मेरी आशिकी - Hindi Love romance long story

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sexy
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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:01

” अंजली बात सिर्फ पैसोकी नही है … कमसे कम मुझे लगता है की उसे यूही छोड देना कुछ उचित नही होगा. .. वैसे अबभी देरी नही हूई है… अब अगर हमने उसे पकडनेकी कोशिश की तो कैसा रहेगा?…” विवेकने सवाल खडा किया और वह इन्सपेक्टरकी प्रतिक्रिया परखनेके लिए उनकी तरफ देखने लगा. इन्स्पेक्टरने सोचते हूए कमरेकी छतकी तरफ देखा और वे कुछ बोलनेही वाले थे तभी शरवरी बिचमेंही बोली.

” लेकिन हमे ना उसका नाम पता है … ना उसका पता… वह क्या करता है यहभी हमे पता नही है … फिर अगर हमने उसे पकडनेकीभी ठान ली तो उसे पकडेंगे कैसे ? …” शरवरीने अपनी आशंका जाहिर की.

अंजलीने शरवरीकी तरफ देखकर मानो उसके बातको मुक संमती दर्शाई.

” इतके दिन हम उसे पकडनेकी कोशीश कर रहे थे…. वे सब कोशिशें एकदम खाली गई ऐसा कहना कुछ उचित नही होगा … क्योंकी अबभी अपनेपास कुछ क्लूज है … एक तो उस ब्लॅकमेलरका हॅंन्ड रायटींग जो हमें सायबर कॅफेके लॉगबुकसे मिला…. दुसरा उसके फिंगर प्रिन्टस जो हमें सायबर कॅफेसेही मिले और तिसरा … यह फोटोग्राफस देखो … ” इन्स्पेक्टर कंवलजीत बोल रहे थे.

अबभी ब्लॅकमेलरको पकडनेकी विवेककी तिव्र इच्छा देखकर मानो इन्स्पेक्टरके शरीरमें फुर्ती दौड रही थी. वे अपने जेबसे दो फोटोग्राफ्स निकालकर वहा इकठ्ठा हूए लोगोंको दिखाकर आगे बोले,

” यह फोटोग्राफ्स उस सायबर कॅफेमें मिले कॉम्प्यूटरके है, जहां फोटोग्राफ लेनेके थोडीही देर पहले ब्लकमेलर बैठा हुवा था .. इस फोटोग्राफ्सकी तरफ थोडा गौरसे देखो … देखो कुछ खयालमें आता है क्या ?” इन्सपेक्टरने वे फोटो सबको देखनेके लिए आगे खिसकाए.

सब लोगोंने वह फोटोग्राफ्स एक एक करके देखे. लेकिन किसीकोभी उन फोटोग्राफ्समें कुछ अलग महसूस नही हुवा. तभी विवेक वे फोटोग्राफ्स देखते हूए मंद मंद मुस्कराया.

” क्या हुवा ?” अंजलीने पुछा.

” जरा देखोतो… गौरसे देखो … इस फोटोग्राफ्समें कॉम्प्यूटरका माऊस कॉम्प्यूटरके बाए तरफ की बजाय दाई तरफ रखा हुवा दिख रहा है …” विवेकने कहा.

” यस यू आर ऍब्सुलेटली राईट” इन्स्पेक्टरने उत्साहभरे स्वरमें कहा.

अब अंजलीभी मंद मंद मुस्कुराने लगी.

” लेकिन इसका क्या मतलब है ?” शरवरी अबभी संभ्रममें थी.

”… इसका एकही मतलब निकलता है की वह ब्लकमेलर लेफ्ट हॅन्डेड है … ” इन्स्पेक्टरने कहा.

” यस दॅट्स राईट ” अब कहा शरवरीभी मुस्कुराने लगी थी.

तभी कॉन्फरंस रुममें रखे हूए फोनची घंटी बजी. फोन अंजलीके बगलमेंही रखा हूवा था. उसने फोन उठाया,

” हॅलो”

” गुड मॉर्निंग अंजली … ” उधरसे नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयां बोल रहे थे.

” गुड मॉर्निंग भाटीयाजी…” अंजलीने उतनीही सरगर्मीसे उनका स्वागत किया, ” बोलीए क्या कहते हो ?”

” हमारे यहा हमने एक नेटवर्किंग सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट रखी थी … कॉन्टेस्टचा टॉपीक है इथीकल हॅकींग… उस कॉन्टेस्टमें प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन आपके हाथसेही हो ऐसी हमारी इच्छा है … ” उधरसे भाटीयाजी मानो अपना हक जताते हूए बोले.

