नमकीन चूत
दोस्तो मे अपनी एक भाभी की स्टोरी बताने जा रहा हूँ
उनका नाम अंकिता है वो 29 साल की है मैं जयपुर मे जहाँ रहता हूँ उसी सोसाइटी मे मेरे पास
वाले फ्लेट मे रहती है उनके पति यानी कमल भैया किसी कम्पनी मे एग्ज़िक्युटिव है तो वो पूरे दिनभर बाहर रहते है और भाभी भी जॉब करती है तो उनसे कभी कभी मुलाकात हो जाती है अंकिता भाभी का फिगर बहुत मस्त है 36-28-36 है मैने अब तक भाभी के साथ दो वेलेंनटाइन डे मनाये है और दोनो ही वेलेंनटाइन डे पर भाभी को सेक्सी से दो हॉट ड्रेस मँगवाकर दी है जो उन्हे बहुत पसंद आई है.
मैं भाभी से 2 साल पहले सोसाइटी के जिम मे मिला था पहले ही हेलो से बात स्टार्ट हुई फिर स्माइल पास करना कभी कभी मैं उन्हे जिम मे एक्सरसार्इज़ करते हुये देखता रहता तो वो आकर पूछती थी क्या देखता रहता है मुझमे तो मैं कह देता था की भाभी आप मे तो उपर से नीचे तक बहुत कुछ है दिखाने को लेकिन आप कभी दिखाती ही नही हो हमेशा स्माइल करके चली जाती हो उनका फ्लेट और मेरा फ्लेट पास पास है और हम दोनो के बेडरूम की बाल्कनी भी पास पास है तो हम बहुत बार बाल्कनी मे खड़े होकर बात करते थे.
एक दिन भैया और भाभी रात को चुदाई कर रहे थे और उनके रूम से आवाज़ मेरे रूम मे साफ साफ़ सुनाई दे रही थी मुश्किल से 5 मिनिट ही हुये थे भैया बाल्कनी मे आकर खड़े होकर सिगरेट पीने लगे मैं भी सिगरेट पीने बाल्कनी मे चला गया और ऐसे ही गप्पे मारने लगा अगले दिन भाभी मिली जिम मे तो मैने उन्हे कमेन्ट कर दिया की भाभी दो दो बार मेहनत कैसे करती हो पहले जिम में और रात मे भैया पर तो वो कुछ बोली नही और चली गयी.
मै अगले दिन उनके फ्लेट पर गया और उनसे पूछा भैया कहाँ है तो उन्होने कहा की वो ऑफीस गये है महीने का आखरी चल रहा है इसलिये मैने उनसे फिर वही सवाल किया तो वो रोना स्टार्ट कर दिया तो मैने पूछा ऐसा क्या हुआ तो मुझे हग करके रोने लगी मैं समझ गया की भैया से भाभी संतुस्ट नही है फिर क्या था भाभी को थोड़ी सी बाते की और उन्हे सेट किया फिर मैने उन्हे आइ लव यू बोल दिया उसने कुछ नही बोला मैने उन्हे किस किया लिप्स पर वो रेस्पॉन्स दे रही थी यारो क्या किस था मुझे तो लगा की यह तो आज मुझे खा जायेगी या मेरे लिप्स फिर 15 मिनिट किस करने के बाद वो खड़ी हुई और किचन मे चली गयी अब मेरा 8 इंच का लंड तैयार था मैं भी उनके पीछे किचन मे गया और उनके पीछे जाकर उनकी गर्दन पर किस करने लगा.
फिर धीरे धीरे मैने उनके एयररींग्स निकाल कर किस करने लगा और उनके साथ खेलने लगा भाभी ने उस दिन घर पर टॉप और स्कर्ट पहना था फिर उन्होने अपना फेस मेरी तरफ घुमाया और मुझे बहुत टाइट किस किया और धीरे से बोला की राहुल फक मी में आज से तुम्हारी हूँ फिर क्या था यह सुनते ही मैं उन्हे उनके बेडरूम मे ले गया और बेड पर लेटा दिया और उनकी आँखे बंद कर दी अब धीरे धीरे मैं उनके फेस पर किस करने लगा फिर धीरे धीरे गर्दन पर से होते होये कन्धो तक आया फिर मैने भाभी की टॉप की स्ट्रीप साइड मे कर दी और उनके कन्धो और गर्दन पर किस करने लगा उन्होने आहें भरना स्टार्ट कर दिया ओह राहुल्ल्ल्ल आआआआआआअहह. आहें वो भर रही थी और हालत मेरी ख़राब हो रही थी फिर मैंने उनका टॉप उतार दिया उन्होने ब्रा नही पहनी थी उनके बूब्स मेरे सामने थे और निपल भी टाइट हो रहे थे
मैने एक एक करके उनके निपल्स चूसना स्टार्ट कर दिया फिर उनके पेट पर किस करता हुआ मैं उनकी चूत तक आया पहले मैने उनकी कमर पर बहुत किस करी फिर उनका स्कर्ट उतार दिया अब वो सिर्फ़ अपनी लाल पेंटी मे थीमैंने उन्हे पूछा अंकिता कैसा चाहती हो सॉफ्ट और वाइल्ड सेक्स तो उन्होने कहा स्टार्ट करो सॉफ्ट एंड वाइल्ड मैं समझ गया आज यह बहुत चुदने के मूड मे है मैने उसकी जांघ पर किस करना स्टार्ट किया तो वो पागल हो गयी थी फिर एकदम से वो उठी और और मेरा सर पकड़कर अपनी चूत के पास ले गयी और बोली राहुल मत तड़पा और चाट मेरी चूत को मैने उनकी पेंटी उतारी और जैसे ही उनकी चूत के पास अपने लिप्स लेकर गया उन्होने मेरे सर को अपनी चूत मे घुसा दिया एक बार तो मैं साँस भी नही ले पा रहा था.
फिर मैने उनकी चूत चाटना स्टार्ट किया क्या नमकीन चूत थी मुझे बहुत मजा आ रहा था आह वो चिल्ला रही थी चाट राहुल मेरी चूत आआआआआआआहह और चाट खा जा मेरी चूत को आआआआआआआहह फिर उसने मुझे बेड पर लेटाया और मेरे मुँह के उपर अपनी चूत को रखकर रगड़ने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और उसे तो बता नही सकता पूरे रूम में आआआअहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह आआआआआआहह की आवाज़ आ रही थी फिर उसने मेरी जीन्स उतारी और मेरा लंड निकाल कर मुँह मे लेकर चूसने लगी क्या गर्म मुँह था उसका वो एक नंबर की एक्सपर्ट थी लंड चूसने मे हम कम से कम 20 मिनिट तक ऐसे ही रहे और फिर हम दोनो एक साथ झड़ने वाले थे तो उसने मुझे कहा की अभी मत निकालना मैने तो अपने आप पर कंट्रोल किया पर वो नही कर पाई.
