दूसरे दिन जब सलमा आँटी आयी तो उनके साथ एक लड़की भी थी। होगी कोई तकरीबन सत्रह या अठारह साल की। काफी खूबसूरत थी। मैंने दोनों को अंदर आने के लिये कहा। मैंने अपने और आँटी के लिये पैग बनाये और उस लड़की के लिये कॉफी बनाने किचन में चली गयी। आँटी तो मेरे साथ फ्री थी ही.... वो भी किचन में आ गयी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गयी। हम व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगीं। आँटी ने बताया कि “इस लड़की का नाम डॉली है... इसके पेरेंट्स भी उनके साथ वाली बिल्डिंग में ही रहते हैं। इसकी मम्मी सायरा और डैडी जॉन, दोनों रेलवे में काम करते हैं। इसके डैडी एंगलो-इंडियन क्रिसचन हैं लेकिन मम्मी मुस्लिम हैं।“ उनकी लव मैरिज थी ये मुझे बाद में पता चला। खैर, आँटी को डॉली की मम्मी ने बोला था कि मुझसे पूछें कि क्या मैं डॉली को उसके बारहवीं के इग्ज़ैम के लिये कुछ मदद कर सकती हूँ। मैंने कहा कि, “आँटी आप को पता नहीं कि अब मैं जॉब करने लगी हूँ और ऑफिस से काम घर में ला कर यहीं पे डेटा एंट्री करती हूँ जिसके लिये ऑफिस से मेरे घर में एक कंप्यूटर भी आ गया है और मैं उसको फ़ुल टाईम नहीं दे सकती.... बस इतना कर सकती हूँ कि उसको थोड़ा सा गाईड कर सकती हूँ और उसके होमवर्क में या कोई मुश्किल हो तो समझा सकती हूँ पर फ़ुल टाईम नहीं पढ़ा सकती।“
सलमा आँटी ने कहा कि “ठीक है, ये कल से तुम्हारे पास आ जायेगी इसको इसके इग्ज़ैम तक ही मदद कर दो... बारहवीं का इंपोर्टेंट साल है।“ मैंने कहा कि “कोई बात नहीं.... ये कल शाम से आ जाये....” सुबह का टाईम मैं एस-के के लिये फ्री रखना चाहती थी। डॉली बहुत ही खूबसूरत लड़की थी, एक दम से गुड़िया जैसी। शायद इसका नाम इसी लिये डॉली रखा होगा। अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी। क्रीम जैसा गोरा रंग, लाईट ब्राऊन कलर के बालों की पोनी टेल जो उसके सर से लटकती हुई बहुत अच्छी लग रही थी। जैसे इस उम्र की लड़कियों में सजने-संवरने क नया जोश होता है वैसे ही उसने मेक-अप वगैरह किया हुआ था। नये स्टाईल का शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहना हुआ था। नाखुनों पे नेल-पॉलिश, होंठों पर लिपस्टिक और पैरों में स्ट्रैपी सैंडल। चूचियाँ थोड़ी छोटी ही थी, संतरे जितनी होंगी। उसके ब्लाऊज़ में से उसके निप्पलों का छोटा सा उभार साफ़ नज़र आ रहा था। मीडियम-बिल्ट थी उसकी लेकिन सब मिलकर वो एक बे-इंतहा खूबसूरत डॉल जैसी थी और मुझे पक्का यकीन था कि रास्ते चलते कितने लोग उसको देख के अपने पैंट मैं ही झड़ जाते होंगे। डॉली डाँस क्लास भी अटेंड करती थी। इसी लिये उसकी टाँगें और जाँघें भी बहुत ही शेप में थीं और जब वो मुस्कुराती तो उसके गालों में छोटे-छोटे डिंपल पड़ते बहुत ही मस्त दिखायी देते थे।
एक हफ्ता आँटी तकरीबन रोज़ाना आती रहीं और हम मिलकर घंटों लेस्बियन-चुदाई करते। बाद में सुबह एस-के आ जाता और एक-दो पैग पी कर फिर हम दो या तीन रॉऊँड मस्त चुदाई करते और फिर वो ऑफिस चला जाता। कभी तो डायरेक्ट लंच से थोड़ा पहले आता और चुदाई के बाद लंच करके चला जाता। डॉली तकरीबन डेली शाम को पाँच बजे के करीब आ जाती और अपना काम करती रहती। कभी उसे कुछ पूछना होता तो मैं उसको समझा देती.... कभी मैथ तो कभी सायंस। डॉली एक एवरेज स्टूडेंट थी लेकिन समझाने पर जल्दी ही समझ जाती। मैं उसको अक्सर देखती रहती थी.... वो थी ही इतनी खूबसूरत।
किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
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एक दिन अच्छी खासी बारिश हो रही थी। एस-के भी नहीं आ सका था और अशफाक हमेशा की तरह कहीं बाहर टूर पे गये हुए थे। सलमा आँटी भी कहीं मसरूफ थीं। दो दिन से चुदाई नहीं हुई थी तो मैं थोड़ा सा उदास थी और मौसम भी ऐसा ही था कि मैंने अकेले ही बैठ कर व्हिस्की के दो तगड़े पैग पी लिये। फिर जैसे मैं एस-के के लिये मेक-अप वगैरह करती हूँ, वैसे ही मेक-अप किया और हाई-हील सैंडल पहने और एस-के को याद करते हुए नशे में अपनी चूत को एक केले से खूब चोदा। थोड़ी देर बाद, शाम के वक़्त जब डॉली ने बेल बजायी तो मैंने फटाफट एक नाईटी और उसके ऊपर गाऊन पहन लिया और डोर खोला। वो अच्छी खासी भीग चुकी थी। मैंने कहा कि “अरे डॉली.... तुम तो भीग चुकी हो.... चलो अंदर, मैं तुम्हें टॉवल देती हूँ... अपने जिस्म ड्राई कर लो और तुमको इतनी बारिश में आने की क्या ज़रूरत थी.... कल आ जाती ना!” उसने कहा, “नहीं आँटी मुझे कुछ आप से समझना था.... कल हमारी क्लास में सायंस का टेस्ट है.... इसी लिये आना ज़रूरी था”, तो मैंने कहा, “ठीक है पहले तुम चलो और अपना जिस्म पौंछ लो.... फिर पढ़ लेना।“ मैं डॉली को लेकर अपने रूम में आ गयी और उसको बड़ा सा टॉवल दिया और कहा कि “तुम अपने कपड़े उतार दो और ये टॉवल लपेट लो.... कपड़े जब सूख जायें तो पहन लेना।“ तो उसने कहा, “ठीक है आँटी!” डॉली कुछ हिचकिचा कर रही थी कपड़े चेंज करने के लिये क्योंकि मैं कमरे में ही थी लेकिन मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया। मैं समझ रही थी कि वो कपड़े चेंज कर लेगी पर उसने नहीं किये तो मैंने पूछा “क्या हुआ? तुमने चेंज नहीं किया?” वो थोड़ा शर्मायी तो मैं समझ गयी कि शायद मेरे सामने चेंज नहीं करना चाह रही है तो मैंने हँस कर कहा, “अरे डॉली हम दोनों ही फीमेल हैं और पता है लड़कियाँ हमेशा एक दूसरे के सामने कपड़े चेंज करने में शर्माती नहीं.... चलो बदल लो।“ फिर मैंने कहा कि “अच्छा चलो.... मैं भी तुम्हारे सामने ही अपने कपड़े चेंज कर लेती हूँ ताकि तुमको अगली बार शरम नहीं आये” और मैंने अपनी नाइटी और गाऊन उतार दिये। मैं अब उसके सामने बिल्कुल नंगी थी। सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने हुए थे। एक-दो मिनट मैं ऐसे नंगी हालत में ही अलमारी में कपड़े टटोलती रही और फिर बिना पैंटी और ब्रेज़ियर के एक पतली सी झीनी नाइटी पहन ली। इतनी देर तक डॉली मेरे जिस्म को गौर से देखती रही। फिर डॉली ने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और शर्मा कर मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूचियाँ तो अच्छी खासी हैं। बड़ी मस्त लग रही थी डॉली.... नंगी खड़ी हुई। उसने भी सैंडल पहने हुए थे पर उसकी हील मेरे सैंडल जैसी ऊँची नहीं थी, ढाई-तीन इंच ऊँची ही रही होगी। उसकी चूचियों भी अच्छी खासी थीं, ऐसा लगाता था के जब चूचियाँ कुछ और बड़ी हो जायेंगी तो इस शेप में आ जायेंगी। मैंने देखा कि डॉली ने स्कर्ट के अंदर पैंटी पहनी हुई थी और पैंटी भी भीग चुकी थी और उसकी गोरी-गोरी बगैर बालों की चूत साफ़ नज़र आ रही थी। वो पैंटी नहीं उतार रही थी। मैंने कहा कि “डॉली, पैंटी भी उतार दो.... ये गीली रहेगी तो तुम्हें सर्दी लगेगी!” तो उसने शर्माते हुए पैंटी भी उतार दी और पूरी नंगी हो गयी। मैंने गौर से देखा तो वो आसमान से उतरी हुई कोई हूर लग रही थी और इतना पर्फ़ेक्ट जिस्म किसी तराशी हुई मूर्ती में ही दिख सकता था।
