मारवाड़ की मस्त मलाई - indian long sex story hindi
Re: मारवाड़ की मस्त मलाई - indian long sex story hindi
मेरे भी निकाल दो तो वो मेरे करीब आ गयी और मेरी टी शर्ट हाथ ऊपेर कर के निकाल दी और फिर मेरे लूस बर्म्यूडा को फ्लोर पे बैठ ते हुए नीचे खीचा और जैसे ही बर्म्यूडा नीचे हुआ मेरा लंड किसी स्प्रिंग की तरह से उसके मूह के सामने हिलने लगा तो उसने मेरे हिलते हुए मूसल को अपने हाथ से पकड़ लिया और चूमने लगी और देखते ही देखते अपने मूह मे डाल के चूसने लगी. थोड़ी देर उसको चूसने दिया उसके बाद उसको बगल से पकड़ के उठाया और बेड पे लिटा दिया मैं उसके टांगो के बीच मे बैठ गया. अपने सेम दो नंगे बदन देख के तो मैं पहले ही जोश मे आ चुका था और फिर मेरी प्यारी पिंकी की प्यारी चिकनी छोटी सी चूत को देख के तो मैं एक दम से पागल ही हो गया और झुक के उसकी चूत को चूमने और चाटने लगा और पिंकी ने मेरा सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसेड लिया आंटी खड़े खड़े यह सब देख रही थी और अपने टाँगो को फैलाए हुए अपनी चूत को अपने ही हाथो से सहलाने लगी थी और साथ मे शराब भी पी रही थी. पिंकी की चूत को पूरे मूह मे भर के दांतो से काटा तो उसका मूह ऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईई और सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स की आवाज़ की साथ खुल गया तो आंटी ने ग्लास मे की बची हुई शराब को पिंकी के मूह मे डाल दिया जिसे वो आराम से पी गयी. मैं अपनी जगह से उठा और पिंकी के ऊपेर लेट गया और उसके चुचिओ को चूसने लगा. मेरा लंड उसकी चूत के पंखदिओं के बीच उसकी चूत के सुराख मे अटका हुआ था एक ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा मूसल लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरे का पूरा उसकी गीली और टाइट चूत के अंदर जड़ तक उतर गया फिर से उसका मूह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स की आवाज़ के साथ खुल गया तो मैं ने आंटी से बोला के आंटी आप पिंकी के मूह पे बैठ जाओ और उसको अपनी चूत का जूस पिलाओ तो आंटी बेड के ऊपेर आ गयी और मेरी तरफ पीठ करके पिंकी के मूह के ऊपेर बैठ गयी और उसके मूह मे अपनी चूत को रगड़ने लगी और पिंकी अपनी सास की चूत को चाटने लगी जिसमे से जूस निकल रहा था. मैं ने आंटी से बोला के आंटी इधर पलट जाओ मैं आपके बूब्स को मसलना और चूसना चाहता हू तो आंटी पलट के पिंकी के मूह पे ऐसे बैठी के उनके मूह अब मेरी तरफ
हो गया. मैं पिंकी को घपा घाप चोद रहा था और साथ मे आंटी के बूब्स को अपने मूह मे ले
के चूस रहा था. आंटी भी मस्ती मे अपनी चूत से अपनी बहू को चोद रही थी और देखते ही देखते आंटी का बदन काँपने लगा और वो अपनी बहू के मूह मे झड़ने लगी जिसे पिंकी जोश मे पी गयी और चाट चाट कर उनकी चूत को सॉफ कर दिया. इसी बीच मे पिंकी को धना धन चोद रहा था उसकी चूत मे से कंटिन्यू जूस निकल रहा था और फिर मेरे धक्के तेज़ होते चले गये और पिंकी का बदन काँपने लगा उसने मेरी पीठ पे अपने पैर ज़ोर से लपेट लिए और झड़ने लगी. जैसे ही पिंकी झड़ने लगी उसकी चूत बोहोत टाइट हो गयी और उसकी चूत के मसल्स मेरे मूसल को निचोड़ने लगे और मैं भी उसकी गरम चूत के अंदर ही अपना सारा गरम गरम वीर्या डाल दिया और पिंकी के बदन पे ही ढेर हो गया इस बीच आंटी की चूत से जूस निकल गया था और वो भी खल्लास हो चुकी थी और गहरी गहरी साँसें लेती हुई वो पिंकी के ऊपेर से लुढ़क के उसके साइड मे लेट गयी थी.
