सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai

Unread post by sexy » 25 Oct 2015 11:07

मैं चुपचाप बैठा उनकी बातें सुनता रहा। उसने आगे कहना जारी रखा

“ठीक है इस समय अगर तुम्हें सही दिशा और ज्ञान नहीं मिला तो तुम गलत संगत में पड़कर अपनी सेहत और पढ़ाई दोनों चौपट कर लोगे !” आंटी ने एक जोर का सांस छोड़ते हुए कहा। वो कुछ देर रुकी, फिर मुझसे पूछा “तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ?”

वैसे तो मैं सिमरन को बहुत चाहता था पर मैंने उस समय कहा,”नहीं”

“अच्छा चलो बताओ तुम्हें कोई लड़की अच्छी लगती है?” मैं फिर चुप लगा गया।

आंटी ने फिर पूछा “सिमरन कैसी है ?”

मैं चौंक गया, मेरे लिए अब उलझन का समय था। मेरी हिचकिचाहट देख कर आंटी बोली,”देखो डरने की कोई बात नहीं है। मैं तो बस इसलिए पूछ रही हूँ कि तुम्हें ठीक से समझा सकूं !”

“हाँ मुझे सिमरन बहुत अच्छी लगती है !”

“ओह्हो …” आंटी ने एक लम्बा सांस लिया और फिर मुस्कुराते हुए बोली,”अच्छा यह बताओ कि तुम्हें सिमरन को देख कर क्या महसूस होता है ?”

“वो … वो … बस मुझे अच्छी लगती है ?” मेरे मुंह से बस इतना ही निकला। मेरे मन में तो आया कि कह दूं मुझे उसके नितम्ब और स्तन बहुत अच्छे लगते हैं, मैं उसे बाहों में लेकर चूमना और चोदना चाहता हूँ पर यह कहने की मेरी हिम्मत कहाँ थी।

“साफ़ साफ़ बताओ उसे देखकर क्या होता है ? शरमाओ नहीं…”

“वो… वो…. मुझे उसके नितम्ब और स्तन अच्छे लगते हैं !”

“क्यों ऐसा क्या है उनमें ?”

“वो बहुत बड़े बड़े और गोल गोल हैं ना ?”

“ओह … तो तुम्हें बड़े बड़े नितम्ब और उरोज अच्छे लगते हैं ?”

“हूँ …”

“और क्या होता है उन्हें देखकर ?”

मेरा मन तो कह रहा था कह दूं, ‘और मेरा लंड खड़ा हो जाता है मैं उसे चोदना चाहता हूँ’ पर मेरे मुंह से बस इतना ही निकला “मेरा मेरा … वो मेरा मतलब है … कि … मैं उन्हें … छूना चाहता हूँ !”

“बस छूना ही चाहते हो या… कुछ और भी ?”

“हाँ चूमना भी … और … और..”

“क्या सिमरन से कभी इस बारे में बात की ?

“नहीं… वो तो मुझे घास ही नहीं डालती !”

आंटी की हंसी निकल गई। माहौल अब कुछ हल्का और खुशनुमा हो चला था।

“अच्छा तो तुम उसका घास खाना चाहते हो? मतलब की … तुम उसे … ?”

आंटी के हंसने से मेरी भी झिझक खुल गई थी और मेरे मुंह से पता नहीं कैसे निकल गया “हाँ मैं उसे चोद… ना …” पर मैं बीच में ही रुक गया।

“चुप बदमाश ! शैतान कहीं का ?” आंटी ने मेरी नाक पकड़ कर दबा दी। मैं तो मस्त ही हो गया मैं तो बल्लियों उछलने लगा।

“अच्छा चलो ये बताओ कि तुम्हें सेक्स के बारे में क्या क्या मालूम है? एक लड़का या मर्द किसी लड़की या औरत के साथ क्या क्या करता है…?” आंटी ने पूछा।

“उसे बाहों में लेता है और चूमता है और फिर … चोदता है !” मैंने इस बार थोड़ी हिम्मत दिखाई।

“ओह्हो … तुम तो पूरे गुरु बन गए हो ?” आंटी ने आश्चर्य से मुझे देखा।

“आपका ही शागिर्द हूँ ना ?” मैंने भी मस्का लगा दिया।

“अच्छा क्या तुम पक्के काम गुरु बनना चाहोगे ?”

