ट्यूशन का मजा compleet

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rajaarkey
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Re: ट्यूशन का मजा

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 14:46



पांच मिनिट सर मेरी गांड में उंगली करते रहे और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुंह चोदने की कोशिश करने लगा.

सर मेरे बाजू में लेट गये, उनकी उंगली बराबर मेरी गांड में चल रही थी. मेरे बाल चूम कर बोले "अब बता अनिल बेटे, जब औरत को प्यार करना हो तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं. है ना? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो तो क्या करते हैं?"

"सर ... लंड चूसकर प्यार करते हैं?" मैंने कहा.

"और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?" सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.

"सर, गांड में उंगली डालते हैं, जैसा मैंने किया था और आप कर रहे हैं"

"अरे वो आधा प्यार हुआ, करवाने वाले को मजा आता है. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?"

मैं समझ गया. हिचकता हुआ बोला "सर ... गांड में .... लंड डाल कर सर?"

"बहुत अच्छे मेरी जान. तू समझदार है. अब देख, तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है. अब अपने पास चूत तो है नहीं, पर ये जो गांड है वो चूत से ज्यादा सुख देती है. और चोदने वाले को भी जो आनद आता है वो .... बयान करना मुश्किल है बेटे. अब बोल, अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?"

"सर ... मेरी गांड में अपना लंड डाल कर .... ओह सर ..." मेरा लंड मस्ती में उछला क्योंकि सर ने अपनी उंगली सहसा मेरी गांड में गहराई तक उतार दी.

"सर दर्द होगा सर .... प्लीज़ सर " मैं मिन्नत करते हुए बोला. मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गये "तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है, है ना?"

"हां सर, आपका बहुत बड़ा है" मैंने झिझकते हुए कहा.

"अरे उसकी फ़िकर मत कर, ये तेल किस लिये है, आधी शीशी डाल दूंगा अंदर, फ़िर देखना ऐसे जायेगा जैसे मख्खन में छुरी. और तुझे मालूम नहीं है, ये गांड लचीली होती है, आराम से ले लेती है. और देख, मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था, नहीं तो और सख्त और बड़ा होता. अभी तो बस प्यार से खड़ा है, है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है."

मेरा मन ललचा गया. सर हंस कर बोले "मारना है मेरी? वैसे मैं तो इसलिये पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है, इस समय तुझे असली मजा आयेगा इस लेसन का. गांड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं. मैंने और मैडम ने तेरी बहन को कैसे मस्त किया था, समझा ना? लंड खड़ा है तेरा तो मरवाने में बड़ा मजा आयेगा तेरे को"

"हां सर." सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थि कि मेरा मन डोलने लगा " सर ... आप ... डाल दीजिये सर अंदर, मैं संभाल लूंगा"

"अभी ले मेरे राजा. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिये कि सर, मार लीजिये मेरी गांड!"

"हां सर .... मेरी गांड मारिये सर .... मुझे .... मुझे चोदिये सर जैसे आपने दीदी को चोदा था."

सर मुस्कराये "अब हुई ना बात. चल पलट जा, पहले तेल डाल दूं अंदर. तुझे मालूम है ना कि कार के एंजिन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलिंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले इसलिये तेल जरूरी है. अच्छा पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तो तेल लगा"

मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और चौधरी सर के लंड को चुपड़ने लगा. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था. तेल चुपड़ कर मैं पलट कर सो गया. डर भी लग रहा था. तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है. सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम खड़ा रहेगा पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था.

सर ने तेल में उंगली डुबो के मेरे गुदा को चिकना किया और एक उंगली अंदर बाहर की. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड फ़ैलाये और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गांड में अंदर डाल दी. मैं सर की ओर देखने लगा.

वे मुस्कराकर बोले "बेटे, अंदर तक तेल जाना जरूरी है. मैं तो भर देता हूं आधी शीशी अंदर जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो." वे शीशी से तेल कुप्पी के अंदर डालने लगे.

मुझे गांड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ. बड़ा अजीब सा पर मजेदार अनुभव था. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया "बड़ी टाइट गांड है रे तेरी, तेल धीरे धीरे अंदर जा रहा है"

rajaarkey
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Re: ट्यूशन का मजा

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 14:47



मैंने दूसरे कमरे में देखा. मैडम ने दीदी को गोद में बिठा लिया था और एक दूसरी की बुर में उंगली करते हुए वो दोनों बड़ी उत्सुकता से हमारी ओर देख रही थीं दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए मुंह बनाया कि अब देखना!

मेरी गांड से कुप्पी निकालकर सर ने फ़िर एक उंगली डाली और घुमा घुमाकर गहरे तक अंदर बाहर करने लगे. मैंने दांतों तले होंठ दबा लिये कि सिसकारी न निकल जाये. फ़िर सर ने दो उंगलियां डाली. इतना दर्द हुआ कि मैं चिहुक पड़ा.

"इतने में तू रिरियाने लगा तो आगे क्या करेगा? मुंह में कुछ ले ले जिससे चीख न निकल जाये. क्या लेगा बोल?" सर ने पूछा. मुझे समझ में नहीं आया कि क्या कहूं. मेरी नजर वहां पलंग के नीचे पड़ी सर की और मैडम की हवाई चप्पल पर गयी.

