बदनाम रिश्ते
Re: बदनाम रिश्ते
मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ. हमारे गांव की यह प्रथा ही है. मामाजी को शादी की जरूरत क्यों नहीं पड़ी ये मुझे मालूम था.
बर्तन जमा कर के मां घर की ओर चल पड़ी. चुद कर उसके चलने का ढंग ही बदल ही गया था, थोड़े पैर फ़ैला कर वह चल रही थी. पीछे से उसकी चाल देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं तेज चलने लगा कि उसके कानों में कुछ गंदी गंदी बातें कहूं.
तभी मैंने हमारी नौकरानी पारो को हमारी ओर आते देखा. वह हमारे यहां कई सालों से काम कर रही थी और मम्मी के बहुत नजदीक थी. मुझे लगता है मम्मी उससे कुछ भी छुपाती नहीं थी. उसके कई पुरखों से वहां की औरतें हमारे यहां काम करती थीं. करीब करीब वह मां की ही उम्र की थी. मां की ओर वह बड़ी पैनी निगाह से देख रही थी.
पास आने पर उसने मां से पूछा "क्यों मालकिन, छोटे मालिक को खाना खिला कर आ रही हैं?" मां ने हां कहा. वे दोनों साथ साथ चलने लगीं. मैं अब भी उनकी आवाज सुन सकता था. पारो सहसा मां की तरफ़ झुकी और नीचे स्वर में कहा "मालकिन आपकी चाल बदली हुई है." मां ने धीरे से उसे डांटकर कहा "चुप चाप नहीं चल सकती है क्या".
पारो कुछ देर तो चुप रही और फ़िर बड़ी उत्सुकता से सहेली की तरह मां को पूछा "मालकिन आप खेत में मरवा के आ रही हो?"
मां ने उसे अनसुना कर आगे जाने के लिये कदम बढ़ाये पर पारो कहां मां को छोड़ने वाली थी. मां ने उससे आंखें चुराते हुए कहा "अच्छा अब छोड़ बाद में बात करेंगे" पारो ने मां के कंधों को पकड़कर बड़ी उत्सुकता से पूछा "मालकिन किसका लंड है कि आपकी चाल बदल गई है".
मां ने उसे चुप कराने की कोशिश की. "क्या बेकार की बात करती है, चल हट." पर मां के चेहरे ने सारी पोल खोल दी. अचानक पारो ने मुड़ कर एक बार मेरी तरफ़ देखा और फिर उसका चेहरा आश्चर्य और एक कामुक उत्तेजना से खिल उठा और उसने धीमी आवाज में मां से पूछा "हाय मालकिन आखिर आपने बेटे का ले लिया?"
मां ने बड़ी मस्ती से मुस्करा कर उसकी ओर देखा. नौकरानी खुशी से हंस पड़ी और मां को लिपट कर उसके कान में फ़ुसुफ़ुसाने लगी "मालकिन मैं कहती थी ना कि बेटे का लो तभी सुख मिलता है." फ़िर मां के चूतड़ प्यार से सहलाते हुए उसने कहा "लगता है पूरी फ़ुकला कर दी है. मालकिन मैं कहती थी ना, अपने बेटे को चूत दे दो तो चूत का भोसड़ा बना देते हैं"
मां ने पहली बार माना कि वह खेत में मरवा कर आई है "मेरा तो पूरा भोसड़ा हो गया है री." फ़िर उत्तेजित होकर उसने पारो के कानों में कहा "हाय पारो मैं भी अब भोसड़ी वाली हो गई हूं." दोनों अब बड़ी मस्ती में बातें कर रही थीं "मालकिन अब तो तुम रोज रात बेटे के कमरे में अपना भोसड़ा ले के जाओगी" मां ने उसे डांटा "साली अपने बेटे से तू गांड भी मरवाती है और मुझे बोल रही है."
पारो ने जवाब दिया "मालकिन मैं तो एक बेटे का गांड में लेती हूं और दूसरे का चूत में और फिर रात भर दोनों बेटों से चुदवाती हूं" फ़िर उसने कहा "मालकिन छोटे मालिक का लंड कैसा है?" मेरी मां ने कहा "चल खेत में चल के बोलते हैं, मेरी फिर चू रही है."