फिर हम सीधे हुये और वो बोली राहुल अब डाल दो ना मैने फिर अपने पर्स मे से कन्डोम निकाला और उसे दिया उसने फट से कन्डोम लगाया और खूब सारा लूब्रिकेंट भी लगाया मेरे लंड पर जो मैं अपने साथ लाया था और मेरे लंड को अपनी चूत के पास ले गई और बोली डाल दो राहुल मैने एक झटका दिया और पूरा का पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर चला गया उसे थोड़ी तकलीफ़ हुई लेकिन थोड़ी देर बाद वो बोली राहुल चोद दो अपनी रांड़ को कुत्तिया की तरहफिर मैने उसे चोदना स्टार्ट किया वो आआआआआआआआआहह फुउऊऊउक्ककककक मीईईईईई रहुल्ल्ल्ल्ल आआआआआआआहह हमम्म्ममममममममममम ममममाआआआआअ फफफफफफफफफफफूक्कककककककककककककककककक्क्क़मम्म्ममीईई कर रही थी और पूरे रूम मे पचक पचक की आवाज़ हो रही थी.
फिर मैने उसे डॉगी स्टाइल मे आने को कहा और उसके उपर चड़ गया और चोदने लगा सच में बहुत मजा आ रहा था और मैने कम से कम 20 मिनिट तक उसे चोदा और उसके बाद उसे बोला की मेरा आने वाला है तो वो बोली की वो अब तक 3 बार झड़ चुकी है और मेरे आने का इन्तजार कर रही थी उसने मेरे लंड से कन्डोम हटाया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी फिर सारा पानी अपने बूब्स और फेस पर डलवा लिया फिर हम दोनो ने फटाफट अपने आपको साफ किया और तैयार हुये और चाय पीने बैठे ही थे की भैया आ गये किस्मत अच्छी थी की हम बच गये तब से लेकर आज तक 2 साल से हम महीने मे कम से कम 15 बार चुदाई करते है और बहुत इन्जॉय करते है.
हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
में कुणाल है, जयपुर का रहने वाला हूँ, मैं डॉक्टर हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सीनियर डॉक्टर के क्लिनिक में काम करने लगा था…
वहाँ उसने एक मस्त सी माल को भी लगा रखा था काम पर…
उन दिनों कॉलेज से निकलने के बाद मुझ पर जवानी के मजे लेने का ज्यादा ही जोश था और मैं हर लड़की को बस एक बार प्यार करने की ही सोचता था। क्लिनिक में काम करने वाली उस अप्सरा का नाम मालविका था और उसका कहर ढाता जिस्म किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी था… वो बहुत ही खूबसूरत और छरहरे बदन की थी, उसका बदन 34-30-36 का तो होगा, उसके मम्मे बड़े ही नुकीले थे और उसकी हर चाल के कदम से उसकी हिलते हुए चूतड़ किसी के भी सोते लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे।
मैं भी उस हसीं मालविका का दीवाना हो चला था.. मन ही मन मैं उसे सोच कर मुठ मारा करता था.. मैं उसे मन ही मन चोद भी चुका था।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, एक दिन मेरा सीनियर किसी मरीज को देखने बाहर गया हुआ था और मैं उसके कहने पर क्लिनिक जल्दी पहुँच गया था.. क्लिनिक पहुँच कर मैं मालविका का इन्तजार करता रहा लेकिन वो समय पर नहीं आई।
बाहर मौसम भी बारिश का हो गया था तो मैंने उसे फोन करना ठीक समझा… क्लिनिक से ही मैंने उसका नंबर निकाला और उसको फोन किया तो उसने मुझे बताया कि वो रास्ते में ही कहीं रुक गई है और बारिश के कारण थोड़ी देर से आ पायेगी..
मैं भी उसका इन्तजार करने लगा..
इन्तजार ख़त्म हुआ और वो मेरे सामने ही थी.. उस दिन उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था जो पूरी तरह से भीग चुका था।
वो क्लिनिक के अन्दर आई और ठण्ड के मारे कांप रही थी, उसका सूट उसकी जवानी छुपाने में नाकाम हो रहा था… पूरा सूट उससे चिपका जा रहा था और वो अपने हाथों से अपनी इज्जत छुपाने की कोशिश कर रही थी।
और मेरी नजर उसके मम्मों से हट ही नहीं रही थी।
उस दिन उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी जो कमीज में से साफ़ साफ़ दिख रही थी।
वो अन्दर जाने लगी कि तभी मैंने उसे रोका।
उसे हल्की हिचकिचाहट तो हुई लेकिन फिर वो रुक गई… पलट कर उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे दूर से ही चुम्बन का इशारा कर दिया…
वो शरमा गई और अन्दर जाने लगी… मुझे लगा कि कहीं वो बुरा न मान जाए और मैं उसके पीछे ही चल पड़ा। वो बाथरूम में चली गई और कपड़े बदलने लगी, मैं भी चाबी के छेद से सब कुछ देखने लगा। उसने अपने सारे कपड़े उतारे और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बदन को तौलिये से पौंछने लगी..
अचानक ही वो रुकी और अपने मम्मों पर हाथ रखकर शीशे में देखने लगी..जैसे कि उसे अपने आप से खेलने का मन किया हो..
उसके मम्मे देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं वहाँ से हटकर बाहर की तरफ आ गया। मैंने क्लिनिक को अन्दर से बंद कर दिया और उसका बाहर आने का इन्तजार करने लगा..
5 मिनट बाद वो बाहर आ गई और यह देखकर स्तब्ध सी रह गई कि क्लिनिक अन्दर से बंद था…
उसने मुझसे पूछा- क्लिनिक क्यों बंद कर दिया?
मैंने उसे बोला- आज काम करने का मूड नहीं है…
तो वो भी मेरे सामने आकर बैठ गई..
उसके बाल अभी भी गीले थे जिस कारण बालों से थोड़ा पानी उसके चेहरे पर भी आ रहा था।
उसके गीले बाल देख कर मुझे लगा कि शायद उसे ठण्ड लग रही होगी इसलिए सामने की थड़ी से ही मैंने दो चाय मंगा ली।
चाय पीते पीते मैं उसे ही देख रहा था… वो समझ चुकी थी कि मेरी नजर उसके मम्मों से हट नहीं रही थी।
हमारे बीच बस शांति ही थी, हम चाय पी रहे थे कि तभी अचानक वो हुआ जो सोचा भी नहीं था…
असल में ठण्ड के मारे वो कांप रही थी और चाय का गिलास उसके हाथ में हिल रहा था, मैंने ग्लास पकड़ना चाहा कि कहीं गिर न जाए…
जैसे ही मैंने उसका हाथ छुआ, वो मुझे देखने लगी और हाथ पकड़ लिया और बस नजरों में देखने लगी… मैं भी सोचने लगा कि यह हुआ क्या..
