ललिता बोली "शरम की क्या बात कौनसा पैसे लेती हूँ" ये सुनके दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे..
कुच्छ देर के बाद रिचा ने ललिता को देखा और कहा "तुझे एक चीज़ दिखाऊ मगर वादा कर किसिको नहीं बताएगी.."
ललिता ने वादा कर दिया तो रिचा बिस्तर से उठी और चाबी से अपनी अलमारी खोलदी.. ललिता सोच में पड़ गयी थी कि
ये लड़की क्या करने वाली है.. रिचा ने एक काफ़ी बड़ा गुलाबी रंग का डिल्डो (सेक्स टॉय) निकाला.. ललिता ये देख कर दंग रह गयी.. उसने रिचा को बोला "मुझे यकीन नहीं हो रहा साली तू ये सब भी करती है"
रिचा बोली "अबे आहिस्ता बोल कोई आ जाएगा" रिचा के हाथ डिल्डो जेल्ली की तरह हिले जा रहा था.. रिचा ने ललिता को पकड़ाया तो ललिता ने झट से हसके बोला "धुला हुआ है ना ये??"
रिचा ये सुनके ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.. ललिता ने पहली बार सेक्स टॉय पकड़ा था और वो काफ़ी रोमांचकारी लग रहा था.. रिचा बोली "अबे घूर क्या रही है चल शुरू होज़ा"
ललिता बोली "हॅट साली तेरा है ये तू कर मुझे कोई शौक नही है'
रिचा हसके बोलती "अर्रे मैं तो बंद दरवाज़े में अकेले करूँगी तेरे सामने क्यूँ करू"
ललिता ये सुनके बोली "हॉ ये बात करदी.. आख़िर तेरी दोस्त तो हूँ ही नहीं मैं"
ले तेरे लिए ये कहके रिचा ने डिल्डो के मुँह को चाट लिया... ललिता के पास अब और कुच्छ बोलने के लिए नहीं था...
फिर दोनो लड़किया पढ़ते पढ़ते सो गयी.. सुबह फिर ललिता ने जब अपनी आँख खोली तो रिचा नहा रही थी..
ललिता ने फिर सोने का नाटक करा और रिचा बाहर तौलिए मैं आई और जल्दी उसे उतार फेका और कपड़े पहेन लिए..
ज़्यादा मोटे होने के कारण रिचा के स्तन भी बहुत बड़े थे और वो काफ़ी हिलते थे जब वो जल्दी जल्दी कपड़े पहेन्ने
की कोशिश करती थी.. ललिता आज नहीं नहाई क्यूंकी उसका मन नहीं कर रहा था.. फिर दोनो ने ट्यूशन पढ़ा और
फिर खाना ख़ाके बैठ गये... फिर कुच्छ घंटो के बाद दोनो का मन चाइ पीने को करा तो रिचा बाहर कमरे के
बाहर गयी परशु को चाइ बनाने के लिए बोलने.. ललिता का मन कुच्छ खाने को भी कर रहा था तो वो रिचा के आने का इंतजार करने लगी कि कब वो उसको बोले.. प्यास इतनी लगी कि ललिता जल्दी से कमरे बाहर गयी और किचन की तरफ मूडी..
ललिता ने 1 सेक के लिए रिचा के हाथ उसके नौकर के लंड की तरफ देखा जैसे वो उसको सहला रही हो..
ललिता की पैरो की आवाज़ सुनके ही रिचा ने फ़ौरन ही अपना हाथ वहाँ से हटा लिया.. परशु अभी भी चूल्हे के सामने
खड़ा था मगर रिचा घबराते हुए मूडी और पूछा "क्या हुआ यार??"
ललिता ने बोला "नहीं कुच्छ खाने के लिए ले आओ बस ये बोलना था" ये बोलके ललिता कमरे में चली गयी.
जब रिचा और परशु कमरे में आए तो परशु ने ललिता को देख कर भी अनदेखा सा कर दिया.. रिचा मगर आराम
से ललिता से बात करने लगी जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.. ललिता को भी लगा शायद जो उसका लग रहा है वैसा ना हो..
उधर भोपाल में रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और नारायण ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहा था..
सुधीर ने काई बारी कर्वते बदली मगर उसको नींद नहीं आ रही थी.... अपने कानो को तकिओ से दबा लिया तब भी
खर्रातो का शोर उसको परेशान कर रहा था.... नारायण की वजह से वो उठ कर कमरे के बाहर चला गया....
