घरेलू चुदाई समारोह compleet
Re: घरेलू चुदाई समारोह
“सजल…” कोमल की आवाज़ से घर गूंज उठा। वो बिना सोचे अपने लड़के के स्नानघर में घुस गई। वो नहाकर बाहर निकल रहा था। उसके मस्त लण्ड पर एक हसरत भरी नज़र डलते हुए कोमल ने कहा- “कुछ कपड़े पहन लो, तुम मेरे साथ उस औरत के घर चल रहे हो। मैं जान गई हूँ कि तुम वहाँ पर क्या कर रहे थे और मैं उससे इस बारे में बात करना चाहती हूँ…”
“पर मम्मी, मैंने तुम्हें बताया न कि मैं वहाँ सिर्फ एक बोतल खोलने गया था…”
“बकवास… तुम्हारे चेहरे पर अभी तक चुदाई की चमक है…” कोमल गुस्से से कांप रही थी। उस कुतिया के साथ वह अपने बेटे के लौड़े को बांटने के लिये हरगिज़ तैयार नहीं थी। “मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहरा रही हूँ, पर उस रंडी को तो मैं छोड़ूंगी नहीं। जल्दी तैयार हो जाओ…”
सजल जब कपड़े पहनकर अपनी मां के पास नीचे आया तो उसने बात संभालने की फिर कोशिश की। पर कोमल ने उसकी एक न सुनी।
“कुछ बोलने की कोशिश मत करो। मैं सीधे उसके घर जा रही हूँ। और अगर तुम चाहते हो कि मैं उसकी गर्दन न मरोड़ूँ तो बेहतर होगा कि तुम मेरे साथ ही चलो…” कोमल ने जाकर मनीषा का दरवाज़ा जोर-जोर से पीटना शुरू कर दिया। जब मनीषा ने दरवाज़ा खोला तो यह ज़ाहिर था कि उसने जल्दी में ऐसे ही नहाने का गाऊन पहन लिया था। इससे कोमल को लगा जैसे वो अभी नहाकर निकली है।
“अच्छा… मनीषा, क्या तुम्हें इस वक्त नहाने की ज़रूरत इसीलिये पड़ गई क्योंकी तुम मेरे बेटे सजल को चोदकर गर्मी और पसीने से नहा गई थी… सजल अंदर आओ और दरवाज़ा बंद कर दो…”
मनीषा को बहुत जोर का झटका लगा। उसने कहा- “तुम अपने आपको क्या समझती हो जो मेरे घर में इस तरह से घुसी आ रही हो…”
कोमल उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए उसके ड्राइंग रूम में प्रवेश कर गई। उसने अपनी कमर पर हाथ रखकर तैश में अपनी पडोसन से कहा- “तुम भली-भांति जानती हो कि मैं यहाँ क्यों आई हूँ। तुमने मेरे भोले-भाले बेटे को यहाँ बुलाया और उसे बहलाकर अपनी वासना का शिकार बनाया। क्या तुम इससे इंकार करती हो…” कोमल को उम्मीद थी कि मनीषा इससे मुकरने की कोशिश करेगी। पर उसने मनीषा की बेशर्मी को कम आँका था।
“इसमें क्या गलत है कि तुम्हारे बेटे को मेरे साथ सही तरह का अभ्यास हो गया… अगर वो किसी ऐसी अनजान लड़की के साथ कार की पिछली सीट पर यह सब करता जिसे इतनी भी समझ नहीं होती कि ऐसे शानदार लौड़े के साथ क्या करना है, तो क्या तुम्हें खुशी होती…”
इस जवाब से कोमल निरुत्तर हो गई। उसने कहा- “इससे तुम्हारे कुकर्म को सही नहीं ठहराया जा सकता। तुमने उसका फायदा उठाया है, और तुम यह बात जानती हो। इसके लिये तो कोई कानून होना चाहिये जिससे कि बड़ी उम्र की औरतें छोटे लड़कों को बहका न सकें…”
सजल अपनी मम्मी के इस ढोंग से अब काफी क्रोधित हो चला था। उससे रहा नहीं गया और वह बोल पड़ा- “तुम यह सब बातें मनीषा आंटी को कैसे कह सकती हो मम्मी। जबकि तुम भी मुझसे चुदवाती हो…” कहने को तो वह कह गया पर उसे उसी वक्त यह समझ में आ गया कि उससे एक भीषण गलती हो गई है।