मैंने डॉली की स्कर्ट, ब्लाऊज़, ब्रा और पैंटी लेकर बालकोनी में सूखने के लिये फैला दिये। मैंने कहा कि “तुम मेरे बाथरूम में जा के गरम पानी से शॉवर लेकर आ जाओ और टॉवल लपेट लो और हाँ अंदर से लॉक नहीं करना क्योंकि शायद अंदर से तुमसे ना खुले.... उसका बोल्ट कुछ टाइट है।“ मैं उसके साथ बाथरूम में आ गयी। मेरे बाथरूम में बड़े साईज़ का बाथ टब है जिसमें कभी मैं ड्रेन होल को बंद करके गरम पानी भर करके उसमें कोई पर्फयूम डाल कर बैठ जाती हूँ और बाथ टब में जकूज़ी भी लगा हुआ है जिसके बुलबुलों से मेरा जिस्म रिलैक्स हो जाता है और जिस्म में पर्फयूम की महक भी आ जाती है। मैंने ऐसा ही उसके लिये भी किया और बाथ टब में गरम और ठंडा पानी मिक्स करके डाल दिया और थोड़ा सा पर्फयूम भी डाल दिया और उसमें पानी उतना ही डाला जितना डॉली के जिस्म को बर्दाश्त हो सके और डॉली से कहा कि थोड़ी देर वो इसमें ऐसे ही बैठ जाये... उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जायेगा और फिर बाहर आ जाये। उसने ऐसा ही किया। वो सैंडल उतार कर बाथ टब में बैठ गयी। बाथरूम का डोर खुला हुआ था। मैं अपने रूम में आकर बिस्तर पर बैठ गयी। मेरा सिर नशे में हल्का महसूस हो रहा था और मेरा सारा ध्यान एस-के की तरफ़ था। वो दो दिनों से नहीं आ सका था। कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको काम भी ज़्यादा था। मैं यही सोच रही थी और फिर एक और पैग बना कर पीते हुए एस-के के साथ अपने न्यू-यॉर्क के ट्रिप के बारे में सोचने लगी और यही सोच-सोच कर मेरे होंठों पे मुस्कुरहाट भी आ रही थी।
मैंने डॉली की स्कर्ट, ब्लाऊज़, ब्रा और पैंटी लेकर बालकोनी में सूखने के लिये फैला दिये। मैंने कहा कि “तुम मेरे बाथरूम में जा के गरम पानी से शॉवर लेकर आ जाओ और टॉवल लपेट लो और हाँ अंदर से लॉक नहीं करना क्योंकि शायद अंदर से तुमसे ना खुले.... उसका बोल्ट कुछ टाइट है।“ मैं उसके साथ बाथरूम में आ गयी। मेरे बाथरूम में बड़े साईज़ का बाथ टब है जिसमें कभी मैं ड्रेन होल को बंद करके गरम पानी भर करके उसमें कोई पर्फयूम डाल कर बैठ जाती हूँ और बाथ टब में जकूज़ी भी लगा हुआ है जिसके बुलबुलों से मेरा जिस्म रिलैक्स हो जाता है और जिस्म में पर्फयूम की महक भी आ जाती है। मैंने ऐसा ही उसके लिये भी किया और बाथ टब में गरम और ठंडा पानी मिक्स करके डाल दिया और थोड़ा सा पर्फयूम भी डाल दिया और उसमें पानी उतना ही डाला जितना डॉली के जिस्म को बर्दाश्त हो सके और डॉली से कहा कि थोड़ी देर वो इसमें ऐसे ही बैठ जाये... उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जायेगा और फिर बाहर आ जाये। उसने ऐसा ही किया। वो सैंडल उतार कर बाथ टब में बैठ गयी। बाथरूम का डोर खुला हुआ था। मैं अपने रूम में आकर बिस्तर पर बैठ गयी। मेरा सिर नशे में हल्का महसूस हो रहा था और मेरा सारा ध्यान एस-के की तरफ़ था। वो दो दिनों से नहीं आ सका था। कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको काम भी ज़्यादा था। मैं यही सोच रही थी और फिर एक और पैग बना कर पीते हुए एस-के के साथ अपने न्यू-यॉर्क के ट्रिप के बारे में सोचने लगी और यही सोच-सोच कर मेरे होंठों पे मुस्कुरहाट भी आ रही थी।