hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
मेरे ऐसा कहने की देर थी कि वो खिलखिला के हंस पड़ी, और मेरे सर पर अपना हाथ फिराने लगी.....
"तुम सच मे बहुत स्ट्रेज हो..."
"वो तो मैं हूँ..."
मैने दोबारा उसके होंठो को अपने होंठो से चिपका लिया और फिर जमकर चूसने लगा....मैं उसके होंठो को इतना ज़ोर से चूस रहा था कि उसके होंठो पर खून उतरने लगा , और होंठ के किनारे पे मुझे खून की कुछ बूंदे भी दिखी...लेकिन मैं रुका नही और उसे पी गया......
"बहुत टेस्टी है..."
"क्या..."
"तुम्हारे होंठ...लेकिन ज़रा आराम से, दर्द होता है..."निशा बोली.
निशा के बोलने का लहज़ा सीधे मेरे दिल पर लगा, मैं ये तो जानता था कि निशा के लिए मैं सिर्फ़ उसकी हवस मिटाने के हूँ,लेकिन आज वो कुछ बदली-बदली सी लग रही थी...उस पल जब उसने कहा कि "आराम से करो ,दर्द होता है...."तो मैं जैसे उस वक़्त उसका मुरीद हो गया, दिल चाहता था कि मैं बस ऐसे ही उसके उपर लेटा उसे प्यार करूँ और ये रात कभी ख़तम ना हो, दिल चाहता था कि कल की सुबह ही ना हो,लेकिन ये मुमकिन नही था....मेरे दिल मे निशा के लिए आज कुछ और ज़ज्बात थे, एक बार तो मेरे मन मे ख़याल भी आया कि कहीं मैं निशा से...........
नही ये हरगिज़ नही हो सकता, जिन रस्तो पर मैने चलना छोड़ दिया है तो फिर उन रस्तो से गुज़रने वाली मंज़िले मुझे कैसे मिल सकती है......
"यार अब इस सिचुयेशन मे कहाँ खो गये, करो ना..."
"इतनी जल्दी भी क्या है निशा..."मैने बहुत ही प्यार से कहा, इतने प्यार से मैने आज से पहले कब किसी से बात की थी , ये मुझे याद नही.....
"जल्दी तो मुझे भी नही है, लेकिन इसका क्या करे, साली चैन से एक पल जीने भी नही देती...."निशा का इशारा उसकी गरम होती चूत की तरफ था, जो मेरे लंड की राह तक रही थी कि मैं कब निशा को चोदना शुरू करूँ...
लेकिन मैं निशा के उपर से हट कर उसके बगल मे लेट गया और उसमे जो चीज़ मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी उसे सहलाते हुए मैने कहा....
"कुछ देर बात कर लेते है, तब तक तुम नॉर्मल हो जाओगी और तुम्हे दर्द भी कम होगा..."
आज निशा को मैने एक से बढ़कर एक झटके दिए थे और मुझे पूरा यकीन था कि उसे अब भी झटका लगा होगा, मेरा अंदाज़ा सही निकला वो मुझे हैरान होकर देख रही थी.....
"अरमान...आख़िर बात क्या है, सब कुछ सही तो है ना..."मेरे चेहरे को सहलाते हुए निशा ने मुझसे कहा...
"हाँ ,सब ठीक है..."मैं निशा की तरफ देखते हुए बोला लेकिन मेरे दिल मे कुछ और ही था, मैं कुछ अलग ही सपने बुन रहा था.....
"आज फिर दिल करता है कि किसी के सीने से लिपट जाउ....
उसकी आँखो मे आँखे डालकर सारे गम पी जाउ....
हम दोनो रहे साथ हमेशा इसलिए...
दिल करता है कि उसकी तकदीर को अपनी तकदीर से जोड जाउ....
मैं कुछ और भी कहना चाहता था निशा से लेकिन उसने मुझे आगे बोलने का मौका ही नही दिया और बीच मे बोल पड़ी....
"फिर क्या बात है...जल्दी करो सुबह होने वाली है और फिर हम कभी एक साथ नही रहेंगे..."
साँसे रुक गयी थी ,जब उसने छोड़ जाने के लिए कहा.....
दिल ना टूटे मेरा इसलिए...
दिल करता है कि अपने दिल को उसके दिल से जोड़ जाउ.....
"कमऑन अरमान...व्हाट आर यू थिंकिंग ,वो भी अब "वो मुझे बिस्तर पर शांत पड़ा देख कर झुंझला उठी, तब मुझे अहसास हुआ कि निशा के लिए मैं अब भी सिवाय एक सेक्स ऑब्जेक्ट के कुछ नही हूँ और उसके द्वारा कही गयी बातों का मैं 101 % ग़लत मतलब निकल लिया था...मुझे बुरा तो लगा लेकिन साथ ही साथ अपनी भूल का भी अहसास हुआ और अपनी भूल को सुधारने के लिए मैं वापस निशा के उपर चढ़ा.....
"यस अब आए ना लाइन मे, पुट युवर फिंगर इन माइ माउत देन शेक..."वो बोली और मैने वैसा ही किया, मैने अपनी उंगलिया उसके मूह मे डाली और उसकी जीभ से टच करने लगा और फिर कुछ देर बाद अपनी उंगलिया निकाल कर उसका सर पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा......
"मेरे दूर जाने से यदि खुशी मिलती है तुझे तो बता दे मुझे......
तेरी इस खुशी के लिए मैं तुझे तो क्या इस दुनिया को छोड़ के चला जाउ.....
निशा के मूह से अपनी उंगलिया निकाली और उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, जिससे कि उसका चेहरा मेरे करीब आ गया , मैं उसकी हवस से भरी आँखो मे आख़िरी बार अपने लिए प्यार ढूँढ रहा था, लेकिन हुआ वही , मेरे अरमानो का हक़ीक़त से ना तो पहले कोई वास्ता था और ना ही अब था और जब मुझे यकीन हो गया कि वो वही पुरानी निशा है जिसने प्यार को हमेशा हवस की प्यास से नीचे समझा है, तो मैं उसको होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह जकड़ा....
"जानवर बन गये हो क्या..."मुझे तुरंत धकेल कर वो बोली और अपने होंठ पर हाथ से सहलानी लगी....
"सॉरी..."मैं वापस उसके करीब गया और उसकी कमर पर हाथ फिराते हुए उसकी ब्रा को उसके सीने से जुदा किया और एक बार फिर उसके होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह भर लिया...निशा ने इस बार भी पूरी कोशिश की मुझे दूर करने की, लेकिन वो इस बार नाकामयाब रही...लेकिन कुछ देर के बाद मुझे उसकी परवाह होने लगी, उसका दर्द मेरा दर्द बन गया, और मैने उसके गुलाबी होंठो को अपने होंठो से अलग कर दिया और उसकी गान्ड को पकड़ लिया और उसकी गान्ड पर हाथो से दवाब डाला.....
"डर्टी बॉय...."मेरी तरफ झुक कर मेरे कानो के पास आकर वो बोली.
मैने निशा से कुछ नही कहा और उसे पकड़ कर उल्टा घुमा दिया,अब उसकी पीठ मेरे सीने से और उसके नितंब मेरे लंड से टच हो रहे थे,..निशा शायद जान चुकी थी कि अब मैं क्या और कैसे करने वाला हूँ, और वैसे भी जिस लड़की को हर दिन अपने बिस्तर का साथी बदलने की बीमारी हो ,वो कम से कम सेक्स के पोज़िशन तो जान ही जाती है....निशा ने मेरे कहने के पहले ही अपने दोनो हाथ सामने की तरफ बिस्तर पर टिकाए और अपनी गान्ड मेरी तरफ करके थोड़ा झुक गयी और बोली...
"दिस ईज़ कॉल्ड रियल मस्त चुदाई...अब क्यूँ रुके हो, डाल दो अंदर और ऐसा डालना कि अंदर तक दस्तक दे जाए...."
दिल कर रहा था कि निशा का मर्डर कर दूं और फिर उसकी लाश के पास बैठकर ज़िंदगी भर रोऊ, दिल कर रहा था कि सामने की दीवार पर निशा का सर इतनी ज़ोर से दे मारू कि उसका सर ही ना रहे....वो मुझसे ऐसे बात कैसे कर सकती है , जबकि मैं उससे.......... और एक बार फिर दिल के अरमान हवस मे धूल गये, ये मेरे लिए पहली बार नही था.....
"कमऑन अरमान, फक मी...आइ आम वेटिंग..."अपनी गान्ड हिलाती हुई निशा बोली...
मैने अपने कपड़े उतारे और निशा की गान्ड पर अपने हाथ से दबाव बनाने लगा वो अभी से मस्ती भरी आवाज़ निकालने लगी, उसकी पैंटी को नीचे खिसका कर अपने हाथो से उसकी चूत को फैलाया , और अपने लंड को उसकी चूत से टीकाया और धीरे से अंदर की तरफ धक्का दिया....
"आआन्न्न्नह......."निशा की सिसकारिया चालू हो गयी ,अबकी बार खुद मेरे मूह से भी मादक आवाज़े बाहर निकल रही थी.