सर बोले "अच्छा ये बात है? शौकीन लगता है तू! कल से देख रहा हूं कि तेरी नजर बार बार मेरी और मैडम की चप्पलों पर जाती है. तुझे पसंद हैं क्या?"

मैं शरमाता हुआ बोला "हां सर, बहुत प्यारी सी हैं, नरम नरम."

"तो मेरी चप्पल ले ले, या मैडम की लूं?" सर ने पूछा.

"नहीं सर ... आपकी चलेगी" मैंने कहा.

चौधरी सर ने मुस्कराकर मैडम की एक चप्पल उठा ली "मैडम की ही ले ले, मुझे पता है कि तू कैसा दीवाना है इनका."

मैडम की चप्पल देख कर मेरे मुंह में पानी भर आया पर फ़िर मैंने सोचा कि ये ठीक नहीं है, सर से मरवा रहा हूं तो उन्हींके चरणों की चप्पल ज्यादा ठीक होगी. मैंने कहा "सर मैडम की बाद में ले लूंगा, मैडम की सेवा करूंगा तब, आज आप की ही चाहिये मुझे"

सर ने अपनी चप्पल उठाई और मेरे मुंह में दे दी. "ठीक से पकड़ ले, थोड़ी अंदर ले कर, मुंह भर ले, जब दर्द हो तो चबा लेना. ठीक है ना? तुझे शौक है इनका ये अच्छी बात है, मुंह में लेकर देख क्या लुत्फ़ आयेगा!"

मैंने मूंडी हिलाई और मैडम की हवाई चप्पल मुंह में ले ली. लंड तन्ना गया था, नरम नरम रबर की मुलायम चप्पल की भीनी भीनी खुशबू से मजा आ रहा था.

"अब पलट कर लेट जा, आराम से. वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तुझे सब आसनों की प्रैक्टिस कराऊंगा. पर पहली बार डालने को ये सबसे अच्छा है" मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले.

सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गये. "अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल, तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी. और एक बात है बेटे, गुदा ढीला छोड़ना नहीं तो तुझे ही दर्द होगा. समझ ले कि तू लड़की है और अपने सैंया के लिये चूत खोल रही है, ठीक है ना?"

मैंने अपने हाथ से अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये. सर ने मेरे गुदा पर लंड जमाया और पेलने लगे "ढीला छोड़ अनिल, जल्दी!"

मैंने अपनी गांड का छेद ढीला किया और अगले ही पल सर का सुपाड़ा पक्क से अंदर हो गया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मैंने मुंह में भरी चप्पल दांतों तले दबा ली और किसी तरह चीख निकलने नहीं दी. बहुत दर्द हो रहा था.

सर ने मुझे शाबासी दी "बस बेटे बस, अब दर्द नहीं होगा. बस पड़ा रह चुपचाप" और एक हाथ से मेरे चूतड़ सहलाने लगे. दूसरा हाथ उन्होंने मेरे बदन के नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगे. मैं चप्पल चबाने की कोशिश कर रहा था. सर बोले "लगता है कि थोड़ी बड़ी है तेरे लिये. आज पहली बार है तेरी, ऐसा कर ये मैडम की चप्पल मुंह में ले ले. जरा छोटी है, तुझे भी मुंह में लेने में आसानी होगी" अपनी चप्पल मेरे मुंह से निकाल कर उन्होंने मैडम की चप्पल मेरे मुंह में डाल दी. आराम से मैंने आधी ले ली और चबाने लगा. मैडम की चप्पल का स्वाद भी अनोखा था, उनके पैर की भीनी भीनी खुशबू उसमें से आ रही थी.

"अरे खा जायेगा क्या?" सर ने हंस कर कहा. फ़िर बोले "कोई बात नहीं बेटे, मन में आये वैसे कर, मस्ती कर. हम और ले आयेंगे तेरे लिये"

क्रमशः। ...........................

rajaarkey
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Re: ट्यूशन का मजा

Unread post by rajaarkey » 02 Nov 2014 14:48

ट्यूशन का मजा-13

गतांक से आगे..............................
दो मिनिट में जब दर्द कम हुआ तो मेरा कसा हुआ बदन कुछ ढीला पड़ा और मैंने जोर से सांस ली. सर समझ गये. झुक कर मेरे बाल चूमे और बोले "बस अनिल, अब धीरे धीरे अंदर डालता हूं. एक बार तू पूरा ले ले, फ़िर तुझे समझ में आयेगा कि इस लेसन में कितना आनंद आता है" फ़िर वे हौले हौले लंड मेरे चूतड़ों के बीच पेलने लगे. दो तीन इंच बाद जब मैं फ़िर से थोड़ा तड़पा तो वे रुक गये. मैं जब संभला तो फ़िर शुरू हो गये.