“येस… हाँ …”

“ठीक है मैं तुम्हें पूरी ट्रेनिंग देकर पक्का ‘काम गुरु’ बना दूँगी … पर मुझे गुरु दक्षिणा देनी होगी… क्या तुम तैयार हो ?”

“हाँ” मैं तो इस प्रस्ताव को सुनकर ख़ुशी के मारे झूम ही उठा।

“चलो आज से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू !”

“ठीक है !”

आंटी कुछ देर रुकी फिर उसने बताना चालू किया “देखो प्रेम या चुदाई का पहला सबक (पाठ) है कि सारी शर्म छोड़ कर इस जीवन का और सेक्स का पूरा आनंद लेना चाहिए। प्रेम में शरीर का कोई भी अंग या क्रिया कुछ भी गन्दा, बुरा, कष्टप्रद नहीं होता। यह तो गंदे लोगों की नकारात्मक सोच है। वास्तव में देखा जाए तो प्रेम

जैसी नैसर्गिक और सदियों से चली आ रही इस क्रिया में विश्वास, पसंद, सम्मान, ईमानदारी, सुरक्षा और अंतरंगता होती है !”

आंटी ने बताना शुरू किया। मैं तो चुपचाप सुनता ही रहा। वो आगे बोली सेक्स को चुदाई जैसे गंदे और घटिया नाम से नहीं बुलाना चाहिए। इसे तो बस प्रेम ही कहना चाहिए। अपनी प्रेमिका या प्रेमी के सामने अगर प्रेम अंगों का नाम लेने में संकोच हो तो इनके लिए बड़े सुन्दर शब्द हैं जिन्हें प्रयोग में लाया जा सकता है। जैसे लंड

के लिए शिश्न, मिट्ठू, पप्पू, कामदण्ड, मनमोहन या फिर प्यारे लाल, चूत के लिए योनि, भग, मदनमंदिर, मुनिया और रानी। गांड के लिए गुदा, महारानी या मुनिया की सहेली। स्तन को अमृत कलश या उरोज और चूतडों के लिए नितम्ब कहना सुन्दर लगता है। हाँ चुदाई को तो बस प्रेम मिलन, यौन संगम या रति क्रिया ही कहना

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai

Unread post by sexy » 25 Oct 2015 11:08

चाहिए। जब उन्होंने गुदा मैथुन का नाम गधापचीसी बताया तो मेरी हंसी निकल गई।

हातिमताई की तरह सेक्स (प्रेम) के भी सात सबक (पाठ) होते हैं जो कि लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए लगभग समान होते हैं। अब मैं तुम्हें प्रेम के सातों सबक सिलसिलेवार (क्रमशः) बताउंगी। ये इस प्रकार होते हैं

1. आलिंगन 2. चुम्बन 3. उरोजों को मसलना और चूसना 4. आत्म रति (हस्त मैथुन- मुट्ठ मारना) 5. प्रेम अंगों को चूसना 6. सम्भोग (चुदाई नहीं प्रेम मिलन) 7. गुदा मैथुन (गांडबाज़ी)

मैं तो मुंह बाए सुनता ही रह गया। मैं तो सोचता था कि बस चूत में लंड डालो और धक्के लगाकर पानी निकाल दो। ओह … असली सेक्स की बारीकियां तो आंटी ने ही बताई हैं। आंटी आगे बोली,”देखो, एक एक सबक ध्यान से सुनना, तभी तुम पूरे सेक्स गुरु … नहीं… प्रेम गुरु बन पाओगे”

“ठीक है मैडम!”

