Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
वो कामुक हो कर बुदबुदाते हुए अकड़ने लगी और अगले ही पल
उसकी चूत का गर्म लावा मेरी उँगलियों पर बरसने लगा।
तब भी मैंने अपनी उँगलियाँ नहीं निकालीं.. जब वह शांत हुई
तो मैंने अपनी उँगलियों को निकाल कर देखा जो कि उसके
कामरस से सराबोर थी।
तभी मेरे दिमाग में न जाने कहाँ से एक फिल्म का सीन आ
गया.. जिसमें लड़का लड़की की चूत रस से सनी उँगलियों को
उसके नितम्ब में डाल कर आगे-पीछे करते हुए उसके मम्मों को
चूसता है..
तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी इस इच्छा को भी पूरा कर लूँ
और देखूँ क्या सच में कोई इस तरह से भी मज़ा ले सकता है।
तो मैंने भी उसके चूचे चूसते हुए उसकी चूत रस से सनी हुई
उँगलियों में से एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी ही थी
कि माया ने आँखें खोल कर अपने हाथों से मेरी ऊँगली पकड़ कर
अपनी चूत पर लगा दी।
शायद उसने सोचा होगा मेरा हाथ धोखे से उधर गया है.. अब
उसे कैसे मालूम होता कि मेरी इच्छा कुछ और ही है।
मैंने फिर से अपनी ऊँगली उसके चूत से हटा कर.. उसकी गांड के
छेद पर रख दी और उसकी गांड के गोल छेद पर ऊँगली कुछ इस
तरह से चला रहा था.. जैसे कोई गम लगाया जाता है।
इस बार माया चुप्पी तोड़ती हुई बोली- अरे राहुल.. ये क्या
कर रहे हो.. वो गलत छेद है।
तो मैंने उससे बोला- नहीं.. तुम्हें लगता होगा.. मुझे नहीं, मैंने
फिल्मों में भी ऐसे करते हुए देखा है।
तो वो डरती हुई मुझसे बोली- नहीं.. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं
किया.. पर सुना है बहुत दर्द होता है प्लीज़.. ऐसा मत करो।
तो मैंने उसे समझाया और बोला- मैं तुम्हें दर्द नहीं दूंगा.. पर
हाँ.. थोड़ा बहुत तो तुम मेरे लिए बर्दास्त तो कर ही सकती
हो.. अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई तो मैं अपना हाथ हटा
लूँगा.. जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तब तक ऐसा कुछ भी नहीं
करूँगा, जिससे तुम्हें तकलीफ हो।
पर माया का ‘नानुकुर’ बंद नहीं हुई, तो मैं उठ गया और उससे
रुठते हुए बोला- देख लिया तुम्हारा प्यार.. बस मुँह से ही
बोलती हो जो कहोगे वो करुँगी.. वगैरह.. वगैरह.. सब झूठ
बोलती थीं।
इतना सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे होंठों में अपने होंठों को
रख कर मेरा मुँह बंद करके… मुझे अपने आगोश में ले लिया..
पर मेरा विरोध देख कर उसने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए
बोली- राहुल बस इत्ती सी बात पर नाराज़ हो गए… तुम्हारे
लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. पर मैं डर रही हूँ ऐसा करने
से.. मैंने पहले कभी नहीं किया और तुम्हारा इतना बड़ा है..
अन्दर कैसे जाएगा.. मुझे बहुत तकलीफ होगी, प्लीज़ यार..
मेरी बात समझने की कोशिश करो।
तो मैंने भी मन में सोचा कि चल यार गांड तो मारनी ही है..
अब ज्यादा नहीं.. बस इसे किसी तरह तैयार करना है।
तो मैंने भी बात बनाते हुए बोला- अच्छा ये बोलो.. मैंने कब
आपसे बोला कि मैं अपना लौड़ा डालना चाहता हूँ.. पर
हाँ.. जब तुम कहोगी तभी ऐसा होगा.. मैं तो बस मज़े के लिए
अपनी ऊँगली डाल रहा था.. आपने तो बतंगड़ बना दिया…
मेरे इस तरह ‘आप आप’ कहने पर माया बोली- प्लीज़ तुम मुझे
माया या तुम कह कर ही बोला करो.. मुझे ये अच्छा नहीं
लगता कि तुम मुझसे ‘आप आप’ करो.. मैं अब तुम्हारी हूँ तुमने मुझे
बहुत हसीन पल और सुख दिए हैं.. जिसे मैं कभी भुला नहीं
सकती हूँ।
तो मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए उससे बोला- तो अब
तुम्हारा क्या इरादा है?
