बदले की आग compleet

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rajaarkey
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Re: बदले की आग

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:10

कामिनी, मेरी बीवी की बऱी चचेरी बहन रूचि मेरे घर में सुबह से ही थी. सुबह से मैं उसे 3 बार चोद चुका था. फिर वह रसोई में चली गई. जब वह 20 मिनिट बाद बेड रूम में आई तो मैने उसे कहा की,

जल्दी करो मेरा लंड तेरा इंत'ज़ार कर रहा है. अब इसे तेरी गान्ड में जाना है. चलो जल्दी से बिस्तर पे आओ और मेरे लौऱे को खूब चूसो. फिर यह तेरी गान्ड मारेगा. चल रन्डी जल्दी से आ और वह जल्दी से बिस्तर पे आई और कुच्छ कहे बिना मेरे लौऱे को चूस'ने लगी. 3 या 4 मिनिट के बाद मैने उसे कहा की,

बस अब गान्ड मेरी साइड पे घूमाओ और कुतिया बन जाओ. वह किसी रन्डी की तरह सुबह से मेरा कहा मान रही थी. अब भी उस'ने वह ही किया. अब मेरा लंड उस'की गान्ड के च्छेद पर था. मैने ज़रा सी क्रीम उस'के च्छेद पे लगाई. कुच्छ आप'ने लौऱे पर और फिर से अपना लंड उस'की गान्ड के च्छेद पे रखा और एक ज़ोर दार झट्क दिया. मेरे लौऱे का सुपारा उस'की गान्ड में घुस गया. साथ ही उस'के मूँ'ह से दर्द के मारे चीख निकली. मैने एक और झट्क दिया. मेरा लंड आधा अंदर चला गया. वह चिल्ला रही थी.

ओईई माआ. मैं मार गयी.. . विशाल मैने इस'से पह'ले केवल एक दो बार ही गान्ड मार'वाई है और वह भी बहुत पह'ले. धीरे धीरे आराम से डालो ना... मैं रहम नहीं कर'ते हुए झटके पे झटके लगा रहा था. जब तक मेरा पूरा लंड उस'की गान्ड में नहीं चला गया और मैं फिर भी नहीं रुका. मैने लंड आधा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झट्के से उस'की गान्ड मे वापिस तेल दिया. मैं उस'की गान्ड मार'ता रहा. रुका नहीं, कुच्छ वाक़त के बाद वह नॉर्मल हो गयी. अब वह इतना नहीं चिल्ला रही थी. पर उसे अब भी दर्द हो रहा था. 10 मिनिट तक मैं मस्ती में भर रूचि की गान्ड मार'ता रहा फिर मैने उसे कहा की,

कोई बात नहीं, अब मैं जब तक यहाँ हून तेरी रोज मार'ता रहूँगा. मैं झऱ'ने वाला हून रन्डी. क्या सन्कऱी गान्ड है तेरी साली. आज तो मज़ा ही आ गया. कुच्छ झट्कोन के बाद मैने उस'की गान्ड आप'ने माल से भर दी. वह बिस्तर पे गिर गयी. मेरा लंड उस'की गान्ड से निकल गया. मैने देखा की मेरे लौऱे पे कुच्छ खून भी लगा हुआ था. मैने उस'की सलवार से आप'ने लौऱे को सॉफ किया. बिस्तर से उठ गया. वह वैसे ही बिस्तर पे लेटी हुई थी. लगता था की वह हिल'ने के काबिल नहीं थी. उस'की गान्ड का च्छेद अब भी खुला हुआ था जैसे किसी ग्लास का मूँ'ह खुला होता है..

