मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

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sexy
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:16

तभी रूम में एक लड़का एंटर हुया जिसका नाम था आकाश. मैने महक को कोहनी मराते हुए कहा.
रीता-लो आ गये तुम्हाक़े मिस्टर. लफंगा जी.
आकाश हमारे टेबल के साथ में जो टेबल था नेक्स्ट रो में उसपे जाकर बैठ गया. उसी टेबल पे एक लड़का और बेठा था जिसका नाम तुषार था. आकाश और तुषार काफ़ी अच्छे दोस्त थे.
महक ने आकाश को देखकर स्माइल पास की और जवाब में आकाश ने भी महक को स्माइल की.
फिर हमेरे टीचर क्लास में आए और पहला पीरियड स्टार्ट हो गया. जैसे तैसे करके पहले 5 पीरियड निकले और फिर रिसेस के लिए बेल हो गई. मैने अपना तीफ्फें उठाया और बाहर ग्राउंड में आकर बेठ गई. महक मेरे साथ बाहर नही आई थी और मैने उसे बाहर आने को कहा भी नही था. कीनकी मैं जानती थी की वो क्लास में ही आकाश के साथ रहेगी और दोनो लैला-मजनू एक दूसरे को हाथ से खाना खिलाएँगे. ये इनका रोज़ का काम था. मैने खाना ख़त्म किया और तीफ्फें उठा कर क्लास की तरफ चल पड़ी. जब मैं क्लास में एंटर होने लगी तो तुषार ने मुझे रोक दिया और कहा.
तुषार-रीता प्ल्स अभी अंदर मत जयो महक और आकाश अंदर है.
ये इनका रोज़ का काम था हर रोज़ रिसेस में खाना खाने के बाद आकाश और तुषार सभी स्टूडेंट्स को रूम से बाहर निकल देते थे. इन दोनो से सभी डराते थे और चुप छाप बाहर निकल जाते थे. और फिर अंदर शुरू होता था महक और आकाश का लिपतना-च्चिपतना. जितनी देर तक आकाश और महक अंदर होते थे तो तुषार बॉडी-गुआर्द बनकर रूम के गाते पे खड़ा रहता था. स्टूडेंट तो कोई अंदर आता नही था बस दर होता था तो सिर्फ़ किसी टीचर के आ जाने का. और इसी सिलसिले में तुषार बॉडी-गुआर्द बन कर खड़ा रहता था.
और आज जब मुझे तुषार ने रोका तो मैने थोड़ी शरारात करने की सोची.
रीता-मुझे अंदर जाने दो मुझे तीफ्फें बाग में रखना है.
तुषार-लायो मैं रख देता हूँ तुम्हारे बाग में.
रीता-मैं तुम्हे किउन दु तुमने बाग में से कुछ निकाल लिया तो चुप छाप मुझे अंदर जाने दो.
तुषार-मैने कहा ना तुम अंदर नही जा सकती.
तुषार ने थोड़ा गुस्से में कहा तो मैं खड़ी खड़ी ही काँप गई. मैने थोड़ी हिम्मत जुटते हुए थोड़ा उचे स्वर में कहा ताकि मेरी बात महक और आकाश तक भी जा सके.
रीता-ओक तो अब मैं प्रिन्सिपल सिर के पास जा रही हूँ अब वो ही मुझे रूम के अंदर लेकर जाएँगे.
मेरा आइडिया काम कर गया और जैसे ही मैं वहाँ से चलने को हुई तो महक की आवाज़ मुझे सुनाई दी.
महक-अरे रीईट…..रीता प्ल्स सुनो तो…….
मैने पीछे घूम कर देखा तो महक अपने कमीज़ को अपने उरजों के पास से ठीक कराती हुई बाहर आई और पीछे पीछे आकाश पेंट की ज़िप लगता हुया बाहर निकला. महक मेरे पास आई और बोली.
महक-पागल हो गई है क्या तू.
मैं उसे देखकर हासने लगी और मुझे हंसते देख उसने कहा.
महक-हास किउन रही है.
रीता-में किसी के पास नही जाने वाली थी. मैं तो बस तुम लोगो को बाहर निकलना चाहती थी.
और मैं फिरसे हासने लगी. मैने उसका हाथ पकड़ा और ग्राउंड की तरफ ले गई.
महक-क्या मिला तुझे ये सब करके. अच्छे ख़ासे मज़े आ रहे थे सारा मूड ऑफ कर दिया.
रीता-ओह हो तो मुझे भी बताओ कैसे मज़े कर रही थी तुम उस लफंगे के साथ.
महक-तुझे ही भेज देती हूँ अंदर जा खुद ही करले जो मज़े करने है.
रीता-तौबा तौबा भगवान बचाए ऐसे मज़े से.