तो वो कुछ नहीं बोली और मेरी बाँहों में समा कर मुझे चुम्बन
करने लगी मेरे गालों और छाती पर चुम्बनों की बौछार करते
हुए बोली- जैसी तुम्हारी इच्छा…
मैं उसे लेकर फिर से बिस्तर पर उसी तरह से लेट कर प्यार करने
लगा.. जैसे पहले कर रहा था।
पर अब उँगलियों की चिकनाई सूख चुकी थी तो मैंने अपनी
दो उँगलियों को उसके मुँह में डाल दी और उसके मम्मों को मुँह
में भर कर फिर से चूसने लगा।
माया ने मेरी उँगलियों को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस-
चूस कर गीला करके बोली- अब कर लो अपनी इच्छा पूरी…
उसकी चूत का गर्म लावा मेरी उँगलियों पर बरसने लगा।
तब भी मैंने अपनी उँगलियाँ नहीं निकालीं.. जब वह शांत हुई
तो मैंने अपनी उँगलियों को निकाल कर देखा जो कि उसके
कामरस से सराबोर थी।
तभी मेरे दिमाग में न जाने कहाँ से एक फिल्म का सीन आ
गया.. जिसमें लड़का लड़की की चूत रस से सनी उँगलियों को
उसके नितम्ब में डाल कर आगे-पीछे करते हुए उसके मम्मों को
चूसता है..
तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी इस इच्छा को भी पूरा कर लूँ
और देखूँ क्या सच में कोई इस तरह से भी मज़ा ले सकता है।
तो मैंने भी उसके चूचे चूसते हुए उसकी चूत रस से सनी हुई
उँगलियों में से एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी ही थी
कि माया ने आँखें खोल कर अपने हाथों से मेरी ऊँगली पकड़ कर
अपनी चूत पर लगा दी।
शायद उसने सोचा होगा मेरा हाथ धोखे से उधर गया है.. अब
उसे कैसे मालूम होता कि मेरी इच्छा कुछ और ही है।
मैंने फिर से अपनी ऊँगली उसके चूत से हटा कर.. उसकी गांड के
छेद पर रख दी और उसकी गांड के गोल छेद पर ऊँगली कुछ इस
तरह से चला रहा था.. जैसे कोई गम लगाया जाता है।
इस बार माया चुप्पी तोड़ती हुई बोली- अरे राहुल.. ये क्या
कर रहे हो.. वो गलत छेद है।
तो मैंने उससे बोला- नहीं.. तुम्हें लगता होगा.. मुझे नहीं, मैंने
फिल्मों में भी ऐसे करते हुए देखा है।
तो वो डरती हुई मुझसे बोली- नहीं.. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं
किया.. पर सुना है बहुत दर्द होता है प्लीज़.. ऐसा मत करो।
तो मैंने उसे समझाया और बोला- मैं तुम्हें दर्द नहीं दूंगा.. पर
हाँ.. थोड़ा बहुत तो तुम मेरे लिए बर्दास्त तो कर ही सकती
हो.. अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई तो मैं अपना हाथ हटा
लूँगा.. जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तब तक ऐसा कुछ भी नहीं
करूँगा, जिससे तुम्हें तकलीफ हो।
पर माया का ‘नानुकुर’ बंद नहीं हुई, तो मैं उठ गया और उससे
रुठते हुए बोला- देख लिया तुम्हारा प्यार.. बस मुँह से ही
बोलती हो जो कहोगे वो करुँगी.. वगैरह.. वगैरह.. सब झूठ
बोलती थीं।
इतना सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे होंठों में अपने होंठों को
रख कर मेरा मुँह बंद करके… मुझे अपने आगोश में ले लिया..
पर मेरा विरोध देख कर उसने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए
बोली- राहुल बस इत्ती सी बात पर नाराज़ हो गए… तुम्हारे
लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. पर मैं डर रही हूँ ऐसा करने
से.. मैंने पहले कभी नहीं किया और तुम्हारा इतना बड़ा है..
अन्दर कैसे जाएगा.. मुझे बहुत तकलीफ होगी, प्लीज़ यार..
मेरी बात समझने की कोशिश करो।
तो मैंने भी मन में सोचा कि चल यार गांड तो मारनी ही है..
अब ज्यादा नहीं.. बस इसे किसी तरह तैयार करना है।
तो मैंने भी बात बनाते हुए बोला- अच्छा ये बोलो.. मैंने कब
आपसे बोला कि मैं अपना लौड़ा डालना चाहता हूँ.. पर
हाँ.. जब तुम कहोगी तभी ऐसा होगा.. मैं तो बस मज़े के लिए
अपनी ऊँगली डाल रहा था.. आपने तो बतंगड़ बना दिया…
मेरे इस तरह ‘आप आप’ कहने पर माया बोली- प्लीज़ तुम मुझे
माया या तुम कह कर ही बोला करो.. मुझे ये अच्छा नहीं
लगता कि तुम मुझसे ‘आप आप’ करो.. मैं अब तुम्हारी हूँ तुमने मुझे
बहुत हसीन पल और सुख दिए हैं.. जिसे मैं कभी भुला नहीं
सकती हूँ।
तो मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए उससे बोला- तो अब
तुम्हारा क्या इरादा है?