मैने कॅमरा निकाला और उसे टीवी पे चालू किया. जब उस'ने अपनी चुदाई देखी तो उस'का रंग उड़ गया. वह जल्दी से उठ के बिस्तर पर बैठ गयी. टीवी स्क्रीन पर देख'ने लगी. कभी वह मुझे देखती. आज पूरा दिन की छुदाई की फिल्म बन चुकी थी. वह बोली,

विशाल तुम'ने हमारी छुदाई की फिल्म क्यों बनाई. तुम्हें पता तो है की मैं शादी शुदा लऱ'की हून. अगर किसी'ने यह फिल्म देख ली तो मेरा क्या होगा. तुम इसे अभी जला दो. मैने कहा की,

रानी इसे मैने जला'ने के लिए नहीं रेकॉर्ड किया है. अब तुम वही करो'जी जो मैं कहाऊँगा. समझी साली रन्डी, जब तक तुम मेरी सारी बातें नहीं मानो'जी तब तक यह मेरे पास रहे'जी और अगर तुम'ने गऱ'बऱ की तो इस'की एक कॉपी तुम्हारे ससुराल और एक तुम्हारे घर और एक मैं तुम्हारे सब जान'ने वालों के घर भेज दूँगा, समझी रन्डी. अब तुम सिर्फ़ एक रन्डी हो, साली कुट्टिया चल अब आप'ने कप'रे पहन और मैने वह फिल्म सेफ में रख के उसे लॉक कर दिया. वह सिर्फ़ देखती ही रही. उस'की आँखों में आँसू थे. मैने फिर उसे कहा की,

चल जल्दी से आप'ने कप'रे पहन ले और मैं स्नान घर चला गया.. जब मैं फ्रेश हो के स्नान घर से निकला तो वह कप'रे पहन के बिस्तर पर बैठी हुई थी. मुझे देख'ते ही वह बोली,

विशाल तुम मुझ से क्या चाह'ते हो? क्यों तुम'ने फिल्म बनाई है? तुम्हारा इरादा क्या है? तुम मुझे बार'बाद कर'ने पर क्यों तुले हो? मैने उसे सब कुच्छ बता दिया. कैसे उस'ने और उस'के भाई'ने कामिनी को लुट है. अब उस'की और उस'के घर वालों को मैं लुतूँगा. मैं क्या चाह'ता हून तो वह सुनो साली,

जब मैं तुम्हें कहूँगा तो तुम्हें अपनी छोटी बहन, मधु को लाना होगा मेरे पास. मैं उसे छोड़ूँगा और फिर मैं तुम्हें यह टेप दे दूँगा तो वह बोली,

नहीं मैं ऐसा नहीं कर सक'ती मैं उसे कैसे लाऊँ'जी. नहीं प्लीज़ तुम मुझे टेप दे दो. प्लीज़ मैं तुम्हारे पाँव पऱ'ती हून. जो तुम कह रहे हो वह मुझ से नहीं होगा तो मैने उसे कहा की,

नहीं होगा तो फिर ठीक है. मैं आज ही एक कॉपी तुम्हारे ससुराल भेज देता हून.

नहीं तुम ऐसा नहीं करो'गे, वह बोली.

मैं ऐसा ही करूँगा मेरी जान. अब तुम बताओ क्या ख़याल है. मेरी बात मानोगी या नहीं तो वह बोली,

ठीक है. कब लाना होगा उसे. मैने कहा,

यह मैं तुम्हें फोन कर के बता दूँगा. जब घर खाली होगा तो तुम आप'नी छोटी बहन को मुझ'से चुद'वाने ले आना. चलो अब चलती बनो मुझे भी कहीं जाना है. वह चली गयी. मैं भी कुच्छ वक़्त के बाद आप'नी बीवी की सहेली के घर चला गया.

दिन गुज़ार'ते रहे लेकिन मोका नहीं मिल रहा था. मेरे मान में बाद'ले की आग सुलग रही थी. जिस तरह कामिनी के चचेरे भाई कौशल ने नींद की गोलियाँ खिलाके मासूम कामिनी का बलात'कार किया था अब वैसे ही मैं उस'की चुदैल बहनों को ब्लॅक मैल कर'के अपनी हवस का शिकार बनाना चाह'ता था. लेकिन इसी डरॅन मैने फिल्म की एक कॉपी कर ली थी और फिर एक दिन अंकल (कामिनी की चाचा) का फोन आया. 'अगर कामिनी और तुम फ्री हो तो वह हमें साथ ले जाना चाह'ते हैं.. कामिनी की मौसी की लऱ'की की शादी में.' मैने कहा,

