Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

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raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:05


ऋतु थोड़ा घबराई. उसने ऐसे कभी किसी के सामने गाना नही गया था. वो बोली
“सर गाना … मैं… आइ मीन… वो आक्च्युयली मेरा गला खराब हैं इसीलिए आपको गाना नही सुना सकती”

“क्या हुआ तुम्हारे गले को” यह कहते हुए उस आदमी ने अपना हाथ ऋतु के कंधे पे रख दिया.

ऋतु अब टेन्स हो गयी.. किसी अंजान व्यक्ति से ऐसे टच होना उसके लिए बहुत नयी बात थी. इस नर्वुसनेस में वो अपने दुपट्टे को अपनी उंगलियों में लपेटने लगी और थोड़ा सिरक़ गयी ताकि शी कॅन अवाय्ड हिज़ टच.

“तुम कुछ टेन्स लग रही हो ऋतु… आओ मैं तुम्हे एक नेक मसाज दे दूं… ” कहता हुआ वो ऋतु की चेर के पीछे गया और उसके गर्देन को अपने हाथों से सहलाना शुरू किया.

ऋतु एकदम खड़ी हो गयी. उससे यह सब सहन ना हुआ. वो चुप चाप अपनी फाइल उठा के बाहर चली गयी.

ऋतु ने यह बात अपनी सहेली पूजा को बताई. पूजा को बहुत दुख हुआ यह सुनके … ऋतु की आँखें भर आई यह सब सुनते हुए. पूजा ने उसको हौसला दिया.

कुछ ही दीनो में ऋतु ने बहुत सारे इंटरव्यूस दिए लेकिन कोई प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन ना होने की वजह से उसको कहीं नौकरी ना मिली.

एक दिन उसने पेपर में एक बड़ा का एड देखा जिसमे एक रियल एस्टेट कंपनी को सेल्स एजेंट्स की ज़रूरत थी. ऋतु ने वहाँ अप्लाइ कर दिया. इंटरव्यू में उससे कुछ ख़ास नही पूछा गया. इंटरव्यू लेने वाला आदमी 25-26 साल का जवान लड़का था.

ऋतु खुद हैरान थी की इतनी कम उमर का लड़का उसका इंटरव्यू कैसे ले रहा हैं.
लड़का देखने में हॅंडसम था…


और कपड़े भी अच्छे पहने हुए था… उसकी
आँखों में एक ख़ास चमक थी… और उसके कोलोन की खुश्बू ऋतु को बहुत
पसंद आई.

ऋतु को वो नौकरी मिल गयी. ज़ोइन करने के बाद उसको पता चला की इंटरव्यू लेने
वाला लड़का उस कंपनी जी लएफ के मालिक भूशल पल सिंग का इकलौता बेटा कारण
पल सिंग हैं. जो कि यूएसए से एमबीए करने के बाद अपने पापा के साथ बिज़्नेस
में लग गया.

ऋतु और कुछ और न्यू ज़ोइनीस को 2 हफ्ते की ट्रैनिंग दी गयी. उसका ऑफीस
गुड़गाँव में था और वो रहती थी सेंट्रल देल्ही के एक हॉस्टिल में. एक
मिनिमम बेसिक सॅलरी दी जाती थी और बाकी का आपके सेल्स पे डिपेंड होता
था. ऋतु ने अपनी पहले सेल जल्दी ही जब उसने एक 2 बेड रूम फ्लॅट बेचा एक
डॉक्टर कपल को. उस सेल से उसे अच्छे ख़ासे कमिशन की प्राप्ति हुई.

उसके पहले सेल पे उसके कॉलीग्स ने सीनियर्स ने उसे बधाई दी. खुशकिस्मती
से करण ने उसकी डेस्क पर आकर उसे बधाई दी
“ऋतु… हेअर्टिएस्ट कंग्रॅजुलेशन्स”

“थॅंक यू सर.”

“कॉल मे कारण”

“जी करण जी”

“करण जी नही सिर्फ़ करण”

“ओक करण”

“वी आर वेरी हॅपी विद युवर वर्क. यू आर स्मार्ट आंड कॉन्फिडेंट वाइल सेल्लिंग
दा प्रॉपर्टी टू दा क्लाइंट. हूमें तुम जैसे लोगों की ही ज़रूरत हैं अपनी
कंपनी में. ”

“मुझे भी यहाँ काम करके बहुत अच्छा लग रहा हैं सर. ”

“ऋतु तुमने आज अपनी पहली सेल की हैं… पार्टी कहाँ दे रही हो.”