मैं समझ गया कि मां भी पारो के साथ गंदी गंदी बातें करना चाहती है. दोनों औरतें खेत में चली गईं. मैं उनके पास था, पर खेत की मेड़ के पीछे छिपा हुआ था. मां और पारो एक दूसरे के सामने खड़ी थीं. पारो मां को उकसा रही थी कि गंदा बोले.
मां ने आखिर उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहा "हाय मेरा भोसड़ा, देख पारो मेरे बेटे ने आज मेरा भोसड़ा मार दिया, हाय मेरे प्यारे बच्चे ने आज मार मार के मेरी फ़ुद्दी का भोसड़ा बना दिया. पारो, मेरे बेटे ने चोद दी मेरी. मेरा भाई तो रोज चोदता है, आज बेटे ने चोद दिया पारो" पारो अम्मा को और बातें बताने को उकसा रही थी "मालकिन आप अपने बेटे के सामने नंगी हो के लेटी थी? मालकिन जब आपके बेटे ने अपना लंड पकड़ के आपको दिखाया था तो आप शरमा गई थी क्या? भाई से तो आप मस्त होकर चुदाती हो"
पारो अब मां को विस्तार से मुझसे चुदने का किस्सा सुनाने की जिद कर रही थी. मां बोली "पारो मेरी चूत चू रही है, पारो कुछ कर." पारो बोली "मालकिन छोटे मालिक को कहूं? वो अपना लौड़ा निकाल के आ जायें और अपनी मां की चूत में डाल दें". मां बोली "हाय पारो उसको बुला के ला, मुझे उसका मोटा लंड चाहिये."
मैं यह सुनकर मेड़ के पीछे से निकल कर उनके सामने आ कर खड़ा हो गया. दोनों मुझे देख कर सकते में आ गयीं. मैंने उन्हें कहा कि मैंने उनकी सारी बातें सुन ली हैं और मैं फ़िर से मां को चोदना चाहता हूं.
मां थोड़ी आनाकानी कर रही थी कि कोई देख न ले. पर पारो ने मेरा साथ दिया "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो" और फ़िर मुझे बोली "बेटे जल्दी से अपना लंड बाहर कर". मां ने अपनी सलवार और चड्डी अपने घुटनों तक नीचे की और अपनी चूत आगे कर के खड़ी हो गयी. मैंने भी अपना खड़ा लंड बाहर निकाल लिया.
पारो ने मां को जल्दी करने को कहा "मालकिन जल्दी से अपना भोसड़ा आगे करो." और मुझे बोली "अब जल्दी से अपना लंड अपनी मम्मी के भोसड़े में डाल दे." मां की जांघें अब मस्ती से कांप रही थीं और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी. पारो ने मेरी ओर देखा और कहा "बेटे देख तेरी मां की कैसे चू रही है, अब जल्दी से अपना लंड अन्दर कर दे."
कुछ ही पलों में मेरा लौड़ा मां की बुर में था और मैं उसे खड़े खड़े ही चोद रहा था. पारो के सामने मां को चोदने में जो मजा आ रहा था वह मैं कह नहीं सकता. मम्मी भी अब वासना की हद से गुजर चुकी थी. हांफ़ती हुई बोली "हाय पारो देख इसका लंड मेरी चूत में है, पारो मेरा बेटा मेरी चूत मार रहा है. पारो मेरी गांड भी लंड मांग रही है."
पारो ने पास आकर दबी आवाज में मुझे सलाह दी "बेटा, मौका है अपनी मां की गांड मार ले." मैंने अम्मा के चेहरे की ओर देख कर कहा "मम्मी गांड ले लूं तेरी?" मां बोली "हाय ऽ बेटा .... मैं तेरे सामने झुक के अपने चूतड़ खोल के अपनी गांड का छेद तुझे दिखाऊंगी, ओह ... बेटे .... मेरे चूतड़ के अन्दर तू अपना लंड डालेगा?"