अंकल आप कामिनी को ले जाएँ. मैं तो बिज़ी हून. आप कामिनी से बात कर लें और मैने फोन कामिनी को दे दिया. लेकिन वह मेरे बिना नहीं जाना चाह'ती थी. मैने उसे समझा बुझा के शादी में भेज दिया. उन्हें 2 दिनों के लिए जाना था. शादी किसी डोर के गाओं में थी. कामिनी नहीं चाह'ते हुए भी चली गयी. मैने एक पल भी बर्बाद नहीं किया. रूचि को फोन किया की कल बहन को ले के आ जाना क्योंकि घर में कोई नहीं होगा. कामिनी शादी पे चली गयी है.. वह बोली,

हन मुझे पता है, वह मम्मी पापा के साथ गई है. मैं और मधु नहीं गये.

तो यह और भी अच्च्छा है. कल सुबह उसे ले कर आ जाना और मैने फोन बंद कर दिया. आग'ले दिन वह 10:30 बजे मधु को ले कर आ गयी. मैने दरवाज़ा खोला और उन्हें अंदर आ'ने दिया. जब हम बैठक में आए तो मैने रूचि से कहा की ,

चलो सब के लिए चाय बनाओ वह बिना कुच्छ बोले चाय बना'ने चली गयी. मैं मधु से बातें कर'ने लगा. मैने उसे कहा की,

तुम्हें पता है ना के तुम्हें आज यहाँ क्यों बुलाया है तो वह बोली,

मुझे रूचि'ने बता दिया है लेकिन मैं आप की बात मानूँगी तो आप उसे वह फिल्म वापिस कर देंगे ना? मैने कहा की,

हन कर दूँगा, वादा रहा तो वह बोली ,

ठीक है, आप जो कहोगे मैं करूँगी.

अच्च्छा तो फिर आओ मेरे पास. मैने उसे आप'ने पास बुलाया वह आप'ने सोफा से उठ कर मेरे पास आई और मैने उसे कहा की,

चलो ज़मीन पर बैठ जाओ. देखो मुझे इनकार पसंद नहीं है. जो मैं कहूँ एक अच्च्ची बच्ची की तरह कर'ते जाना. और वह मेरे पाँव के बीच ज़मीन पर बैठ गयी.. मैने आप'नी पॅंट की जीप खोली और आप'ने 9 इंच के लौऱे को बाहर निकाला और उसे कहा की,

पहले कभी देखा है या नहीं? यदि नहीं देखा है तो ठीक से देखो इसे. फिर इस'को कुच्छ देर सहलाओ और बाद में लॉली पोप की तरह चूसो इसे. मेरे लौऱे को मूँ'ह में ले कर खूब चूस'ना. वह कुच्छ देर सोचती रही. फिर उस'ने मेरे लौऱे को हाथ में लिया और कुच्छ देर सहलाती रही. फिर बोली,

जीजू कभी देखा नहीं पर आप'का बहुत बऱ है. फिर लंड उस'ने कुच्छ झिझक'ते हुए आप'ने मूँ'ह में ले लिया और उसे चूस'ने लगी. कुच्छ ही देर में रूचि चाय ले कर आ गयी. जब वह दरवाज़े के पास पाहूंची तो अपनी छोटी बहन को मेरा लंड चूस'ते देख कर वह रुक गयी. मैने उसे कहा की,

रूचि चलो आओ देखो तुम्हारी बहन कैसे लंड चूस रही है. चल जल्दी से आ, वह जब बैठक में आई तो मधु'ने एक नज़र उस पे डाली और मूँ'ह नीचे कर'के फिर से छूसा कर'ने लगी. मैने रूचि से कहा की,

चलो साली रन्डी आप'ने कप'रे निकाल और नंगी हो जा. चल जल्दी कर और उस'ने आप'ने कप'रे एक एक कर'के निकाल दिए. अब वह नंगी खऱि थी. मैने उसे कहा की,

चाय में दूध तो नहीं डाला ना? वह बोली,

नहीं डाला.

