एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“फोटो लाया की नही या फिर मस्ती में सब भूल गया” मोहित ने पूछा.
“लाया हूँ गुरु लाया हूँ ये देखो” राजू ने जेब से फोटो निकाल कर दीखाई.
“शूकर है”
“गुरु मेरी पीठ पर इतनी ज़ोर से मारने की क्या ज़रूरात थी”
“तू रुक ही नही रहा था…और क्या कराता मैं”
राजू और मोहित बाते करते हुवे घर वापिस आ गये. राजू ने परवीन की फोटो प़ड़्मिनी को थमा दी.
प़ड़्मिनी ने फोटो को गौर से देखा
“यही है ना वो साएको?” राजू ने पूछा.
“नही ये वो नही है” प़ड़्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
“क्या? ऐसा कैसे हो सकता है पूजा तो कह रही थी की यही कातिल है” राजू ने कहा.
मोहित अपना सर पकड़ कर बैठ गया, “सारी मेहनत बेकार गयी”
कमरे में सन्नाटा हो गया. राजू कुछ देर तक तस्वीर को निहाराता रहा
फिर उसने तस्वीर वापिस अपनी जेब में रख ली.
“फेंक दो इसे तस्वीर को अब क्या करोगे इश्का” मोहित ने कहा.
“वापिस कर देंगे गुरु….अछा थोड़ी लगता है की किसी की तस्वीर चुरा कर दस्तबीन में फेंक दो”
प़ड़्मिनी हटास और निरास हो कर बेड पर बैठ गयी और किनही ख़यालो में खो गयी. उशके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ झलक रही थी. “क्या होगा अब?” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने मोहित की तरफ देखा पर उसने भी अपना चेहरा अपने हाथो में छिपा लिया.
“आज गुरु पहली बार इतना परेशान लग रहा है” राजू ने सोचा.
तभी दरवाजे पर नॉक होती है.
“कौन हो सकता है” राजू ने कहा.
“दरवाजा खोलो और देख लो” मोहित ने कहा.
राजू ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.
“पूजा तुम आओ…आओ” राजू ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और प़ड़्मिनी के पास बैठ गयी.
“क्या हुवा तुम सब खामोस क्यों हो” पूजा ने पूछा.
“जिशे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है” मोहित ने कहा.
“क्या! ऐसा नही हो सकता” पूजा ने कहा.
“ऐसा ही है पूजा” प़ड़्मिनी ने कहा.
“सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया” पूजा ने कहा.
“कोई बात नही इशी बहाने हमें आपका साथ मिल गया.” मोहित ने कहा.
पूजा ने मोहित की तरफ देखा और बोली,”मैं प़ड़्मिनी का साथ दे रही हूँ ना की तुम्हारा”
“बात तो एक ही है हम सब साथ हैं” मोहित ने कहा.
“प़ड़्मिनी ई आम रियली सॉरी…मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी.” पूजा ने प़ड़्मिनी के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
“इट्स ओक पूजा…थॅंक्स फॉर युवर लव और सपोर्ट” प़ड़्मिनी ने कहा.
“हन हाँ आपका लव और सपोर्ट हमें हमेशा याद रहेगा” मोहित ने कहा.
“ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है.” राजू ने सोचा.
“अछा मैं चलती हूँ…मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा” पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.
“रूको मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ” मोहित ने कहा.
“जी नही उष्की कोई ज़रूरात नही है मैं चली जवँगी” पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.
मोहित पूजा के माना करने के बावजूद उशके साथ चल दिया.
राजू कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. राजू कुण्डी बंद करने लगा तो प़ड़्मिनी अचानक बोली,”नही खुली रहने दो उशे”
“क्यों क्या हुवा प़ड़्मिनी जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है” राजू ने कहा.
“मैं तुम्हारे साथ इसे बंद कमरे में नही रहूंगी समझे” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.
“आपको मुझसे क्या दर है प़ड़्मिनी जी” राजू ने पूछा.
“मैं खूब जानती हूँ की तुम किश फिराक में हो” प़ड़्मिनी ने कहा.
“मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ” राजू ने कहा.
अब प़ड़्मिनी कैसे बताए की उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. राजू हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर प़ड़्मिनी ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उशके साथ.
“लाया हूँ गुरु लाया हूँ ये देखो” राजू ने जेब से फोटो निकाल कर दीखाई.
“शूकर है”
“गुरु मेरी पीठ पर इतनी ज़ोर से मारने की क्या ज़रूरात थी”
“तू रुक ही नही रहा था…और क्या कराता मैं”
राजू और मोहित बाते करते हुवे घर वापिस आ गये. राजू ने परवीन की फोटो प़ड़्मिनी को थमा दी.
प़ड़्मिनी ने फोटो को गौर से देखा
“यही है ना वो साएको?” राजू ने पूछा.
“नही ये वो नही है” प़ड़्मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.
“क्या? ऐसा कैसे हो सकता है पूजा तो कह रही थी की यही कातिल है” राजू ने कहा.
मोहित अपना सर पकड़ कर बैठ गया, “सारी मेहनत बेकार गयी”
कमरे में सन्नाटा हो गया. राजू कुछ देर तक तस्वीर को निहाराता रहा
फिर उसने तस्वीर वापिस अपनी जेब में रख ली.
“फेंक दो इसे तस्वीर को अब क्या करोगे इश्का” मोहित ने कहा.
“वापिस कर देंगे गुरु….अछा थोड़ी लगता है की किसी की तस्वीर चुरा कर दस्तबीन में फेंक दो”
प़ड़्मिनी हटास और निरास हो कर बेड पर बैठ गयी और किनही ख़यालो में खो गयी. उशके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ झलक रही थी. “क्या होगा अब?” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने मोहित की तरफ देखा पर उसने भी अपना चेहरा अपने हाथो में छिपा लिया.
“आज गुरु पहली बार इतना परेशान लग रहा है” राजू ने सोचा.
तभी दरवाजे पर नॉक होती है.
“कौन हो सकता है” राजू ने कहा.
“दरवाजा खोलो और देख लो” मोहित ने कहा.
राजू ने दरवाजा खोला. सामने पूजा खड़ी थी.
“पूजा तुम आओ…आओ” राजू ने कहा.
पूजा अंदर आ गयी और प़ड़्मिनी के पास बैठ गयी.
“क्या हुवा तुम सब खामोस क्यों हो” पूजा ने पूछा.
“जिशे तुम कातिल बता रही थी वो भी कातिल नही है” मोहित ने कहा.
“क्या! ऐसा नही हो सकता” पूजा ने कहा.
“ऐसा ही है पूजा” प़ड़्मिनी ने कहा.
“सॉरी मैने तुम लोगो का वक्त बर्बाद किया” पूजा ने कहा.
“कोई बात नही इशी बहाने हमें आपका साथ मिल गया.” मोहित ने कहा.
पूजा ने मोहित की तरफ देखा और बोली,”मैं प़ड़्मिनी का साथ दे रही हूँ ना की तुम्हारा”
“बात तो एक ही है हम सब साथ हैं” मोहित ने कहा.
“प़ड़्मिनी ई आम रियली सॉरी…मैं तो बस तुम्हारी मदद करना चाहती थी.” पूजा ने प़ड़्मिनी के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
“इट्स ओक पूजा…थॅंक्स फॉर युवर लव और सपोर्ट” प़ड़्मिनी ने कहा.
“हन हाँ आपका लव और सपोर्ट हमें हमेशा याद रहेगा” मोहित ने कहा.