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
बाथरूम से डॉली के चींखने की आवाज़ से मैं अपने न्यू-यॉर्क के ख्वाब से बाहर आ गयी और बाथरूम कि तरफ़ दौड़ के गयी तो देखा कि डॉली टब के बाहर के हिस्से में नीचे गिरी हुई है। उसने शायद टब से बाहर निकल कर सैंडल पहने होंगे और फर्श थोड़ा गीला होने से उसका पैर फिसल गया था। मैं उसको नंगी ही उठा कर सहारा देकर अपने बेडरूम में लेकर आ गयी और बेड पे बड़ा सा टॉवल बिछा कर वैसे ही उसको टॉवल पे लिटा दिया और उसके जिस्म को उसी टॉवल से सुखाते वक्त देखा कि उसकी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और मलाई जैसी गोरी है। उसकी बिना बालों वाली और मोटे लिप्स की चूत, जिसके दोनों लिप्स एक दूसरे से थोड़े से अलग हुए थे और अंदर से पिंक कलर, बहुत सैक्सी लग रही थी। मेरा दिल कर रहा था कि बस मैं इसकी चूत को चूम लूँ और अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल के चाट डालूँ। मैंने उसके जिस्म को सुखा कर के ऐसे ही टॉवल से लपेट दिया और पूछा कि क्या हुआ तो वो बोली कि “आँटी, मैंने बाहर निकल कर सैंडल पहने ही थे कि मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गयी!” मैंने कहा कि “तुम फिक्र न करो मैं तुम्हारे जाँघों पे ऑलिव ऑयल कि मालिश कर दूँगी तो थोड़ी ही देर में तुम ठीक हो जाओगी!” तो उसने कहा “ठीक है आँटी” और बोली कि “यू आर सो स्वीट आँटी.... आप बहुत अच्छी हो.... कितना खयाल रखती हो मेरा.... मेरी मम्मी के पास तो मेरे लिये टाईम ही नहीं है।“ मैं अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा सा शरमा गयी और कहा “नहीं डॉली, ऐसी बात नहीं.... तुम देखो कि तुम्हारे मम्मी और डैडी दोनों काम करते हैं, ताकि तुम को अच्छी तालीम दे सकें और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर सकें।“ उसने कुछ कहा नहीं, बस अपना सिर हिला दिया।
मैं ऑलिव ऑयल लेकर आ गयी और डॉली से कहा कि “मैं तुम्हारी जाँघों पे तेल लगा कर थोड़ी सी मालिश कर दूँगी तो तुम ठीक हो जाओगी पर ये टॉवल तुम्हारे नीचे रहा तो ये खराब हो जायेगा। मैं इसको निकाल देती हूँ और एक पुरानी बेडशीट बिछा देती हूँ।“ उसने कहा, “ठीक है आँटी” तो मैंने टॉवल निकाल दिया और एक पुरानी बेडशीट उसके नीचे बिछा कर उसको नंगी ही लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला के बैठ गयी। उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया तो मैं हँस पड़ी और कहा कि “अभी तो तुम से कहा था कि लड़कियाँ एक दूसरे से नहीं शर्माती” तो फिर भी उसने अपना हाथ नहीं हटाया तो मैंने कहा कि “देखो दोनों हाथ यहाँ रखने से तुम्हारी मौसंबी जैसी चूचियाँ मुझे दिखायी दे रही हैं” तो उसने दोनों हाथ चूत पे से हटा के चूचियों पे रख लिये तो मैंने कहा कि “देखो अब ये नज़र आ रही है” तो वो हँसने लगी और बोली कि “आँटी.... आप भी तो नाईटी पहने हुए हैं... वो भी तो खराब हो जायेगी, अगर उसको तेल लग गया तो!” मैंने हँस के कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा?? मैं भी अपनी नाईटी उतर दूँ क्या?? वैसे भी इसमें से तुम्हें मेरा सब कुछ तो दिख रहा है।