चल मेरा कप ले कर आ मेरे पास. वह एक कप मेरे पास लाई. मैने उसे आप'ने पास बैठ लिया और उस'की चूचियों को दबाना शुरू किया तो उस'की चूचियों में से दूध निकलना शुरू हो गया. मैं आप'ने कप को उस'की चूचियों के पास लाया और उस'का दूध आप'ने कप में गिराने लगा. जब मेरे कप में दूध डाल लिया तो उसे कहा की,

rajaarkey
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Re: बदले की आग

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:11

बदले की आग (भाग - 5)

चल अपनी बहन के कप में भी दूध निकाल. वह दूसरा कप उठा के आप'ने स्तन के पास लाई और एक हाथ से अपना चूची दबाने लगी. जैसे ही उस'ने चूची को दबाया दूध की एक धार निकली और कप को भर'ने लगी. मधु अब भी मेरे लौऱे को चूस रही थी. क्या छूसा कर रही थी. साली लगता था की उस'ने छूसा में मास्टर्स किया हुआ है. अब मैं भी झऱ'ने वाला था. मैने रूचि से कहा,

चल रन्डि अपना कप मेरे पास ला, तुम्हें दूध मैं पिलऊँगा. चल जल्दी कर. उ.... ओह और वह जल्दी से कप मेरे पास लाई और मैने अपना लंड मधु के मूँ'ह से निकाल के सारा माल रूचि के कप में झाऱ दिया. उसे कहा की,

चल पी जा साली रन्डी मेरा अमृत है. पी जा और मैने दुबारा मधु के मूँ'ह में अपना लंड डाल दिया..

चल रन्डी टू अभी मेरा लंड चूस जब तक मैं रुक'ने को नहीं कहूँ. चल, और वह फिर से मेरा लंड चूस'ने लगी. जब'की रूचि मेरे वीरया से भारी हुई चाय पी'ने लगी. 5 मिनिट के बाद मैने रूचि से कहा की ,

चल घोऱी बन जा. मैं तेरी गान्ड मारूँगा. फिर मधु को छोड़ूँगा. चल जल्दी कर, और वह ज़मीन पर कुटिया बन गयी. मैं उस'के पीच्चे आया और आप'ने लौऱे को जो की मधु के चूस'ने से'गीला हो गया था, उस'की गान्ड के च्छेद पर रख के ज़ोर से तेल दिया. उस'की एक चीख के साथ ही मेरे लौऱे का सुपारा उस'की गान्ड में चला गया. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था. मेरा लंड पूरा उस'की गान्ड में घुस गया था. वह अब भी चिल्ला रही थी. मैने कहा की ,

साली चिल्ला क्यों रही है इतना. पहली बार तो गान्ड नहीं मरवा रही है. आज दूसरी बार है. चल मूँ'ह बंद कर रन्डी की औलाद और मैने उस'की गान्ड भर पुवर तरीके से मारी जब'की मधु अपनी बहन की छुदाई होती देख रही थी. मैने उसे कहा की,

चल तू भी चुप'छाप आप'ने कप'रे निकाल के मेरे पास आ. वह आप'ने कप'रे उतार'ने लगी. मैने रूचि की गान्ड से लंड निकाल के उस'की चूत में डाल दिया. कुच्छ देर तक मैने उस'की चूत मारी और फिर मैने लंड वापिस चूत से निकाल के उस'की गान्ड में दे दिया. अब वह चिल्ला नहीं रही थी. अब उसे मज़ा आना शुरू हो गया था. वह अपनी गान्ड को पीच्चे को धकेल रही थी. मेरा लंड पूरा उस'की गान्ड में घुसा हुआ था. कभी वह अंदर जाता था तो कभी बाहर आता था. इसी दौरान मधु पूरा नंगा हो चुकी थी..

वाउ! क्या ब्यूटी थी. साली की चूची का आकार 34द, कमर 30, गान्ड 36, तो हो'जी. मधु ने आप'नी चूत शेव कर रखी थी. मैं मधु की चूत पर हाल'के हाल'के हाथ फेर'ने लगा और साथ ही रूचि की गान्ड भी मार'ता जा रहा था. लग भाग मुझे रूचि की गान्ड और चूत चोद'ते हुए 30 मिनिट हो गया था. इसी दौरान वह एक बार झऱ भी चुकी थी. अब मैं भी झऱ'ने वाला था. मैने लंड उस'की गान्ड से निकाला और उस'के मूँ'ह की तरफ आ के उस'के मूँ'ह में दे दिया. वह उसे चूस'ने लगी. मेरे लौऱे'ने एक ज़ोरदार पिचकारी उस'के मूँ'ह में मारी फिर दूसरी. इसी तरह काई पिचकारियाँ उस'के मूँ'ह में गयी.