“फिर गलत ? देखो प्रेम (सेक्स) में मैडम या मिस्टर नहीं होता। प्रेम (चुदाई) में अंतरंगता (निकटता) बहुत जरुरी होती है। अपने प्रेमी या प्रेयसी को प्रेम से संबोधित करना चाहिए। तुम मुझे अपनी गर्लफ्रेंड और प्रेमिका ही समझो और मैं भी ट्रेनिंग के दौरान तुम्हें अपना प्रेमी ही समझूंगी।”

“ठीक है गुरु जी … ओह … डार … डार्लिंग !”

“यह हुई ना बात … तुम मुझे चांदनी बुला सकते हो। हाँ तो शुरू करें ?”

“हाँ”

1. आलिंगन

आंटी ने बताना शुरू किया आलिंगन का अपना ही सुख और आनंद होता है। जब रात की तन्हाई में अपने प्रेमी या प्रेमिका की याद सताती है तो बरबस तकिया बाहों में भर लेने को जी चाहता है। ऐसा करने से कितनी राहत और सुकून मिलाता है तुम अभी नहीं जान पाओगे। इसी आलिंगन के आनंद के कारण ही तो प्रेमी और

प्रेमिका एक दूसरे की बाहों में जीने मरने की कसमें खाते हैं। पहली बार जब अपनी प्रेयसी को बाहों में भरना हो तो यह मत सोचो की बस उसे धर दबोचना है ? ना… कभी नहीं… कोई जोर जबरदस्ती नहीं… होले से उसे अपनी बाहों में भरना चाहिए ताकि वो अपने शेष जीवन में उस पहले आलिंगन को अपनी स्मृतियों में संजो

कर रखे।

आंटी ने अपनी बाहें मेरी ओर बढ़ा दी। मैं तो जैसे जादू से बंधा उनकी बाहों में समा गया। उसके बदन की मादक महक से मेरा स्नायु-तंत्र जैसे सराबोर हो गया। हालांकि वो अभी अभी नहा कर आई थी पर उनके बदन की महक तो मुझे मदहोश ही कर गई। मैं उनकी छाती से चिपक गया। उनके गुदाज और मोटे मोटे उरोज

ठीक मेरे मुंह के पास थे। उनके दोनों उरोज तो ऐसे लग रहे थे जैसे कोई दो कबूतर ही हों। और उनकी घुन्डियाँ तो ऐसे तीखी हो गई थी मानो पेंसिल की टिप हों। मेरा मन तो कर रहा था कि उनको चूम लूं पर आंटी के बताये बिना ऐसा करना ठीक नहीं था। उनकी कांख से आती तीखी और नशीली खुशबू तो जैसे मुझे बेहोश ही

कर देने वाली थी। उनकी गर्म साँसें मुझे अपने चेहरे पर साफ़ महसूस हो रही थी। उनका एक हाथ मेरी पीठ सहला रहा था और दूसरा हाथ सिर के बालों पर।

मैंने भी अपना एक हाथ उनके नितम्बों पर फिराना चालू कर दिया। मोटे मोटे दो फ़ुटबाल जैसी नरम नाजुक कसे हुए नितम्ब गोल मटोल। मैंने अपने आप को उसकी गहरी खाई में भी अपनी अंगुलियाँ फिराने से नहीं रोक पाया। मेरा लंड तो तन कर पैन्ट में उधम ही मचाने लगा था। पता नहीं कितनी देर हम दोनों इसी तरह

आँखें बंद किये जैसे किसी जादू से बंधे आपस में बाहों में जकड़े खड़े रहे। मैं अब तक इस रोमांच से अपरिचित ही था। मुझे तो लगा मैं तो सपनों की सतरंगी दुनिया में ही पहुँच गया हूँ। इस प्रेम आलिंगन की रस भरी अनुभूति का वर्णन करना मेरे लिए संभव नहीं है।

