Aunty Sex Stories Collection
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आंटी और उनकी छवि - Aunti Aur Chhavi
एक बार मैं फिर हाजिर हूँ अपनी एक नई कहानी लेकर। दरअसल मैं जिस कंपनी के लिए काम करता हूँ वो एक प्रोफेशनल जिगोलो और एस्कोर्ट सुविधा देने वाली कंपनी है।
एक बार मेरे ऑफिस से फोन आया कि ग्रेटर कैलाश की एक महिला को चुदाई की सर्विस देनी है जिसके लिए मुझे शाम के छः बजे जाना था। हालाँकि मैं एक दिन पहले ही गोवा से बंगलोर ट्रेन सर्विस देकर आया था लेकिन यह असाइनमेंट मैं नहीं छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि यह ग्रेटर-कैलाश का था और हाई-प्रोफाइल को सर्विस देने का मजा ही कुछ और है। यही सोच कर मैंने हामी भर दी।
ठीक समय पर पहुँच कर घंटी बजाई तो सामने एक 38-40 साल की महिला ने मेरा स्वागत किया। देखने में ठीक-ठाक ही थी, चूचियाँ भी तनी थी लेकिन उम्र का तकाजा था, जिसे वो वह चाहकर भी छुपा नहीं सकती थी।
खैर मैं अंदर दाखिल हुआ, घर देख कर ही पता चल गया कि महिला ने भले ही चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है लेकिन ठाट-बाट सब अमीरों वाले हैं। थोड़ी देर इधर उधर के बातों में उसने अपना नाम चंदा बताया। वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे हुए तक़रीबन दस साल हो गए हैं तब से आज तक वो प्यासी है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो आज उसने हमारी सर्विस का याद किया। हमारी सर्विस का पता अक्सर किटी पार्टियो में एक से दूसरे तक पहुँच जाता है।
थोड़ी देर बात करने के बाद उसने पूछा- क्या पियोगे?
और मैंने भी हमेशा की तरह बोल दिया- आप जो लेंगी, वही मैं भी ले लूँगा।
आंटी दो ग्लास में विस्की लेकर आई जिसे हम धीरे धीरे पीने लगे और इसी बीच उन्होंने बताया कि उनकी एक 18 साल की बेटी है जो होस्टल मैं रह कर बी ए कर रही है और अक्सर छुट्टी में ही घर आती है। उनका कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं है। कभी साल में एक आध बार कोई आ गया तो ठीक, वरना वो अकेली ही रहती हैं।
फिर मैंने ही शुरु किया क्योंकि मैं तो एक असाइनमेंट पूरा करने आया था।
विस्की पीते हुए मैंने चंदा को अपनी तरफ खींचा तो वो बिना किसी विरोध के मेरे करीब आ गई। फिर मैं अपनी ड्रिंक का ग्लास वहीं मेज़ पर रख कर चंदा के गुलाबी होंठ पीने लगा। मेरे हाथ अपना करतब दिखाते हुए उसकी चूचियों को मसल रहे थे। कभी चंदा मेरा होंठ पीती तो कभी मैं उसके होंठ पीता। इस तरह लगभग एक घंटा तक हम एक दूसरे से चिपक कर चूमा-चाटी करते रहे।
फिर मैं अपने कपड़े उतार कर केवल चड्डी में आ गया। मेरा ७ इंच का लंड काले नाग की तरह उछल रहा था। फिर मैंने चंदा के टॉप को उससे अलग किया तो मैं देखता रह गया क्योंकि काली ब्रा में उसकी गोरी गोरी चूचियों का कुछ अलग ही सौंदर्य था जिसे मैं देखता ही रह गया।
यह देख कर चंदा बोली- क्या देख रहे हो राजा ! अब तो ये तुम्हारे हैं !
और वो हंस दी।
मैं साथ ही बोल पड़ा- रानी तुम्हारी चूचियों को देख कर तो साली किसी की भी नियत डोल जायेगी।
फिर उसे झुका कर अपने लंड को चुसाने लगा। वो एक तजुरबेकार की तरह जीभ से चाट चाट कर अलग ही मजा देने लगी। फिर 69 के पोज में आने के लिए मैंने उसे बोला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने तुरंत अपनी जींस को अलग कर डाला। अब वो भी चड्डी में थी और मैं भी। पहले तो फिर हम एक दूसरे की बाजुओं में काफी देर तक चूमते रहे, फिर मैंने उसे 69 पोजिशन में लाते हुए चड्डी से मुक्त कर दिया, उसने भी मुझे चड्डी-मुक्त कर दिया।
अब 69 पोजिशन में वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं जीभ उसके चूत की शिश्निका को छेड़ रहा था। वो थोड़ी ही देर में झड़ गई तो मुझे थोड़ी बुरा सा जरुर लगा। फिर भी वो बोली- एक पग विस्की के बाद फिर उसमें वही जोश होगा और सच मुच ऐसा ही हुआ। वो फिर तैयार थी, बल्कि पहले से ज्यादा जोश उसमें आ गया था, मुझे भी संतुष्टि हुई कि अब ये साली ज्यादा मजा और माल देगी। थोड़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने सीधे उसकी चूत को अपने लंड से खोलने का मन बना लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ते हुए एकदम जोर से उसकी बुर में पेल दिया। चंदा शायद मेरे हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुंह से निकल गई- अह्ह .............अह्ह ! प्लीज धीरे धीरे चोदो ! दर्द हो रहा है !
लेकिन मेरे ऊपर इसका कोई प्रभाव न देखकर बोली- साले चूतिये ! आराम से पेल ! नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी !
तो मैं थोड़ा धीमा हुआ लेकिन चोदना चालू रखा। वो भी अब सामान्य हो गई थी और अपनी कमर को उछाल-उछाल कर चुदा रही थी। यह मस्ती दो घंटे तक चली। उसके बाद उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। हम दोनों एक साथ झड़ गए, उसकी चूत की कटोरी मेरे वीर्य से लबालब हो गई।
दस मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे, उसके बाद अलग हुए तो चंदा बोली- बाथ लेने जा रही हूँ !
तो मैं बोला- मैं भी बाथ लूँगा !
इतना सुन के वो खुश हो गई और बोली- तब तो और मजा आयेगा।
हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक गए। वो मेरे शरीर में साबुन लगा रही थी और मैं उसके शरीर में !
थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर अपने विकराल रूप में आ गया। जिसे देख कर वो और खुश हो गई और होंठ लगा पर चूसने लगी- बिल्कुल जैसे छोटा बच्चा लॉलीपोप चूसता है।
उसने फिर चुदाई की मांग कर दी तो मैं बोला- इस बार तुम्हारी गांड में पेलना है !
वो थोड़ा डरने लगी। फिर मैंने उसे समझाया- थोड़ा सा मुंडी घुसने के वक्त दर्द होगा फिर उसके बाद मजा ही मजा है !
थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो तैयार हो गई। मैंने अपने लंड पर साबुन का झाग लगाया जिससे चंदा को दर्द काम हो।
बाथरूम में उसे कुतिया की तरह झुका कर उसकी गांड में पेलना चालू किया।
जैसे ही थोड़ा सा घुसा, वो दर्द से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी, साथ ही आगे बढ़ना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर का झटका मारा जिससे पूरा का पूरा लंड चंदा की गांड में था। बदले में था- वोह........वोह वो माँ ...... ....साले ने मेरी गांड फा दी..... अबे साले बाहर निकाल..... ....... वोह वोह....... चूतिये बाहर निकल ! नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी।
लेकिन सब सुन कर भी मैंने झटके धीरे धीरे चालू रखे।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो सामान्य हो गई और मजे लेने लगी।
एक घंटे तक हमारा यह चुदाई का प्रोग्राम फिर चला, तब जाकर मैं भी झड़ गया।
चलने के वक्त एक दूसरे को चूम कर चल दिया इस वादे के साथ कि चंदा जब चुदने को बुलाएगी मैं हाजिर हो जाऊंगा।
यह थी चंदा की चुदाई !
लेकिन अभी तो उसकी मस्त माल बेटी जिसका नाम छवि है को चोदना बाकी है, शायद मेरी आने वाली कहानी में चुद जायेगी।
कृपया अपना राय और सुझाव जरुर भेजें।
एक बार मैं फिर हाजिर हूँ अपनी एक नई कहानी लेकर। दरअसल मैं जिस कंपनी के लिए काम करता हूँ वो एक प्रोफेशनल जिगोलो और एस्कोर्ट सुविधा देने वाली कंपनी है।
एक बार मेरे ऑफिस से फोन आया कि ग्रेटर कैलाश की एक महिला को चुदाई की सर्विस देनी है जिसके लिए मुझे शाम के छः बजे जाना था। हालाँकि मैं एक दिन पहले ही गोवा से बंगलोर ट्रेन सर्विस देकर आया था लेकिन यह असाइनमेंट मैं नहीं छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि यह ग्रेटर-कैलाश का था और हाई-प्रोफाइल को सर्विस देने का मजा ही कुछ और है। यही सोच कर मैंने हामी भर दी।
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खैर मैं अंदर दाखिल हुआ, घर देख कर ही पता चल गया कि महिला ने भले ही चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है लेकिन ठाट-बाट सब अमीरों वाले हैं। थोड़ी देर इधर उधर के बातों में उसने अपना नाम चंदा बताया। वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे हुए तक़रीबन दस साल हो गए हैं तब से आज तक वो प्यासी है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो आज उसने हमारी सर्विस का याद किया। हमारी सर्विस का पता अक्सर किटी पार्टियो में एक से दूसरे तक पहुँच जाता है।
थोड़ी देर बात करने के बाद उसने पूछा- क्या पियोगे?
और मैंने भी हमेशा की तरह बोल दिया- आप जो लेंगी, वही मैं भी ले लूँगा।
आंटी दो ग्लास में विस्की लेकर आई जिसे हम धीरे धीरे पीने लगे और इसी बीच उन्होंने बताया कि उनकी एक 18 साल की बेटी है जो होस्टल मैं रह कर बी ए कर रही है और अक्सर छुट्टी में ही घर आती है। उनका कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं है। कभी साल में एक आध बार कोई आ गया तो ठीक, वरना वो अकेली ही रहती हैं।
फिर मैंने ही शुरु किया क्योंकि मैं तो एक असाइनमेंट पूरा करने आया था।
विस्की पीते हुए मैंने चंदा को अपनी तरफ खींचा तो वो बिना किसी विरोध के मेरे करीब आ गई। फिर मैं अपनी ड्रिंक का ग्लास वहीं मेज़ पर रख कर चंदा के गुलाबी होंठ पीने लगा। मेरे हाथ अपना करतब दिखाते हुए उसकी चूचियों को मसल रहे थे। कभी चंदा मेरा होंठ पीती तो कभी मैं उसके होंठ पीता। इस तरह लगभग एक घंटा तक हम एक दूसरे से चिपक कर चूमा-चाटी करते रहे।
फिर मैं अपने कपड़े उतार कर केवल चड्डी में आ गया। मेरा ७ इंच का लंड काले नाग की तरह उछल रहा था। फिर मैंने चंदा के टॉप को उससे अलग किया तो मैं देखता रह गया क्योंकि काली ब्रा में उसकी गोरी गोरी चूचियों का कुछ अलग ही सौंदर्य था जिसे मैं देखता ही रह गया।
यह देख कर चंदा बोली- क्या देख रहे हो राजा ! अब तो ये तुम्हारे हैं !