कि तभी अचानक वो मेज के इस पार आ गई और मेरे होंठों पे होंठ रख दिए.. इससे पहले मैं कुछ समझ पाता, वो मुझसे पूरी तरह से चिपक चुकी थी जैसे नागिन हो…
उसका ऐसा करना मुझे अच्छा लग रहा था और मैं भी उसका साथ देने लगा.. मैं उसके होंठों को कस कर चूस रहा था और मेरा हाथ भी उसके शरीर को टटोल रहा था… हाथ उसकी पीठ पर था और वो मेरी शर्ट उतारने लगी…उसने मेरे अन्दर अपने लिए वासना जगा दी थी, मेरा लंड तन गया था.. मैं भी उसका साथ देता जा रहा था।
मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू किया और वो मेरे होंठ चूसती जा रही थी.. उसके सख्त मम्मों को दबाने में बड़ा ही मजा आ रहा था और मैं बस उस समय उसके मम्मों को ही प्यार किये जा रहा था। मेरा ऐसा करना उसे और गरमाता जा रहा था और वो बस इ.. ई… ईईई…आह … किए जा रही थी… शायद उसे मेरा ऐसा करना अच्छा लग रहा था।
मैंने मम्मे दबाते हुए उसका कुर्ता हटा दिया ! क्या मम्मे थे उसके ! और बारिश से भीग जाने के कारण उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी…
बाहर बादल काफी गहरा गए थे, जिस कारण कमरे में ज्यादा उजाला भी नहीं था और थोड़े से उजाले में उसके मम्मे दूध जैसे चमक रहे थे… मैंने उन्हें दबाना छोड़ कर खाना शुरू कर दिया…
मेरा मुख उसके मम्मों को चूस रहा था और मेरी एक उंगली उसके मुँह में थी जिसे वो लंड की तरह चूस रही थी। उसने और जोर से अपनी चूचियों को मेरे चेहरे पर दबाते हुए कहा- कुणाल, चूसो इन्हें.. और जोर से चूसो… ओह ओह ओह ओह ओह… हाँ हाँ हाँ ऐसे ही… चूसो इन्हें…
उसका ऐसा कहने से जैसे मुझमें और जोश आ गया था और मैं बस उसके मम्मों में घुसा जा रहा था..
उसने बोला- आज पहली बार ऐसा कुछ हो रहा है मेरे साथ और मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं भी बोला- हाँ, आज पहली बार मैं किसी लड़की के इतना नजदीक हूँ, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा है..
और मैं उसके चुचूकों पर काटने लगा… इससे उसके मुंह से दर्द और आनन्द भरा स्वर निकल रहा था।
एक हाथ से उसके मम्मे को नीचे से पकड़ रखा था, निप्प्ल को मैंने अपने दांतों के बीच दबा दिया था और वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी और मेरा चेहरा अपने वक्ष पर बहुत जोर से दबा रही थी।
मैंने भी सही समय सोच कर उसकी सलवार में हाथ डाल दिया, उसने सलवार के अन्दर उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी जिस कारण मेरा हाथ सीधा उसकी चूत से टकरा गया, उसकी चूत छूने में बड़ी चिकनी लग रही थी, एक भी बाल नहीं था, जैसे अभी ही शेव करके आई हो… उत्तेजना के कारण उसकी चूत काफी गीली भी हो चुकी थी…
मैंने मम्मों को चूसते चूसते ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दी.. जैसे ही उंगली उसकी चूत में गई वो बड़ी जोर से चिल्लाने लगी, वो जोर जोर से ओ ओह… ओह.. ओह.. ओह जैसे आवाजे निकलने लगी… और साथ ही अपने चूतड़ भी हिलाने लगी।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे भी उसके शरीर से अलग कर दिया।
एकाएक उसने मुझे पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को फिर से चूसने लगी और बोली- सारे मजे खुद ही लोगे क्या? मुझे मजे नहीं करने दोगे?
मैं हँसा और बोला- जो करना है कर लो, मैं तुम्हारा ही तो हूँ..
यह सुन कर वो नीचे हुई और मेरी जींस के बटन खोलने लगी, उसने जींस के बटन खोल कर जींस अलग कर दी और मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया…
उसके ऐसा करने से मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया और लंड पहले से ज्यादा कड़क होने लगा…उसने चड्डी भी दूसरे हाथ से हटा दी और लंड को एकटक देखने लगी और बोली- इतना बड़ा? यह इतना बड़ा होता है क्या?
उसके चेहरे से डर साफ़ दिख रहा था…
मैं बोला- अरे मेरी जान, डरना कैसा, यह प्यार करने की चीज है, मजे लो और मस्ती मारो… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
लेकिन अब भी उसे मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को देखकर डर सा लग रहा था। मैंने उसका डर दूर करने के लिए उसका चेहरा पकड़ा और लंड उसके होंठों पर सटा दिया। उसने भी ज्यादा झिकझिक नहीं की और लंड के टोपे को चाटने लगी। मैं उसके बाल पीछे से पकड़े था और वो लंड के टोपे को चाट रही थी… मैंने एक बार उसे थोड़ा और नीचे की तरफ धकेला और उसने पूरा लंड लेने की कोशिश की लेकिन आधे में ही हट गई और बोली- अगर और लिया तो उलटी हो जायेगी !