पांच मिनिट बाद उनका पूरा लंड मेरी गांड में था. गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने हथौड़े से अंदर से ठोकी हो. सर की झांटें मेरे चूतड़ों से भिड़ गयी थीं. सर अब मुझ पर लेट कर मुझे चूमने लगे. उनके हाथ मेरे बदन के इर्द गिर्द बंधे थे और मेरे निपलों को हौले हौले मसल रहे थे. मैंने सिर घुमा कर देखा तो मैडम दीदी के मम्मे दबाती हुई कस के दीदी को चूम रही थीं. दीदी की आंखें मेरी इस हालत को देखकर चमक रही थीं.

सर बोले "दर्द कम हुआ अनिल बेटे?"

मैंने मुंडी हिलाकर हां कहा. सर बोले "अब तुझे प्यार करूंगा, मर्दों वाला प्यार. थोड़ा दर्द भले हो पर सह लेना, देख मजा आयेगा" और वे धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे. मेरे चूतड़ों के बीच उनका लंड अंदर बाहर होना शुरू हुआ और एक अजीब सी मस्ती मेरी नस नस में भर गयी. दर्द हो रहा था पर गांड में अंदर तक बड़ी मीठी कसक हो रही थी.

एक दो मिनिट धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने के बाद मेरी गांड में से ’सप’ ’सप’ ’सप’ की आवाज निकलने लगी. तेल पूरा मेरे छेद को चिकना कर चुका था. मैं कसमसा कर अपनी कमर हिलाने लगा. चौधरी सर हंसने लगे "देखा, आ गया रास्ते पर. मजा आ रहा है ना? अब देख आगे मजा" फ़िर वे कस के लंड पेलने लगे. सटा सट सटा सट लंड अंदर बाहर होने लगा. दर्द हुआ तो मैंने फ़िर से मैडम की चप्पल चबा ली पर फ़िर अपने चूतड़ उछाल कर सर का साथ देने लगा.

सर मुड कर मैडम से बोले "देखा मैडम मेरे स्टूडेंट का कमाल? हूं की चूं नहीं की और कैसे आराम से मेरे मूसल को निगल गया. मैं कह रहा था ना कि ये बहुत आगे जायेगा, मेरा नाम रोशन करेगा."

मैडम वहीं खिड़की से देखती हुई बोलीं "हां सर, मान गये, मुझे विश्वास नहीं था कि ये सह लेगा पर आप ने तो कमाल कर दिया. क्यों अनिल, मजा आया सर का डंडा ले के?"

सर ने चप्पल मेरे मुंह से निकाल दी. "अब इसकी जरूरत नहीं है अनिल. बता .... आनंद आया या नहीं?"

"हां ....सर ... आप का ... लेकर बहुत .... मजा .... आ .... रहा .... है ...." सर के धक्के झेलता हुआ मैं बोला " सर .... आप ... को .... कैसा .... लगा .... सर?"

"अरे राजा तेरी मखमली गांड के आगे तो गुलाब भी नहीं टिकेगा. ये तो जन्नत है जन्नत मेरे लिये ... ले ... ले ... और जोर .... से करूं ...." वे बोले.

"हां .... सर ... जोर से .... मारिये .... सर .... बहुत .... अच्छा लग ... रहा है .... सर"

सर मेरी पांच मिनिट मारते रहे और मुझे बेतहाशा चूमते रहे. कभी मेरे बाल चूमते, कभी गर्दन और कभी मेरा चेहरा मोड कर अपनी ओर करते और मेरे होंठ चूमने लगते. फ़िर वे रुक गये.

मैंने अपने चूतड़ उछालते हुए शिकायत की "मारिये ना सर ... प्लीज़"

"अब दूसरा आसन. भूल गया कि ये लेसन है? ये तो था गांड मारने का सबसे सीदा सादा और मजेदार आसन. अब दूसरा दिखाता हूं. चल उठ और ये सोफ़े को पकड़कर झुक कर खड़ा हो जा" सर ने मुझे बड़ी सावधानी से उठाया कि लंड मेरी गांड से बाहर न निकल जाये और मुझे सोफ़े को पकड़कर खड़ा कर दिया. "झुक अनिल, ऐसे सीधे नहीं, अब समझ कि तू कुतिया है .... या घोड़ी है ... और मैं पीछे से तेरी मारूंगा"

मैं झुक कर सोफ़े के सहारे खड़ा हो गया. सर मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर फ़िर पेलने लगे. आगे पीछे आगे पीछे. सामने आइने में दिख रहा था कि कैसे उनका लंड मेरी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. देख कर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. मस्ती में आकर मैंने एक हाथ सोफ़े से उठाया और लंड पकड़ लिया. सर पीछे से पेल रहे थे, धक्के से मैं गिरते गिरते बचा.

"चल.. जल्दी हाथ हटा और सोफ़ा पकड़ नहीं तो तमाचा मारूंगा" सर चिल्लाये.

"सर ... प्लीज़... रहा नहीं जाता ..... मुठ्ठ मारने का मन .... होता है" मैं बोला.

"अरे मेरे राजा मुन्ना, यही तो मजा है, ऐसी जल्दबाजी न कर, पूरा लुत्फ़ उठा. ये भी इस लेसन का एक भाग है" सर प्यार से बोले. "और अपने लंड को कह कि सब्र कर, बाद में बहुत मजा आयेगा उसे"

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