और वो हंस दी।
मैं साथ ही बोल पड़ा- रानी तुम्हारी चूचियों को देख कर तो साली किसी की भी नियत डोल जायेगी।
फिर उसे झुका कर अपने लंड को चुसाने लगा। वो एक तजुरबेकार की तरह जीभ से चाट चाट कर अलग ही मजा देने लगी। फिर 69 के पोज में आने के लिए मैंने उसे बोला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने तुरंत अपनी जींस को अलग कर डाला। अब वो भी चड्डी में थी और मैं भी। पहले तो फिर हम एक दूसरे की बाजुओं में काफी देर तक चूमते रहे, फिर मैंने उसे 69 पोजिशन में लाते हुए चड्डी से मुक्त कर दिया, उसने भी मुझे चड्डी-मुक्त कर दिया।
अब 69 पोजिशन में वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं जीभ उसके चूत की शिश्निका को छेड़ रहा था। वो थोड़ी ही देर में झड़ गई तो मुझे थोड़ी बुरा सा जरुर लगा। फिर भी वो बोली- एक पग विस्की के बाद फिर उसमें वही जोश होगा और सच मुच ऐसा ही हुआ। वो फिर तैयार थी, बल्कि पहले से ज्यादा जोश उसमें आ गया था, मुझे भी संतुष्टि हुई कि अब ये साली ज्यादा मजा और माल देगी। थोड़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने सीधे उसकी चूत को अपने लंड से खोलने का मन बना लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ते हुए एकदम जोर से उसकी बुर में पेल दिया। चंदा शायद मेरे हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुंह से निकल गई- अह्ह .............अह्ह ! प्लीज धीरे धीरे चोदो ! दर्द हो रहा है !
लेकिन मेरे ऊपर इसका कोई प्रभाव न देखकर बोली- साले चूतिये ! आराम से पेल ! नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी !
तो मैं थोड़ा धीमा हुआ लेकिन चोदना चालू रखा। वो भी अब सामान्य हो गई थी और अपनी कमर को उछाल-उछाल कर चुदा रही थी। यह मस्ती दो घंटे तक चली। उसके बाद उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। हम दोनों एक साथ झड़ गए, उसकी चूत की कटोरी मेरे वीर्य से लबालब हो गई।
दस मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे, उसके बाद अलग हुए तो चंदा बोली- बाथ लेने जा रही हूँ !
तो मैं बोला- मैं भी बाथ लूँगा !
इतना सुन के वो खुश हो गई और बोली- तब तो और मजा आयेगा।
हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक गए। वो मेरे शरीर में साबुन लगा रही थी और मैं उसके शरीर में !
थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर अपने विकराल रूप में आ गया। जिसे देख कर वो और खुश हो गई और होंठ लगा पर चूसने लगी- बिल्कुल जैसे छोटा बच्चा लॉलीपोप चूसता है।
उसने फिर चुदाई की मांग कर दी तो मैं बोला- इस बार तुम्हारी गांड में पेलना है !
वो थोड़ा डरने लगी। फिर मैंने उसे समझाया- थोड़ा सा मुंडी घुसने के वक्त दर्द होगा फिर उसके बाद मजा ही मजा है !
थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो तैयार हो गई। मैंने अपने लंड पर साबुन का झाग लगाया जिससे चंदा को दर्द काम हो।
बाथरूम में उसे कुतिया की तरह झुका कर उसकी गांड में पेलना चालू किया।
जैसे ही थोड़ा सा घुसा, वो दर्द से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी, साथ ही आगे बढ़ना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर का झटका मारा जिससे पूरा का पूरा लंड चंदा की गांड में था। बदले में था- वोह........वोह वो माँ ...... ....साले ने मेरी गांड फा दी..... अबे साले बाहर निकाल..... ....... वोह वोह....... चूतिये बाहर निकल ! नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी।
लेकिन सब सुन कर भी मैंने झटके धीरे धीरे चालू रखे।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो सामान्य हो गई और मजे लेने लगी।
एक घंटे तक हमारा यह चुदाई का प्रोग्राम फिर चला, तब जाकर मैं भी झड़ गया।
चलने के वक्त एक दूसरे को चूम कर चल दिया इस वादे के साथ कि चंदा जब चुदने को बुलाएगी मैं हाजिर हो जाऊंगा।
यह थी चंदा की चुदाई !
लेकिन अभी तो उसकी मस्त माल बेटी जिसका नाम छवि है को चोदना बाकी है, शायद मेरी आने वाली कहानी में चुद जायेगी।
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[size=150]सब कुछ करना होता है - Sab Kuchh Karna Hota Hai
मेरा नाम स्वर्णिम है, मैं टाटा स्टील (जमशेदपुर) का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र २३ साल है, देखने या मिलने के बाद आप सभी लड़कियों को पता चल ही जायेगा कि मेरा शरीर और लंड कितना सख्त है।
यह बात है अगस्त, 2009 की ! मुझे एक कॉल आई मेरे मोबाइल पे करीबन 11 बजे दिन में ! उस तरफ से एक बड़ी ही प्यारी आवाज़ आई- हेलो ! मिस्टर स्वर्णिम?
