माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:26

मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी पैन्टी के उपर से उसकी चूत पर फिराने लगा। रीमा ने अपने हाथ अपने मम्मो पर रख लिये और धीरे धीरे उनके साथ खेलने लगी। उसके हाथ मम्मो पर से बार बार फिसल रहे थे क्योकी उसकी चूचीयाँ मेरे थूक से बुरी तरह गीली थी। उसके मुँह से हल्की हल्की करहाने की आवाज आ रही थी। आह उम्हऽऽऽऽ ओहऽऽऽऽऽ सीस्सऽऽऽऽऽऽऽऽ। मैं अपनी जीभ से लगातार उसकी चूत चाट रहा था। रीमा को भी धीरे धीरे मस्ती बढ रही थी उसने अपने चूतड गोल गोल चक्की की तरह से घुमाने शुरु कर दिये थे। और आँख बंद करके अपने मम्मो पर हाथ फेरते हुये मजे से अपनी चूत चटा रही थी। मेरी हरकतो से वह बहुत मस्त हो गयी थी।

रीमा चूत चटाते हूये बोली हाय रे बेटा तेरी जीभ मे न जाने क्या जादू है। क्या चूत चाटता है तू। मस्त कर दिया तूने तो मुझे मन करता है कि तेरी जीभ पर इसी तरह बैठी रहू और अपनी चूत चटाती रहूँ। तुझे भी लगता है मेरा बदन बहुत मस्त लगा है। जब से आया है मेरे बदन को चाटने मे लगा है। लगता है तुझे मेरी चूत चाटना बहुत अच्छा लगता है तभी तो तूने चूत चटायी इनाम मे मांगी। मेने कहा माँ मैं बहूत बडा चूत चटोरा हूँ किसी भी मस्त औरत को देख कर सबसे पहले उसकी चूत चाटने के बारे मे ही सोचता हूँ। चूत चाटने के बारे मे सोच कर मुठ मारने मे मुझे बहुत मजा आता है।

ओह बेटा चाटता जा मेरी चूत रुक मत मेरे लाल हाय रे। अब उसकी कमर जोर जोर से घुमने लगी थी। और कभी कभी अपनी चूत कस कर मेरे मुँह पर दबा देती थी। अब वह अपनी चूचीयाँ जोर जोर से मसल रही थी। और अपनी घुडीयो को भी खीच रही थी। मैंने अपनी जीभ को कडा करके सीघा कर लिया था और रीमा उस पर अपनी चूत रगड रगड कर चूत चटायी के मजे ले रही थी। फिर उसने अपने चुतड घुमाना छोड कर मेरी जीभ पर जोर जोर अपनी चूत उछालनी शुरु कर दी जिससे मेरी जीभ उसकी पैन्टी के साथ उसकी चूत मे घुस रही थी। और वह जोर जोर से चिल्ला रही थी। आह ओह क्या जीभ है तेरी साले मजा आ गया। फिर थोडी देर मेरी जीभ पर उछलने के बाद उसने फिर से अपने चूतडो को गोल गोल घुमाना शुरु कर दिया।

इस तरह कुछ देर तक चूत चटाते चटाते रीमा थक गयी और रुक गयी और आगे को झुक कर कालीन पर लेट गयी। इसतरह से उसकी चूत अभी भी मेरे मुँह के सामने थी और उसका पेट मेरे सर पर टिक रहा था। इस तरह से मैं उसके शरीर के उपरी भाग को नही देख सकता था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर चलानी जारी रखी। पर अभी तक मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पर नही चलायी थी। फिर ऐसे लेट कर रीमा ने अपने चूतड मेरे मुँह के उपर उछालने शुरु कर दिये। मैंने भी अपने हाथ उसके चुतड पर रख दिया और धीरे धीरे दोनो चुतडो को मसलता हुआ उसकी चूत कि चटायी मे जुट गया।

इस तरह से चूत चटायी मे रीमा को और मजा आने लगा और वह बकने लगी हाय रे मेरे बेटे तेरी जीभ ने तो मेरे उपर जादू कर दिया है। मन करता है इसी तरह तेरी मुँह पर चूत रख कर चटाती रहूँ। कितना प्यार करता है तु अपनी माँ की चूत से मेरे बेटा चाटे जा बहनचोद खा जा मेरी चूत हाय मार डाला रे इस हरमी ने मेरी चूत चाट चाट कर। उसकी चूत तो रस का खदान थी दो बार झड चूकी थी और इतना रस बहा चूकी थी पर फिर भी उसकी चूत से बराबर रस बह रहा था। और उसके चूत रस की तीखी मस्तानी गंध मेरे नाक के जरीये मेरे शरीर मे समा रही। रीमा के बदन ने मुझ पर इतना जादू कर दिया था की वह जो भी कहती मैं मान लेता।