“सजल…” कोमल सकते में आ गई। पर वह जान गई थी कि अब गोली बहुत दूर जा चुकी है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सजल का हाथ पकड़े और भाग जाए।
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कुछ सन्नाटे के बाद मनीषा बेहताशा हँसने लगी- “तो ये बात है… तुम जल रही हो… तुम्हारी इतनी हिम्मत कि यहाँ आकर मुझे शिक्षा दो जबकि तुम खुद अपने बेटे को चोद रही हो… लोगों को क्या ज्यादा बुरा लगेगा… मेरा सजल को चोदना या तुम्हारा…”
“हम घर जा रहे हैं…” कोमल बोली।
“नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो… जब तुम यहाँ आई हो तो मेरी भी सुनती जाओ… तुमने सालों से मुझे कचरे की तरह समझा है, जबसे मेरा पति मुझे छोड़कर चला गया। तुम्हें हमेशा यह डर रहा कि मैं तुम्हारे पति को न चोदूं। मैं तुम्हें एक अच्छी खबर देना चाहती हूँ… न सिर्फ मैंने सजल को चोदा है बल्कि मैं सुनील को भी चोद चुकी हूँ… क्या तुम्हें इस बारे में कुछ कहना है…”
“हरामजादी…” कोमल ने गुस्से से हाथ घुमाया, पर सजल ने अपनी फुर्ती दिखाई और उसे बीच में ही पकड़ लिया।
“अब इतनी भोली न बनो, कोमल…” मनीषा ने व्यंग्य किया- “तुम जो सजल को चोदती हो, और उस दिन तुम्हारे घर से सजल के कालेज का प्रिन्सिपल जो जा रहा था…”
“वो तो सजल से मिलने आया था, हमारे बीच में कुछ नहीं हुआ…”
पर सजल की शक भरी निगाहें उसे भेद रही थीं- “तुमने मुझे बताया नहीं कि कर्नल मान आए थे…” सजल ने पूछा।
“इसीलिये नहीं बताया क्योंकी इसने उसे चोदा था, सजल…” मनीषा ने मुश्कुराते हुए कहा- “मुझे पता है क्योंकी उस दिन ये परदे डालना भूल गई थी और मैंने पूरी चुदाई इन आंखों से देखी थी…”
कोमल को यह पता नहीं था कि मनीषा ने कुछ देखा नहीं था, पर अंधेरे में तीर मार रही थी। पर मनीषा ने बात कुछ इस अंदाज़ में कही थी जैसे कि वह सच ही बोल रही हो। मनीषा ने अब अपने वार को और तीखा करने की ठानी। उसने अपने नहाने वाले गाऊन का नाड़ा खोलकर उसे उतार फेंका और अब वो सिर्फ सैंडल पहने उसी अवस्था में आ गयी जिस अवस्था में थोड़ी देर पहले सजल ने उसे चोदा था। उसका नंगा तन चमकने लगा।
“मुझे आश्चर्य है कि सजल मुझे चोदने के लिये क्यों आया… क्या वो तुम्हें चोदने से ऊब गया है…” उसने अपने शरीर को सजल के जिश्म से रगड़ते हुए कहा।
वो दोनों मम्मी बेटे कुछ कहने की हालत में नहीं थे।
मनीषा ने कोमल को और छेड़ते हुए इठलाते हुए कहा- “अब तुम समझ सकती हो कि सजल और सुनील दोनों को मेरे पास आने की ज़रूरत क्यों पड़ी। मेरे पास वो सब कुछ है जिसकी उन्हें आस है। बड़े मम्मे और एक तंग गाण्ड… अब जब तुम यहीं हो सजल तो क्यों न हम उस काम को अंजाम दें जो हमने शुरू कर दिया है… मेरे ख्याल से तुम्हारी मम्मी यह जानने को उत्सुक होगी कि मैं कैसे चुदवाती हूँ…”
Re: घरेलू चुदाई समारोह
सजल अपनी मम्मी से नाराज़ अवश्य था पर वह उसके अपमान में मनीषा का साथ देने को तैयार नहीं था। उसने मनीषा को दूर धकेलने की कोशिश की पर इतने में ही उसकी मम्मी की एक हरकत पर वह ठगा सा रह गया।