मैंने भी कहा- यस, स्वर्णिम स्पीकिंग !
उसने कहा- मैं इप्शिता बोल रही हूँ ! एक निजी बैंक से !
(माफ़ कीजियेगा मैं बैंक का नाम नहीं बताना चाहूँगा)
उसने कहा- सर, मुझे आपसे एक बिज़नस प्लान के सिलसिले में आपसे अप्पॉंयंट्मेंट चाहिए !
मैंने पता नहीं कैसे उसे कह दिया- ओ के ! शनिवार को एक बजे आ जाना !
जब शनिवार का दिन आया करीब डेढ़ बजे एक बड़ी खूबसूरत क्यूट सी लड़की मेरे केबिन में एक लड़के से साथ आई और बोली- हेलो सर ! मैं इप्शिता फरोम ..... बैंक !
असल में मैं भूल गया था कि आज वो आने वाली है। मैंने भी हेलो किया और और बैठने को कहा। मैं तो उसके चहरे से नज़र हटा ही नहीं पा रहा था, गजब की खूबसूरत थी वो !
करीब एक घंटे तक वो और उसका साथी मुझे कुछ बिज़नस प्लान के बारे में बताते रहे पर मेरे ध्यान तो कहीं और ही था। मैं सोच रहा था कि पता नहीं कौन इसका बॉयफ्रेंड होगा जो भी होगा, इसके बाद ओ कभी भी दूसरी लड़की के बारे में कभी भी नहीं सोचेगा !
मैं खोया हुआ था, तभी इप्शिता ने कहा- सर, कहिये अगली बार कब मिलूं?
मैंने कहा- आप सोमवार को आ जाओ ! मैं सासे पेपर तैयार रखूँगा !
इप्शिता ने कहा- ओ के सर ! मैं सोमवार आ जाऊँगी करीब चार बजे !
मैंने कहा- ओके !
सोमवार को करीब सवा चार बजे इप्शिता अकेले आई। मैंने कहा- आज आप अकेले ?
तो इप्शिता ने कहा- मेरे कलीग को कहीं और जरुरी काम से जाना था तो वो वहाँ चले गए !
पेपर वर्क करते करते तकरीबन दो घंटे लग गए। शाम के सात बज रहे होंगे, वो जाने को हुई, मैंने कहा- इतनी देर हो गई है, मैं छोड़ देता हूँ !
तो उसने मना कर दिया। मैंने भी ज्यादा कोशिश नहीं की। दस मिनट के बाद जब मैं भी निकला तो देखा बाहर काफी बारिश हो रही थी और इप्शिता अपनी स्कूटी स्टार्ट करने में लगी हुई थी।
मैं इप्शिता के पास गया और पूछा- कोई प्रॉब्लम?
तो इप्शिता ने कहा- सर यह स्टार्ट नहीं हो रही है !
मैंने कहा- इतनी बारिश में कैसे जाओगी ?
तो इप्शिता ने कहा- पता नहीं बारिश कब रुकेगी और मैं कब घर जाउंगी ! वैसे मैंने तो कह रखा है घर पर कि देर हो जायेगी लेकिन बारिश रुक ही नहीं रही है तो सोचा भीग कर ही चली जाऊं !
मैंने कहा- अगर आप को कोई प्रॉब्लम न हो तो आप गाड़ी यहीं छोड़ दो, मैं अपनी कार में आपको छोड़ दूंगा !
वो बोली- नहीं सर ! मैं मैनेज कर लूँगी !
मैंने कहा- मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी अगर आपको कोई प्रॉब्लम है तो कोई बात नहीं !
तो इप्शिता बोली- नहीं सर ऐसी कोई बात नहीं है, ठीक है चलती हूँ।
मैंने चौकीदार से कहा- स्कूटी को पार्क कर दो !
और इप्शिता को अपनी कार में बैठने को कहा, वो बैठ गई।
मैंने पूछा- कहाँ रहती हो?
वो बोली- टेल्को में !
मेरे ऑफिस से टेल्को काफी दूर था, करीब 35-40 मिनट का रास्ता था, इप्शिता थोड़ी भीग चुकी थी और मेरे कार का ए सी चालू था, उसको ठण्ड लग रही थी लेकिन कह नहीं रही थी कि उसे ठण्ड लग रही है। मैंने देखा इप्शिता के होंठ कांप रहे थे ठण्ड के चलते !
मैंने कहा- इप्शिता ठण्ड लग रही है क्या ?
वो बोली- नहीं !
मैंने कहा- आप कांप क्यों रही हो ? अगर ठण्ड लग रही है तो एसी बंद कर देते हैं !
हम लोग बात करते करते घर पहुँच गए। वो बोली- सर कॉफी पी कर चले जाइयेगा !
मैंने कहा- नहीं देर हो गई है, किसी और दिन कॉफी पीने आ जाऊंगा !
मैंने बाय किया और कार स्टार्ट करने लगा तभी कार की बैटरी लो गई, कार स्टार्ट नहीं हो रही थी। काफी कोशिश के बाद भी स्टार्ट नहीं हो रही थी। इप्शिता वापस आई, बोली- सर, क्या हुआ?
मैंने कहा- शायद जो प्रॉब्लम आपकी गाड़ी में हुई वही मेरे भी गाड़ी में हो गई है !
सर, आप वापस कैसे जाओगे?
अब देखता हूँ, अगर कोई ऑटो मिल जायेगा तो उसी से चला जाऊंगा।
बारिश के कारण ऑटो भी नहीं मिल रही थी तो इप्शिता ने कहा- आप मेरे घर आ जाइए !