पिंकी ने अपनी सास से बोला के पता है मम्मी अगर यह राजा नही होता ना तो मे तो आपके बेटे लाला को कब का डाइवोर्स दे चुकी होती. यह सुन के सुनीता देवी की आँखें फटी की फटी रह गयी और बोली वो क्यों बेटा तो पिंकी ने बोला के पता है आपको आपका बेटा आज तक मेरी चूत के अंदर अपना लंड नही डाल पाया वो तो चूत के ऊपेर ही थूक के हट जाता है और मैं अपनी उंगली से ही अपने चूत की आग को शांत करती हू यहा आपको बता दू के राजा मुझे पहले से ही चोद्ता है और अगर मुझे राजा का लंड नही मिलता तो मैं शुवर आपके बेटे को डाइवोर्स दे चुकी होती थी. यह सुन के सुनीता देवी बोली के बेटा प्लीज़ ऐसा नही करना नही तो मेरे खानदान पे बदनामी का दाग लग जाएगा तुम जब चाहो राजा से चुदवा लिया करना मैं कोई माइंड नही करूगी पर डाइवोर्स की बात अब कभी मूह से नही निकालना. पिंकी ने बोला के ठीक है मम्मी आप फिकर ना करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगी और हा मैं सच कह रही हू के लाला का लौदा थोड़ा सा उठ ता है पर अंदर घुसने से पहले ही उसका पानी निकल जाता है मैं ने उसको बोला के किसी डॉक्टर से कन्सल्ट करो तो उसने बोला के नही वो ऐसा नही कर सकता नही तो उसकी बदनामी होगी. अब मैं थोड़े ही दीनो मैं उसको भी बता दूँगी के अगर वो मेरी चूत की आग नही बुझा सकता तो मैं राजा से चुदवा के अपनी प्यासी चूत की प्यास मिताउन्गी तो उसकी सास ने बोला के ठीक है बेटा उसको उसकी
हो गया. मैं पिंकी को घपा घाप चोद रहा था और साथ मे आंटी के बूब्स को अपने मूह मे ले
के चूस रहा था. आंटी भी मस्ती मे अपनी चूत से अपनी बहू को चोद रही थी और देखते ही देखते आंटी का बदन काँपने लगा और वो अपनी बहू के मूह मे झड़ने लगी जिसे पिंकी जोश मे पी गयी और चाट चाट कर उनकी चूत को सॉफ कर दिया. इसी बीच मे पिंकी को धना धन चोद रहा था उसकी चूत मे से कंटिन्यू जूस निकल रहा था और फिर मेरे धक्के तेज़ होते चले गये और पिंकी का बदन काँपने लगा उसने मेरी पीठ पे अपने पैर ज़ोर से लपेट लिए और झड़ने लगी. जैसे ही पिंकी झड़ने लगी उसकी चूत बोहोत टाइट हो गयी और उसकी चूत के मसल्स मेरे मूसल को निचोड़ने लगे और मैं भी उसकी गरम चूत के अंदर ही अपना सारा गरम गरम वीर्या डाल दिया और पिंकी के बदन पे ही ढेर हो गया इस बीच आंटी की चूत से जूस निकल गया था और वो भी खल्लास हो चुकी थी और गहरी गहरी साँसें लेती हुई वो पिंकी के ऊपेर से लुढ़क के उसके साइड मे लेट गयी थी.
पिंकी ने अपनी सास से बोला के पता है मम्मी अगर यह राजा नही होता ना तो मे तो आपके बेटे लाला को कब का डाइवोर्स दे चुकी होती. यह सुन के सुनीता देवी की आँखें फटी की फटी रह गयी और बोली वो क्यों बेटा तो पिंकी ने बोला के पता है आपको आपका बेटा आज तक मेरी चूत के अंदर अपना लंड नही डाल पाया वो तो चूत के ऊपेर ही थूक के हट जाता है और मैं अपनी उंगली से ही अपने चूत की आग को शांत करती हू यहा आपको बता दू के राजा मुझे पहले से ही चोद्ता है और अगर मुझे राजा का लंड नही मिलता तो मैं शुवर आपके बेटे को डाइवोर्स दे चुकी होती थी. यह सुन के सुनीता देवी बोली के बेटा प्लीज़ ऐसा नही करना नही तो मेरे खानदान पे बदनामी का दाग लग जाएगा तुम जब चाहो राजा से चुदवा लिया करना मैं कोई माइंड नही करूगी पर डाइवोर्स की बात अब कभी मूह से नही निकालना. पिंकी ने बोला के ठीक है मम्मी आप फिकर ना करो मैं ऐसा कुछ नही करूँगी और हा मैं सच कह रही हू के लाला का लौदा थोड़ा सा उठ ता है पर अंदर घुसने से पहले ही उसका पानी निकल जाता है मैं ने उसको बोला के किसी डॉक्टर से कन्सल्ट करो तो उसने बोला के नही वो ऐसा नही कर सकता नही तो उसकी बदनामी होगी. अब मैं थोड़े ही दीनो मैं उसको भी बता दूँगी के अगर वो मेरी चूत की आग नही बुझा सकता तो मैं राजा से चुदवा के अपनी प्यासी चूत की प्यास मिताउन्गी तो उसकी सास ने बोला के ठीक है बेटा उसको उसकी
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वीकनेस बताओ और आइ आम शुवर के वो भी डाइवोर्स का नाम सुन के डर जाएगा और तुमको राजा से चुदवाने का पर्मिशन भी मिल जाएगा तो पिंकी ने कहा के ठीक है मम्मी आप फिकर ना करो मैं सब संभाल लूँगी तो उसकी सास के चेहरे पे इत्मेनान झलकने लगा और वो ग्लास मे विस्की निकल के एक ही घूँट मे पी गयी और बिस्तर पे गिर के नंगी ही सो गयी.