उसको लगा की थोड़ी देर टीवी देखकर वापस सोने की कोशिश करूँगा शायद कुच्छ फ़ायदा हो जाएगा तो वो ड्रॉयिंग रूम रूम
में जाके टीवी देखने लगा.. उसके मतलब का टीवी पे कुच्छ नही आ रहा था... सारे चॅनेल्स दो दो बारी देखने
के बाद भी उसे कुच्छ नही मिला और हारकर उसने टीवी बंद कर दिया.. कुच्छ देर शांति में ड्रॉयिंग रूम में बैठा
रहा और जैसे कि कहते है कि खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है तो उसके खाली दिमाग़ में गंदे गंदे ख़याल आने लगे.. उसे पता था कि नारायण सर तो पूरा जंगल बेचके सो रहे है तो वो उठ कर सीधा डॉली के कमरे में गया.....
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
उसके सामने एक सफेद रंग की अलमारी थी जिसको उसने बड़ी धीरे से खोला.... उसकी आँखों के सामने डॉली के काई कपड़े टाँगें हुए थे.. लेकिन उसका आँखें टाँगें हुए कपड़ो पे नही बल्कि च्चिपे हुए कपड़ो को तलाश कर रही थी...
दो ड्रॉयर्स थी जिनमें चाबी डालके खोलने की जगह बनी हुई थी... वो भगवान से दुआ माँगने लगा क़ि काश दोनो
खुली वी हो... उसने एक को अपनी तरफ खीचा तो वो खुल गयी... अपने हाथो से छूता हुआ सारा समान इधर उधर
करने लगा मगर उसके हाथ में सिर्फ़ सॉक्स और हॅंकी आए.... बिल्कुल अंत में उसकी नज़र एक खाकी पेपर बॅग
पे पड़ी जिसके अंदर विस्पर्स का डिब्बा रखा हुआ था.... उसे देख कर सुधीर को पता चला कि पीरियड के समय डॉली
ये रखती है अपनी चूत पे.. ये सोचके उसकी शैतानी मुस्कान आ गयी..
दूसरे ड्रॉयर को भी उसने जल्दी से खोलना चाहा मगर अफ़सोस वो बंद पड़ी थी... उसे यकीन था के उसके मतलब
की सारी चीज़े उसी के अंदर होगी.... उसकी नज़रो के सामने डॉली की चड्डिया और ब्रा घूम रही थी और वो चाबी की
तलास में पागल हो रहा था.... बड़ी कोशिशो के बाद उसको एक चाबी दिखी जिससे वो द्रावर् खुल गयी..
आधी ड्रॉवार डॉली की ब्रा/पैंटी से भरी हुई थी...ये देख कर सुधीर मचल गया मगर उसके ख्याल से सारी
अच्छी अच्छी ब्रा/पैंटी डॉली अपने साथ दिल्ली ले गयी होगी.... सुधीर ने एक सफेद रंग की ब्रा निकाली उसको
महसूस करने लगा.. वो बड़ी ग़रीबो वाली सी लगी रही थी तो उसने उन्हे वापस रख दिया...
फिर उसकी नज़र एक काली पैंटी पे पड़ी... उसके उठाके उसने देखा और चौक गया कि वो पैंटी नही वो तो थॉंग है....
उसे नही लगता था कि डॉली कभी थॉंग भी पेहेन्ति होगी...... वो बस उसी काले रंग के थॉंग से आज खेलना चाहता था....
उसने अलमारी को बंद करा और सीधा टाय्लेट चला गया.. सुधीर ने जल्दी से जल्दी से अपने पाजामे को उतारा और
उस पैंटी को सूंगकर मसल्ने लग गया.. थॉंग धूलि हुई थी इसलिए धूलि हुई खुश्बू आ रही थी मगर उसका कपड़ा रेशम
की तरह था... जब सुधीर का लंड पूरी तरह बड़ा हो गया तो उसने डॉली के थॉंग को अपने लंड पे रखा और
ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लग गया.. उसके दिमाग़ बस डॉली की नंगी तस्वीर बना रहा था और वो उसको चौद्ने में लगा हुआ था.. वो पूरी तरह मदहोश हो चुका था शायद इसलिए उसको पता भी नहीं चला कि कब सारा वीर्य उस पैंटी पे आ गया..