“ये गुरु को क्या हो गया अभी तो मूह लटकाए बैठा था अभी पूजा से फ्लर्ट कर रहा है.” राजू ने सोचा.
“अछा मैं चलती हूँ…मैं तो बस हाल चाल पूछने आई थी तुम्हारा” पूजा ने कहा और उठ कर चल दी.
“रूको मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ” मोहित ने कहा.
“जी नही उष्की कोई ज़रूरात नही है मैं चली जवँगी” पूजा ने कहा और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.
मोहित पूजा के माना करने के बावजूद उशके साथ चल दिया.
राजू कुण्डी लगा ले मैं अभी आता हूँ. राजू कुण्डी बंद करने लगा तो प़ड़्मिनी अचानक बोली,”नही खुली रहने दो उशे”
“क्यों क्या हुवा प़ड़्मिनी जी कुण्डी तो हमारी सुरक्षा के लिए है” राजू ने कहा.
“मैं तुम्हारे साथ इसे बंद कमरे में नही रहूंगी समझे” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने दरवाजा बंद तो कर दिया पर कुण्डी नही लगाई.
“आपको मुझसे क्या दर है प़ड़्मिनी जी” राजू ने पूछा.
“मैं खूब जानती हूँ की तुम किश फिराक में हो” प़ड़्मिनी ने कहा.
“मैं तो बस आपकी मदद कर रहा हूँ” राजू ने कहा.
अब प़ड़्मिनी कैसे बताए की उसने सपने में क्या देखा था. वो तो सपने को हर हाल में टालना चाहती थी. राजू हैरान और परेशान हो रहा था की आख़िर प़ड़्मिनी ऐसा बिहेव क्यों कर रही है उशके साथ.
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
“मैने कहा ना मैं चली जवँगी मेरे पीछे मत प़ड़ो” पूजा ने कहा.
“तुमसे ज़रूरी बात करनी थी” मोहित ने कहा.
“मैं जानती हूँ तुम्हारी ज़रूरी बात, मेरा पीछा छोड़ दो मुझे तुम्हारे अंदर कोई इंटेरेस्ट नही है” पूजा ने कहा.
“तुम कैसे तैयार हो गयी ड्प के लिए हमसे तो बात भी करने को तैयार नही हो” मोहित ने कहा.
“ड्प मतलब…मुझे कुछ समझ नही आया.” पूजा ने कहा.
“ड्प मतलब डबल पीनेट्रेशन एक लंड चुत में और एक गान्ड में आया समझ अब. मैं तो हैरान हूँ की तुमने ये सब किया.”
पूजा के पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन निकल गयी. वो हैरान थी की आख़िर मोहित को ये सब कैसे पता चल गया.
“तुम्हे किशणे बताया ये सब?”
“उष से क्या फराक पड़ता है ये सच है की नही ये बताओ” मोहित ने कहा.
“मैं तुम्हे क्यों बताओन कौन होते हो तुम ये सब पूछने वाले”
“मैं तुम्हारा आशिक हूँ और मैं जान-ना चाहती हूँ की तुमने ये सब क्यों किया.” मोहित ने कहा.
“ई वांटेड टू डिक्स अट थे सेम टाइम. ई आम स्लट और वन इस नोट एनफ फॉर मे. इस तट फाइन वित यू…नाउ गेट थे हेल आउट ऑफ हियर”
“ये सच नही है…तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी” मोहित ने कहा.
“उष से तुम्हे क्या लेना देना मुझे परेशान मत करो…लीव मे अलोन” पूजा ने कहा.
“देखो पूजा मेरा यकीन करो मैं सच में तुम्हे चाहने लगा हूँ और तुम्हारा भला चाहता हूँ. मुझे सारी बात बताओ मैं तुम्हारी मदद करूँगा”
“मुझे किसी की मदद की ज़रूरात नही है…अब मैं उष मुसीबत से निकल चुकी हूँ”
“क्या तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया था?”
पूजा ने गहरी साँस ली और बोली, “हन…लेकिन अब मेरी बात ध्यान से शुन्ओ…तुम बहुत अछा फ्लर्ट कर लेते हो…मुझे ये फ्लर्ट बिल्कुल पसंद नही”
“बुत तीस इस नोट फ्लर्ट…. ये मेरा प्यार है” मोहित ने कहा.
“अछा कितनी लड़कियों को बोल चुके हो ये लाइन ये भी बता दो”
“तुम तीसरी हो”
“शूकर है तुमने सच तो बोला.” पूजा ने कहा.
“पर उन दोनो के लिए मैं इतना पागल नही था जितना तुम्हारे लिए हूँ”
मेरा घर आ गया…अब तुम जाओ.
“मूवी देखने चलॉगी मेरे साथ” मोहित ने पूछा.
“ऑफ कोर्स नोट” पूजा ने कहा और अपने घर की तरफ चल दी.
मोहित खड़ा खड़ा उसे जाते हुवे देखता रहा. “असली मज़ा तो ऐसी लड़की को ठोकने का है बाकी सब तो बकवास है” मोहित ने सोचा.
जैसे ही पूजा घर में घुस्सी नगमा ने पूछा, “कहा रह गयी थी तू पूजा”
“दीदी मैं वो प़ड़्मिनी से मिलने गयी थी” पूजा ने कहा.
“प़ड़्मिनी को तुम कैसे जानती हो?”
“बस जानती हूँ दीदी”
“क्या राजू और मोहित भी थे वाहा”
“हन वो भी थे”
“देखो उन दोनो से बचके रहना उनकी बातो में मत आना.”
“दीदी जो बाते मुझे सीखा रही हो अगर खुद भी सीख लो तो ज़्यादा अछा है मैं सब जानती हूँ की आप क्या कराती हैं”
“पूजा ये क्या कह रही हो?”
“राजू तो था ही तुम मोहित के साथ भी ची”
“ये तुम्हे किशणे बताया?”
“दीदी आप बस संभाल जाओ दुनिया ठीक नही है”
“मैं जानती हू पूजा पर तू मुझे ग़लत मत समझ”
“आप क्यों कराती हैं फिर ऐसा?”
“पिता जी अभी तक नही आए” नगमा ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 20
“तुमसे ज़रूरी बात करनी थी” मोहित ने कहा.
“मैं जानती हूँ तुम्हारी ज़रूरी बात, मेरा पीछा छोड़ दो मुझे तुम्हारे अंदर कोई इंटेरेस्ट नही है” पूजा ने कहा.
“तुम कैसे तैयार हो गयी ड्प के लिए हमसे तो बात भी करने को तैयार नही हो” मोहित ने कहा.
“ड्प मतलब…मुझे कुछ समझ नही आया.” पूजा ने कहा.
“ड्प मतलब डबल पीनेट्रेशन एक लंड चुत में और एक गान्ड में आया समझ अब. मैं तो हैरान हूँ की तुमने ये सब किया.”
पूजा के पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन निकल गयी. वो हैरान थी की आख़िर मोहित को ये सब कैसे पता चल गया.
“तुम्हे किशणे बताया ये सब?”
“उष से क्या फराक पड़ता है ये सच है की नही ये बताओ” मोहित ने कहा.
“मैं तुम्हे क्यों बताओन कौन होते हो तुम ये सब पूछने वाले”
“मैं तुम्हारा आशिक हूँ और मैं जान-ना चाहती हूँ की तुमने ये सब क्यों किया.” मोहित ने कहा.