उस'ने एक भी बूँद ज़ाया नहीं किया. सारे का सारा माल पी गयी. मैं वापिस सोफे पर आ के बैठ गया. मधु को अपनी गोद में बैठ लिया. मैं मधु के होन्ठ उस'की बऱी बहन के सम'ने ही चूस'ने लगा और साथ ही उस'की दोनों चूचियाँ आप'ने हाथों में ले दबाने लगा. मधु बार बार सिसक रही थी. रूचि हमें देख रही थी, पर मधु आप'नी बहन से नज़रें नहीं मिला रही थी. मैने रूचि से कहा की,

चल आप'ने कप'रे पहन और चलती बन मधु को कल आ के ले जाना.

लेकिन मैं इसे अकेला नहीं छोऱ सक'ती हून. कौशल को क्या बतावँगी?

जो तेरा जी करे बता देना उस सेयेल बहन चोद को, वैसे मेरे पास एक हाल है. तुम उसे फोन करो और बताओ के तुम दोनों आज आप'नी किसी सहेली के पास रहोगी. कल वापिस आओगी. उस'ने पहले अपनी एक सहेली को फोन किया की वह रात उस'के घर ठहरेगी. फिर उस'ने भाई को फोन किया की वह और मधु अपनी एक दोस्त के घर रात गुज़ारें'गी और वह मुन्ने को वहाँ छोऱ दे, (रूचि का बेट) 2 बजे तक अभी एक बाज रहा था. उस'ने कप'रे पहन के मधु से कहा की वह कल घर जाते हुए उसे लेती जाएगी. वह घर से निकल गयी.. मैने मधु से कहा की,

चल जाके दरवाज़ा बंद कर और खाना गरम कर. खा'ने के बाद तुम्हारी चुदाई होगी. मैं दोनों बहनों को किसी दासी की तरह हॅंडल कर रहा था जैसे वह मेरी गुलाम हों. मैं उस'का मलिक हून. वह भी मेरी हर बात मान रही थी जैसे के रूचि मनती रही है. खाना खा'ने के बाद मैं उसे आप'ने बेड रूम में ले कर गया. उसे बिस्तर पे लिट दिया. उसे कहा की,

अब यह बताओ पहले चुदी हो या कुँवारी हो?

नहीं, जीजू आप भी कैसी बातें कर'ते हैं? अभी मेरी शादी ही कहाँ हुई है. क्योंकि वह नंगा थी. मैं भी नंगा था. मेरा लंड किसी आज'गर की तरह फूँकार रहा था.. मैं भी मधु के बाज़ू में लेट गया और उस'के होंठों को आप'ने होंठों के बीच ले चूस'ने लगा.

तो क्या हुआ साली, जिस'की शादी नहीं होती वे क्या चुद'ती नहीं. मेरे को तो लग'ता है तेरा आवारा भाई ही तुझे चोद चुका होगा. यह कह'ते हुए मैं मधु के कऱक मुममे बेरहमी से मसल'ने लगा. मधु बीच बीच में कराह उठ'ती.

ओह विशाल तुम बहुत बेरहम हो. अपनी छोटी सेयेल से ऐसे पेश आया जाता है.

अभी तुम'ने मुझे देखा कहाँ है रन्डी? देख'ना है, मैं तेरे से कैसे पेश आता हून? यह कह'के मैने आप'नी एक अंगुल एक ही झट'के में आधी उस'की गान्ड में घुसेऱ डी. अंगुल घुस'ते ही वह उईईईई..... कर'ती हुई उच्छल पऱी.

