कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

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rajaarkey
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Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 20:56

गतान्क से आगे ......

" हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है" मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर तीन इंच और अंडर पेल दिया.

" भाभी, मेरी जान थोड़े से चूतर और उँचे करो ना." भाभी ने अपने भारी नितंब और उँचे कर दिए. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतरो को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 10 इंच का लवदा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.

" आआआआआआआः………. मार डाला…….ऊवू .…अया…..अघ….उई…सी….आ… अया….. ओईइ….. माआ……कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 10 इंच का मूसल घुसेड दिया?" भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा. भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चूतरो को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंडर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपारे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी की उसमे से फ़च फ़च की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.

" तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया…..आ..एयेए.ह…..ऊवू..ओह."

अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई कछि को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूटर उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुन्दर लगा रही थी. भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 10 इंच का लवदा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी.

" उई मा…… आ …क्या कर रहा है रामू?"

" कुच्छ नहीं भाभी आपका ये वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा. मैने सोचा इसकी भी सेवा कर दूं." ये कह कर मैने पूरी उंगली भाभी की गांद में घुसा दी.

"आआआः…ऊवू…अघ… धीरे राजा, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है." भाभी को गांद में उंगली डलवाने में मज़ा आ रहा था. मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. भाभी शायद दो तीन बार झाड़ चुकी थी क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था. 15- 20 धक्कों के बाद मैं भी झाड़ गया और ढेर सारा वीर्य भाभी की चूत में उंड़ेल दिया. भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गयी थी. वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा. भाभी निढाल हो कर चटाई पर लेट गयी.

" रामू आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है. एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तडप रही थी. काश मुझे पता होता कि खड़ा हो कर तो ये 10 इंच लंबा हो जाता है."

" तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा. आपको तो अच्छी तरह मालूम था की मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ. औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती है."

" लेकिन मेरे राजा, औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो. पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है.और फिर मैं तेरी भाभी हूँ."

" ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदुन्गा."

" मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद हिदिया है. अब क्या शरमाना?इतना मोटा लंबा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी. इसको मोटा ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी. अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बॅंड बजा दिया है." उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गयी. जाते समय उनके चौड़े भारी नितंब मस्ती में बल खा रहे थे. उनके मटकते हुए चूतर देख दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गांद में अपना लवदा पेल दूं.

अगले दिन मेरा बॉडीबिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने ये प्रतियोगिता इस साल फिर से जीत ली. अब मैं दूसरी बार कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग चॅंपियन हो गया. मैं बहुत खुश था. घर आ कर मैने जब भाभी को यह खबर सुनाई तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा.

rajaarkey
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Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 20:56

" आज तो जश्न मनाने का दिन है. आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी अच्छी चीज़ें बनाउन्गि. बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?"

" भाभी आप जानती हैं मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए"मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला.

" अरे वो तो तेरी ही है जब मर्ज़ी आए ले लेना. आज तू जो कहेगा वही करूँगी."

" सच भाभी ! आप कितनी अच्छी हो." यह कह कर मैने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए. मैं दोनो हाथों से भाभी के मोटे मोटे चूतर सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा. ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था. भाभी की साँसें तेज़ हो गयी. अब मैने धीरे से भाभी की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गयी.

" रामू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही. पहले खाना तो खा ले फिर जो चाहे कर लेना. चल अब छोड़ मुझे." यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की. मैने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर भाभी के छूटरो को उनकी सॅटिन की कछि के उपर से दबाते हुए कहा,

" ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ, मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी."

" बोल क्या शर्त है ?"

" शर्त यह है की आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे." मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला.

" क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?" भाभी मुस्कुराते हुए बोली. मैं भाभी की कछि में हाथ डाल कर उनके चूतरो को मसल्ते हुए बोला,

" नहीं भाभी आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं, और मैने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा."

" झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे. कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे ! सांड़ की तरह ……. ……..भूल गया?"

" कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान, अब उतार भी दो ना." यह कहते हुए मैने भाभी का कुर्ता भी उपर करके उतार दिया. अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और छ्होटी सी कछि में थी.

"अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे." और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया. इसके बाद उन्होने मेरी पॅंट भी नीचे खींच दी. मेरा लौदा अंडरवेर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरे लौदे को अंडरवेर के उपर से सहलाते हुए बोली,

" रामू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?"

" भाभी नाराज़ नहीं हो रहे बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं."

" सच ! बहुत समझदार हैं." यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर भी नीचे खींच दिया. मेरा 10 इंच का लौदा फंफना कर खड़ा हो गया. भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो बारे प्यार से लौदे को सहलाने लगी. मैने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चुचिओ को आज़ाद कर दिया. फिर मैने दोनो निपल्स को बारी बारी से चूमा और भाभी की कछि को नीचे सरका दिया. गोरी गोरी जांघों के बीच में झांतों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी.

" अब तो मैने तेरी शर्त मान ली. अब मुझे खाना बनाने दे." ये कह कर वो किचन की ओर चल पड़ी. ऊफ़ ! क्या नज़ारा था ! गोरा बदन, घने चूतरो तक लटकते बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितूंब, सुडोल जंघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लंबी झांतों से भरी फूली हुई चूत. चलते वक़्त मटकते हुए चूतर और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थी. भाभी किचन में खाना बनाने लगी. मैं भी किचन में जा कर भाभी के चूतरो से चिपक कर खड़ा हो गया. मेरा 10 इंच का लौदा भाभी के चूतरो की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा. मैं भाभी की चूचिओ को पीछे से हाथ डाल कर मसल्ने लगा.

" छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे." भाभी झूठ मूठ का गुस्सा करते हुए बोली और साथ ही में अपने चूतरो को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया की मेरा लौदा उनके चूतरो की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छ्छूने लगा. भाभी की चूत इतनी गीली थी की मेरा लौदे के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया. इतने में भाभी कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गये. भाभी के भारी चूतरो के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी. मैने झट से अपने मोटे लौदे का सुपरा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरा लौदा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अंडर घुस गया.

rajaarkey
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Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 20:57

"आआ…….ह. क्या कर रहा है रामू? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं. निकाल ले ना." लेकिन भाभी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की. मैने भाभी की कमर पकड़ के तोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया. इस बार तो करीब 8 इंच लौदा भाभी की चूत में समा गया.

"आ…आ..आ…आ..आ ..वी मया..आआ.. मर गयी, छोड़ ना मुझे. पहले खाना तो खा ले." भाभी सीधी हुई पर लौदा अब भी चूत में धंसा हुआ था. मैने पीछे से हाथ डाल कर भाभी की चूचिया पकड़ ली.

" भाभी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?" उसके बाद भाभी उसी मुद्रा में खाना बनाती रही और मैं भी भाभी की चूत में पीछे से लौदा फँसा कर भाभी की पीठ और चूतरो को सहलाता रहा.

" चल रामू खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को." भाभी अपने चूतर पीछे की ओर उचकते हुए बोली. मैने भाभी के चूतर पकड़ के दो तीन धक्के और लगाए और लौदे को बाहर निकाल लिया. मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के रस से सना हुआ था. भाभी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खैंच कर बैठ गया.

" आओ भाभी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो."

" हाई राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लंबी सी तलवार निकली हुई है." भाभी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली.

क्रमशः.........

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