मैंने उसकी चूत को चाटना जारी रखा और अब मैंने उसके चूत के दाने पर भी जीभ रगडनी शुरु कर दी। रीमा अब बिल्कुल पागल हो चुकी थी और जोर जोर से अपने चूतड उछाल कर मेरे मुँह पर पटक रही थी। उसे अब बिल्कुल भी होश नही था। अब वह झडने के बिल्कुल करीब थी। मैं सर भी उसके बदन के भार से दबा जा रहा था। फिर मैंने उसके चूतड कस बाहो मेर भर कर पकड लिये जिससे वह ज्यादा उछल ना सके और उसके चूत के दाने पर अपनी जीभ की नोक रगडनी शुरु कर दी। मेरे इस तरह के आक्रमण को रीमा की चूत नही झेल रही और वह जोर जोर से चिलाते हुये झड गयी। रीमा ने अपनी पूरी ताकत से अपनी चूत मेरी जीभ पर दबा दी। मेरी नाक भी उसके पेट पर दब गयी मुझे ऐसा लगा की मेरी साँस घुट जायेगी। वह इतनी जोर से झडी थी ऐसा लग रहा था की उसकी साँस ही रुक गयी है और उसका पुरा बदन बहुत कडा हो गया था।

मेरी नाक दब जाने के कारण मै बडी मुश्किल से साँस ले पा रहा था मुझे लगा वह कुछ देर ऐसे ही पडी रही तो मे मर ही जाऊगा। पर धीरे धीरे रीमा का बदन ढीला पड रहा था। और वह नार्मल हो रही थी। थोडी देर बाद उसने अपने बदन को बिल्कुल ढीला छोड दिया। फिर काफी देर तक हम दोनो ऐसे ही पडे रहे। और मेरे हाथ उसके मस्त भारी चूतडो पर चलते रहे। फिर मैंने रीमा से कहा माँ मजा आया चूत चटाने मे रीमा बोली हाँ बेटा मैं तो बस निहाल हो गयी इतना मजा दिया है तुने मुझे थोडे से समय मे। तू चिंता मत कर मैं भी तुझे पुरा मजा दूगी अपने बदन का। तेरे सामने चूतो कि लाइन लगा दूंगी। तेरे हाथ मेरे चूतडो पर बहुत अच्छे लग रहे है। इतने जबरदस्त झडने के बाद तेरे हाथो ने मुझको शांत कर दिया है।

The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:27

बेटा मुझे पता है कि तू नीचे दब गया होगा पर थोडी देर और इसी तरह मेरे चूतडो पर हाथ फेर दे फिर मैं उठ जाती हूँ। मैंने कहा थोडी देर क्या माँ जितनी देर तुम चाहो पडी रहो मैं ऐसे ही तुमको मजा देता रहूँगा। थोडी देर और अपने चूतडो को मसलवाने के बाद रीमा उठ कर मेरी छाती पर बैठ गयी उसके मोटे मोटे भारी चूतड मेरी छाती पर उसके भार के कारण धंस गये थे। फिर मेरे बालो मे हाथ फेरते हुये बोली तो मेरा बेटा चूत चटोरा है। मैंने कहा हाँ माँ मेरे हिसाब से चूत से स्वादिष्ठ इस दुनिया मे कुछ भी नही है। फिर रीमा उठ कर खडी हो गयी और मैं भी उठ कर बैठ गया और उसकी जाँघो का चुम्बन ले लिया।

फिर मै उठ कर खडा हो गया और उसकी नंगी कमर मे हाथ डाल दिया मेरा मस्त लंड उसकी पैन्टी से टकरा रहा था। रीमा बोली बेटा चल अब अपनी माँ को पूरा नंगा कर दे अब इस पैन्टी को कोई जरुरत नही है। अपनी अपनी माँ कि चूत की लाज का घूघंट उठा दे। तेरा भी मन कर रहा होगा अपनी माँ की चूत देखने का। मैंने रीमा को और अपनी तरफ खीच लिया और मेरे हाथ उसके चूतडो पर चल रहे थे। मेरे होठं रीमा के होठों के काफी करीब था। चल अब देर क्यो कर रहा है इस छोटी से पैन्टी की अब हमारे बीच कोई जरुरत नही है। वैसे भी पैन्टी काफी गीली हो गयी है और गीले कपडे नही पहनने चाहिये नही तो ठंड लग जाती है।

