गहरी चाल पार्ट--9
"मुकुल,तुम यहा से ऑफीस चले जाओ,मैं 2 घंटे बाद वाहा पहुँच जाऊंगी.",कामिनी ने अपना बॅग उठाया & कोर्ट कॉंप्लेक्स मे बने अपने चेंबर से बाहर जाने लगी.
"ओके,मॅ'म."
जिस वक़्त कामिनी चेंबर से बाहर निकल रही थी,ठीक उसी वक़्त कोई उसमे दाखिल हो रहा था & वो उस इंसान से टकरा गयी,"ओह!आइ'म सॉरी.",वो षत्रुजीत सिंग था & उसने टकराने से लड़खड़ाई कामिनी को आगे बढ़ अपनी बाहो मे थाम लिया.उसकी बाई बाँह कामिनी की कमर को पकड़े थी,"ओह!आप हैं!"
कामिनी के बदन मे सिहरन दौड़ गयी क्यूकी शत्रुजीत ने अपना हाथ हटाते हुए उसकी कमर को हल्के से दबा दिया था,"कंग्रॅजुलेशन्स!"उसने कामिनी से हाथ मिलाया तो वो फिर बेचैन हो उठी.शत्रुजीत के च्छुने से उसका हाल तो बुरा हो जाता था मगर सच्ची बात ये थी की उसे भी इस एहसास का इंतेज़ार रहता था,"आपने हुमारे ग्रूप के लिए पहला केस जीता है."
"थॅंक्स.आप सिर्फ़ इसलिए यहा आए थे?",शत्रुजीत अभी भी उसका हाथ थामे था & अब उसे यकीन होने लगा था की उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना केवल 1 बिज़्नेस को ध्यान मे रख कर किया गया फ़ैसला नही था,शत्रुजीत भी ज़रूर उसके नज़दीक आना चाहता था वरना इतने बड़े ग्रूप का मालिक इतने मामूली से केस की जीत के लिए बधाई देने खुद क्यू आएगा-ये काम तो 1 फोन कॉल से भी हो सकता था.
"जी,हां.मैं सुभाष नगर की तरफ जा रहा था,कोर्ट रास्ते मे पड़ा तो सोचा की इसी बहाने आपको खुद बधाई दे दू."
"..और 1 बार फिर आपको इसी बहाने छु लू!",कामिनी मन ही मन मुस्कुराइ.उसे भी इस प्लेबाय के साथ इस खेल को खेलने मे मज़ा आने लगा था.शत्रुजीत के च्छुने से वो मदहोश हो जाती थी & उस वक़्त उसकी चूत मे जो मीठी कसक उठती थी,वैसा एहसास उसे अब तक ज़िंदगी मे नही हुआ था.
"अछा,अब मैं चलता हू.बाइ!",आख़िरकार उसने कामिनी का हाथ छ्चोड़ा & वाहा से चला गया.उसके जाने के बाद कामिनी भी करण से मिलने के लिए निकल पड़ी.
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"कामिनी,अगर बुरा ना मानो तो 1 बात पुच्छू?"
"हां-2,कारण",कामिनी ने काँटे से नूडल्स उठा कर अपने मुँह मे डाला.
"देखो,मुझे ग़लत मत समझना.मैं बस 1 दोस्त की हैसियत से पुच्छ रहा हू."
"करण!सवाल पुछो."
"कामिनी,तुम इतनी खूबसूरत हो.इतनी समझदार & अपने पेशे मे भी तुम्हे कामयाबी हासिल है,फिर तुमने अभी तक शादी क्यू नही की?"
कामिनी ने अपना काँटा नीचे रख दिया & 1 पल खामोश रही,"मैने शादी की थी,करण पर...मेरा डाइवोर्स हो गया."
"ओह...ई'एम सॉरी,कामिनी...शायद मैने ग़लत सवाल पुच्छ लिया.."
"कम ऑन,करण!इट'स ओके.तुमने खुद कहा ना की दोस्त के नाते पुच्छ रहे हो..तो दोस्तो को हक़ होता है बेझिझक सवाल पुच्छने का!",कामिनी ने चिकन के 1 टुकड़े को काँटे से अपने मुँह मे डाला,"अब तुम बताओ.तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है?",जवाब का कामिनी को धड़कते दिल से इंतेज़ार था.
करण के होंठो पे हल्की सी मुस्कान खेल गयी,शायद उसमे थोड़ी शरारत भी मिली थी,"फिलहाल तो नही."
"फिलहाल?"
"हां..1 लड़की तो है...1 दिन उस से पुच्हूंगा देखते हैं क्या कहती है!",उसका जवाब सुन कामिनी कुच्छ नही बोली बस खामोशी से खाना खाती रही मगर उसके दिल मे बड़ी उथल-पुथल मची हुई थी....करण किस लड़की के बारे मे बोल रहा था?...कही उसी के बारे मे तो नही?...कोई और भी तो हो सकती है..अब जो भी हो...अब तो करण ही से इस बारे मे पता चल सकता है...उसने अभी खामोश रहना ही बेहतर समझा 7 दूसरी बाते करने लगी.