मैने अपना लंड मां की चूत में से निकाला और हाथ में लेकर कहा "चल अब कुतिया की तरह खड़ी हो जा और अपने हाथ पीछे कर के अपने चूतड़ पकड़ कर खींच और गांड खोल." मां मेरा कहना मान कर मां घूम कर मेरी ओर पीठ कर के झुक कर खड़ी हो गई. फ़िर अपने ही हाथों से उसने अपने चूतड़ पकड़ कर जोर से फ़ैलाये जिससे उसकी गांड का खुला छेद मुझे साफ़ दिखने लगा.
मैं अपना खड़ा मोटा लंड पकड़कर मां के पीछे खड़ा होकर बड़ी भूखी नजरों से उसके गांड के छेद को देख रहा था. मां के नितंब उसके हाथों ने फ़ैलाये हुए थे और गांड का छेद मस्ती से खुल और बंद हो रहा था. वासना से हम दोनों की टांगें थरथरा रही थीं. मैंने जोर की आवाज में पूछा "मम्मी तेरी गांड मार लूं? " मम्मी की झुकी मांसल काया कांप रही थी और सहसा उसकी बुर ने बहुत सा पानी छोड़ दिया. मैं समझ गया कि वह बस गांड चुदाने के नाम से ही झड़ गई है और गांड मराने को तैयार है.
वह बोली " बेटा मैं तो कुतिया हो गई हूं, मेरी गांड मार दे जल्दी से." पारो ने अपनी चूत को पकड़े पकड़े मुझसे कहा "देख क्या रहा है, चढ़ जा साली पे और मार साली की गांड." मैंने हाथ में लंड पकड़कर आगे एक कदम बढ़ाया और मां की पीठ पर दूसरा हाथ टिका कर मेरा तन्नाया हुआ लंड मां की गांड में उतार दिया. जैसे लंड अंदर गया, मां की गांड खोलता गया. आधा लंड अंदर घुस चुका था. अब मैंने अपने दोनों हाथ मां की कमर पर रखे और कमर को जोर से पकड़ कर उसके कूल्हों को अपनी ओर खींचा, साथ ही सामने झुकते हुए मैंने अपना लंड पूरे जोर से आगे पेला. लंड जड़ तक मां के चूतड़ों के बीच की गहरायी में समा गया.
क्रमशः....................
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गतांक से आगे.....................
मैने अब मां का गुदा चोदना शुरू कर दिया. मैं और अम्मा दोनों अब बुरी तरह से उत्तेजित थे. मैंने उसे धीरे से पूछा "भोसड़ी की, मजा आ रहा है ना ?" मां बोली "हाय तू चुप चाप चोद रे हरामी, साला कितना मोटा लौड़ा है तेरा. मेरी फ़ाड़ रहा है, तेरे मामाजी जैसा ही है" अब मेरा पूरा लंड मां की गांड में गड़ा हुआ था. मेरे लंड का मोटा डंडा उसकी गांड में टाइट फ़ंसा हुआ था और मां के गुदा की पेशियां उसे कसके पकड़े हुए थीं. मां के स्तन लटक रहे थे और जब जब मैं गांड में लंड को घुसेड़ता तो धक्के से वे हिलने लगते.
कुछ देर मराने के बाद मां उठ कर सीधी खड़ी होने की कोशिश करने लगी. मैंने उसे पूछा कि सीधी क्यों हो रही है. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में था और जैसे ही वह सीधी हुई, उसकी पीठ मेरी छाती से सट गयी. मैंने उसकी कांखों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए उसे जकड़ कर बाहों में भींच लिया. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. मैंने पूछा "मम्मी मजा आ रहा है ना?" मां ने गर्दन हिलायी और धीरे से कहा "बेटा मेरा चुम्मा ले ले के चोद."
मैने उसे अपना सिर घुमाने को कहा और फ़िर मां के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूमता हुआ खड़े खड़े उसकी गांड मारता रहा. बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य मां की गांड के अंदर झड़ा डाला. अपना लंड मैंने बाहर निकाला और मां ने कपड़े पहनना चालू कर दिया. अपनी उंगली से उसने अपने चुदे हुए गुदा द्वार को टटोला. अब तक पारो आगे जा चुकी थी.