साली अंगुल घुस'ने से इट'नी उच्छल'ती हो तो जब यह जाएगा तब तेरा क्या हाल होगा? यह कह के मैने मधु का हाथ खींच के आप,ने लंड पर रख दिया जिसे वह धीरे धीरे सहलाने लगी. कुच्छ देर मधु मेरा लंड सहलाती रही फिर मैने उस'से कहा,

अब आप'नी टाँगें खोलो, अब तुम्हारी चुदाई होगी. जैइयसा तुम कह'ती हो अगर तुम्हारी सील सही सलामत मिली तो तुम्हें बऱे प्यार से लूँगा नहीं तो तेरी बऱी बहन रूचि की जैसे ली थी वैसे लूँगा.

rajaarkey
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Re: बदले की आग

Unread post by rajaarkey » 12 Dec 2014 22:12

बदले की आग (भाग - 6)

रूचि को मैं उस'की एक सहेली के घर भेज चुका था. मेरे बाद'ले की आग का दूसरा शिकार कामिनी की छोटी चचेरी बहन मधु थी. वह कामिनी से टीन साल छोटी है यानी की मधु अभी 19 साल की हुई है. बरी मस्त 19 साल की पूरी जवान छ्हॉक'री थी और मैं उसे अब चोद'ने की तैयारी में था. फिर मधु ने ही बताया था की अभी तक वह चुदी नहीं है तो यह सोच सोच के ही मेरा लॉरा फुंफ'कार रहा था.

मैं उस'की टाँगों के बीच में आ गया. आप'ने लंड को उस'की चूत पर मसल'ने लगा. वह सिसक रही थी क्योंकि मैं आप'ने लौऱे को उस'के भगोष्ट पर घुमा रहा था. फिर मैने आप'ने लौऱे का सुपारा उस'की चूत में फँसा के धीरे से तेल'ने लगा और मेरा लंड उस'की चूत में जेया'ने लगा. वह चिल्ला तो नहीं रही थी. पर दर्द उस'की बर्दास्त से बाहर हो रहा था क्योंकि उस'ने आप'ने होन्ठ कस के भींच रखे थे. जब मेरा लंड कुच्छ और अंदर गया तो मैने पाया की वह सचमुच में कुँवारी थी और मेरे लौऱे को उस'की चूत की झिल्ली रोक रही थी.

अंदर से मैं आप'ने नसीब पर खुशी से फूला नहीं समा रहा था. आज फिर एक कुँवारी चूत चोद'ने को मिली थी. वो भी कई अरसे के बाद. फिर इस चूत को मैं आप'ने बाद'ले की आग में चोद रहा था. मैने निश्चय काइया की जो हो मैं इसे बऱी बेरहमी से चोदून्गा. मैने अपने लौऱे को ज़रा सा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झट्के से अंदर तेल दिया. मेरा लंड उस'के कौमार्या की धज़ियाँ उऱा'ते हुए उस'की चूत में चला गया. उस'की चीख निकल गयी..

ओईईई. मैं मार गयी.. मेरी चूत फॅट गई... विशाल, बहुत दर्द हो रहा है. हा'य ! निकालो आप'ने इस मूसल को मेरी फुददी से. हा'य ! निकालो ना आप'ने लौऱे को. वरना मैं मार जाउन्गीईईइ. बहुत दर्द हो रहा है अब. मैं कहाँ उस'की सुनता. मेरा लंड उस'की चूत की गहराइयों में उतार चुका था. मैने उसे कहा की,

बस मधु अब मेरा लंड तुम्हारी चूत में पूरा जा चुका है. अब दर्द नहीं होगा. मैने कहा था ना की यदि तुम कुँवारी निक'ली तो तुम्हें बऱे प्यार से लूँगा और मधु, तुम सचमुच में बिल्कुल कोरी हो. मैं कुच्छ वक़्त तक धक्का नहीं लगाऊँगा. इस तरह तुम्हारी चूत कुच्छ खुल जाएगी. फिर तुम्हें दर्द नहीं होगा सिर्फ़ मज़ा मिलेगा और मैं उस'के ऊपर लेट गया. उस'के होंठों को आप'ने मूँ'ह में ले चूस रहा था. फिर उस'की चूचियों को आप'ने मूँ'ह में लिया और चूस'ने लगा. कुच्छ वक़्त लगा उसे नॉर्मल होने में. अब उस'ने सिस'कारियाँ लेनी शुरू की. वह उत्तेजना में कह रही थी.