आंटी ने अपनी आँखें खोली और मेरे चहरे को अपने हाथों में ले लिया और मेरी आँखों में देखने लगी। मैंने देखा उनकी आँखों में लाल डोरे तैरने लगे हैं।

वो बोली,”देखो चंदू आलिंगन का अर्थ केवल एक दूसरे को बाहों में भरना ही नहीं होता। यह दो शरीरों का नहीं आत्माओं के मिलन की तरह महसूस होना चाहिए। एक मजेदार बात सुनो- जैसे घोड़ा, फोड़ा और लौड़ा सहलाने से बढ़ते हैं उसी तरह वक्ष, चूतड़ और मर्ज दबाने से बढ़ते हैं। इसलिए अपनी साथी के सभी अंगों को

दबाना और सहलाना चाहिए। शरीर के सारे अंगो को प्रेम करना चाहिए।”

सम्भोग के दौरान तो आलिंगन अपने आप हो जाता है और उसके अलावा भी यदि अपनी प्रेयसी के गुदाज़ बदन को बाहों में भर लिया जाए तो असीम आनंद की अनुभूति होती है। उस समय अपने प्रेमी या प्रेमिका का भार फूलों से भी हल्का लगता है।

User avatar
sexy
Platinum Member
Posts: 4069
Joined: 30 Jul 2015 19:39

Re: सेक्स (प्रेम) के सात सबक- must read majedaar hai

Unread post by sexy » 25 Oct 2015 11:08

थोड़ी देर बाद वो घूम गई और मैंने पीछे से उन्हें अपनी बाहों में जकड़ लिया। आह उनके गुदाज नितम्बों की खाई में मेरा मिट्ठू तो ठोकरें ही खाने लगा था। मैंने एक हाथ से उनके उरोज पकड़ रखे थे और दूसरा हाथ कभी उनके पेट, कभी कमर और कभी उनकी जाँघों के बीच ठीक उस जगह फिरा रहा था जहां स्वर्ग गुफा बनी

होती है। उन्होंने अपने हाथ ऊपर करके मेरी गर्दन पर जैसे लपेट ही लिए। उनके बगलों और लम्बे बालों से आती मीठी महक ने तो मुझे मदहोश ही कर दिया। पता नहीं हम इसी तरह एक दूसरे से लिपटे कितनी देर खड़े रहे।

2. चुम्बन

पाश्चात्य देशों और संस्कृति में तो शादी के बाद प्रथम चुम्बन का विशेष महत्व है। भारतीय परंपरा में भी माथे और गालों का प्रेम भरा चुम्बन लिया ही जाता है।

आंटी बोली “देखो चंदू वैसे तो अपनी प्रेमिका और प्रेमी का ऊपर से लेकर नीचे तक सारे अंगों का ही चुम्बन लिया जाता है पर सबसे प्रमुख होता है अधरों (होंठों) का चुम्बन। लेकिन ध्यान रखो कि तुमने ब्रुश ठीक से कर लिया है और कोई खुशबूदार चीज अपने मुंह में रख ली है”

“चुम्बन प्रेम का प्यारा सहचर है। चुम्बन हृदय स्पंदन का मौन सन्देश है और प्रेम गुंजन का लहराता हुआ कम्पन है, प्रेमाग्नि का ताप और दो हृदयों के मिलन की छाप है। यह तो नवजीवन का प्रारम्भ है। अपने प्रेमी या प्रेमिका का पहला चुम्बन तो अपने स्मृति मंदिर में मूर्ति बना कर रखा जाता है।”

अब आंटी ने होले से अपने कांपते हुए अधरों को मेरे होंठों पर रख दिया। मिन्ट की मीठी और ठंडी खुशबू मेरे अन्दर तक समा गई। संतरे की फांकों और गुलाब की पत्तियों जैसे नर्म नाज़ुक रसीले होंठ मेरे होंठों से ऐसे चिपक गए जैसे कि कोई चुम्बक हों। फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे होंठों पर फिराई। पता नहीं कितनी देर मैं तो