तो वो कुछ नहीं बोली और मेरी बाँहों में समा कर मुझे चुम्बन
करने लगी मेरे गालों और छाती पर चुम्बनों की बौछार करते
हुए बोली- जैसी तुम्हारी इच्छा…
मैं उसे लेकर फिर से बिस्तर पर उसी तरह से लेट कर प्यार करने
लगा.. जैसे पहले कर रहा था।
पर अब उँगलियों की चिकनाई सूख चुकी थी तो मैंने अपनी
दो उँगलियों को उसके मुँह में डाल दी और उसके मम्मों को मुँह
में भर कर फिर से चूसने लगा।
माया ने मेरी उँगलियों को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस-
चूस कर गीला करके बोली- अब कर लो अपनी इच्छा पूरी…
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
मैंने उसकी ये बात सुन कर उसे ‘आई लव यू’ बोला और पहले उसे हर्ट
करने के लिए माफ़ी भी मांगी..
पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं..
मुझे बुरा नहीं लगा।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से
सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा
था।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी
बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।
उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा
‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके
गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।
वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों
डाल रहे थे.. लगती है न..
तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।
फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा
और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर
की ओर दाब देने लगा।
इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा
खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-
जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि
उसे असहनीय दर्द हो रहा है।
पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।
फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी
गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।
जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और
माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।
मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए
डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो
बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने
के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो
ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द
भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो
नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।
तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा
था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।
मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो
उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-
चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने
लगी।
देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों
में परिवर्तित हो गई।
‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’
वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद
सहलाने लगी।
अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के
लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।
वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग
शांत तो कर दे बस।
मैंने बोला- पक्का..
तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं
पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।
तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी
टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके
थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी
कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को
चूसते हुए उसे चोदने लगा।
अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर
को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।
जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता..
तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि
उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
करने के लिए माफ़ी भी मांगी..
पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं..
मुझे बुरा नहीं लगा।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से
सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा
था।
थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी
बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।
उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा
‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके
गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।
वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों
डाल रहे थे.. लगती है न..
तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।
फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा
और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर
की ओर दाब देने लगा।
इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा
खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-
जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि
उसे असहनीय दर्द हो रहा है।
पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।
फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी
गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।
जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और
माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।
मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए
डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।
फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो
बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने
के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो
ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द
भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो
नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।
तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा
था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।
मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो
उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-
चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने
लगी।
देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों
में परिवर्तित हो गई।
‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’
वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद
सहलाने लगी।
अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के
लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।
वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग
शांत तो कर दे बस।
मैंने बोला- पक्का..
तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं
पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।
तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी
टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके
थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी
कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को
चूसते हुए उसे चोदने लगा।
अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर
को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।
जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता..
तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि
उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
अब माया अपने दोनों मम्मों को खुद ही अपने हाथों से रगड़ने
लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर
हिलाते-हिलाते शांत हो गई।
उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा
फिसल कर बाहर निकल गया।
मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके
मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो
एक बार फिर से जोश में आ गई।
अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने
उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।
मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।
‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में
स्खलित होने लगा..
मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की
बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा
और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच
बज चुके थे।
माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर
हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न
चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही
बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और
घंटी बजा कर चला भी गया होगा..
इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने
बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर
करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।
मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।
तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा
सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।
तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो
काफी।
फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था
तुमने.. याद है या भूल गईं?
तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?
तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक
कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब
मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।
तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना
चाहते थे?
तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।
वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के
बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी
मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो
चाहे वो कर..
उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी
बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग
रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब
ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने
दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?
तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी।
माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात
करते हुए नाइटी पहनने लगी।
उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन
लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया
था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी
का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें
क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?
माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम
लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी
बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला
कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म
होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने
गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल
दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ
रहा है?
तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..
बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।
फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..
तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं
माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।
तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और
जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?
तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ..
मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।
लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर
हिलाते-हिलाते शांत हो गई।
उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा
फिसल कर बाहर निकल गया।
मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके
मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो
एक बार फिर से जोश में आ गई।
अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने
उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।
मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।
‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में
स्खलित होने लगा..
मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की
बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा
और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच
बज चुके थे।
माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर
हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न
चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही
बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और
घंटी बजा कर चला भी गया होगा..
इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने
बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर
करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।
मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।
तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा
सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।
तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो
काफी।
फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था
तुमने.. याद है या भूल गईं?
तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?
तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक
कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब
मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।
तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना
चाहते थे?
तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।
वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के
बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी
मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो
चाहे वो कर..
उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी
बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग
रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब
ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने
दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?
तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी।
माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात
करते हुए नाइटी पहनने लगी।
उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन
लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया
था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी
का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें
क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?
माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि
वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम
लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी
बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला
कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म
होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने
गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल
दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ
रहा है?
तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..
बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।
फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..
तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं
माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।
तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और
जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?
तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ..
मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।