पिंकी की शादी को तकरीबन 2 महीने के करीब हो गये थे और इतना ही वक़्त पिंकी की सास को पटाने और चोदने मे लगा था. अब हम डेली चुदाई करने लगे. बड़े मज़े से दिन और रात गुज़र ते रहे. कभी पिंकी और उसकी सास को अलाग चोद्ता तो कभी थ्रीसम. अब हम तीनो एक दम से बे-शरम हो गये थे कभी कभी तो आंटी और पिंकी एक दूसरे की चूत भी चाटने लगी थी. आंटी को अपनी चूत चटवाने मे बोहोत ही मज़ा आता था. अब मैं बिंदास उनके घर आनने जाने लगा था और दोनो को चोदने लगा था. एक दिन पिंकी ने अपने हज़्बेंड लाला से बोल दिया के उसका लंड किसी काम का नही है और अब तुम्है डाइवोर्स दे रही हू तो वो घबरा गया और पिंकी के पैर पकड़ लिए और बोला के प्लीज़ पिंकी ऐसा ना करो तुम जो कहोगी मैं वैसे ही करूँगा तो पिंकी ने बोला के मुझे अछी तरह से चोद के मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा सकते हो तो लाला खामोश होगया और बोला के पिंकी तुम्है तो पता है के मेरी नुनु कमज़ोर है और मैं यह नही कर सकता तो पिंकी ने बोला के अगर मैं अपने किसी दोस्त से चुदवाउ तो तुम्है कोई प्राब्लम होगी तो उसने बोला के अगर किसी को पता चल जाएगा तो बोहोत मुस्किल हो जाएगी तो पिंकी ने बोला के नही होगी तुम उसकी फिकर ना करो तो लाला ने पूछा कोई है तुम्हारा ऐसा फ्रेंड तो पिंकी ने बोला के हा मेरा राजा है ना तो लाला ने बोला के कैसे करोगी तो पिंकी ने बोला के तुम उसकी फिकर ना करो मैं राजा को पटा लूँगी तुम्है कोई प्राब्लम तो नही है ना तो लाला ने बोला के अगर तुम राजा के साथ अपने बदन की प्यास को शांत करना चाहती हो तो मुझे कोई प्राब्लम नही है क्यॉंके वो तुम्हारे और हमारे घर का ही एक सदस्य है ठीक है तुम्है मेरी तरफ से पर्मिशन है तो पिंकी ने बोला के ठीक है लाला अब मैं तुम्है डाइवोर्स नही दूँगी पर तुम राजा को मेरे साथ सोने से रोकना नही और हा मैं तुम्हारे सामने ही उस से चुदवाना चाहुगी तो उसने बोला के अरे ऐसे कैसे तो पिंकी ने बोला के मैं उसको बोलूँगी के तुम्हारे सामने एक टाइम चोद ले ता के तुमको भी पता चले के उसका लंड कितना बड़ा मोटा और सख़्त है और वो कैसे चोद्ता है तो लाला ने बोला के तुम पहले भी राजा से चुदवा चुकी हो क्या तो पिंकी ने बोला के तो फिर तुम क्या समझते हो तुम जो मुझे रात मैं इधर उधर मसल के गरम कर के सो जाते हो तो मैं क्या करू. इसी गर्मी के चलते मैं ने राजा से चुदवा लिया है और अब मैं चाहती हू के तुम भी हमारी चुदाई देखो तो लाला राज़ी होगया. और फिर एक दिन मैं ने लाला के सामने ही पिंकी को खूब ज़ोर ज़ोर से चोदा तो लाला हैरत से मेरे लंड और मेरे चुदाई को देखने लगा और बोला के मुझे ताज्जुब है के इतना बड़ा और इतना मोटा लौदा इतनी छोटी चूत मे कैसे घुस जाता है. अब मैं पिंकी को उसके हज़्बेंड के सामने भी चोद लेता था और आंटी को भी पता
चल चुका था के मैं लाला के सामने ही पिंकी को चोद रहा हू तो उन्हो ने पूछा के लाला को कैसा लगा उसके सामने उसकी पत्नी को कोई और चोद रहा है तो पिंकी ने बोला के वो तो राजा का इतना बड़ा और मोटा लंड देख के घबरा ही गया और एक टाइम तो उसने राजा के लंड को अपने हाथ मे भी पकड़ के देखा तो आंटी हस्ने लगी और बोली के गन्दू का बेटा गन्दू है साला. इसी तरह से पिंकी की और आंटी की चुदाई करते टाइम पास होने लगा. अब वाहा सब हसी खुशी रहने लगे.