मैंने भी कहा- ठीक है शायद तब तक कुछ मैनेज हो जाए !
मैं इप्शिता के साथ उसके घर चला गया। घर पर उसकी मम्मी थी, इप्शिता ने अपने मम्मी को सारी बात बता दी। तब आंटी ने कहा- बेटा, तुम्हारे घर वाले परेशान हो जाएँगे, तुम उनको फ़ोन कर के बता दो !
तब मैंने कहा- आंटी, मैं यहाँ अकेले ही रहता हूँ !
आंटी ने कहा- ठीक है बेटा ! तुम फ्रेश हो जाओ ! मैं खाना लगा देती हूँ !
इप्शिता मुझे अपने कमरे में ले गई और अपने पापा की नाईट-ड्रेस और तौलिया दिया। मैं फ्रेश हो कर आ गया। हम तीनों ने खाना खाते-खाते काफी बातें की। तब मुझे यह भी पता चला कि इप्शिता के पापा ऑफिस के काम से कोलकाता गए हुए हैं और वो अगले दिन वापस आयेंगे। हम लोग खाना खाने के बाद टीवी देखने लगे। थोड़ी देर में आंटी बोली- मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रही हूँ, तुम लोग भी आराम कर लो !
मैंने कहा- ठीक है आंटी !
आंटी के जाने के बाद करीब तीस मिनट बाद हम लोग भी सोने की तैयारी करने लगे। मैंने पूछा- इप्शिता, यह कमरा आपका है क्या ?
वो बोली- हाँ सर ! यह कमरा मेरा है !
मैंने कहा- मैं यहाँ सो जाऊंगा तो आप कहाँ सोओगी?
वो बोली- मैं हाल में सो जाउंगी !
मैंने कहा- आप यहीं सो जाओ ! हाल में मैं सो जाऊंगा !
वो बोली- नहीं सर ! कोई प्रॉब्लम नहीं है ! आप यहीं सो जाओ !
ठीक है इप्शिता, जब तक नींद नहीं आती, हम लोग बात करें?
वो बोली- हाँ सर, ठीक है !
हम लोगों ने काफी बातें की। रात का करीब एक बज चुका था, मुझे लगा कि इप्शिता को नींद आ रही है, मैंने पूछा- इप्शिता, आपको तो नींद आ रही है !
वो बोली- हाँ सर ! नींद आने लगी है !
मैंने कहा- इप्शिता, आप मुझे सर-सर मत बोलो ! ऐसा लगता है कि मैं अभी भी ऑफिस में ही हूँ। मेरा नाम है स्वर्णिम ! आप मुझे मेरे नाम से बुला सकती हो !
ठीक है कोशिश करूँगी !
मैंने कहा- कोशिश नहीं ! बोलो !
यस ! ठीक ! स्वर्णिम अब मैं जा रही हूँ !
और वो चली गई। करीब 15 मिनट के बाद जब ओ वापस आई तो अपनी नाईट-ड्रेस में थी, वापस आकर बोली- स्वर्णिम ! मैंने तो गुड नाईट कहा ही नहीं था !
मैंने कहा- ओ हाँ ! मैंने भी तो नहीं कहा था !
इप्शिता बोली- गुड नाईट !
मैंने कहा- अगर बुरा नहीं मानो तो एक बात कहूँ?
वो बोली- नहीं मानूंगी स्वर्णिम ! बोलो !
मैंने कहा- आप इस ड्रेस में काफ़ी क्यूट दिख रही हो ! आपका कोई बॉय-फ्रेंड तो होगा ही !
इप्शिता काफी जोर से हंसने लगी, मैंने कहा- क्या हुआ ? मैंने कोई चुटकला तो नहीं सुनाया !
वो बोली- नहीं ! ऐसी बात नहीं ! मैं जहाँ भी गई, किसी न किसी ने मुझे प्रपोज़ किया- स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सभी जगह ! पर मुझे यह सब बिलकुल भी पसंद नहीं है ! मेरा मानना है कि यह सब टाइम पास करने के लिए होता है !
इप्शिता ने कहा- स्वर्णिम, तुम ने कभी किसी को प्यार किया है ?
मैंने कहा- हाँ मैंने प्यार किया है और उसी से शादी भी करूँगा !
ओ सॉरी ! मैंने शायद कुछ गलत कह दिया ! इप्शिता ने कहा।
मैंने कहा- नहीं इप्शिता, तुमने जो महसूस किया वही तो कह रही हो !
मैंने कहा- इप्शिता तुम बहुत खूबसूरत हो ! जिसे तुम मिल जाओगी, वो कभी भी किसी और के पास नहीं जायेगा !
इप्शिता ने कहा- ऐसी क्या चीज़ है मुझ में ?
मैंने कहा- सभी चीज़ है इप्शिता ! तुम्हारा व्यव्हार, तुम्हारी खूबसूरती !
इप्शिता ने पूछा- स्वर्णिम, तुम्हें क्या-क्या अच्छा लगा मुझ में?
मैंने कहा- सभी चीज़ इप्शिता !
इतना कह कर मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। इप्शिता कुछ नहीं बोली। धीरे-धीरे मैं उसके हाथ को दबाने लगा। जैसे ही मैंने इप्शिता को छुआ उसकी सांसें तेज़ होने लगी और कांपने लगी। मैं धीरे से उसके बालों को सहलाने लगा। वो कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थी।
तभी उसने कहा- स्वर्णिम, काफी अच्छा लग रहा है ! ऐसे ही करते रहो !