मां ने तृप्त निगाहों से मेरी ओर देखा और कहा "बेटा आज रात को प्रीति की गांड पूरी लूज़ कर दे." मैं बहुत उत्तेजित था. मैंने कहा "मम्मी आज की रात मैं अपनी बहन को नंगी कर के अपने लंड के नीचे कर के उसकी गांड में लंड दूंगा."
मां भी मस्त थी और आगे झुककर मेरे होंठ चूमने लगी, बोली "बेटा मेरे चूतड़ों में भी लंड डाल के मेरी गांड मारेगा ना?" मैंने कहा "मम्मी तेरी गांड तो मैं पूरी खोल दूंग."
मां मेरी ओर देख कर प्यार से बोली "साला मादरचोद!" मैंने उसके गाल सहला कर कहा "साली चुदैल रन्डी!" मां घर की ओर चल दी और मैंने अपने लंड की ओर नीचे देखा. मां की गांड के अंदर की टट्टी के कतरे उसपर लिपटे हुए थे. मुझे तो ऐसा लगा कि मैं खुद अपना लंड चूम लूं या उसे मां या पारो के मुंह में दे दूं.
मैं खुशी खुशी फ़िर काम पर निकल गया क्योंकि मुझे पता था कि आज रात मुझे मां के साथ साथ अपनी ही बहन को चोदने का मौका मिलेगा. अपनी छोटी बहन प्रीति को चोदने की कल्पना से ही मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. मैंने हमारे नौकरानी को कई बार उसके परिवार में होने वाली भाई-बहन की चुदाई के किस्से सुनाते हुए सुना था. मुझे यह भी पता था कि हमारे गांव में बहुत से घरों में रात को भाई अपनी बहनों के कमरे में जाकर उनकी सलवार और चड्डी निकालकर चोदते हैं. मामाजी को मां को चोदते हुए कभी देखा तो नहीं था पर पूरा अंदाजा था मुझे.
उस शाम मैं एक दोस्त के साथ खेतों में घूमने गया. सुनसान जगह थी और आसपास कोई नहीं था. मैंने मौका देख कर उससे पूछा. "यार एक बात बता, जब तेरा लंड कंट्रोल में नहीं रहता है तो तू क्या करता है?"
उसने मेरी ओर शिकायत की नजर से देखा और कहा "तूने जवान होने के बाद हम दोस्तों के बीच में बैठना बन्द कर दिया है"
मैंने आग्रह किया "बता ना यार."
वह बोला "मैं और मेरी दोनों बहनें साथ में सोते हैं, रात को दोनों को नंगी कर देता हूं. जब घर में ही माल है तो लंड क्यों भूखा रहे."
फ़िर वह बोला "हमारे ग्रूप में सब दोस्त यही करते हैं. मैं तो अपनी मां को भी चोदता हूं. यार घर में अपनी मां बहनों को चोद के तो हम लोग अपने लंडों की गरमी दूर करते हैं."
फ़िर उसने अपना लंड निकाल कर मुझे दिखाया "देख मेरा लंड, देख रात को मैं नंगा हो के घर में घूमता हूं और रात को मेरी मम्मी और बहनें लेट कर अपनी चूत से पानी छोड़ती हैं तो मैं उन सब की चूत मार के ठन्डी करता हूं. तुझे तो पता है मेरी मां कैसी है और मेरी बहनें भी मां जैसी ही हैं, रात को सब अपनी अपनी चूतें नंगी कर के लेट जाती हैं और चूत की खुशबू सारे घर में फ़ैल जाती है."
फ़िर उसने भी मुझे घर जाकर अपनी मां और बहन को चोदने की सलाह दी. तभी खेत में से उसकी मां की आवाज सुनाई दी. मैं घबरा गया और जाने लगा पर उसे कोई शरम नहीं लगी. वह मुझे भी साथ ले जाना चाहता था पर मैं घर जाने का बहाना कर के वहां से चल पड़ा. मैं कुछ देर चलने के बाद चुपचाप वापस आया क्योंकि देखना चाहता था कि वे क्या करते हैं. छुप कर मैं ज्वार की बालियों में से उन्हें देखने लगा. वे पास ही थे. शाम हो चुकी थी पर अब भी देखने के लिये काफ़ी रोशनी थी.