मेरा आधा लंड उसकी चूत मे दस्तक दे चुका था , जिसका मज़ा निशा अपने नितंबो को अगल बगल हिला कर ले रही थी, मैने एक और धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया , उसके बाद मैने अपने धक्के तेज कर दिए, मेरे तेज धक्को के कारण उसका पूरा शरीर बुरी तरह हिल रहा था, मैं जब भी अपना लंड अंदर डालता वो अपनी कमर को मेरी तरफ धकेल देती और सामने की दीवार की तरफ अपना चेहरा करके एक लंबी सिसकारी भरती और उसके बाद जैसे ही मैं अपना लंड बाहर निकालता,वो फिर मस्ती मे चार चाँद लगा देने वाली आवाज़ के साथ पहले वाली पोज़िशन पर आ जाती.....एक बार के लिए मैं रुका और उसकी मस्त जाँघो को अपने हाथो से मसल्ते हुए और भी तेज़ी से उसे चोदने लगा, निशा से एक लगाव सा हो गया था मुझे उस वक़्त , इसीलिए जब वो चीखती तो मैं थोड़ी देर के लिए रुक जाता और फिर जब वो वापस नॉर्मल हो जाती तो मैं फिर से शुरू हो जाता...और कभी-कभी जब वो दर्द से चीखती तो मैं अपना लंड एक तेज झटके के साथ उसके चूत मे डाल देता और फिर उसके सीने को तेज़ी से दबाते हुए अपना लंड को उसकी चूत के अंदर ही हिलाने लगता , मेरा ऐसा करने पर निशा मेरी कमर को पकड़ कर मुझे दूर करने की कोशिश करती....
"ओह ययएएसस्सस्स....अरमनणन थन्क्स्स्स्स फॉर दिस..."वो ये नोल्ट बोलते इस बार भी मुझसे पहले झड गयी, मेरा लंड अब भी उसकी चूत मे था , जिसके कारण उसकी चूत से रिस्ता गरम पानी मुझे अपने लंड पर महसूस हुआ....मैं भी अब गेम ख़तम करने वाला था, इसलिए मैने निशा की कमर को पकड़ कर उसकी तरफ झुक गया और उसे बिस्तर पर पूरा औधा लिटाकर उसके उपर आ गया, उसकी चूत का रस पूरे बिस्तर मे फैल रहा था, मैने उसके नितंबो को अलग किया और अपने लंड को एक ही झटके मे अंदर तक घुसा दिया, और अपनी पूरी ताक़त के साथ निशा को चोदने लगा, वो बुरी तरह चीखी...तो मैने कहा कि, बस कुछ देर की बाद है, इसे सह लो....
उसने वैसा ही किया...बिस्तर के सिरहाने को पकड़ कर उसने अपने शरीर को टाइट कर लिया वो झड़ने लगी थी....और मैं उसकी कमर ,उसकी पीठ पर तेज़ी से हाथ फिराते हुई झड गया, मेरा लंड निशा की चूत मे ही था, निशा बहुत थक चुकी थी, साथ मे मैं भी हांप रहा था, मुझे निशा के उपर लेटे लेटे कब नींद आ गयी मालूम ही नही चला....
"तुम सच मे बहुत स्ट्रेज हो..."
"वो तो मैं हूँ..."
मैने दोबारा उसके होंठो को अपने होंठो से चिपका लिया और फिर जमकर चूसने लगा....मैं उसके होंठो को इतना ज़ोर से चूस रहा था कि उसके होंठो पर खून उतरने लगा , और होंठ के किनारे पे मुझे खून की कुछ बूंदे भी दिखी...लेकिन मैं रुका नही और उसे पी गया......
"बहुत टेस्टी है..."
"क्या..."
"तुम्हारे होंठ...लेकिन ज़रा आराम से, दर्द होता है..."निशा बोली.
निशा के बोलने का लहज़ा सीधे मेरे दिल पर लगा, मैं ये तो जानता था कि निशा के लिए मैं सिर्फ़ उसकी हवस मिटाने के हूँ,लेकिन आज वो कुछ बदली-बदली सी लग रही थी...उस पल जब उसने कहा कि "आराम से करो ,दर्द होता है...."तो मैं जैसे उस वक़्त उसका मुरीद हो गया, दिल चाहता था कि मैं बस ऐसे ही उसके उपर लेटा उसे प्यार करूँ और ये रात कभी ख़तम ना हो, दिल चाहता था कि कल की सुबह ही ना हो,लेकिन ये मुमकिन नही था....मेरे दिल मे निशा के लिए आज कुछ और ज़ज्बात थे, एक बार तो मेरे मन मे ख़याल भी आया कि कहीं मैं निशा से...........
नही ये हरगिज़ नही हो सकता, जिन रस्तो पर मैने चलना छोड़ दिया है तो फिर उन रस्तो से गुज़रने वाली मंज़िले मुझे कैसे मिल सकती है......
"यार अब इस सिचुयेशन मे कहाँ खो गये, करो ना..."
"इतनी जल्दी भी क्या है निशा..."मैने बहुत ही प्यार से कहा, इतने प्यार से मैने आज से पहले कब किसी से बात की थी , ये मुझे याद नही.....
"जल्दी तो मुझे भी नही है, लेकिन इसका क्या करे, साली चैन से एक पल जीने भी नही देती...."निशा का इशारा उसकी गरम होती चूत की तरफ था, जो मेरे लंड की राह तक रही थी कि मैं कब निशा को चोदना शुरू करूँ...
लेकिन मैं निशा के उपर से हट कर उसके बगल मे लेट गया और उसमे जो चीज़ मुझे सबसे ज़्यादा पसंद थी उसे सहलाते हुए मैने कहा....
"कुछ देर बात कर लेते है, तब तक तुम नॉर्मल हो जाओगी और तुम्हे दर्द भी कम होगा..."
आज निशा को मैने एक से बढ़कर एक झटके दिए थे और मुझे पूरा यकीन था कि उसे अब भी झटका लगा होगा, मेरा अंदाज़ा सही निकला वो मुझे हैरान होकर देख रही थी.....
"अरमान...आख़िर बात क्या है, सब कुछ सही तो है ना..."मेरे चेहरे को सहलाते हुए निशा ने मुझसे कहा...
"हाँ ,सब ठीक है..."मैं निशा की तरफ देखते हुए बोला लेकिन मेरे दिल मे कुछ और ही था, मैं कुछ अलग ही सपने बुन रहा था.....
"आज फिर दिल करता है कि किसी के सीने से लिपट जाउ....
उसकी आँखो मे आँखे डालकर सारे गम पी जाउ....
हम दोनो रहे साथ हमेशा इसलिए...
दिल करता है कि उसकी तकदीर को अपनी तकदीर से जोड जाउ....
मैं कुछ और भी कहना चाहता था निशा से लेकिन उसने मुझे आगे बोलने का मौका ही नही दिया और बीच मे बोल पड़ी....
"फिर क्या बात है...जल्दी करो सुबह होने वाली है और फिर हम कभी एक साथ नही रहेंगे..."
साँसे रुक गयी थी ,जब उसने छोड़ जाने के लिए कहा.....
दिल ना टूटे मेरा इसलिए...
दिल करता है कि अपने दिल को उसके दिल से जोड़ जाउ.....
"कमऑन अरमान...व्हाट आर यू थिंकिंग ,वो भी अब "वो मुझे बिस्तर पर शांत पड़ा देख कर झुंझला उठी, तब मुझे अहसास हुआ कि निशा के लिए मैं अब भी सिवाय एक सेक्स ऑब्जेक्ट के कुछ नही हूँ और उसके द्वारा कही गयी बातों का मैं 101 % ग़लत मतलब निकल लिया था...मुझे बुरा तो लगा लेकिन साथ ही साथ अपनी भूल का भी अहसास हुआ और अपनी भूल को सुधारने के लिए मैं वापस निशा के उपर चढ़ा.....
"यस अब आए ना लाइन मे, पुट युवर फिंगर इन माइ माउत देन शेक..."वो बोली और मैने वैसा ही किया, मैने अपनी उंगलिया उसके मूह मे डाली और उसकी जीभ से टच करने लगा और फिर कुछ देर बाद अपनी उंगलिया निकाल कर उसका सर पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा......
"मेरे दूर जाने से यदि खुशी मिलती है तुझे तो बता दे मुझे......
तेरी इस खुशी के लिए मैं तुझे तो क्या इस दुनिया को छोड़ के चला जाउ.....
निशा के मूह से अपनी उंगलिया निकाली और उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींचा, जिससे कि उसका चेहरा मेरे करीब आ गया , मैं उसकी हवस से भरी आँखो मे आख़िरी बार अपने लिए प्यार ढूँढ रहा था, लेकिन हुआ वही , मेरे अरमानो का हक़ीक़त से ना तो पहले कोई वास्ता था और ना ही अब था और जब मुझे यकीन हो गया कि वो वही पुरानी निशा है जिसने प्यार को हमेशा हवस की प्यास से नीचे समझा है, तो मैं उसको होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह जकड़ा....
"जानवर बन गये हो क्या..."मुझे तुरंत धकेल कर वो बोली और अपने होंठ पर हाथ से सहलानी लगी....
"सॉरी..."मैं वापस उसके करीब गया और उसकी कमर पर हाथ फिराते हुए उसकी ब्रा को उसके सीने से जुदा किया और एक बार फिर उसके होंठो को अपने होंठो मे बुरी तरह भर लिया...निशा ने इस बार भी पूरी कोशिश की मुझे दूर करने की, लेकिन वो इस बार नाकामयाब रही...लेकिन कुछ देर के बाद मुझे उसकी परवाह होने लगी, उसका दर्द मेरा दर्द बन गया, और मैने उसके गुलाबी होंठो को अपने होंठो से अलग कर दिया और उसकी गान्ड को पकड़ लिया और उसकी गान्ड पर हाथो से दवाब डाला.....