“ई वांटेड टू डिक्स अट थे सेम टाइम. ई आम स्लट और वन इस नोट एनफ फॉर मे. इस तट फाइन वित यू…नाउ गेट थे हेल आउट ऑफ हियर”
“ये सच नही है…तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी” मोहित ने कहा.
“उष से तुम्हे क्या लेना देना मुझे परेशान मत करो…लीव मे अलोन” पूजा ने कहा.
“देखो पूजा मेरा यकीन करो मैं सच में तुम्हे चाहने लगा हूँ और तुम्हारा भला चाहता हूँ. मुझे सारी बात बताओ मैं तुम्हारी मदद करूँगा”
“मुझे किसी की मदद की ज़रूरात नही है…अब मैं उष मुसीबत से निकल चुकी हूँ”
“क्या तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया था?”
पूजा ने गहरी साँस ली और बोली, “हन…लेकिन अब मेरी बात ध्यान से शुन्ओ…तुम बहुत अछा फ्लर्ट कर लेते हो…मुझे ये फ्लर्ट बिल्कुल पसंद नही”
“बुत तीस इस नोट फ्लर्ट…. ये मेरा प्यार है” मोहित ने कहा.
“अछा कितनी लड़कियों को बोल चुके हो ये लाइन ये भी बता दो”
“तुम तीसरी हो”
“शूकर है तुमने सच तो बोला.” पूजा ने कहा.
“पर उन दोनो के लिए मैं इतना पागल नही था जितना तुम्हारे लिए हूँ”
मेरा घर आ गया…अब तुम जाओ.
“मूवी देखने चलॉगी मेरे साथ” मोहित ने पूछा.
“ऑफ कोर्स नोट” पूजा ने कहा और अपने घर की तरफ चल दी.
मोहित खड़ा खड़ा उसे जाते हुवे देखता रहा. “असली मज़ा तो ऐसी लड़की को ठोकने का है बाकी सब तो बकवास है” मोहित ने सोचा.
जैसे ही पूजा घर में घुस्सी नगमा ने पूछा, “कहा रह गयी थी तू पूजा”
“दीदी मैं वो प़ड़्मिनी से मिलने गयी थी” पूजा ने कहा.
“प़ड़्मिनी को तुम कैसे जानती हो?”
“बस जानती हूँ दीदी”
“क्या राजू और मोहित भी थे वाहा”
“हन वो भी थे”
“देखो उन दोनो से बचके रहना उनकी बातो में मत आना.”
“दीदी जो बाते मुझे सीखा रही हो अगर खुद भी सीख लो तो ज़्यादा अछा है मैं सब जानती हूँ की आप क्या कराती हैं”
“पूजा ये क्या कह रही हो?”
“राजू तो था ही तुम मोहित के साथ भी ची”
“ये तुम्हे किशणे बताया?”
“दीदी आप बस संभाल जाओ दुनिया ठीक नही है”
“मैं जानती हू पूजा पर तू मुझे ग़लत मत समझ”
“आप क्यों कराती हैं फिर ऐसा?”
“पिता जी अभी तक नही आए” नगमा ने कहा.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 20
Re: एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story
उनका फोन आया था उनकी ट्रेन रढ हो गयी अब वो अगले हफ्ते ही आएँगे” पूजा ने कहा.
“मुझे बता तो देती मैं यू ही परेशान हो रही हूँ”
“आप बात ताल रही हो दीदी”
“ठीक है तू खाना खा ले बाद में बात करते हैं” नगमा ने कहा.
एक और रात घिर आई थी और सहर में सन्नाटा छाने लगा था. हर कोई यही सोच रहा था की क्या आज की रात भी कोई हादसा होगा. सब यही ड्यूवा कर रहे थे की साएको किल्लर जल्दी पकड़ा जाए और सहर में शांति आए.
नगमा और पूजा बिस्तर लगा कर लाते चुके हैं.
“दीदी पीचली दो रात तुम कहा थी” पूजा ने पूछा.
“देख पूजा तू मेरे मामले में ज़्यादा टाँग मत अदा समझी तू कॉलेज जाती है क्या तू मस्ती नही कराती”
तभी पूजा की आँखो के सामने वो सभी सीन घूम गये जो उसने विक्की के साथ बिठाए थे. विक्की से मिलने के लिए उसने काई बार कॉलेज भी बंक किया था.
“क्या हुवा चुप क्यों हो गयी” नगमा ने पूछा.
पूजा की आँखो में आँसू उतार आए. वो प्यार में खाए धोके को लेकर भावुक हो गयी.
नगमा पूजा की आँखो में आँसू देख कर फ़ौरन अपने बिस्तर से उठ कर पूजा के पास आ गयी.
“अरे क्या हुवा तू तो बुरा मन गयी मैं तो यू ही कह रही थी. क्या मुझे नही पता की तू दोनो साल फर्स्ट आई थी कॉलेज में”
“हन पर आपकी बात सच भी थी…मैं एक लड़के के झुटे प्यार में प़ड़ गयी थी.”
“तो क्या हुवा झुता प्यार ही तो था कुछ ऐसा वैसा तो नही हुवा ना”
पूजा ने नगमा की आँखो में देखा. नगमा समझ गयी.
“चल कोई बात नही?”
“पर आप तो कमाल कर रही हैं दीदी ऐसा कोई कराता है क्या जैसा आप कर रही हैं”
“तू मेरी चिंता मत कर आगे से ध्यान रखना कही फिर कोई मजनू बन कर तुम्हारी ले ले हे हे”
“मैं दुबारा प्यार के चक्कर में नही पड़ूँगी…पर आप ये बताओ क्या मोहित ने भी आपके साथ”
“हन एक बार…बहुत मोटा है उष्का.”
“ची आप भी ना कैसी बाते कराती हैं.”
“अब जब मुद्दा छिड़ ही गया है तो सॉफ-सॉफ बात करनी चाहिए…तू अपनी कहानी शुना मैं अपनी शुनाती हूँ” नगमा ने कहा.
“नही मेरी कोई लंबी छोड़ी कहानी नही है…और ना ही मैं शुणना चाहती हूँ”
“मुझे पता था की कोई ना कोई तेरी ज़रूर ले रहा है बड़ी साज धज के जाती थी तू कॉलेज हा”
“दीदी ऐसी बाते मत करो मुझे वो दिन याद मत दिलाओ.”
“अछा मेरी कहानी शुनेगी.”
“बिल्कुल भी नही जाओ शो जाओ.”
पर नगमा कहा मान-ने वाली थी उसने कहानी शुनानी शुरू कर दी.
(तुझे याद होगा मैं 3 साल पहले बापू के साथ देल्ही गयी थी सॅडी में. वाहा शादी में एक अंकल मेरे पीछे प़ड़ गया. हर वक्त मुझे घूराता रहता था. काई बार उसने मुझसे बेवजह बात भी करने की कोशिस की. पर मैं बिना कोई जवाब दिए निकल लेती थी. पर वो तो जैसे मेरे पीछे ही पड़ा था. जहा भी जाओ वही आ जाता था. मैं तंग आ कर शादी के माहॉल को छोड़ कर जिनके यहा हम गये थे उनके घर की चत्ट पर आ गयी. बापू अपने दोस्तो में व्यस्त थे. पर उष अंकल ने वाहा भी मेरा पीछा नही छोड़ा. मेरे पीछे पीछे वही आ गया. शाम का वक्त था चत्ट पर कोई नही था. मैने सोचा की मैं तो बुरी तरह फँस गयी. मैं मूड कर वापिस जाने लगी.