मैने अब मां का गुदा चोदना शुरू कर दिया. मैं और अम्मा दोनों अब बुरी तरह से उत्तेजित थे. मैंने उसे धीरे से पूछा "भोसड़ी की, मजा आ रहा है ना ?" मां बोली "हाय तू चुप चाप चोद रे हरामी, साला कितना मोटा लौड़ा है तेरा. मेरी फ़ाड़ रहा है, तेरे मामाजी जैसा ही है" अब मेरा पूरा लंड मां की गांड में गड़ा हुआ था. मेरे लंड का मोटा डंडा उसकी गांड में टाइट फ़ंसा हुआ था और मां के गुदा की पेशियां उसे कसके पकड़े हुए थीं. मां के स्तन लटक रहे थे और जब जब मैं गांड में लंड को घुसेड़ता तो धक्के से वे हिलने लगते.
कुछ देर मराने के बाद मां उठ कर सीधी खड़ी होने की कोशिश करने लगी. मैंने उसे पूछा कि सीधी क्यों हो रही है. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में था और जैसे ही वह सीधी हुई, उसकी पीठ मेरी छाती से सट गयी. मैंने उसकी कांखों के नीचे से अपने हाथ निकालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए उसे जकड़ कर बाहों में भींच लिया. मेरा लंड अब भी उसकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. मैंने पूछा "मम्मी मजा आ रहा है ना?" मां ने गर्दन हिलायी और धीरे से कहा "बेटा मेरा चुम्मा ले ले के चोद."
मैने उसे अपना सिर घुमाने को कहा और फ़िर मां के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूमता हुआ खड़े खड़े उसकी गांड मारता रहा. बीस मिनट की मस्त चुदाई के बाद मैंने अपना वीर्य मां की गांड के अंदर झड़ा डाला. अपना लंड मैंने बाहर निकाला और मां ने कपड़े पहनना चालू कर दिया. अपनी उंगली से उसने अपने चुदे हुए गुदा द्वार को टटोला. अब तक पारो आगे जा चुकी थी.
मां ने तृप्त निगाहों से मेरी ओर देखा और कहा "बेटा आज रात को प्रीति की गांड पूरी लूज़ कर दे." मैं बहुत उत्तेजित था. मैंने कहा "मम्मी आज की रात मैं अपनी बहन को नंगी कर के अपने लंड के नीचे कर के उसकी गांड में लंड दूंगा."
मां भी मस्त थी और आगे झुककर मेरे होंठ चूमने लगी, बोली "बेटा मेरे चूतड़ों में भी लंड डाल के मेरी गांड मारेगा ना?" मैंने कहा "मम्मी तेरी गांड तो मैं पूरी खोल दूंग."
मां मेरी ओर देख कर प्यार से बोली "साला मादरचोद!" मैंने उसके गाल सहला कर कहा "साली चुदैल रन्डी!" मां घर की ओर चल दी और मैंने अपने लंड की ओर नीचे देखा. मां की गांड के अंदर की टट्टी के कतरे उसपर लिपटे हुए थे. मुझे तो ऐसा लगा कि मैं खुद अपना लंड चूम लूं या उसे मां या पारो के मुंह में दे दूं.
मैं खुशी खुशी फ़िर काम पर निकल गया क्योंकि मुझे पता था कि आज रात मुझे मां के साथ साथ अपनी ही बहन को चोदने का मौका मिलेगा. अपनी छोटी बहन प्रीति को चोदने की कल्पना से ही मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. मैंने हमारे नौकरानी को कई बार उसके परिवार में होने वाली भाई-बहन की चुदाई के किस्से सुनाते हुए सुना था. मुझे यह भी पता था कि हमारे गांव में बहुत से घरों में रात को भाई अपनी बहनों के कमरे में जाकर उनकी सलवार और चड्डी निकालकर चोदते हैं. मामाजी को मां को चोदते हुए कभी देखा तो नहीं था पर पूरा अंदाजा था मुझे.
उस शाम मैं एक दोस्त के साथ खेतों में घूमने गया. सुनसान जगह थी और आसपास कोई नहीं था. मैंने मौका देख कर उससे पूछा. "यार एक बात बता, जब तेरा लंड कंट्रोल में नहीं रहता है तो तू क्या करता है?"