मालविका मेरे लंड को अपने मुँह में लेना तो चाहती थी लेकिन डर डर के आगे बढ़ रही थी। एक बार को तो मुझे भी लगा जैसे वो सच में ही उलटी करने वाली हो…
फिर 3-4 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा और लंड को कुल्फी की तरह चाटने लगी और अपने जीभ से चाट भी रही थी। उसके ऐसा करने से लंड और ताव खा रहा था और तड़पता हुआ पूरा उसके मुँह में घुस रहा था…
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैं भी अब उसके साथ मरीज के लेटने वाली मेज पर 69 की अवस्था में आ चुका था और उसकी चूत चाट रहा था, वो मेरे लंड को चूसे जा रही थी।
हम लोग बस एक दूसरे में खोये हुए थे और क्लिनिक अन्दर से बंद होने का कारण किसी के आने का डर भी नहीं था।
कुछ मिनट तक 69 अवस्था में रहने के बाद अचानक से मालविका जोर जोर से हिलने लगी और सारा पानी मेरे मुंह पर ही छोड़ दिया… उसका स्वाद बड़ा ही अच्छा था और मैं अब भी उसकी चूत चाटे जा रहा था और उसे गरम करने लगा… वो अब भी मेरा लंड मुँह में लिए थी…3-4 मिनट बाद ही वो फिर से तपने लगी और मुझसे बोली- कुणाल, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है… प्लीज अब मेरी गर्मी शांत कर दो… और अपनी गाड़ी को सही जगह पार्क कर दो… इस जानवर का पिंजरा कब से इसके लिए तड़प रहा है…”
यह सुनकर मैं सीधा हुआ और उसकी चूत के पास आकर बैठ गया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख दिया, मुझे पता था कि इस अवस्था में सेक्स करने में मजा भी आता है और लड़की के अन्दर पूरा जाता है…
मैंने थूक निकाला और उसकी चूत पर लगा दिया और अपने लंड को ठीक उसके छेद के ऊपर टिका दिया। चूंकि आज तक मालविका ने किसी के साथ कुछ नहीं किया था तो उसकी चूत बड़ी ही मुलायम और सील बंद थी, मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को थोड़ा सा खोला और लंड के टोपे को थोड़ा अन्दर घुसाया। जरा सा घुसते ही वो चिल्ला पड़ी और लंड बाहर निकालने को कहने लगी लेकिन मुझे पता था की पहली बार में लड़कियाँ ऐसे ही कहती हैं, मैंने उसकी कमर के नीचे हाथ रखा और थोड़ा सा ऊपर किया। ज्यादा टाईट होने के कारण उसकी चूत में लंड बड़ी मुश्किल से ही जा पा रहा था, मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया और लंड थोडा और अन्दर चला गया…
उसने मुझे धक्का देकर हटाने की बहुत कोशिश की मगर मैं हिला नहीं और चूत में आधे लंड को घुसा दिया। वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी बहुत जोर से, उसकी चीख से सारा क्लिनिक गूँज रहा था।
मैं आधे लंड को घुसा कर रुक गया ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए… दो मिनट बाद मैंने एक और धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था। शायद उसे ज्यादा दर्द हो रहा था जिस कारण उसकी आँखों में आँसू आ गए थे, वो जोर जोर से आह… आह… आह… उई… इ..ई..आह… ह्ह…करने लगी और उसके चिल्लाने से मुझे भी अच्छा लग रहा था।
मैं धक्कों पे धक्के लगाये जा रहा था और कुछ के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
मालविका की हालत बड़ी ख़राब थी, उसकी चूत से खून बह रहा था, उससे चला भी नहीं जा रहा था… मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे बाथरूम में ले गया और अपने हाथों से ही उसकी सफाई की।
फिर मैंने मालविका को लिटा दिया वो मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।
जब बाहर मौसम ठीक हो गया तो वो जाने लगी… मैंने उससे उस समय कुछ नहीं कहा… वो चली गई और मैं अगले मौके की इन्तजार करने लगा।
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सीनियर डॉक्टर के क्लिनिक में काम करने लगा था…
वहाँ उसने एक मस्त सी माल को भी लगा रखा था काम पर…
उन दिनों कॉलेज से निकलने के बाद मुझ पर जवानी के मजे लेने का ज्यादा ही जोश था और मैं हर लड़की को बस एक बार प्यार करने की ही सोचता था। क्लिनिक में काम करने वाली उस अप्सरा का नाम मालविका था और उसका कहर ढाता जिस्म किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी था… वो बहुत ही खूबसूरत और छरहरे बदन की थी, उसका बदन 34-30-36 का तो होगा, उसके मम्मे बड़े ही नुकीले थे और उसकी हर चाल के कदम से उसकी हिलते हुए चूतड़ किसी के भी सोते लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे।
मैं भी उस हसीं मालविका का दीवाना हो चला था.. मन ही मन मैं उसे सोच कर मुठ मारा करता था.. मैं उसे मन ही मन चोद भी चुका था।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, एक दिन मेरा सीनियर किसी मरीज को देखने बाहर गया हुआ था और मैं उसके कहने पर क्लिनिक जल्दी पहुँच गया था.. क्लिनिक पहुँच कर मैं मालविका का इन्तजार करता रहा लेकिन वो समय पर नहीं आई।
बाहर मौसम भी बारिश का हो गया था तो मैंने उसे फोन करना ठीक समझा… क्लिनिक से ही मैंने उसका नंबर निकाला और उसको फोन किया तो उसने मुझे बताया कि वो रास्ते में ही कहीं रुक गई है और बारिश के कारण थोड़ी देर से आ पायेगी..
मैं भी उसका इन्तजार करने लगा..
इन्तजार ख़त्म हुआ और वो मेरे सामने ही थी.. उस दिन उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था जो पूरी तरह से भीग चुका था।
वो क्लिनिक के अन्दर आई और ठण्ड के मारे कांप रही थी, उसका सूट उसकी जवानी छुपाने में नाकाम हो रहा था… पूरा सूट उससे चिपका जा रहा था और वो अपने हाथों से अपनी इज्जत छुपाने की कोशिश कर रही थी।
और मेरी नजर उसके मम्मों से हट ही नहीं रही थी।
उस दिन उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी जो कमीज में से साफ़ साफ़ दिख रही थी।
वो अन्दर जाने लगी कि तभी मैंने उसे रोका।
उसे हल्की हिचकिचाहट तो हुई लेकिन फिर वो रुक गई… पलट कर उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे दूर से ही चुम्बन का इशारा कर दिया…
वो शरमा गई और अन्दर जाने लगी… मुझे लगा कि कहीं वो बुरा न मान जाए और मैं उसके पीछे ही चल पड़ा। वो बाथरूम में चली गई और कपड़े बदलने लगी, मैं भी चाबी के छेद से सब कुछ देखने लगा। उसने अपने सारे कपड़े उतारे और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बदन को तौलिये से पौंछने लगी..
अचानक ही वो रुकी और अपने मम्मों पर हाथ रखकर शीशे में देखने लगी..जैसे कि उसे अपने आप से खेलने का मन किया हो..
उसके मम्मे देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं वहाँ से हटकर बाहर की तरफ आ गया। मैंने क्लिनिक को अन्दर से बंद कर दिया और उसका बाहर आने का इन्तजार करने लगा..
5 मिनट बाद वो बाहर आ गई और यह देखकर स्तब्ध सी रह गई कि क्लिनिक अन्दर से बंद था…
उसने मुझसे पूछा- क्लिनिक क्यों बंद कर दिया?
मैंने उसे बोला- आज काम करने का मूड नहीं है…
तो वो भी मेरे सामने आकर बैठ गई..
उसके बाल अभी भी गीले थे जिस कारण बालों से थोड़ा पानी उसके चेहरे पर भी आ रहा था।
उसके गीले बाल देख कर मुझे लगा कि शायद उसे ठण्ड लग रही होगी इसलिए सामने की थड़ी से ही मैंने दो चाय मंगा ली।
चाय पीते पीते मैं उसे ही देख रहा था… वो समझ चुकी थी कि मेरी नजर उसके मम्मों से हट नहीं रही थी।
हमारे बीच बस शांति ही थी, हम चाय पी रहे थे कि तभी अचानक वो हुआ जो सोचा भी नहीं था…
असल में ठण्ड के मारे वो कांप रही थी और चाय का गिलास उसके हाथ में हिल रहा था, मैंने ग्लास पकड़ना चाहा कि कहीं गिर न जाए…
जैसे ही मैंने उसका हाथ छुआ, वो मुझे देखने लगी और हाथ पकड़ लिया और बस नजरों में देखने लगी… मैं भी सोचने लगा कि यह हुआ क्या..