खाना ख़त्म कर दोनो माल से बाहर निकल रहे थे.उनके करीब पहुँचते ही माल के अटमॅटिक स्लाइडिंग डोर्स अपनेआप खुल गये,"ओह्ह..!",दोनो बाहर तो आ गये थे पर कामिनी की सारी का लहराता आँचल बंद होते स्लाइडिंग डोर्स मे फँस गया था.कामिनी फँसे आँचल को पकड़ कर थोड़ा झुकती हुई सी पलटी & ऐसा करते ही उसका गोरा सपाट पेट & कसे ब्लाउस के गले से झँकता उसका बड़ा सा दूधिया क्लीवेज कारण की नज़रो के सामने आ गये.
करण की निगाहो ने थोड़ी देर तक उसके जवान जिस्म को निहारा,फिर वो दरवाज़े के पास गया.करीब जाते ही दरवाज़े खुले & आँचल छूट गया.करण ने उसे थामा & वापस कामिनी के पास आ उसे उसके कंधे पे डाल दिया.
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केयी साल पहले पंचमहल के बाहर 1 कपड़े की काफ़ी बड़ी मिल खुली थी.मिल खुली तो उसमे काम करने वाले कारीगर & बाकी लोग मिल के पास रहने की जगह तलाशने लगे.मज़दूरो ने तो मिल के पास की खाली सरकारी ज़मीन पे ही अपनी झोपडिया डाल ली.धीरे-2 कर के मिल के पास की सारी सरकारी ज़मीन पे ऐसे ही काई सारी इल्लीगल कॉलोनीस बस गयी.
वो मिल ज़्यादा दीनो तक चल नही पाई & बंद हो गयी पर वो कॉलोनीस जस की तस बनी रही.धीरे-2 शहर ने पाँव पसारे & वो मिल & कॉलोनीस जो कभी शहर के बाहर हुआ करती थी,आज शहर का हिस्सा थी.
शत्रुजीत ने सरकार को 1 प्रपोज़ल दिया जिसमे मिल & उसके पास की सारी कॉलोनीस को तोड़ कर शूपिंग माल,अपार्टमेंट्स & ऑफीस कॉंप्लेक्स बनाने का सुझाव था.सरकार को उस पूरे इलाक़े से ना कोई टॅक्स मिलता था ना कोई रेवेन्यू-उल्टे ये सब सरदर्द ही बनी हुई थी.शत्रुजीत ने सभी कॉलोनीस के लोगो को उनके घरो के एवज मे मोटा हर्ज़ाना & दूसरे घर देने की बात कही थी.प्रपोज़ल मंज़ूर हो गया & उसपे काम भी शुरू हो गया.धीरे-2 करके सभी कॉलोनीस के लोग भी उसकी बात मान गये.
इन्ही कॉलोनीस मे से 1 थी सुभाष नगर,यहा कुल 40 मकान थे जिनमे से सभी उसकी बात मान चुके थे सिवाय 1 के-नत्थू राम,"अब्दुल,ये नत्थू राम आदमी कैसा है?",शत्रुजीत ने कार की पिच्छली सीट पे बैठे खिड़की से बाहर झाँका.
"भाई,1 नंबर का शराबी & सनकी है.पता नही क्यू हमारी बात नही मान रहा.1 तो साले का घर कॉलोनी के बीचोबीच है...जब तक वो नही मानता वाहा का काम अटका रहेगा.",बाजुओ को कोहनियो तक मोडी हुई शर्ट,जीन्स & काले चश्मे मे अब्दुल पाशा किसी फिल्मस्टर जैसा खूबसूरत लग रहा था.
गहरी चाल compleet
Re: गहरी चाल
कार सुभाष नगर पहुँच गयी तो दोनो उतर कर नत्थू राम के घर पहुँचे & उसका दरवाज़ा खटखटाया.दरवाज़ा खुला & 1 50-55 साल का लगभग पूरा गंजा हो चुका आदमी-उसके कानो के उपर & पीछे की तरफ बस थोड़े से बाल थे- 1 बनियान & मैला सा पाजामा पहने बाहर आया,"नमस्कार,मैं शत्रुजीत सिंग हू."
"मुझे आपसे कोई बात नही करनी.इन साहब को मैने पहले ही अपना फ़ैसला सुना दिया है.",थयोरिया चढ़ाए उसने पाशा की ओर इशारा किया.
"नत्थू राम जी!1 बार मुझे भी तो बताइए की आख़िर क्या बात है?आप क्यू नही बेचना चाहते अपना घर?आख़िर आपके सारे पड़ोसी भी तो अपने-2 घर बेच रहे हैं."
"कोई कुच्छ भी करे,मैं तो यही रहूँगा.इस जगह से मेरी बहुत सारी यादे जुड़ी हैं...अब मुझे और परेशान नही कीजिए.जाइए.",उसने शत्रुजीत & पशा के मुँह पे दरवाज़ा बंद कर दिया.दोनो ने 1 दूसरे की ओर देखा & फिर कार मे बैठ गये,"क्या करोगे भाई?"
"कुच्छ सोचता हू,बेटा.",शत्रुजीत खिड़की से बाहर देख रहा था.
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देर शाम कामिनी क्लब पहुँची.रिक्रियेशन रूम मे उसे उसकी पहचान वाले 1-2 लोग मिल गये,थोड़ी देर तक उनसे बाते करने के बाद वो छत पे आ गयी.वाहा की ठंडी हवा ने उसे तरोताज़ा कर दिया.वेटर को बुला उसने खाने का ऑर्डर दिया & उसके खाना लाने पर वही बैठ कर खाना खाया.
