घरेलू चुदाई समारोह compleet

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007
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:41


वह सजल के साथ तीन दिन से आया हुआ था और कोमल की उसे चोदने की इच्छा हर रोज़ तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी वो बहुत चुदासी थी। इस पूरे हफ्ते में वह सजल को सिर्फ़ एक ही बार चोद पाई थी। पता नहीं क्यों सुनील भी पिछले कुछ दिनों से चोदने के मूड में नहीं था। वह हर बार थकने का कारण बताकर उसे नहीं चोद रहा था। उसके दिमाग में एक बार तो यह ख्याल आया कि कहीं वह इधर-उधर मुँह तो नहीं मार रहा था, पर फिर उसने इस विचार को दरकिनार कर दिया। अभी तो उसका ध्यान इस बात पर ज्यादा था कि प्रमोद को कैसे अपने काबू में किया जाये।

उसने सजल से पहले पूछा था कि- “क्या उसने प्रमोद को बताया है कि वो अपनी मम्मी को चोदता है…

सजल ने जवाब दिया था- “अगर मैं कहूंगा तो वो मुझे पागल समझेगा…”

“क्या तुम्हें अपनी मम्मी को चोदने में शर्म आती है…” उसने कुछ दुख से पूछा।

“नहीं, मुझे शर्म नहीं आती पर अधिकतर लोग हमारी बात को नहीं समझेंगे…” सजल ने कहा।

“क्या तुम समझते हो कि प्रमोद मुझे चोदना चाहेगा…”

“क्या तुम प्रमोद को चोदना चाहती हो…”

“तुम्हें ईर्ष्या तो नहीं होगी न…”

“पता नहीं, मैनें कभी इस बारे में सोचा ही नहीं कि मुझे और पापा के अलावा भी कोई तुम्हारे साथ सम्पर्क रखे। पर मेरी जान-पहचान के लड़के के साथ… ये कुछ ज्यादा है… लगता है तुम्हें जवान लड़कों का शौक है…”

“यह तो मैं नहीं कह पाऊँगी, पर हाँ मुझे चुदवाने का बेहद शौक है, यह बात पक्की है…”

“अगर प्रमोद तुम्हें न चोदना चाहेगा तो…”

“पहले यह बात पता तो लगे… मैं यह जानना चाहती हूँ, पर मैं तुम्हारी भावनाएं समझना चाहती थी…”

“क्या तुम हम दोनों को एक साथ चोदना चाहोगी…” सजल के प्रश्न ने कोमल को भौंचक्का कर दिया।

“मुझे डर था कि तुम शायद इसके लिये तैयार न हो…” कोमल के जिश्म में यह सोचकर कर सनसनी फैल गई कि अगर ऐसा हुआ तो कैसा लगेगा।

सजल ने कंधे उचका कर कहा- “अगर कोई अपनी मम्मी को चोद सकता है तो वो कुछ भी कर सकता है…”

“तो फिर देखते हैं कि यह प्रोग्राम चलता है या नहीं। मुझे खुशी है कि तुम मेरे साथ हो। अब मैं प्रमोद से सही समय पर बात करूंगी…”

अब जबकि कोमल उन दोनों लड़कों की वापसी की राह देख रही थी, उसे विश्वास हो चला था कि प्रमोद को अपने दिल की बात कहने का समय आ गया था। उसने अपने कमरे में जाकर भड़काऊ कपड़े पहने जिससे कि उसका जिश्म छिप कम और दिख अधिक रहा था। आवश्यकता के अनुरूप उसने न चड्ढी पहनी थी न ही ब्रा। साथ ही उसने अपने गोरे पैरों में चमचमाते पट्टों वाले ऊँची एंड़ी के सैंडल भी पहन लिए क्योंकी एक तो उसकी चाल सेक्सी हो जाती थी और दूसरे उसका अनुभव था कि ज्यादातर मर्द ऊँची एंड़ी के सैंडल पहनी औरत की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं। इस रूप में उसे देखकर, अगर प्रमोद उसे चोदेगा नहीं तो कम से कम वह पागल तो ज़रूर हो जायेगा। इतने में ही उसने गाड़ी के वापस आने की आवाज़ सुनी और वो रसोई में सामान रखने के लिये चली गई।