विशाल, मेरे दूध चूसो ना. फिर मैने देखा की अब उसे मज़ा मिल रहा है तो मैने लंड ज़रा सा बाहर निकाला और फिर धीरे से वापिस तेल दिया, उस'की चूत में. अब उस'ने एक मज़े से भारी हुई सिस'कारी ली.. उन्न्न्न.... और उस'ने कहा की,

विशाल चोदो अपनी मधु को. 24 घन्टे और हैं. तुम बस मुझे चोद'ते ही रह'ना. कल तक एक पल भी नहीं रुकना. चोदो मुझे. मैने भी अब धक्के लगाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उस'की सन्कऱी चूत में बऱी मुश्'किल से अंदर बाहर हो रहा था. कुँवारी चूत का अपना ही मज़ा होता है. दोस्तों क्या सन्कऱी चूत थी? ऐसे लगता था की मेरा लंड दो पत्थरों के बीच में आ गया है क्योंकि अब उसे मज़ा मिल रहा था तो उस'की चूत से लार निकल रही थी. जिस की वजह से अब मेरा लंड आराम से उस'की चूत में आ जेया रहा था. उस'के मूँ'ह से सिर्फ़ कामुक सिस'कारी निकल रही थी..

चोदो, ऊह.. विशाल, चोदो. मुझे रन्डि की तरह चोद. आज मुझे इतना चोदो के मैं चल भी नहीं सकूँ. एयाया... मेरे अंदर से कुच्छ बाहर आना चाह रहा है.. विशाल ई आम कमिंग. मैं झऱ'ने वाली हून हाय..्ओ हो... और वह झऱ गयी लेकिन मैं तो अभी झऱ'ने के करीब तो क्या डोर भी नहीं था.. मैने चुदाई जारी रखी और 10 मिनिट बाद वह फिर से चिल्ला'ने लगी..

विशाल तुम पुर मारद हो. मैं फिर से हवा में उड़ रही हून.. ऊह.. चोदो विशाल. बहुत मज़ा मिल रहा है.. मैने उसे कहा की,

अभी तुम'ने देखा क्या है मेरी रानी. अभी तो तुम्हें और भी मज़ा मिलेगा और मैने अपना लंड उस'की चूत से निकाल लिया और उसे कहा की,

चल अब कुतिया की तरह आप'ने हाथों और पाँवों पर हो जाओ जैसे कुतिया हो. अब मैं तेरी चूत पीच्चे से मारूँगा. चल साली कुतिया बन जा. वह कुतिया की तरह चारों हाथ पाँव पर हो गयी. इस अंदाज़ में साली के फूले हुए चुत्तर बऱे मस्त लग रहे थे. घान्ड का गोल च्छेद बिल्कुल कसा हुआ दिख रह था. पर अभी तो मेरा ध्यान उस'की चुदाई पर था, गान्ड कहाँ भाग के जाने वाली थी. मैं उस'के पीच्चे जाके उस'की चूत में फिर से अपना लंड डाल दिया. उसे चोद'ने लगा उस'के मूँ'ह से फिर सिस'कारियाँ निकल रही थी..

ऊह.. ओह..... विशाल क्या मज़ा मिलता है इस काम में.. ज़ोर से चोदो मेरी चूत को, फाऱ दो, और तेज़ और तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ चोदो. आ... विशाल चोदो. ऊह.. उः.. और मैं आप'ने पुर वेग से उसे चोद रहा था. कुच्छ वक़्त उसे एक कुत्ती की तरह पीच्चे चढ कर चोद'ने के बाद वह फिर झऱ'ने वाली थी. अब मेरा लंड अकऱ गया और लावा बाहर आने के लिए उबाल'ने लगा.. मैने उसे कहा की.

मधु साली मैं झऱ'ने वाला हून. मैं तेरी चूत में झऱ रहा हून और वह भी झऱ रही थी. साथ साथ कह रही थी..

विशाल मेरी चूत में झऱो. मेरी चूत को आप'ने माल से भर दो. मुझे चोदो. भरो मेरी चूत को और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और अपना सारा माल उस'की चूत में झाऱ दिया. साथ ही वह भी सिस'कारियाँ ले रही थी. झऱ रही थी..