सुधीर उस पैंटी को सावधानी गीले कपड़े से सॉफ करा और अंदर रखे सोने चला गया.. अब उसको लगा कि हर रात
रंगीन हो जाएगी..
उधर दूसरी ओर रिचा और ललिता पढ़ पढ़ के बोर हो गये थे... ललिता ने फिर रिचा का लॅपटॉप ऑन कर लिया और उधर
फ़ेसबुक करने लगी.. रिचा भी अब और नहीं पढ़ सकती थी इसलिए वो भी ललिता के साथ नेट करनी लगी..
दोनो किसी भी लड़के की प्रोफाइल खोलते और उसको 1-10 तक नो. देते.. ऐसी करते करते रात के 2 बज गये.. रिचा ने फिर
ललिता से लॅपटॉप छीना और उसपे कुच्छ करने लगी.. उसने ललिता को कुच्छ देखने को कहा.. ललिता ने देखा की एक
पूरे फोल्डर में सेक्स मूवीस थी.. ललिता ने पूछा "किसी को पता नही चलता क्या"
रिचा बोली "इसको कोई नही छुता क्यूंकी ये मेरा है और वैसे भी मैं इसको छुपा के रखती हूँ ताकि कोई इन्न मूवीस को ढूँढ ना पाए.. रिचा फिर हर एक मूवी ललिता को थोड़ी थोड़ी दिखाने लगी.. रिचा बोली "तूने देखी तो होगी ही ये"
"हां 2-3 बारी देखी है.. मगर इसको देखते तो लग रहा है कि तूने लाखो देख रखी होंगी अब तक"
रिचा ने एक मूवी खोली और बोली "ये वाली देखले मज़े आजाएँगे.." ललिता भी उसको गौर से देखने लग गयी..
उसकी शुरुआत ऐसी हुई कि एक लड़की जोकि डेसन जैसी लग रही थी स्कूल के कपड़ो में बस के इंतजार में खड़ी थी..
उसने देल्ही की लड़कियों के स्कूल की यूनिफॉर्म की तरह ही सफेद कमीर टाइ और नीचे नीली स्कर्ट पहेन रखी थी..
जब वो बस में चढ़ि तो बस काफ़ी भरी हुई थी तो वो किसी तरह बीच में जाके खड़ी हो गई..
बस की सीट मेट्रो की तरह थी.. वहाँ से एक लड़का उठ कर खड़ा हो गया और उसने उस लड़की को बैठने को जगह डेडी..
वो लड़की भी वाहा सुकूड के बैठ गयी..
दो ड्रॉयर्स थी जिनमें चाबी डालके खोलने की जगह बनी हुई थी... वो भगवान से दुआ माँगने लगा क़ि काश दोनो
खुली वी हो... उसने एक को अपनी तरफ खीचा तो वो खुल गयी... अपने हाथो से छूता हुआ सारा समान इधर उधर
करने लगा मगर उसके हाथ में सिर्फ़ सॉक्स और हॅंकी आए.... बिल्कुल अंत में उसकी नज़र एक खाकी पेपर बॅग
पे पड़ी जिसके अंदर विस्पर्स का डिब्बा रखा हुआ था.... उसे देख कर सुधीर को पता चला कि पीरियड के समय डॉली
ये रखती है अपनी चूत पे.. ये सोचके उसकी शैतानी मुस्कान आ गयी..
दूसरे ड्रॉयर को भी उसने जल्दी से खोलना चाहा मगर अफ़सोस वो बंद पड़ी थी... उसे यकीन था के उसके मतलब
की सारी चीज़े उसी के अंदर होगी.... उसकी नज़रो के सामने डॉली की चड्डिया और ब्रा घूम रही थी और वो चाबी की
तलास में पागल हो रहा था.... बड़ी कोशिशो के बाद उसको एक चाबी दिखी जिससे वो द्रावर् खुल गयी..
आधी ड्रॉवार डॉली की ब्रा/पैंटी से भरी हुई थी...ये देख कर सुधीर मचल गया मगर उसके ख्याल से सारी
अच्छी अच्छी ब्रा/पैंटी डॉली अपने साथ दिल्ली ले गयी होगी.... सुधीर ने एक सफेद रंग की ब्रा निकाली उसको
महसूस करने लगा.. वो बड़ी ग़रीबो वाली सी लगी रही थी तो उसने उन्हे वापस रख दिया...