मैं रीमा की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और बोला जब तुम्हारे बेटे के पास ये गरम लौडा है तो तुमको ठंड कैसे लगेगी। और आगे बढ कर उसके होठों का एक चुम्बन ले लिया। और बोला ठीक है माँ उतार देता हूँ तुम्हारी पैन्टी वैसे मैं भी अब चूत देखने को मरा जा रहा हूँ। फिर मैंने अपने हाथ उसकी कमर से निकाल कर नीचे झुक कर कुशन उठा कर सोफे पर रख दिया। और घुटनो के बल नीचे बैठ गया। और अपने हाथो से कमर पर उसकी पैन्टी पकड ली। फिर अपनी आँखे बंद कर ली क्योकी मैं पैन्टी उतार कर पुरे इत्मिनान से उसकी चूत देखना चाहता था।

और मैंने उसकी पैन्टी उतारनी शूरु कर दी। उसकी पैन्टी नायलान की थी। जैसे ही मैंने उसके कमर से पैन्टी को नीचे किया उसकी पैन्टी उसके चूतड मे फंस गयी। क्योकी उसके चूतड बहुत भारी इस लिये पैन्टी उसके चूतड से निकल नही रही थी। मैंने फिर जोर लगा कर उसकी पैन्टी को खीच दिया और एक झटके के साथ उसकी पैन्टी उसके चूतड से अलग हो गयी। फिर मैंने पैन्टी बिल्कुल नीचे तक खीच दी अव वह उसके पैरो पर पडी थी। मेरी आँखे अभी भी बंद थी और पैन्टी मैंने अपने हाथो मे पकड रखी थी। रीमा ने अपने पैर उठा कर पैन्टी मे से निकाल लिये। मैंने अपना सर नीचे करके अपनी आँखे खोल ली और पैन्टी को उठा कर अपनी नाक पर रख लिया।

उसकी पैन्टी की महक क्या मादक थी। उसको सुघंते ही मेरे लंड ने एक जबरदस्त झटका मारा। उसकी पैन्टी उसके चूत रस की महक से भरी हुयी थी। रीमा ने मुझे इसतरह से अपनी पैन्टी से खेलते देखा तो बोली बेटा हमारे पहले मिलन के समय पहने गये मेरे कपडे मैं अपने पास रखूंगी पर ये पैन्टी तू रख सकता है। आखिर तेरे पास भी तो कुछ होना चाहिये। मैंने फिर रीमा की पैन्टी लेकर उससे अपने लंड से बहते रस को साफ कर दिया। और फिर उस पैन्टी को और कपडो के साथ रख दिया।

मेरा मुँह अभी भी नीचे था मैंने रीमा से कहा माँ अब मैं सोफे पर बैठता हूँ और तुम मेरे सामने आकर खडी हो जाओ जिससे मे जी भर कर तुम्हारी चूत निहार सकूं। रीमा बोली ठीक है बेटा और मैंने अपनी आँखे बंद की और उठ कर सोफे पर बैठ गया। रीमा फिर मेरे सामने आ गयी और बोली लो बेटा देख ले अपनी माँ की चूत। मैंने अपनी आँखे फिर खोल ली। रीमा ने अपने पैर थोडे से खोल लिये थे और अपने हाथ अपने चूतडो पर रख लिये थे और तन कर खडी थी जिससे उसकी चूचीयाँ बाहर को निकल रही थी। और रीमा कि मस्ती का खजाना उसकी चूत मेरी आँखो के सामने थी।

अब मै पहली बार रीमा को पूरा नंगा देख रहा था। पूरी नंगी होकर रीमा किसी अप्सरा से कम नही थी। मेरी नजर उसकी चूत पर गयी। उसकी चूत बहुत ही सुन्दर थी। उसकी चूत के आस पास बहुत घने काले घुंघराले बाल थे। पर उसने अपनी चूत की फांको के आसपास के बाल साफ कर रखे थे। उसकी चूत कुछ फूली हुयी थी और इतनी चटायी कराने के कारण गीली हो गयी थी। उसकी चूत के दोनो फांके थोडी खुली हुयी थी। जिस मे से उसकी चूत का दाना बाहर झांक रहा था। उसकी चूत का खुला मुँह इस तरह से लग रहा था जैसे कह रहा है आओ राजा तुम्हारे लंड के लिये मेरा मुँह खुला है घुसा तो अपना मुसल इसमे और कर दो इसकी कुटायी।