अंकल ने मुझे पीछे से आवाज़ दी, “बेटा आप मुझसे दर क्यों रहे हो.”
“एक तो मुझे बेटा कहते हो और उपर से मुझ पर ग़लत नज़र रखते हो शरम नही आती आपको”
अंकल मेरे पास आया और बोला,”बेटा ऐसी बात नही है…मैं तो तुझे तुझे अपने बेटे की बहू बनाना चाहता हूँ. अब शादी के लिए बहू को तो अच्छे से देखना ही पड़ता है ना.”
मुझे बात कुछ अटपटी सी तो लगी पर फिर भी मैने ना जाने क्यों मन ली.
“मुझे अभी शादी नही करनी अंकल”
“कोई बात नही बेटा अभी सगाई कर लो शादी बाद में कर लेना. मेरा बेटा बिल्कुल मेरे जैसा ही है” अंकल ने कहा.
“वो सब ठीक है पर मेरा कोई इरादा नही अभी”
“अभी तक कुँवारी हो क्या.”
“क्यों आपको क्या लेना देना”
“तभी बोल रही हो जिसे गरम बिस्तर मिल जाता है वो शादी से माना नही कराता”
“गरम बिस्तर?”
“आदमी का लंड देखा है तूने कभी”
मैं तो वाहा से भाग खड़ी हुई और वापिस शादी की भीड़ में शामिल हो गयी. पर अंकल फिर मेरे पीछे पीछे. तक कर मैने पूछ ही लिया “क्या चाहिए आपको?”
“तुम्हारी चुत चाहिए…. दोगी क्या?” अंकल ने जवाब दिया.
मुझे समझ नही आया की क्या जवाब दु अंकल को. मैं चुप ही रही.
अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “चल मेरे साथ शर्मा मत तुझे बहुत मज़ा आएगा.”
मैने पूछा, “आप तो कह रहे थे की आप मुझे अपने बेटे के लिए देख रहे है अब ये सब क्या है”
“मैं मज़ाक कर रहा था चल आजा शर्मा मत”
मुझ पर ना जाने क्या जादू किया अंकल ने मैं उनके साथ चल दी.
“चत्ट ही ठीक रहेगी क्यों क्या कहती हो” अंकल ने कहा.
मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा था की क्या काहु. अंकल वापिस मुझे उशी चत्ट पर ले आया.
अंकल ने चत्ट पर आते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में रख दिया. पहली बार मेरे हाथ में लंड था. मैं हैरानी मे उसे हर तरफ चू कर देख रही थी.
अंकल ने मेरा नाडा खोल दिया और बोला, “चल जल्दी से काम ख़त्म करते हैं कही कोई आ जाए.”
मुझे क्या पता था की काम क्या है और कैसे होगा मैं तो अपने हाथ में लंड पा कर ही खुश थी. अंकल ने मुझे घुमा कर अपने आगे झुका दिया और बोला, “सच बता कुँवारी है क्या तू.”
“हन” मैने कहा.
“तब तो बहुत मज़ा आएगा”
अंकल ने मेरी चुत पर थूक लगाया और लंड घुस्सा दिया. लंड राजू के जितना बड़ा तो नही था फिर भी बहुत दर्द हुवा. पहली बार जो ले रही थी.
मेरे मूह से छींख ना निकले इश्लीए उसने मेरे मूह पर हाथ रख लिया था और पूरे ज़ोर से मेरी चुत में लंड डाल दिया था. दर्द तो बहुत हुवा पर मैने अंकल को रोका नही. थोड़ी ही देर में मज़ा भी आने लगा. अंकल मेरी चुचियों को पकड़ कर मेरी चुत में बार बार लंड के धक्के मार रहा था और मेरी सिसकिया निकल रही थी. कोई 10 मिनिट तक वो मेरी चुत में लंड घूममता रहा फिर अचानक रुक गया. मुझे मेरी चुत में गरम गरम महसूस हुवा. उसने अपना सारा पानी मेरी चुत में डाल दिया था.
मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उशके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उशके बाद राजू मिल गया. राजू के साथ कैसे हुवा वो बड़ी मज़ेदार कहानी है शुनोगी क्या?
नगमा ने ध्यान से देखा तो पाया की पूजा शो चुकी है.
“ये भी प़ड़्मिनी जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा…और ना अपनी बताती है.”
नगमा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बाज चुके थे.
बाहर कुत्टो के भोंकने की आवाज़ से नगमा सहम गयी.
“कही वो साएको यही कही तो नही घूम रहा.” नगमा ने सोचा.
“अफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो राजू के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी.”
अचानक नगमा को घर के बाहर कुछ हलचल शुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.
“ये भोलू यहा क्या कर रहा है?” नगमा ने सोचा.
मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. राजू और मोहित को बेवकूफ़ बनाया है ईसणे. पर ये इसे वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है.” नगमा ने सोचा.
बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू नगमा के घर के बाहर खड़ा था.
“आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर”
नगमा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुवे थी. अचानक भोलू वाहा से चस्ल दिया.
“कहा जा रहा है ये, इश्का घर तो उष तरफ है” नगमा सोच में डूब गयी.
कुछ देर तक नगमा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लाते गयी.
“कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ…..कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इसे बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. राजू को आज की बात बतावुँगी. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर…कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उशके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड माराता है….अफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है” नगमा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.
………………………………………………………………
“ये गुरु कहा रह गया…10 बाज चुके हैं.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी अपने ही ख़यालो में खोई थी. उसने कोई रिक्ट नही किया.
“प़ड़्मिनी जी आप खाना खाओ ना कब तक आप यू ही चुपचाप बैठी रहेंगी.”
“मुझे भुख नही है तुम खा लो”
“आपके बिना नही खवँगा मैं”
प़ड़्मिनी ने राजू की तरफ देखा और बोली,”मुझे भुख नही है कहा ना”
“तोड़ा तो ले लीजिए ऐसा कैसे चलेगा…आज भुख क्यों नही है”
“मुझे अब पुलिस में जा कर सारी सचाई बता देनी चाहिए”
“बात तो ठीक है मैं आपके साथ हूँ…पर इसे से कुछ हाँसिल नही होगा. आपको पकड़ कर बंद कर दिया जाएगा और केस क्लोज़ कर दिया जाएगा.”
“तो मैं क्या करूँ यही पड़ी रहू सारी उमर”
“मुझ पर यकीन रखिए मैं हू ना. मैं उशी इनस्पेक्टर के साथ हूँ जो इसे केस को हॅंडल कर रहा है”
“तुम्हारा गुरु कहा है?”
“पता नही पूजा को छोड़ने गया था…ना जाने कहा रह गया”
तभी राजू का मोबाइल बाज उठा. राजू ने फोन उठाया और शन कर रख दिया.
“गुरु घर नही आएगा आज” राजू ने कहा.
“क्यों क्या हुवा?”
“अपने किसी दोस्त के साथ बैठा पे रहा है.”
“बहुत बढ़िया मुझे मुसीबत में फँसा के जनाब दारू पे रहे हैं”
“आप कुछ खाओ ना” राजू ने कहा.
राजू के इतना कहने के बाद थोड़ा खा लेती है. राजू भी खा लेता है.
“कल रात सुरिंदर के साथ कोई लड़की थी. उसे ढुंडना पड़ेगा. हो सकता है उसे कुछ पता हो साएको के बड़े में”
“वो वाहा क्या कर रही थी.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“बेडरूम का बिस्तर उथल पुथल था और….”