कि तभी अचानक वो मेज के इस पार आ गई और मेरे होंठों पे होंठ रख दिए.. इससे पहले मैं कुछ समझ पाता, वो मुझसे पूरी तरह से चिपक चुकी थी जैसे नागिन हो…
उसका ऐसा करना मुझे अच्छा लग रहा था और मैं भी उसका साथ देने लगा.. मैं उसके होंठों को कस कर चूस रहा था और मेरा हाथ भी उसके शरीर को टटोल रहा था… हाथ उसकी पीठ पर था और वो मेरी शर्ट उतारने लगी…उसने मेरे अन्दर अपने लिए वासना जगा दी थी, मेरा लंड तन गया था.. मैं भी उसका साथ देता जा रहा था।
मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू किया और वो मेरे होंठ चूसती जा रही थी.. उसके सख्त मम्मों को दबाने में बड़ा ही मजा आ रहा था और मैं बस उस समय उसके मम्मों को ही प्यार किये जा रहा था। मेरा ऐसा करना उसे और गरमाता जा रहा था और वो बस इ.. ई… ईईई…आह … किए जा रही थी… शायद उसे मेरा ऐसा करना अच्छा लग रहा था।
मैंने मम्मे दबाते हुए उसका कुर्ता हटा दिया ! क्या मम्मे थे उसके ! और बारिश से भीग जाने के कारण उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी…
बाहर बादल काफी गहरा गए थे, जिस कारण कमरे में ज्यादा उजाला भी नहीं था और थोड़े से उजाले में उसके मम्मे दूध जैसे चमक रहे थे… मैंने उन्हें दबाना छोड़ कर खाना शुरू कर दिया…
मेरा मुख उसके मम्मों को चूस रहा था और मेरी एक उंगली उसके मुँह में थी जिसे वो लंड की तरह चूस रही थी। उसने और जोर से अपनी चूचियों को मेरे चेहरे पर दबाते हुए कहा- कुणाल, चूसो इन्हें.. और जोर से चूसो… ओह ओह ओह ओह ओह… हाँ हाँ हाँ ऐसे ही… चूसो इन्हें…
उसका ऐसा कहने से जैसे मुझमें और जोश आ गया था और मैं बस उसके मम्मों में घुसा जा रहा था..
उसने बोला- आज पहली बार ऐसा कुछ हो रहा है मेरे साथ और मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं भी बोला- हाँ, आज पहली बार मैं किसी लड़की के इतना नजदीक हूँ, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा है..
और मैं उसके चुचूकों पर काटने लगा… इससे उसके मुंह से दर्द और आनन्द भरा स्वर निकल रहा था।
एक हाथ से उसके मम्मे को नीचे से पकड़ रखा था, निप्प्ल को मैंने अपने दांतों के बीच दबा दिया था और वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी और मेरा चेहरा अपने वक्ष पर बहुत जोर से दबा रही थी।
मैंने भी सही समय सोच कर उसकी सलवार में हाथ डाल दिया, उसने सलवार के अन्दर उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी जिस कारण मेरा हाथ सीधा उसकी चूत से टकरा गया, उसकी चूत छूने में बड़ी चिकनी लग रही थी, एक भी बाल नहीं था, जैसे अभी ही शेव करके आई हो… उत्तेजना के कारण उसकी चूत काफी गीली भी हो चुकी थी…
मैंने मम्मों को चूसते चूसते ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दी.. जैसे ही उंगली उसकी चूत में गई वो बड़ी जोर से चिल्लाने लगी, वो जोर जोर से ओ ओह… ओह.. ओह.. ओह जैसे आवाजे निकलने लगी… और साथ ही अपने चूतड़ भी हिलाने लगी।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे भी उसके शरीर से अलग कर दिया।
एकाएक उसने मुझे पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को फिर से चूसने लगी और बोली- सारे मजे खुद ही लोगे क्या? मुझे मजे नहीं करने दोगे?
मैं हँसा और बोला- जो करना है कर लो, मैं तुम्हारा ही तो हूँ..
यह सुन कर वो नीचे हुई और मेरी जींस के बटन खोलने लगी, उसने जींस के बटन खोल कर जींस अलग कर दी और मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया…
उसके ऐसा करने से मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया और लंड पहले से ज्यादा कड़क होने लगा…उसने चड्डी भी दूसरे हाथ से हटा दी और लंड को एकटक देखने लगी और बोली- इतना बड़ा? यह इतना बड़ा होता है क्या?
उसके चेहरे से डर साफ़ दिख रहा था…
मैं बोला- अरे मेरी जान, डरना कैसा, यह प्यार करने की चीज है, मजे लो और मस्ती मारो… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
लेकिन अब भी उसे मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को देखकर डर सा लग रहा था। मैंने उसका डर दूर करने के लिए उसका चेहरा पकड़ा और लंड उसके होंठों पर सटा दिया। उसने भी ज्यादा झिकझिक नहीं की और लंड के टोपे को चाटने लगी। मैं उसके बाल पीछे से पकड़े था और वो लंड के टोपे को चाट रही थी… मैंने एक बार उसे थोड़ा और नीचे की तरफ धकेला और उसने पूरा लंड लेने की कोशिश की लेकिन आधे में ही हट गई और बोली- अगर और लिया तो उलटी हो जायेगी !