“जी पार्टी…” ऋतु सोचने लगी.

“हां यार पार्टी… आफ़टेरल्ल टुडे योउ लॉस्ट यू सेल्स वर्जिनिटी”

यह कॉमेंट सुनके ऋतु कुछ शर्मा सी गयी और उसके आँखें शरम से नीची
हो गयी…“जी .. हू… मैं…”

“ऋतु मैं तो मज़ाक कर रहा था …. शाम को मीट मी आफ्टर ऑफीस .. आइ विल
ट्रीट यू. ”

ऋतु मन ही मन बहुत खुश हुई और बेसब्री से शाम का इंतेज़ार करने लगी.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:06



शाम को 5 बजे सब घर जाने लगे. ऋतु ऑफीस में ही बैठी हुई कुछ
काम करके का नाटक करने लगी. 5 बजकर 10 मिनट पे ऋतु के डेस्क पे एक फोन
आया.

“हेलो”

“हाई .. करण हियर”

“हेलो करण”

“जल्दी से बाहर आओ … आइ आम वेटिंग फॉर यू.”

“अभी आई”

बाहर जाके ऋतु ने देखा एक चमचमाती हुई बीएमडब्ल्यू कार खड़ी थी. करण बाहर
निकला और ऋतु से हाथ मिलाया और खुद जाके उसके लिए दरवाज़ा खोला कार
का. ऋतु अंदर बैठ गयी. वो पहले कभी इतनी बड़ी गाड़ी में नही बैठी
थी. बीएमडब्ल्यू तो छोड़ो वो तो कभी होंडा सिटी या फ़ोर्ड आइकान में तक नही बैठी
थी.

करण गाड़ी में बैठा और ऋतु की और देखकर हल्के से मुस्कुराया. गाड़ी
चल पड़ी एनएच 8 पे दिल्ली की तरफ.

सुबह की ऋतु, और अभी की ऋतु में कुछ परिवर्तन नज़र आ रहा था. ऋतु
ने आँखों में काजल और चेहरे पे हल्का सा मेक अप कर लिया था. खुशी के
मारे उसके चेहरे पे एक चमक भी थी.

“सो ऋतु .. व्हेअर आर यू फ्रॉम?”

“सर मैं पठानकोट को बिलॉंग करती हूँ”

“फिर वही…. तुम्हे बोला ना की मुझे सिर्फ़ करण कहकर बुलाओ”

“ओह सॉरी” कहकर ऋतु हस दी. करण तो मानो उसकी हँसी में खो गया. और
बातें करते करते गाड़ी मूड गयी मौर्या शेरेटन होटेल के अंदर.

ऋतु ने होटेल को देखा और समझ गयी की यह ज़रूर 5 स्टार होटेल हैं… उसने
धीरे से करण से कहा

“करण यह तो कोई फाइव स्टार होटेल लगता हैं”

“हां .. इस होटेल में मेरा फेवोवरिट रेस्टोरेंट हैं - बुखारा”

“लेकिन वो तो बहुत महनगी जगह होगी”

“अरे तुम क्यू फिकर कर रही हो… अपनी फेवोवरिट एंप्लायी को अपने फेवोवरिट
रेस्टोरेंट में ही तो लेके जाउन्गा”


यह सुनकर ऋतु शर्मा गयी…और नीचे देखने लगी… ना चाहते हुए भी उसके
होंठो पे हल्दी की मुस्कान आ गयी और उसके गोरे गोरे गालों की सुर्खी थोड़ी
और बढ़ गयी…. करण यह देख कर हस पड़ा और उसे कहने लगा

“माइ गॉड!!! यू आर ब्लशिंग!!!” और ज़ोर से हसणे लगा.

“करण आप भी ना…”

“मैं भी क्या ऋतु??”

“कुछ नही” और नीचे देख के शर्मा गयी

दोनो रेस्टोरेंट में गये और आमने सामने बैठे.. ऋतु पहली बार ऐसे
किसी रेस्टोरेंट में गयी थी… उसकी आँखें तो बस पूरे रेस्टोरेंट को
निहार रही थी… मानो इस छावी को अपने मन में बसा लेना चाहती हो.