मुझे लगा कि शायद इप्शिता गरम होने लगी है, मैं धीरे से अपने हाथ उसकी चूची की तरफ ले गया और सहलाने लगा। उसे काफी अच्छा लगने लगा। ऐसे करीब दस मिनट तक करता रहा और एकाएक सब कुछ करना छोड़ दिया।
इप्शिता बोली- क्या हुआ स्वर्णिम?
मैंने कहा- इप्शिता, शायद हम लोग गलत कर रहे हैं !
तो इप्शिता ने कहा- स्वर्णिम, मैं अपनी इच्छा से कर रही हूँ, तुम जबरदस्ती तो नहीं कर रहे हो !
मैंने कहा- इप्शिता, इसके पहले कभी तुमने किसी के साथ सेक्स किया है?
वो बोली- स्वर्णिम, अभी तक किसी लड़के ने मुझे छुआ तक नहीं ! सेक्स तो बहुत दूर की बात है !
मैंने कहा- इप्शिता, तुम क्या मेरे साथ कम्प्लीट सेक्स करोगी?
वो बोली- नहीं स्वर्णिम ! एक लिमिट तक !
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! ठीक है !
इप्शिता उठी, कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया और आकर मुझसे लिपट गई। उसकी चूची मेरे सीने से दबने से मेरा लंड जागने लगा। मैंने भी इप्शिता को चूमना शुरु किया। काफी लम्बा चुम्बन उसके होंठों पर लिया, साथ में उसकी चूची दबाने लगा। मैं मन ही मन सोच रहा था कि ऐसी हसीना मेरे बाहों में होगी, वो भी कंवारी ! सोचा न था !
इप्शिता के वक्ष का आकार काफी अच्छा था। चूची भी एकदम टाइट !
होंठों पर चुम्बन के साथ जब मैं उसके स्तन मसल रहा था तो उसके मुँह से आहऽऽ ऊउईऽ औऽऽ आह की आवाज़ आ रही थी।
मैं फिर उसके नाईट ड्रेस के टॉप का बटन खोलने लगा, इप्शिता ने मना नहीं किया। टॉप खोलकर देखा तो अन्दर काले रंग की ब्रा पहने हुई थी। मैंने उसको भी खोल दिया। अब वो ऊपर से बिल्कुल नंगी थी। फिर मैं उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। इप्शिता को काफी मज़ा आ रहा था, उसके मुँह से आह ऊई ऊउम्ह हाह ऊउफ आह की आवाज़ आने लगी थी।
तभी मैंने कहा- इप्शिता और कुछ करूँ?
तो वो बोली- स्वर्णिम, मुझे नहीं पता था कि यह सब करने से इतना अच्छा लगता है ! अब तुम जो करना चाहते हो कर सकते हो, मैं अब रोकूँगी नहीं ! और तुम रुकना मत !
मैंने कहा- ठीक है स्वीट हार्ट !
मैंने उसको बिलकुल नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। जब मैं नंगा हो रहा था तो उसकी आँखें बंद थी क्योंकि उस समय मैं उसकी चूची लगातार दबा रहा था। थोड़ी देर के बाद जब मैंने उसके हाथों में अपने लंड पकड़ाया तो वो एकदम से घबरा गई, बोली- स्वर्णिम, स्वीट हार्ट ! यह इतना बड़ा?
तब तक मेरा लंड पूरे आकार में आ चुका था। मैंने कहा- एश ! स्वीट हार्ट ! अब मेरा लंड लेकर इसको चूसो !
वो भोली भाली लड़की कुछ नहीं जानती थी, वो कुछ बोली नहीं !
मैंने कहा- यह सब कुछ करना होता है सेक्स में !
पहले तो नहीं मान रही थी, फिर धीरे-धीरे मान गई। उसके मुँह में पूरा लंड जा ही नहीं रहा था, न वो ठीक से चूस पा रही थी। फिर मैंने इप्शिता को कहा- इसको लॉलीपोप की तरह चूस !
फिर वो लंड को लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। इप्शिता के मुँह की गर्मी से मेरा लंड और बड़ा होता जा रहा था। दस मिनट चूसने के बाद मैंने अपने वीर्य उसके मुँह में ही डाल दिया। वो कुछ नहीं बोली क्योंकि वो पूरे जोश में आ चुकी थी।
फिर धीरे धीरे उसने मेरा लंड फिर खड़ा किया। फिर हम लोग 69 की पोज़ीशन में आ गए। मैंने उसकी बूर को चूसना और चाटना शुरु किया और उसने मेरा लंड !
इस तरह हम लोग काफ़ी देर तक एक दूसरे का लंड-बूर चूसते रहे।
अब बारी आई चुदाई की !
मैंने कहा- इप्शिता, मुझे तुम्हारी बूर में लंड डालना है !
इप्शिता बोली- स्वर्णिम, तुम्हारा लंड इतना बड़ा है और मेरी बूर इतनी छोटी है ! कैसे जायेगा ?
मैंने कहा- इप्शिता, पहले-पहले दुखेगा ! फिर मज़ा आएगा !
वो बोली- ठीक है स्वर्णिम ! प्लीज़, धीरे-धीरे चोदना !
मैंने अभी दो इन्च ही अन्दर डाला होगा, वो चिल्लाने लगी- नहीं नहीं स्वर्णिम ! बाहर निकालो लंड ! और नहीं सहा जाता !
मैंने कहा- ठीक है इप्शिता !
मैंने लंड बाहर नहीं निकाला और बोला- मैं थोड़ी देर रुकता हूँ !