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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:16

मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story – 3
मैने अपने कानो को हाथ लगते हुए कहा.
महक-देखना जब किसी के प्यार में प़ड़ गई ना तब पूछूंगी तुझसे.
रीता-नो वे ऐसा दिन कभी नही आएगा.
महक-आएगा मेरी जान बहुत जलद आएगा. वो तुषार है ना तेरे बड़े में पूचेटा रहता है मुझसे.
रीता-वो बॉडी-गुआर्द. उसको बोलना भूल जाए मुझे.
महक-अरे वो तो बोलता है की तू उसके सपनो में आती है.
रीता-देखना एक दिन सपने में ही चाकू लेकर जौंगी और मार डालूंगी उसे.
महक-तेरा कुछ नही हो सकता.
रीता-तेरा तो बहुत कुछ हो गया है ना चल अब नेक्स्ट पीरियड स्टार्ट होने वाला है.
रिसेस के बाद वाले 4 पीरियड बड़ी मुश्क़िल से बीते और फिर आख़िरकार च्छुटी हुई तो मैं और महक बाग उठाकर स्कूल के नझडीक वाले बस स्टॉप के उपर आ गई. यहाँ बस स्टॉप तो था मगर सिर्फ़ नाम का कीनकी बस तो यहाँ रुकती नही थी और ऑटो थे जो यहाँ के लोगो का आना-जाना आसान करते थे. एक ऑटो को महक ने हाथ दिया और ऑटो के रुकते ही मैं और महक ऑटो में बैठ गई और ऑटो रोड पे दौड़ने लगी. मेरा गाव आने पर मैं ऑटो से उतार गई और महक अभी ऑटो में ही थी कीनकी उसका गाव आगे था.
मैं घर आई और मैने टीवी ऑन किया और सेट मॅक्स पे इपल् का मुंबई व/स पुणे का मॅच देखने लगी. सचिन मेरा फेव. था और उसका मॅच देखना मैं कभी नही भूलती थी.
मैं टीवी पे मॅच देख रही थी. मुंबई की हालत काफ़ी अछी थी पूरी पकड़ बना न्यू एअर थी अपने पंजाबी पुत्तर भज्जी ने मॅच के उपर. फिर आंटी ने मुझे चाय का कप दिया और खुद भी मेरे साथ बैठ कर चाय पीने लगी. मुझे मॅच में पूरा इंटेरेस्ट लेते देख वो बोली.
आंटी-क्या बीच में घुस जाएगी टीवी के मैं तेरे पास बैठी हूँ कोई बात तो कर.
रीता-आंटी आप भैय से कर लेना जो बातें करनी है मुझे तो मॅच देखना है.
आंटी-यहाँ पे किउन बैठी है बात लेकर ग्राउंड में ही चली जा.
आंटी थोड़े गुस्से से बोली मगर मैने ध्यान नही दिया. इतने में भैया भी कालेज से वापिस आ गये और आते ही मेरे सर पे हाथ मराते हुए बोले.

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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:17

हॅरी-आ गई स्वीतू तू स्कूल से.
मैं मॅच में इतना खोई हुई थी की उनकी बात पे ध्यान ही नही दिया. आंटी मेरी इस हरकत से गुस्से में आ गई और मेरे हाथ से रिमोट छ्चीन कर छन्नल चेंज कर दिया.
मैं इतराती हुई बोली.
रीता-मुंम्म्मी……..प्ल्स वहीं पे लगाओ.
आंटी-चुप छाप अपने रूम में जाकर पढ़ाई कर सारा दिन टीवी में ही घुसी रहती है.
रीता-आपको क्या लगता है की अगर आप छन्नल चेंज कर देंगी तो मैं मॅच नही देख पौँगी. मैं जा रही हूँ गुलनाज़ दीदी के पास मॅच देखने.
आंटी-हन जा जा कम से कम गुल बेटी तुझे कोई अकल की बात तो सिखाएगी.
मैं अपने घर से बाहर निकली और अपने ताया जी के घर की तरफ चल पड़ी.
………………….
उनका घर हमारे घर के साथ वाला ही था. उनके घर में ताया जी और टाई जी थे जो की बहुत ही अच्छे थे और उनकी एक बेटी थी गुलनाज़ न्ड एक गुलनाज़ दीदी से छ्होटा बेटा था जिसका नाम था जॉड. ताया जी और टाई जी की तरह वो दोनो भी बहुत ही अच्छे थे. ख़ास तौर पे नाज़ दीदी वो मुझे बहुत प्यार कराती थी. वैसे तो मैं अपने सारे परिवार की चहेती थी मगर गुलनाज़ दीदी मुझे सबसे ज़्यादा प्यार कराती थी. गुलनाज़ दीदी सुंदराता की मूरात थी. उनकी सुंदराता और उनके सुभाव की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम थी. जब वो कुछ कहने के लिए अपने होंठ खोलती तो ऐसा लगता जैसे उनके मूह से गुलाब के फूल गिर रहे हो और उनके मीठे मीठे बोल जैसे फ़िज़ा में सुंगंध घूल देते थे. सच काहु तो गुलनाज़ दीदी जितनी सुंदर थी उस से कही ज़्यादा अछी इंसान थी वो

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