फिर उसकी नज़र एक काली पैंटी पे पड़ी... उसके उठाके उसने देखा और चौक गया कि वो पैंटी नही वो तो थॉंग है....
उसे नही लगता था कि डॉली कभी थॉंग भी पेहेन्ति होगी...... वो बस उसी काले रंग के थॉंग से आज खेलना चाहता था....
उसने अलमारी को बंद करा और सीधा टाय्लेट चला गया.. सुधीर ने जल्दी से जल्दी से अपने पाजामे को उतारा और
उस पैंटी को सूंगकर मसल्ने लग गया.. थॉंग धूलि हुई थी इसलिए धूलि हुई खुश्बू आ रही थी मगर उसका कपड़ा रेशम
की तरह था... जब सुधीर का लंड पूरी तरह बड़ा हो गया तो उसने डॉली के थॉंग को अपने लंड पे रखा और
ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लग गया.. उसके दिमाग़ बस डॉली की नंगी तस्वीर बना रहा था और वो उसको चौद्ने में लगा हुआ था.. वो पूरी तरह मदहोश हो चुका था शायद इसलिए उसको पता भी नहीं चला कि कब सारा वीर्य उस पैंटी पे आ गया..
सुधीर उस पैंटी को सावधानी गीले कपड़े से सॉफ करा और अंदर रखे सोने चला गया.. अब उसको लगा कि हर रात
रंगीन हो जाएगी..
उधर दूसरी ओर रिचा और ललिता पढ़ पढ़ के बोर हो गये थे... ललिता ने फिर रिचा का लॅपटॉप ऑन कर लिया और उधर
फ़ेसबुक करने लगी.. रिचा भी अब और नहीं पढ़ सकती थी इसलिए वो भी ललिता के साथ नेट करनी लगी..
दोनो किसी भी लड़के की प्रोफाइल खोलते और उसको 1-10 तक नो. देते.. ऐसी करते करते रात के 2 बज गये.. रिचा ने फिर
ललिता से लॅपटॉप छीना और उसपे कुच्छ करने लगी.. उसने ललिता को कुच्छ देखने को कहा.. ललिता ने देखा की एक
पूरे फोल्डर में सेक्स मूवीस थी.. ललिता ने पूछा "किसी को पता नही चलता क्या"
रिचा बोली "इसको कोई नही छुता क्यूंकी ये मेरा है और वैसे भी मैं इसको छुपा के रखती हूँ ताकि कोई इन्न मूवीस को ढूँढ ना पाए.. रिचा फिर हर एक मूवी ललिता को थोड़ी थोड़ी दिखाने लगी.. रिचा बोली "तूने देखी तो होगी ही ये"
"हां 2-3 बारी देखी है.. मगर इसको देखते तो लग रहा है कि तूने लाखो देख रखी होंगी अब तक"
रिचा ने एक मूवी खोली और बोली "ये वाली देखले मज़े आजाएँगे.." ललिता भी उसको गौर से देखने लग गयी..
उसकी शुरुआत ऐसी हुई कि एक लड़की जोकि डेसन जैसी लग रही थी स्कूल के कपड़ो में बस के इंतजार में खड़ी थी..
उसने देल्ही की लड़कियों के स्कूल की यूनिफॉर्म की तरह ही सफेद कमीर टाइ और नीचे नीली स्कर्ट पहेन रखी थी..
जब वो बस में चढ़ि तो बस काफ़ी भरी हुई थी तो वो किसी तरह बीच में जाके खड़ी हो गई..
बस की सीट मेट्रो की तरह थी.. वहाँ से एक लड़का उठ कर खड़ा हो गया और उसने उस लड़की को बैठने को जगह डेडी..
वो लड़की भी वाहा सुकूड के बैठ गयी..
Re: जिस्म की प्यास
लड़की के दोनो तरफ 2 गोरे बुड्ढे बैठे थे.. कुच्छ ही पॅलो में एक बुड्ढे ने उस लड़की की स्कर्ट को हल्के से पकड़ा और्र
उसको उठाने की कोशिश करने लगा.. उस लड़की ने उस बुड्ढे के हाथ को हटा दिया.. फिर से उस बुड्ढे करने
की कोशिश करी मगर उस लड़की ने फिर से उसका हाथ हटा दिया.. थोड़ी देर बाद बुड्ढे ने उस लड़की के घुटने को छुआ..