उसकी आँख से आँसू निकल रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद धीरे धीरे इप्शिता के बूर में लंड डालने लगा। मैंने जब ध्यान से देखा तो खून आ रहा था। मैं समझ गया कि इप्शिता की सील मैंने ही तोड़ी है और वो जो कुछ भी बोल रही थी, सच बोल रही थी।
फिर मैंने चोदना जारी रखा। अब इप्शिता को भी मज़ा आने लगा। धीरे-धीरे मैंने स्पीड बढ़ा दी। इप्शिता के मुँह से जोर-जोर से आवाज़ आने लगी- आह ऊई ऊउम्ह औच आही अहह और जोर जोर से डाल लंड स्वर्णिम ! बहुत अच्छा लग रहा है !
मैंने और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया। फिर हम लोग करीब बीस मिनट के बाद झड़ गए। मैंने अपना वीर्य उसके अन्दर उसकी बूर में ही डाल दिया और इस तरह मैंने इप्शिता की रात भर छः बार चुदाई की।
और जब मैं सुबह को जगा तो आठ बज चुके थे।
इप्शिता नहा-धोकर तैयार होकर चाय लेकर मेरे पास आई और बोली- स्वर्णिम स्वीट हार्ट ! गुड मोर्निंग !
मैंने कहा- आंटी कहाँ हैं?
इप्शिता बोली- मंदिर गई हैं !
मैंने कहा- इप्शिता जानू आओ न ! मेरा लंड चूसो !
वो बोली- स्वर्णिम, मम्मी आ जाएंगी ! बाहर का गेट तो बंद है न ? जब आएंगी तो पता चल जायेगा !
वो बोली- ठीक है !
फिर मैंने अपना लंड उसको पकड़ा दिया और वो लंड चूसने लगी। बीस मिनट तक चूसने के बाद फिर वीर्य मैंने उसके मुँह में ही गिरा दिया।
फिर नहा धोकर वापस चला गया।
दोस्तो, यह कोई कहानी नहीं ! यह मेरे साथ हुआ सच्चा वाकया है। इसके बाद अब हम लोग अक्सर मिलते हैं और जब कभी भी मिलते हैं तो चुदाई जरुर करते हैं।
मेरी यह सच्ची घटना कैसी लगी, जरुर बताइएगा।[/size]
Re: Aunty Sex Stories Collection
मलयालम आँटी - Malayalam Aanti
हाय ! मैं सोनू कुमार एक बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।
एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?
मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?
आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।
मैंने कहा - ओ के।
आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।
आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो... अन्दर सारी सहूलियत है...
मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।
आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।
मेरा ध्यान तो उन पर लगा था .... और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !
तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !
उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।
उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।
मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।
कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !
उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।
मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।
फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।
वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।
पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !
उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- सोनू मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !
मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
"तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…"
"मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…"
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।
और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।
हाय ! मैं सोनू कुमार एक बार फिर आप लोगों को अपनी एक सत्य कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, हमारी किताबों की दुकान थी और एक आँटी उम्र में लगभग 25-27 की, जब भी वो मुझे अकेले दुकान में देखती थी, वो मुझे सच्चे किस्से, मनोहर कहानियाँ जैसी किताबें दिखाने को कहती थी। आँटी का नाम रमणी था और वो मलयालम थी, उनकी तब तक शादी भी नहीं हुई थी, वो स्टेट बैंक में काम करती थी। वो हमेशा मेरे साथ मजाक कर लिया करती थी और मैं जब भी उन्हें आँटी कहता था वो कुछ नाराज़ सी हो जाती थी।
एक दिन आंटी ने मुझे अपने घर आने को कहा। रविवार का दिन था, मैं आँटी के घर पहुँच गया। मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई तो आँटी ने दरवाज़ा खोला, मुझे देख कर कहा- अरे संजय तुम कब आए?
मैंने कहा- बस आँटी, अभी अभी आया हूँ, क्या घर में कोई नहीं है?
आँटी ने कहा- क्यों नहीं ! मैं और तुम तो हैं, आओ, अन्दर आ जाओ।
मैंने कहा - ओ के।
आँटी ने एक मैक्सी पहनी हुई थी।
आँटी ने कहा- संजय तुम चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो... अन्दर सारी सहूलियत है...
मैं नहा कर आ गया फिर आँटी ने कहा- संजय मैं भी नहा कर आती हूँ, फिर खाना खायेंगे।
आँटी नहा कर आ गई और आँटी ने जानबूझ कर मेरे सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर मैं आँटी की तरफ़ चोर नज़र से देख रहा था। आँटी ने मेरी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया और एक हल्का सा टॉप डाल लिया। आँटी नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। आँटी ने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और आँटी एकाएक नंगी हो गई। आईने में आँटी ने देखा तो मुझे उनकी ओर देखता पाया, उसने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
आँटी ने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मेरी नजरें बदल रही थी उन्हें निहार रहा था।
मेरा ध्यान तो उन पर लगा था .... और उनका ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
उसने बातचीत शुरू की, उसने हालचाल पूछा, फिर वो पूछने लगी कि तुम हर समय मुझे देखते क्यों रहते हो?
मैंने कहा- यह बात आप अपने आप से पूछो !
तभी वो कहने लगी- सर दर्द हो रहा है।
मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसको आग्रह किया कि अगर आप बुरा ना माने तो मैं आपके माथे पर थोड़ा बाम लगा देता हूं, आप मेरे गोद पर सर रख लीजिये !