मालविका मेरे लंड को अपने मुँह में लेना तो चाहती थी लेकिन डर डर के आगे बढ़ रही थी। एक बार को तो मुझे भी लगा जैसे वो सच में ही उलटी करने वाली हो…
फिर 3-4 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा और लंड को कुल्फी की तरह चाटने लगी और अपने जीभ से चाट भी रही थी। उसके ऐसा करने से लंड और ताव खा रहा था और तड़पता हुआ पूरा उसके मुँह में घुस रहा था…
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैं भी अब उसके साथ मरीज के लेटने वाली मेज पर 69 की अवस्था में आ चुका था और उसकी चूत चाट रहा था, वो मेरे लंड को चूसे जा रही थी।
हम लोग बस एक दूसरे में खोये हुए थे और क्लिनिक अन्दर से बंद होने का कारण किसी के आने का डर भी नहीं था।
कुछ मिनट तक 69 अवस्था में रहने के बाद अचानक से मालविका जोर जोर से हिलने लगी और सारा पानी मेरे मुंह पर ही छोड़ दिया… उसका स्वाद बड़ा ही अच्छा था और मैं अब भी उसकी चूत चाटे जा रहा था और उसे गरम करने लगा… वो अब भी मेरा लंड मुँह में लिए थी…3-4 मिनट बाद ही वो फिर से तपने लगी और मुझसे बोली- कुणाल, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है… प्लीज अब मेरी गर्मी शांत कर दो… और अपनी गाड़ी को सही जगह पार्क कर दो… इस जानवर का पिंजरा कब से इसके लिए तड़प रहा है…”
यह सुनकर मैं सीधा हुआ और उसकी चूत के पास आकर बैठ गया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख दिया, मुझे पता था कि इस अवस्था में सेक्स करने में मजा भी आता है और लड़की के अन्दर पूरा जाता है…
मैंने थूक निकाला और उसकी चूत पर लगा दिया और अपने लंड को ठीक उसके छेद के ऊपर टिका दिया। चूंकि आज तक मालविका ने किसी के साथ कुछ नहीं किया था तो उसकी चूत बड़ी ही मुलायम और सील बंद थी, मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को थोड़ा सा खोला और लंड के टोपे को थोड़ा अन्दर घुसाया। जरा सा घुसते ही वो चिल्ला पड़ी और लंड बाहर निकालने को कहने लगी लेकिन मुझे पता था की पहली बार में लड़कियाँ ऐसे ही कहती हैं, मैंने उसकी कमर के नीचे हाथ रखा और थोड़ा सा ऊपर किया। ज्यादा टाईट होने के कारण उसकी चूत में लंड बड़ी मुश्किल से ही जा पा रहा था, मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया और लंड थोडा और अन्दर चला गया…
उसने मुझे धक्का देकर हटाने की बहुत कोशिश की मगर मैं हिला नहीं और चूत में आधे लंड को घुसा दिया। वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी बहुत जोर से, उसकी चीख से सारा क्लिनिक गूँज रहा था।
मैं आधे लंड को घुसा कर रुक गया ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए… दो मिनट बाद मैंने एक और धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था। शायद उसे ज्यादा दर्द हो रहा था जिस कारण उसकी आँखों में आँसू आ गए थे, वो जोर जोर से आह… आह… आह… उई… इ..ई..आह… ह्ह…करने लगी और उसके चिल्लाने से मुझे भी अच्छा लग रहा था।
मैं धक्कों पे धक्के लगाये जा रहा था और कुछ के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
मालविका की हालत बड़ी ख़राब थी, उसकी चूत से खून बह रहा था, उससे चला भी नहीं जा रहा था… मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे बाथरूम में ले गया और अपने हाथों से ही उसकी सफाई की।
फिर मैंने मालविका को लिटा दिया वो मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।
जब बाहर मौसम ठीक हो गया तो वो जाने लगी… मैंने उससे उस समय कुछ नहीं कहा… वो चली गई और मैं अगले मौके की इन्तजार करने लगा।
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
बहन के साथ रंगीन रातें
मैं अपनी बहन के बारे में बता दूँ !
मेरी बहन का नाम शैली है और वो मुझसे तीन साल छोटी है, दिखने में बहुत सुंदर है, उसके मम्मे 32 इन्च के हैं और गांड के बारे में क्या बताऊँ ! कोई भी लौड़ा खड़ा हो जाये उसकी मारने के लिए। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ !
पहले मेरे मन में एसा कोई विचार नहीं था अपनी बहन को चोदने का ! लेकिन वो दिन पर दिन निखरती जा रही थी।
एक दिन घर में कोई नहीं था, सब बाहर गये थे और मैं अपने कॉलेज गया था। मेरी छुट्टी जल्दी हो जाने के कारण मैं घर जल्दी आ गया।
जब मैं घर पहुंचा तो शैली नहा रही थी, उसने दरवाजे की चिटकनी नहीं लगाई थी क्योंकि घर में कोई नहीं था।
मुझे भी मौके की तलाश थी, मेरे दिमाग में एक तरकीब आई।
मैं जल्दी से उसके बाथरूम में घुस गया जैसे अनजाने में अंदर गया हूँ।
मेरी बहन एकदम नंगी खड़ी थी, मैं उसे देखता ही रह गया !
क्या माल थी मेरी बहन !
उसके शरीर पर पानी की बूँदें मोती सी लग रही थी।
मैंने उससे सॉरी बोला और बाहर आ गया। मेरे दिमाग में अभी भी उसका नंगा बदन घूम रहा था।
मेरी बहन मेरे साथ ही सोती है। घर में भी कोई नहीं था, खाना खाने के बाद हम दोनों टीवी देखने लगे। हम आपस में कोई बात नहीं कर रहे थे। जब हम सोने लगे तो थोड़ी देर में उसे नींद आ गई, मैं जाग रहा था।
मैं उसे सोया देख कर अपना काम शुरू करने लगा। सबसे पहले मैंने उसे आवाज लगाई, वो कुछ नहीं बोली तो मैं समझ गया कि मेरी बहन नींद में है।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके मम्मे सहलाने लगा। फिर थोड़ा सरक कर उसके पास हो गया और अपना लौड़ा निकाल कर उसकी गांड पर लगाने लगा। ऐसा करते हुए मुझे डर भी लग रहा था कि शैली जाग न जाये। लेकिन मुझे ऐसा करने में बहुत मजा भी आ रहा था।
थोड़ी देर मम्मे सहलाने के बाद मैं उसकी टी-शर्ट उतारने लगा। मुझे बहुत मुश्किल हो रही थी पर थोड़ी देर बाद उसकी पीठ नंगी थी।मैं उसके साथ चिपक गया और मेरा लौड़ा उसके लोवर के ऊपर उसकी गांड को लगने लगा। मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा। फिर वो थोड़ा हिली और पीठ के बल लेट गई।
अब मुझे उसके मम्मे नंगे करने थे। मैंने आराम से उसकी टी शर्ट ऊपर की और उसकी गर्दन तक ले गया। उसके 32 इन्च के मम्मे मेरे सामने थे। उसके गुलाबी चुचूकों को मैं अपनी दो उंगलियों में लेकर मसलने लगा। फिर मैंने एक चुचूक को अपने मुँह में डाल लिया और अच्छी तरह से चूसने लगा।
क्या मजा आ रहा था !
अब मेरी बहन जाग चुकी थी और मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। फिर मैंने अपनी बहन की पूरी टीशर्ट निकाल दी।
अब मैं उसके होंठ चूसने लगा और उसके मम्मों को अपने हाथों से दबाने लगा। मैं उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर ले गया और उससे सहलाने के लिए बोला।
वो बड़े मजे से मेरे लौड़े को सहलाने लगी।
अब मेरी बहन के चुदने का वक्त हो गया था, मैंने उससे कहा- मेरी बहना, तैयार हो जा !
तो बोली- किस लिए ?
मैंने कहा- चुदने के लिए !
अब मैं उसका लोअर उतारने लगा तो उसने मुझे रोका।
मैंने कहा- साली, आज न रोक ! आज मैं जो करना चाहता हूँ, मुझे करने दे !