उसकी चूत मुझे चूदायी का खुला निमंत्रण दे रही थी। मैं थोडी देर उसकी चूत निहारता रहा फिर बोला माँ मैंने तुमको अब नंगा करके तुम्हारी चूत देख ली अब मुझको अपने नंगे चूतडो के भी दर्शन करा दो। रीमा बोली ले बेटा कर ले दर्शन चूतडो के कह कर रीमा घूम गयी और उसके होदे जैसे चूतड मेरी आँखो के सामने थे। उसने अपने हाथो को चूतडो से हटा कर अपनी कमर पर रख लिया था। उसके चूतड कुछ इस तरह से लग रहे थे जैसे दो रबर के बडे बडे गोलो को सटा कर रख दिया गया हो। उनके बीच की दरार मे रीमा कि गाँड का छेद छुपा था। उसके चूतड उसकी कमर से ऐसे बाहर निकले थे जैसे कोई पहाड की हो। और उस पर उनक सफेद संगमरमरी रंग उसकी सुन्दरता को चार चाँद लगा रहा था। उसके चूतड इतने चिकने थे कि कोई भी देखे तो फिसल जाये।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:29

उसके चूतडो के नीचे से झाँकती उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे कह रही हो राजा अगर चूतड इतने सुन्दर है तो मैं भी कुछ कम नही। और उनमे से निकलती उसके चूत रस और बदन की मिली जुली गंध किसी को भी मदहोश बना दे। मेरी हालत धीरे धीरे खराब हो रही थी। फिर मैंने कहा माँ अपने चूतड तो दिखा दिये अब अपनी गाँड भी दिखा दो। रीमा बोली मेरी गाँड देखेगा अपनी माँ की गाँड देखेगा मेरा लाल ले देख ले दिखा देती हूँ तुझे। यह कह कर रीमा थोडा आगे झुकी और अपने हाथो से अपने चूतड पकड कर उनको खीच कर अलग कर दिया। उसके इस तरह से आगे झुकने से उसकी चूत पूरी तरह से पीछे से दिखायी देने लगी।

मेरी नजर अब उसकी गाँड पर थी। उसकी गाँड का छेद उसकी चूतड खीचने के कारण काफी खुल गया था और उसके अंदर का लाल लाल भाग दिख रहा था। उसकी गाँड के आसपास का रंग थोडा गहरा भूरा था इसका मतलब था उसकी गाँड कयी बार चुदी है। और चुद चुद कर उसका छेद बडा हो गया था। उसकी चूत नीचे से झाँक रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे कह रही हो तो तुमको मेरी बहन गाँड से भी प्यार मुझे इससे कोई फर्क नही पडता जब तक तुम मुझे और मेरी बहन को चोद चोद कर पूरा मजा देते रहो। हम दोनो बहनो मे बहुत प्यार है तभी तो हम दोनो हमेशा इतनी पास पास रहती है।थोडी देर मैं उसकी गाँड को निहारता रहा। रीमा ने इसी तरह खडे खडे पीछे मुड कर देखा और बोली बोल बेटा कैसी लगी तुमको अपनी नंगी माँ। मैंने कहा आओ माँ मेरी गोदी मे बैठो बताता हूँ। रीमा ने खडी होकर आकर मेरे लंड को हाथ से पकड पर नीचे किया और उसे अपने चूतड से दबा कर मेरे गले मे अपनी गोरी गोरी बाहो का हार डाल कर बैठ गयी। मैंने अपनी बाहे उसकी कमर मे डाल कर उसके चिकने बदन पर फिराने लगा और बोला माँ मेरी प्रेमिका मेरी रानी मैंने तुम्हारी कोख से जन्म नही लिया पर मन करता है कि काश मैंने तुम्हारी कोख से जन्म लिया होता तुम्हारी जैसी सुंदर माँ कौन नही चाहता।

मेरी बात सुनकर रीमा बोली लगता है मेरे लाल को अपनी नंगी माँ बहुत पंसद आयी। तुम्हारी चूत बहुत सुन्दर है तुम्हारे मम्मो का उभार कातिलाना है। तुम्हारी नंगी चिकनी टांगे मस्त है। और सबसे सुन्दर तुम्हारे चूतड है। तो मेरे बेटे को माँ के चूतडो से प्यार हो गया है। मैंने कहा हाँ माँ बहुत। ठीक है कभी तेरे को पुरे दिना अपने चूतड से खेलने दूगी तब मस्त होकर प्यार कर लेना उनसे। अब बोल क्या इरादा है। नंगा तो कर लिया अपनी माँ को आगे क्या करेगा। मैंने बोला माँ मुझको अब तुम्हारी चूत चोदनी है अपनी पहली चूत अब मुझसे बिल्कुल भी नही रहा जा रहा।