दोस्तो अब अपने दोस्त शांति लाल की तरफ चलते हैं
शाँतिलाल की शादी की तय्यारी
शांति लाल की शादी का टाइम करीब आने लगा था तय्यारिया ज़ोर ओ शोर से चल रही थी. पूजा आंटी खुद ही शादी की सारी परचेसिंग हयदेराबाद, कोलकाता और देल्ही से कर चुकी थी और अभी उनको मुंबई जाना था जहा उनका कोई भी रिश्तेदार नही था. अब तक तो उनके साथ कभी शांति होता था तो कभी वो अपनी किसी रिश्ते की कज़िन्स के साथ ही शॉपिंग करने के लिए जा रही थी. मुंबई जाने के लिए उनका और शांति का रिज़र्वेशन फर्स्ट क्लास ए/सी कॉमपार्टमेंट मे हो चुका था और होटल ओबेरोइ मे एक वीक के लिए भी एक सूयीट बुक करवा लिया गया था. इत्तेफ़ाक़ ऐसा हुआ के जिस रात उनकी ट्रेन थी उसी शाम को शांति मिल की सीढियो से नीचे गिर गया और उसके पैर मे हेरलाइन फ्रॅक्चर आ गया और उसको बॅंडेज कर दी गयी थी वो चलने फिरने के काबिल नही था और वो अपनी मम्मी के साथ मुंबई को भी नही जा सकता था. मुंबई को जाना भी ज़रूरी था. रिज़र्वेशन्स और दूसरे कंप्लीट अरेंज्मेंट्स हो चुके थे तो शांति ने बोला के राजा को ले जाओ मम्मी तो पूजा आंटी ने बोला के हा यह ठीक रहेगा और उन्हो ने मुझे बुलाया और बोला के मैं जल्दी से रेडी हो जाउ उनके साथ जाने के लिए तो मैं ने मम्मी को फोन किया तो मम्मी ने बोला के ठीक है तुम चले जाओ मैं तो अब शांति की शादी के करीब ही वापस आउन्गि तो मैं ने कहा के ठीक है मम्मी आप अपने टाइम से आओ यहा तो कोई प्राब्लम नही है.
ट्रेन रात के 10 बजे नामपल्ली रेलवे स्टेशन से निकली. हम रात का खाना तो खा चुके थे. यह फर्स्ट क्लास के कॉमपार्टमेंट मे 2 – 2 ही सीट्स थे एक ऊपेर और एक नीचे. बाहर की गर्मी से ए/सी कॉमपार्टमेंट के अंदर की ठंडक बोहोत अछी लग रही थी. पूजा आंटी नीचे की सीट पे सो गयी और मैं ऊपेर की सीट पे चला गया और थोड़ी ही देर मे सो गया. सुबह 4 बजे के आस पास ट्रेन वीटी स्टेशन पे रुक गयी और हम दोनो उतर गये. बाहर ओबेरोई की लिमज़ीन हमै पिक करने के लिए रेडी खड़ी थी. हम कार मे बैठ के होटेल चले गये. होटेल मे चेक इन किया. हमारा सूयीट 20थ फ्लोर पे था जहा से
दूर तक समंदर का नीला नीला पानी और ऊँची ऊँची बिल्डिंग्स बड़ी रोमॅंटिक लग रही थी. हमारा सूयीट 2 कमरो का था और एक छोटा सा सिट्टिंग रूम टाइप था जहा पर एक छोटी सी डाइनिंग टेबल थी और सोफा सेट विद सेंटर टेबल रखा हुआ था और एक कॉर्नर मे एक बड़ा सा फ्रिड्ज भी रखा था जिस मे मिनरल वॉटर के बॉटल्स, डिफ टाइप्स के जूसज़, कुछ बॉटल्स बियर, ब्रॅंडी, विस्की और शॅंपेन के भी रखे हुए थे. इन सब चीज़ो को जितना यूज़ करते उसका बिल बनता इस्तेमाल ना करो तो बिल नही बनता था. वाहा पे एक बड़ा सा केबल कनेक्टेड टीवी सेट भी रखा हुआ था.