खाना ख़त्म करने के बाद हाथ मे पानी का ग्लास लिए वो छत पे टहलने लगी उसके कानो मे म्यूज़िक की हल्की आवाज़ सुनाई दी.आवाज़ पीछे की तरफ से आ रही थी जिधर स्विम्मिंग पूल था.वो उधर की रेलिंग की तरफ बढ़ गयी & नीचे देखने लगी,"ये नीचे क्या हो रहा है?,पास से गुज़रते 1 वेटर को उसने अपना खाली ग्लास थमाया.
"किसी मेंबर ने अपने गेस्ट्स के लिए पूल पार्टी दी है,मॅ'म.",नीचे पूल के पास कोई 40-45 लोग स्विमवेर पहने इकट्ठे थे-कोई पूल मे तेर रहा था तो कोई उसके किनारे बैठा पार्टी का लुत्फ़ उठा रहा था.
तभी उसने केवल 1 बर्म्यूडा शॉर्ट्स पहने 1 मर्द को 1 बिकिनी ब्रा & सरॉंग पहने 1 लड़की का हाथ पकड़े पार्टी से थोड़ा अलग जाते देखा,उसे वो मर्द कुच्छ जाना-पहचाना लगा...अरे!ये तो शत्रुजीत था!
कामिनी ने पहली बार उसका नंगा सीना देखा.यू तो उपर से इतनी ठीक तरह से दिखाई नही दे रहा था पर फिर भी कामिनी को उसके गथिले,कसरती बदन का अंदाज़ा तो हो ही गया.....अफ...कितने घने बॉल थे उसके सीने पे..& बाहो के मज़बूत बाइसेप्स कैसे चमक रहे थे!
पूल से थोडा हट के कुच्छ बड़े-2 पौधे लगे हुए थे,शत्रुजीत उस लड़की को उन्ही के पीछे ले गया.ऐसा करने से वो दोनो पार्टी मे शरीक लोगो की नज़रो से तो छिप गये थे पर छत पे खड़ी कामिनी को सब सॉफ-2 दिख रहा था.
शत्रुजीत लड़की के हाथो को पकड़ कर बार-2 उस से कुच्छ कह रहा था पर लड़की मानो हंस के मना कर रही थी.अचानक शत्रुजीत ने लड़की को खींच कर अपनी बाहो मे भर लिया & चूमने लगा.थोड़ी देर चूमने के बाद लड़की ने हंसते हुए शत्रुजीत को परे धकेल दिया.शत्रुजीत ने उसकी ना सुनते हुए उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया & इस बार अपने बड़े-2 हाथो से उसकी नाज़ुक सी गंद को सरोन्ग मे हाथ घुसा कर उसकी बिकिनी की पॅंटी के उपर से ही मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा,लड़की अभी भी हंस रही थी.
ये सब देख कर कामिनी के बदन मे भी मस्ती की लहर दौड़ गयी & उसका 1 हाथ उसकी जीन्स के उपर से ही अपनी चूत सहलाने लगा,"ऊओवव...!",लड़की की हँसी के साथ मिली-जुली चीख की मद्धम आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,शत्रुजीत ने उसकी गर्दन चूमते हुए 1 हाथ उसकी गंद से हटा उसकी बिकिनी ब्रा को खींच उसकी 1 छाती बाहर निकाल ली थी & उसे अपने मुँह मे भर लिया था.लड़की थोड़ी देर तक तो अपनी चूची चुस्वाति रही,फिर उसे परे धकेल दिया.
इस बार शत्रुजीत ने उसे फिर से अपनी बाहो मे क़ैद करने की कोशिश की तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ के उसके कान मे ना जाने क्या कहा.फिर दोनो 1 दूसरे की कमर मे हाथ डाले वापस पार्टी मे चले गये.कामिनी ने भी अपनी चूत से हाथ हटाया & आस-पास देखा-कोई भी उसकी तरफ नही देख रहा था.वो छत से उतरी & अपनी कार मे बैठ अपने घर को रवाना हो गयी.
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रात कामिनी अपने बिस्तर पे नंगी लेटी थी,उसका हाथ उसकी चूत को हौले-2 सहला रहा था.उसने आज पहली बार प्लेबाय शत्रुजीत सिंग को देखा था.उस लड़की के साथ की गयी शत्रुजीत की कामुक हर्कतो ने कामिनी को बहुत गरम कर दिया था.साथ ही उसे उस लड़की से थोड़ी जलन भी हो रही थी.उसकी जगह अगर वो होती तो!...& शत्रुजीत उसकी छाती को मुँह मे भर कर चूस रहा होता तो...!
उसका दूसरा हाथ उसकी चूचियो को दबाने लगा.उसने बेचैनी से करवट बदली तो उसे सवेरे जॉगिंग वाली बात याद आ गयी..करण कैसे उसकी जंघे सॉफ कर रहा था& उसकी साँसे कैसे उसकी प्यासी चूत को तडपा रही थी....& फिर माल के बाहर उसकी निगाहे कैसे उसके पेट & सीने से चिपक सी गयी थी...काश वो इस वक़्त यहा होता & उसकी प्यासी चूत को चाटते हुए अपने मज़बूत हाथो से उसकी चूचिया मसल रहा होता,"आहह...",इस ख़याल से ही कामिनी की आह निकल गयी & वो तेज़ी से हाथ चला अपनी बदन की गर्मी को ठंडा करने लगी.