"डर्टी बॉय...."मेरी तरफ झुक कर मेरे कानो के पास आकर वो बोली.
मैने निशा से कुछ नही कहा और उसे पकड़ कर उल्टा घुमा दिया,अब उसकी पीठ मेरे सीने से और उसके नितंब मेरे लंड से टच हो रहे थे,..निशा शायद जान चुकी थी कि अब मैं क्या और कैसे करने वाला हूँ, और वैसे भी जिस लड़की को हर दिन अपने बिस्तर का साथी बदलने की बीमारी हो ,वो कम से कम सेक्स के पोज़िशन तो जान ही जाती है....निशा ने मेरे कहने के पहले ही अपने दोनो हाथ सामने की तरफ बिस्तर पर टिकाए और अपनी गान्ड मेरी तरफ करके थोड़ा झुक गयी और बोली...
"दिस ईज़ कॉल्ड रियल मस्त चुदाई...अब क्यूँ रुके हो, डाल दो अंदर और ऐसा डालना कि अंदर तक दस्तक दे जाए...."
दिल कर रहा था कि निशा का मर्डर कर दूं और फिर उसकी लाश के पास बैठकर ज़िंदगी भर रोऊ, दिल कर रहा था कि सामने की दीवार पर निशा का सर इतनी ज़ोर से दे मारू कि उसका सर ही ना रहे....वो मुझसे ऐसे बात कैसे कर सकती है , जबकि मैं उससे.......... और एक बार फिर दिल के अरमान हवस मे धूल गये, ये मेरे लिए पहली बार नही था.....
"कमऑन अरमान, फक मी...आइ आम वेटिंग..."अपनी गान्ड हिलाती हुई निशा बोली...
मैने अपने कपड़े उतारे और निशा की गान्ड पर अपने हाथ से दबाव बनाने लगा वो अभी से मस्ती भरी आवाज़ निकालने लगी, उसकी पैंटी को नीचे खिसका कर अपने हाथो से उसकी चूत को फैलाया , और अपने लंड को उसकी चूत से टीकाया और धीरे से अंदर की तरफ धक्का दिया....
"आआन्न्न्नह......."निशा की सिसकारिया चालू हो गयी ,अबकी बार खुद मेरे मूह से भी मादक आवाज़े बाहर निकल रही थी.
मेरा आधा लंड उसकी चूत मे दस्तक दे चुका था , जिसका मज़ा निशा अपने नितंबो को अगल बगल हिला कर ले रही थी, मैने एक और धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया , उसके बाद मैने अपने धक्के तेज कर दिए, मेरे तेज धक्को के कारण उसका पूरा शरीर बुरी तरह हिल रहा था, मैं जब भी अपना लंड अंदर डालता वो अपनी कमर को मेरी तरफ धकेल देती और सामने की दीवार की तरफ अपना चेहरा करके एक लंबी सिसकारी भरती और उसके बाद जैसे ही मैं अपना लंड बाहर निकालता,वो फिर मस्ती मे चार चाँद लगा देने वाली आवाज़ के साथ पहले वाली पोज़िशन पर आ जाती.....एक बार के लिए मैं रुका और उसकी मस्त जाँघो को अपने हाथो से मसल्ते हुए और भी तेज़ी से उसे चोदने लगा, निशा से एक लगाव सा हो गया था मुझे उस वक़्त , इसीलिए जब वो चीखती तो मैं थोड़ी देर के लिए रुक जाता और फिर जब वो वापस नॉर्मल हो जाती तो मैं फिर से शुरू हो जाता...और कभी-कभी जब वो दर्द से चीखती तो मैं अपना लंड एक तेज झटके के साथ उसके चूत मे डाल देता और फिर उसके सीने को तेज़ी से दबाते हुए अपना लंड को उसकी चूत के अंदर ही हिलाने लगता , मेरा ऐसा करने पर निशा मेरी कमर को पकड़ कर मुझे दूर करने की कोशिश करती....
"ओह ययएएसस्सस्स....अरमनणन थन्क्स्स्स्स फॉर दिस..."वो ये नोल्ट बोलते इस बार भी मुझसे पहले झड गयी, मेरा लंड अब भी उसकी चूत मे था , जिसके कारण उसकी चूत से रिस्ता गरम पानी मुझे अपने लंड पर महसूस हुआ....मैं भी अब गेम ख़तम करने वाला था, इसलिए मैने निशा की कमर को पकड़ कर उसकी तरफ झुक गया और उसे बिस्तर पर पूरा औधा लिटाकर उसके उपर आ गया, उसकी चूत का रस पूरे बिस्तर मे फैल रहा था, मैने उसके नितंबो को अलग किया और अपने लंड को एक ही झटके मे अंदर तक घुसा दिया, और अपनी पूरी ताक़त के साथ निशा को चोदने लगा, वो बुरी तरह चीखी...तो मैने कहा कि, बस कुछ देर की बाद है, इसे सह लो....
उसने वैसा ही किया...बिस्तर के सिरहाने को पकड़ कर उसने अपने शरीर को टाइट कर लिया वो झड़ने लगी थी....और मैं उसकी कमर ,उसकी पीठ पर तेज़ी से हाथ फिराते हुई झड गया, मेरा लंड निशा की चूत मे ही था, निशा बहुत थक चुकी थी, साथ मे मैं भी हांप रहा था, मुझे निशा के उपर लेटे लेटे कब नींद आ गयी मालूम ही नही चला....
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
सुबह मेरी नींद एक गरम स्पर्श से खुली, जिसे अक्सर लोग ब्लो जॉब कहते है , मैं निशा के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था और वो मेरे लंड पर अपने गरम गरम होंठ फिरा रही थी,...
"इससे अच्छी और खुशनुमा सुबह क्या होगी अरमान, जब कोई तुम्हे ब्लो जॉब देकर उठाए..."मेरे लंड को चूसना बंद करके अपने हाथ से सहलाते हुए निशा बोली...
करीब 10 मिनट. तक वो मेरे लंड को चुस्ती रही और उसके बाद मैं एक बार फिर झड गया, पिच्छली रात तीन बार झड़ने के कारण पेट मे बहुत दर्द हो रहा था, कमज़ोरी भी महसूस हो रही थी और सर भी बहुत भारी था.....
"मैं चलता हूँ..."बाथरूम से निकल कर मैने अपने कपड़े पहने...
"जाओ, आंड टेक केयर..."
मैं इस इंतज़ार मे अब भी खड़ा था कि कही शायद उसे मेरी आँखो मे कुछ ऐसा दिख जाए, जिससे वो मुझे दौड़ कर गले लगा ले, लेकिन ऐसा नही हुआ, यहाँ तक कि उसने मेरी आँखो की तरफ देखा तक नही, उसकी नज़र अब भी मेरे लंड पर थी, निशा मेरे लंड को देखकर मुस्कुरा रही थी.....
"तुम्हारा होने वाला हज़्बेंड क्या करता है...."
"तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो..."
"जनरल नॉलेज के लिए, क्या पता ये क्वेस्चन आइएएस, आइईएस के एग्ज़ॅम मे आ जाए "
"इट'स नोट फन्नी अरमान...तुम जाओ, और आज के बाद समझ लेना कि हम एक दूसरे से मिले ही नही..."
मैने एक झूठी मुस्कान से निशा को देखा और बोला..."तन्हाई मे जीने वाले लोगो को अक्सर उनके छोटे से छोटे सहारे से इतनी मोहब्बत हो जाती है कि वो उनके लिए खुद को मिटा दे.....
यदि तुम्हे कभी किसी से प्यार हो तो मेरी बात पर गौर करना ,वरना लोग तो अपनो को पल भर मे भूल जाते है , मैं तो वैसे भी तुम्हारे लिए गैर हूँ...."
निशा के मन मे हज़ारो सवाल छोड़ कर मैं उसके घर से सीधे बाहर निकल गया, मैं अपने ही रूम की तरफ आ रहा था कि वरुण ने मुझे कॉल की...
"क्या भाई, आने का विचार है या उसी के साथ चिपके रहेगा..."मैने कॉल रिसीव की तो वरुण ताने मारता हुआ बोला...
"बस रूम पर ही आ रहा हूँ..."
"जल्दी आ, तेरे लिए सर्प्राइज़ है, और वो सर्प्राइज़ इतना बड़ा है कि , तू...."
मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और वरुण से बोला"क्या है वो सर्प्राइज़..."
"ह्म्म....तो पहले रूम पे ही आजा,.."और उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी
"फेंक रहा होगा वरुण..."यही सोचते-सोचते मैं रूम पर आया, मैने वरुण को आवाज़ दी लेकिन उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया और फिर जब बाथरूम के अंदर से मुझे शवर के चलने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया कि वरुण अंदर है, मैने टाइम देखा 9:30 बज रहे थे, अब इतना टाइम नही था कि मैं आज काम करने जाता, और वैसे भी आज मेरा मूड नही था....मैने रूम की खिड़की खोली और खिड़की से बाहर देखने लगा....तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिसने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया....ऐसा लगा कि दिल की धड़कने रुक गयी हो...
"क्या बात है बे, बहुत दिनो से हवेली मे नही आया..."
यदि मेरी जगह उस वक़्त कोई और होता तो शायद नज़र अंदाज़ कर देता इस आवाज़ को ,लेकिन मेरे लिए ये शब्द ,ये लाइन बहुत मायने रखती थी....मैं पीछे मुड़े बिना ही जान गया था कि मेरे पीछे कौन है , लेकिन इतने महीनो बाद वो कैसे यहाँ आया.....