पिंकी की शादी को तकरीबन 2 महीने के करीब हो गये थे और इतना ही वक़्त पिंकी की सास को पटाने और चोदने मे लगा था. अब हम डेली चुदाई करने लगे. बड़े मज़े से दिन और रात गुज़र ते रहे. कभी पिंकी और उसकी सास को अलाग चोद्ता तो कभी थ्रीसम. अब हम तीनो एक दम से बे-शरम हो गये थे कभी कभी तो आंटी और पिंकी एक दूसरे की चूत भी चाटने लगी थी. आंटी को अपनी चूत चटवाने मे बोहोत ही मज़ा आता था. अब मैं बिंदास उनके घर आनने जाने लगा था और दोनो को चोदने लगा था. एक दिन पिंकी ने अपने हज़्बेंड लाला से बोल दिया के उसका लंड किसी काम का नही है और अब तुम्है डाइवोर्स दे रही हू तो वो घबरा गया और पिंकी के पैर पकड़ लिए और बोला के प्लीज़ पिंकी ऐसा ना करो तुम जो कहोगी मैं वैसे ही करूँगा तो पिंकी ने बोला के मुझे अछी तरह से चोद के मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा सकते हो तो लाला खामोश होगया और बोला के पिंकी तुम्है तो पता है के मेरी नुनु कमज़ोर है और मैं यह नही कर सकता तो पिंकी ने बोला के अगर मैं अपने किसी दोस्त से चुदवाउ तो तुम्है कोई प्राब्लम होगी तो उसने बोला के अगर किसी को पता चल जाएगा तो बोहोत मुस्किल हो जाएगी तो पिंकी ने बोला के नही होगी तुम उसकी फिकर ना करो तो लाला ने पूछा कोई है तुम्हारा ऐसा फ्रेंड तो पिंकी ने बोला के हा मेरा राजा है ना तो लाला ने बोला के कैसे करोगी तो पिंकी ने बोला के तुम उसकी फिकर ना करो मैं राजा को पटा लूँगी तुम्है कोई प्राब्लम तो नही है ना तो लाला ने बोला के अगर तुम राजा के साथ अपने बदन की प्यास को शांत करना चाहती हो तो मुझे कोई प्राब्लम नही है क्यॉंके वो तुम्हारे और हमारे घर का ही एक सदस्य है ठीक है तुम्है मेरी तरफ से पर्मिशन है तो पिंकी ने बोला के ठीक है लाला अब मैं तुम्है डाइवोर्स नही दूँगी पर तुम राजा को मेरे साथ सोने से रोकना नही और हा मैं तुम्हारे सामने ही उस से चुदवाना चाहुगी तो उसने बोला के अरे ऐसे कैसे तो पिंकी ने बोला के मैं उसको बोलूँगी के तुम्हारे सामने एक टाइम चोद ले ता के तुमको भी पता चले के उसका लंड कितना बड़ा मोटा और सख़्त है और वो कैसे चोद्ता है तो लाला ने बोला के तुम पहले भी राजा से चुदवा चुकी हो क्या तो पिंकी ने बोला के तो फिर तुम क्या समझते हो तुम जो मुझे रात मैं इधर उधर मसल के गरम कर के सो जाते हो तो मैं क्या करू. इसी गर्मी के चलते मैं ने राजा से चुदवा लिया है और अब मैं चाहती हू के तुम भी हमारी चुदाई देखो तो लाला राज़ी होगया. और फिर एक दिन मैं ने लाला के सामने ही पिंकी को खूब ज़ोर ज़ोर से चोदा तो लाला हैरत से मेरे लंड और मेरे चुदाई को देखने लगा और बोला के मुझे ताज्जुब है के इतना बड़ा और इतना मोटा लौदा इतनी छोटी चूत मे कैसे घुस जाता है. अब मैं पिंकी को उसके हज़्बेंड के सामने भी चोद लेता था और आंटी को भी पता
चल चुका था के मैं लाला के सामने ही पिंकी को चोद रहा हू तो उन्हो ने पूछा के लाला को कैसा लगा उसके सामने उसकी पत्नी को कोई और चोद रहा है तो पिंकी ने बोला के वो तो राजा का इतना बड़ा और मोटा लंड देख के घबरा ही गया और एक टाइम तो उसने राजा के लंड को अपने हाथ मे भी पकड़ के देखा तो आंटी हस्ने लगी और बोली के गन्दू का बेटा गन्दू है साला. इसी तरह से पिंकी की और आंटी की चुदाई करते टाइम पास होने लगा. अब वाहा सब हसी खुशी रहने लगे.