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"मुझे आपसे कोई बात नही करनी.इन साहब को मैने पहले ही अपना फ़ैसला सुना दिया है.",थयोरिया चढ़ाए उसने पाशा की ओर इशारा किया.
"नत्थू राम जी!1 बार मुझे भी तो बताइए की आख़िर क्या बात है?आप क्यू नही बेचना चाहते अपना घर?आख़िर आपके सारे पड़ोसी भी तो अपने-2 घर बेच रहे हैं."
"कोई कुच्छ भी करे,मैं तो यही रहूँगा.इस जगह से मेरी बहुत सारी यादे जुड़ी हैं...अब मुझे और परेशान नही कीजिए.जाइए.",उसने शत्रुजीत & पशा के मुँह पे दरवाज़ा बंद कर दिया.दोनो ने 1 दूसरे की ओर देखा & फिर कार मे बैठ गये,"क्या करोगे भाई?"
"कुच्छ सोचता हू,बेटा.",शत्रुजीत खिड़की से बाहर देख रहा था.
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देर शाम कामिनी क्लब पहुँची.रिक्रियेशन रूम मे उसे उसकी पहचान वाले 1-2 लोग मिल गये,थोड़ी देर तक उनसे बाते करने के बाद वो छत पे आ गयी.वाहा की ठंडी हवा ने उसे तरोताज़ा कर दिया.वेटर को बुला उसने खाने का ऑर्डर दिया & उसके खाना लाने पर वही बैठ कर खाना खाया.
खाना ख़त्म करने के बाद हाथ मे पानी का ग्लास लिए वो छत पे टहलने लगी उसके कानो मे म्यूज़िक की हल्की आवाज़ सुनाई दी.आवाज़ पीछे की तरफ से आ रही थी जिधर स्विम्मिंग पूल था.वो उधर की रेलिंग की तरफ बढ़ गयी & नीचे देखने लगी,"ये नीचे क्या हो रहा है?,पास से गुज़रते 1 वेटर को उसने अपना खाली ग्लास थमाया.
"किसी मेंबर ने अपने गेस्ट्स के लिए पूल पार्टी दी है,मॅ'म.",नीचे पूल के पास कोई 40-45 लोग स्विमवेर पहने इकट्ठे थे-कोई पूल मे तेर रहा था तो कोई उसके किनारे बैठा पार्टी का लुत्फ़ उठा रहा था.
तभी उसने केवल 1 बर्म्यूडा शॉर्ट्स पहने 1 मर्द को 1 बिकिनी ब्रा & सरॉंग पहने 1 लड़की का हाथ पकड़े पार्टी से थोड़ा अलग जाते देखा,उसे वो मर्द कुच्छ जाना-पहचाना लगा...अरे!ये तो शत्रुजीत था!
कामिनी ने पहली बार उसका नंगा सीना देखा.यू तो उपर से इतनी ठीक तरह से दिखाई नही दे रहा था पर फिर भी कामिनी को उसके गथिले,कसरती बदन का अंदाज़ा तो हो ही गया.....अफ...कितने घने बॉल थे उसके सीने पे..& बाहो के मज़बूत बाइसेप्स कैसे चमक रहे थे!
पूल से थोडा हट के कुच्छ बड़े-2 पौधे लगे हुए थे,शत्रुजीत उस लड़की को उन्ही के पीछे ले गया.ऐसा करने से वो दोनो पार्टी मे शरीक लोगो की नज़रो से तो छिप गये थे पर छत पे खड़ी कामिनी को सब सॉफ-2 दिख रहा था.
शत्रुजीत लड़की के हाथो को पकड़ कर बार-2 उस से कुच्छ कह रहा था पर लड़की मानो हंस के मना कर रही थी.अचानक शत्रुजीत ने लड़की को खींच कर अपनी बाहो मे भर लिया & चूमने लगा.थोड़ी देर चूमने के बाद लड़की ने हंसते हुए शत्रुजीत को परे धकेल दिया.शत्रुजीत ने उसकी ना सुनते हुए उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया & इस बार अपने बड़े-2 हाथो से उसकी नाज़ुक सी गंद को सरोन्ग मे हाथ घुसा कर उसकी बिकिनी की पॅंटी के उपर से ही मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूमने लगा,लड़की अभी भी हंस रही थी.
ये सब देख कर कामिनी के बदन मे भी मस्ती की लहर दौड़ गयी & उसका 1 हाथ उसकी जीन्स के उपर से ही अपनी चूत सहलाने लगा,"ऊओवव...!",लड़की की हँसी के साथ मिली-जुली चीख की मद्धम आवाज़ उसके कानो मे पड़ी,शत्रुजीत ने उसकी गर्दन चूमते हुए 1 हाथ उसकी गंद से हटा उसकी बिकिनी ब्रा को खींच उसकी 1 छाती बाहर निकाल ली थी & उसे अपने मुँह मे भर लिया था.लड़की थोड़ी देर तक तो अपनी चूची चुस्वाति रही,फिर उसे परे धकेल दिया.