” आपने बुलाया और हम नही आए ऐसा कभी होगा क्या भाटीयाजी … मै जरुर आऊंगी … प्राईज डिस्ट्रीब्यूशन कब है ?… ” अंजलीने पुछा.

” पुरा प्रोग्रॅम अभी फायनल होनेका है … वैसे वह प्रोग्रॅम टेंटीटीव्हली समव्हेअर अराऊंड धीस मंथ होगा … पुरा प्रोग्रॅम फायनल होतेही आपको वैसे डीटेलमें बताया जाएगा … ” उधरसे भाटीयाजी बोले.

” नो प्रॉब्लेम”

” थॅंक्स”

” मेन्शन नॉट”

” ओके बाय… सीयू”

” बाय”

अंजलीने फोन क्रॅडल वापस रखा और उसने वहा बैठे सब लोगोंपर अपनी नजर घुमाई. उसके चेहरेपर फिरसे मुस्कुराहट दिखने लगी थी.

” मेरे दिमागमें एक आयडीया आया है … अभी नेट सेक्यूराके मॅनेजींग डायरेक्टर मि. भाटीयाजींका फोन था … इथीकल हॅकींगपर वे एक सॉफ्टवेअर डेव्हलपमेंट कॉन्टेस्ट ले रहे है … मुझे यकिन है की अगर इस कॉन्टेस्ट का प्रचार बडे पैमानेपर अगर किया गया और उस कॉन्टेस्ट जितनेवालोंको अगर बडे बडे प्राईजेस रखे गए … तो वह ब्लॅकमेलर इस प्रतियोगीतामें जरुर हिस्सा लेगा …” अंजलीने कहा.

” लेकिन तुम यह सब इतने यकिनके साथ कैसे कह सकती हो ?” विवेकने आशंका जताई.

” पुरे यकिनके साथतो नही… फिरभी … क्रिमीनल सायकॉलॉजीके अनुसार… वह ब्लॅकमेलर अभी अपना आत्वविश्वास और गर्वमें पुरी तरह चुर है … उसतक अगर यह कॉन्टेस्टकी बात पहूचाई गई तो वह उसमें जरुर हिस्सा लेगा … ” इन्स्पेक्टरने अपना अंदाजा लगाया.

सुबह सुबह ऑफीसमें आए बराबर अंजली अपने काममें व्यस्त हो गई. तभी शरवरी कॅबिनमें आ गई.

” प्रतियोगीता कब कलसे शुरु होनेवाली है ना? ” अंजलीने शरवरीसे पुछा.

” हां” शरवरीने एक फाईल ढुंढते हूए जवाब दिया.

” कितने लोगोंके अप्लीकेशन्स आए है ?” अंजलीने पुछा.

” लगभग तिन हजार” शरवरीने उत्तर दिया.

” ओ माय गॉड … इतने लोगोंमें उस ब्लॅकमेलरको ढुंढना यानी … पहाड खोदकर चुहा निकालने जैसा होगा… और वहभी अगर वह इस प्रतियोगीतामें शामील हुवा तो?… नही?” अंजलीने पुछा.

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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:01

” हां कठिण तो है ही ” शरवरी एक फाईल लेकर शरवरीके सामने आकर बैठते हूए बोली.

तभी अंजलीका फोन बजा. अंजलीने फोन उठाकर अपने कानको लगाया,

” अंजली… मै इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहा हूं ..” उधरसे आवाज आया.

” मॉर्निंग अंकल….”

” मॉर्निंग … तुम्हे पता तो होगाही की प्रतियोगिताके लिए 3123 अप्लीकेशन्स आए है … उसमें हमने जो लेफ्ट हॅन्डेड और राईट हॅन्डेड जानकारी मंगवाई थी … उसके अनुसार जो लेफ्ट हॅन्डेड लोगोंके है वे 32 अप्लीकेशन्स अलग किए हूए है…. उसमेसें एक लडकेका हॅन्डरायटींग हुबहु मॅच हो रहा है … उसका नाम है अतूल विश्वास… ” उधरसे इन्स्पेक्टरने जानकारी दी.

” गुड व्हेरी गुड… ” अंजली एकदम खुश होते हूए बोली, ” थॅंक्यू अंकल… मै आपके उपकार किस तरह उतार सकुंगी… मुझे तो कुछ समझमें नही आ रहा है …” अंजली खुशीके मारे बोली.