लड़की कोई तमाशा नहीं चाहती थी इसलिए कुच्छ नहीं बोली.. फिर वो बुद्धा उसपे अपना हाथ फेरने लगा..
उस लड़की के चेहरे पे सॉफ दर मौजूद था.. बुद्धा हाथ फेरते फेरते स्कर्ट उपर करने लगा और लड़की वहाँ से उठ कर
खड़ी हो गयी..
फिर वो लड़की के दोनो तरफ दो गोर खड़े थे दोनो उसे थोड़े ही बड़े होंगे मगर काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..
उनमें से एक लड़का उस लड़की की स्कर्ट को उपर उठाने लगा तो दूसरे अपनी कौनी से उसके स्तनो को महसूस करने लगा..
लड़की ने पूरी कोशिश करी की वो अपनी स्कर्ट को नीचे करके रक्क्खे मगर लड़के ने होने नहीं दिया और उस लड़की
की सफेद पैंटी सबके नज़र में आगयि.. आहिस्ते आहिस्ते कई हाथ लड़की के जिस्म पे पड़ने लगे.. कोई उसकी गान्ड को महसूस
कर रहा तो कोई उसकी जाँघो को.. अब उस लड़की के मम्मो को काफ़ी लोग मसल्ने लगे.. (ललिता और रिचा बड़े गौर
से उस वीडियो को देख रहे थे) जब उस लड़की ने अपने आपको बचाना चाहा तो उन्न लोगो ने उसकी पूरी उतार दी..
फिर उन्न लोगो ने उसकी शर्ट के बटन खोले और उसको भी नीचे फेंक दिया.. उस लड़की ने किसी तरह अपने हाथो से
अपने ब्रा और पैंटी को बचाना चाहा मगर वो हार गयी.. उसकी पैंटी तो वही फाड़ दी और ब्रा को उतार दिया..
नज़ाने कितने हाथ उसके जिस्म से खेल रहे थे..
रिचा ने ठंड का बहाना मारके एक चादर ओढ़ ली और अपने शॉर्ट्स के अंदर हाथ डालके चूत से खेलने लगी...
फिर सारे लड़के/बूढे नंगे हो गये और लड़की क मुँह में अपना लंड डालने लगे.. ललिता के मुँह पे बेचैनी छाई हुई थी.. उस लड़की को बस के फर्श पे बिठाकर सब उस लंड चूस वा रहे थे.. फिर बस का कंडक्टर पीछे आया और
उसने भीड़ हटा कर उस लड़की को देखा और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड उसके सामने रख दिया..
फिर सबने उस लड़की को उसकी टाँगो पे खड़ा किया और दो खंबो के सहारे खड़े रहने को कहा..
बारी बारी सब उसकी चूत को चोद्ने लग गये.. वो लड़की बुर्री तरह से चिल्ला रही थी..
रिचा इतनी मदहोश हो चुकी कि उसके मुँह से भी एक-दो सिसकिया निकल गयी.. जब सबने उस लड़की को चोद दिया तब
उसके मुँह के अंदर सारा वीर्य डाल दिया.. फिर आख़िर में सबने उसके उपर पिशब किया.. वो पूरी तरह भीग चुकी थी..
ये देख कर भी दोनो लड़कियों को ज़रा सी भी घिन नहीं आई..
जब वीडियो ख़तम हो गयी तब दोनो की हालत खराब हो गयी.. दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे..
दोनो के पास कुच्छ कहने के लिए ज़्यादा था इसलिए दोनो आँख बंद करके लेटे रहे.. कुच्छ देर बाद रिचा खर्राटे
लेने लगी जैसे कि बड़ी गहरी नींद में सो रही हो.. ललिता यही चाहती थी कि वो किसी तरह से रिचा का सेक्स का
खिलौना लेके टाय्लेट चले जाए अपनी प्यास भुजाने.. पर वो किसी भी तरह की मुसीबत या शर्मन्दिगि में नहीं फसना
चाहती थी इसलिए उसने इंतजार किया..