“बस बस समझ गयी” प़ड़्मिनी ने राजू को टोक दिया.
“अभी उष लड़की का कुछ आता पता नही लेकिन उम्मीद है की जल्दी पता चल जाएगा.”
“ह्म….ठीक है राजू तुम अब जाओ…मुझे नींद आ रही है”
“मैं आपको अकेला छोड़ कर नही जवँगा”
“नही तुम जाओ मुझे अकेला छोड़ दो” प़ड़्मिनी बोल ही रही थी की उशके सर से अचानक कुछ टकराया.
“आअहह” प़ड़्मिनी दर्द से कराह उठी
राजू ने ध्यान से देखा तो पाया की प़ड़्मिनी के पैरो में काग़ज़ में लिपटा एक पठार पड़ा था. राजू ने फ़ौरन उसे उठाया और काग़ज़ को पठार से अलग करके पठार एक तरफ फेंक दिया. राजू ने काग़ज़ फैलाया. उष पर लिखा था “यू कॅन ऋण बट यू कॅन नेवेर हाइड”
राजू ने काग़ज़ प़ड़्मिनी को दिया और फ़ौरन बाहर आकर देखा. कुत्ते ज़ोर ज़ोर से भोंक रहे थे और चारो तरफ सन्नाटा था. राजू को कुछ दीखाई नही दिया.
प़ड़्मिनी ने काग़ज़ पर लिखे शब्द पढ़े तो वो तर तर काँपने लगी. रौ दरवाजा बंद करके वापिस अंदर आ गया. थोड़ा वो भी डरा हुवा था.
“उष रात जंगल में वो साएको छील्ला छील्ला कर यही बोल रहा था जो इसे काग़ज़ पर लिखा है” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने फ़ौरन खिड़की बंद की और बोला,”अफ वो कटता भी नही है आज…गुरु को भी आज ही पीनी थी”
“अरे आपके सर से तो खून निकल आया है” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने सर पर हाथ रखा तो उष्की उंगली पर खून की कुछ बूंदे लग गयी.
राजू ने फोन निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन लगाया. पर उनका नंबर नही मिला. फिर उसने सब इनस्पेक्टर विजय को फोन किया. उन्होने फोन नही उठाया.
“अफ कैसे पुलिस वाले हैं ये…कोई भी एमर्जेन्सी हो ये नही मिलेंगे” राजू बड़बड़ाया.
हार कर राजू ने मोहित को फोन किया. पर नशे की हालत में उसने भी फोन नही उठाया.
“सब के सब निक्कममे हैं मुझे ही कुछ करना होगा.” राजू ने कहा और कुण्डी खोलने लगा.
“क्या कर रहे हो बाहर मत जाओ…वो बहुत ख़तरनाक है” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू रुक गया और बोला, “पर उसे पकड़ने को अछा मोका था.”
“प़ड़्मिनी जी यहा कुछ नही है सर पे लगाने को आप ऐसा करो थोड़ा ठंडा पानी डाल लो चोट पर खून बंद हो जाएगा.”
“कोई बात नही खून बंद हो चुका है मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी”
“प़ड़्मिनी जी आप की जगह कोई और होता तो ना जाने क्या हाल होता उष्का. आप बड़ी बहादुरी से सब सह रही हो”
“बस बस माखन मत लगाओ मैं जानती हूँ तुम क्या कोशिस कर रहे हो”
“आप ऐसा क्यों बोलती हैं मुझे…मैं तो बस…”
“उशे पता है की मैं यहा हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“शायद”
“शायद नही…उशे पता है वरना वो ये पठार क्यों फेंकता”
“नगमा के पीछे आया था वा कल यहा…हो सकता है वो उशके पीछे हो. कल आपको उसने नही पहचाना होगा. आज तो वो खिड़की के पास आया ही नही बस पठार फेंका है दूर से.”
“हन पर ये तुम्हारा अंदाज़ा है…मैं एक पल भी यहा नही रुकूंगी मैं इशी वक्त घर जा रही हूँ”
“ये आप क्या कह रही हैं…ये वक्त कही आने जाने का नही है”
“तो क्या करूँ इसे कमरे में बैठे बैठे अपनी किस्मत को रोटी रहूं…मुझे अब यहा से जाना ही होगा.”
“प़ड़्मिनी जी आप समझ नही रही हैं वो बाहर ही कही है” राजू ने कहा.
“तुम भी नही समझ रहे हो मेरा यहा रहना भी ठीक नही है”
“मैं समझ रहा हूँ पर…एक मिनिट”
“क्या हुवा” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“एक काम हो सकता है”
“क्या?”
“हम आस्प शालिनी जी से मिलते हैं और उन्हे सारी बात बताते हैं. मुझे यकीन है की वो हमारी बात समझेंगी.”
“ह्म कैसी हैं ये शालिनी.”
“बहुत कड़क ऑफीसर है. उनके कारण ही मेरी जाय्निंग हुई है. मुझे यकीन है को वो हमारा साथ देंगी.”
“ह्म…चलो फिर.”
“रुकिये मैं पुलिस की जीप बुलाअता हूँ. एक कॉन्स्टेबल का नंबर है मेरे पास जो की जीप ला सकता है.”
राजू कॉन्स्टेबल को फोन मिलाता है और उसे जीप लाने को बोलता है.
“शूकर है उसने तो फोन उठाया…वो 20 मिनिट में यहा पहुँच जाएगा.”
20 मिनिट में तो नही पर आधे घंटे में जीप वाहा आ गयी. राजू प़ड़्मिनी को लेकर कमरे से बाहर निकला. उसने चारो तरफ देखा… कोई दीखाई नही दिया. राजू ने कमरे का टाला लगाया और प़ड़्मिनी के साथ जीप में बैठ गया.
“हमें आस्प साहिबा के घर ले चलो” राजू ने कॉन्स्टेबल से कहा.
“जी सिर”
अंधेरी रात में जीप सड़क पर आगे बढ़े जा रही थी. चारो तरफ सन्नाटा फैला था.
…………………………………………………….
नगमा रह रह कर करवाते बदल रही थी.
“नींद क्यों नही आ रही मुझे?” नगमा धीरे से बोली.
उशे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल शुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.
“क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है” नगमा ने सोचा.
बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.
“कही राजू तो नही…उशे पता चल गया होगा की मेरा बापू यहा नही है आज भी…शायद वो मेरे लिए यहा आया हो…पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उष्का कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी…दरवाजा खोल कर देखूं क्या…नही…नही…दरवाजा खोलना ठीक नही होगा.”
पर नगमा को लग रहा था की बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी…उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर डाए बाए देखा. “यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं.”
नगमा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उशके मूह को भी दबोच लिया गया था इश्लीए वो छील्ला नही पाई.
“घबराओ मत मैं हूँ… भोलू” भोलू ने कहा और नगमा के मूह से हाथ हटा लिया.
“तुम यहा क्या कर रहे हो…छोड़ो मुझे.” नगमा ने कहा.
“कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी…मेरा तो एक बार और मन था.”
नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुवा. “इश् लंड को मेरी गान्ड से हटाओ”
“क्यों अछा नही लग रहा क्या.”
“पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को.”
“तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया की तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिठाई जाए.”
“तुम झुत बोल रहे हो छोड़ो मुझे.” नगमा ने कहा.