“तुम अपने आपको बड़ा गर्म और सेक्सी समझती हो न मनीषा… मैंने तुम्हें अपने शरीर की नुमाइश करते हुए कई बार देखा है। पर अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि सजल और सुनील क्यों हमेशा मेरे पास ही वापस आएंगे…”
मनीषा को भी गहरा आश्चर्य हुआ जब उसकी पडोसन ने अपने कपड़े उतारने आरंभ किये। उसने भी यह माना कि कोमल के पास अत्यंत ही लुभावना और आकर्षक जिश्म था। कोमल ने नंगे होने में अधिक देर नहीं लगाई। वो सिर्फ अपनी बात सिद्ध करना चाहती, किसी पर विजय नहीं।
“किसका शरीर ज्यादा सुंदर है, सजल…” उसने मनीषा की तारीफ भरी नज़रों में नज़रें डालकर सजल से पूछा।
सजल को अपनी यह स्थिति पसंद नहीं आ रही थी। अपनी कम उम्र के बावजूद वह समझ गया था कि इन दोनों औरतों की लड़ाई बंद करानी होगी- “आप दोनों रुकिये। आप पर जो पागलपन सवार हो रहा है उसे रोकिये। आप लोग इतने सालों से पडोसी हैं पर एक दूसरे के बारे में आपके खयालात कितने गलत हैं…”
वो दोनों सजल की बात सुन रही थीं। उन्हें इस बात से थोड़ी संतुष्टि हुई कि सजल ने स्थिति पर काबू कर लिया था।
सजल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- “मैं इस बात पे कोई वोट नहीं डालूंगा कि आप दोनों में से किसका जिश्म ज्यादा सुंदर है। जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है। आप दोनों बेहद सेक्सी औरतें हैं। बस…” यह कहते-कहते सजल ने अपने लण्ड को खड़ा होते महसूस किया। उसकी दोनों विजय-पताकाओं के बीच में रहने से उसका झंडा बिना खड़ा हुए न रह सका। सजल ने अपनी बांह अपनी मम्मी की कमर में डाली, उसने मनीषा के साथ भी ऐसा ही किया।
“मैं हमेशा सोचा करता था कि दो औरतों को एक साथ चोदने में कैसा लगेगा। क्या आप दोनों अपनी लड़ाई छोड़कर मुझे यह बात समझायेंगी…” बिना उनके उत्तर का इंतज़ार किये, उसने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिये। उसका हौसला इस बात से भी बढ़ा कि उन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी चुप्पी ने उसे यह समझा दिया कि वो उससे सहमत हैं।
“तुम्हें मनीषा आंटी से जलन नहीं होनी चाहिये मम्मी… अगर मैं इन्हें चोदता हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं कि मैं आपको चोदना बंद कर दूँगा…” सजल एक हाथ से अपनी मम्मी और दूसरे हाथ से मनीषा के मम्मों को दबाते हुए बोला।
कोमल ने सजल को मनीषा के मोटे मम्मों से खेलते हुए देखा। उसे ईर्ष्या की जगह एक अभूतपूर्व रोमांच का एहसास हुआ।
सजल ने अपनी मम्मी से कहा- “मम्मी मैं आप दोनों को चोदना चाहता हूँ…” यह कहकर उसने अपनी मम्मी का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। उसका दूसरा हाथ कोमल की गाण्ड दबाने लगा।
मनीषा जान गई कि आज की दोपहर निराली होगी। उसने अपने स्तन सजल की पीठ पर लगा दिये। उसने अपना हाथ मम्मी-बेटे के बीच से सजल के लण्ड पर पहुंचा दिया और उसे दबाने लगी।
कोमल उसके हाथ को हटाने की कोशिश करने लगी। पर फिर उसने अपने बेटे के शानदार लण्ड को इस औरत के साथ बांटने का निर्णय लिया।