उसको उठाने की कोशिश करने लगा.. उस लड़की ने उस बुड्ढे के हाथ को हटा दिया.. फिर से उस बुड्ढे करने
की कोशिश करी मगर उस लड़की ने फिर से उसका हाथ हटा दिया.. थोड़ी देर बाद बुड्ढे ने उस लड़की के घुटने को छुआ..
लड़की कोई तमाशा नहीं चाहती थी इसलिए कुच्छ नहीं बोली.. फिर वो बुद्धा उसपे अपना हाथ फेरने लगा..
उस लड़की के चेहरे पे सॉफ दर मौजूद था.. बुद्धा हाथ फेरते फेरते स्कर्ट उपर करने लगा और लड़की वहाँ से उठ कर
खड़ी हो गयी..
फिर वो लड़की के दोनो तरफ दो गोर खड़े थे दोनो उसे थोड़े ही बड़े होंगे मगर काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..
उनमें से एक लड़का उस लड़की की स्कर्ट को उपर उठाने लगा तो दूसरे अपनी कौनी से उसके स्तनो को महसूस करने लगा..
लड़की ने पूरी कोशिश करी की वो अपनी स्कर्ट को नीचे करके रक्क्खे मगर लड़के ने होने नहीं दिया और उस लड़की
की सफेद पैंटी सबके नज़र में आगयि.. आहिस्ते आहिस्ते कई हाथ लड़की के जिस्म पे पड़ने लगे.. कोई उसकी गान्ड को महसूस
कर रहा तो कोई उसकी जाँघो को.. अब उस लड़की के मम्मो को काफ़ी लोग मसल्ने लगे.. (ललिता और रिचा बड़े गौर
से उस वीडियो को देख रहे थे) जब उस लड़की ने अपने आपको बचाना चाहा तो उन्न लोगो ने उसकी पूरी उतार दी..
फिर उन्न लोगो ने उसकी शर्ट के बटन खोले और उसको भी नीचे फेंक दिया.. उस लड़की ने किसी तरह अपने हाथो से
अपने ब्रा और पैंटी को बचाना चाहा मगर वो हार गयी.. उसकी पैंटी तो वही फाड़ दी और ब्रा को उतार दिया..
नज़ाने कितने हाथ उसके जिस्म से खेल रहे थे..
रिचा ने ठंड का बहाना मारके एक चादर ओढ़ ली और अपने शॉर्ट्स के अंदर हाथ डालके चूत से खेलने लगी...
फिर सारे लड़के/बूढे नंगे हो गये और लड़की क मुँह में अपना लंड डालने लगे.. ललिता के मुँह पे बेचैनी छाई हुई थी.. उस लड़की को बस के फर्श पे बिठाकर सब उस लंड चूस वा रहे थे.. फिर बस का कंडक्टर पीछे आया और
उसने भीड़ हटा कर उस लड़की को देखा और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड उसके सामने रख दिया..
फिर सबने उस लड़की को उसकी टाँगो पे खड़ा किया और दो खंबो के सहारे खड़े रहने को कहा..
बारी बारी सब उसकी चूत को चोद्ने लग गये.. वो लड़की बुर्री तरह से चिल्ला रही थी..
रिचा इतनी मदहोश हो चुकी कि उसके मुँह से भी एक-दो सिसकिया निकल गयी.. जब सबने उस लड़की को चोद दिया तब
उसके मुँह के अंदर सारा वीर्य डाल दिया.. फिर आख़िर में सबने उसके उपर पिशब किया.. वो पूरी तरह भीग चुकी थी..
ये देख कर भी दोनो लड़कियों को ज़रा सी भी घिन नहीं आई..
जब वीडियो ख़तम हो गयी तब दोनो की हालत खराब हो गयी.. दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगे..
दोनो के पास कुच्छ कहने के लिए ज़्यादा था इसलिए दोनो आँख बंद करके लेटे रहे.. कुच्छ देर बाद रिचा खर्राटे
लेने लगी जैसे कि बड़ी गहरी नींद में सो रही हो.. ललिता यही चाहती थी कि वो किसी तरह से रिचा का सेक्स का
खिलौना लेके टाय्लेट चले जाए अपनी प्यास भुजाने.. पर वो किसी भी तरह की मुसीबत या शर्मन्दिगि में नहीं फसना
चाहती थी इसलिए उसने इंतजार किया..