“चल ना नखरे मत कर…चल मेरे घर चलते हैं”
“ना बाबा ना मैं वाहा नही जवँगी.”
“तो चल तेरे घर में ही करते हैं.”
“मेरी छोटी बहन है साथ वो शो रही है”
“उष्की भी ले लूँगा चिंता क्यों कराती है.”
“चुप कर मेरी बहन के बड़े में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी”
“फिर चल ना मेरे घर चलते हैं.”
नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उष्का मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से दर रही थी.
भोलू नगमा के बूब्स को मसालने लगा और खड़े खड़े उष्की गान्ड पर धक्के मारने लगा.
“आअहह हटो ना.”
“चलती है की यही या यही मारु तेरी गान्ड.”
“आअहह ठीक है चलती हूँ…मुझे घर को टाला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चुत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह”
“जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि” भोलू हासने लगा.
नगमा ने टाला लगाया और भोलू के साथ चल दी.
भोलू ने कमरे में आते ही नगमा को गोदी में उठा लिया और बोला,”आज रात तू कही नही जाएगी…सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी”
“फिर वही बात कहा ना चुत में लूँगी गान्ड में नही.”
“अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है.”
“तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे.”
“कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती…लेनी पड़ती है.”
“पर 2 मिनिट की बजाए 2 घंटे माराते रहे तुम मेरी गान्ड…अभी तक दर्द है मुझे. परसो राजू ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं”
“बिल्कुल बिल्कुल..” भोलू ने कहा और नगमा को बिस्तर पर पटक दिया.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 21
“मुझे बता तो देती मैं यू ही परेशान हो रही हूँ”
“आप बात ताल रही हो दीदी”
“ठीक है तू खाना खा ले बाद में बात करते हैं” नगमा ने कहा.
एक और रात घिर आई थी और सहर में सन्नाटा छाने लगा था. हर कोई यही सोच रहा था की क्या आज की रात भी कोई हादसा होगा. सब यही ड्यूवा कर रहे थे की साएको किल्लर जल्दी पकड़ा जाए और सहर में शांति आए.
नगमा और पूजा बिस्तर लगा कर लाते चुके हैं.
“दीदी पीचली दो रात तुम कहा थी” पूजा ने पूछा.
“देख पूजा तू मेरे मामले में ज़्यादा टाँग मत अदा समझी तू कॉलेज जाती है क्या तू मस्ती नही कराती”
तभी पूजा की आँखो के सामने वो सभी सीन घूम गये जो उसने विक्की के साथ बिठाए थे. विक्की से मिलने के लिए उसने काई बार कॉलेज भी बंक किया था.
“क्या हुवा चुप क्यों हो गयी” नगमा ने पूछा.
पूजा की आँखो में आँसू उतार आए. वो प्यार में खाए धोके को लेकर भावुक हो गयी.
नगमा पूजा की आँखो में आँसू देख कर फ़ौरन अपने बिस्तर से उठ कर पूजा के पास आ गयी.
“अरे क्या हुवा तू तो बुरा मन गयी मैं तो यू ही कह रही थी. क्या मुझे नही पता की तू दोनो साल फर्स्ट आई थी कॉलेज में”
“हन पर आपकी बात सच भी थी…मैं एक लड़के के झुटे प्यार में प़ड़ गयी थी.”
“तो क्या हुवा झुता प्यार ही तो था कुछ ऐसा वैसा तो नही हुवा ना”
पूजा ने नगमा की आँखो में देखा. नगमा समझ गयी.
“चल कोई बात नही?”
“पर आप तो कमाल कर रही हैं दीदी ऐसा कोई कराता है क्या जैसा आप कर रही हैं”
“तू मेरी चिंता मत कर आगे से ध्यान रखना कही फिर कोई मजनू बन कर तुम्हारी ले ले हे हे”
“मैं दुबारा प्यार के चक्कर में नही पड़ूँगी…पर आप ये बताओ क्या मोहित ने भी आपके साथ”
“हन एक बार…बहुत मोटा है उष्का.”
“ची आप भी ना कैसी बाते कराती हैं.”
“अब जब मुद्दा छिड़ ही गया है तो सॉफ-सॉफ बात करनी चाहिए…तू अपनी कहानी शुना मैं अपनी शुनाती हूँ” नगमा ने कहा.
“नही मेरी कोई लंबी छोड़ी कहानी नही है…और ना ही मैं शुणना चाहती हूँ”
“मुझे पता था की कोई ना कोई तेरी ज़रूर ले रहा है बड़ी साज धज के जाती थी तू कॉलेज हा”
“दीदी ऐसी बाते मत करो मुझे वो दिन याद मत दिलाओ.”
“अछा मेरी कहानी शुनेगी.”
“बिल्कुल भी नही जाओ शो जाओ.”
पर नगमा कहा मान-ने वाली थी उसने कहानी शुनानी शुरू कर दी.
(तुझे याद होगा मैं 3 साल पहले बापू के साथ देल्ही गयी थी सॅडी में. वाहा शादी में एक अंकल मेरे पीछे प़ड़ गया. हर वक्त मुझे घूराता रहता था. काई बार उसने मुझसे बेवजह बात भी करने की कोशिस की. पर मैं बिना कोई जवाब दिए निकल लेती थी. पर वो तो जैसे मेरे पीछे ही पड़ा था. जहा भी जाओ वही आ जाता था. मैं तंग आ कर शादी के माहॉल को छोड़ कर जिनके यहा हम गये थे उनके घर की चत्ट पर आ गयी. बापू अपने दोस्तो में व्यस्त थे. पर उष अंकल ने वाहा भी मेरा पीछा नही छोड़ा. मेरे पीछे पीछे वही आ गया. शाम का वक्त था चत्ट पर कोई नही था. मैने सोचा की मैं तो बुरी तरह फँस गयी. मैं मूड कर वापिस जाने लगी.
अंकल ने मुझे पीछे से आवाज़ दी, “बेटा आप मुझसे दर क्यों रहे हो.”
“एक तो मुझे बेटा कहते हो और उपर से मुझ पर ग़लत नज़र रखते हो शरम नही आती आपको”
अंकल मेरे पास आया और बोला,”बेटा ऐसी बात नही है…मैं तो तुझे तुझे अपने बेटे की बहू बनाना चाहता हूँ. अब शादी के लिए बहू को तो अच्छे से देखना ही पड़ता है ना.”
मुझे बात कुछ अटपटी सी तो लगी पर फिर भी मैने ना जाने क्यों मन ली.
“मुझे अभी शादी नही करनी अंकल”
“कोई बात नही बेटा अभी सगाई कर लो शादी बाद में कर लेना. मेरा बेटा बिल्कुल मेरे जैसा ही है” अंकल ने कहा.
“वो सब ठीक है पर मेरा कोई इरादा नही अभी”
“अभी तक कुँवारी हो क्या.”
“क्यों आपको क्या लेना देना”
“तभी बोल रही हो जिसे गरम बिस्तर मिल जाता है वो शादी से माना नही कराता”
“गरम बिस्तर?”
“आदमी का लंड देखा है तूने कभी”
मैं तो वाहा से भाग खड़ी हुई और वापिस शादी की भीड़ में शामिल हो गयी. पर अंकल फिर मेरे पीछे पीछे. तक कर मैने पूछ ही लिया “क्या चाहिए आपको?”
“तुम्हारी चुत चाहिए…. दोगी क्या?” अंकल ने जवाब दिया.
मुझे समझ नही आया की क्या जवाब दु अंकल को. मैं चुप ही रही.
अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “चल मेरे साथ शर्मा मत तुझे बहुत मज़ा आएगा.”
मैने पूछा, “आप तो कह रहे थे की आप मुझे अपने बेटे के लिए देख रहे है अब ये सब क्या है”
“मैं मज़ाक कर रहा था चल आजा शर्मा मत”
मुझ पर ना जाने क्या जादू किया अंकल ने मैं उनके साथ चल दी.
“चत्ट ही ठीक रहेगी क्यों क्या कहती हो” अंकल ने कहा.
मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा था की क्या काहु. अंकल वापिस मुझे उशी चत्ट पर ले आया.
अंकल ने चत्ट पर आते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में रख दिया. पहली बार मेरे हाथ में लंड था. मैं हैरानी मे उसे हर तरफ चू कर देख रही थी.
अंकल ने मेरा नाडा खोल दिया और बोला, “चल जल्दी से काम ख़त्म करते हैं कही कोई आ जाए.”
मुझे क्या पता था की काम क्या है और कैसे होगा मैं तो अपने हाथ में लंड पा कर ही खुश थी. अंकल ने मुझे घुमा कर अपने आगे झुका दिया और बोला, “सच बता कुँवारी है क्या तू.”
“हन” मैने कहा.
“तब तो बहुत मज़ा आएगा”
अंकल ने मेरी चुत पर थूक लगाया और लंड घुस्सा दिया. लंड राजू के जितना बड़ा तो नही था फिर भी बहुत दर्द हुवा. पहली बार जो ले रही थी.
मेरे मूह से छींख ना निकले इश्लीए उसने मेरे मूह पर हाथ रख लिया था और पूरे ज़ोर से मेरी चुत में लंड डाल दिया था. दर्द तो बहुत हुवा पर मैने अंकल को रोका नही. थोड़ी ही देर में मज़ा भी आने लगा. अंकल मेरी चुचियों को पकड़ कर मेरी चुत में बार बार लंड के धक्के मार रहा था और मेरी सिसकिया निकल रही थी. कोई 10 मिनिट तक वो मेरी चुत में लंड घूममता रहा फिर अचानक रुक गया. मुझे मेरी चुत में गरम गरम महसूस हुवा. उसने अपना सारा पानी मेरी चुत में डाल दिया था.
मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उशके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उशके बाद राजू मिल गया. राजू के साथ कैसे हुवा वो बड़ी मज़ेदार कहानी है शुनोगी क्या?
नगमा ने ध्यान से देखा तो पाया की पूजा शो चुकी है.
“ये भी प़ड़्मिनी जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा…और ना अपनी बताती है.”
नगमा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बाज चुके थे.
बाहर कुत्टो के भोंकने की आवाज़ से नगमा सहम गयी.
“कही वो साएको यही कही तो नही घूम रहा.” नगमा ने सोचा.
“अफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो राजू के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी.”
अचानक नगमा को घर के बाहर कुछ हलचल शुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.
“ये भोलू यहा क्या कर रहा है?” नगमा ने सोचा.
मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. राजू और मोहित को बेवकूफ़ बनाया है ईसणे. पर ये इसे वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है.” नगमा ने सोचा.
बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू नगमा के घर के बाहर खड़ा था.
“आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर”
नगमा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुवे थी. अचानक भोलू वाहा से चस्ल दिया.
“कहा जा रहा है ये, इश्का घर तो उष तरफ है” नगमा सोच में डूब गयी.
कुछ देर तक नगमा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लाते गयी.
“कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ…..कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इसे बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. राजू को आज की बात बतावुँगी. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर…कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उशके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड माराता है….अफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है” नगमा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.
………………………………………………………………
“ये गुरु कहा रह गया…10 बाज चुके हैं.” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी अपने ही ख़यालो में खोई थी. उसने कोई रिक्ट नही किया.
“प़ड़्मिनी जी आप खाना खाओ ना कब तक आप यू ही चुपचाप बैठी रहेंगी.”
“मुझे भुख नही है तुम खा लो”
“आपके बिना नही खवँगा मैं”
प़ड़्मिनी ने राजू की तरफ देखा और बोली,”मुझे भुख नही है कहा ना”
“तोड़ा तो ले लीजिए ऐसा कैसे चलेगा…आज भुख क्यों नही है”
“मुझे अब पुलिस में जा कर सारी सचाई बता देनी चाहिए”
“बात तो ठीक है मैं आपके साथ हूँ…पर इसे से कुछ हाँसिल नही होगा. आपको पकड़ कर बंद कर दिया जाएगा और केस क्लोज़ कर दिया जाएगा.”
“तो मैं क्या करूँ यही पड़ी रहू सारी उमर”
“मुझ पर यकीन रखिए मैं हू ना. मैं उशी इनस्पेक्टर के साथ हूँ जो इसे केस को हॅंडल कर रहा है”
“तुम्हारा गुरु कहा है?”
“पता नही पूजा को छोड़ने गया था…ना जाने कहा रह गया”
तभी राजू का मोबाइल बाज उठा. राजू ने फोन उठाया और शन कर रख दिया.
“गुरु घर नही आएगा आज” राजू ने कहा.
“क्यों क्या हुवा?”
“अपने किसी दोस्त के साथ बैठा पे रहा है.”
“बहुत बढ़िया मुझे मुसीबत में फँसा के जनाब दारू पे रहे हैं”
“आप कुछ खाओ ना” राजू ने कहा.
राजू के इतना कहने के बाद थोड़ा खा लेती है. राजू भी खा लेता है.
“कल रात सुरिंदर के साथ कोई लड़की थी. उसे ढुंडना पड़ेगा. हो सकता है उसे कुछ पता हो साएको के बड़े में”
“वो वाहा क्या कर रही थी.” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“बेडरूम का बिस्तर उथल पुथल था और….”
“बस बस समझ गयी” प़ड़्मिनी ने राजू को टोक दिया.
“अभी उष लड़की का कुछ आता पता नही लेकिन उम्मीद है की जल्दी पता चल जाएगा.”
“ह्म….ठीक है राजू तुम अब जाओ…मुझे नींद आ रही है”
“मैं आपको अकेला छोड़ कर नही जवँगा”
“नही तुम जाओ मुझे अकेला छोड़ दो” प़ड़्मिनी बोल ही रही थी की उशके सर से अचानक कुछ टकराया.
“आअहह” प़ड़्मिनी दर्द से कराह उठी
राजू ने ध्यान से देखा तो पाया की प़ड़्मिनी के पैरो में काग़ज़ में लिपटा एक पठार पड़ा था. राजू ने फ़ौरन उसे उठाया और काग़ज़ को पठार से अलग करके पठार एक तरफ फेंक दिया. राजू ने काग़ज़ फैलाया. उष पर लिखा था “यू कॅन ऋण बट यू कॅन नेवेर हाइड”
राजू ने काग़ज़ प़ड़्मिनी को दिया और फ़ौरन बाहर आकर देखा. कुत्ते ज़ोर ज़ोर से भोंक रहे थे और चारो तरफ सन्नाटा था. राजू को कुछ दीखाई नही दिया.
प़ड़्मिनी ने काग़ज़ पर लिखे शब्द पढ़े तो वो तर तर काँपने लगी. रौ दरवाजा बंद करके वापिस अंदर आ गया. थोड़ा वो भी डरा हुवा था.