अभी मैं सोच ही रहा था कि मेरे सर पर एक जोरदार मुक्का पड़ा, मारने वाले ने इतनी ज़ोर से मारा था जैसे कि जनम जनम का बदला ले रहा हो.....वो कोई और नही बल्कि मेरा खास नही मेरा सबसे खास दोस्त अरुण था, और मैं भी उसका सबसे खास दोस्त था.....
"अब साले लौंडीयों की तरह उधर ही देखते रहेगा या फिर गले भी मिलेगा...."उसकी आवाज़ मे मुझे अपने लिए वही अपनापन महसूस हुआ ,जो कॉलेज के दिनो मे हुआ करता था, मैं एक झटके मे पीछे मुड़ा और अरुण को कसर पकड़ कर गले लगा लिया.....मैं और अरुण एक दूसरे के लिए इतने खास थे कि यदि हम दोनो गे होते(जो कि नही थे) तो आज एक दूसरे से शादी कर लिए होते......
अपने गुस्से और मुझसे नाराज़गी का एक और सॅंपल देते हुए उसने मुझे कसकर एक लात मारी और बोला"साले गान्ड मरवा रहा था तू यहाँ, तेरा नंबर चेंज हो गया, घर से बिना बताए गायब है और यहाँ तक कि...यहाँ तक कि..."मुझ पर एक लात का प्यार और करते हुए बोला"यहाँ तक कि तूने मुझे भी नही बताया, कहाँ गयी तेरी वो बड़ी बड़ी बाते..."
हमारी दुनिया मे एक कहावत बहुत मश हूर है कि यदि डूबते को तिनके का सहारा मिले तो भी बहुत होता है ,लेकिन मुझे तो आज पूरा का पूरा एक जहाज़ मिल गया था अरुण के रूप मे.....
"साला , खुद को इंजिनियर बोलता है, तूने सब बक्चोद इंजिनीयर्स का नाम बाथरूम मे मिला दिया...."वो अब भी मुझ पर बहुत गुस्सा था....
"छोड़ बीती बातों को और बता यहाँ कैसे आया और वरुण कहाँ है, कहीं तूने उसका मर्डर तो नही कर दिया..."
"बिल्कुल ,सही समझा बे, उसकी डेत बॉडी बाथरूम मे पड़ी है, प्लीज़ पोलीस को इनफॉर्म करना...."
कुछ देर तक हम दोनो ने एक दूसरे को देखा और फिर ज़ोर से हंस पड़े....
"अब चल बता, तू यहाँ क्यूँ है..."अपनी हँसी रोक कर अरुण बोला, वो अब सीरीयस था....
"सब कुछ छोड़ छाड़ के आ गया मैं, घरवाले देश के बाहर है, ना तो उन्हे कोई फरक पड़ता है और ना ही मुझे..."
"तेरे भाई की शादी होने वाली थी , उस वक़्त जब तू घर छोड़ कर यहाँ आ गया था..."
"साला मेरी ग़लतियो की लिस्ट पकड़ के बैठ बया है...अब जान निकाल कर ही दम लेगा"मैने अंदर ही अंदर बहुत ज़ोर से चिल्लाया...
"वो सब तो छोड़"अरुण का चेहरा फिर लाल होने लगा," मुझे ये बता कि तूने मुझे कॉल क्यूँ नही किया, कॉलेज मे तो मेरा बेस्ट फ्रेंड बना फिरता था...."
अरुण के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नही था और यदि मैं उससे कुछ कहता भी तो क्या ये कहता कि "मुझमे अब जीने की चाह नही है..."या फिर ये कहता कि"एंजल के जाने के बाद जैसे मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है..."
"कुछ बोलेगा..."वो मुझपर फिर चिल्लाया....
"रीज़न चाहिए तुझे, तो सुन....जब मैं अपनी बी.टेक की खाली डिग्री लेकर घर गया तो जानता है मेरे साथ क्या सलूक हुआ...घर पर बड़े भाई की शादी की बात चल रही थी इसलिए घर मे बहुत लोग आते जाते रहते थे, और जब कोई मेरे बारे मे पूछता तो सब यही कहते कि....हमारे खानदान मे सबसे खराब मैं हूँ, मैं ही एक अकेला शक्स हूँ, जिसने अपने खानदान का नाम डूबा दिया...ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकी मेरे पास पैसा नही था, मेरे पास नौकरी नही थी.....यदि मुझसे कही भी थोड़ी सी भी ग़लती हो जाती तो मेरी उस ग़लती को मेरी एजुकेशन से जोड़ दिया जाता....मैं अपने ही घर मे रहकर पागल हुआ जा रहा था, और फिर जिस दिन लड़की वाले हमारे घर आए तो भाई ने एक छोटी सी बात पे सबके सामने मुझपर हाथ चला दिया....बस उसी समय मेरे दिल और दिमाग़ दोनो ने गला फाड़ -फाड़ के कहा कि बस बहुत हो गया, और मुझे सबसे बुरा तब लगा जब मुझे किसी ने नही रोका...सब यही चाहते थे कि मैं उनकी ज़िंदगी से चला जाउ, सो मैने वही किया...."इतना बोलते बोलते मैं बहुत एमोशनल हो गया था, अरुण को अपनी बीती ज़िंदगी के कुछ पल बताकर मैने अपने ज़ख़्म फिर हरे कर लिए थे....वरुण भी तब तक आ चुका था और दरवाज़े पर चुप चाप खड़ा मेरी बाते सुन रहा था......
"इससे अच्छी और खुशनुमा सुबह क्या होगी अरमान, जब कोई तुम्हे ब्लो जॉब देकर उठाए..."मेरे लंड को चूसना बंद करके अपने हाथ से सहलाते हुए निशा बोली...
करीब 10 मिनट. तक वो मेरे लंड को चुस्ती रही और उसके बाद मैं एक बार फिर झड गया, पिच्छली रात तीन बार झड़ने के कारण पेट मे बहुत दर्द हो रहा था, कमज़ोरी भी महसूस हो रही थी और सर भी बहुत भारी था.....
"मैं चलता हूँ..."बाथरूम से निकल कर मैने अपने कपड़े पहने...
"जाओ, आंड टेक केयर..."
मैं इस इंतज़ार मे अब भी खड़ा था कि कही शायद उसे मेरी आँखो मे कुछ ऐसा दिख जाए, जिससे वो मुझे दौड़ कर गले लगा ले, लेकिन ऐसा नही हुआ, यहाँ तक कि उसने मेरी आँखो की तरफ देखा तक नही, उसकी नज़र अब भी मेरे लंड पर थी, निशा मेरे लंड को देखकर मुस्कुरा रही थी.....
"तुम्हारा होने वाला हज़्बेंड क्या करता है...."
"तुम क्यूँ पुच्छ रहे हो..."
"जनरल नॉलेज के लिए, क्या पता ये क्वेस्चन आइएएस, आइईएस के एग्ज़ॅम मे आ जाए "
"इट'स नोट फन्नी अरमान...तुम जाओ, और आज के बाद समझ लेना कि हम एक दूसरे से मिले ही नही..."
मैने एक झूठी मुस्कान से निशा को देखा और बोला..."तन्हाई मे जीने वाले लोगो को अक्सर उनके छोटे से छोटे सहारे से इतनी मोहब्बत हो जाती है कि वो उनके लिए खुद को मिटा दे.....
यदि तुम्हे कभी किसी से प्यार हो तो मेरी बात पर गौर करना ,वरना लोग तो अपनो को पल भर मे भूल जाते है , मैं तो वैसे भी तुम्हारे लिए गैर हूँ...."
निशा के मन मे हज़ारो सवाल छोड़ कर मैं उसके घर से सीधे बाहर निकल गया, मैं अपने ही रूम की तरफ आ रहा था कि वरुण ने मुझे कॉल की...
"क्या भाई, आने का विचार है या उसी के साथ चिपके रहेगा..."मैने कॉल रिसीव की तो वरुण ताने मारता हुआ बोला...
"बस रूम पर ही आ रहा हूँ..."
"जल्दी आ, तेरे लिए सर्प्राइज़ है, और वो सर्प्राइज़ इतना बड़ा है कि , तू...."
मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और वरुण से बोला"क्या है वो सर्प्राइज़..."
"ह्म्म....तो पहले रूम पे ही आजा,.."और उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी
"फेंक रहा होगा वरुण..."यही सोचते-सोचते मैं रूम पर आया, मैने वरुण को आवाज़ दी लेकिन उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया और फिर जब बाथरूम के अंदर से मुझे शवर के चलने की आवाज़ आई तो मैं समझ गया कि वरुण अंदर है, मैने टाइम देखा 9:30 बज रहे थे, अब इतना टाइम नही था कि मैं आज काम करने जाता, और वैसे भी आज मेरा मूड नही था....मैने रूम की खिड़की खोली और खिड़की से बाहर देखने लगा....तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी जिसने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया....ऐसा लगा कि दिल की धड़कने रुक गयी हो...
"क्या बात है बे, बहुत दिनो से हवेली मे नही आया..."
यदि मेरी जगह उस वक़्त कोई और होता तो शायद नज़र अंदाज़ कर देता इस आवाज़ को ,लेकिन मेरे लिए ये शब्द ,ये लाइन बहुत मायने रखती थी....मैं पीछे मुड़े बिना ही जान गया था कि मेरे पीछे कौन है , लेकिन इतने महीनो बाद वो कैसे यहाँ आया.....