रीमा बहुत बडी रंडी थी उसको पता था कब क्या करना है। उसने मेरे से कहा बेटा तेरा लंड तो इतनी देर से खडा है इसलिये गुस्से मे आ गया है और फूल कर काफी मोटा हो गया है। अगर मैंने इससे चुदवाया तो मेरी तो चूत फट जायेगी मैं तो नही चुदवाउगी इससे। मैंने कहा माँ ऐसे मत कहो देखो मे तुमको इतनी देर से मजा दे रहा हूँ अब तुम भी तो मुझे मजा दो। बेटा मैं भी चाहती हूँ कि मैं तुझको मजा दू पर क्या करू तेरा मुसल देख कर मुझे डर लग रहा है। मैंने कई मर्दो से चुदवाया है पर किसी का भी लंड को इतनी देर तक खडा नही रखा तेरा तो लोहे की रॉड हो गया है इस गर्म रॉड से चुदा लिया तो मेरी चूत के तो चिधडे उड जायेगे बेटा।

माँ मुझे ऐसे मत तडपाओ अपने बेटे की हालत पर तुमको बिल्कुल भी तरस नही आता। रीमा बोली ठीक है बेटा तेरे लिये मैं अपनी चूत कुर्बान कर देती हूँ। लेकिन तेरा लंड एकदम सुखा है पहले इसका कुछ करना होगा तू यही बैठ मै तेल लेकर आती हूँ तेरे लंड पर तेल लगा दूंगी तो थोडा चिकना हो जायेगा फिर शायद मेरी चूत फटने से बच जाये। मैंने कहा हाँ माँ लगा तो तेल एकदम चिकना कर दो इसको मैं तुम्को अपने चिकने लंड से धीरे धीरे चोदूगां तुम्हारी चूत फटने नही दूगां। फिर रीमा ने मुझको गाल पर चूम लिया और उठ कर बेडरुम कि तरफ चल दी। उसके उठने से मेरा लंड एकदम स्प्रिगं की तरफ उछल कर खडा हो गया। रीमा अपने चूतड मटकाते हुये चली गयी। और थोडी देर बाद तेल कि शीशी लेकर बाहर आ गयी।

फिर मेरे पास आकर बोली ला बेटा तेरे लंड पर तेल लगा कर इसको थोडा चिकना कर देती हूँ। और मेरी टांगो के बीच घुटनो के बल बैठ गयी। तेल कि शीशी खोल कर उसने थोडा तेल अपने हाथ मे लिया और शीशी नीचे रख दी। अपने हाथ के तेल को उसने जमकर मल लिया और आगे बढ कर पहले मेरे मदमस्त लंड का एक चूम्बन ले लिया। फिर उसने अपने हाथ बढा कर मेरा लंड अपने हाथ मे लिया। उसके कोमल और मुलायम हाथो मे आते ही मेरा लंड उछलने लगा। मेरे लंड पर अभी भी पेटीकोट का नाडा बंधा था नही तो कबका झड गया होता। रीमा ने मेरे लंड को अपने एक हाथ मे पकड लिया और दुसरे हाथ से उसको पुचकारने लगी। ऐसा करके वह अपने हाथ मे लगा तेल मेरे लंड पर लगाने लगी। उसके हाथो के प्यार भरे स्पर्श और ठंडे तेल की वजह से मेरे लंड को थोडा आराम मिला।

एक हाथ से पुचकारते हुये रीमा ने लंड के एक तरफ पूरी तरह से तेल लगा दिया। फिर लंड को दुसरे हाथ से पकड लिये और पुचकारते हुये लंड के दुसरी तरफ भी तेल लगा दिया। रीमा लंड पर तेल लगाते हुये बोली अब इस पर तेल लग जायेगा तो बडा चिकना हो जायेगा फिर शायद मेरी चूत फटने से बच जाये। थोडी देर पुचकारते हुये तेल लगाने के बाद रीमा ने एक हाथ मे मेरे लंड को पकड कर पुरे लंड पर फिसलते हुये तेल लगाने लगी और फिर दुसरे हाथ से भी ऐसा ही करती। इस तरह से तेल लगाने से लंड की गर्मी और बढ गयी और मेरा लंड रीमा के हाथो मे और फूलने लगा। मेरे लंड की सारी नसे दिख रही थी। मेरे लंड कि हालत ऐसी थी जैसे किसी गुस्सैल सांड की होती है।vvvvvvvvvvv

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