“ तो वो कुछ बोली “नहीं”, बस हँसने लगी तो मुझे भी कुछ शरारत सूझी और कहा, “ठीक है! तुम्हें शरम आती है तो मैं भी अपनी नाईटी निकाल देती हूँ।“ ये कहते हुए अपने हाथ से बैठे-बैठे नाइटी को ऊपर उठा के जिस्म से निकल दिया और नंगी हो गयी और बोली कि, “लो मैं भी तुम्हारी तरह अब सिर्फ सैंडल पहने हुए हूँ।“
डॉली ने मेरा जिस्म देखा तो बोली कि, “वॉव आँटी आप बहुत ब्यूटीफुल हो तो मैंने कहा कि तुम्हारी मम्मी भी तो ब्यूटीफुल है।“ उसने कहा कि “हाँ! है तो सही पर आप जितनी ब्यूटीफुल नहीं... आप तो बहुत ही ब्यूटीफुल हो” और मेरी चूचियों की तरफ़ इशारा करके बोली कि “मेरी मम्मी के ये भी ढीले हैं, आपके देखो कैसे शेप में हैं” और फिर मेरी चूत कि तरफ़ इशारा करके बोली कि “ये देखो आपके यहाँ तो एक भी बाल नहीं है और मेरी मम्मी के यहाँ तो बहुत बाल हैं।“ मैंने कहा कि “जैसे मैं तुमसे करीब दस साल बड़ी हूँ वैसे ही तुम्हारी मम्मी भी मुझसे दस-बारह साल बड़ी होंगी... इसलिये उम्र के हिसाब से इतना फर्क़ तो आ ही जाता है... वैसे तुमने कब और कैसे देखा तुम्हारी मम्मी को?” तो उसने बतया कि “बचपन से कईं दफ़ा देखा है... बाथरूम से बाहर आते हुए और कपड़े चेंज करते हुए।“ मैं समझ गयी कि डॉली के घर का माहौल बिल्कुल फ्री है तो मैंने पूछा, “डैडी का भी कुछ देखा?” तो उसने कहा कि “हाँ, कईं दफ़ा देखा है कपड़े चेंज करते वक्त और कभी सोने के टाईम पे क्योंकि आँटी, मेरे मम्मी और डैडी दोनों बिल्कुल नंगे सोते हैं बेड में।“ मैं हैरान रह गयी। फिर सोचा कि हो सकता है और फिर नंगे सोने में कुछ गलत बात भी तो नहीं है। मैं भी तो नंगी ही सोती हूँ। मैंने पूछा “और क्या-क्या देखा है तुमने” तो उसने कहा कि “मैंने तो बहुत कुछ देखा है आँटी। दोनों रात को ड्रिंक करके नशे में खुल्लमखुल्ला सब करते हैं। कभी डैडी को मम्मी के ऊपर और कभी मम्मी को डैडी के ऊपर चढ़े हुए भी देखा है और कभी जब उनके जिस्म से ब्लैंकेट हट जाती है तो देखा कि दोनों नंगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर चुदाई करते हैं।“ मैंने पूछा “तुमने कैसे देखा?” तो डॉली ने कहा कि “नशे में वो बेडरूम बंद नहीं करते और मैंने छुप कर सब देखा।“ मुझे अपनी चुदाई याद आ रही थी जैसे कभी मैं एस-के पे और कभी एस-के मुझ पर चढ़ कर उछल-उछल के चोद रहे होते हैं। मैं यही सोचती रही और अपने खयालों में गुम हो गयी।