अभी मैं सोच ही रहा था कि मेरे सर पर एक जोरदार मुक्का पड़ा, मारने वाले ने इतनी ज़ोर से मारा था जैसे कि जनम जनम का बदला ले रहा हो.....वो कोई और नही बल्कि मेरा खास नही मेरा सबसे खास दोस्त अरुण था, और मैं भी उसका सबसे खास दोस्त था.....
"अब साले लौंडीयों की तरह उधर ही देखते रहेगा या फिर गले भी मिलेगा...."उसकी आवाज़ मे मुझे अपने लिए वही अपनापन महसूस हुआ ,जो कॉलेज के दिनो मे हुआ करता था, मैं एक झटके मे पीछे मुड़ा और अरुण को कसर पकड़ कर गले लगा लिया.....मैं और अरुण एक दूसरे के लिए इतने खास थे कि यदि हम दोनो गे होते(जो कि नही थे) तो आज एक दूसरे से शादी कर लिए होते......
अपने गुस्से और मुझसे नाराज़गी का एक और सॅंपल देते हुए उसने मुझे कसकर एक लात मारी और बोला"साले गान्ड मरवा रहा था तू यहाँ, तेरा नंबर चेंज हो गया, घर से बिना बताए गायब है और यहाँ तक कि...यहाँ तक कि..."मुझ पर एक लात का प्यार और करते हुए बोला"यहाँ तक कि तूने मुझे भी नही बताया, कहाँ गयी तेरी वो बड़ी बड़ी बाते..."
हमारी दुनिया मे एक कहावत बहुत मश हूर है कि यदि डूबते को तिनके का सहारा मिले तो भी बहुत होता है ,लेकिन मुझे तो आज पूरा का पूरा एक जहाज़ मिल गया था अरुण के रूप मे.....
"साला , खुद को इंजिनियर बोलता है, तूने सब बक्चोद इंजिनीयर्स का नाम बाथरूम मे मिला दिया...."वो अब भी मुझ पर बहुत गुस्सा था....
"छोड़ बीती बातों को और बता यहाँ कैसे आया और वरुण कहाँ है, कहीं तूने उसका मर्डर तो नही कर दिया..."
"बिल्कुल ,सही समझा बे, उसकी डेत बॉडी बाथरूम मे पड़ी है, प्लीज़ पोलीस को इनफॉर्म करना...."
कुछ देर तक हम दोनो ने एक दूसरे को देखा और फिर ज़ोर से हंस पड़े....
"अब चल बता, तू यहाँ क्यूँ है..."अपनी हँसी रोक कर अरुण बोला, वो अब सीरीयस था....
"सब कुछ छोड़ छाड़ के आ गया मैं, घरवाले देश के बाहर है, ना तो उन्हे कोई फरक पड़ता है और ना ही मुझे..."
"तेरे भाई की शादी होने वाली थी , उस वक़्त जब तू घर छोड़ कर यहाँ आ गया था..."
"साला मेरी ग़लतियो की लिस्ट पकड़ के बैठ बया है...अब जान निकाल कर ही दम लेगा"मैने अंदर ही अंदर बहुत ज़ोर से चिल्लाया...
"वो सब तो छोड़"अरुण का चेहरा फिर लाल होने लगा," मुझे ये बता कि तूने मुझे कॉल क्यूँ नही किया, कॉलेज मे तो मेरा बेस्ट फ्रेंड बना फिरता था...."
अरुण के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नही था और यदि मैं उससे कुछ कहता भी तो क्या ये कहता कि "मुझमे अब जीने की चाह नही है..."या फिर ये कहता कि"एंजल के जाने के बाद जैसे मेरे दिल ने धड़कना बंद कर दिया है..."
"कुछ बोलेगा..."वो मुझपर फिर चिल्लाया....
"रीज़न चाहिए तुझे, तो सुन....जब मैं अपनी बी.टेक की खाली डिग्री लेकर घर गया तो जानता है मेरे साथ क्या सलूक हुआ...घर पर बड़े भाई की शादी की बात चल रही थी इसलिए घर मे बहुत लोग आते जाते रहते थे, और जब कोई मेरे बारे मे पूछता तो सब यही कहते कि....हमारे खानदान मे सबसे खराब मैं हूँ, मैं ही एक अकेला शक्स हूँ, जिसने अपने खानदान का नाम डूबा दिया...ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकी मेरे पास पैसा नही था, मेरे पास नौकरी नही थी.....यदि मुझसे कही भी थोड़ी सी भी ग़लती हो जाती तो मेरी उस ग़लती को मेरी एजुकेशन से जोड़ दिया जाता....मैं अपने ही घर मे रहकर पागल हुआ जा रहा था, और फिर जिस दिन लड़की वाले हमारे घर आए तो भाई ने एक छोटी सी बात पे सबके सामने मुझपर हाथ चला दिया....बस उसी समय मेरे दिल और दिमाग़ दोनो ने गला फाड़ -फाड़ के कहा कि बस बहुत हो गया, और मुझे सबसे बुरा तब लगा जब मुझे किसी ने नही रोका...सब यही चाहते थे कि मैं उनकी ज़िंदगी से चला जाउ, सो मैने वही किया...."इतना बोलते बोलते मैं बहुत एमोशनल हो गया था, अरुण को अपनी बीती ज़िंदगी के कुछ पल बताकर मैने अपने ज़ख़्म फिर हरे कर लिए थे....वरुण भी तब तक आ चुका था और दरवाज़े पर चुप चाप खड़ा मेरी बाते सुन रहा था......
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
कुछ देर तक हम तीनो मे से कोई कुछ नही बोला, और फिर अरुण ने अपना बॅग अपनी तरफ खीच कर खोला और MM की एक बोतल निकाल कर बोला...
"ये ले तेरा गिफ्ट..."
मेरी नम आँखो मे एक हँसी झलक आई "तू साले अभी तक भुला नही..."
ये हम दोनो की एक खास आदत थी कि हम दोनो ने एक दूसरे को गिफ्ट के तौर पर हमेशा दारू ही गिफ्ट की थी...और सबसे बड़ी बात ये कि अरुण ने ही मुझे दारू पीने की लत भी लगाई थी......
" आइ लव दारू मोर दॅन गर्ल्स..."बोलते हुए मैने उसके हाथ से बोतल छीनी और वरुण की तरफ देख कर बोला"आज रात का जुगाड़ हो गया बे..."
मेरे ऐसा कहने पर वरुण के साथ - साथ अरुण भी हंस पड़ा...
वरुण और अरुण ही मेरे प्रेज़ेंट लाइफ मे मेरे अपने थे, अरुण के पापा इंस्पेक्टर थे और अरुण रेलवे मे किसी अच्छी पोस्ट पर था...
"शादी हो गयी तेरी..."MM को एक किनारे रखकर मैने अरुण से पुछा....
"कहाँ शादी , अभी तो लाइफ एंजाय करनी बाकी है...शादी करते रहेंगे आराम से...."
"वरुण, ले पेग तो बना, सर दर्द कर रहा है...."
"अरमान, ये निशा कौन है बे "
"है , मोहल्ले मे रहने वाली एक लड़की..."मैं बोला....
"मैने सोचा नही था कि उसके जाने के बाद तू किसी लड़की के साथ रीलेशन बनाएगा..."अरुण जानता था कि मुझे उसका नाम लेना अब पसंद नही है, इसलिए उसने उसका नाम नही लिया....
"सोचा तो मैने भी नही था, लेकिन मालूम नही ये कैसे हो गया...."
"ले पकड़..."इसी बीच वरुण ने हम तीनो का पेग तैयार कर दिया , जिसे चढ़कर वरुण बोला"यार अरुण, मैने इससे कितनी बार इसकी बीती ज़िंदगी के बारे मे पुछने की कोशिश की, लेकिन इसने मुझे एक बार भी नही बताया और हर बार किसी ना किसी बहाने से टाल दिया...."
"दिमाग़ मत खा यार तू अब, एक और पेग बना...मस्त दारू है.."मैने एक बार फिर वरुण की बात को टालने की कोशिश की....लेकिन शायद आज मैं कामयाब नही रहूँगा इसका मुझे अंदाज़ा हो गया था.....
"आज तो खुलासा होकर ही रहेगा वरुण..."अपना पेग गले से नीचे उतार कर अरुण बोला"चिंता मत कर ,आज ये सब कुछ बकेगा...."
"मैं कुछ नही बताने वाला..."
"नही बताएगा..."
"बिल्कुल भी नही..."
"एक बार और सोच ले..."
"मैने बोल दिया ना एक बार..."
"फिर वो बाथरूम वाली बात मैं वरुण को बता दूँगा, सोच ले..."
अरुण ने मेरी दुखती नस को पकड़ लिया था, दो-तीन पेग मारने से सर भी एकदम फ्री हो गया था, एक दम बिंदास......
MM की बोतल खाली हो चुकी थी और मैं भी अब बिल्कुल तैयार था वरुण को वो सब बताने के लिए ,जो मैं नही बताना चाहता था....
"एक और पेग बना...."मैने कहा
हर वो चाह ख़तम हो जाती है , जिसकी हमे तमन्ना होती है...सपने हमारी बुरी हक़ीक़त के सामने दम तोड़ देते है और बचता है तो सिर्फ़ रख ,यादों की राख ,जिसके सहारे हम फिर अपनी बाकी की ज़िंदगी गुज़ारते है, कभी -कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो जाता है जिसकी आपने कभी कल्पना तक नही की होती है....