फिर उसने मुझे कुछ नहीं कहा और अब मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया।
क्या लग रही थी साली ! क्या चूत थी कुतिया की !
फिर मैं ऊपर हुआ और अपना लौड़ा जबरदस्ती उसके मुंह में दे दिया और उसकी हलक में उतार दिया और 5 सेकिंड तक लौड़ा उसके हलक में ही रखा।
और जब मैंने लौड़ा बाहर निकाला तो बोली- ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ ? मैं कौन सा मना कर रही हूँ ? पर आप आराम से कीजिये !
मैंने कहा- मैं तुझे एक रंडी की तरह चोदना चाहता हूँ, मेरी रांड बहन !
और मैंने फिर उसे अच्छी तरह से लौड़ा चुसवाया और फिर उसकी मुलायम चूत चाटी।
फिर मैंने अपना लौड़ा उसकी कोमल चूत पर लगाया और रगड़ने लगा।
क्या मजा आ रहा था !
मैंने एक झटका मारा और लंड का अग्र भाग उसकी चूत में घुसा दिया।
शैली बड़ी जोर से चिल्लाई !
मैंने कहा- कुतिया ! आज तू जितना मर्जी चिल्ला ले ! तेरी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है आज !
फिर मैंने एक जोरदार झटका मारा और 5 इंच लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। मेरी बहन बड़ी जोर से चिल्लाई जैसे अभी बेहोश हो जाएगी। उसकी आँखों में पानी आ गया।
जब मैंने उसकी चूत देखी तो वहाँ बहुत खून लगा था। पर मैं उसे बेरहमी से चोदता रहा। मैंने फिर एक जोरदार झटका मारा और अपना 7 इंच का लौड़ा अपनी प्यारी बहन की चूत में डाल दिया।
वो तड़फने लगी।
मैंने कहा- आज मेरी प्यारी बहना औरत बन गई है ! आज से तू मेरी रंडी है, मेरा जब दिल करेगा, मैं तुझे चोदूँगा मेरी रांड ! आःह्ह ! क्या मजा आ राहा है बहन को चोद कर !
मुझे नहीं पता कि मैं क्या-क्या बोल रहा था, पर मैंने झटकों की रफ्तार थोड़ी कम कर दी।
थोड़ी देर मेरी बहन रोती रही, फिर शांत हो गई।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- भैया, अब दर्द कम है !
मैंने कहा- फिर मारूँ तेरी चूत तेजी से ?
तो बोली- पहले मुझ पर रहम नहीं किया ! अब पूछ रहे हो ?
तो मैंने कहा- अच्छा, अब तुझे कोई दर्द नहीं है गश्ती साली?
तो बोली- नहीं भैया ! और अब बातें मत करो और चोदो अपनी रांड बहन को ! ठोको आज अपनी बहन की चूत !
मैंने झटकों की रफ़्तार तेज कर दी और अपनी बहन की चूत बजाने लगा।
वो आःह ऊओह्ह्ह्ह आआह्ह ! भाई और तेज करो ! आह्ह्ह भैया मैं झड़ रही हूँ ! कुत्ते, तेजी से मार अपनी बहन की चूत ! आआह्ह्ह्ह मैं मर गई।
मैंने कहा- कुतिया साली ! ले अपने भाई को लौड़ा अपनी चूत में ! मैं भी झड़ने वाला हूँ रांड !
मैं उसकी आहें सुनते ही झड़ गया। मेरे लौड़े से वीर्य की धार मेरी बहन की चूत में निकली तो उसकी गर्मी पाकर मेरी बहन बड़ी जोर से झड़ी।
मैं उसके ऊपर ही गिर गया और उसके होंठ चूसने लगा।
मेरी रांड बहन बोली- कोई भाई ऐसा भी करता है?
तो मैंने उससे कहा- मेरी रांड ! चूत और लौड़े का कोई रिश्ता नहीं होता !
फिर मैंने उसे अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़वाई, जिन्हें पढ़ कर उसे अच्छा लगा कि और दुनिया में और भी भाई हैं जो अपनी बहन को रंडी बना कर चोदते हैं।
मैंने अपनी बहन को कहा- मैं तो तुझे एक ऐसी गश्ती बनाऊंगा कि तू साली तीन-तीन लौड़े एक साथ लेगी मेरी बहन ! जो तेरी चूत, गांड और मुँह में होंगे ! क्यों मेरी रांड बनेगी न गश्ती?
तो बोली- सच भाई? मैं भी यही चाहती हूँ ! और बाकी आपकी मर्जी ! आप जो मर्जी बनाओ मुझे ! मेरे दलाल भाई !
फिर तो मैं रोज चोदने लगा कुतिया को ! मेरे साथ ही जो सोती थी।
हम दोनों की रातें रंगीन हो गई थी।
मैं अपनी बहन के बारे में बता दूँ !
मेरी बहन का नाम शैली है और वो मुझसे तीन साल छोटी है, दिखने में बहुत सुंदर है, उसके मम्मे 32 इन्च के हैं और गांड के बारे में क्या बताऊँ ! कोई भी लौड़ा खड़ा हो जाये उसकी मारने के लिए। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ !
पहले मेरे मन में एसा कोई विचार नहीं था अपनी बहन को चोदने का ! लेकिन वो दिन पर दिन निखरती जा रही थी।
एक दिन घर में कोई नहीं था, सब बाहर गये थे और मैं अपने कॉलेज गया था। मेरी छुट्टी जल्दी हो जाने के कारण मैं घर जल्दी आ गया।
जब मैं घर पहुंचा तो शैली नहा रही थी, उसने दरवाजे की चिटकनी नहीं लगाई थी क्योंकि घर में कोई नहीं था।
मुझे भी मौके की तलाश थी, मेरे दिमाग में एक तरकीब आई।
मैं जल्दी से उसके बाथरूम में घुस गया जैसे अनजाने में अंदर गया हूँ।
मेरी बहन एकदम नंगी खड़ी थी, मैं उसे देखता ही रह गया !
क्या माल थी मेरी बहन !
