Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:10

तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ..
मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।

फिर मैं वहाँ से अपने घर की ओर चल दिया और करीब 10 मिनट
में घर पहुँचा.. दरवाज़ा बंद होने के कारण घंटी बजाई..
तो मेरी माँ ने दरवाज़ा खोला और मुझे देखते ही बड़बड़ाने
लगीं- तुम्हारा कोई फ़र्ज़ नहीं बनता कि एक बार घर पर बात
कर लूँ और अपना फोन भी ऑफ किए थे?
तो मैंने उनको समझाया- माँ ऐसा नहीं है… मैं और आंटी घर
का सामान लेने बाजार गए थे.. तो विनोद से पता चला था..
पर सामान ज्यादा होने की वजह से मैंने सोचा.. बाद में मैं खुद
ही आप से मिल आऊँगा और मेरे गेम खेलने की आदत आप जानती
ही हो.. तो फोन रात में ही ऑफ हो गया था और चार्जर घर
पर ही है.. इसी वजह से.. आप से बात नहीं कर पाया। खैर.. आप
बोलो.. कोई काम हो मैं कर देता हूँ.. फिर मुझे वहाँ भी जल्दी
निकलना है.. सब्जी भी लेकर जानी है… उनके यहाँ ख़त्म हो
गई है.. वरना उनको खाना पकाने में देरी हो जाएगी..
इतना सब बहाना बनाने के बाद माँ कुछ शान्त हुईं.. और
बोलीं- अरे कोई काम नहीं था.. मैंने बस तेरे हाल लेने के लिए
फोन किया था। तेरा सुबह से ही फोन ऑफ जा रहा था और
माया जी का मेरे पास नम्बर भी नहीं था और विनोद से भी
तेरे कोई हाल-चाल नहीं मिले थे.. तो मुझे चिंता हो रही थी
कि क्या बात हो गई.. बस और कुछ नहीं था.. खैर कोई बात
नहीं.. तुम जल्दी जाओ.. नहीं तो बहन जी को खाना बनाने
में रात ज्यादा हो जाएगी और हाँ.. अपना चार्जर भी लेते
जाना.. वैसे कल तुम्हारा दोस्त कितने बजे तक आ जाएगा?
तो मैंने उन्हें बताया कल सुबह 11 बजे तक..
फिर वो कुछ नहीं बोलीं।
मैंने कपड़े बदले और कुछ पार्टीवियर कपड़े लैपटॉप के बैग में रखे..
साथ ही चार्जर भी डाला और माँ से बोला- अच्छा माँ.. मैं
अब चलता हूँ।
तो उन्होंने बोला- कल समय से आ जाना और अगर देर हो.. तो
फ़ोन कर देना।
फिर मैं ‘ओके’ बोल कर अपने घर से माया के घर की ओर चल
दिया।
अब बस मेरे दिमाग में माया के चिकने गोल नितम्ब नाच रहे थे
कि कैसे आज मैं उसकी गांड बजाऊँगा और यूँ ही ख्यालों में
खोया हुए कब मैं उनके घर पहुँचा.. पता ही न चला।
फिर मैंने घंटी बजाई तो थोड़ी देर बाद माया ने दरवाज़ा
खोला और मुझे देखते हुए बड़े आश्चर्य से बोली- अरे राहुल अभी
तो बस गया था और इतनी जल्दी आ भी गया।
तो मैंने तुरंत बैग सोफे पर पटका और उसे बाँहों में भर कर प्यार
करते हुए उसके चूचे दबा कर कहा- यार तेरी गांड ने मुझे इतना
दीवाना बना रखा है कि मेरा मन कहीं लग ही न रहा था।
तो उसने मेरे गालों पर चुटकी ली और इंग्लिश में शैतानी भरे
लहजे से बोली-यू आर स्वीट एंड सॉर.. तू बड़ा हरामखोर है..
तो मैंने भी उसके भोंपू कस कर दबा कर जवाब दिया- सीखा
तो तुझी से ही है।” फिर वो एक शरारत भरी मुस्कान के साथ
बोली- देख अभी मैं तेरे लिए चाय लाती हूँ और तब तक तू फ्रेश
हो जा.. जब तक तू चाय पियेगा.. मैं तैयार होकर आ
जाऊँगी.. फिर हम किसी अच्छे से होटल में डिनर करने चलेंगे।
तो मैंने भी उससे मुस्कुरा कर बोला- आज तुम मुझे बिना कहे ही
चाय पिला रही हो… क्या बात है जो इतना ख्याल है मेरा..