दोस्तो अब अपने दोस्त शांति लाल की तरफ चलते हैं
शाँतिलाल की शादी की तय्यारी
शांति लाल की शादी का टाइम करीब आने लगा था तय्यारिया ज़ोर ओ शोर से चल रही थी. पूजा आंटी खुद ही शादी की सारी परचेसिंग हयदेराबाद, कोलकाता और देल्ही से कर चुकी थी और अभी उनको मुंबई जाना था जहा उनका कोई भी रिश्तेदार नही था. अब तक तो उनके साथ कभी शांति होता था तो कभी वो अपनी किसी रिश्ते की कज़िन्स के साथ ही शॉपिंग करने के लिए जा रही थी. मुंबई जाने के लिए उनका और शांति का रिज़र्वेशन फर्स्ट क्लास ए/सी कॉमपार्टमेंट मे हो चुका था और होटल ओबेरोइ मे एक वीक के लिए भी एक सूयीट बुक करवा लिया गया था. इत्तेफ़ाक़ ऐसा हुआ के जिस रात उनकी ट्रेन थी उसी शाम को शांति मिल की सीढियो से नीचे गिर गया और उसके पैर मे हेरलाइन फ्रॅक्चर आ गया और उसको बॅंडेज कर दी गयी थी वो चलने फिरने के काबिल नही था और वो अपनी मम्मी के साथ मुंबई को भी नही जा सकता था. मुंबई को जाना भी ज़रूरी था. रिज़र्वेशन्स और दूसरे कंप्लीट अरेंज्मेंट्स हो चुके थे तो शांति ने बोला के राजा को ले जाओ मम्मी तो पूजा आंटी ने बोला के हा यह ठीक रहेगा और उन्हो ने मुझे बुलाया और बोला के मैं जल्दी से रेडी हो जाउ उनके साथ जाने के लिए तो मैं ने मम्मी को फोन किया तो मम्मी ने बोला के ठीक है तुम चले जाओ मैं तो अब शांति की शादी के करीब ही वापस आउन्गि तो मैं ने कहा के ठीक है मम्मी आप अपने टाइम से आओ यहा तो कोई प्राब्लम नही है.
ट्रेन रात के 10 बजे नामपल्ली रेलवे स्टेशन से निकली. हम रात का खाना तो खा चुके थे. यह फर्स्ट क्लास के कॉमपार्टमेंट मे 2 – 2 ही सीट्स थे एक ऊपेर और एक नीचे. बाहर की गर्मी से ए/सी कॉमपार्टमेंट के अंदर की ठंडक बोहोत अछी लग रही थी. पूजा आंटी नीचे की सीट पे सो गयी और मैं ऊपेर की सीट पे चला गया और थोड़ी ही देर मे सो गया. सुबह 4 बजे के आस पास ट्रेन वीटी स्टेशन पे रुक गयी और हम दोनो उतर गये. बाहर ओबेरोई की लिमज़ीन हमै पिक करने के लिए रेडी खड़ी थी. हम कार मे बैठ के होटेल चले गये. होटेल मे चेक इन किया. हमारा सूयीट 20थ फ्लोर पे था जहा से
दूर तक समंदर का नीला नीला पानी और ऊँची ऊँची बिल्डिंग्स बड़ी रोमॅंटिक लग रही थी. हमारा सूयीट 2 कमरो का था और एक छोटा सा सिट्टिंग रूम टाइप था जहा पर एक छोटी सी डाइनिंग टेबल थी और सोफा सेट विद सेंटर टेबल रखा हुआ था और एक कॉर्नर मे एक बड़ा सा फ्रिड्ज भी रखा था जिस मे मिनरल वॉटर के बॉटल्स, डिफ टाइप्स के जूसज़, कुछ बॉटल्स बियर, ब्रॅंडी, विस्की और शॅंपेन के भी रखे हुए थे. इन सब चीज़ो को जितना यूज़ करते उसका बिल बनता इस्तेमाल ना करो तो बिल नही बनता था. वाहा पे एक बड़ा सा केबल कनेक्टेड टीवी सेट भी रखा हुआ था.
