा उसकी ओर घूम गये तो उनका लंड रीमा के चेहरे से टकरा गया.
Re: खिलोना
रीमा के तो पसीने छुत गये,अंडरवेर मे क़ैद उसके ससुर का लंड उसके होटो से आ लगा था.जैसे-तैसे उसने मरहम लगाया & उठ के खड़ी हो गयी,"अब आप आराम कीजिए?",उसका आँचल सीने से नीचे ढालाक गया था वो उसे उठाने ही वाली थी क़ि विरेन्द्र जी बोले,"आज पैरो की मालिश नही करोगी?"
रीमा के जवाब का इंतेज़ार किए बिना उन्होने उसके हाथ से उसका आँचल लिया & उसकी कमर मे खोंस दिया.जब उनका हाथ कमर के उस हिस्से को,जहा पेट ख़तम होता है & जाँघ शुरू होती है,वाहा पे लगा तो रीमा सिहर उठी.
विरेन्द्र जी पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगाके पैर फैला कर बैठ गये.
"मैं तेल ले आती हू.",रीमा जाने को हुई तो उन्होने उसका हाथ पकड़ लिया,"नही,बिना तेल के ही कर दो.
रीमा घुटनो के बल पलंग पे अपने ससुर की टाँगो के बगल मे बैठ गयी & झुक कर टांगे दबाने लगी.जब वो नीचे से उपर उनकी जाँघो तक आती तो देखती की अंडरवेर के अंदर कुच्छ हुलचूल हो रही है.झुकने से उसकी छातिया तो बस ब्लाउस के गले से छलक्ने को तैय्यर थी.वो उनपे अपने सासुर की नज़रो की गर्मी महसूस कर रही थी.करीब 10 मिनिट तक बारी-2 से उसने ऐसे ही उनकी दोनो टांगे दबाई.बीच मे 1 बार भी उसकी हिम्मत नही हुई कि नज़र उठा कर अपने ससुर की नज़रो से मिलाए.
"अब ज़रा कंधे भी दबा दो,रीमा."उन्होने ने उसके कंधे पे वाहा हाथ रखा जहा ब्लाउस नही था.
"जी.",विरेन्द्र जी हेडबोर्ड से अलग हो सेधे बैठ गये तो रीमा घुटनो के बल ही हेडबोर्ड & अपने ससुर के बीच मे बैठ गयी & उनके कंधे दबाने लगी.सारी नीचे से घुटनो मे फँसी तो उसने उसे घुटनो से उपर खींच लिया.अब घुटनो तक उसकी टांगे नंगी थी.
विरेन्द्र जी ने अपना बदन अब पीछे अपनी बहू के बदन से टीका दिया.रीमा की साँस अटक गयी,उसके ससुर का सर उसकी चूचियो पे आ लगा था & पीठ उसके पेट से सॅट रही थी,"ज़रा सर भी दबा दो,बहू.",उन्होने कंधे से उसका हाथ उठा अपने सर पे रख दिया.
रीमा सर दबाने लगी पर उसके ससुर के बदन की छुअन उसके बदन मे गुदगुदी पैदा कर रही थी.वो गरम होने लगी & थोड़ी देर बाद आँखे बंद कर पीछे से वो भी अपने ससुर से चिपक गयी & उनका सर सहलाने लगी.काफ़ी देर तक ये सर दबाने का नाटक चलता रहा.रीमा की चूत गीली होने लगी थी.
"रीमा.."
"ह्म्म.",रीमा आँखे बंद किए जैसे नशे मे बोली.
"ज़रा सामने आकर सर दबा दो.",उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसका हाथ पकड़ा & उसे सामने ले आए.रीमा उनकी ओर मुँह कर उनकी बगल मे बैठ सर दबाने लगी.विरेन्द्र जी एकटक उसके चेहरे & उसके बदन को देखे जा रहे थे.रीमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया था.
"ऐसे तुम ठीक से नही दबा पा रही हो.बिल्कुल सामने होकर बैठो."
रीमा की समझ मे नही आया कि बिल्कुल सामने वो कैसे बैठे,उसने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा.जवाब मे उन्होने ने अपने बाए हाथ से उसकी उपरी बाँह को पकड़ा & दाएँ से उसकी बाएँ घुटने को,जोकि सारी उठी होने की वजह से नंगा था,& उसकी बाई टांग को अपने शरीर की दूसरी ओर कर लिया.अब रीमा अपने ससुर के बदन के दोनो ओर घुटने रख के खड़ी थी.उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था.
विरेन्द्र जी ने उसकी कमर को पकड़ा & उसे अपने अंडरवेर पे बिठा दिया,"हां,अब बैठ के सर दबओ."
रीमा को नीचे अपनी गंद & चूत पे अपने ससुर का कड़ा लंड महसूस हो रहा था,उसकी चूत तो बस लंड छुते ही जैसे पागल हो गयी & पानी छ्चोड़ने लगी.रीमा ने किसी तरह सर दबाना शुरू किया.विरेन्द्र जी ने हाथ अब उसके नंगे घुटनो पे रख दिए.
थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे & रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर का सर दबाते रही.वो लगातार उसे घुरे जा रहे थे & उसमे इतनी हिम्मत नही थी कि उनसे नज़रे मिला सके.फिर उन्होने अपना हाथ उसके घुटनो से नीचे उसकी नंगी टाँगो के पिच्छले हिस्से पे फिराना शुरू कर दिया.रीमा ने अपनी आह बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ़्न की.
विरेन्द्र जी का हाथ नीचे से वापस घुटनो तक आया तो वाहा रुकने के बजाय उपर उसकी सारी मे घुस गया & उसकी भारी जाँघो के पिच्छले गद्देदार हिस्से को सहलाने लगा.रीमा अब हवा मे उड़ने लगी,अपने ससुर के बालो से खेलती वो आँखे बंद किए उनके हाथो का मज़ा उठाने लगी.करीब 10-15 मिनिट तक विरेन्द्र जी उसकी मांसल जाँघो को आगे पीछे,उपर-नीचे सहलाते रहे.
"रीमा.."
"ह्म्म."
"ज़रा ये किताब पीछे शेल्फ पे रख दो.",बिस्तर पे 1 किताब पड़ी थी & पलंग के हेडबोर्ड के उपर दीवार मे 1 शेल्फ बना था,विरेन्द्र जी ने किताब उसे थमा दी & शेल्फ की ओर इशारा किया.
किताब रखने के लिए रीमा को घुटनो पे खड़ा हो आगे की ओर थोडा झुकना पड़ा.ऐसा करने से उसकी चूचिया अब उसके ससुर के चेहरे के बिल्कुल सामने आ गयी,अगर वो थोडा और झुकती तो वो सीधा उनके चेहरे से आ लगती.
"आहह...",रीमा किताब रख रही थी की उसकी आ निकल गयी.विरेन्द्र जी 1 उंगली उसकी नाभि मे घुसा उसे कुरेदते हुए उसके नेवेल रिंग को छेड़ रहे थे,"ये पहनने मे दर्द नही होता?"
"ना..ही..",रीमा ने उखरती सांसो के बीच कहा.
उसके हाथ शेल्फ से उतर कर उनके कंधो पे आ लगे थे.विरेन्द्र जी उसकी नाभि को छेड़ते हुए उसके छल्ले को उतारने लगे.उसकी साँसे तेज़ हो गयी,"ऊव्व...",उन्होने छल्ले को निकाल कर अलग कर दिया.अब वो अपनी पूरी हथेली उसके सपाट,चिकने पेट पे फिराने लगे,हाथ पीछे ले जा उसकी पीठ पे रखा & उसके बदन को अपनी ओर धकेला & उसके पेट पे अपने होंठ रख दिए.
रीमा के जवाब का इंतेज़ार किए बिना उन्होने उसके हाथ से उसका आँचल लिया & उसकी कमर मे खोंस दिया.जब उनका हाथ कमर के उस हिस्से को,जहा पेट ख़तम होता है & जाँघ शुरू होती है,वाहा पे लगा तो रीमा सिहर उठी.
विरेन्द्र जी पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगाके पैर फैला कर बैठ गये.
"मैं तेल ले आती हू.",रीमा जाने को हुई तो उन्होने उसका हाथ पकड़ लिया,"नही,बिना तेल के ही कर दो.
रीमा घुटनो के बल पलंग पे अपने ससुर की टाँगो के बगल मे बैठ गयी & झुक कर टांगे दबाने लगी.जब वो नीचे से उपर उनकी जाँघो तक आती तो देखती की अंडरवेर के अंदर कुच्छ हुलचूल हो रही है.झुकने से उसकी छातिया तो बस ब्लाउस के गले से छलक्ने को तैय्यर थी.वो उनपे अपने सासुर की नज़रो की गर्मी महसूस कर रही थी.करीब 10 मिनिट तक बारी-2 से उसने ऐसे ही उनकी दोनो टांगे दबाई.बीच मे 1 बार भी उसकी हिम्मत नही हुई कि नज़र उठा कर अपने ससुर की नज़रो से मिलाए.
"अब ज़रा कंधे भी दबा दो,रीमा."उन्होने ने उसके कंधे पे वाहा हाथ रखा जहा ब्लाउस नही था.
"जी.",विरेन्द्र जी हेडबोर्ड से अलग हो सेधे बैठ गये तो रीमा घुटनो के बल ही हेडबोर्ड & अपने ससुर के बीच मे बैठ गयी & उनके कंधे दबाने लगी.सारी नीचे से घुटनो मे फँसी तो उसने उसे घुटनो से उपर खींच लिया.अब घुटनो तक उसकी टांगे नंगी थी.
विरेन्द्र जी ने अपना बदन अब पीछे अपनी बहू के बदन से टीका दिया.रीमा की साँस अटक गयी,उसके ससुर का सर उसकी चूचियो पे आ लगा था & पीठ उसके पेट से सॅट रही थी,"ज़रा सर भी दबा दो,बहू.",उन्होने कंधे से उसका हाथ उठा अपने सर पे रख दिया.