मैं ऑलिव ऑयल लेकर आ गयी और डॉली से कहा कि “मैं तुम्हारी जाँघों पे तेल लगा कर थोड़ी सी मालिश कर दूँगी तो तुम ठीक हो जाओगी पर ये टॉवल तुम्हारे नीचे रहा तो ये खराब हो जायेगा। मैं इसको निकाल देती हूँ और एक पुरानी बेडशीट बिछा देती हूँ।“ उसने कहा, “ठीक है आँटी” तो मैंने टॉवल निकाल दिया और एक पुरानी बेडशीट उसके नीचे बिछा कर उसको नंगी ही लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला के बैठ गयी। उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया तो मैं हँस पड़ी और कहा कि “अभी तो तुम से कहा था कि लड़कियाँ एक दूसरे से नहीं शर्माती” तो फिर भी उसने अपना हाथ नहीं हटाया तो मैंने कहा कि “देखो दोनों हाथ यहाँ रखने से तुम्हारी मौसंबी जैसी चूचियाँ मुझे दिखायी दे रही हैं” तो उसने दोनों हाथ चूत पे से हटा के चूचियों पे रख लिये तो मैंने कहा कि “देखो अब ये नज़र आ रही है” तो वो हँसने लगी और बोली कि “आँटी.... आप भी तो नाईटी पहने हुए हैं... वो भी तो खराब हो जायेगी, अगर उसको तेल लग गया तो!” मैंने हँस के कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा?? मैं भी अपनी नाईटी उतर दूँ क्या?? वैसे भी इसमें से तुम्हें मेरा सब कुछ तो दिख रहा है।“ तो वो कुछ बोली “नहीं”, बस हँसने लगी तो मुझे भी कुछ शरारत सूझी और कहा, “ठीक है! तुम्हें शरम आती है तो मैं भी अपनी नाईटी निकाल देती हूँ।“ ये कहते हुए अपने हाथ से बैठे-बैठे नाइटी को ऊपर उठा के जिस्म से निकल दिया और नंगी हो गयी और बोली कि, “लो मैं भी तुम्हारी तरह अब सिर्फ सैंडल पहने हुए हूँ।“
डॉली ने मेरा जिस्म देखा तो बोली कि, “वॉव आँटी आप बहुत ब्यूटीफुल हो तो मैंने कहा कि तुम्हारी मम्मी भी तो ब्यूटीफुल है।“ उसने कहा कि “हाँ! है तो सही पर आप जितनी ब्यूटीफुल नहीं... आप तो बहुत ही ब्यूटीफुल हो” और मेरी चूचियों की तरफ़ इशारा करके बोली कि “मेरी मम्मी के ये भी ढीले हैं, आपके देखो कैसे शेप में हैं” और फिर मेरी चूत कि तरफ़ इशारा करके बोली कि “ये देखो आपके यहाँ तो एक भी बाल नहीं है और मेरी मम्मी के यहाँ तो बहुत बाल हैं।“ मैंने कहा कि “जैसे मैं तुमसे करीब दस साल बड़ी हूँ वैसे ही तुम्हारी मम्मी भी मुझसे दस-बारह साल बड़ी होंगी... इसलिये उम्र के हिसाब से इतना फर्क़ तो आ ही जाता है... वैसे तुमने कब और कैसे देखा तुम्हारी मम्मी को?” तो उसने बतया कि “बचपन से कईं दफ़ा देखा है... बाथरूम से बाहर आते हुए और कपड़े चेंज करते हुए।“ मैं समझ गयी कि डॉली के घर का माहौल बिल्कुल फ्री है तो मैंने पूछा, “डैडी का भी कुछ देखा?” तो उसने कहा कि “हाँ, कईं दफ़ा देखा है कपड़े चेंज करते वक्त और कभी सोने के टाईम पे क्योंकि आँटी, मेरे मम्मी और डैडी दोनों बिल्कुल नंगे सोते हैं बेड में।“ मैं हैरान रह गयी। फिर सोचा कि हो सकता है और फिर नंगे सोने में कुछ गलत बात भी तो नहीं है। मैं भी तो नंगी ही सोती हूँ। मैंने पूछा “और क्या-क्या देखा है तुमने” तो उसने कहा कि “मैंने तो बहुत कुछ देखा है आँटी। दोनों रात को ड्रिंक करके नशे में खुल्लमखुल्ला सब करते हैं। कभी डैडी को मम्मी के ऊपर और कभी मम्मी को डैडी के ऊपर चढ़े हुए भी देखा है और कभी जब उनके जिस्म से ब्लैंकेट हट जाती है तो देखा कि दोनों नंगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर चुदाई करते हैं।“ मैंने पूछा “तुमने कैसे देखा?” तो डॉली ने कहा कि “नशे में वो बेडरूम बंद नहीं करते और मैंने छुप कर सब देखा।“ मुझे अपनी चुदाई याद आ रही थी जैसे कभी मैं एस-के पे और कभी एस-के मुझ पर चढ़ कर उछल-उछल के चोद रहे होते हैं। मैं यही सोचती रही और अपने खयालों में गुम हो गयी।
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