"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरा भाई मुझे जाते हुए नसीहत दे रहा था वो भी बड़े प्यार से...
"जी भाई..."
"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."
"जी भाई..."
"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..."
"जी भाई..."मेरा भाई मुझे ठीक उसी तरह समझा रहे थे ,जैसे कि आर्मी का कर्नल अपने आर्मी को इन्स्ट्रक्षन फॉलो करने के लिए कह रहा हो...विपेन्द्र भैया मुझे कॉलेज मे छोड़ने आए थे, और मेरे लाख मना करने के बावजूद मेरे रहने का इंतज़ाम हॉस्टिल मे कर दिया था और अभी जाते वक़्त मुझे सब बता के जा रहे थे कि मुझे क्या करना है और क्या नही करना है.....भाई के जाने के बाद मैं वापस हॉस्टिल आया, इस दौरान जो एक बात मेरे मन मे खटक रही थी , वो थी कल हमारी होने वाली रॅगिंग , कुछ दिनो पहले ही न्यूज़ पेपर मे पढ़ा था कि एक स्टूडेंट ने रॅगिंग से तंग आकर अपनी जान दे दी थी.... कॉलेज वालो ने एक अच्छा काम किया था और वो था कि फर्स्ट एअर का हॉस्टिल हमारे सीनियर्स से अलग था, लेकिन शाम होते-होते तक पूरे हॉस्टिल मे ये खबर फैल गयी कि आज रात को 10 बजे सीनियर्स हॉस्टिल मे रॅगिंग लेने आएँगे, जब से ये सुना था, दिल बुरी तरह धड़क रहा था, हर आधे घंटे मे पानी पीने के बहाने निकलता और देख कर आता कि कही कुछ हुआ तो नही है, वो पूरी रात साली मेरी ज़िंदगी की सबसे खराब रात थी,...पूरी रात मैं चैन से नही सो पाया, उस रात कोई नही आया और दूसरे दिन मेरी नींद मेरे रूम को किसी ने खटखटाया तब खुली....
"बहुत बेकार सोता है बे..."एक लड़का अपना बॅग लिए रूम के बाहर खड़ा था, और फिर मुझे पकड़ कर बाहर खींच लिया,
"ये, ये क्या कर रहा है..."मैने झल्लाते हुए बोला...
"चल मेरा समान उठवा यार...बहुत भारी है...."
"तू भी इसी रूम मे रहेगा..."
"बिल्कुल सही समझा, और मेरा नाम है अरुण...."
"अरमान..."मैने हाथ मिलाते हुए उससे कहा, और जब उसका पूरा समान रूम के अंदर गया तो मैं नहाने के लिए चल दिया....
आज उस आदत को छोड़े हुए तो बहुत दिन हो गये है, लेकिन उस समय मेरी एक अजीब आदत थी, मैं जिस भी लड़के से मिलता तो सबसे पहले यही देखता कि वो मुझसे ज़्यादा हॅंडसम है या नही, और अरुण को देखकर मैने खुद से चीख-चीख कर यही कहा था कि "मैं इससे ज़्यादा हॅंडसम हूँ...."
"तू आज कॉलेज नही जाएगा क्या..."कॉलेज के लिए तैयार होते हुए मैने अरुण से पुच्छा, अरुण हाइट मे मेरे जितना ही था, लेकिन उसका रंग कुछ सावला था....
"जाउन्गा ना..."
"9:40 से कॉलेज शुरू है..."
"तो...."बिस्तर पर पड़े पड़े उसने कहा...
"तो , तैयार नही होगा क्या ,9:20 तो कब के हो गये..."
"देख, मैं कोई लौंडिया तो हूँ नही , जो पूरे एक घंटे तैयार होने मे टाइम लगा दूँ और वैसे भी मैं घर से नहा के चला था तो आज नहाने का सवाल ही नही उठता..."
"लग गयी इसे हवा..."
इसके बाद मैने इतना देखा कि , 9:30 बजते ही उसने अपना बॅग उठाया और रूम मे लगे शीशे मे एक बार अपना फेस देखा और मेरे साथ हॉस्टिल से बाहर आ गया....
फर्स्ट एअर की क्लासस मे थोड़ा चेंज किया गया था, सीनियर्स हमारी रॅगिंग ना ले पाए ,इसलिए हमारी क्लास को एक घंटे पहले ही शुरू कर दिया था और सीनियर्स की क्लास छूटने के एक घंटे पहले ही हमारा डे ऑफ हो जाता था.....लेकिन कुछ सीनियर्स ऐसे भी होते है जिनके पिच्छवाड़े मे ज़्यादा खुजली होती है और वो हमारी टाइमिंग मे ही कॉलेज आ जाते थे,...
"अबे तेरी ब्रांच कौन सी है..."रास्ते मे मैने उससे पुछा...
"मेकॅनिकल..."अरुण ने जवाब दिया,
"मेरी भी मेकॅनिकल..."थोड़ा खुश होते हुए मैने कहा"मतलब कि हम दोनो एक ही क्लास मे बैठेंगे..."
"अबे रुक..."मुझे अरुण ने रोका, हम उस समय कॉलेज से थोड़ी ही दूर मे थे, या फिर कहे कि हम कॉलेज पहुच गये थे...
"क्या हुआ..."
"उधर देख, कुछ सीनियर्स खड़े है...पीछे के रास्ते से चल..."
"तुझे मालूम है दूसरा रास्ता..."
"मुझे सब मालूम है , चल आजा..."हम दोनो ने वही से टर्न मारा और कुछ देर पीछे चलने के बाद झड़ी झुँझटी मे उसने मुझे घुसा दिया....
"तुझे पक्का मालूम है रास्ता..."
"अबे मेरे भाई के कुछ दोस्त यहाँ से पास आउट हुए है , उन्होने ही मुझे बताया था इस रास्ते के बारे मे...."
जैसे तैसे करके हम दोनो आगे बढ़ते रहे और फिर मुझे कॉलेज की दीवार भी दिखने लगी, कॉलेज के अंदर जाने का एक और रास्ता है, ये मुझे अरुण ने बताया था...जब हम दोनो उस झड़ी-झुँझटी वाले रास्ते से निकल कर बाहर आए तो मुझे वो गेट दिखा , जिसके बारे मे अरुण ने कहा था, वो गेट कॉलेज मे काम करने वाले वर्कर्स के लिए था, जिनका घर वही पास मे था.....
"कोई फ़ायदा नही हुआ, "अरुण बोला"वो देख साली सीनियर गर्ल्स खड़ी है, लिए डंडा..."
दुनिया मे 99 % लड़किया खूबसूरत होती है और जो 1 % बचती है वो आपके कॉलेज मे रहती है, ऐसा मैने कही सुना था, लेकिन मेरी आँखो के सामने अभी 5-6 सीनियर लड़किया खड़ी थी , जो एक से बढ़कर एक थी, उन 5-6 सीनियर गर्ल्स को देखकर ही ऐसा लगने लगा था जैसे की दुनिया की 99 % खूबसूरत लड़किया मेरे कॉलेज मे ही पढ़ती हो....
"यार, क्या माल है..."मैने अरुण से कहा...
"चुप कर और उन्हे देखे बिना सीधे चल, यदि पकड़ लिया तो बहाल कर देंगी..."
"अबे ये लड़किया है, इतना क्यूँ डर रहा है...घुमा के दूँगा एक हाथ सब बिखर जाएँगी यही..."मैं मर्दाना आवाज़ मे बोला,
"अभी तो तू इनको बिखेर देगा, लेकिन जब इन्ही लड़कियो के पीछे पूरे सीनियर्स आएँगे तब क्या करेगा...."
"फाइनली करना क्या है, ये बता..."
"कुछ नही करना बस चुप चाप अंदर घुस जाना..."
"डन..."मैने ऐसे कहा जैसे कोई बहुत बड़ा मिशन पूरा कर लिया हो.
हम दोनो उन लड़कियो की तरफ बिना देखे सामने चले जा रहे थे, और जब हम ने उन लड़कियो को क्रॉस किया तो उस समय दिल की धड़कने बढ़ गयी, मन मचल रहा था कि उनको देखु, उनके सीने को देखकर अपने अरमान पूरा करूँ...लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया और चुप चाप सामने देखकर चलता रहा....
"ओये मा दे लाड़ले..."हम बस गेट से अंदर ही घुसने वाले थे कि उन लड़कियो ने आवाज़ दी....
"शायद मेरे कान बज रहे है..."
"नही बेटा ,ये कान नही बज रहे है , ये उन गोरी-गोरी चुहिया की आवाज़ है..."
"तो अब क्या करे, तेज़ी से अंदर भाग लेते है, कॉलेज के अंदर वो रॅगिंग नही ले पाएँगी..."
"अभी भागने का मतलब है इनका ध्यान खुद की तरफ खींचना, बाद मे ये और भी बुरी तरह से रॅगिंग लेंगी..."
"फाइनल बता , करना क्या है..."मेरे कदम वही रुक गये थे और पसीने से बुरा हाल था, उस वक़्त मैने सोचा था कि शायद अरुण मे थोड़ी हिम्मत होगी,लेकिन जैसे ही उसको देखा , तो जो मेरे मूह से निकला वो ये था...
"साला ये तो मुझसे भी ज़्यादा डरा हुआ है...."