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दोनो कर्मरो मे अटॅच बाथरूम था. एक मास्टर बेडरूम जो थोड़ा बड़ा था जहा पे एक क्वीन साइज़ बेड था जिसपे एक दम से वाइट कलर की चदडार बिछी हुई थी और 2 पिल्लो और 4 स्क्वेर साइड पिल्लो भी थे जो प्रॉबब्ली सोने के टाइम पे पैरो के बीच मे दबाने के काम आते थे और वो मास्टर बेडरूम मे एक सोफा सेट और सेंटर टेबल और एक राइटिंग टेबल भी थी वो आंटी के लिए था और मेरे लिए दूसरा वाला थोड़ा छोटा था जहा एक डबल बेड पड़ा था और एक राइटिंग टेबल और एक चेर पड़ी हुई थी. सूयीट बड़ा ही शानदार था. दोनो बेडरूम्स के डोर्स सिट्टिंग रूम मे खुलते थे. इस से पहले भी मैं 5 स्टार होटेल्स मे ठहर चुका था लैकिन सूयीट मे यह फर्स्ट टाइम ही आया था. सूयीट मे अड्जस्ट होने होने तक सुबह के 6 बज गये थे. आंटी ने बोला के वो एक घंटा और सोना चाहती है तो मैं अपने कमरे मे आ गया और मैं भी सो गया. आँख खुली तो 8 बज चुके थे 2 घंटे की नींद से तबीयत काफ़ी फ्रेश लग रही थी. मैं बाथरूम मे चला गया और शवर ले के फ्रेश हो के बाहर आ गया इतनी देर मे आंटी भी नहा धो के फ्रेश हो चुकी थी. मैं आंटी को देखा तो देखता ही रह गया. एक तो आंटी का बोहोत ही गोरा रंग और उसके ऊपेर लाइट गुलाबी रंग की फ्लवर प्रिंटेड सारी और मॅचिंग ब्लाउस जो नवल तक नीचे उतरी हुई थी जहा से उनका पेट और बेल्ली बटन सॉफ नज़र आ रहा था. आंटी दूसरे मायनो मे गाज़ाब ढा रही थी मुझे अपनी तरफ ऐसे देखता पा कर हंस पड़ी और बोली हे राज्ज तुम तो मुझे ऐसे देख रहे हो जैसे आज पहले बार देख रहे हो तो मैं अपने ख़यालो से बाहर आ गया और मुस्कुराते हुए बोला के आंटी आप इतनी खूबसूरत हो यह मैं ने कभी भी धयान नही दिया था. आप तो बोहोत ही खूबसूरत हो और एक दम से किसी आकाश से उतरी हुई अप्सरा लग रही हो तो वो मुस्कुरा दी और बोली क्या राज अब मे इतनी खूबसूरत भी नही हू तो मैं ने बोला के नही आंटी आप सच मे बे इंतेहा खूबसूरत हो पता न्ही आज कितने लोग आपको देख के घायल हो जाए तो वो हंस के बोली चलो अब ज़ियादा ना बनाओ और नाश्ता करो. ब्रेकफास्ट अपने सूयीट पर ही मंगवा लिया था. नाश्ता कर के हम होटेल से बाहर आए और टॅक्सी कर के शॉपिंग के लिए निकल गये. शाम देर गये तक शॉपिंग करते
रहे. आंटी को मेरी चाय्स भी अछी लगी और वो मेरी पसंद के आइटम्स ही पर्चेस करती रही. शॉपिंग करते टाइम मेरे और आंटी के हाथ एक दूसरे के हाथो से टच हो रहे थे और मुंबई के रश मे हमारे बदन भी कभी कभी एक दूसरे के बदन से रगड़ खा जाते थे तो कभी जहा ज़ियादा भीड़ होती वाहा मुझे आंटी के बूब्स अपने हाथ पे लगते महसूस होते तो मेरे बदन मे एक सनसनाहट दौड़ जाती इसी तरह से शॉपिंग चलती रही.