मंत्रमुग्ध सा अपने होश-ओ-हवास खोये खड़ा रहा। मेरा मुंह अपने आप खुलता गया और आंटी की जीभ तो मानो इसका इन्तजार ही कर रही थी। उन्होंने गप्प से अपनी लपलपाती जीभ मेरे मुंह में डाल दी। मैंने भी मिश्री और शहद की डली की तरह उनकी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और किसी कुल्फी की तरह चूसने लगा।

फिर उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और मेरा ऊपर का होंठ अपने मुंह में भर लिया। ऐसा करने से उनका निचला होंठ मेरे मुंह में समा गया। जैसे किसी ने शहद की कुप्पी ही मेरे मुंह में दे दी हो। मैं तो चटखारे लेकर उन्हें चूसता ही चला गया। ऐसा लग रहा था जैसे हमारा यह चुम्बन कभी ख़त्म ही नहीं होगा।

एक दूसरे की बाहों में हम ऐसे लिपटे थे जैसे कोई नाग नागिन आपस में गुंथे हों। उनकी चून्चियों के चुचूकों की चुभन मेरी छाती पर महसूस करके मेरा रोमांच तो जैसे सातवें आसमान पर ही था। फिर उन्होंने मेरे गालों, नाक, ठोड़ी, पलकों, गले और माथे पर चुम्बनों की जैसे झड़ी ही लगा दी। अब मेरी बारी थी मैं भला पीछे क्यों

रहता मैं भी उनके होंठ, गाल, माथे, थोड़ी, नाक, कान की लोब, पलकों और गले को चूमता चला गया। उनके गुलाबी गाल तो जैसे रुई के फोहे थे। सबसे नाज़ुक तो उनके होंठ थे बिल्कुल लाल सुर्ख। मैं तो इतना उत्तेजित हो गया था कि मुझे तो लगने लगा था मैं पैन्ट में ही झड़ जाऊँगा।
अचानक कॉल-बेल बजी तो हम दोनों ही चौंक गए और ना चाहते हुए भी हमें अलग होना पड़ा। अपने भीगे होंठों को लिए आंटी मेन-गेट की ओर चली गई।

आह … आज 14 साल के बाद भी मुझे उस का जादुई स्पर्श और प्रथम चुम्बन जब याद आता है मैं तो रोमांच से भर उठता हूँ।

यह कहानी कई भागों में समाप्त होगी।

3. उरोजों को मसलना और चूसना

शाम के कोई चार बजे होंगे। आज मैंने सफ़ेद पेंट और पूरी बाजू वाली टी-शर्ट पहनी थी। आंटी ने भी काली जीन पेंट और खुला टॉप पहना था। आज तीसरा सबक था। आज तो बस अमृत कलशों का मज़ा लूटना था। ओह… जैसे दो कंधारी अनार किसी ने टॉप के अन्दर छुपा दिए हों आगे से एक दम नुकीले। मैं तो दौड़ कर

आंटी को बाहों में ही भरने लगा था कि आंटी बोली,”ओह .. चंदू…. जल्दबाजी नहीं ! ध्यान रखो ये प्रेमी-प्रेमिका का मिलन है ना कि पति पत्नी का। इतनी बेसब्री (आतुरता) ठीक नहीं। पहले ये देखो कोई और तो नहीं है आस पास ?”

“ओह … सॉरी…. गलती हो गई” मेरा उत्साह कुछ ठंडा पड़ गया। मैं तो रात भर ठीक से सो भी नहीं पाया था। सारी रात आंटी के खयालों में ही बीत गई थी कि कैसे कल… उसे बाहों में भर कर प्यार करूंगा और उसके अमृत कलशों को चूसूंगा।

Post Reply