” इतने जल्दी इतना खुश होकर नही चलेगा … अभी तो सिर्फ शुरुवात है … उसे कानुकके शिकंजेमें पकडनेके लिए हमे और काफी मेहनत करनी पडेगी ..” इन्स्पेक्टरने कहा.

” क्यों? … अभी तुरंत हम उसे नही पकड पाएंगे ?” अंजलीने निराश होकर पुछा.

” नही अभी नही … आगे तो सुनो … हमने अभी उसका फोन टॅप करना शुरु किया है .. ताकी उसके और कोई साथीदार होंगे तो उसे हम पकड पाएंगे … और सारे सबुत इकठ्ठा होतेही उसे अरेस्ट करेंगे .. ” इन्स्पेक्टर कंवलजितने कहा.

अंजलीका तो मानो खुन खौल रहा था. उस ब्लॅकमेलरको कब एक बार पकडकर उसे सजा दी जाए ऐसा उसे हो रहा था. उसे फिलहाल वह कुछभी नही कर सकती इस बातका दुख हो रहा था.

लेकिन नही…

मै कुछ तो करही सकती हूं …

यह खबर अगर विवेकको दी जाए तो…..

यह खबर सुनतेही वह कितना खुश हो जाएगा …

उसने फोनका क्रेडल उठाया और वह एक नंबर डायल करने लगी.

पोलिस स्टेशनमें इन्स्पेक्टर कंवलजितके सामने एक पुलिस बैठा हुवा था.

” सर हमने अतुल बिश्वासके सारे फोन कॉल्स टॅप किए है … उनमेंसे यह एक महत्वपुर्ण लगा ..” वह पुलिस सामने रखा टेपरेकॉर्डर शुरु करते हूए बोला.

टेपरेकॉर्डर शुरु हो गया और उसमेंसे वह टेप किया हुवा फोन कॉल सुनाई देने लगा.-

” अलेक्स… मुझे वहां आनेके लिए 7-8 दिन लगेंगे … पैसे संभालकर रखना … मै वहां पहूचनेके बाद हम उसे बाट लेंगे .. ” अतुलने कहा.

” ठिक है .. ” अलेक्सने कहा.

” और हां … अपने कॉम्प्यूटरको पुरी तरहसे फॉरमॅट करना… उसमें कुछभी बाकी रहना नही चाहिए … ”

” ठिक है … तूम इधरकी बिलकुल चिंता मत करो… मै सब संभाल लूंगा ..”

” ओके देन … बाय”

” बाय .. ”

इन्स्पेक्टर कंवलजितने वह संवाद रिवाईंड कर फिरसे बार बार सुना. और फिर वे एक इरादेके साथ खडे होते हूए उस पुलिससे बोले,

”चलो ”

इन्सपेक्टरने भलेही सिर्फ एकही शब्द कहा था, फिरभी वह इशारा उस पुलिसको काफी था. इन्स्पेक्टर आगे आगे और वह पुलिस उनके पिछे पिछे चलने लगे.

रातका समय था. एक अंधेरे कमरेमें अलेक्स कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर कुछ कर रहा था. कमरेमें जोभी कुछ उजाला था वह उस मॉनिटरकाही था. उस मॉनिटरके रोशनीमें अलेक्सका भद्दा चेहरा और ही भयानक दिख रहा था. तभी दरवाजेपर दस्तक हूई. अलेक्स उठ खडा हूवा,

लगता है आगए साले बेवडे…

उसने सोचा. यह उसके रातमें इकठ्ठा होनेवाले दोस्तोंके आनेका वक्त था. वे इकठ्ठा होकर देर रात तक पिते थे और गप्पे मारते बैठते थे. और इतनेमें उसके पास पैसा आनेसे उसके यहां आनेवाले दोस्तोंकी गिनती बढती जा रही थी.

” कोण है बे?” मस्तीमें बोलते हूए उसने दरवाजा खोला.

और उसके चेहरेका रंग फिका पड गया. उसके चेहरेकी मस्ती पुरी तरहसे उड गई थी. उसके सामने दरवाजेमें इन्स्पेक्टर कंवलजीत और और पांच छे पुलिस खडे थे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे. वह कुछ सोचे और कुछ हरकत करे इसके पहलेही पुलिसने उसे दबोचकर अरेस्ट किया.

” मैने क्या किया ?” अलेक्स अपने चेहरेपर मासुमियतके भाव लाकर बोला.