“उष रात जंगल में वो साएको छील्ला छील्ला कर यही बोल रहा था जो इसे काग़ज़ पर लिखा है” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू ने फ़ौरन खिड़की बंद की और बोला,”अफ वो कटता भी नही है आज…गुरु को भी आज ही पीनी थी”
“अरे आपके सर से तो खून निकल आया है” राजू ने कहा.
प़ड़्मिनी ने सर पर हाथ रखा तो उष्की उंगली पर खून की कुछ बूंदे लग गयी.
राजू ने फोन निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन लगाया. पर उनका नंबर नही मिला. फिर उसने सब इनस्पेक्टर विजय को फोन किया. उन्होने फोन नही उठाया.
“अफ कैसे पुलिस वाले हैं ये…कोई भी एमर्जेन्सी हो ये नही मिलेंगे” राजू बड़बड़ाया.
हार कर राजू ने मोहित को फोन किया. पर नशे की हालत में उसने भी फोन नही उठाया.
“सब के सब निक्कममे हैं मुझे ही कुछ करना होगा.” राजू ने कहा और कुण्डी खोलने लगा.
“क्या कर रहे हो बाहर मत जाओ…वो बहुत ख़तरनाक है” प़ड़्मिनी ने कहा.
राजू रुक गया और बोला, “पर उसे पकड़ने को अछा मोका था.”
“प़ड़्मिनी जी यहा कुछ नही है सर पे लगाने को आप ऐसा करो थोड़ा ठंडा पानी डाल लो चोट पर खून बंद हो जाएगा.”
“कोई बात नही खून बंद हो चुका है मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी”
“प़ड़्मिनी जी आप की जगह कोई और होता तो ना जाने क्या हाल होता उष्का. आप बड़ी बहादुरी से सब सह रही हो”
“बस बस माखन मत लगाओ मैं जानती हूँ तुम क्या कोशिस कर रहे हो”
“आप ऐसा क्यों बोलती हैं मुझे…मैं तो बस…”
“उशे पता है की मैं यहा हूँ” प़ड़्मिनी ने कहा.
“शायद”
“शायद नही…उशे पता है वरना वो ये पठार क्यों फेंकता”
“नगमा के पीछे आया था वा कल यहा…हो सकता है वो उशके पीछे हो. कल आपको उसने नही पहचाना होगा. आज तो वो खिड़की के पास आया ही नही बस पठार फेंका है दूर से.”
“हन पर ये तुम्हारा अंदाज़ा है…मैं एक पल भी यहा नही रुकूंगी मैं इशी वक्त घर जा रही हूँ”
“ये आप क्या कह रही हैं…ये वक्त कही आने जाने का नही है”
“तो क्या करूँ इसे कमरे में बैठे बैठे अपनी किस्मत को रोटी रहूं…मुझे अब यहा से जाना ही होगा.”
“प़ड़्मिनी जी आप समझ नही रही हैं वो बाहर ही कही है” राजू ने कहा.
“तुम भी नही समझ रहे हो मेरा यहा रहना भी ठीक नही है”
“मैं समझ रहा हूँ पर…एक मिनिट”
“क्या हुवा” प़ड़्मिनी ने पूछा.
“एक काम हो सकता है”
“क्या?”
“हम आस्प शालिनी जी से मिलते हैं और उन्हे सारी बात बताते हैं. मुझे यकीन है की वो हमारी बात समझेंगी.”
“ह्म कैसी हैं ये शालिनी.”
“बहुत कड़क ऑफीसर है. उनके कारण ही मेरी जाय्निंग हुई है. मुझे यकीन है को वो हमारा साथ देंगी.”
“ह्म…चलो फिर.”
“रुकिये मैं पुलिस की जीप बुलाअता हूँ. एक कॉन्स्टेबल का नंबर है मेरे पास जो की जीप ला सकता है.”
राजू कॉन्स्टेबल को फोन मिलाता है और उसे जीप लाने को बोलता है.
“शूकर है उसने तो फोन उठाया…वो 20 मिनिट में यहा पहुँच जाएगा.”
20 मिनिट में तो नही पर आधे घंटे में जीप वाहा आ गयी. राजू प़ड़्मिनी को लेकर कमरे से बाहर निकला. उसने चारो तरफ देखा… कोई दीखाई नही दिया. राजू ने कमरे का टाला लगाया और प़ड़्मिनी के साथ जीप में बैठ गया.
“हमें आस्प साहिबा के घर ले चलो” राजू ने कॉन्स्टेबल से कहा.
“जी सिर”
अंधेरी रात में जीप सड़क पर आगे बढ़े जा रही थी. चारो तरफ सन्नाटा फैला था.
…………………………………………………….
नगमा रह रह कर करवाते बदल रही थी.
“नींद क्यों नही आ रही मुझे?” नगमा धीरे से बोली.
उशे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल शुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.
“क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है” नगमा ने सोचा.
बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.
“कही राजू तो नही…उशे पता चल गया होगा की मेरा बापू यहा नही है आज भी…शायद वो मेरे लिए यहा आया हो…पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उष्का कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी…दरवाजा खोल कर देखूं क्या…नही…नही…दरवाजा खोलना ठीक नही होगा.”
पर नगमा को लग रहा था की बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी…उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर डाए बाए देखा. “यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं.”
नगमा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उशके मूह को भी दबोच लिया गया था इश्लीए वो छील्ला नही पाई.
“घबराओ मत मैं हूँ… भोलू” भोलू ने कहा और नगमा के मूह से हाथ हटा लिया.
“तुम यहा क्या कर रहे हो…छोड़ो मुझे.” नगमा ने कहा.
“कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी…मेरा तो एक बार और मन था.”
नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुवा. “इश् लंड को मेरी गान्ड से हटाओ”
“क्यों अछा नही लग रहा क्या.”
“पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को.”
“तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया की तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिठाई जाए.”
“तुम झुत बोल रहे हो छोड़ो मुझे.” नगमा ने कहा.
“चल ना नखरे मत कर…चल मेरे घर चलते हैं”
“ना बाबा ना मैं वाहा नही जवँगी.”
“तो चल तेरे घर में ही करते हैं.”
“मेरी छोटी बहन है साथ वो शो रही है”
“उष्की भी ले लूँगा चिंता क्यों कराती है.”
“चुप कर मेरी बहन के बड़े में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी”
“फिर चल ना मेरे घर चलते हैं.”
नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उष्का मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से दर रही थी.
भोलू नगमा के बूब्स को मसालने लगा और खड़े खड़े उष्की गान्ड पर धक्के मारने लगा.
“आअहह हटो ना.”
“चलती है की यही या यही मारु तेरी गान्ड.”
“आअहह ठीक है चलती हूँ…मुझे घर को टाला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चुत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह”
“जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि” भोलू हासने लगा.
नगमा ने टाला लगाया और भोलू के साथ चल दी.
भोलू ने कमरे में आते ही नगमा को गोदी में उठा लिया और बोला,”आज रात तू कही नही जाएगी…सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी”
“फिर वही बात कहा ना चुत में लूँगी गान्ड में नही.”
“अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है.”
“तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे.”
“कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती…लेनी पड़ती है.”
“पर 2 मिनिट की बजाए 2 घंटे माराते रहे तुम मेरी गान्ड…अभी तक दर्द है मुझे. परसो राजू ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं”
“बिल्कुल बिल्कुल..” भोलू ने कहा और नगमा को बिस्तर पर पटक दिया.
एक खौफनाक रात – Hindi Thriller Story- 21
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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