उसने मेरी ओर शिकायत की नजर से देखा और कहा "तूने जवान होने के बाद हम दोस्तों के बीच में बैठना बन्द कर दिया है"
मैंने आग्रह किया "बता ना यार."
वह बोला "मैं और मेरी दोनों बहनें साथ में सोते हैं, रात को दोनों को नंगी कर देता हूं. जब घर में ही माल है तो लंड क्यों भूखा रहे."
फ़िर वह बोला "हमारे ग्रूप में सब दोस्त यही करते हैं. मैं तो अपनी मां को भी चोदता हूं. यार घर में अपनी मां बहनों को चोद के तो हम लोग अपने लंडों की गरमी दूर करते हैं."
फ़िर उसने अपना लंड निकाल कर मुझे दिखाया "देख मेरा लंड, देख रात को मैं नंगा हो के घर में घूमता हूं और रात को मेरी मम्मी और बहनें लेट कर अपनी चूत से पानी छोड़ती हैं तो मैं उन सब की चूत मार के ठन्डी करता हूं. तुझे तो पता है मेरी मां कैसी है और मेरी बहनें भी मां जैसी ही हैं, रात को सब अपनी अपनी चूतें नंगी कर के लेट जाती हैं और चूत की खुशबू सारे घर में फ़ैल जाती है."
फ़िर उसने भी मुझे घर जाकर अपनी मां और बहन को चोदने की सलाह दी. तभी खेत में से उसकी मां की आवाज सुनाई दी. मैं घबरा गया और जाने लगा पर उसे कोई शरम नहीं लगी. वह मुझे भी साथ ले जाना चाहता था पर मैं घर जाने का बहाना कर के वहां से चल पड़ा. मैं कुछ देर चलने के बाद चुपचाप वापस आया क्योंकि देखना चाहता था कि वे क्या करते हैं. छुप कर मैं ज्वार की बालियों में से उन्हें देखने लगा. वे पास ही थे. शाम हो चुकी थी पर अब भी देखने के लिये काफ़ी रोशनी थी.
Re: बदनाम रिश्ते
मैने देखा कि मां और बेटे आपस में लिपट गये और आलिंगन में बंधे हुए चूमा चाटी करने लगे. दोनों बहुत गरमी में थे. आस पास कोई नहीं था. उसकी मां बोली "बेटा, हम अकेले ही हैं ना यहां?" वह बोला "हां मम्मी, कोई नहीं है, मजा आयेगा मां, चलो शुरू करें?"
फ़िर वह कुछ शरमा कर धीमी आवाज में बोला "मम्मी, आज तेरी गांड खाने का मन कर रहा है, खिला दे ना."
उसकी मां ने घबरा कर आस पास देखा और कहा "बेटे, धीरे बोलो, कोई सुन लेगा, किसीको पता न चले कि हम आपस में क्या करते हैं." फ़िर उसने हौले से मेरे मित्र से पूछा "मेरी गांड खायेगा बेटा?"
"हां अम्मा एक हफ़्ते से ज्यादा हो गया. मेरा बस चले तो रोज खाऊं" मेरा मित्र बोला.
उसने कपड़े उतारे और जमीन पर बैठ गयी. मेरा दोस्त उसके पीछे जाकर लेट गया और अपना मुंह उसकी मां की गांड के नीचे रख दिया. उसकी मां उसके मुंह पर बैठ गई. मुझे कुछ दिख नहीं रहा था. बीच बीच में वो जोर लगाती तो तो उसके पेट की कसी मांस पेशियां दिखतीं. मेरी मित्र मां की गांड से मुंह लगाकर कुछ खा रहा था. उसका मुंह चल रहा था, बीच बीच में वह निगल लेता. कुछ देर बाद उसकी मां घूम कर बैठ गयी और अपने बेटे के मुंह में मूतने लगी. उसने चुपचाप मां का मूत पी लिया.