कोई कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रहा है यह देखकर वह फिरसे बोला,

” मुझे क्यों अरेस्ट किया गया … कुछ तो कहोगे ?”

फिरभी कोई कुछ नही बोला.

” ऐसे आप कुछभी गलती ना होते हूए किसीको अरेस्ट नही कर सकते … यह कानुनन अपराध है ” वह अपनी आवाज बढाकर बोला.

फिरभी कोई कुछ बोलनेके लिए तैयार नही था, यह देखते हूए वह चिढकर चिल्लाया,

” मुझे क्यो अरेस्ट किया गया है ?”

” पता चलेगा… जल्दीही पता चलेगा ” इन्सपेक्टरका एक साथी ताना मारते हूए धीमे स्वरमें बोला.

अब कंधा उचकाकर, चेहरेपर जितने हो सकते है उतने मासुमियतके भाव लाकर, वह उनकी हरकते निहारने लगा. एक बलवान पुलिस उसके हाथोमें हथकडीयां पहनाकर उसे घरके अंदर ले गया. बाकी सारे पुलिस घरमें सब तरफ फैलकर घरकी तलाशी लेने लगे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे, वे कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट थे. उन्होने तुरंत कॉम्प्यूटरपर कब्जा किया. कॉम्प्यूटर शुरुही था इसलिए अपराधीसे पासवर्ड हासिल करना या उस कॉम्प्यूटरका पासवर्ड ब्रेक करना, यह सब टल गया था. पुलिसकी टीम पुरे घरकी और आसपासकी तलाशी लेते हूए जब कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द इकठ्ठा हो गई, तब कॉम्प्यूटरपर बैठे एक्सपर्टमेंसे एकने इन्स्पेक्टर कंवलजितसे कहा,

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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:01

” सर इसमें तो कुछभी नही है ”

” घरमेंभी कुछ नही मिल रहा है ” टीममेंसे एकने जोड दिया.

” कुछ होगा तो मिलेगा ना … मुझे लगता है आप लोग गलत घरमें घुस गए हो ” अलेक्सने बिचमेंही कहा.

” ठिकसे देखो .. उसने अगर हार्डडिस्क फॉरमॅट की हो तो अपने रिकव्हरी टूल्स रन करो ” इन्सपेक्टरने कहा.

” यस सर” कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट बोला.

टिममेंसे कुछ पुलिस अबभी घरमें सामान उलट पुलटकर देख रहे थे. तभी एक पुलिस वहा इन्सपेक्टरके पास एक बॅग लेकर आया. उसने बॅग खोली तो अंदर कपडे थे. उसने कपडेभी बाहर निकालकर देखा, लेकिन अंदर कुछभी नही था.

” देखो … घरका कोना कोना छान मारो …” इन्स्पपेक्टर उन्हे मायूस हुवा देखकर उनका हौसला बढानेके उद्देशसे बोला.

” यस सर” उस पुलिसने कहा और फिरसे घरमें ढुंढने लगा.

तभी कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टका उत्साहीत स्वर गुंजा ” सर मिल गया ”

सारे लोग अपने अपने काम छोडकर कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द जमा हो गए. और वे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ बडी आस लेकर देखने लगे. उनमेंसे सिनियर कॉम्प्यूटर एक्सपर्टने कॉम्प्यूटरपर एक फाईल खोली. शायद उसने वह रिकव्हरी टूल्सका इस्तेमाल कर रिकव्हर की होगी. वह फाईल यानी ब्लॅकमेलरने पहले मेलमें अंजलीको भेजा हुवा अंजली और विवेकके प्रणयका फोटो था. इन्सपेक्टरने अब गुस्सेसे मासूम बननेकी कोशीश कर रहे अलेक्सकी तरफ देखा. अलेक्सके चेहरेसे मासूमियतभरे भाव कबके उड चुके थे. उसने अपनी गर्दन झुकाई थी. इन्स्पेक्टरने अपने साथीसे इशारा करतेही वह पुलिस अरेस्ट किए हुए अलेक्सको बाहर ले गया. अलेक्स चुपचाप कुछभी प्रतिकार ना करते हूए उस पुलिसके पिछे पिछे चलने लगा.