इस बार शत्रुजीत ने उसे फिर से अपनी बाहो मे क़ैद करने की कोशिश की तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ के उसके कान मे ना जाने क्या कहा.फिर दोनो 1 दूसरे की कमर मे हाथ डाले वापस पार्टी मे चले गये.कामिनी ने भी अपनी चूत से हाथ हटाया & आस-पास देखा-कोई भी उसकी तरफ नही देख रहा था.वो छत से उतरी & अपनी कार मे बैठ अपने घर को रवाना हो गयी.
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रात कामिनी अपने बिस्तर पे नंगी लेटी थी,उसका हाथ उसकी चूत को हौले-2 सहला रहा था.उसने आज पहली बार प्लेबाय शत्रुजीत सिंग को देखा था.उस लड़की के साथ की गयी शत्रुजीत की कामुक हर्कतो ने कामिनी को बहुत गरम कर दिया था.साथ ही उसे उस लड़की से थोड़ी जलन भी हो रही थी.उसकी जगह अगर वो होती तो!...& शत्रुजीत उसकी छाती को मुँह मे भर कर चूस रहा होता तो...!
उसका दूसरा हाथ उसकी चूचियो को दबाने लगा.उसने बेचैनी से करवट बदली तो उसे सवेरे जॉगिंग वाली बात याद आ गयी..करण कैसे उसकी जंघे सॉफ कर रहा था& उसकी साँसे कैसे उसकी प्यासी चूत को तडपा रही थी....& फिर माल के बाहर उसकी निगाहे कैसे उसके पेट & सीने से चिपक सी गयी थी...काश वो इस वक़्त यहा होता & उसकी प्यासी चूत को चाटते हुए अपने मज़बूत हाथो से उसकी चूचिया मसल रहा होता,"आहह...",इस ख़याल से ही कामिनी की आह निकल गयी & वो तेज़ी से हाथ चला अपनी बदन की गर्मी को ठंडा करने लगी.
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Re: गहरी चाल
दूसरे दिन करण ने कामिनी को रात का खाना साथ खाने को कहा.कामिनी फ़ौरन मान गयी...उसे अब यकीन हो चला था की उस दिन लंच पे कारण उसी के बारे मे कह रहा था.कितने दीनो बाद कामिनी 1 ढंग की डेट पे जा रही थी & वो आज करण को रिझाने मे कोई कसर नही छ्चोड़ना चाहती थी.करीब आने के लिए पहल तो करण को ही करनी थी लेकिन अगर वो कातिलाना अंदाज़ मे तैय्यार होकर इसमे उसकी मदद करे,तो इसमे हर्ज़ ही क्या था!
वो लंच टाइम मे नरकेट गयी & काफ़ी देर ढूँढने के बाद 1 बुटीक मे उसे 1 काले रंग की घुटनो तक की स्ट्रेप्लेस्स ड्रेस पसंद आई.शाम को नहा कर जब उसने उस ड्रेस को पहन कर खुद को आईने मे देखा तो उसे अपने उपर थोडा गुरूर हो आया.काले रंग की ड्रेस मे उसका गोरा रंग और भी खिल उठा था.कसी हुई ड्रेस मे उसके बदन के कटाव & भी कातिलाना अंदाज़ मे उभर आए थे.उसने बालो को ड्रेस के मुताबिक 1 खास अंदाज़ मे बाँधा & निकल पड़ी करण से मिलने के लिए.
"हाई!यू'आर लुकिंग गॉर्जियस.",करण ने सर से पाँव तक उसे निहारा.ऊँची हाइ हील सॅंडल्ज़ मे उसके नाज़ुक पाँव & गोरी,सुडोल टांगे बड़ी मस्त लग रही थी.स्टरप्लीस ड्रेस की वजह से उसकी भारी बाहे,उपरी पीठ & चूचियो से उपर का हिस्सा रेस्टोरेंट की रोशनी मे चमक रहे थे.
हाइ हील्स के कारण चलते वक़्त उसकी कमर कुच्छ ज़्यादा ही मटक रही थी.शायद उसकी नशीली चल देख कर ही करण के दिल मे 1 ख़यला आया,"कामिनी,चलो पहले डॅन्स करते हैं."
उसके जवाब का इंतेज़ार किए बगैर ही वो उसे डॅन्स फ्लोर पे ले गया.बड़े दिन बाद कामिनी ऐसे नाच रही थी.तभी म्यूज़िक बदला & काफ़ी धीमी सी रोमॅंटिक धुन बजने लगी,बत्तिया भी मद्धम हो गयी.कारण ने अपने बाए हाथ मे उसका डाय हाथ पकड़ा & दाए मे उसकी पतली कमर,कामिनी ने भी अपना बाया हाथ उसके कंधे पे रख दिया & दोनो खामोशी से थिरकने लगे.
कामिनी को अपनी कमर पे कारण के हाथ का दबाव थोड़ा बढ़ता हुआ महसूस हुआ तो वो उसके थोड़ा और करीब खिसक आई. करण बस लगातार उसे देखे जा रहा था.शर्म के मारे कामिनी उस से नज़रे नही मिला पा रही थी.कारण उस से कद मे लंबा था & ना केवल वो अपनी बाहो मे थिरक रही उस खूबसूरत लड़की के चेहरे को निहार रहा था बल्कि बीच-2 मे उसकी निगाहे नीचे उसके सीने से भी टकरा रही थी.