कारण ने खाना ऑर्डर किया और साथ ही ऑर्डर की कुछ रेड वाइन. जब वेटर
वाइन डालने लगा तो ऋतु ने करण की और देख कर कहा “मैं नही पीती
करण”

“अर्रे यह तो सिर्फ़ रेड वाइन हैं”

“इससे कुछ नही होता”

“लेकिन करण हैं तो यह शराब ही”

“ओह कम ऑन ऋतु .. मैं कह रहा हूँ ना कुछ नही होता… और यह तो वाइन
हैं.. डॉन’ट वरी.. ट्रस्ट मी”

और वेटर ने ऋतु का ग्लास भी भर दिया. दोनो ने ग्लास टकराए

“टू युवर फर्स्ट सेल” कारण बोला.

“थॅंक यू करण”

खाना बेहद लज़ीज़ था… घर से बाहर आने के बाद ऋतु ने पहली बार इतना
अच्छा खाना खाया था… स्वाती वर्किंग विमन’स हॉस्टिल का खाना बस नाम का ही
खाना था.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:06



जब तक खाना ख़तम हुआ ऋतु पे रेड वाइन की थोड़ी थोड़ी खुमारी छाने
लगी… वो अब थोड़ा खुलने लगी करण के साथ. डिन्नर के बाद दोनो निकले और
गाड़ी में सवार हो गये…

“करण आप क्या हर नये एंप्लायी की फर्स्ट सेल पे उनको डिन्नर करवाते हैं”

“हा हा हा .. नही.. इनफॅक्ट मैं तो इस ऑफीस में भी नही बैठता. यह तो
सेल्स ऑफीस हैं.. मैं और डॅडी तो कॉर्पोरेट ऑफीस में बैठते हैं.
यहाँ तो मैं सिर्फ़ इसलिए आता हूँ ताकि तुमसे मिल सकूँ”

ऋतु शर्मा गयी.. दोनो एक लोंग ड्राइव पे चले गये… रात हो चली थी.. 4-5
घंटे कैसे बीते ऋतु को पता ही नही चला … जब घड़ी पे नज़र गयी तो
देखा की रात के 10 बज रहे थे… ऋतु ने करण से कहा

“बहुत देर हो चुकी हैं अब मुझे हॉस्टिल जाना चाहिए.”

“हां सही कहा.. तुम्हारे साथ टाइम का पता ही नही चला ऋतु.”

“मुझे बस स्टॉप पर ड्रॉप कर देंगे प्लीज़.”

“नही वो तो मैं नही कर सकता… हां तुम्हे घर ज़रूर छोड़ सकता हूँ”

“आप क्यू इतनी तकलीफ़ उठाएँगे… मैं चली जौंगी.”

“नो आर्ग्युमेंट्स…. हम दोस्त हैं लेकिन डॉन’ट फर्गेट की आइ आम ऑल्सो यौर बॉस..
आंड यह तुम्हारे बॉस का ऑर्डर हैं” कारण ने झूठा रोब देकर कहा.

यह बात ऋतु के कानो में गूंजने लगी - हम दोस्त हैं.

करण ने ऋतु के हॉस्टिल के बाहर गाड़ी रोकी और कहा “ऋतु ई हद आ ग्रेट
टाइम टुडे.. तुमसे मिलके तुम्हारे बारे में और जाना और मुझे अच्छा
लगा.. मुझे लगता हैं हमारी दोस्ती बहुत आगे तक जाएगी.”

ऋतु को समझ नही आ रहा था की वो कैसे करण का शुक्रिया अदा करे..
बस सर हिला दिया. गाड़ी से उतरने से पहले करण ने अपना हाथ उसकी तरफ
बढ़ाया हाथ मिलाने के लिए. ऋतु ने भी करण से हाथ मिलाया. लेकिन
कारण ने फॉरन हाथ नही छोड़ा. 2-3 सेकेंड ऋतु की आँखों में देखा और
भी हाथ छोड़ते हुए कहा “यू शुड गो नाउ…. कल ऑफीस में मिलते हैं.
गुड नाइट”

“गुड नाइट”

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