"मा दे लाड़लो , सुनाई देता है क्या तुम दोनो को इधर आओ..."जिन लड़कियो को कुछ देर पहले मैं स्वर्ग की अप्सरा समझ कर लाइन मारने की सोच रहा था ,वो अब नरक की चुड़ैल बन गयी थी...
"जी...जी...मॅम , आपने हमे बुलाया..."अरुण उनके पास जाकर बोला, मैं उसके पीछे खड़ा था...
"तू हट बे..."अरुण को ज़ोर से धक्का देकर उन चुदैलो ने मेरी तरफ देखा...
"और चिकने क्या हाल है..."
"सब बढ़िया..."काँपते हुए मैने कहा, उस समय मैं पूरी तरह पसीने से भीग चुका था...
"सिगरेट पिएगा..."उनमे से एक लड़की ने सिगरेट निकाली और मेरी तरफ बढ़ाकर पुछि....
मैने एक दो बार सिगरेट पी थी, लेकिन किसी दूध पीते बच्चे की तरह, कश खींचा और फिर धुए को बाहर फेक दिया....मैं यहाँ ये सोच कर आया था कि जिस तरह मैं हमेशा से स्कूल मे टॉपर था , उसी तरह यहाँ भी टॉप करूँगा, और सिगरेट , शराब और लड़की को बस दूर से देखकर मज़ा लूँगा....
"चल सिगरेट जला..."उन चुदैलो मे से एक चुड़ैल ने सिगरेट मेरे मूह मे फँसा दी और तभी मेरे मन मेरे बड़े भाई के द्वारा कही गयी बात आई...
"यदि सिगरेट और दारू को छुआ भी तो सोच लेना..."
"जी भाई..."
"मैं सिगरेट नही पीता सॉरी..."उन लड़कियो ने जो सिगरेट मेरे मूह मे फँसाई थी उसे एक झटके मे मैने मूह से निकाल कर ज़मीन पर फेक दिया, जिससे उनका पारा आसमान टच कर गया...
"क्यूँ बे लौडे,तू क्या समझा कि पीछे के रास्ते से आएगा तो बच जाएगा और तुझमे इतनी हिम्मत कहाँ से आई जो तूने सिगरेट को फेक दिया..."
उनके मूह से गाली सुनी तो मुझे यकीन ही नही हुआ कि एक लड़की भी गाली दे सकती है, मैं आँखे फाड़-फाड़ के उन लड़कियो को देख रहा था....तभी उनमे से किसी का फोन बजा और वो सब चली गयी लेकिन जाते-जाते उन्होने मुझे धमकी दे डाली कि वो मुझे इस कॉलेज से भगाकर रहेगी.......
"तेरी तो लग गयी बेटा...."उनके वहाँ से जाने के बाद अरुण मेरे पास आया...
"अब क्लास चले..."
"ये ले तेरा गिफ्ट..."
मेरी नम आँखो मे एक हँसी झलक आई "तू साले अभी तक भुला नही..."
ये हम दोनो की एक खास आदत थी कि हम दोनो ने एक दूसरे को गिफ्ट के तौर पर हमेशा दारू ही गिफ्ट की थी...और सबसे बड़ी बात ये कि अरुण ने ही मुझे दारू पीने की लत भी लगाई थी......
" आइ लव दारू मोर दॅन गर्ल्स..."बोलते हुए मैने उसके हाथ से बोतल छीनी और वरुण की तरफ देख कर बोला"आज रात का जुगाड़ हो गया बे..."
मेरे ऐसा कहने पर वरुण के साथ - साथ अरुण भी हंस पड़ा...
वरुण और अरुण ही मेरे प्रेज़ेंट लाइफ मे मेरे अपने थे, अरुण के पापा इंस्पेक्टर थे और अरुण रेलवे मे किसी अच्छी पोस्ट पर था...
"शादी हो गयी तेरी..."MM को एक किनारे रखकर मैने अरुण से पुछा....
"कहाँ शादी , अभी तो लाइफ एंजाय करनी बाकी है...शादी करते रहेंगे आराम से...."
"वरुण, ले पेग तो बना, सर दर्द कर रहा है...."
"अरमान, ये निशा कौन है बे "
"है , मोहल्ले मे रहने वाली एक लड़की..."मैं बोला....
"मैने सोचा नही था कि उसके जाने के बाद तू किसी लड़की के साथ रीलेशन बनाएगा..."अरुण जानता था कि मुझे उसका नाम लेना अब पसंद नही है, इसलिए उसने उसका नाम नही लिया....
"सोचा तो मैने भी नही था, लेकिन मालूम नही ये कैसे हो गया...."
"ले पकड़..."इसी बीच वरुण ने हम तीनो का पेग तैयार कर दिया , जिसे चढ़कर वरुण बोला"यार अरुण, मैने इससे कितनी बार इसकी बीती ज़िंदगी के बारे मे पुछने की कोशिश की, लेकिन इसने मुझे एक बार भी नही बताया और हर बार किसी ना किसी बहाने से टाल दिया...."
"दिमाग़ मत खा यार तू अब, एक और पेग बना...मस्त दारू है.."मैने एक बार फिर वरुण की बात को टालने की कोशिश की....लेकिन शायद आज मैं कामयाब नही रहूँगा इसका मुझे अंदाज़ा हो गया था.....
"आज तो खुलासा होकर ही रहेगा वरुण..."अपना पेग गले से नीचे उतार कर अरुण बोला"चिंता मत कर ,आज ये सब कुछ बकेगा...."
"मैं कुछ नही बताने वाला..."
"नही बताएगा..."
"बिल्कुल भी नही..."
"एक बार और सोच ले..."
"मैने बोल दिया ना एक बार..."
"फिर वो बाथरूम वाली बात मैं वरुण को बता दूँगा, सोच ले..."
अरुण ने मेरी दुखती नस को पकड़ लिया था, दो-तीन पेग मारने से सर भी एकदम फ्री हो गया था, एक दम बिंदास......
MM की बोतल खाली हो चुकी थी और मैं भी अब बिल्कुल तैयार था वरुण को वो सब बताने के लिए ,जो मैं नही बताना चाहता था....
"एक और पेग बना...."मैने कहा
हर वो चाह ख़तम हो जाती है , जिसकी हमे तमन्ना होती है...सपने हमारी बुरी हक़ीक़त के सामने दम तोड़ देते है और बचता है तो सिर्फ़ रख ,यादों की राख ,जिसके सहारे हम फिर अपनी बाकी की ज़िंदगी गुज़ारते है, कभी -कभी आपके साथ ऐसा कुछ हो जाता है जिसकी आपने कभी कल्पना तक नही की होती है....
"कॉलेज मे जाकर पढ़ाई करना बे, लौंडिया बाज़ी मे बिज़ी मत रहना और ना ही इस चक्कर मे पड़ना..."मेरा भाई मुझे जाते हुए नसीहत दे रहा था वो भी बड़े प्यार से...
"जी भाई..."
"दारू, सिगरेट इन सबको छुआ भी तो सोच लेना...."
"जी भाई..."
"और यदि लड़ाई झगड़े की एक भी खबर घर पर आई तो उसी वक़्त तेरा टी.सी. निकलवा दूँगा समझा..."
"जी भाई..."मेरा भाई मुझे ठीक उसी तरह समझा रहे थे ,जैसे कि आर्मी का कर्नल अपने आर्मी को इन्स्ट्रक्षन फॉलो करने के लिए कह रहा हो...विपेन्द्र भैया मुझे कॉलेज मे छोड़ने आए थे, और मेरे लाख मना करने के बावजूद मेरे रहने का इंतज़ाम हॉस्टिल मे कर दिया था और अभी जाते वक़्त मुझे सब बता के जा रहे थे कि मुझे क्या करना है और क्या नही करना है.....भाई के जाने के बाद मैं वापस हॉस्टिल आया, इस दौरान जो एक बात मेरे मन मे खटक रही थी , वो थी कल हमारी होने वाली रॅगिंग , कुछ दिनो पहले ही न्यूज़ पेपर मे पढ़ा था कि एक स्टूडेंट ने रॅगिंग से तंग आकर अपनी जान दे दी थी.... कॉलेज वालो ने एक अच्छा काम किया था और वो था कि फर्स्ट एअर का हॉस्टिल हमारे सीनियर्स से अलग था, लेकिन शाम होते-होते तक पूरे हॉस्टिल मे ये खबर फैल गयी कि आज रात को 10 बजे सीनियर्स हॉस्टिल मे रॅगिंग लेने आएँगे, जब से ये सुना था, दिल बुरी तरह धड़क रहा था, हर आधे घंटे मे पानी पीने के बहाने निकलता और देख कर आता कि कही कुछ हुआ तो नही है, वो पूरी रात साली मेरी ज़िंदगी की सबसे खराब रात थी,...पूरी रात मैं चैन से नही सो पाया, उस रात कोई नही आया और दूसरे दिन मेरी नींद मेरे रूम को किसी ने खटखटाया तब खुली....
"बहुत बेकार सोता है बे..."एक लड़का अपना बॅग लिए रूम के बाहर खड़ा था, और फिर मुझे पकड़ कर बाहर खींच लिया,
"ये, ये क्या कर रहा है..."मैने झल्लाते हुए बोला...
"चल मेरा समान उठवा यार...बहुत भारी है...."
"तू भी इसी रूम मे रहेगा..."
"बिल्कुल सही समझा, और मेरा नाम है अरुण...."
"अरमान..."मैने हाथ मिलाते हुए उससे कहा, और जब उसका पूरा समान रूम के अंदर गया तो मैं नहाने के लिए चल दिया....