अलेक्सको उस पुलिसने वहांसे बाहर ले जातेही, इन्स्पेक्टर कंवलजितने अपना मोबाईल लगाया –

” अंजली गुड न्यूज… ”

पुरी कहानी सुनाकर इन्स्पेक्टरने एक लंबी सांस ली. स्टेजपर इन्स्पेक्टर कंवलजित, अंजली, नेट सेक्यूराके डायरेक्टर और ऍन्कर खडे थे. पुरी कहानी खत्म होगई थी, फिरभी लोग अभीभी शांत थे. हॉलमें मानो शमशानसी चुप्पी फैली हुई थी. तभी अंजलीको हॉलके पिछले हिस्सेमें विवेक खडा हुवा दिखाई दिया. अंजलीने हात हिलाकर उसे स्टेजपर बुलाया. विवेकभी लगभग दौडते हूएही स्टेजपर गया. अंजलीने उसका हाथ अपने हाथमें लेकर उसे अपने पास खडा किया. अबतक जो सब लोग शांत थे वे अब तालियां बजाने लगे. और तालियाभी इतनी की मानो उन्होने सारा हॉल सरपर लिया हो. तालियां रुकनेका नाम नही ले रही थी.

अबभी विवेकका हाथ अंजलीके हाथमें कसकर पकडा हुवा था. अंजलीने दुसरा हाथ दिखाकर लोगोंको शांत रहनेका इशारा किया और वह माईक हाथमें लेकर बोलने लगी –

” हमारा प्रेम… यां यू कहिए … हमारा इ – लव्ह … लगा था कमसे कम इसमें तो बाधाएं नही आयेंगी .. लेकिन ऐसा लगता है की प्यार की राहमें हमेशा बाधाए आती है …”

अंजलीने हॉलमें सब तरफ अपनी नजरे घुमाई और वह विवेकका हाथ और कसकर पकडते हूए आगे बोली, ” … लेकिन कुछभी हो … आखिर जित प्यारकीही होती है ”

लोगोंने तालिया बजाते हूए फिरसे पुरा हॉल मानो अपने सरपर उठा लिया.

अब विवेकने माईक अपने हाथमें लिया और लोगोंको शांत रहनेका इशारा करते हूए वह बोला,

“” हमारे दोनोके प्रेमकहानीसे आप लोग एक सिख जरुर ले सकते है की … ” एक क्षण स्तब्ध रहकर वह आगे बोला, ” की बुरेका अंत आखिर बुरेमेंही होता है …”

फिरसे लोगोंने तालियां बजाकर मानो उसके कहनेको अपनी सहमती दर्शाई. तभी एक कंपनीका आदमी स्टेजके पिछले हिस्सेसे स्टेजपर आ गया. उसकी चारो ओर घुमती हूई आंखे स्टेजपर किसीको ढूंढ रही थी. आखिर उसे कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाजी दिखतेही वह उनके पास गया और उनके कानमें कुछ बोलने लगा. वह जोभी बोल रहा था वह सुनकर भाटीयाजींके चेहरेपर अचानक हडबडाहट, आश्चर्य और डरके भाव दिखने लगे. उनके चेहरेपर वे भाव देखकर स्टेजपर उपस्थित बाकी लोगोंके चेहरेपरभी भाव बदल गए थे. स्टेजपर जो हल्का फुल्का खुशीका माहौल था वह एकदमसे तनावमें बदल गया था. उस कंपनीके आदमीने भाटीयाजीको सब बतानेके बाद भाटीयाजीने स्टेजपर इधर उधर देखा और वे इन्स्पेक्टर कंवलजितकी तरफ बढने लगे.

अब भाटीयाजी इन्स्पेक्टरके कानमें कुछ बोल रहे थे. इन्स्पेक्टरकीभी वही दशा हो गई थी. उनके चेहरेपरभी हडबडाहटभरे आश्चर्य और डरके भाव आगए थे. तबतक अंजली, विवेक और वह ऍन्करभी इन्स्पेक्टरके पास पहूंच गए.

” क्या हुवा ?” अंजलीने एकबार इन्स्पेक्टरकी तरफ तो दुसरी बार भाटीयाजीकी तरफ देखते हूए पुछा.

” जाते हूए वह अपना आखरी दांव खेल गया है ” इन्सपेक्टरने बताया.

” लेकिन क्या हुवा ?” विवेकने पुछा.

” थोडा खुलकर तो बताओ ?” अंजलीने भाटीयाजीकी तरफ देखते हूए पुछा.

” खुलकर बोलनेके लिए अब वक्त नही है … चलो मेरे साथ चलो ” भाटीयाजी अब जल्दी करते हूए बोले. और तेजीसे स्टेजके पिछले हिस्सेसे उतरकर उस कंपनीके आदमीके साथ अपने ऑफीसकी तरफ जाने लगे.

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