इसके बाद दोनों चोदने में जुट गये जिसके दौरान उत्तेजित होकर उसकी मां कहने लगी "बेटा, अपना बीज अपनी मां के गर्भ में डाल दे, उसे गर्भवती कर दे, बेटा, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूं, अपनी मां को चोद कर उसे बच्चा देगा ना?"
वह बोला, "हां मां, मैं तुझे चोद कर अभी अपना बीज तेरे पेट में बो देता हूं, तुझे मां बना देता हूं. अपना भाई पैदा करूंगा तेरे पेट से. वो बड़ा होगा तो वो भी अपनी बुढ़िया मां को चोदेगा" फ़िर वह हचक हचक कर सांड़ की तरह अपनी मां को चोदने लगा. मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था और वहां से घर की ओर चल पड़ा.
जब मैं घर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद था. मैं पिछवाड़े से धीरे से अंदर गया तो देखा कि मां गांव की एक महिला, अपनी सहेली के साथ बैठी गपशप कर रही थी. मैं उसे जानता था, हम उसे चाची कहते थे. पलंग पर बैठ कर वे किसी बात पर हंस रही थीं.
मैंने उसे कहते सुना "मैं तो रात को अपनी चूत नंगी कर के वरान्डे में लेट जाती हूं. रात को जिसका भी दिल करता है, आ के मेरी चूत मार जाता है."
मां हंस रही थी, बोली "तेरी चूत का तो सुबह तक पूरा भोसड़ा बन जाता होगा?"
चाची बोली "हां मेरा जो दूसरा लड़का है, वह भी कोशिश करता है पर उसका लंड मेरी चूत में फंसता ही नहीं." मां बोली "उसको गांड दे दिया कर." चाची बोली "उसका तो मैं चूस देती हूं."
उस रात खाने के बाद मैं पिछवाड़े गया. कुछ खेतों के बाद हमारी नौकरानी पारो की झोपड़ी है. रात काफी हो गयी थी. चारों ओर सन्नाटा था. मैंने पारो को झोपड़ी के बाहर आते देखा. शायद वह मूतने आयी थी. उसके पीछे पीछे मैंने किसी और को भी बाहर आते देखा. देखा तो उसका बेटा था. पारो खेत की मेड़ के पीछे गयी थी. उसके पीछे पीछे उसका बेटा भी अपना लंड पाजामे के ऊपर से ही पकड़ कर हिलाता हुआ गया, वह बड़ी मस्ती में लग रहा था.
हमारी नौकरानी पारो एक स्थान पर खड़ी हो गयी और अपनी सलवार की नाड़ी खोली. फ़िर दोनों को नीचे करके पैरों में से निकाल कर वह टांगें फ़ैला कर मूतने के अंदाज में बैठ गयी.
उसका लड़का उसके पास खड़ा होकर ललचायी निगाहों से उसकी ओर देख रहा था. बेटे की ओर देख कर पारो ने उसे साथ में बैठने को कहा. वह बैठ गया. पारो डांट कर बोली "अपना लंड निकाल के बैठ." मां का कहा मानकर उसने लंड निकाल कर हाथ में ले लिया. फ़िर हाथ अपनी मां की जांघों के बीच बढ़ाकर उसने सीधे उसकी बुर को छू लिया.
पारो ने अपने पैर और दूर कर लिये और अपनी जांघें पूरी फ़ैला दीं. उसकी चूत के पपोटे अब बिल्कुल खुले थे. उसके बेटे ने फ़िर चूत छू कर कहा "मां तेरी चूत पूरी चौड़ी हो गई है." पारो ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड पकड़ लिया
फ़िर उसकी ओर देख कर बोली "चल अब मूत लेने दे." बेटे ने मां की ओर देख कर कहा "मां आज अपना मूत पिला दे ना." पारो यह सुनकर उत्तेजित हो गयी और उसकी ओर मुंह कर के बोली "साला हरामी मादरचोद." उसके पैर मस्ती से थरथरा रहे थे. उसने अपने बेटे के गले में बाहें डालीं और उसके कान में पूछा "बेटे, मेरा मूत पियेगा?" फ़िर खड़ी होकर उसने इधर उधर देखा और अपनी टांगें फ़ैला कर बेटे से कहा "बेटा मेरी चूत मुंह में ले."