शाम को हम वापस अपने कमरे मे आ गये और नहा धो कर फिर से फ्रेश हो गये तो मैं ने पूछा के आंटी क्या प्रोग्राम है अब तो उन्हो ने बोला के तुम जैसा बनाओगे वोही प्रोग्राम होगा तो मैं ने कहा के आंटी पिक्चर देखेगे या बीच पे फ्रेश एर तो उन्हो ने बोला के चलो आज समंदर की सैर ही करते है फिल्म कल देखेंगे तो मैं ने कहा के ठीक है आंटी आज हम डिन्नर भी बाहर ही करेंगे. थोड़ी देर मे हम होटेल से बाहर निकल गये और टहलते हुए नरीमन पॉइंट से चोपॅटी की तरफ चल दिए. सूरज समंदर के अंदर डूब रहा था हल्की हल्की हवा चल रही थी मौसम बोहोट अछा हो रहा था. हम दो घंटे तक ऐसे ही घूमते रहे. वाहा से चाट की बंदी से चाट खरीद के रेत (सांड) मे आ के बैठ गये और इधर उधर की बातें करने लगे. जब रात होने लगी तो आंटी ने बोला के चलो राज खाना खाते है तो हम दोनो फिर से वॉकिंग करते हुए ब्रबोवर्न स्टेडियम की तरफ चले गये जहा पे एक अछा रेस्टोरेंट था इस रेस्टोरेंट मे एक गोल वुडन प्लॅटफॉर्म भी बना हुआ था जहा पे शाम से ही कुछ लड़के और लड़कियाँ गाना सुनाते थे और कभी कोई लड़की डॅन्स भी कर जाती थी. आंटी को यह रेस्टोरेंट बोहोत पसंद आया. वही खाना खा के हम तकरीबन 11 बजे अपने सूयीट मे वापस आ गये. मुंबई के मौसम मे अच्छी ख़ासी ह्यूमिडिटी होती है और सारे बदन को चिप चिपा कर देती है. कमरे मे आने के बाद स्नान करना ज़रूरी था. आंटी शवर ले के आने तक टीवी देखता रहा और फिर मैं ने नीचे कॉफी शॉप से कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अपने कमरे मे नहाने चला गया इतनी देर मे आंटी स्नान कर के बाहर आ चुकी थी और उन्हो ने शवर गाउन पहना हुआ था और अपने सर पे टवल लपेटा हुआ था और वेटर के कॉफी लाने का इंतेज़ार कर रही थी.
रहे. आंटी को मेरी चाय्स भी अछी लगी और वो मेरी पसंद के आइटम्स ही पर्चेस करती रही. शॉपिंग करते टाइम मेरे और आंटी के हाथ एक दूसरे के हाथो से टच हो रहे थे और मुंबई के रश मे हमारे बदन भी कभी कभी एक दूसरे के बदन से रगड़ खा जाते थे तो कभी जहा ज़ियादा भीड़ होती वाहा मुझे आंटी के बूब्स अपने हाथ पे लगते महसूस होते तो मेरे बदन मे एक सनसनाहट दौड़ जाती इसी तरह से शॉपिंग चलती रही.
शाम को हम वापस अपने कमरे मे आ गये और नहा धो कर फिर से फ्रेश हो गये तो मैं ने पूछा के आंटी क्या प्रोग्राम है अब तो उन्हो ने बोला के तुम जैसा बनाओगे वोही प्रोग्राम होगा तो मैं ने कहा के आंटी पिक्चर देखेगे या बीच पे फ्रेश एर तो उन्हो ने बोला के चलो आज समंदर की सैर ही करते है फिल्म कल देखेंगे तो मैं ने कहा के ठीक है आंटी आज हम डिन्नर भी बाहर ही करेंगे. थोड़ी देर मे हम होटेल से बाहर निकल गये और टहलते हुए नरीमन पॉइंट से चोपॅटी की तरफ चल दिए. सूरज समंदर के अंदर डूब रहा था हल्की हल्की हवा चल रही थी मौसम बोहोट अछा हो रहा था. हम दो घंटे तक ऐसे ही घूमते रहे. वाहा से चाट की बंदी से चाट खरीद के रेत (सांड) मे आ के बैठ गये और इधर उधर की बातें करने लगे. जब रात होने लगी तो आंटी ने बोला के चलो राज खाना खाते है तो हम दोनो फिर से वॉकिंग करते हुए ब्रबोवर्न स्टेडियम की तरफ चले गये जहा पे एक अछा रेस्टोरेंट था इस रेस्टोरेंट मे एक गोल वुडन प्लॅटफॉर्म भी बना हुआ था जहा पे शाम से ही कुछ लड़के और लड़कियाँ गाना सुनाते थे और कभी कोई लड़की डॅन्स भी कर जाती थी. आंटी को यह रेस्टोरेंट बोहोत पसंद आया. वही खाना खा के हम तकरीबन 11 बजे अपने सूयीट मे वापस आ गये. मुंबई के मौसम मे अच्छी ख़ासी ह्यूमिडिटी होती है और सारे बदन को चिप चिपा कर देती है. कमरे मे आने के बाद स्नान करना ज़रूरी था. आंटी शवर ले के आने तक टीवी देखता रहा और फिर मैं ने नीचे कॉफी शॉप से कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अपने कमरे मे नहाने चला गया इतनी देर मे आंटी स्नान कर के बाहर आ चुकी थी और उन्हो ने शवर गाउन पहना हुआ था और अपने सर पे टवल लपेटा हुआ था और वेटर के कॉफी लाने का इंतेज़ार कर रही थी.