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:10

तो माया बोली- अरे कुछ नहीं.. जब तू मेरा इतना ख़याल
रखता है.. तो मेरा भी फर्ज बनता है।
इतना कह कर वो रसोई में चली गई और मैं वाशरूम चला गया।
मैंने चेहरा वगैरह साफ किया और अपना बैग खोल कर कपड़े
निकाले।
तब तक माया चाय ले आई और मेरे कपड़े देख कर बोली- ओहो…
क्या बात है राहुल किसी और को भी नीचे गिराने का
इरादा है।
तो मैंने बोला- ऐसा नहीं.. वो तो मैं इसलिए लाया था
क्योंकि पहली बार किसी के साथ मैं डिनर पर जा रहा हूँ..
तो इस पल को और अच्छा करने के लिए मैंने ऐसा किया है।
तो बोली- वैसे जो पहने हो.. वो भी ठीक हैं.. पर जब लाए
हो.. तो बदल लो… अब तो मुझे भी तेरी तरह सजना पड़ेगा..
ताकि मैं तेरे इस पल को और हसीन कर दूँ। अब तुम चाय की
चुस्कियों का आनन्द लो और मैं चली तैयार होने..
तो मैंने झट से एक हाथ से चाय का मग पकड़ा और दूसरे हाथ से
उनके चूचे मसके..
तो बोली- अरे छोड़ो.. अभी रात भी अपनी ही है.. नहीं तो
जाने में देर हो जाएगी। मैंने बोला- चुस्कियों का मज़ा जो तेरे
मम्मे देते हैं वो चाय में कहाँ..
और एक बार उसके मस्त मम्मों को फिर से दबा दिया।
तो माया बोली- अच्छा.. अब जाने भी दो.. रात को जी
भर के चुस्कियां ले ले कर पी लेना.. पर अभी तुम सिर्फ चाय
पियो।
इतना कहकर वो चली गई और मैंने भी चाय ख़त्म की। मैं अपने
कपड़े पहनने लगा और तैयार हो गया और वहीं सोफे पर बैठ कर
माया का इन्तजार करने लगा घड़ी देखी.. तो आठ बज चुके थे
पर माया अभी तक नहीं आई।
मैंने मन में सोचा पता नहीं ये कितना देर लगाएगी तो मैंने
आवाज़ लगाई- आंटी और कितनी देर लगाओगी?
तो वो बोली- बस थोड़ा और वेट करो..
देखते ही देखते साढ़े आठ बज गए.. मैंने फिर जोर से आवाज़ दी-
आंटी जल्दी करो..
तो वो बोली- बस हो गया अभी आई..
करीब पांच मिनट बाद आंटी आ गई और मुझसे बोली- तुमको
इतनी बार बोला मुझे आंटी-वांटी नहीं.. माया बोला करो..
पर तुम्हें समझ नहीं आता क्या?
पर उनकी इस बात का मेरे ऊपर कोई असर नहीं पड़ा कि वो
क्या कह रही है क्योंकि मैं उसे देखता ही रह गया था।
आज वो किसी मॉडल से कम नहीं दिख रही थी.. क्या बला
की खूबसूरत लग रही थी जैसे priyanka chopra..
उसने अपने बालों को पोनी-टेल की तरह बांध रखा था और नेट
वाला अनारकली सूट पहना हुआ था..
आँखों में काजल और मस्कारा वगैरह लगा कर मेकअप कर रखा
था..
आज वो वाकयी बहुत सुन्दर सी किसी परी की तरह दिख
रही थी।
उसके होंठों पर जो सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक थी.. वो
भी शाइन मार रही थी।
मैं तो उसके रूप-सौंदर्य में इतना खो गया था कि मुझे कुछ भी
सुनाई नहीं दे रहा था और सिर्फ वही दिखाई भी दे रही थी।
यार क्या गजब का माल लग रही थी.. देख कर लग ही नहीं
रहा था कि ये रूचि की माँ है या उसकी बड़ी बहन है.. मैंने उसे
अपनी बाँहों में लेकर चूम लिया उसके गर्दन और उसके कपड़ों से
काफी अच्छी सुगंध आ रही थी.. जो की किसी इम्पोर्टेड
सेंट की लग रही थी।
मैंने उससे पूछा- कौन सी कंपनी का कमाल है.. जो इतना
मादक महक दे रही है?
तो उसने बताया- अभी पिछली बार मेरे पति लाए थे।
‘अरे मैंने कंपनी पूछी है…’
तो बोली- ‘ह्यूगो बॉस’ का है।
तो मैंने भी मुस्कुरा कर बोला- फिर तो फिट है बॉस.. वैसे आज
इतना सज-धज के चलोगी तो पक्का दो-चार की जान तो ले
ही लोगी।
तो बोली- मुझे तो बस अपने इस आशिक से मतलब है और मैंने
तुम्हारी ख़ुशी के लिए ये सब किया है ताकि तुम्हारी पहली
डेट को हसीन बना सकूँ।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:10