आज उस आदत को छोड़े हुए तो बहुत दिन हो गये है, लेकिन उस समय मेरी एक अजीब आदत थी, मैं जिस भी लड़के से मिलता तो सबसे पहले यही देखता कि वो मुझसे ज़्यादा हॅंडसम है या नही, और अरुण को देखकर मैने खुद से चीख-चीख कर यही कहा था कि "मैं इससे ज़्यादा हॅंडसम हूँ...."
"तू आज कॉलेज नही जाएगा क्या..."कॉलेज के लिए तैयार होते हुए मैने अरुण से पुच्छा, अरुण हाइट मे मेरे जितना ही था, लेकिन उसका रंग कुछ सावला था....
"जाउन्गा ना..."
"9:40 से कॉलेज शुरू है..."
"तो...."बिस्तर पर पड़े पड़े उसने कहा...
"तो , तैयार नही होगा क्या ,9:20 तो कब के हो गये..."
"देख, मैं कोई लौंडिया तो हूँ नही , जो पूरे एक घंटे तैयार होने मे टाइम लगा दूँ और वैसे भी मैं घर से नहा के चला था तो आज नहाने का सवाल ही नही उठता..."
"लग गयी इसे हवा..."
इसके बाद मैने इतना देखा कि , 9:30 बजते ही उसने अपना बॅग उठाया और रूम मे लगे शीशे मे एक बार अपना फेस देखा और मेरे साथ हॉस्टिल से बाहर आ गया....
फर्स्ट एअर की क्लासस मे थोड़ा चेंज किया गया था, सीनियर्स हमारी रॅगिंग ना ले पाए ,इसलिए हमारी क्लास को एक घंटे पहले ही शुरू कर दिया था और सीनियर्स की क्लास छूटने के एक घंटे पहले ही हमारा डे ऑफ हो जाता था.....लेकिन कुछ सीनियर्स ऐसे भी होते है जिनके पिच्छवाड़े मे ज़्यादा खुजली होती है और वो हमारी टाइमिंग मे ही कॉलेज आ जाते थे,...
"अबे तेरी ब्रांच कौन सी है..."रास्ते मे मैने उससे पुछा...
"मेकॅनिकल..."अरुण ने जवाब दिया,
"मेरी भी मेकॅनिकल..."थोड़ा खुश होते हुए मैने कहा"मतलब कि हम दोनो एक ही क्लास मे बैठेंगे..."
"अबे रुक..."मुझे अरुण ने रोका, हम उस समय कॉलेज से थोड़ी ही दूर मे थे, या फिर कहे कि हम कॉलेज पहुच गये थे...
"क्या हुआ..."
"उधर देख, कुछ सीनियर्स खड़े है...पीछे के रास्ते से चल..."
"तुझे मालूम है दूसरा रास्ता..."
"मुझे सब मालूम है , चल आजा..."हम दोनो ने वही से टर्न मारा और कुछ देर पीछे चलने के बाद झड़ी झुँझटी मे उसने मुझे घुसा दिया....
"तुझे पक्का मालूम है रास्ता..."
"अबे मेरे भाई के कुछ दोस्त यहाँ से पास आउट हुए है , उन्होने ही मुझे बताया था इस रास्ते के बारे मे...."
जैसे तैसे करके हम दोनो आगे बढ़ते रहे और फिर मुझे कॉलेज की दीवार भी दिखने लगी, कॉलेज के अंदर जाने का एक और रास्ता है, ये मुझे अरुण ने बताया था...जब हम दोनो उस झड़ी-झुँझटी वाले रास्ते से निकल कर बाहर आए तो मुझे वो गेट दिखा , जिसके बारे मे अरुण ने कहा था, वो गेट कॉलेज मे काम करने वाले वर्कर्स के लिए था, जिनका घर वही पास मे था.....
"कोई फ़ायदा नही हुआ, "अरुण बोला"वो देख साली सीनियर गर्ल्स खड़ी है, लिए डंडा..."
दुनिया मे 99 % लड़किया खूबसूरत होती है और जो 1 % बचती है वो आपके कॉलेज मे रहती है, ऐसा मैने कही सुना था, लेकिन मेरी आँखो के सामने अभी 5-6 सीनियर लड़किया खड़ी थी , जो एक से बढ़कर एक थी, उन 5-6 सीनियर गर्ल्स को देखकर ही ऐसा लगने लगा था जैसे की दुनिया की 99 % खूबसूरत लड़किया मेरे कॉलेज मे ही पढ़ती हो....
"यार, क्या माल है..."मैने अरुण से कहा...
"चुप कर और उन्हे देखे बिना सीधे चल, यदि पकड़ लिया तो बहाल कर देंगी..."
"अबे ये लड़किया है, इतना क्यूँ डर रहा है...घुमा के दूँगा एक हाथ सब बिखर जाएँगी यही..."मैं मर्दाना आवाज़ मे बोला,
"अभी तो तू इनको बिखेर देगा, लेकिन जब इन्ही लड़कियो के पीछे पूरे सीनियर्स आएँगे तब क्या करेगा...."
"फाइनली करना क्या है, ये बता..."
"कुछ नही करना बस चुप चाप अंदर घुस जाना..."
"डन..."मैने ऐसे कहा जैसे कोई बहुत बड़ा मिशन पूरा कर लिया हो.
हम दोनो उन लड़कियो की तरफ बिना देखे सामने चले जा रहे थे, और जब हम ने उन लड़कियो को क्रॉस किया तो उस समय दिल की धड़कने बढ़ गयी, मन मचल रहा था कि उनको देखु, उनके सीने को देखकर अपने अरमान पूरा करूँ...लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया और चुप चाप सामने देखकर चलता रहा....
"ओये मा दे लाड़ले..."हम बस गेट से अंदर ही घुसने वाले थे कि उन लड़कियो ने आवाज़ दी....
"शायद मेरे कान बज रहे है..."
"नही बेटा ,ये कान नही बज रहे है , ये उन गोरी-गोरी चुहिया की आवाज़ है..."
"तो अब क्या करे, तेज़ी से अंदर भाग लेते है, कॉलेज के अंदर वो रॅगिंग नही ले पाएँगी..."
"अभी भागने का मतलब है इनका ध्यान खुद की तरफ खींचना, बाद मे ये और भी बुरी तरह से रॅगिंग लेंगी..."
"फाइनल बता , करना क्या है..."मेरे कदम वही रुक गये थे और पसीने से बुरा हाल था, उस वक़्त मैने सोचा था कि शायद अरुण मे थोड़ी हिम्मत होगी,लेकिन जैसे ही उसको देखा , तो जो मेरे मूह से निकला वो ये था...
"साला ये तो मुझसे भी ज़्यादा डरा हुआ है...."
"मा दे लाड़लो , सुनाई देता है क्या तुम दोनो को इधर आओ..."जिन लड़कियो को कुछ देर पहले मैं स्वर्ग की अप्सरा समझ कर लाइन मारने की सोच रहा था ,वो अब नरक की चुड़ैल बन गयी थी...
"जी...जी...मॅम , आपने हमे बुलाया..."अरुण उनके पास जाकर बोला, मैं उसके पीछे खड़ा था...
"तू हट बे..."अरुण को ज़ोर से धक्का देकर उन चुदैलो ने मेरी तरफ देखा...
"और चिकने क्या हाल है..."
"सब बढ़िया..."काँपते हुए मैने कहा, उस समय मैं पूरी तरह पसीने से भीग चुका था...
"सिगरेट पिएगा..."उनमे से एक लड़की ने सिगरेट निकाली और मेरी तरफ बढ़ाकर पुछि....
मैने एक दो बार सिगरेट पी थी, लेकिन किसी दूध पीते बच्चे की तरह, कश खींचा और फिर धुए को बाहर फेक दिया....मैं यहाँ ये सोच कर आया था कि जिस तरह मैं हमेशा से स्कूल मे टॉपर था , उसी तरह यहाँ भी टॉप करूँगा, और सिगरेट , शराब और लड़की को बस दूर से देखकर मज़ा लूँगा....
"चल सिगरेट जला..."उन चुदैलो मे से एक चुड़ैल ने सिगरेट मेरे मूह मे फँसा दी और तभी मेरे मन मेरे बड़े भाई के द्वारा कही गयी बात आई...
"यदि सिगरेट और दारू को छुआ भी तो सोच लेना..."
"जी भाई..."
"मैं सिगरेट नही पीता सॉरी..."उन लड़कियो ने जो सिगरेट मेरे मूह मे फँसाई थी उसे एक झटके मे मैने मूह से निकाल कर ज़मीन पर फेक दिया, जिससे उनका पारा आसमान टच कर गया...
"क्यूँ बे लौडे,तू क्या समझा कि पीछे के रास्ते से आएगा तो बच जाएगा और तुझमे इतनी हिम्मत कहाँ से आई जो तूने सिगरेट को फेक दिया..."
उनके मूह से गाली सुनी तो मुझे यकीन ही नही हुआ कि एक लड़की भी गाली दे सकती है, मैं आँखे फाड़-फाड़ के उन लड़कियो को देख रहा था....तभी उनमे से किसी का फोन बजा और वो सब चली गयी लेकिन जाते-जाते उन्होने मुझे धमकी दे डाली कि वो मुझे इस कॉलेज से भगाकर रहेगी.......
"तेरी तो लग गयी बेटा...."उनके वहाँ से जाने के बाद अरुण मेरे पास आया...
"अब क्लास चले..."