थोड़ी देर बाद म्यूज़िक बदन हुआ तो दोनो जैसे सपने से बाहर आए & अपनी टेबल पे बैठ खाने का ऑर्डर दिया.खाने के बाद दोनो करण की कार मे वाहा से घर के लिए निकले.आज उसने कामिनी को उसके घर से ही पिक कर लिया था.
कुच्छ देर बाद कार 1 अपार्टमेंट बिल्डिंग के बाहर पहुँची,"मैं यही रहता हू,कामिनी.अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो 1-1 कप कॉफी हो जाए?इसी बहाने तुम्हे अपना ग़रीबखना भी दिखा दूँगा."
क्या करण बस 1 कोफ़फे के लिए कह रहा था...और कोई इरादा नही था उसका?...अगर था भी तो उसे इसी का इंतेज़ार नही था?...तो फिर अब क्यू घबराहट हो रही है उसे?...काब्से वो 1 मर्द के साथ के लिए तरस रही थी & आज जब मौका आया है तो वो 1 कुँवारी लड़की की तरह झिझक रही है!...और फिर करण जैसा सजीले & सुलझे हुए इंसान से अच्छा शख्स & कौन मिल सकता था उसे,"..ओके.करण.चलो."
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"ये है मेरा छ्होटा-सा घर,कामिनी.",बिल्डिंग के दसवे माले के फ्लॅट के अंदर दोनो ने कदम रखा..ड्रॉयिंग-कम-डाइनिंग हॉल बड़े अच्छे अंदाज़ मे सज़ा हुआ था.हर चीज़ काफ़ी कीमती थी पर कही से भी दौलत के दिखावे की झलक नही थी.
"आओ तुम्हे मेरे घर का सबसे पसंदीदा हिस्सा दिखाता हू..",दोनो 1 कमरे मे दाखिल हुए जहा करण ने 1 हल्की रोशनी वाला लॅंप जला दिया,"..ये मेरा बेडरूम है.",करण कमरे के दूसरे छ्होर पे 1 शीशे का दरवाज़ा खोल रहा था,"आओ."कामिनी उसके पीछे-2 दरवाज़े के बाहर बाल्कनी मे चली गयी.
"वाउ!",सामने का नज़ारा देख कर उसके मुँह से बेसखता तारीफ निकल गयी.करण की 15 मंज़िला अपार्टमेंट बिल्डिंग पंचमहल के उस इलाक़े की शायद सबसे ऊँची इमारत थी.पास ही पंचमहल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ने सैलानियो & लोगो की तफरीह के लिए 1 बहुत बड़ा बाग बनाया था जिसके बीच मे 1 आर्टिफिशियल झील थी,जिसमे लोग बोटिंग करते थे.आज पूनम की रात थी & पूरे चाँद की सफेद रोशनी मे नीचे बाग & झील बड़े खूबसूरत लग रहे थे.इस वतक़ बह बिल्कुल खाली था & ऐसा लग रहा था मानो उपरवाले ने बस उन्ही दोनो के लिए ये नज़ारा पहा किया हो & उपर से चाँद की शक्ल मे उनपे मुस्कुरा रहा हो.
"कितना खूबसूरत नज़ारा है,करण!..& आसमान मे चाँद भी कितना सुंदर दिख रहा है!"
"आज तक मैं भी यही सोचता था पर अभी-2 एहसास हुआ की मैं कितना ग़लता था.",कामिनी ने सवालीयो नज़रो से उसे देखा.
"इस चाँद,इस नज़ारे से भी खूबसूरत कुच्छ है."
"क्या?"
"तुम",हया से कामिनी के गाल सुर्ख हो गये & उसने करण से नज़रे फेर ली & झील की ओर देखने लगी.उसका दिल बड़े ज़ोरो से धड़क रहा था.शहर की कामयाब,मशहूर क्रिमिनल लॉयर कामिनी शरण इस वक़्त किसी स्कूल की लड़की की तरह घबरा रही थी.
करण ने हाथ बढ़ा के उसके बँधे बॉल खोल दिए तो वो कमर तक लहरा गये,"..ये देखो..ये भी तो काली रात से घिरा चाँद है..",उसने उसकी ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखा तो शर्म के बोझ से कामिनी की आँखे बंद हो गयी,"..पर वो आसमान का चाँद तो इस चाँद के आगे कही भी नही ठहरता!"
करण उसके करीब आ उसके उपर झुक गया था.अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस करते ही कामिनी ने अपनी पलके खोली तो देखा की करण के के होठ उसके होंठो पे झुक रहे हैं & जैसे ही करण के नर्म होंठ उसके गुलाबी होंठो से टकराए उसकी आँखे फिर बंद हो गयी & बदन मे रोमांच की लहर दौड़ गयी.
काफ़ी देर तक करण वैसे ही उसकी ठुड्डी थामे उसके लबो को चूमता रहा & वो भी वैसे ही खड़ी उस लम्हे का लुत्फ़ उठाती रही.दोनो के जिस्मो की बेताबी बढ़ रही थी.करण ने हाथ उसकी नंगी उपरी पीठ के गिर्द डाल उसे बाहो मे भरा तो कामिनी ने भी अपनी बाहे उसकी कमर मे डाल दी.