007
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:41


“तुम लोग इतना क्या खरीद लाये…” कोमल ने सामान देखकर पूछा।

“खूब सारी बीयर, प्रमोद को बहुत पसंद है…”

“तुम्हारी मम्मी तुम्हें पीने देती है…”

“मेरी मम्मी बहुत फारवर्ड है। वो मुझे मेरे दोस्तों के साथ ऐसा बहुत कुछ करने देती है जो कि दूसरे माँ-बाप सोचने के लिये भी मना करते हैं…”

“उदाहरण के लिये…” कोमल ने टेबल पर आगे झुकते हुए पूछा जिससे कि उसके मम्मों कि झलक प्रमोद को मिले। उसने देखा कि प्रमोद को अपनी आंखें हटाने में मुश्किल हुई थी।

“बहुत सारी… मैं जितनी देर चाहूं बाहर रह सकता हूँ… मैं जितनी चाहे उतनी लड़कियों के साथ घूम-फिर सकता हूँ और…”

“यह तो बहुत अच्छी बात है… एक लड़के को लड़कियों के साथ सम्पर्क का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, खास तौर पर शादी के पहले… है न सजल…” कोमल ने जब सजल से पूछा तो वो समझ गया कि उसकी मम्मी बात को किस तरफ ले जा रही थी।

“बिल्कुल ठीक मम्मी…” उसने हाँ में हाँ मिलाई।

कोमल एक ग्लास लेने के लिये उठी और रसोई में वाशबेसिन पर कुछ इस तरह झुकी कि उसकी मिनी-स्कर्ट ऊपर उठ गई। उसने ग्लास निकालने में जरूरत से ज्यादा समय लिया। उसके बाद कुर्सी पर बैठने के बजाय वह प्रमोद के ठीक सामने टेबल के किनारे ही बैठ गई। प्रमोद ने दूसरी ओर देखते हुए बीयर पीने का बहाना किया। वह किसी औरत के इतना पास होने से थोड़ा नवर्स हो रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या चाहती थी।

“तुम जानते हो प्रमोद, मैं तुम्हारी मम्मी से भी ज्यादा उन्मुक्त स्वभाव की हूँ। मेरी तरफ से सजल को पूरी छूट है कि वो जिस लड़की के साथ चाहे घूमे और उसके साथ जो मर्जी हो वो करे। तुम समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ…”

वो लड़का थोड़ी झिझक के साथ बोला- “जी शायद समझ रहा हूँ…” यह कहते हुए उसकी नज़र अपने सामने परोसी हुई मखमली जांघों और गोरी सुडौल टाँगों और ऊँची एंड़ी के चमचमाते सैंडलों में कसे सेक्सी पैरों पर टिकी हुई थीं।

“हो सकता है कि तुम्हें मेरी बात ठीक से समझ नहीं आई हो… मेरा मतलब है लड़कियों के साथ सम्भोग करने का…” यह कहकर कोमल प्रमोद पर अपनी बात का प्रभाव देखने के लिये रुकी।

प्रमोद को तो जैसे बिजली का झटका लगा हो। वो उस औरत का मुँह ताकता रह गया। सजल की मम्मी सजल के सामने उससे ऐसी बात कैसे कह सकती थी।

“मेरे ख्याल से प्रमोद भी किसी भी औरत के साथ सम्भोग करने के लिये मुक्त है। तुम्हारी मम्मी क्या कहेगी अगर तुम अपनी उम्र से बड़ी किसी औरत से सम्बंध बनाओगे…” यह कहते हुए कोमल अपने ऊँची एंड़ी के सैंडलों से धीरे-धीरे प्रमोद के पांव को सहला रही थी। वो प्रमोद के शरीर का कम्पन महसूस कर सकती थी।

“पता नहीं आंटी…” उसने सजल की ओर सहायता के लिये देखा- “मैंने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं…”

कोमल धीरे से हँसी- “तुम क्या समझते हो की मैं तुम्हारी इस बात पर यकीन कर लूंगी… हर जवान लड़का अपने से उम्रदराज़ औरत को चोदना चाहता है। मैं जानती हूँ कि सजल इस बारे में क्या सोचता था…” उसने अपनी इस बात से ज़ाहिर कर दिया कि उसकी मंशा क्या थी।