ऊह.. विशाल मैं झऱ रही हून.. आह तुम्हारा माल मेरी चूत में चला गया है. मुझे महसूस हो रहा है, कितना गरम है.. उ.... ओह और वह बिस्तर पर गिर गयी. मैं उस'के ऊपर गिर गया. मेरा लंड उस'की चूत में ही रहा. मैं उस'के ऊपर ही लेट रहा. कुच्छ देर के बाद मेरा लंड सिकुऱ'ना शुरू हुआ और फिर उस'की चूत से निकल आया. मैं उस'के ऊपर से हट गया. उस'के बगल मैं आ गया. हमारी साँसें अब भी तेज़ चल रही थी. मैने उसे अपनी साइड पर किया. उस'के होठों को चूम लिया..

क्या मस्त चूत है तेरी मधु आज तुम औरत बन गयी हो. साली मुझे नहीं पता था की तू कुँवारी है. साली पहले मैं तुम्हें छोड़ता, रूचि को नहीं, चलो देर आए द्रुस्ट आए. मैने वक़्त देखा तो मैं चौंक गया. हमें चुदाई कर'ते हुए 2 घन्टे से ज़्यादा हो चुका था. पता भी नहीं चला जब'की हम बेड रूम मैं आए थे तो 3 बाज रहा था. अब 5 बाज रहे थे. मैने उसे कहा की,

चलो शवर ले लेते हैं और तुम अपनी चूत से खून को धो लो. मेरा लंड भी उस'के खून से साना हुआ था. हम दोनों पुर नंगे बात रूम में चले गये. ठन्ड गरम पानी सेट कर'के शवर चालू किया और पूरी मस्ती में शवर लिया. हम एक डूस'रे के बदन के हर भाग को हाथों से रगऱ रगऱ धो रहे थे. फिर वापिस बिस्तर पर आ गये. फिर मैने उस'के मुम्मों से खेल'ते हुए उस से पूचछा की,

मधु एक बात सच सच बताना की कामिनी को बार'बाद कर'ने में तुम्हारा कितना हाथ है? तुम'ने भी तो आप'ने भाई की मदद की थी तो वह बोली,

हन, रूचि दीदी ने मुझे सब बता दिया है. बहन को बर्बादी से रोक'ने के लिए मैं सब कुच्छ जान'ते हुए भी तुम्हारे पास आई हून. हन, मैने कौशल भाई की इस'में मदद की थी. पर मुझे नहीं पता था की भाई और रूचि दीदी ऐसा करें'गे. मुझ से सिर्फ़ कहा था की चाय मैं यह डॉवा डाल देना और फिर तुम सोने चली जाना लेकिन वह तो मुझे बाद मैं पता चला के भाई'ने रूचि की मदद से कामिनी को छोड़ा था.

क्या उस समय रूचि भी कौशल के साथ थी?

नहीं, पर वह आस पास ही कहीं बाहर थी और यदि हालत बेकाबू हो जाते तो वह बात संभाल लेती.

क्या आंटी और अंकल को भी इस बात का पता है?

पापा को तो पता होने का सवाल ही नहीं. नहीं तो कौशल भाई को वे शायद घर से ही निकाल देते. पर मम्मी को इस बात का पता लग गया.

मम्मी'ने कौशल को कुच्छ नहीं कहा की उस'ने ऐसा क्यों किया?

नहीं. उन्हों'ने ने तो खानदान की इज़्ज़त की दुहाई देके कामिनी को सम'झा लिया था. वह तो खुद चाह'ती थी की किसी तरह कामिनी का रिस्ता मम्मी के ससुराल में हो जाय. क्योंकि वह मा बाप की ऐक्लोटी औलाद है. उस'के बाप का सारा हिस्सा शादी के बाद या तो कामिनी माँग लेती या फिर उस'के ससुराल वाले. पर फिर आप लोग आए और पापा ने कामिनी की शादी आप से कर डी. मैने कुच्छ नहीं कहा. मैं कुच्छ और ही सोच रहा था. फिर हम लोग सो गये. मेरी जब आँख खुली तो रात के 10 बाज रहे थे. मैने उसे उठाय और हम'ने खाना खाया. मधु को मैने रसोई में सब कुच्छ ठीक ताक कर'ने की हिदायत दे डी और खुद कम'रे मैं आ गया.

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