उसके होंठ चूमते हुए करण ने उनपे अपनी जीभ से दस्तक दी तो कामिनी ने अपने लब खोल उसे अंदर आने का न्योता दिया & जैसे ही करण की जीभ अंदर आई,कामिनी ने अपनी जीभ उस से लड़ा दी.दोनो की बाहे 1 दूसरे पे और मज़बूती से कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.कभी करण उसके मुँह मे अपनी जीभ डालता तो कभी वो करण के.
चूमते हुए करण उसे वापस बेडरूम मे ले आया.अब उसने अपने हाथ कामिनी की पतली कमर मे डाल दिए & कामिनी ने अपनी बाहे उसके गले मे.करण के हाथ उसके पूरे जिस्म पे फिसला रहे थे & उसकी ड्रेस के ज़िप को ढूंड रहे थे.कामिनी को उसकी ये पशोपेश समझ मे आ रही थी पर उसने अपने प्रेमी को छेड़ने की गरज से उसकी कोई मदद नही की. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही ख़तम करता हूँ आगे की कहानी जानने के लिए पार्ट १० पढ़ना ना भूले
क्रमशः..................................
वो लंच टाइम मे नरकेट गयी & काफ़ी देर ढूँढने के बाद 1 बुटीक मे उसे 1 काले रंग की घुटनो तक की स्ट्रेप्लेस्स ड्रेस पसंद आई.शाम को नहा कर जब उसने उस ड्रेस को पहन कर खुद को आईने मे देखा तो उसे अपने उपर थोडा गुरूर हो आया.काले रंग की ड्रेस मे उसका गोरा रंग और भी खिल उठा था.कसी हुई ड्रेस मे उसके बदन के कटाव & भी कातिलाना अंदाज़ मे उभर आए थे.उसने बालो को ड्रेस के मुताबिक 1 खास अंदाज़ मे बाँधा & निकल पड़ी करण से मिलने के लिए.
"हाई!यू'आर लुकिंग गॉर्जियस.",करण ने सर से पाँव तक उसे निहारा.ऊँची हाइ हील सॅंडल्ज़ मे उसके नाज़ुक पाँव & गोरी,सुडोल टांगे बड़ी मस्त लग रही थी.स्टरप्लीस ड्रेस की वजह से उसकी भारी बाहे,उपरी पीठ & चूचियो से उपर का हिस्सा रेस्टोरेंट की रोशनी मे चमक रहे थे.
हाइ हील्स के कारण चलते वक़्त उसकी कमर कुच्छ ज़्यादा ही मटक रही थी.शायद उसकी नशीली चल देख कर ही करण के दिल मे 1 ख़यला आया,"कामिनी,चलो पहले डॅन्स करते हैं."
उसके जवाब का इंतेज़ार किए बगैर ही वो उसे डॅन्स फ्लोर पे ले गया.बड़े दिन बाद कामिनी ऐसे नाच रही थी.तभी म्यूज़िक बदला & काफ़ी धीमी सी रोमॅंटिक धुन बजने लगी,बत्तिया भी मद्धम हो गयी.कारण ने अपने बाए हाथ मे उसका डाय हाथ पकड़ा & दाए मे उसकी पतली कमर,कामिनी ने भी अपना बाया हाथ उसके कंधे पे रख दिया & दोनो खामोशी से थिरकने लगे.
कामिनी को अपनी कमर पे कारण के हाथ का दबाव थोड़ा बढ़ता हुआ महसूस हुआ तो वो उसके थोड़ा और करीब खिसक आई. करण बस लगातार उसे देखे जा रहा था.शर्म के मारे कामिनी उस से नज़रे नही मिला पा रही थी.कारण उस से कद मे लंबा था & ना केवल वो अपनी बाहो मे थिरक रही उस खूबसूरत लड़की के चेहरे को निहार रहा था बल्कि बीच-2 मे उसकी निगाहे नीचे उसके सीने से भी टकरा रही थी.
थोड़ी देर बाद म्यूज़िक बदन हुआ तो दोनो जैसे सपने से बाहर आए & अपनी टेबल पे बैठ खाने का ऑर्डर दिया.खाने के बाद दोनो करण की कार मे वाहा से घर के लिए निकले.आज उसने कामिनी को उसके घर से ही पिक कर लिया था.
कुच्छ देर बाद कार 1 अपार्टमेंट बिल्डिंग के बाहर पहुँची,"मैं यही रहता हू,कामिनी.अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो 1-1 कप कॉफी हो जाए?इसी बहाने तुम्हे अपना ग़रीबखना भी दिखा दूँगा."
क्या करण बस 1 कोफ़फे के लिए कह रहा था...और कोई इरादा नही था उसका?...अगर था भी तो उसे इसी का इंतेज़ार नही था?...तो फिर अब क्यू घबराहट हो रही है उसे?...काब्से वो 1 मर्द के साथ के लिए तरस रही थी & आज जब मौका आया है तो वो 1 कुँवारी लड़की की तरह झिझक रही है!...और फिर करण जैसा सजीले & सुलझे हुए इंसान से अच्छा शख्स & कौन मिल सकता था उसे,"..ओके.करण.चलो."