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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:42


प्रमोद ने सजल की ओर देखा। सजल ने हामी में अपना सिर हिलाया कि वह सही समझ रहा था।

“तुम सही सोच रहे हो प्रमोद… मैं सजल को चोदने की ट्रेनिंग दे रही हूँ। क्या तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हें भी यह शिक्षा दूँ। मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदना चाहते हो क्योंकी तुम जिस तरह से मेरे शरीर को देख रहे थे उसका कोई और मतलब हो ही नहीं सकता…”

कोमल ने बीयर की बोतल प्रमोद के हाथों से ली और उसका ठंडा हाथ अपने नंगे पेट पर रख दिया। फिर आहिस्ता से उन्हें अपनी चूचियों पर लगा लिया।

“देखो ये कितने बड़े और गर्म हैं। हाय, तुम्हारे हाथ कितने ठंडे हैं। पर चिंता मत करो थोड़ी ही देर में ये भी गर्मा जायेंगे…” कोमल ने अपनी चूचियों को उसके हाथों से दबाते हुए कहा।

प्रमोद तो जैसे सपना देख रहा था। किसी औरत के मम्मों को वह सचमुच में दबा रहा था यह उसे अभी तक विश्वास नहीं था। उसे परसों की रात याद आई जब उसने कोमल के नंगे शरीर के बारे में सोचते हुए मुठ मारी थी। उसने कितने अच्छे से बाथरूम साफ़ किया था उसके बाद - यह सोचकर कि कहीं उसके वीर्य के अवशेष कोमल को न मिल जायें। और अब वह उसी औरत की छातियों में अपना हाथ डाले हुए बैठा था।

“अपने हाथ मत हटाना…” उसने प्रमोद से कहा- “सजल, मेरा टाप तो उतार ज़रा बेटा। प्रमोद को भी तो अपने मम्मों की छटा दिखाऊँ…”

सजल ने अपनी मम्मी की आज्ञा मानी और कोमल के दोनों स्तन अपनी पूरी बहार में खिल उठे।

“अब तुम दोनों एक-एक बांट लो। सजल एक तुम दबाओ और प्रमोद एक तुम…” कोमल ने एक अच्छे शिक्षक की तरह समझाया- “दबाओ मेरे बच्चों… आह्ह…”

जब दोनों लड़के उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, कोमल ने प्रमोद की शर्ट उतार डाली, बोली- “तुम्हारी छाती तो बड़ी चिकनी है…” फ़िर उसके हाथ प्रमोद की पैंट की ओर बढ़े। उसने धीरे से उसकी बेल्ट खोली और फ़िर पैंट।

“देखूं तुम मुझसे क्या छिपा रहे थे…” कहकर उसने प्रमोद की पैंट उतार दी और दूसरे ही क्षण इससे पहले कि प्रमोद कुछ समझ पाता उसकी चड्ढी भी जमीन चाट गई।

“अच्छा है, प्यारा और सख्त…” कोमल ने खुशी का इज़हार किया। वह सजल की तरह बड़ा नहीं था पर फिर भी काफी सख्त और मज़बूत था। उसे अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाते हुए कोमल बोली- “और गर्म भी…”

“ऊँहह…” कहते हुए प्रमोद ने अपनी पकड़ कोमल की चूची पर और तेज़ कर दी। उसने एक नज़र अपने हाथ में मौज़ूद चूची पर डाली और तय कर लिया कि उसे आगे क्या करना है।

“तुम इसे चूस सकते हो… प्रमोद, चूसो और इसका स्वाद लो… तुम भी सजल…”

प्रमोद के होंठ खुले और कोमल की चूची के काले निप्पल पर सध गये। उसने धीरे से चूसना चालू किया। फिर थोड़ा जोर से और जब देखा कि कोमल को इससे आनंद मिल रहा है तो और तेज़ी दिखाई। उधर सजल ने भी यही कायर्क्रम शुरू किया हुआ था। कोमल तो जैसे स्वर्ग की ओर जा रही थी। कोमल दो-ढाई बोतल बीयर पी चुकी थी और उसपर शुरूर छाया हुआ था।

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