उसके शरीर पर पानी की बूँदें मोती सी लग रही थी।
मैंने उससे सॉरी बोला और बाहर आ गया। मेरे दिमाग में अभी भी उसका नंगा बदन घूम रहा था।
मेरी बहन मेरे साथ ही सोती है। घर में भी कोई नहीं था, खाना खाने के बाद हम दोनों टीवी देखने लगे। हम आपस में कोई बात नहीं कर रहे थे। जब हम सोने लगे तो थोड़ी देर में उसे नींद आ गई, मैं जाग रहा था।
मैं उसे सोया देख कर अपना काम शुरू करने लगा। सबसे पहले मैंने उसे आवाज लगाई, वो कुछ नहीं बोली तो मैं समझ गया कि मेरी बहन नींद में है।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और उसके मम्मे सहलाने लगा। फिर थोड़ा सरक कर उसके पास हो गया और अपना लौड़ा निकाल कर उसकी गांड पर लगाने लगा। ऐसा करते हुए मुझे डर भी लग रहा था कि शैली जाग न जाये। लेकिन मुझे ऐसा करने में बहुत मजा भी आ रहा था।
थोड़ी देर मम्मे सहलाने के बाद मैं उसकी टी-शर्ट उतारने लगा। मुझे बहुत मुश्किल हो रही थी पर थोड़ी देर बाद उसकी पीठ नंगी थी।मैं उसके साथ चिपक गया और मेरा लौड़ा उसके लोवर के ऊपर उसकी गांड को लगने लगा। मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा। फिर वो थोड़ा हिली और पीठ के बल लेट गई।
अब मुझे उसके मम्मे नंगे करने थे। मैंने आराम से उसकी टी शर्ट ऊपर की और उसकी गर्दन तक ले गया। उसके 32 इन्च के मम्मे मेरे सामने थे। उसके गुलाबी चुचूकों को मैं अपनी दो उंगलियों में लेकर मसलने लगा। फिर मैंने एक चुचूक को अपने मुँह में डाल लिया और अच्छी तरह से चूसने लगा।
क्या मजा आ रहा था !
अब मेरी बहन जाग चुकी थी और मेरे बालों में हाथ फेर रही थी। फिर मैंने अपनी बहन की पूरी टीशर्ट निकाल दी।
अब मैं उसके होंठ चूसने लगा और उसके मम्मों को अपने हाथों से दबाने लगा। मैं उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर ले गया और उससे सहलाने के लिए बोला।
वो बड़े मजे से मेरे लौड़े को सहलाने लगी।
अब मेरी बहन के चुदने का वक्त हो गया था, मैंने उससे कहा- मेरी बहना, तैयार हो जा !
तो बोली- किस लिए ?
मैंने कहा- चुदने के लिए !
अब मैं उसका लोअर उतारने लगा तो उसने मुझे रोका।
मैंने कहा- साली, आज न रोक ! आज मैं जो करना चाहता हूँ, मुझे करने दे !
फिर उसने मुझे कुछ नहीं कहा और अब मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया।
क्या लग रही थी साली ! क्या चूत थी कुतिया की !
फिर मैं ऊपर हुआ और अपना लौड़ा जबरदस्ती उसके मुंह में दे दिया और उसकी हलक में उतार दिया और 5 सेकिंड तक लौड़ा उसके हलक में ही रखा।
और जब मैंने लौड़ा बाहर निकाला तो बोली- ऐसा क्यों कर रहे हो मेरे साथ ? मैं कौन सा मना कर रही हूँ ? पर आप आराम से कीजिये !
मैंने कहा- मैं तुझे एक रंडी की तरह चोदना चाहता हूँ, मेरी रांड बहन !
और मैंने फिर उसे अच्छी तरह से लौड़ा चुसवाया और फिर उसकी मुलायम चूत चाटी।
फिर मैंने अपना लौड़ा उसकी कोमल चूत पर लगाया और रगड़ने लगा।
क्या मजा आ रहा था !
मैंने एक झटका मारा और लंड का अग्र भाग उसकी चूत में घुसा दिया।
शैली बड़ी जोर से चिल्लाई !
मैंने कहा- कुतिया ! आज तू जितना मर्जी चिल्ला ले ! तेरी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं है आज !
फिर मैंने एक जोरदार झटका मारा और 5 इंच लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। मेरी बहन बड़ी जोर से चिल्लाई जैसे अभी बेहोश हो जाएगी। उसकी आँखों में पानी आ गया।
जब मैंने उसकी चूत देखी तो वहाँ बहुत खून लगा था। पर मैं उसे बेरहमी से चोदता रहा। मैंने फिर एक जोरदार झटका मारा और अपना 7 इंच का लौड़ा अपनी प्यारी बहन की चूत में डाल दिया।
वो तड़फने लगी।
मैंने कहा- आज मेरी प्यारी बहना औरत बन गई है ! आज से तू मेरी रंडी है, मेरा जब दिल करेगा, मैं तुझे चोदूँगा मेरी रांड ! आःह्ह ! क्या मजा आ राहा है बहन को चोद कर !
मुझे नहीं पता कि मैं क्या-क्या बोल रहा था, पर मैंने झटकों की रफ्तार थोड़ी कम कर दी।
थोड़ी देर मेरी बहन रोती रही, फिर शांत हो गई।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
तो बोली- भैया, अब दर्द कम है !
मैंने कहा- फिर मारूँ तेरी चूत तेजी से ?
तो बोली- पहले मुझ पर रहम नहीं किया ! अब पूछ रहे हो ?
तो मैंने कहा- अच्छा, अब तुझे कोई दर्द नहीं है गश्ती साली?
तो बोली- नहीं भैया ! और अब बातें मत करो और चोदो अपनी रांड बहन को ! ठोको आज अपनी बहन की चूत !
मैंने झटकों की रफ़्तार तेज कर दी और अपनी बहन की चूत बजाने लगा।
वो आःह ऊओह्ह्ह्ह आआह्ह ! भाई और तेज करो ! आह्ह्ह भैया मैं झड़ रही हूँ ! कुत्ते, तेजी से मार अपनी बहन की चूत ! आआह्ह्ह्ह मैं मर गई।
मैंने कहा- कुतिया साली ! ले अपने भाई को लौड़ा अपनी चूत में ! मैं भी झड़ने वाला हूँ रांड !
मैं उसकी आहें सुनते ही झड़ गया। मेरे लौड़े से वीर्य की धार मेरी बहन की चूत में निकली तो उसकी गर्मी पाकर मेरी बहन बड़ी जोर से झड़ी।
मैं उसके ऊपर ही गिर गया और उसके होंठ चूसने लगा।
मेरी रांड बहन बोली- कोई भाई ऐसा भी करता है?
तो मैंने उससे कहा- मेरी रांड ! चूत और लौड़े का कोई रिश्ता नहीं होता !
फिर मैंने उसे अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़वाई, जिन्हें पढ़ कर उसे अच्छा लगा कि और दुनिया में और भी भाई हैं जो अपनी बहन को रंडी बना कर चोदते हैं।
मैंने अपनी बहन को कहा- मैं तो तुझे एक ऐसी गश्ती बनाऊंगा कि तू साली तीन-तीन लौड़े एक साथ लेगी मेरी बहन ! जो तेरी चूत, गांड और मुँह में होंगे ! क्यों मेरी रांड बनेगी न गश्ती?
तो बोली- सच भाई? मैं भी यही चाहती हूँ ! और बाकी आपकी मर्जी ! आप जो मर्जी बनाओ मुझे ! मेरे दलाल भाई !
फिर तो मैं रोज चोदने लगा कुतिया को ! मेरे साथ ही जो सोती थी।
हम दोनों की रातें रंगीन हो गई थी।