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"ये है मेरा छ्होटा-सा घर,कामिनी.",बिल्डिंग के दसवे माले के फ्लॅट के अंदर दोनो ने कदम रखा..ड्रॉयिंग-कम-डाइनिंग हॉल बड़े अच्छे अंदाज़ मे सज़ा हुआ था.हर चीज़ काफ़ी कीमती थी पर कही से भी दौलत के दिखावे की झलक नही थी.
"आओ तुम्हे मेरे घर का सबसे पसंदीदा हिस्सा दिखाता हू..",दोनो 1 कमरे मे दाखिल हुए जहा करण ने 1 हल्की रोशनी वाला लॅंप जला दिया,"..ये मेरा बेडरूम है.",करण कमरे के दूसरे छ्होर पे 1 शीशे का दरवाज़ा खोल रहा था,"आओ."कामिनी उसके पीछे-2 दरवाज़े के बाहर बाल्कनी मे चली गयी.
"वाउ!",सामने का नज़ारा देख कर उसके मुँह से बेसखता तारीफ निकल गयी.करण की 15 मंज़िला अपार्टमेंट बिल्डिंग पंचमहल के उस इलाक़े की शायद सबसे ऊँची इमारत थी.पास ही पंचमहल डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन ने सैलानियो & लोगो की तफरीह के लिए 1 बहुत बड़ा बाग बनाया था जिसके बीच मे 1 आर्टिफिशियल झील थी,जिसमे लोग बोटिंग करते थे.आज पूनम की रात थी & पूरे चाँद की सफेद रोशनी मे नीचे बाग & झील बड़े खूबसूरत लग रहे थे.इस वतक़ बह बिल्कुल खाली था & ऐसा लग रहा था मानो उपरवाले ने बस उन्ही दोनो के लिए ये नज़ारा पहा किया हो & उपर से चाँद की शक्ल मे उनपे मुस्कुरा रहा हो.
"कितना खूबसूरत नज़ारा है,करण!..& आसमान मे चाँद भी कितना सुंदर दिख रहा है!"
"आज तक मैं भी यही सोचता था पर अभी-2 एहसास हुआ की मैं कितना ग़लता था.",कामिनी ने सवालीयो नज़रो से उसे देखा.
"इस चाँद,इस नज़ारे से भी खूबसूरत कुच्छ है."
"क्या?"
"तुम",हया से कामिनी के गाल सुर्ख हो गये & उसने करण से नज़रे फेर ली & झील की ओर देखने लगी.उसका दिल बड़े ज़ोरो से धड़क रहा था.शहर की कामयाब,मशहूर क्रिमिनल लॉयर कामिनी शरण इस वक़्त किसी स्कूल की लड़की की तरह घबरा रही थी.
करण ने हाथ बढ़ा के उसके बँधे बॉल खोल दिए तो वो कमर तक लहरा गये,"..ये देखो..ये भी तो काली रात से घिरा चाँद है..",उसने उसकी ठुड्डी के नीचे अपना हाथ रखा तो शर्म के बोझ से कामिनी की आँखे बंद हो गयी,"..पर वो आसमान का चाँद तो इस चाँद के आगे कही भी नही ठहरता!"
करण उसके करीब आ उसके उपर झुक गया था.अपने चेहरे पे उसकी गरम साँसे महसूस करते ही कामिनी ने अपनी पलके खोली तो देखा की करण के के होठ उसके होंठो पे झुक रहे हैं & जैसे ही करण के नर्म होंठ उसके गुलाबी होंठो से टकराए उसकी आँखे फिर बंद हो गयी & बदन मे रोमांच की लहर दौड़ गयी.
काफ़ी देर तक करण वैसे ही उसकी ठुड्डी थामे उसके लबो को चूमता रहा & वो भी वैसे ही खड़ी उस लम्हे का लुत्फ़ उठाती रही.दोनो के जिस्मो की बेताबी बढ़ रही थी.करण ने हाथ उसकी नंगी उपरी पीठ के गिर्द डाल उसे बाहो मे भरा तो कामिनी ने भी अपनी बाहे उसकी कमर मे डाल दी.
उसके होंठ चूमते हुए करण ने उनपे अपनी जीभ से दस्तक दी तो कामिनी ने अपने लब खोल उसे अंदर आने का न्योता दिया & जैसे ही करण की जीभ अंदर आई,कामिनी ने अपनी जीभ उस से लड़ा दी.दोनो की बाहे 1 दूसरे पे और मज़बूती से कस गयी & दोनो 1 दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे.कभी करण उसके मुँह मे अपनी जीभ डालता तो कभी वो करण के.
चूमते हुए करण उसे वापस बेडरूम मे ले आया.अब उसने अपने हाथ कामिनी की पतली कमर मे डाल दिए & कामिनी ने अपनी बाहे उसके गले मे.करण के हाथ उसके पूरे जिस्म पे फिसला रहे थे & उसकी ड्रेस के ज़िप को ढूंड रहे थे.कामिनी को उसकी ये पशोपेश समझ मे आ रही थी पर उसने अपने प्रेमी को छेड़ने की गरज से उसकी कोई मदद नही की. दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस पार्ट को यही ख़तम करता हूँ आगे की कहानी जानने के लिए पार्ट १० पढ़ना ना भूले
क्रमशः..................................