उसने इनकार नहीं किया। मैंने थोड़ा बाम हाथ में लिया और धीरे धीरे उसके सर पर लगा कर सहलाना चालू किया। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी।
मैं मौके को भाँपते हुए बिस्तर के ऊपर बैठ गया, मुझे यह पता करना था कि आग दोनो तरफ है या एक तरफ?
उसने देखते ही देखते उठ कर मुझे पकड़ा और अपने साथ बराबर में मुझे ले कर लेट गई और कहने लगी- जो भी चाहते हो कर लो ! सब तुम्हारा है। हम दोनों ही प्यासे हैं ! आज जी भर के हमें प्यार करो, हम बहुत प्यासे हैं।
उसने मुझे नंगा कर दिया और अपने कपड़े भी उतार कर फेंक दिए और फिर उसने अपनी टांगें फैला कर इशारा किया कि आज इसकी प्यास मिटा दो।
मैंने उस पर लेट के उसको होटों को चूमना चालू किया। फ़िर मैं उसके चूचुक को मुँह में लेकर चूसने लगा, जैसे उसको कुछ होने लगा। वो मस्त हो के उछलने लगी। मैंने उसकी निपल को अपने दोनों दांतों के बीच दबा के जोर से चूसना चालू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरे स्तन को जोर से दबाने लगा।
मैं हब्शी की तरह उन पर टूट पड़ा, ऐसे जैसे कि किसी ने बरसों से खाना ना खाया हो। उनके स्तनों को मैं इतने ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था कि वो बुरी तरह काम्प रही थी।
कभी स्तनों को पीता तो कभी उनके होंठों को चूसता और दूसरे हाथ से स्तनों को मसल रहा था। मैं उनके स्तन को पूरा अपने मुँह में भर लेना चाहता था पर मेरी किस्मत ! स्तन बड़े थे और मेरा मुँह छोटा। पर कोई बात नहीं !
उसने मेरे लण्ड को, जो तन कर मोटा हो गया था, पकड़ लिया। वो हाथ में लेते ही बोली- ये तो बहुत बड़ा है मैं तो मर ही जाऊंगी, उसको बुरी तरह चूसना चालू कर दिया। वो मेरे लंड महाराज को इस तरह चूस रही थी मानो जन्मों-२ से प्यासी हो !
फ़िर मैंने उसकी पेंटी निकाली तो वो पूरी तरह भीग चुकी थी। मैंने उसकी चूत में हाथ घुमाना चालू किया वो अपने आप से बाहर हो गई थी।
मैंने उनके चूत पे अपना मुंह रख के उसमें अपनी जीभ रख दी तो वो मचल उठी और चिल्ला पड़ी- मर गई मेरे राजा।
फ़िर क्या था, मैंने आँटी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया ! लग रहा था कि मानो वो होंठ नहीं गुलाब की पंखुड़ियाँ हों। धीरे धीरे मेरा लण्ड मिनार की तरह खड़ा हो गया।
फ़िर मैंने उनके मुँह में अपना प्यारा और सेक्सी लण्ड रख दिया और 69 की अवस्था में हो गया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं उनकी चूत इतने प्यार से चूस रहा था कि उसके एक बार तो निकल भी गया।
उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और बेशर्मी से अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिये।
वो मुझसे बोली- अब और मत सताओ और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
मैं अभी और मजा लेना चाहता था पर उसके बार बार कहने पर मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ गया। मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर उठाई मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख थोड़ा जोर लगाया। पर चूत टाइट होने के कारण अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अबकी बार थोड़ा सैट करके जोर लगा तो मेरा लंड थोड़ा अन्दर चला गया।
पर वो चिल्लाई- प्लीज, आराम से करो ! दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- ठीक है ! पर थोड़ा तो सहना पड़ेगा !
उसने गर्दन हिलाई। मैंने उसकी टांगों थोड़ा और ऊपर उठा कर जोर लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया। मैंने फ़िर से धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए।
वो बोले जा रही थी- प्लीज आराम से करो, दर्द हो रहा है।
पर मैं अपनी मस्ती में धक्के लगा रहा था। अब वो भी मेरा साथ दे रही थी, बोल रही थी- सोनू मेरी चूत को जरा और जोर से चोदो !
मैने अपने धक्के लगा कर चूत की गहराई तक अपना लण्ड गड़ा दिया। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने हाथों से शरीर को ऊंचा उठा लिया। मुझे लण्ड और चूत को फ़्री करके तेजी से धक्के लगाना अच्छा लगता है। अब मेरी बारी थी तेजी दिखाने की। जैसे ही मैने अपना पिस्टन चलाना चालू किया वो भी बड़े जोश से उतनी ही तेजी से अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर साथ देने लगी।
"तू तो गजब का चोदता है रे… मुझे तू ही रोज़ चोद जाया कर…"
"मत बोलो कुछ भी…… मुझे बस चोदने दो… हाय रे…कितना मजा आ रहा है…"
और वो झड़ने लगी। मैने भी लण्ड अब उसके भोंसड़े में जोर से गड़ा दिया। और जोर लगाता रहा…दबाव से मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मेरा लण्ड झटके मार मार कर वीर्य उसके चूत में छोड़ रहा था, मुझे अपनी टांगों के बीच मुझे जकड़ लिया था। दोनो का रस एक साथ ही निकल रहा था। मैं उसके ऊपर गिर पड़ा उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर लिया। हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहे फिर अलग हो गए।
और इस तरह उस दिन हमने चार बार मजा लिया। फिर उसने मुझे प्यार से गले लगा कर विदा किया।
इसके बाद उसने मुझे सात आठ बार बुलाया। जिसके लिए वो मेरा अहसान मानती है।