“तुम अपने आपको बड़ा गर्म और सेक्सी समझती हो न मनीषा… मैंने तुम्हें अपने शरीर की नुमाइश करते हुए कई बार देखा है। पर अब मैं तुम्हें बताती हूँ कि सजल और सुनील क्यों हमेशा मेरे पास ही वापस आएंगे…”
मनीषा को भी गहरा आश्चर्य हुआ जब उसकी पडोसन ने अपने कपड़े उतारने आरंभ किये। उसने भी यह माना कि कोमल के पास अत्यंत ही लुभावना और आकर्षक जिश्म था। कोमल ने नंगे होने में अधिक देर नहीं लगाई। वो सिर्फ अपनी बात सिद्ध करना चाहती, किसी पर विजय नहीं।
“किसका शरीर ज्यादा सुंदर है, सजल…” उसने मनीषा की तारीफ भरी नज़रों में नज़रें डालकर सजल से पूछा।
सजल को अपनी यह स्थिति पसंद नहीं आ रही थी। अपनी कम उम्र के बावजूद वह समझ गया था कि इन दोनों औरतों की लड़ाई बंद करानी होगी- “आप दोनों रुकिये। आप पर जो पागलपन सवार हो रहा है उसे रोकिये। आप लोग इतने सालों से पडोसी हैं पर एक दूसरे के बारे में आपके खयालात कितने गलत हैं…”
वो दोनों सजल की बात सुन रही थीं। उन्हें इस बात से थोड़ी संतुष्टि हुई कि सजल ने स्थिति पर काबू कर लिया था।
सजल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- “मैं इस बात पे कोई वोट नहीं डालूंगा कि आप दोनों में से किसका जिश्म ज्यादा सुंदर है। जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है। आप दोनों बेहद सेक्सी औरतें हैं। बस…” यह कहते-कहते सजल ने अपने लण्ड को खड़ा होते महसूस किया। उसकी दोनों विजय-पताकाओं के बीच में रहने से उसका झंडा बिना खड़ा हुए न रह सका। सजल ने अपनी बांह अपनी मम्मी की कमर में डाली, उसने मनीषा के साथ भी ऐसा ही किया।
“मैं हमेशा सोचा करता था कि दो औरतों को एक साथ चोदने में कैसा लगेगा। क्या आप दोनों अपनी लड़ाई छोड़कर मुझे यह बात समझायेंगी…” बिना उनके उत्तर का इंतज़ार किये, उसने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिये। उसका हौसला इस बात से भी बढ़ा कि उन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी चुप्पी ने उसे यह समझा दिया कि वो उससे सहमत हैं।
“तुम्हें मनीषा आंटी से जलन नहीं होनी चाहिये मम्मी… अगर मैं इन्हें चोदता हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं कि मैं आपको चोदना बंद कर दूँगा…” सजल एक हाथ से अपनी मम्मी और दूसरे हाथ से मनीषा के मम्मों को दबाते हुए बोला।
कोमल ने सजल को मनीषा के मोटे मम्मों से खेलते हुए देखा। उसे ईर्ष्या की जगह एक अभूतपूर्व रोमांच का एहसास हुआ।
सजल ने अपनी मम्मी से कहा- “मम्मी मैं आप दोनों को चोदना चाहता हूँ…” यह कहकर उसने अपनी मम्मी का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। उसका दूसरा हाथ कोमल की गाण्ड दबाने लगा।
मनीषा जान गई कि आज की दोपहर निराली होगी। उसने अपने स्तन सजल की पीठ पर लगा दिये। उसने अपना हाथ मम्मी-बेटे के बीच से सजल के लण्ड पर पहुंचा दिया और उसे दबाने लगी।
कोमल उसके हाथ को हटाने की कोशिश करने लगी। पर फिर उसने अपने बेटे के शानदार लण्ड को इस औरत के साथ बांटने का निर्णय लिया।