मैंने कहा- पर इतना सब करके हम चलेंगे कैसे.. बाइक से तो जमेगा
भी नहीं।
तो उसने मुझे कार की चाभी दी और बोली- मुझे तो चलानी
आती नहीं.. अगर तुम्हें आती हो तो चलो.. नहीं तो फिर हम
बाइक से ही चलते हैं।
तो मैंने उनसे चाभी ली और बोला- यार मैं बहुत अच्छे से चला
लेता हूँ..
तो वो कुछ मुस्कुरा कर बोली- हम्म्म बिस्तर पर तो अच्छा
चलाते हो.. अब रोड पर भी देख लूँगी।
मैंने उसको एक आँख मारी और फिर मैं और वो चल दिए।
माया ने अपार्टमेंट के गार्ड को चाभी दी और बोला- जाओ
कार बाहर ले आओ..
वो काफी समझदार थी.. क्योंकि उसे तो चलानी आती
नहीं थी और वो जाती तो कैसे लाती और मेरे साथ अगर बैठ
कर निकलती तो उसे और लोग भी नोटिस करते।
मैंने उसके दिमाग की दाद तो तब दी..
जब गार्ड गाड़ी लेकर आया तो उसने झट से ही ड्राइविंग सीट
के अपोजिट साइड वाला गेट खोला और मुझसे बोली- अभी
मुझे देखना है कि तुम कार चलाना सीखे या अपने दोस्त की
ही तरह हो.. क्योंकि विनोद केवल काम चलाऊ ही चला
पाता है.. आज तक मैंने कभी भी उसे कार चलाते नहीं देखा
था।
मैं भी उसकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाते हुए बोला- आंटी ये बात है..
तो आप बैठिए और आज मैं ही पूरी ड्राइविंग करूँगा और उसे एक
आँख मार कर गाड़ी में बैठने लगा।
तो गार्ड बोला- मैडम आप रिस्क क्यों ले रही हैं.. आप ही ले
जाइए न..
तो आंटी बोली- अरे बच्चे को मौका नहीं मिलेगा तो
सीखेगा कैसे?
फिर मैंने गाड़ी स्टार्ट की और चल दिया.. कुछ दूर पहुँचते ही
उनसे गुस्से में बोला- मैं अभी बच्चा हूँ।
तो बोली- तो क्या कहती उससे कि मेरा पति है.. और तुमने
भी मुझे आंटी बुलाया था.. समझो बात बराबर।
तो मैंने बोला- अरे कोई दूसरा न सुने.. इसलिए मैं आंटी-आंटी
कह रहा था.. ऐसे तो माया ही बुलाता हूँ..
‘अरे तो मैंने भी इसी लिए बोला था.. ताकि किसी को शक
न हो।’
तो मैंने बोला- आप नाम भी ले सकती थी।
‘अरे बाबा.. सॉरी.. मुझे माफ़ कर दे.. गलती हो गई और रोड
पर ध्यान दे।’
फिर वो मुझसे बोली- वैसे हम डिनर पर कहाँ चल रहे हैं?
तो मैंने बोला- जहाँ आप सही समझो।
उसने बोला- अब तेरी पहली डेट को कुछ स्पेशल तरीके से
बनानी है.. तो कुछ स्पेशल करते हैं। एक काम करो लैंडमार्क
चलते हैं।
तो मैंने बोला- इतना मेरा बजट नहीं है.. किसी सस्ते और अच्छे
होटल में चलते हैं।
तो वो मेरे गालों पर प्यार भरी चुटकी लेकर बोली- यार तू
कितना भोला है.. मैं इसी कारण तुझ पर मरने लगी हूँ.. पर
अभी मैं जैसा बोलती हूँ.. वैसा ही करो, नहीं तो मुझे बुरा
लगेगा।
तो मैंने बोला- पर मेरी एक शर्त है।
बोली- कैसी?
मैंने बोला- जो भी बिल होगा उसे मैं ही दूँगा.. अभी मेरे पास
2500 रूपए के आस-पास हैं तो मैं आपको 2000 रूपए दे रहा हूँ और
आगे जितना भी होगा उसे आपको मैं जब बाद में दूँगा तो आप
ले लोगी।

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