रीमा सर दबाने लगी पर उसके ससुर के बदन की छुअन उसके बदन मे गुदगुदी पैदा कर रही थी.वो गरम होने लगी & थोड़ी देर बाद आँखे बंद कर पीछे से वो भी अपने ससुर से चिपक गयी & उनका सर सहलाने लगी.काफ़ी देर तक ये सर दबाने का नाटक चलता रहा.रीमा की चूत गीली होने लगी थी.
"रीमा.."
"ह्म्म.",रीमा आँखे बंद किए जैसे नशे मे बोली.
"ज़रा सामने आकर सर दबा दो.",उन्होने हाथ पीछे ले जाके उसका हाथ पकड़ा & उसे सामने ले आए.रीमा उनकी ओर मुँह कर उनकी बगल मे बैठ सर दबाने लगी.विरेन्द्र जी एकटक उसके चेहरे & उसके बदन को देखे जा रहे थे.रीमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया था.
"ऐसे तुम ठीक से नही दबा पा रही हो.बिल्कुल सामने होकर बैठो."
रीमा की समझ मे नही आया कि बिल्कुल सामने वो कैसे बैठे,उसने सवालिया नज़रो से उन्हे देखा.जवाब मे उन्होने ने अपने बाए हाथ से उसकी उपरी बाँह को पकड़ा & दाएँ से उसकी बाएँ घुटने को,जोकि सारी उठी होने की वजह से नंगा था,& उसकी बाई टांग को अपने शरीर की दूसरी ओर कर लिया.अब रीमा अपने ससुर के बदन के दोनो ओर घुटने रख के खड़ी थी.उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था.
विरेन्द्र जी ने उसकी कमर को पकड़ा & उसे अपने अंडरवेर पे बिठा दिया,"हां,अब बैठ के सर दबओ."
रीमा को नीचे अपनी गंद & चूत पे अपने ससुर का कड़ा लंड महसूस हो रहा था,उसकी चूत तो बस लंड छुते ही जैसे पागल हो गयी & पानी छ्चोड़ने लगी.रीमा ने किसी तरह सर दबाना शुरू किया.विरेन्द्र जी ने हाथ अब उसके नंगे घुटनो पे रख दिए.
थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही बैठे रहे & रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर का सर दबाते रही.वो लगातार उसे घुरे जा रहे थे & उसमे इतनी हिम्मत नही थी कि उनसे नज़रे मिला सके.फिर उन्होने अपना हाथ उसके घुटनो से नीचे उसकी नंगी टाँगो के पिच्छले हिस्से पे फिराना शुरू कर दिया.रीमा ने अपनी आह बड़ी मुश्किल से अपने गले मे दफ़्न की.
विरेन्द्र जी का हाथ नीचे से वापस घुटनो तक आया तो वाहा रुकने के बजाय उपर उसकी सारी मे घुस गया & उसकी भारी जाँघो के पिच्छले गद्देदार हिस्से को सहलाने लगा.रीमा अब हवा मे उड़ने लगी,अपने ससुर के बालो से खेलती वो आँखे बंद किए उनके हाथो का मज़ा उठाने लगी.करीब 10-15 मिनिट तक विरेन्द्र जी उसकी मांसल जाँघो को आगे पीछे,उपर-नीचे सहलाते रहे.
"रीमा.."
"ह्म्म."
"ज़रा ये किताब पीछे शेल्फ पे रख दो.",बिस्तर पे 1 किताब पड़ी थी & पलंग के हेडबोर्ड के उपर दीवार मे 1 शेल्फ बना था,विरेन्द्र जी ने किताब उसे थमा दी & शेल्फ की ओर इशारा किया.
किताब रखने के लिए रीमा को घुटनो पे खड़ा हो आगे की ओर थोडा झुकना पड़ा.ऐसा करने से उसकी चूचिया अब उसके ससुर के चेहरे के बिल्कुल सामने आ गयी,अगर वो थोडा और झुकती तो वो सीधा उनके चेहरे से आ लगती.
"आहह...",रीमा किताब रख रही थी की उसकी आ निकल गयी.विरेन्द्र जी 1 उंगली उसकी नाभि मे घुसा उसे कुरेदते हुए उसके नेवेल रिंग को छेड़ रहे थे,"ये पहनने मे दर्द नही होता?"
"ना..ही..",रीमा ने उखरती सांसो के बीच कहा.
उसके हाथ शेल्फ से उतर कर उनके कंधो पे आ लगे थे.विरेन्द्र जी उसकी नाभि को छेड़ते हुए उसके छल्ले को उतारने लगे.उसकी साँसे तेज़ हो गयी,"ऊव्व...",उन्होने छल्ले को निकाल कर अलग कर दिया.अब वो अपनी पूरी हथेली उसके सपाट,चिकने पेट पे फिराने लगे,हाथ पीछे ले जा उसकी पीठ पे रखा & उसके बदन को अपनी ओर धकेला & उसके पेट पे अपने होंठ रख दिए.